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बिहार के शेखपुरा में बच्ची के साथ हुए गैंगरेप ने खड़े किये कई सवाल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सुबह से ही महिलाओं के बुलंद हौसला से जुड़ी खबरें लगातार आ रही थी इसी दौरान शाम तीन बजे के करीब जिला शेखपुरा से ब्रेकिंग फॉर्मेट में एक खबर आयी…

दो बच्चियों के साथ गांव के ही छह लड़के ने किया सामूहिक बलात्कार, मोबाइल पर ब्लू फिल्म देख कर घटना को दिया अंजाम, आरोपी का उम्र12 से 13 वर्ष और पीड़ित लड़की का उम्र 9 से 10 वर्ष है ।

खेत में साग तोड़ रही थी दोनों लड़की उसी दौरान इन लड़कों ने घटना को दिया अंंजाम, अपराध छुपाने के लिए लड़कों ने पीड़िता को दिया पांच रुपया, एक लड़की की स्थिति बिगड़ने पर मामला आया प्रकाश में ।।

खबर पढ़ने के बाद मन मेंं कई तरह के सवाल उठने लगे, गांव की पृष्ठ भूमि कैसा है ,लड़का का पृष्ठ भूमि क्या है, जाति क्या .आरोपी का परिवारिक बैकग्राउंड कैसा है ।लगातार इस तरह का सवाल मुझे परेशान किये जा रहा था ।

शेखपुरा रिपोर्टर से बात करना चाह रहे थे लेकिन जिस तरीके से मैं सोच रहा हूं मेरा रिपोर्टर पता नहीं इस खबर को लेकर क्या सोच रहा है, मन ही मन में यह निर्णय लिया कि पहले पूरी खबर आने दिया जाये फिर इस पर अपने रिपोर्टर और शेखपुरा पुलिस से बात किया जायेंगा क्यों कि मुझे पता था कि पुलिस का नजरिया अपराध के बाद अपराधी के गिरफ्तारी से ज्यादा रहता नहीं है।

खैर कल साहस नहीं जुटा पाये कि इस खबर को कैसे लिया जाये आज सुबह से इसको लेकर अपने रिपोर्टर ,शेखपुर जिले के पुलिस पदाधिकारी और कुछ ऐसे लोगों से बात किये जो इस तरह के कृत्य करने वाले के मनोदशा पर प्रकाश डाल सके ।
लड़की और लड़का दोनों का पृष्ठ भूमि मजदूर का परिवार के लोग रोज कमाता है रोज खाता है ,घटना को अंजाम देने वाले लड़कों में एक लड़के का पिता बाहर काम करता है और अपनी पत्नी और परिवार वालों से बात करने के लिए एक एनरोइड मोबाइल पत्नी को दिये हुए है ।

पत्नी अक्सर रात को अपने पति से लाइव चेट करती रहती है उस दौरान दोनों के बीच मोबाइल पर ही सेक्सुअल एक्टिविटी भी चलता रहता है जिसको पास में ही सोया बेटा देखता रहता था। फिर मोबाइल में ही ब्लू फिल्म कैसे चलता है पापा मां को क्या बोलने के लिए कहते हैं जिसके बाद ब्लू फिल्म आ जाता है वह सब पूरी रात मां के पास सोये सोये देखता रहता था।बाद में वो लड़का मोबाइल से अपने साथ खेलने वाले मित्रों को दिखाना शुरु किया और धीरे धीरे छह लड़को की एक टोली बन गयी, इस घटना से पहले भी लड़कों का यह टोली साथ स्कूल जाने और साथ बकरी चराने जाने वाली लड़कियो के साथ अक्सर इस तरह का काम करता रहता है और लड़की विरोध ना करे इसके लिए पांच से दस रुपया दे दिया करता था।

पुलिस दो बच्चों को गिरफ्तार किया है उनसे पुछताछ के दौरान ये सारी बाते सामने आयी है मोबाइल पुलिस ने जप्त कर लिया है मोबाइल के मेमोरी कार्ड में ब्लू फिल्म का कई क्लिप मिला है फिर गुगल पर ब्लू फिल्म का आईकोन मिला है।
पुलिस इस घटना से जुड़ी जो भी साक्ष्य है वो संग्रह कर लिया है लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि यह प्रवृति जो बच्चों में पैदा हो रहा है उसका असर समाज पर क्या पड़ेगा ।

क्यों कि आये दिन बिहार में या देश के अन्य हिस्सों से बलात्कार की जो खबरें आती है उस पर गौर करेंगे तो अधिकांश बलात्कारी का पृष्ठ भूमि प्रवासी मजदूर का ही रहता है, निर्भया कांड को ही देख ले इस घटना को अंजाम देने वालों में अधिकांश ऐसे युवक थे जो अपने परिवार और पत्नी से दूर दिल्ली में नौकरी कर रहा था इतना ही नहीं देश में आये दिन बलात्कार के दौरान जो हिंसक घटना घटती है उसमें कही ना कही एक दो आरोपी नबालिक रहता है और लड़कियों के साथ जानवर की तरह व्यवहार करने में सबसे आगे वही रहता है।

शेखपुरा की घटना रोजगार के लिए पलायन और मां के साथ गांव ने रह रहे बच्चों के मनोदशा पर क्या प्रभाव पड़ रहा है वो समझने के लिए काफी है ।ऐसा नहीं है कि मोबाइल आने से पहले इस तरह की घटनाए नहीं घटती थी तब भी जिस महिला का पति बाहर काम करता था उसके साथ उसके देवर या फिर ससुर द्वारा जबरन रिश्ता बनाने की घटना घटती रही है ।

लेकिन ये भी सही है कि मोबाइल फोन के गांव गांव तक पहुंचने के बाद इस तरह की घटनाओं में काफी तेजी आयी है ,ऐसे में पलायन और उसके कुप्रभाव के साथ साथ मोबाइल क्रांति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इस पर विमर्श की जरुरत है ।
कोरोना काल के बाद जिस तरीके से आंन लाइन पढ़ाई को लेकर क्रेज बढ़ा है उसका बच्चों पर क्या असर पड़ा है ये भी समझने कि जरुरत है ऐसे इस विषय को लेकर कई लोगोंं से जो हमारी बात हुई है उनका मानना है कि आंन लाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों का इस तरह के फिल्म तक पहुंचना आसान हो गया है और अभिभावक भी पढ़ाई के चक्कर मेंं ध्यान नहीं दे पा रहे हैं ।
ऐसे में वक्त आ गया है कि इस ओर गंभीरता से सोचा जाये क्यों कि इस तरह के प्रवृति के बढ़ने से लड़कियों के स्वछंदता पर बूरा प्रभाव पड़ सकता है और एक अलग तरह के अभिसाप के डर से लड़कियों का स्वभाविक विकास रूक सकता है ।

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