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पटना हाईकोर्ट ने बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार के पद से सेवानिवृत होने के बाद भी कार्य करते रहने के मामलें पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने उमा शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चौबीस घंटे के भीतर नए रजिस्ट्रार का नाम तय करने का निर्देश दिया।

कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के पूर्व रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया है।कोर्ट ने अगली सुनवाई में बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष को कोर्ट में तलब किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को रजिस्ट्रार के पद पर नए अधिकारी को अविलम्ब नियुक्त करने का निर्देश दिया था।

इससे पूर्व में कोर्ट ने सेवानिवृत रजिस्ट्रार द्वारा लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दिया था। कथित तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद भी बिहार फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति स्थाई तौर पर पटना हाई कोर्ट द्वारा एक अवमानना मामले में 19 अगस्त, 2011 को दिए गए आदेश को गलत तरीके से परिभाषित करते हुए बगैर किसी विज्ञापन, साक्षात्कार किया गया।

साथ ही बिहार फार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 26 (ए) और बिहार सर्विस कोड के नियम 67 (ख) तथा सी सी ए रूल्स के नियम 16 का उल्लंघन कर के कर दी गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया था कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार सेवा निवृत्त हो चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें इस पद पर रखकर काम कराया जा रहा है, जोकि गैर कानूनी है। इस मामले में अभी आगे भी सुनवाई होनी है।

गलत नियत से घर में घुसा सख्स, पुलिस गिरफ्त में

जहानाबाद में रिटायर्ड स्वास्थ्य कर्मी के घर मे गलत नियत व चोरी करने के उद्देश्य से घुसे एक युवक को लोगो ने पकड़ कर पिटाई कर दी, बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

मामला नगर थाना क्षेत्र के प्रखंड कॉलोनी का है। जहां मंगलवार की रात नारायण नामक युवक एक घर मे घुस गया और रिटायर्ड स्वास्थ्य कर्मी के मानशिक रूप विक्षिप्त व दिव्यांग नाबालिग नतनी के साथ गलत हरकत करने लगा जिस पर उसकी मां की नजर चली गयी।

बच्ची की मां ने बिना समय गबाये उसे पकड़ कर हो शोर मचाने लगी। इतने में मोहल्ले के लोग जुट गए और उसकी खबर ली बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

पकड़ा गया युवक से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसके पास से चोरी के टीवी,गैस सिलेंडर, टॉर्च सहित कई अन्य सामान भी बरामद किए गए है।

पीड़ित परिवार ने बताया कि मंगलवार की रात दीवार तड़पकर घर मे घुसे युवक ने दिव्यांग एवं मानशिक रूप विक्षिप्त बच्ची के साथ गलत हरकत कर रहा था इतने में कुछ आवाज आने पर बच्ची की मां जाग गयी और उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।

शोर मचाने पर मोहल्लेवासी मौके पर जुट गए और उसकी पिटाई कर पुलिस के हवाले कर दिया। इधर पुलिस ने आरोपी युवक पर प्राथमिकी दर्ज कर उसे जेल भेजने की तैयारी में जुटा है। हालांकि इस बाबत कोई भी पुलिस अधिकारी बोलने से बचते दिखे।

पटना हाईकोर्ट ने सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रतो रॉय को तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सहारा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के संस्थापक सुब्रतो रॉय को अगली सुनवाई में तलब किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सहारा कंपनी को यह बताने का निर्देश दिया था कि बिहार की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा, जो सहारा कंपनी के विभिन्न स्कीमों में निवेशकों द्वारा जमा किया गया है, उसे उन्हें किस तरह से जल्द से जल्द लौटाया जाएगा।

सुनवाई के दौरान सहारा का पक्ष वरीय अधिवक्ता उमेश प्रसाद सिंह ने ने रखा ।इससे पहले कोर्ट ने कहा था यदि आगामी 27 अप्रैल तक सहारा कंपनी द्वारा स्पष्ट रूप से कोर्ट को इस बात की जानकारी नही दी जाती है, तो हाईकोर्ट इस मामले में उचित आदेश उस पारित करेगा, ताकि निवेशकों का पैसा उन्हें लौटाया जा सके।

इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 11 मई को की होगी।

जहानाबाद जिले में घोड़ रेस प्रतियोगिता का आयोजन, 100 घोड़े ने लिया भाग

जहानाबाद जिले की घोसी थाना क्षेत्र के शर्मा गांव में घोड़ा रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश के नामी ग्रामीण व्यक्तियों का घोड़ा भाग लिया।

विवेका पहलवान से लेकर हरि मुखिया के घोड़ा इस प्रतियोगिता में भाग लिया। इस प्रतियोगिता का आयोजन शर्मा गांव निवासी उपेंद्र शर्मा द्वारा किया गया इस रेस प्रतियोगिता में आरा के हरेराम सिंह मुखिया के घोड़ा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

और एक मोटरसाइकिल जीतकर अति प्रसन्न होकर कहा कि इस प्रतियोगिता में आकर मुझे बहुत खुशी हो रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे पूर्वजों से लेकर आज तक घोड़ा रखने की परंपरा रही है। जिसका मैं निर्वहन कर रहा हूं ।और जहां भी घोड़ा रेस का प्रतियोगिता होता है मैं जरूर इस प्रतियोगिता में भाग लेता हूं।

इसके आयोजन करता उपेंद्र शर्मा ने बताया कि फर्स्ट प्राइज जीतने वाले को मोटरसाइकिल दूसरे को फ्रिज और तीसरे को कलर टीवी से सम्मानित किया। गया इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग दर्शक भी मौजूद थे आयोजन कर्ता का कहना है कि मेरा मुख्य उद्देश घोड़ा रेस प्रतियोगिता का आयोजन इसलिए किया गया है कि दूरदराज से लोग यहां पहुंच कर घोड़े के क्षमता को देखा जा सकता है ।

आज मॉडल के जमाने में हमारे पुरानी परंपरा लुप्त होती जा रही है। इस को बचाने के लिए हम घोड़ा रेस प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं। और कुछ दिनों के बाद इस जगह पर घोड़ा मेले का आयोजन किया जाएगा जहां से लोग दूरदराज से आकर घोड़े के खरीदारी भी कर सकेंगे ।उन्होंने कहा कि हर साल घोड़ा रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जनजातीय शोध संस्थान बनाने का निर्देश केंद्र व राज्य सरकार को दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस. कुमार की खण्डपीठ ने बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की ओर से दायर लोकहित याचिका को सुनते हुए यह निर्देशदिया।

राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि टीआरआई (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट)की स्थापना के संबंध में बिहार के मुख्य सचिव द्वारा गहन जांच की गई। टीआरआई की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए सहमति दे दी गई हैं।

