पाँच साल में सरकार को क़रीब चौदह लाख करोड़ रुपये पेट्रोल और डीज़ल पर लगने वाले सभी प्रकार के टैक्स से मिले हैं। विवेक कॉल का डेक्कन हेरल्ड में छपा लेख पढ़ सकते हैं। आख़िर केंद्र सरकार पेट्रोल और डीज़ल का दाम क्यों बढ़ाए जा रही है? जब चुनाव होते हैं तब दाम का बढ़ना कैसे रुक जाता है? क्या आप यह नहीं समझ रहे कि हर दिन आपकी जेब से सरकार कितना पैसा निकाल रही है? इससे बेहतर होता कि आयकर ही ले लेती है। पाँच लाख तक की आमदनी को टैक्स से माफ़ी देकर सरकार ने कोई तीर नहीं मारा था। इतने कम कमाने वालों से टैक्स के नाम पर मिलता ही क्या लेकिन कारपोरेट का टैक्स कम कर सरकार ने दूसरे रास्ते से भरपाई का रास्ता निकाल लिया है। पेट्रोल डीज़ल पर टैक्स लगा कर। आज भी दाम बढ़े हैं। धर्म की राजनीति का यह सबसे सफल प्रदर्शन है। धर्म लोगों का नागरिक विवेक नष्ट कर देता है। अब सरकार लोगों के शरीर से ख़ून भी चूस लें तो लोग कहेंगे कि धार्मिक सुरक्षा और पहचान के लिए ये कुछ भी नहीं ।
आज दिल्ली में पेट्रोल 103.24 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल 91.77 रुपये प्रति लीटर हो गया। मुंबई में पेट्रोल 109.25 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल 99.55 रुपये प्रति लीटर हो गया।
आर्थिक मोर्चे पर फेल सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। आपके बौद्धिक मोर्चे पर फेल हो जाने का लाभ उठाएँ और जेब से पैसे निकाल ले। धर्म की विजय हो।
लेखक –रवीश कुमार