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Patna High Court : ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक जय प्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के बाद भी अपने पद पर बहाल नहीं किये जाने पर सुनवाई की।

जस्टिस पी बी बजन्थरी ने अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव व संयुक्त सचिव को तलब किया है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि 21 दिसंबर, 2021 को कही गई बात के लिए संयुक्त सचिव को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। 21 दिसंबर, 2021 को कोर्ट के आदेशानुसार संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा कोर्ट में उपस्थित थे।

उन्होंने राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजय कुमार रस्तोगी को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह के भीतर वापस ले लिया जाएगा।

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कोर्ट का कहना था कि यदि यह मान भी लिया जाता है कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए 21 दिसंबर के आदेश को वापस ले लिया जाता है ,तो भी नियत समय के संबंध में 21 दिसंबर से हस्तक्षेप की अवधि के संबंध में अवमानना किया जा रहा है।

कोर्ट का यह भी कहना है कि इस संबंध में राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव और संयुक्त सचिव के विरुद्ध चार्ज फ्रेम क्यों नहीं किया जाए क्योंकि 21 मार्च, 2022 तक फ़ाइल विधि विभाग के कार्यालय में लंबित है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ सतीश चन्द्र मिश्र व राजीव रंजन ने बताया कि कही गई इन बातों के आधार पर कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2021 को याचिका को निष्पादित करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के संयुक्त सचिव को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने से मना कर दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई अब आगामी 31 मार्च को की जाएगी।

Patna High Court : बिहार में दावा प्राधिकरण से तय हुए वाहन दुर्घटना के मुआवजे राशि का सौ फीसदी और त्वरित भुगतान हेतु आवश्यक नियमावली बनाने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खण्डपीठ ने आईसीआईसीआई लोंबार्ड इंश्योरेंस कम्पनी की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एमिकस क्यूरी मृगांक मौली को इस मामलें में सुझाव देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता कंपनी ने मद्रास व राजस्थान हाई कोर्ट के फैसलों का उदाहरण पेश करते हुए कोर्ट को बताया कि इन दोनों राज्यों में दावा प्राधिकरण से तय हुए मुआवजा राशि का त्वरित भुगतान , इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है ।

इसी तरह से बिहार में भी राशि का भुगतान आरटीजीएस व एनईएफटी माध्यम के जरिये भुगतान हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा सकता है ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुर्गेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कानूनी राशि जो कोर्ट में बीमा कम्पनी या भुगतानकर्ता को करनी होती है ,उसे भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने का प्रावधान हो ।

दावा प्राधिकरण से तय हुए अवार्ड की राशि के भुगतान में 3 से 4 साल लग जाते हैं और बिचौलियों के कारण मुआवजे का बड़ा हिस्सा कट जाता है ।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान होने पर बिचौलियों की कोई समस्या अपने आप सुलझ जाएगी और राशि भी पीड़ित परिवार को त्वरित गति से मिल जाएगी । इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व हाईकोर्ट प्रशासन को अगली सुनवाई में जवाब दायर करने को कहा।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

BiharDiwas2022 : बिहार दिवस पर तीन दिनों तक पटना संगीत से सराबोर रहेगा, प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों की पूरी सूची

गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम

कैलाश खेर का गायन- 22 मार्च को शाम 7:45 से 10:00 तक
रेखा भारद्वाज का गायन- 23 मार्च को 10:30 से 9:30 बजे तक
पटना विमेंस कॉलेज की छात्राओं द्वारा जल जीवन हरियाली थीम पर नृत्य- 22 मार्च को संध्या 7:30 से 7:45 बजे तक
उर्वशी चौधरी का कार्यक्रम -23 मार्च को संध्या 7:15 से 7:30 बजे तक
सत्येंद्र कुमार संगीत का गायन- 24 मार्च को संध्या 7:15 से 7:30 बजे तक


श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रम

महमूद फारूकी कर्ण कथा सुनाएंगे – 22 मार्च को संध्या 6:30 बजे से 7:00 बजे तक
रंजना झा का लोकगीत – 22 मार्च को रात्रि 10:00 बजे से 7:45 बजे तक
प्राची पल्लवी साहू का कथक नृत्य- 22 मार्च को रात्रि 8:00 बजे से 8:30 बजे तक
नीतू कुमारी नूतन लोक गीत गाएंगे 22 मार्च को रात्रि 8:40 से 9:30 बजे तक
नीलम चौधरी द्वारा निनाद- 23 मार्च संध्या 6:30 से 7:30 बजे तक
अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन द्वारा गजल गायन – 23 मार्च को रात्रि 7:45 से 9:30 बजे तक
लावणी राज द्वारा कथक नृत्य- 24 मार्च को शाम 6:30 बजे से 7:00 बजे तक
सुनंदा शर्मा द्वारा ठुमरी गायन- 24 मार्च को रात्रि 7:10 बजे से 8:00 बजे तक
लव बंदिश ब्लिस द्वारा फ्यूजन- 24 मार्च को रात्रि 8:10 से 9:30 बजे तक।

बिहार आज भी देश के आखिरी पंक्ति में खड़ा है

आज बिहार दिवस है और आज ही के दिन 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग हुआ था कहने को तो आज का दिन बिहार के लिए हर्ष का दिन है लेकिन सवाल यह भी है कि 1912 में बिहार जहां खड़ा था आज बिहार कहां खड़ा है ।

बिहार जब बंगाल से अलग हुआ तो 1917 ई. में पटना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई यह भारतीय उपमहाद्वीप का सातवाँ सबसे पुराना स्वतंत्र विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था और स्थापना के 25 वर्ष में यह विश्वविद्यालय ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट कहलाने लगा था।

पटना में 1925 में पीएमसीएच की स्थापना हुई और स्थापना के साथ ही इसकी पहचान देश और दुनिया के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेज में होने लगा था।

1947 में बिहार जीडीपी में देश में नम्बर वन पर था आजादी के तुरंत बाद बिहार की अभिशाप माने जाने वाली कोसी नदी के बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए 1958 में बराज बनाया है वही सिंचाई के लिए भीम नगर में बराज बनाया गया और उससे गंडक नहर निकाला गया उसी तरीके से कोसी से कोसी नहर निकाला गया ।

कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए 1903 में पूसा में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी आजादी के बाद बरौनी का विकास औधोगिक नगरी के रूप से हुआ लेकिन आज बिहार कहां खड़ा है बिहार का दस में दो व्यक्ति देहारी मजदूरी और छोटे छोटे रोजगार के लिए बिहार से बाहर है ।

बिहार का 90 फीसदी छात्र जो बेहतर कर रहा है वो बिहार से बाहर पढ़ रहा है बिहार की स्कूली शिक्षा और कॉलेज का हाल झारखंड से भी बूरा है ।

बिहार बोर्ड के पिछले 10 वर्षो के टांपर का हाल यह है कि कहीं किसी गांव में परचून का दुकान खोल कर रोजी रोटी कमा रहा है ।

आजादी के समय जो गिना चुना शहर था पटना को छोड़ दे तो किसी भी शहर में बेसिक सुविधा भी नहीं है ।शहरीकरण के क्षेत्र में बिहार देश का सबसे पिछड़ा हुआ राज्य है यही स्थिति रोजगार सृजन और शिक्षा ,स्वास्थ्य का है छोटी सी भी बीमारी हुआ तो दिल्ली जाना ही है। पटना में कुछ बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था जरुर है लेकिन वो भी राष्ट्रीय स्तर के मानक पर खड़ा नहीं उतर रहा है ।

मतलब 1947 में बिहार जहां खड़ा था वहां भी आज बिहार खड़ा नहीं है पिछले 15 वर्षो में बिहार में बहुत कुछ हुआ है गांव गांव में बिजली और सड़क पहुंच गयी है लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य उतना ही दूर हो गया है ।नवीन पटनायक 2000 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने थे उस समय ओडिशा की स्थिति बिहार से भी बूरी थी नीतीश 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने आपदा के मामले में बिहार और ओडिशा लगभग एक जैसा ही राज्य है लेकिन ओडिशा कहां पहुंच गया और बिहार कहां है ।

देश स्तर पर आज भी बिहार वहीं खड़ा है जहां 15 वर्ष पहले खड़ा था, बिहार दिवस के मौके पर हर बिहारी को सोचना चाहिए कि बिहार के आने वाले पीढ़ी के लिए हम लोग क्या छोड़ कर जा रहे हैं वही बिहारी शब्द जिसे गाली के रुप में इस्तेमाल किया जाता है या फिर एक ऐसा बिहार जहां का होना गर्व कहलाये ।

1–बिहार के शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत है
सोचिए आज बिहार और बिहारी कहां खड़ा है हमारे हाथ से एक साजिश के तहत शिक्षा छीनी जा रही है एक आसरा था दिल्ली वो भी हाथ से निकल चुका है जेएनयू जहां बिहार का गांव बसता था जहां से बिहारी बच्चे नई उड़ान,भरते थे उस घोंसला को ही उजाड़ दिया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय में सीट कम हो गया आईआईटी और जेई की परीक्षा का स्तर इतना हाई हो गया है वहां बिहार की शिक्षा व्यवस्था दूर दूर तक खड़े नहीं उतर रहा है ।इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत है और बिहार से बाहर जो बिहारी हैं इस विषय पर सोचे ।

हालात यह है कि बिहार के पास अब अच्छे शिक्षक भी नहीं है आज पूरे देश में दरभंगा जैसे छोटे से कस्बे से निकल कर फिजिक्स के छात्रों को ‘धर्मग्रंथ’ देने वाला एचसी वर्मा जैसे विद्वान से बात करने कि जरूरत है कि यह कैसे सम्भव है शिक्षा ही एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां आज भी बिहारी का जोड़ नहीं है ये बिहारियों के डीएनए में है इसलिए इसे बेहतर करने पर सोचने कि जरुरत है ।

2–कृषि के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है

आज बिहारी अपने दम पर अंडा और मछली के क्षेत्र में बड़े बड़े खिलाड़ी को चुनौती दे रहा है ,पांच वर्ष पहले तक जहां गांव गांव के हाट पर आंध्र की मछली मिलती थी, लेकिन आज स्थिति बदल गयी है बिहार की मछली एक बार फिर बिहार से बाहर जाने लगी है।

इसी तरह अंडा जहां आंध्र और पंजाब का एक छत्र राज्य था आज बिहार उसे चुनौती दे रहा है ।दूध के क्षेत्र में तो देश स्तर पर बिहार अमूल को चुनौती देने लगा है।

इसी तरह का काम सब्जी के क्षेत्र में करने की जरूरत है आज उपज का 90 प्रतिशत हिस्सा औने पौने दाम में बेचने को किसान मजबूर है । मक्का ,आलू और लीची के क्षेत्र में देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में बिहार एक है लेकिन पॉपकॉर्न बनाने के लिए बिहार का मक्का मुंबई जाता है जहां 20 रुपये किलों का मक्का किस भाव में लेते हैं आपसे बेहतर कौन जानता है।

ऐसा ही हाल आलू का है जिसके उत्पादक किसान हर दूसरे वर्ष आलू सड़क पर फेंकने को मजबूर होता है । गेहूं और चावल के क्षेत्र में भी एक खास तरह का ब्रांड बिहार पैदा करता है लेकिन उसका लाभ दूसरा राज्य उठाता है ।

कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र हां जहां रोजगार और किसान के समृद्धि का एक नया दौर लाया जा सकता है जबसे बिहार का किसान कमजोर हुआ है बिहारी डीएनए जो पहचान रही है वो गांव से बाहर निकल ही नहीं पा रहा है जो निकल रहा है वो कही रेरी लगा रहा है या फिर नाइट गार्ड का काम कर रहा है ।

3—पर्यटन और कला संस्कृति के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है
कृषि योग्य भूमि की तरह ऊपर वालों ने बिहार को पर्यटन और कला संस्कृति के क्षेत्र में बहुत कुछ दिया है जिसकी बेहतर मार्केटिंग करके बिहार के जीडीपी को ऊंचाई तक पहुंचाया जा सकता है ।