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उन्होंने बताया कि जल्द ही बिहार में टीआरआई स्थापित करने का प्रस्ताव भारत सरकार के समक्ष रखा जाएगा, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

केंद्र सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता के एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि यदि राज्य प्रस्ताव भेजेगा, तो केंद्र सरकार उस पर तेजी से कार्रवाई करेगी।जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने बताया कि आदिवासी संस्कृति की विशिष्टता को संरक्षित करने हेतु 19 राज्यों में टीआरआई क्रियाशील है ।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 28 जून, 2022 को की जाएगी।

बास्केटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी लतीरा ने सुसाइड कर लिया है

पटना । बास्केटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी लतीरा पटना ने सुसाइड कर लिया है। घटना राजीव नगर थाना क्षेत्र के गांधीनगर की है, जहां किराए के मकान में उसका शव बरामद किया गया है । मकान मालिक ने बताया कि कल देर शाम हुई थी और आने के बाद रात से ही जब उसके परिजनों से फोन कर रहे थे वह फोन पिक नहीं कर रही थी।

उसके बाद उसके साथ काम करने वाले एक कर्मचारी ने भी उसे फोन किया वह फोन नहीं उठा पा रही थी, तब जाकर के पूरे मामले की जानकारी मकान मालिक को दी गई और जब मकान मालिक और उसके साथ काम करने वाले लोगों ने देखा उसका सब रूम में लटका मिला था।

रूम अंदर से बंद था पुलिस मौके पर पहुंच गई शव को बरामद कर के पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। उसके परिजन बैंगलोर के रहने वाले हैं फिलहाल पुलिस जांच में जुटी है, आखिर उसने आत्महत्या क्यों की?

उसके मोबाइल को जब कर लिया गया है और जांच के लिए दिया गया है उसके साथ काम करने वाले ऑफिस के कई लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही है। मकान मालिक का कहना है कि वह बहुत कम यहां रहती थी हमेशा बुक नेशनल गेम में खेलने के लिए ही बाहर रहती थी।

बिहार बीजेपी में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है

नरेन्द्र मोदी 2014में देश के प्रधानमंत्री बने और साथ में अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इसके बावजूद भी बिहार बीजेपी मोदी और शाह के एजेंडे के साथ खड़ा नहीं था।

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मोदी और शाह पूरी ताकत लगा दिये बिहार बीजेपी पर कब्जा करने के लिए लेकिन इतनी बूरी हार हुई की दोनों को समझ में आ गया कि बिहार को साधना इनके बस में नहीं है,और फिर सुशील मोदी के हाथ बिहार बीजेपी का कमान सौप दोनों शांत बैठ गये।

सुशील मोदी अरुण जेटली के साथ मिलकर 2017 में नीतीश कुमार को फिर से अपने साथ लाने में कामयाब हो गये और 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 के लोकसभा में जीती हुई पाँच सीट देकर नीतीश कुमार के साथ गठबंधन करने को मजबूर हुए ।
मतलब भारत की राजनीति में आप दोनों की जोड़ी भले ही महानायक वाली क्यों ना हो बिहार में चलेगी तो नीतीश और सुशील मोदी की ही चलेगी ।

ऐसा ही 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी हुआ नीतीश बिहार में मोदी और शाह किस लाइन पर बोलेगे ये भी नीतीश तय किये।
चिराग के साथ गठबंधन टूटने की वजह नीतीश खुद थे या फिर चिराग के पीछे बीजेपी खड़ी थी इसलिए गठबंधन नहीं हो सका यह अभी भी स्पष्ट नहीं है ।

लेकिन गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी जिस तरीके से चिराग को मदद कर रहा था उससे यह संदेश जाने लगा था कि जदयू को कमजोर करने में बीजेपी शामिल है। हालांकि दूसरे चरण के बाद बीजेपी को लगा की यह दाव उलटा पड़ सकता है और राजद की सरकार बन जायेंगी तो फिर तीसरे चरण में चिराग को जो मदद मिल रहा था वह बंद हुआ और फिर पीएम मोदी चिराग के खिलाफ पहली बार दरभंगा की सभा में बोले तब तक बहुत देर हो चुकी थी,और फिर जो परिणाम आया उसमें पहली बार नीतीश बिहार में तीसरे नम्बर पर पहुँच गये ।

मोदी और शाह को जैसे ही मौका मिला सबसे पहले सुशील मोदी को बिहार से बाहर का रास्ता दिखाया, संगठन मंत्री नागेन्द्र जी को बिहार से बाहर किया और ऐसे विधायक को मंत्री बनाया जो नीतीश और सुशील मोदी के गुड बुक में नहीं थे और समय आने पर इन दोनों पर हमला भी कर सके ,उसी कड़ी में नितिन नवीन,सम्राट चौधरी और शहनवाज जैसे को मंत्री बनाया और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को नीतीश के खिलाफ बयान देने की खुली छुट दी गयी ।

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को सरकार को नीचे दिखाने को लेकर प्रेरित किया गया और संघ के एजेंडे को लागू करने को लेकर नीतीश पर दबाव बनाने को कहॉ गया।
पहली बार विधानसभा सत्र के दौरान जन गन मन की जगह वंदे मातरम गाया गया,विधानसभा के स्मृति स्तम्भ से अशोक चक्र को हटाया गया, इस तरह के कई काम हुए जो नीतीश को पसंद नहीं था।
2021में यानी 7 वर्ष बाद मोदी और शाह का बिहार भाजपा पर पूरी तरह कब्जा हो गया ।

वही नीतीश मोदी और शाह के रणनीति को भाप गये और चुनाव परिणाम आने के एक माह बाद ही वो चुपचाप पार्टी को मजबूत करने में लग गये गाँव गाँव तक संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश शुरु हुई ,उपेन्द्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल कर कुर्मी कोयरी गठजोड़ को मजबूत किया फिर नाराज सवर्ण नेता को मिलाना शुरु किया।

दोनों उप चुनाव जीते फिर विधान परिषद के सीट बटवारे में भी बड़े भाई की भूमिका में बने रहे विधान परिषद चुनाव में मधुबनी में बीजेपी वाले साथ नहीं दिये तो बेगूसराय में बदला ले लिये और बोचहा का रिजल्ट तो बता दिया कि बिहार में मोदी शाह की जोड़ी चलने वाला नहीं है।

यह बात जैसे ही सामने आया सुशील मोदी अपने अंदाज में हमला शुरु कर दिये और संकेत भी दे दिये कि नीतीश कमजोर होगे तो फिर 2024 का लोकसभा चुनाव में बिहार में हाल बूरा हो सकता है ।

