जस्टिस ए एम बदर एवं जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने हीरा यादव एवं अन्य की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें उम्रक़ैद की सजा से मुक्त कर दिया ।
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि दिनांक 17.04.2001 को जब वह पश्चिम चंपारण स्थित अपने गाँव प्रेमाहीं में अपने परिवार के साथ सो रही थी, तब क़रीब रात के 11 बजे हीरा यादव एवं दो अन्य अभियुक्त उसके घर में जबरन घुस आए और उसके पिता के साथ मारपीट की ।
इसके बाद उन लोगों ने उसे घसीट कर खेत में ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया । इसके विरुद्ध पीड़िता ने दिनांक 18.01.2001 को भितहा थाने में उपरोक्त अभियुक्तों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई ।
इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने इन सभी अभियुक्तों को दोषी मानते हुए 19.02.2014 को आईपीसी की धारा 376(2)(g) के तहत उम्रक़ैद की सजा सुनाई।
अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप से मेडिकल रिपोर्ट मेल नहीं खाता है। इस पूरे मामले में किसी भी स्वतंत्र गवाह का परीक्षण नहीं हुआ है । इस पर खंडपीठ ने संदेह का लाभ देते हुए उक्त दोनों अभियुक्तों को सजामुक्त कर दिया ।