क्या नहीं है बिहार में सभी धर्म का आस्था का केन्द्र बिहार है कला और संस्कृति की ही बात करे तो बहुत कुछ है जिसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की जा सकती है ।

लेकिन इन सब के लिए हम सभी बिहारियोंं को जाति और धर्म के नाम पर जारी सियासत से बाहर हम सब बिहारी है इस नारे के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा ।तभी बदलाव सम्भव है लेकिन बिहारी आगे ना बढ़ जाये इसका खतरा पूरे देश के नेता को है इसलिए हमे उलझा कर रखता है इसे भी समझने की जरूरत है ।

पटना हाईकोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी एलिजिबिलिटी टेस्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा गलत उत्तर का विकल्प के रूप में देने के मामलें में सुनवाई की

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने नितिन कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया।

कोर्ट ने बिहार परीक्षा समिति को स्पष्ट कर दिया कि सीनियर सेकेंडरी शिक्षक की कोई भी अंतरिम नियुक्ति इस मामलें में कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रश्न संख्या 4,50,59,85,89 के उत्तरों के विकल्प गलत दिया गया था।ये परीक्षा कंप्यूटर साइंस से सम्बंधित था।

याचिककर्ता की अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के समक्ष उम्मीद्वार ने 7 गलत विकल्प प्रस्तुत किया, लेकिन समिति ने इन गलतियों को अनदेखा कर दिया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस प्रकार की गड़बडियां होने के कारण बहुत उम्मीद्वारों का भविष्य खतरे में पड गया है।कंप्यूटर साइंस में 1673 पदों पर नियुक्ति होनी हैं।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

बिहार दिवस आज पूरा बिहार डूबा बिहार दिवस के रंग में

जियो बिहार … बिहार जिंदाबाद @ 110
नए कैलेंडर और शासनिक प्रक्रिया के हिसाब से हमारा, हम सबका बिहार, 110 साल का हो गया।

वह बिहार, जिसका इतिहास कमोबेश मानव सभ्यता-संस्कृति का इतिहास है; जिसने दुनिया को लोकतंत्र की अवधारणा से वाकिफ कराया; जिसने चंद्रगुप्त-सम्राट अशोक-बुद्ध-महावीर- वाल्मिकी-चाणक्य-आर्यभट्ट-गुरू गोविंद सिंह महाराज जैसे महानतम शख्सियतों के आचार-सिद्धांतों से लेकर नालंदा- विक्रमशिला विश्वविद्यालय के जरिए दुनिया को ज्ञान दिया;

जिसने आजादी से पहले सात समंदर पार कई-कई देश गढ़े; जिसने मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा बनाया; जो जेपी की संपूर्ण क्रांति का स्थल है, जो आज की तारीख में महिला सशक्तीकरण व ऐसे कई बड़े बुनियादी मसलों पर देश-दुनिया को रास्ता दिखा रहा है; जो लोकसेवाओं के बड़े पदधारकों की ‘फैक्ट्री’ कहलाता है;

जो दुबई में बुर्ज खलीफा व लद्दाख की सड़क बनाता है, दिल्ली में ऑटो चलाता है, कोलकाता में ठेला खींचता है और दिल्ली के केंद्रीय मंत्रालय में बैठकर देश चलाने की नीतियां भी बनाता है; और जो अपनी इन्हीं चौतरफा मौजूदगी को इकट्ठे भाव में विशेषकर छठ के पावन मौके पर गर्व के भाव में परोसने की हैसियत पाता है कि ‘मैं सूर्य हूं, सूर्य मुझमें हैं।’

(बहरहाल, सबको बिहार दिवस की बहुत बधाई, शुभकामनाएं).।

लेखक–मधुरेश सिंह

भागलपुर में मौत का आकड़ा 17 तक पहुँचा

शमशान घाट में लगता जा रहा लाशों का अंबार, जहरीली शराब ने कितनों की ले ली आंखों की रौशनी तो कितनों की गई जान, कई मोहल्लों में छाया मातम। शासन अलर्ट मोड में, कहां – बॉर्डर पर रहेगी नाकेबंदी, शराब तस्कर पर नकेल कसने के लिए प्रशासन पूर्णरूपेण है तैयार।

भागलपुर,होली के दौरान पिछले 48 घंटे में भागलपुर जिले के अलग-अलग जगहों में 17 लोगों की संदिग्ध हालत में मौत हो जाने से पूरा प्रशासनीक महकमा सवाल के घेरे में आ गई है । सवाल है आखिर बिहार में जहरीली शराब आ कैसे रही है।वही दुसरी ओर बांका में 12 और मधेपुरा में भी 3 लोगों की इसी तरह जान चली गई। सबों के मौत का सिस्टम एक ही, पहले पेट दर्द फिर उल्टी होना उसके बाद सांस लेने में परेशानी और सिर चकराने लगना उसके बाद मौत। कई परिजनों ने शराब पीने की बात भी बताई।

कोविड के दो साल बाद होली का रंग चढ़ा ही था की पूरे सूबे को फिर से किसी की नजर लग गई। उसका दाग भागलपुर के अलावे कई शहरों को दागदार बना दिया। एक साथ कई लोगों की संदिग्घ मौत प्रशासन के सिस्टम पर सीधे सवाल खड़ा कर रही है। पूरे सूबे में सरेआम चर्चा है कि जहरीली शराब के पीने से ही मौत हो रही है। फिलहाल जांच किया जा रहा है। डीएम सुब्रत सेन और एसएसपी बाबू राम पूरी घटना के बाद अलर्ट हैं। लेकिन एक बात है कि शराब पीने वाला शराब ही नहीं पीता, माँ की खुशी, पत्नी का सुकून, बच्चों के सपने और पिता की प्रतिष्ठा भी पी जाता है। भागलपुर के बरारी शमशान घाट पर जलती लाश जो बयां कर रहा है, वह कोविड काल की याद दिला रहा है।

अब सवाल यह उठता है कि जब पूरे बिहार में शराबबंदी है तो फिर बिहार के हर जिले में शराब आता कहां से है? पूरे बिहार में शराबबंदी के बाबजूद है लोग शराब पीते क्यों हैं?

पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)के सचिव को 24 मार्च,2022 को तलब किया है

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डॉ अखिलेश कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की। पटना हाई कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग ( बी पी एस सी) के सचिव को 24 मार्च,2022 को तलब किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 21 फरवरी, 2022 को बिहार लोक सेवा आयोग को जवाब/ जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया था। कोर्ट ने इस आदेश के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि यदि जवाब / जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है ,तो 21 मार्च, 2022 को ऑफिसर इंचार्ज उपस्थित रहेंगे।

21 मार्च,2022 को न तो जवाब / जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया और न ही ऑफिसर इंचार्ज उपस्थित थे। इस पर कोर्ट का कहना था कि इस तरह का रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले पर आगे की सुनवाई 24 मार्च, 2022 को की जायेगी।

पटना हाईकोर्ट ने 38 साल तक काम करने वाले संस्कृत शिक्षक को राहत देते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया

जस्टिस संजीव कुमार प्रकाश शर्मा ने याचिकाकर्ता संस्कृत शिक्षक चंद्र भूषण प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें सभी सुविधाओं के साथ उन्हें शिक्षक पद पर बहाल करने का आदेश दिया। पटना हाईकोर्ट ने 38 साल तक काम करने वाले संस्कृत शिक्षक को राहत देते उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संतोष कुमार ने बताया कि वर्ष 1981 में याचिकाकर्ता को सहायक संस्कृत शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था।बाद में उन्हें प्रोन्नति देकर प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया।

लेकिन 38 वर्षों के बाद अचानक 22 फरवरी 2019 को बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सचिव ने शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त करते हुए अबतक भुगतान किए गए राशि की वसूली का आदेश जारी कर दिया।

इसी आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका 2019 में दायर की गई थी जिसे मंजूर करते हुए कोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया।

बिस्मिल्लाह खान की जंयती आज

बिस्मिल्लाह खान जीवन भर तीन चीज़ों को अपने सीने से चिपटाए रहे – गंगा, बनारस और उनके जनम का स्थान बिहार का डुमरांव क़स्बा. कोई कहता कि खां साब चलिए आपके लिए अमेरिका में म्यूजिक स्कूल खोल देते हैं, कोई कहता दिल्ली-बंबई में चल कर रहा जाय, कुछ माल बनाया जाय. वे बालसुलभ भोलेपन में अगले की आँखों में आँखें डाल कर कहते, “”अमाँ यार! गंगा से अलग रहने को तो न कहो!”

शहनाई उनके होंठो से लगते ही आसपास की हवा को प्रेम और करुणा से सराबोर कर देती थी. वह उनकी आत्मा की पाक ज़ुबान थी जिसका होना आसपास के कंकड़-पत्थरों तक की स्मृतियों में दर्ज हो जाता होगा. उस दैवीय स्वर को गंगा किनारे की उस मस्जिद के किसी कंगूरे की नन्ही ढलान में अब भी ढूँढा जा सकता है जहाँ वे हर रोज गंगास्नान के बाद नमाज पढ़ते थे. उसकी लरज़ को बालाजी मंदिर के फर्श के उन चकले पत्थरों की खुरदरी छुअन में महसूस जा सकता है जिन पर बैठकर उन्होंने पचास से भी ज्यादा सालों तक रियाज़ किया.

दोनों इस कदर आपस में घुल गए थे कि ठीक-ठीक कह सकना मुश्किल होगा कि शहनाई बिस्मिलाह थी या बिस्मिलाह शहनाई थे.

और राग की तपस्या ऐसी कि जो उस जुगलबंदी की गिरफ्त में आया फिर जीवनभर मुक्त न हो सका. पत्रकार जावेद नकवी के हवाले से एक वाकया पता लगता है. सन 1978 में दिल्ली में एक ओपन एयर थियेटर में प्रोग्राम चल रहा था. अचानक लाइट चली गई. बेखबर खान साहब तन्मय होकर बजाते रहे. आयोजकों में से किसी एक ने कहीं से एक लालटेन लाकर उनके सामने धर दी. अगले एक घंटे तक वे उसी की झपझपाती रोशनी में शहनाई बजाते रहे. ऑडिएंस खामोशी से सुनती रही. बजाना ख़त्म हुआ, उस्ताद ने आखें खोलीं. बोले – “लाइट तो जला लिए होते भाई!”

बिस्मिलाह खान का चेहरा भारतीय क्लासिकल संगीत का सबसे मुलायम, सबसे निश्छल चेहरा था. चौड़ी मोहरी वाला सफ़ेद पाजामा, गोल गले वाला सफ़ेद कुरता जिसकी जगह गर्मियों में जेब वाली बंडी ले लिया करती, सफ़ेद नेहरू टोपी और मुंह में बीड़ी. बनारस की गलियों में रिक्शे पर यूं सफ़र करते थे गोया रोल्स रॉयस में घूम रहे हों. उनकी सादगी और साफगोई के बेशुमार किस्से सुनने-पढ़ने को मिलते हैं.

जीते जी वैश्विक धरोहर बन गए इस उस्ताद संगीतकार की मौत के कुछ साल बाद यूं हुआ कि उन्हें भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री प्रमाणपत्र को दीमक खा गयी. इसके कुछ साल बाद उनके घर में चोरी हुई. एक कमरे की दराज़ से पांच शहनाइयां चोरी हुईं जिनमें से तीन चांदी की थीं. एक साल बाद पुलिस ने चांदी वाली शहनाइयों को बनारस के एक सुनार के पास से गली-अधगली हालत में हासिल किया. उस्ताद के एक पोते नज़रे हसन ने कुल सत्रह हज़ार रुपये में उन्हें बेच डाला था. स्पेशल टास्क फ़ोर्स द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद अपना जुर्म कबूल करते हुए उसने कहा, “मुझे बाजार में उधार चुकाना था.”

आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्मदिन पड़ता है. देश-समाज-परम्परा वगैरह बहुत बड़ी बातें हैं. आदमी बनने का थोड़ा-बहुत शऊर सीखना हो तो यूट्यूब वगैरह पर पांच-सात मिनट उनकी बजाई शहनाई सुन लीजिए.