ऐसे में आने वाले समय में नीतीश गठबंधन का साथ कब छोड़ते हैं ये तो नीतीश तय करेंगे लेकिन बिहार बीजेपी मोदी और शाह के नीति के साथ सहज नहीं है ये साफ दिखने लगा है और 60 से अधिक ऐसे बीजेपी विधायक है जो किसी भी समय चुनौती दे सकते हैं,ऐसे में वीर कुंवर सिंह के विज्योउत्सव कार्यक्रम की सफलता से मोदी और शाह के चेहते खुश हैं लेकिन सुशील मोदी की ट्टीट ने पलीता लगाने का काम कर दिया है यह साफ दिखने लगा है ।

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के चेप्टर 5 व 31 मार्च, 2021 को राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के चेप्टर 5 व 31 मार्च, 2021 को राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन ने डा आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है।कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है और यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है।

उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है, जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

अब इस मामले पर अगली सुनवाई 27अप्रैल 2022 को होगी।

एक दुनिया नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं की

मम्मी तो बस डांटती थीं, किसका बच्चा पेट में ले आई हो, लेकिन हमें तो चार महीने तक पता नहीं था कि मेरे पेट में बच्चा है.” बिहार की राजधानी पटना के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली एक आदिवासी लड़की का ये दर्द है. तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली 14 साल की ये बच्ची संथाल आदिवासी समाज से आती है. इसके पिता सरकारी नौकरी में हैं और इस बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोपी भी उसी विभाग में नौकरी करता है.

क्या हुआ था? यह पूछने पर बहुत सुंदर हैंडराइटिंग में लिखने वाली ये बच्ची कहती है, “मैं तो उसको भैया-भैया कहती थी. दिसंबर (साल 2020) में दोपहर को घर के बाहर मैं अपने दो दोस्तों के साथ खेल रही थी. इतने में वो आया और हमको किसी काम का बहाना बनाकर अपने घर ले गया. वहां उसने मुझे बांध दिया और सारे कपड़े खोल कर गंदा काम किया. थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा कि मैं ये बात किसी से न कहूं और भगा दिया.”

सात भाई-बहनों में से एक ये बच्ची बताती है कि फिर उसे महीने (मासिक) आने बंद हो गए. धीमी आवाज में वो रूक-रूक कर कहती है, “मार्च में मम्मी ने पूछा कि तुम्हारे महीने क्यों नहीं आ रहे हैं? मम्मी ने उसके बाद एक स्ट्रिप लाकर दी. और जांचने को कहा. उससे पता चला मेरे पेट में बच्चा था. बाद में जून में हमें बड़े अस्पताल ले जाकर डीएनए टेस्ट हुआ और उसके बाद बच्चा मार दिया गया. मुझे चार दिन तक बहुत दर्द हुआ. उसके बाद ठीक हो गई.”

दुष्कर्म के आरोपी गिरफ्तार युवक की मां फिलहाल अपने घर में अकेले रह रही है. वो अपना नाम नहीं बताना चाहतीं, लेकिन गुस्से और गम में कहती हैं, “बच्ची के साथ गलत हुआ है लेकिन मेरे लड़के का कोई दोष नहीं. और हमको तो कुछ मालूम नहीं था. जब उसे पुलिस वाले लेने आए तब पता चला.”

राजधानी पटना में इससे पहले भी साल 2018 में पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा का गर्भपात कराया गया था. छात्रा के पेट में जब दर्द उठा, उसके बाद ही परिजनों को पता चल पाया कि उनकी बच्ची गर्भवती है. इस बच्ची का डीएनए टेस्ट कराके गर्भपात करा दिया गया था.

राजधानी पटना में इस तरह के अपराध कि शिकार नाबालिग बच्चियों के स्वास्थ्य और उनके गर्भपात को लेकर थोड़ी संवेदनशीलता बनी रहती है. प्रशासन पर भी ‘दबाव’ रहता है. लेकिन बिहार के दूर-दराज के जिलों में क्या हालात बदतर हैं. इस रिपोर्ट में हम ऐसी ही पीड़िताओं की बात करेंगे.

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की महासचिव मीना तिवारी कहती हैं, “राजधानी पटना और बिहार के दूसरे इलाकों में एक तरह का विभाजन है. पटना में चूंकि महिला संगठन व अन्य तरह के दबाव हैं इसलिए यहां सरकारी मशीनरी थोड़ी ज्यादा सक्रिय और संवेदनशील दिखती है. लेकिन छोटी जगहों पर जहां शादी ही अंतिम व जरूरी चीज है वहां समाज, पुलिस और इंस्टीट्यूशन बहुत असंवेदनशीलता से व्यवहार करते हैं. अगर इसे संपूर्णता में देखें तो बिहारी समाज और राजनीति के सामंती तत्व इसके केंद्र में हैं.”

उम्र- 13 साल, वजन- 36 किलो, बच्चा- 3.2 किलो
मीना तिवारी जो बात कह रही हैं दरअसल उसी असंवेदनशीलता का नतीजा है कि कई बार नाबालिग दुष्कर्म की शिकार बच्चियों को न चाहते हुए भी अपने अनचाहे गर्भ को जन्म देना पड़ता है. समस्तीपुर की संगीता उनमें से एक हैं.

उसने साल 2016 में एक बच्चे को जन्म दिया था. तब उसकी उम्र महज 13 साल थी. प्रसव के वक्त उसका खुद का वजन 36 किलो था. अपने इस वजन के साथ वो 3.2 किलो का बच्चा अपने गर्भ में ढोती रहीं. उस वक्त पटना के एक होम में रह रही संगीता, अपने उस अनचाहे बच्चे को न तो दूध पिलाना चाहती थी और ना ही उसका चेहरा देखना चाहती थी. सरकारी कांउसलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, “इस मां का अपने बच्चे से कोई लगाव नहीं.”

घटना के छह साल बाद ‘नाबालिग से वयस्क’ हो चुकी संगीता की अपने बच्चे के प्रति बेरूखी कायम है. वो अब बेगूसराय जिले के एक सरकारी होम में है. बाल कल्याण समिति, समस्तीपुर की सदस्य लीना कुमारी बताती हैं, “उसके परिवार का कोई व्यक्ति मिलने नहीं आता. वो खुश रहती है, लेकिन वो अपने बच्चे को अब भी नहीं देखना चाहती. हम लोगों ने समाज कल्याण विभाग को चिठ्ठी लिखकर ये पूछा है कि बच्चे को अब कहां शिफ्ट किया जाएं.”

