जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामलें पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।
कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया था कि अगर इस तरह का निर्माण हो रहा हैं, तो उसे कड़ाई के साथ रोका जाए।साथ ही इस प्रकार के निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पिछली सुनवाई कोर्ट ने जानना चाहा था कि जब हाउसिंग बोर्ड को खुद अतिक्रमण हटाने की शक्ति है, तो ज़िला प्रशासन क्यों अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की।ज़िला प्रशासन को अतिक्रमण हटाने को कब कहा था।
याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि अनाधिकृत रूप बसे लोगों के भी कानूनी अधिकार है।
उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी बड़ी भूमिका हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को चारदिवारी नहीं दिया गया है।
इस मामलें पर फिर सुनवाई 26जुलाई,2022 को होगी।