विधानपरिषद चुनाव को लेकर दरभंगा के अहिल्यास्थान में हुई एनडीए की बैठक

BiharLegislativeCouncilElection दरभंगा । विधानपरिषद चुनाव को लेकर दरभंगा के अहिल्यास्थान में हुई एनडीए की बैठक। बैठक में दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर और मधुबनी के सांसद अशोक यादव सहित चुनाव के प्रभारी मंत्री जीवेश मिश्रा ।

चुनाव के प्रभारी मंत्री जीवेश मिश्रा का बयान……..हमसभी एनडीए की बैठक कर चुनाव पर चर्चा कर रहे है यही के प्रत्यासी की जीत सुनिश्चित करानी है….सभी सपोर्टर मिलकर वोटर को एकजुट कर वोट कराएंगे…..यह चुनाव नेताओं के नेता का चुनाव कराने है।

वार्ड सदस्य की इस चुनाव में बड़ी भूमिका है………हमसबका काम है कि अपने प्रत्यासी को जिताने का काम करेंगे।

दरभंगा और मधुबनी में एनडीए घटक दल के सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि जीत कर आये है…..एनडीए के सभी कार्यकर्ता अपने पंचायत वार्ड में कोर्डिनेशन बनाकर काम करे।

शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

Bihar Breaking News : दिल्ली । औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल में लोकतांत्रिक जनता दल का विलय हो गया। शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

शरद यादव जदयू से अलग होकर 2018 में अपनी पार्टी का गठन किया था।

लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव राजद के साथ महागठबंधन में शरद यादव की पार्टी ने लड़ी थी।

इन दिनों शरद यादव बीमार चल रहे हैं।

आज रजधानी दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में शरद यादव अपनी पार्टी का विलय राजद में किया।

दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राजद सांसद एडी सिंह, राजद सांसद मीसा भारती, राजद सांसद मनोज झा, राजद नेता श्याम रजक, राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद नेता जय प्रकाश नारायण यादव और राजद नेता शिवानन्द तिवारी मौजूद रहे।

अनुपम खैर कब से मौका परस्त हो गये

अक्सर मेरी दादी कहती थी कि जो जितना पढ़ा है वो उतना भ्रष्ट है ।दादी से मैं अक्सर भ्रष्ट का मतलब समझना चाहते थे वैसे उनकी नजर में पढ़ा लिखा लोग(व्यक्ति) में लोक लज्जा नहीं होता है सही को सही और गलत को गलत कहने की ताकत नहीं होती है साथ ही मौका परस्त होता । तो फिर मेरा सवाल होता था कि हम लोगों को क्यों पढ़ा रही हो,दादी पूरे विश्वास के साथ कहती थी तुम लोग भी पढ़ के यही करेगा फिर भी पढ़ा रहे हैं लोक(मनुष्य) तो बन जायेगा ।

आज एक बार फिर मुझे दादी की कही वो बात याद आ गयी द कश्मीर फाइल्स फिल्म के मुख्य किरदार अनुपम खेर ने कश्मीर समस्या को लेकर 2010–2011-2012 और 2013 में ट्वीट किया है उस ट्वीट में क्या लिखा है जरा आप भी पढ़ लीजिए –
1—2010 में कश्मीर के मसले पर अनुपम खेर ने एक ट्वीट किया था, इसमें वो लिखते हैं-
”कश्मीर के लिए मेरा दिल रोता है. राजनीति और आतंकवाद ने वहां के लोगों के लिए इस जन्नत को जहन्नुम बनाकर छोड़ दिया है. हिंदु और मुस्लिम दोनों के लिए.”

2——2011 में अनुपम खेर ने एक इमाद नजीर नाम के एक ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए लिखा-
”समस्या कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों के साथ नहीं है. हम सालों तक शांति से एक-दूसरे के साथ रहे हैं. ये सब पॉलिटिशियन का किया धरा है दोस्त.”


3————-2012 में अनुपम खेर का कश्मीर, कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों पर किया एक ट्वीट नीचे पढ़िए-
”न भूलिए. न माफ करिए. हमें कश्मीरी मुस्लिमों के साथ पंडित महिलाओं के बारे में नहीं भूलना चाहिए. दोनों कमोबेश एक समान दुख से गुज़रे हैं.”


4———2013 में किया अनुपम खेर का ये ट्वीट ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज के बाद सबसे ज्यादा वायरल हो रहा है. इसके पीछे की वजह आप ये ट्वीट पढ़कर समझ जाएंगे-
”मैं देख रहा हूं कि कुछ लोग विस्थापन को लेकर कश्मीरी पंडितों के हाहाकार को धार्मिक रंग दे रहे हैं. ये धर्म के बारे में नहीं है. मानवीय पीड़ा के बारे में है, जिससे हिंदू और मुस्लिम दोनों गुज़रे.”

5—-द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के बाद अनुपम खेर ने लिखा-
”लोगों का प्यार, कश्मीरी हिंदुओं के आंसू, विवेक अग्निहोत्री का धैर्य/साहस, द कश्मीर फाइल्स की पूरी टीम की मेहनत और सबसे ऊपर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद. सच की जीत कभी ना कभी तो होनी थी. 32 साल बाद ही सही. कश्मीर को लेकर अनुपम खेर या तो पहले झूठ बोल रहे थे या फिर अब झूठ बोल रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अनुपम खेर जैसी शख्सियत को ये करने कि जरूरत क्यों पड़ी जिसके अभिनय ने देश के यूथ को ईमानदारी और राष्ट्र प्रेम के लिए प्रेरित किया लेकिन इस ट्वीट के पढ़ने के बाद तो यही लगता है कि अनुपम खेर कर्मा वाला डॉक्टर डैंग ही हैं बाकी सब ढोंग है ।

रोसड़ा का एक ऐसा गांव जहां होती है अनोखी होली

राेसड़ा के भिरहा गांव की हाेली पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यहां वृंदावन की तर्ज पर लाेग हाेली का जश्न मनाते हैं। इस बार न कोरोना है और न ही कोई दूसरी बंदिश। पिछले दो साल यहां की होली पाबंदियों की भेंट चढ़ गई थी। लेकिन इसबार पूरे गांव में होली को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला।