संगीता का अपना जीवन भी बिना मां के ही गुजरा है. वो छोटी थीं जब उनकी मां गुजर गई. चाची ने पाला है. लेकिन घर और अपने छोटे भाई बहनों को संभालने की जिम्मेदारी भी थी. उसके साथ दुष्कर्म की वारदात तब हुई जब वो अपनी घरेलू जिम्मेदारी निभा रही थी. गांव के ही एक लड़के ने अपने पिता को खाना पहुंचाने जा रही संगीता के साथ दुष्कर्म किया. डरी सहमी संगीता घर वापस आ गई लेकिन एक दिन उसके पेट में तेज दर्द उठा. उसकी चाची, उसे डॉक्टर के पास ले गई जहां मालूम चला कि वो गर्भवती है.

शादी कौन करेगा? गर्भपात की अनसुनी अर्जियां
समस्तीपुर बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष तेजपाल सिंह बताते हैं, “मैंने उस वक्त समस्तीपुर सिविल सर्जन को लगातार चिठ्ठी लिखी कि मेडिकल बोर्ड बैठाकर संगीता के गर्भपात पर फैसला लें. सिविल सर्जन को मालूम ही नही था कि बाल कल्याण समिति क्या है. हम दोनों के बीच पत्राचार इतना लंबा चला कि मजबूरन उसका प्रसव कराना पड़ा. बाद में तो उसके घरवालों ने उसे ये कहकर ले जाने से इंकार कर दिया कि अब उससे शादी कौन करेगा?”

‘उससे शादी कौन करेगा’ ये ठीक वहीं सवाल था जो साल 2019 में कैमूर जिले में एक 16 साल की गर्भवती नाबालिग बच्ची के पिता ने पूछा था. हिंदुस्तान टाइम्स में अगस्त 2019 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उस बच्ची ने कैमूर के सदर अस्पताल में एक बच्चे (लड़की) को जन्म दिया था. जिसके बाद उसके पिता ने पूछा था, “कौन मेरी लड़की से शादी करेगा, अगर उसके पहले से ही बच्चा हो.”

तत्कालीन बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्य निक्की हैम्ब्रम जो इस केस को मॉनीटर कर रही थीं, वह बताती हैं, “जांच के दौरान ये पाया गया था कि ये मामला प्रेम प्रसंग का है. लेकिन महत्वपूर्ण बात ये थी कि बच्ची और उसका परिवार चाहता था कि गर्भपात हो जाए. लेकिन सरकारी कामकाज इतने ढीले तरीके से होता है कि बच्चियों को मजबूरन बच्चा पैदा करना ही पड़ता है.”

कैमूर की पीड़िता के पिता की बात को छोड़ दें तो ऐसे मामलों में भी शादियां होती हैं. ये दीगर बात है कि कभी दुष्कर्म और गर्भवती होने की बात छिपाकर शाददी कर दी जाती है तो कभी किसी ऐसे लड़के से शादी हो जाती है जो शारीरिक या अन्य तौर पर कमतर होता है. ऐसी शादियों में मां-बाप इसी का शुक्र मनाते हैं कि उनकी बेटी की शादी हो गई।
सुयशी सीतामढ़ी की रहने वाली 21 साल की सुयशी की मां कहती हैं, “बड़ी मेहरबानी हुई कि मेरी बच्ची की शादी खाते-पीते घर में हो गई. वरना उससे शादी कौन करता?”

बच्चा पैदा होगा, तभी तो इंसाफ मिलेगा
लेकिन क्या सुयशी के जीवन की खुशी भी उसकी मां के सुकून में है. सुयशी कहती हैं, “हमारी शादी तो अम्मा ने विकलांग आदमी से कर दी है. चार हजार रूपए चंदे के तौर पर जुटाए और लड़के के गांव जाकर ही शादी कर दी. अम्मा ने इनको (पति) कुछ नहीं बताया. बस हमारी शादी की, और घर में पहनने वाले कपड़ो में हमें विदा कर दिया.”

सुयशी अपनी पहचान छुपाने के लिहाज से हमसे अपने घर से दूर एक हाईवे पर मिलीं. उनके पति व्हील चेयर के सहारे अपने घर से 1.5 किलोमीटर दूर स्थित बाजार जाकर लहठी (एक तरह की चूड़ी) बनाते हैं और बहुत कमाई वाले दिनों में भी महज छह-सात हजार रुपए कमाते हैं.

सीतामढ़ी में भारत नेपाल बार्डर पर बसे एक गांव की रहने वाली सुयशी को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था. उसका दुष्कर्म शादी का प्रलोभन देकर 15 साल की उम्र में किया गया था. वो बताती हैं, “मैं जिसके यहां काम करती थी, उसने कहां शादी कर लेंगे तुमसे. फिर मेरे बच्चा ठहर गया तो मारपीट कर भगा दिया. इस मारपीट में बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ.”

सुयशी को लेकर गांव में पंचायत बैठी थी. लेकिन जब पंचायत का फैसला आरोपी ने नहीं माना तो मामले में एफआईआर हुई. इस मामले में सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय ने आरोपी के घर की कुर्की जब्ती का आदेश दिया है.

क्या सुयशी बच्चा पैदा करना चाहती थीं? इस सवाल पर वो कुछ देर चुप रहकर आहिस्ता से कहती हैं, “बच्चा पैदा होगा, तभी तो इंसाफ मिलेगा. बस इसलिए बच्चा चाहते थे. अब तो उसका डीएनए भी नहीं करा सकते. उस वक्त मेरे भाई थाने में मेरा मरा हुआ बच्चा लेकर गए थे. लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. भैया उसको जमीन में गाड़ दिए.”

सामूहिक बलात्कार और डीएनए
बिहार के गांवों में होने वाली इस तरह की घटनाओं में ज्यादातर मामले थाने नहीं जाते. इन मामलों में पहले ग्रामीण स्तर पर ही पंचायत बैठती है. जिसमें कभी दोषी पक्ष पर जुर्माना लगाकर तो कभी लड़के–लड़कियों की शादी कराकर मामले को निपटा दिया जाता है. लेकिन जब पंचायत के स्तर पर ये मामले नहीं सुलझते तो पीड़ित पक्ष स्थानीय थाने का दरवाजा खटखटाता है.
लेकिन यहां भी अहम सवाल है कि सामूहिक बलात्कार के मामलों में जहां चार पुरूषों पर दुष्कर्म का आरोप हो और पीड़ित बच्ची गर्भवती हो जाएं, वहां क्या किया जाएं?

पूनम, शादी के बाद हुए अपने बच्चे के साथ पूनम की जिंदगी के कई साल इसी तरह के सामूहिक बलात्कार और अपने गर्भ में पले बच्चे के भविष्य की कश्मकश में गुजर गए. उसके साथ एक अंधेरी शाम को गांव के ही कुछ पुरूषों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था. जब चार महीने तक पीरियड्स नहीं आए तो पूनम की मां ने उसकी गर्भावस्था की जांच करवाई. पूनम के पिता के दबाव में गांव में पंचायत बैठी और ये तय हुआ कि दो लाख रुपए का मुआवजा देकर मामला खत्म किया जाए.

