जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई कर रहे है।
आज याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत किया गया।साथ ही राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से भी कोर्ट में बहस किया गया।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।
कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया था कि अगर इस तरह का निर्माण हो रहा हैं, तो उसे कड़ाई के साथ रोका जाए।साथ ही इस प्रकार के निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी बड़ी भूमिका हैं।
उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को चारदिवारी नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि वहां पुलिस थाना और आवास बोर्ड के होते हुए इस तरह से अतिक्रमण कैसे हो गया।इसके लिए इन्होने क्या कार्रवाई की।
इस मामलें पर फिर सुनवाई 4 अगस्त,2022 को होगी।