स्थानीय लोग बताते है कि 1935 में गांव के कई लोग होली देखने वृंदावन गए थे। वहीं की तर्ज पर यहां भी होली मनाने का निर्णय लिया गया। पहली बार 1936 में वृंदावन की तर्ज पर होली हुई। वर्ष 1941 में यह गांव तीन भागों पुरवारी टोल,पछियारी टोल और उतरवारी टोल में बंटकर होली मनाने लगा।

लोगो ने बताया कि आज भी इन्हीं तीन टोलों के बीच होली के आयोजन में श्रेष्ठता साबित करने की होड़ रहती है। होलिका दहन की संध्या से ही तीनों टोले में अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। गांव में बड़े-बड़े तोरणद्वार बनाए गए है। रंग बिरंगे रोशनी से पूरा भिरहा गांव होली में भी दिखता है तीनों टोलों के तीनों मंदिर परिसर में रात भर नृत्य और संगीत का आयोजन किया गया है। दूर दराज से गायिका और नृत्यांगना को बुलाया गया था।

आज होली के दिन नृत्य का आनंद लेने के बाद सभी लोग फगुआ पोखर पँहुच रंग से घोलू हुए पानी मे कुर्ता फार होली खेला गया बिरहा गांव की होली को देखते आसपास के गांव के साथ-साथ दूरदराज के जिले के लोग भी पहुंचे हुए थे।

होली से पहले दलाल स्ट्रीट पर होली का जश्न शुरू; सेंसेक्स 1047 अंक चढ़ा, निफ्टी 17300 के करीब बंद हुआ

गुरुवार को साप्ताहिक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस एक्सपायरी सत्र के दिन इक्विटी बाजारों में तेजी रही। बीएसई सेंसेक्स 1,047 अंक बढ़कर 57,863 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 311 अंक बढ़कर 17,287 पर बंद हुआ।

Sensex 17032022
सेंसेक्स चार्ट (17.03.2022) एक नजर में

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में एक-एक प्रतिशत से अधिक की तेजी आई। ऑटो इंडेक्स में 2 फीसदी और रियल्टी इंडेक्स में 3 फीसदी की तेजी के साथ सभी सेक्टोरियल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।

सेंसेक्स पर एचडीएफसी 5.5% ऊपर था, इसके बाद टाइटन, कोटक महिंद्रा बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज थे।
केवल इंफोसिस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज घाटे के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 28 शेयर बढ़त के साथ और 2 शेयर कमजोरी के साथ बंद हुए।

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सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

मिड और स्मॉल-कैप शेयर मजबूत नोट पर समाप्त हुए। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1.38 फीसदी और स्मॉल-कैप शेयरों में 1.23 फीसदी की तेजी आई।

दिन के कारोबार के अंत में बैंक निफ्टी 1.9% बढ़कर 36,428 पर था । निफ्टी रियल्टी इंडेक्स आज 3 फीसदी से ज्यादा चढ़ा । निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज, बैंक और मेटल इंडेक्स 2 से 2.5 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए। निफ्टी आईटी 0.24 फीसदी टूटा।

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निफ़्टी के प्रमुख इंडेक्स

निफ्टी इंडेक्स के 50 शेयरों में से 46 हरे निशान में बंद हुए, जबकि 4 लाल निशान में बंद हुए । निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल ।

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मुजफ्फपुर बालिका गृह मामले से जुड़ी फिल्म बन कर तैयार जल्द होगा रिलीज

मई 2019 में मुंबई से पुलकित मुझसे मिलने पटना आये हुए थे ये बिहार से ही हैं और सुभाष चंद्र बोस और साल 2017 में आई फिल्म ‘मरून’ का ये डायरेकटर कर चुके हैं और मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले से जुड़ी फिल्म बनाने के बारे में मुझसे बातचीत करने आये थे।

इन्होंने कहा कि फिल्म पूरी तौर पर आपके चरित्र पर ही आधारित है और आपकी भूमिका में शाहरुख खान होगे मैं हैरान हो गया पत्रकार फिल्म का मुख्य किरदार मुझे समझ में नहीं आ रहा था, फिर इनसे लम्बी बातचीत हुई और कहां कि इस कांड से जुड़े सभी चरित्र का हम लोगों की टीम ने अध्ययन किया है आप ना होते तो यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता इसलिए यह फिल्म पूरी तौर पर आप पर ही आधारित है ।

हम लोगों की टीम आपके कार्यों से जुड़े सारे तथ्यों का संकलन कर लिया है और अब मैं आपसे बस सहमति लेने आये हैं।तीन दिनों तक मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़े मामले में मैंने किस तरीके से स्टोरी चलना शुरू किया फिर इस दौरान किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ा इस विषय पर लम्बी बातचीत हुई। झारखंड विधानसभा चुनाव में टाटा थे उसी दौरान मुझे मुंबई से फोन आया संतोष जी आप कितनी जल्दी मुबंई आ सकते हैं फिल्म को लेकर कुछ औपचारिकता है आपका आना जरुरी है।

21 दिसंबर 2019 को मुंबई पहुंचे वहां शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट (Red Chillies Entertainment)कंपनी से जुड़े लोगों से मुलाकात हुई और फिर मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़े पत्रकारिता को लेकर काफी सवाल जवाब हुआ और उसके बाद फिल्म बनाने को लेकर मुझसे सहमति ली गयी।

लेकिन कोरोना के कारण फिल्म बनना शुरू नहीं हुआ फरवरी 2022 में पुलकित जी का फोन आया संतोष जी फिल्म की शूटिंग शुरू हो गयी है शाहरुख खान जी का मसला पता ही होगा और कोरोना फिर कब वापस आ जाए कहना मुश्किल है इसलिए फिल्म में आपका किरदार भूमि पेडनेकर निभाएंगी फिल्म में संजय मिश्रा जी भी है ।