पूनम की मां बताती हैं, “ये लोग चाहते थे कि बच्चे को मार दें. हम क्यों मार दें बच्चे को? मैंने उसे अपने बच्चे की तरह पाला. पूनम को तो बच्चा पैदा करके भी कोई होश नहीं था. वो खेलती कूदती रहती थी. हम उसे पकड़कर लाते थे कि बच्चे को दूध पिलाओ. बाद में हम लोगों ने पूनम की शादी कर दी लेकिन बच्चा अपने पास रख लिया.”

पंचायत के फैसले से नाखुश पूनम के परिवार ने मामला स्थानीय थाने में दर्ज कराया. पेशे से वकील लक्ष्मण मंडल ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क के सीतामढ़ी जिला समन्वयक हैं. वो बताते हैं, “ये जिले में पहला मामला था जब डीएनए टेस्ट कराया गया था. इस टेस्ट से ये पता चलता है कि बच्चा किसका है. लेकिन तत्कालीन सिविल सर्जन की निगरानी में भी डीएनए का सैंपल ठीक से नहीं लिया गया.”

इस मामले में फिर से डीएनए सैंपल लिया गया है, लेकिन इस बीच पूनम के बच्चे का अपहरण हो गया. पूनम कहती है, “मेरे साथ दुष्कर्म करने वालों ने ही मेरे बच्चे का अपहरण किया है. हम अपनी ससुराल से तीन महीने में एक बार बच्चे से मिलने आ जाते थे. मेरी जो शादी हुई उससे भी दो बच्चे हैं, लेकिन मुझे अपने पहले बच्चे की भी याद आती है.”

इस मामले में एक आरोपी जो पूनम के घर के पास ही किराने की दुकान चलाता है, वो कहता है, “इन लोगों ने अपने बच्चे का अपहरण खुद कराया है. इनके सारे इल्जाम झूठे हैं.”

शहरी जीवन और प्रगतिशील समाज की सोच से इतर बिहार के ग्रामीण समाज को उसके सोचने विचारने के तरीके से देखने पर इस समस्या को सही तरीके से समझा जा सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता और पंचायत स्तर पर लंबे समय से काम कर रही शाहीना परवीन इस समस्या की कई परतें बताती हैं.

वो कहती हैं, “पहला तो ये कि ग्रामीण बिहार में अभी भी ये टैबू है कि जिस पुरूष से महिला गर्भवती होती है उसी से वो शादी करना चाहती है. दूसरा ये कि प्रेग्नेंसी टेस्ट किट आदि की उपलब्धता आसान हुई है लेकिन अबॉर्शन सेंटर अभी भी बहुत कम हैं. तीसरा इन मामलों में अगर आप कानून की मदद लेते हैं तो अबॉर्शन मुश्किल हो जाता है, इसलिए भी लड़की वाले गांव की पंचायतों के पास ये मामले ले जाते हैं. बाकी जाति और आर्थिक पक्ष से भी इन मामलों को देखा जाना चाहिए जहां कभी-कभी प्रेगनेंसी सामाजिक दबाव का एक हथियार भी बन जाती है.”

इन मामलों में सरकार पीड़ित पक्षों के लिए किस तरह राहत देती है. इस सवाल पर बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की संयुक्त सचिव धृति जसलीन शर्मा बताती हैं, “प्रत्येक राज्य में विक्टिम कंपनसेशन योजना बनी हुई है. इस योजना के अंतर्गत यदि कोई बच्ची यौन शोषण के चलते गर्भवती हो जाती है तो उसको मुआवजे का प्रावधान है.”

बिहार राज्य में तकरीबन डेढ़ साल से राज्य महिला आयोग का पुनर्गठन नहीं हुआ है. ऐसे में इन मामलों की पीड़िताओं के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधित) के तहत दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के लिए गर्भपात की अवधि 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी है.

लेकिन क्या ये बिहार जैसे सामंती और प्रशासनिक रूप से लचर राज्य की दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए राहत की बात है? राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य निक्की हैम्ब्रम कहती हैं, “ये ठीक है कि सरकार ने कुछ हफ्ते बढ़ा दिए लेकिन मेरे ख्याल से हफ्ते बढ़ाने से ज्यादा जरूरत इस बात की होनी चाहिए कि प्रशासन का ढीला रवैया ठीक किया जाए. एक बार वो ठीक हो जाएगा तो बहुत सारी बातें दुरूस्त हो जाएंगी. हमारी बच्चियां इस अनचाहे गर्भ के ट्रामा और भार से बच जाएगीं.”

(रिपोर्ट में सभी दुष्कर्म पीड़िताओं और परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं.)
यह स्टोरी स्वतंत्र पत्रकारों के लिए नेशनल फांउडेशन फॉर इंडिया की मीडिया फेलोशिप के तहत रिपोर्ट की गई है

लेखक –सीटू तिवारी

उड़ता बिहार या उजड़ता बिहार

किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं ? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं?

कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे।

तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिल जायेंगे।

आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या हैं ?
भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें।
उनको लगता है या फिर दूसरे लोग उसको ऐसा महसूस कराने लगते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब हो जायेगा या फिर बच्चा बिगड़ जायेगा। बस यहीं से बच्चे निकल जाते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में।

अब भले ही दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आ जाता है बड़े शहर में पढ़ने भेजने का।

हालांकि इतना बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकाल पाते हैं…। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं।

4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बस जाते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढ लेते हैं । सहपाठियों से शादी भी कर लेते हैं।आपको तो शादी के लिए हां करना ही है ,अपनी इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी वह करेंगे ही अपने इच्छित साथी से।

अब त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु।
माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं । दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं।
अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद।

अब तो कोई जरूरी शादी ब्याह में ही आते जाते हैं। अब शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं।

हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर, छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है?
खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । अब फ्लैट में तो इतनी जगह होती नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में।

कोई बच्चा बागवान पिक्चर की तरह मां बाप को आधा – आधा रखने को भी तैयार नहीं।
अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है। अब ऐसे में छोटे शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये “प्रॉपर्टी डीलरों” की गिद्ध जैसी निगाह इन खाली होते मकानों पर पड़ती है । वो इन बच्चों को घुमा फिरा कर उनके मकान के रेट समझाने शुरू करते हैं । उनको गणित समझाते हैं कि कैसे घर बेचकर फ्लैट का लोन खत्म किया जा सकता है । एक प्लाट भी लिया जा सकता है।

साथ ही ये किसी बड़े लाला को इन खाली होते मकानों में मार्केट और गोदामों का सुनहरा भविष्य दिखाने लगते हैं।
बाबू जी और अम्मा जी को भी बेटे बहू के साथ बड़े शहर में रहकर आराम से मज़ा लेने के सपने दिखाकर मकान बेचने को तैयार कर लेते हैं।

आप स्वयं खुद अपने ऐसे पड़ोसी के मकान पर नज़र रखते हैं । खरीद कर डाल देते हैं कि कब मार्केट बनाएंगे या गोदाम, जबकि आपका खुद का बेटा छोड़कर पूना की IT कंपनी में काम कर रहा है इसलिए आप खुद भी इसमें नहीं बस पायेंगे।
हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं।

वही बड़े शहर में मकान ले लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?

भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं।
आज गांव सूने हो चुके हैं
शहर कराह रहे हैं |
सूने घर आज भी राह देखते हैं.. बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता !

बिहार का जहानाबाद और पटना जिले का मसौढ़ी मंगलवार की सुबह दोहरे हत्या से दहल उठा

शहर के नामचीन स्वीट्स कारोबारी अभिराम शर्मा और उनके भतीजे दिनेश शर्मा का अपराधियों ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया।

मृतकों में अभिराम शर्मा चाचा और दिनेश शर्मा भतीजा है। अभिराम शर्मा को अपराधियों ने जहानाबाद में उनके आवास पर गोली मारी जबकि भतीजे को मसौढ़ी गांधी मैदान गेट के समीप गोलियों से छलनी कर दिया।जहानाबाद में अभिराम शर्मा की हत्यारो की तस्वीरे सीसीटीवी कमरे में कैद हो गई है।सबसे हैरान करने वाली बात है कि जहानाबाद में जिस जगह पर स्वीट्स कारोबारी को गोली मारी गई उससे चंद कदम के फासले पर जिले के डीएम और एसपी का आवास है।

इधर शहर के चर्चित स्वीट्स कारोबारी की सुबह सुबह हुई हत्या से शहर में सनसनी फैल गई । घटना की जानकारी मिलते ही एसडीपीओ सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल घटना सथल पर पहुंच गए।लोग शव को डीएम आवास से थोड़ी दूर आगे रखकर विरोध प्रदर्शन करते रहे और NH83 को जाम कर दिया । विरोध ऒर तनाव के माहौल में कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ बोलने से परहेज करते दिखे ।

इधर घटना के संबंध में बताया जारहा है जहानाबाद की वारदात को अपराधियों ने बड़े ही शातिर तरीके अंजाम दिया। वे मृतक के घर मे शादी का कार्ड देंने के बहाने से घुसे और गोली मारकर चलते बने। हत्यारो की तसवीर सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।

वही पटना के मसौढ़ी में मृतक के भतीजे को गांधी मैदान के गेट के समीप गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया है। बाद में जहानाबाद के डीएम और एसपी घटना स्थल पर पहुंचे और लोगों को समझाया तब जाकर लोग हटे।

दुनिया भटियारखाना बन जायेगा

स्वस्थ बहस आमंत्रित..अनर्गल पर भुभुन फोड़ा जाएगा..जो नये जुड़े हैं विशेष ध्यान रखें..
पिछले दो दिनों से यह देख रही..एक बार मन किया कि नज़रंदाज़ कर दूँ..फिर सोचा इसी विषय से अखबारों में वापसी करूँ..चूंकि पहले से ही व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को मजबूत आयाम देकर अगस्त माह से लौटना तय किया था तो इसी निर्णय पर टिके रहने का सोचा..

अब जब अखबारों में दर्जनों लेख यौन शिक्षा को सिलेबस में शामिल करने के लिए लिख चुकी हूँ तो नज़र चुराना ठीक नहीं लगा।।आइये अब बात करते हैं..

यह एक पंक्ति मात्र पंक्ति भर नहीं है…यह एक कुठाराघात है..कुंठा भी है..प्रश्न भी है और विकृति भी है..आंकड़ों को सच मान लेती हूँ क्योंकि मेरे स्वयं के जुटाये आंकड़ें भी लगभग यही है को विभिन्न स्टडीज से समझ आये..पंक्ति का पूर्वार्ध पूर्णरूपेण सत्य है.उत्तरार्ध भी सही है..परन्तु इस विषय के सम्बन्ध में कत्तई नहीं..

ओर्गास्म जिस्मानी ताल्लुकात के चरम सुख को कहते हैं..अब स्त्रियों में यह मात्र शारीरिक नहीं होती..यह मानसिक और सबसे बढ़कर भावनात्मक होती है..एक स्त्री को बिना छुए हुए ओर्गास्म तक पहुंचाया जा सकता है..स्त्री एक साथ 10 सम्बन्ध बनाते हुए या एक दिन में 10 लोगों से सम्बन्ध बनाकर भी ऑर्गेज़्म से कोसों दूर रह सकती हैं..और यह कोई स्टेटमेंट नहीं बल्कि स्टडी और यथार्थ है जिसे आप कामसूत्र के समय से पा सकते हैं..कामसूत्र क्यों लिखा गया जिनको जानकारी है वो इस बात से सहमति रखेंगे..ये बात हुई ऑर्गेज़्म की।। यह कड़वी सच्चाई है कि अधिकांश स्त्रियों को यह पता भी नहीं होता कि यह क्या बला है..पति या पार्टनर का ध्यान भी ना के बराबर ही इस बात पर होता है कि उनकी पत्नी या पार्टनर संतुष्ट हुई या नहीं..इसके कई कारण हैं जिन पर कभी और बात होगी..

यह स्थिति अच्छी तो नहीं कही जा सकती परन्तु मुझे आपत्ति है ‘कहीं और तलाशने’ और इस संदर्भ में नैतिकता का ठेका स्त्रियों को ना लेने की बात पर..कहीं और क्यों तलाशा जाए? अपने पति से बात क्यों न कि जाए? यह एक टैबू जो मर्द समाज बना चुका है उसकव तोड़ने के लिए दूसरे मर्द के पास क्यों जाना? क्या गैरन्टी है आपको ऑर्गेज़्म दूसरे मर्द के पास मिल ही जायेगा..नहीं मिला तो तीसरे फिर चौथे के पास जाएंगी?

स्त्री में हार्मोन्स की वजह से शारीरिक सम्बन्ध बनाने की इच्छा मर्दों से ज्यादा होती है यह भी रिसर्च कहता है..पर वो इसको नियंत्रित करना जानती है..तभी स्त्रियां बलात्कार नहीं करती🙂

नैतिकता कोई ठेका नहीं है जो आज इसको मिलना चाहिए कल उसको..विवाहित या प्रेम में पड़ा पुरुष भी जब किसी अन्य स्त्री से उसकी सहमति से सम्बन्ध बनाता है ना तो वह अन्य स्त्री स्त्री ही होती है और उसका नैतिक पतन भी वही हो जाता है..फिर चाहे उस अन्य स्त्री को ऑर्गेज़्म से मतलब हो या ना🙂

जब ये 70% स्त्री भी सर्वस्व ताक पर रख तलाशने निकल जाएंगी ना तो यह दुनिया भटियारखाना बन जायेगा..और सबसे अहम बात उन 70% में 95% को ऑर्गेज़्म चहिये ही नहीं होता..दिल से नहीं चाहिए होता है क्योंकि उनका चरम सुख उनका परिवार, प्रेम और अपना चरित्र होता है जो जन्मों के खुशी के लिए 2 पल के सुख को तुच्छ समझती हैं..

