गाँधी जी ने कहा था निकम्मे अख़बार फेंक दो
“मैं कहूँगा कि ऐसे निकम्मे अख़बारों को आप फेंक दें। कुछ ख़बर सुननी हो तो दूसरों से जान-पूछ लें। अख़बार न पढ़ेंगे तो आपका कोई नुक़सान होनेवाला नहीं है। अगर पढ़ना ही चाहें तो सोच-समझकर ऐसे अख़बार चुन लें जो हिन्दुस्तान की सेवा के लिए चलाए जा रहे हों, जो हिन्दू-मुसलमानों को मिल-जुलकर रहना सिखाते हों। फिर ऐसे अख़बारवालों को भी इतनी धांधली में पड़ने की ज़रूरत नहीं रहेगी कि उन्हें रातभर जागते रहना पड़े और दिन में भी चैन न ले सकें। और ऐसी बेबुनियाद ख़बरें छापने की दौड़ भी नहीं लगानी पड़ेगी। “
महात्मा गाँधी, 12 अप्रैल 1947, ( प्रार्थना-प्रवचन, राजकुल प्रकाशन)
मैं हमेशा मानता हूँ कि आज न कल, भारत की जनता को ग़ुलाम मीडिया के ख़िलाफ़ उठना ही होगा। संघर्ष का रास्ता गांधी का ही होगा। राजनीतिक दल संघर्ष करने का जितना भी अभ्यास कर लें, सारे अभ्यास आभासी साबित होंगे। लोकतंत्र के पुनर्जीवन की सच्ची लड़ाई गोदी मीडिया के ख़िलाफ़ होने वाली लड़ाई से ही शुरू होगी।