मैं निराश हो गया कहां शाहरुख खान और अब कोई लड़की पत्रकार बन रही है खैर भूमि पेडनेकर का नाम मैं सूना नहीं था अपनी बेटी से पूछे टिया ये भूमि पेडनेकर कौन हीरोइन है वो बोली आप ही की तो चहेती है टॉइलेट – एक प्रेम कथा वाली इतना सुनते ही मैं उछल पड़ा चलो मजा आयेगा मेरी ही तरह वो भी जिद्दी है।

आज पुलकित जी का फोन आया संतोष जी मुंबई आने के लिए तैयार रहिए फिल्म की शूटिंग पूरी हो गयी है एडिटिंग चल रहा है और इसी वर्ष फिल्म रिलीज होगा ।

पुलकित जी ने मुझसे कहां था कि जब तक फिल्म की शूटिंग नहीं हो जाती है तब तक आप इसको पब्लिक नहीं करेंगे, आज वो दिन आ गया है जब इस खबर को सार्वजनिक करते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है।

फिल्म का नाम है भक्षक और यह फिल्म पूरी तौर पर मेरी भूमिका पर केन्द्रित है तो फिर इन्तजार करिए एक तरफ द कश्मीर फाइल्स है तो दूसरी तरफ भक्षक हिंदुस्तान का दो चेहरा एक चेहरा जो नफरत पैदा करा है तो दूसरा सिस्टम के उस घिनौने सच को उजागर कर रहा है जिसके पीछे पूरा तंत्र खड़ा है।

भ्रष्ट आचरण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कई जज को सेवा से किया मुक्त

पटना हाई कोर्ट के अनुशंसा के आलोक में 14 न्यायिक पदाधिकारियों को बिहार सेवा संहिता, 1952 के नियम – 74 (बी)(ii) के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। इस आशय की अधिसूचना बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 16 मार्च, 2022 को जारी की गई है।

अनिवार्य सेवानिवृत्त किये जाने वालों में शेखपुरा के जिला व सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार दूबे, पटना हाई कोर्ट के विशेष कार्य पदाधिकारी कमरूल होदा, मधुबनी के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश इशरातुल्लाह, मुजफ्फरपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार- III, कटिहार के डी एल एस ए के सचिव विपुल सिन्हा हैं।

भागलपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुश्री प्रीति वर्मा, बांका के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश चंद्र मोहन झा, बाढ़ (पटना) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश शत्रुघ्न सिंह, रोहतास, सासाराम के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश परिमल कुमार मोहित भी शामिल है।

भागलपुर के श्रम न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी प्रभु नाथ प्रसाद, मोतिहारी ( सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह – सी जे एम सुधीर कुमार सिन्हा, मुजफ्फरपुर (पश्चिम) के सब जज – सह – ए सी जे एम, सतीश चंद्र, पटना सिटी (सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह- ए सी जे एम संजीव कुमार चन्द्रीयावी व मसौढ़ी, पटना (सम्प्रति निलंबित ) के एस डी जे एम हरे राम का नाम शामिल है।

बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2022 का परिणाम जारी

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने 12वीं (बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा) का परिणाम जारी किया। शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने परिणाम जारी किया।

1325749 परीक्षार्थियों का रिजल्ट मात्र 19 दिनों में प्रकाशित किया गया।
452171 प्रथम स्थान में रहे
51083 एक द्वितीय स्थान एवं
99 550 तृतीय स्थान पर उतर हुए।

विज्ञान संकाय में सौरभ कुमार कुल 472 अंक 94.40% अंक प्राप्त कर पूरे बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
वाणिज्य में अंकित कुमार गुप्ता 473 अंक 94.60% प्रथम स्थान प्राप्त किया।
कला संकाय में संगम राज 482 अंक लाकर 96.40% प्राप्त करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया।

इस बार विज्ञान में कुल 79.81%
वाणिज्य में 90.38%
कला संकाय में 79.53% छात्र सफल हुए
लड़कियो ने इस बार बाजी मारते हुए तीनो संकाय में कायदा प्रतिशत रहा।

लड़कियो ने 82.39 लड़को का 78.04%
तीनो टॉपर आर्ट्स में संगम राज गोपालगंज
कॉमर्स में अंकित गुप्ता पटना
विज्ञान में सौरव कुमार नवादा जिला ने बाजी मारी ।

फिल्म द कश्मीर फाइल्स के सहारे क्या संदेश देना चाह रहा है फिल्म निर्देशक

कश्मीर से मेरा पुराना वास्ता रहा है दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान कश्मीरी छात्रों के एक ग्रुप से हमारी अच्छी बनती थी और कश्मीर समस्या को लेकर अक्सर बहस होती रहती थी।

मेरा पहला प्यार भी कश्मीर से ही थी इसलिए कश्मीर से मेरा दिल का भी रिश्ता रहा है और यही वजह कि कश्मीर हमेशा मेरे जेहन में बसता है।

कश्मीर से किसी तरह जान बचा कर कर आये कश्मीरी से भी दिल्ली में अक्सर मिलने जाया करते थे हमारी वो कश्मीरी मुसलमान थी लेकिन हर रविवार को उन हिन्दू कश्मीरी के लिए कुछ ना कुछ बना कर घर से ले जाती थी जो रिफ्यूजी के तौर पर दिल्ली में रह रहे थे।साथ खाना खाती थी और घंटों उन सबों के बीच बैठ कर बात करती रहती थी और एक दूसरे को ढाढ़स बढ़ाती रहती थी की एक दिन आयेगा जब हम सब आपको वापस कश्मीर ले जायेंगे

उस समय भी मुझे ये समझ में नहीं आता था कि कश्मीर का युवा हथियार कैसे उठा सकता है क्यों कि वो बहुत ही व्यवहार कुशल और जिंदा दिल इंसान होता है दिल्ली में कश्मीर से भाग कर आये लोगों से भी मैं पुछता रहता था कि ये लोग आपके साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर दिया वो कहते थे ये सही है इन्ही लोगों की वजह से हम लोग जिंदा यहां पहुंच पाये हैं ।पाकिस्तानी आतंकी ये सब कर रहा है कश्मीरी तो अभी भी हम लोगों के लिए जान तक की परवाह नहींं करते हैं ।