लेखक —-स्वाति खुश्बू

नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी रहेगी सरकार – सुशील मोदी

पटना, सोमवार, दिनांक 25.04.2022 : नीतीश कुमार को जनादेश 2025 तक, सरकार पूरा करेगी कार्यकाल – सुशील कुमार मोदी

1.बिहार में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने में लगा हताश विपक्षजब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि बिहार में एनडीए सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही कार्यकाल पूरा करेगी, तब भी यह झूठ फैलाते रहना थेथरोलाजी है कि भाजपा बीच में ही अपना मुख्यमंत्री बनवाना चाहती है।

मुख्यमंत्री को लेकर निराधार अटकलबाजी जारी रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस शरारत का कुछ असर विधानसभा के बोचहां उपचुनाव पर भी पड़ा होगा।

2.बिहार विधानसभा का 2020 का चुनाव एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट मांगते हुए लड़ा था। लोगों ने इस पर भरोसा किया।

जब एनडीए को नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करने का जनादेश 2025 तक के लिए है, तब किसी किंतु-परंतु के साथ बीच में बदलाव का कोई सवाल ही नहीं है।

3.विपक्ष के पास नीतीश सरकार के विरुद्ध न कोई ठोस मुद्दा है, न सदन में संख्या बल है और न लालू-राबड़ी राज की विफलताओं के कारण उनके पास आलोचना का कोई नैतिक बल ही है।

ऐसे में वे नीतीश कुमार के पद से हटने की तरह-तरह की बेततुकी अटकलों को हवा देकर सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं।

गर्मी को देखते हुए 10.45 तक स्कूल बंद करने का निर्देश

पटना, सोमवार, दिनांक 25.04.2022: जिला दण्डाधिकारी, पटना डॉ0 चन्द्रशेखर सिंह ने जिले के सभी विद्यालयों में पूर्वाह्न 10:45 बजे के बाद सभी कक्षाओं के लिए शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने यह आदेश दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत जिले में अधिक तापमान और विशेष रूप से दोपहर के समय भीषण गर्मी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना के मद्देनजर दिया है।

पौने ग्यारह बजे पूर्वाह्न के बाद सभी कक्षाओं के लिए शैक्षणिक गतिविधियों पर डीएम ने लगाया प्रतिबंध।

उपर्युक्त प्रतिबंध प्री-स्कूल एवं आँगनबाड़ी केन्द्रों सहित जिले के सभी विद्यालयों पर लागू होगा। यह आदेश दिनांक-27.04.2022 से लागू होगा। डीएम ने तदनुरूप विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों को पुनर्निर्धारित करने का आदेश दिया है।

डीएम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आईसीडीएस सहित सभी अनुमंडल दंडाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष को उपर्युक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निदेश दिया है।

डीएम डॉ0 सिंह ने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसके लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है।

पटना हाईकोर्ट ने हत्या का प्रयास के मामले में गलत इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट को दिखाकर अग्रिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने हत्या का प्रयास के मामले में गलत इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट को दिखाकर अग्रिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही सभी अभियुक्तों पर पच्चास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

कोर्ट ने तीनो अभियुक्तों को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के अंदर निचली अदालत में सरेण्डर कर दे। कोर्ट ने जहानाबाद के पुलिस अधीक्षक को भी कहा कि अगर ये सभी अभियुक्त दो सप्ताह में निचली अदालत में सरेण्डर नही करते हैं ,तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर हाई कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

ये मामला जहानाबाद जिला के शकुरबाद थाना अंतर्गत रुस्तमचक गांव का है ।हत्या के प्रयास के मामले में शकुरबाद थाना कांड संख्या 95 /2020 इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज कराया गया था। इसी मामले में इन अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

हाई कोर्ट की एक एकलपीठ ने धर्मेन्द्र कुमार एवम अन्य के अधिवक्ता और ए पी पी झारखंडी उपाध्याय को सुनने के बाद यह निर्देश दिया। कोर्ट के निर्देश पर जहानाबाद के सिविल सर्जन द्वारा सही इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया।

शादी समारोह में तमंचे पर नर्तकियों का डिस्को का वीडियो हुआ वायरल, युवक की तलाश शुरु

शादी समारोह में तमंचे पर नर्तकियों का डिस्को का वीडियो हुआ वायरल , साइबर सेल के हाथ लगा वीडियो, युवक की तलाश शुरु।

बक्सर में एक तरफ जहां पुलिस लगातार अपराध कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज रही है वहीं अब भी कानून के प्रति भय देखने को नहीं मिल रहा ।

ऐसे ही एक मामले में जिले में तमंचे पर डिस्को का एक वीडियो वायरल हो रहा है ।

बताया जा रहा है कि वीडियो जिले के ही एक थाना क्षेत्र का है जहां शादी समारोह के दौरान एक युवक नर्तकियों के जम कर ठुमके लगा रहा है ।दोनों नर्तकियों के हाथ में एक-एक पिस्टल है बताया जा रहा है कि ये पिस्टल उस युवक के ही हैं जो कि नर्तकियों के साथ नाच रहा है. यह वीडियो विभिन्न सोशल साइट्स पर लगातार वायरल हो रहा है ।

घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक यह वीडियो 23 अप्रैल की रात को एक वैवाहिक समारोह के दौरान बनाया गया था जिसके कुछ ही देर के बाद इसे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड कर दिया गया । देखते ही देखते वीडियो वायरल होने लगा जिसके बाद यह वीडियो पुलिस तक भी पहुंचा. एसपी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घूम रहा यह वीडियो बक्सर पुलिस की साइबर सेल के हाथ लगा है ।

तमंचे पर नर्तकियों का डिस्को

जिसके बाद वीडियो की जांच की जा रही है साथ ही संबंधित युवक की तलाश भी की जा रही है. जांच पूरी होने के पश्चात प्राथमिकी दर्ज कराते हुए अग्रिम कार्रवाई की जाएगी ।

तेज प्रताप ने इस्तीफा का किया पेशकश

अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने का काम किया । सभी कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया जल्द अपने पिता से मिलकर अपना इस्तीफा दूंगा ।

जो हमें सम्मान देगा, हम उसका साथ देंगे-भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट

जहानाबाद। स्थानीय स्वामी सहजानंद संग्रहालय में भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में फ्रंट के अध्यक्ष व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री श्री सुरेश शर्मा, पूर्व मंत्री व फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अजीत कुमार एवं कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुधीर शर्मा ने उक्त बैठक में शिरकत की।

बैठक के दौरान फ्रंट के अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने समाज के लोगों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी नीति ना काहू से दोस्ती, ना काहू से वैर वाली है। इस दौरान फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री श्री अजीत कुमार ने संगठन की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बोचहा चुनाव एक पार्टी के खिलाफ नाराजगी की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने कहा कि भूमिहार समाज किसी का बंधुआ मजदूर नहीं है।

जो हमें सम्मान देगा , हम उसका सम्मान करेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप शामिल जिले के प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं प्रतिभा पल्लवन एजुकेशनल सोसायटी के चेयरमैन डॉ अभिराम सिंह जी ने कहा कि हमें अपने कार्यों से अपना खोया हुआ सम्मान पुनः प्राप्त करना होगा। हम किसी के भी सम्मान देने के मोहताज नहीं हैं।

अपने नीतियों और कामों से समाज में हम सम्मान खुद व खुद प्राप्त करेंगे। उक्त बैठक में संगठन विस्तार पर भी चर्चा की गई। और एक बार फिर से समाज अपनी खोई हुई गौरवशाली स्थिति को पुनः प्राप्त करेगा।

चिराग पासवान बाघोपुर गांव पहुंचकर पंजाब के लुधियाना में हुए अगलगी की घटना में मृतक के पड़ोसी एवं परिवार से मिले

रोसड़ा । पंजाब के लुधियाना में हुए अगलगी की घटना में बाघोपुर गांव के रहने बाले एक ही परिवार के 7 लोगों की दर्दनाक मौत की सूचना मिलते ही लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बाघोपुर गांव पहुंचकर मृतक के पड़ोसी एवं परिवार के सदस्यों से घटना के बारे में पूरी जानकारी लिया ।

जानकारी देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बताया कि परिवार के लोगों से बातचीत दौरान जैसे लोगो ने बताया है उससे तो लगता है कि एक ही परिबार के सात लोगो की मौत कोई हादसा नहीं है बल्कि साजिस के तहत घटना को अंजाम देने का शंका है ।

लोगों ने बताया कि घटना के पास से पेट्रोल की डिब्बे भी बरामद किए गए , पेट्रोल छिड़ककर घटना को अंजाम दिया गया, पास से एक लावारिस बाइक भी बरामद किया गया है। चिराग पासवान ने बताया कि परिबार के लोगो ने बताया कि मृतक सुरेश साहनी को पूर्व में भी धमकी दिया गया था, परिवार के लोगों को अगर लगता है की साजिश के तहत इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है तो निश्चित तौर से इस घटना की जांच होनी चाहिए।

इस घटना को लेकर क्यों नहीं अब तक बिहार सरकार पंजाब की सरकार से वार्ता किया है, चिराग ने कहा कि अब तक बिहार सरकार पंजाब सरकार से इस घटना को लेकर अब तक क्यों नहीं पूछा गया कि अगर घटना घटी है तो कैसे घटी है और इस पर अब तक क्या हुआ है स्थानीय प्रशासन क्यों नहीं आश्रित परिवार को सहयोग कर रही है।

चिराग पासवान ने बताया कि परिवार के लोगों से जानकारी मिलने के बाद वह खुद पंजाब के मुख्यमंत्री एवं लुधियाना के एसपी से बात कर जानकारी लेंगे और आश्रित परिवार को सहायता दिलाने की मांग करेंगे , मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी, लोजपा नेत्री डॉ उर्मिला सिन्हा संतोष कुमार सिंह विद्यासागर सिंह अखिलेश कुमार सिंह वंधार पंचायत पैक्स अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार महतो, सरपंच मिथिलेश कुमार साहनी, वार्ड सदस्य रंजीत साहनी, रामा साहनी, मुखिया चंदन देवी, वीडिओ हरि ओम शरण सहित सैकड़ों ग्रामीण व कार्यकर्ता मौजूद थे।

पटना शहर में सड़कों की खुदाई के समय सतर्कता हेतु बैठक, कार्यकारी एजेंसियों के बीच समन्वय आवश्यक: आयुक्त

पटना, सोमवार, दिनांक 25.04.2022: आयुक्त, पटना प्रमंडल श्री कुमार रवि ने कार्यकारी एजेंसियों द्वारा पटना शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कराये जाने के दौरान आपसी समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया है जिससे सड़कों की खुदाई से आम जनता को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। वे आज आयुक्त कार्यालय स्थित सभाकक्ष में इस विषय पर आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। आयुक्त श्री रवि ने कहा कि एजेंसियों द्वारा सुरक्षात्मक मापदंडों का अनुपालन अनिवार्य है। उनके द्वारा सभी भागीदारों ( स्टेकहोल्डर्स) को सूचित करना एवं स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेना आवश्यक है अन्यथा उनके विरुद्ध जिम्मेदारी निर्धारित कर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

इस बैठक में आयुक्त श्री रवि ने जिला पदाधिकारी, पटना, नगर आयुक्त, यातायात पुलिस अधीक्षक, प्रबंध निदेशक, बुडको, महाप्रबंधक, पेसू, उप महाप्रबंधक बीएसएनएल, प्रबंधक, गेल, अधीक्षण अभियंता, केंद्रीय पथ अंचल एवं अधीक्षण अभियंता, पीएचईडी से एक-एक कर उनके विचारों को सुना।

आयुक्त श्री रवि ने कहा कि एजेंसियों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के शर्त में ही सुरक्षात्मक मानकों का अनुपालन उल्लिखित रहता है। इसका प्रवर्तन (इन्फोर्समेन्ट) अत्यावश्यक है। ससमय सूचनाओं का सम्प्रेषण एवं सुनियोजित कार्य प्रणाली अहम भूमिका निभा सकती है। जन सुविधाओं- यथा जलापूर्ति, दूरसंचार, विद्युत आपूर्ति, यातायात-में किसी भी तरह का व्यवधान नहीं आना चाहिए। जो एजेंसी प्रभावित हो रही है उसे पूर्व से सूचित करने से वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है।

आयुक्त श्री रवि ने कहा कि एजेंसियों को सावधानी एवं सतर्कता के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने एजेंसियों के पदाधिकारियों को पेशेवर ढंग से कार्य करने का निर्देश दिया।

आयुक्त श्री रवि ने कहा कि एजेंसियों के प्रभारियों के बीच समुचित एवं सार्थक समन्वय से समस्याओं को रोका जा सकता है।