दिल्ली से लौटे तो 2002 में ईटीवी ने मुझे दरभंगा में काम करने के लिए भेज दिया संयोग से जिस समय मैं दरभंगा पहुंचा ठीक उसी समय दरभंगा के डेंटल कॉलेज में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र छात्राएं परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे थे। उसके साथ विश्वविधालय और डेंटल कॉलेज के प्रबंधक का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक था कालेज प्रबंधक और विश्वविद्यालय कश्मीरी छात्र छात्राओं को दुधारु गाय समझ रखा था इनके आन्दोलन को मेरी खबर की वजह से राष्ट्रीय मुद्दा बन गया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद इन छात्रों को इस गठजोड़ से मुक्ति मिला पाया। इस दौरान भी कश्मीर के बच्चों और परिवार को एक बार फिर नजदीक से देखने का मौका मिला।

2018 में माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी द्वारा कश्मीर को लेकर देश क्या सोचता है इस विषय पर आयोजित सेमिनार में मुझे वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था इस दौरान भी कश्मीर के बच्चों के साथ हमारी लम्बी बातचीत हुई ।आज भी कश्मीर से मुझे मुक्ति नहीं मिली है ऐसे में फिल्म द कश्मीर फाइल्स की चर्चा ने मुझे एक बार फिर उत्साहिता कर दिया है फिल्म में जो दिखाया गया है उस संदर्भ में कुछ कहने कि जरूरत नहीं है लेकिन इस हिंसा के पीछे एक सच से दर्शक को दूर रखा गया है।

जिस दौरा पर यह फिल्म आधारित है उसका दूसरा पहलु यह है कि उस हिंसा के डर से कुछ ही लोग कश्मीर छोड़कर बाहर निकले थे, अभी भी जितने कश्मीरी कश्मीर छोड़ कर दिल्ली और जम्मू में शरण लिए हुए हैं उसको हजार गुना ज्यादा हिन्दू अभी भी कश्मीर के अपने गांव मेंं रह रहे है और उनकी सुरक्षा के लिए आज भी कश्मीरी मुसलमान बंदूक उठाते हैंं ।

जिस तरह के हिंसा का शिकार वहां के हिन्दू हुए हैं उससे कम हिंसा का शिकार वहां के मुसलमान लड़कियां नहीं हुई है तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी शुरुआती दिनों में भले ही हिन्दू को निशाना बनाया था बाद के दिनों में उससे कहीं अधिक कश्मीरी मुसलमान को निशाना बनाया था।

और आज भारतीय फौज की सफलता का राज भी यही है।लेकिन इस सबसे इतर जो ऐतिहासिक सत्य है भारत में एक मात्र कश्मीर का मुसलमान ही है तो आज भी हिन्दू होने का पहचान बचा कर रखा है जी है जो कश्मीरी पंडित मुसलमान बने वो आज भी अपने नाम के अंत में पंडित लिखता है ,भट्ट लिखता है ,रैना लिखता है ,डोगरा लिखता है इतना ही नहीं कश्मीर का ही मुसलमान है जिसने मुगल शासक को कश्मीर में प्रवेश नहीं करना दिया वहां की अधिकांश आबादी मुसलमान बनने से पहले बौद्ध थे बाद के दिनों में सूफी आंदोलन से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में कश्मीर के लोग इस्लाम धर्म कबूल कर लिया एक भी कश्मीर का मुसलमान जबरन धर्म परिवर्तन वाला नहीं है।

दूसरा ऐतिहासिक तथ्य यह है कि देश का एक मात्र ऐसा कश्मीर का मुसलमान कौम है जो सार्वजनिक रुप से हिन्दू बनने के लिए राजा के पास दरख्वास्त किया था और उस समय के महाराजा हरि सिंह ने मुस्लिम कौम के इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया था। लेकिन कश्मीरी पंडित इसके लिए तैयार नहीं थे फिर भी महाराजा हरि सिंह अडिग रहे और अंत में कश्मीर के पंडित सड़क पर उतर आये और अनुष्ठान करने से मना कर दिया तो तो फिर महाराजा हरि सिंह ने बनारस से पंडित बुलाये और कश्मीर के मुसलमान को हिंदू में शामिल कराने को लेकर अनुष्ठान शुरू किये, लेकिन इस बीच खबर आने लगी है कश्मीरी पंडित इस आयोजन के विरोध में झेलम नदी में कूद कर जान देने की घोषणा कर दिया है, बड़ा हंगामा हुआ और अंत मेंं महाराजा ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया ।

ऐसे मेंं यह सवाल उठना लाजमी है कि इस फिल्म के सहारे कश्मीर के मुसलमानों की जो छवि बनाने कि कोशिश हो रही है इसका मतलब क्या है 1990 के बाद कश्मीर में जो कुछ भी हुआ उसके लिए कश्मीर को जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है ऐसा नहीं है कि कश्मीर में हिंसा का जो दौर शुरु हुई उसमें सिर्फ हिन्दू ही मारे गये सिर्फ हिन्दू लड़कियों के साथ ही रेप हुआ कश्मीरी मुसलमानों के साथ भी ऐसा ही हुआ।

फिलहाल अभी तो कश्मीर शांत है ऐसे समय में इस फिल्म को दिखाने का क्या मतलब है।जबकि नफरत इंसान और इंसानियत को नुकसान ही पहुंचाता है ऐसे मेंं इस फिल्म के सहारे देश के यूथ को क्या संदेश देना चाह रहे हैं क्या देश को कश्मीर बनाना चाह रहे हैं ।

इंटरमीडिएट परीक्षा 2022 के रिजल्ट की घोषणा 16.03.2022 दोपहर 3 बजे की जाएगी।

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने 12वीं (बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा) के नतीजे (Bihar Board BSEB 12th Result 2022) की घोषणा 16.03.2022 को की जाएगी।

परीक्षा परिणाम दोपहर 3 बजे होगा घोषित।

शिक्षा मंत्री करेंगे इसकी घोषणा

बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2022
बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2022