महात्मा गाँधी अमेरिका कभी नहीं गए लेकिन भारत के बाद उनकी सबसे ज्यादा मूर्तियां, स्मारक और संस्थायें अमेरिका में ही हैं। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में गांधी जी की दो दर्जन से ज्यादा से प्रतिमाएं और एक दर्जन से ज्यादा सोसाइटी और संगठन हैं।
महात्मा गाँधी भारत के अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिनकी भारत सहित 84 देशों में मूर्तियां लगी हैं। पाकिस्तान, कम्युनिस्ट देश चीन से लेकर छोटे-मोटे और बड़े-बड़े देशों तक में बापू की मूर्तियां स्थापित हैं।
उनके जन्मदिवस पर पूरी दुनिया अहिंसा दिवस मनाती है।
महात्मा गाँधी की हत्या के 21 साल बाद ब्रिटेन ने उनके नाम से डाक टिकट जारी किया। इसी ब्रिटेन से भारत ने गाँधी की अगुआई में आज़ादी हासिल की थी।
अलग-अलग देशों में कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गाँधी के नाम पर हैं। भारत में 53 मुख्य मार्ग गाँधी जी के नाम पर हैं।
गाँधी जी द्वारा शुरु किया गया सिविल राइट्स आंदोलन कुल 4 महाद्वीपों और 12 देशों तक पहुंचा था।
अपने वक़्त के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि “कुछ सालों बाद लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे कि महात्मा गाँधी जैसे सख्श कभी भी इस धरती पर हाड़ मांस का शरीर लेकर चलता था।”
अपने पूरे जीवन में महात्मा गाँधी ने कोई राजनीति पद नहीं लिया। इसीलिए आज़ादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व पर कभी कोई सवाल नहीं उठा पाया, क्योंकि उनको न 8000 करोड़ का विमान चाहिए था, न ही 20000 करोड़ का बंगला।
नेल्सन मंडेला से लेकर मार्टिन लूथर किंग तक गाँधी के मुरीद थे, बराक ओबामा जैसे तमाम वर्ल्ड लीडर आज भी गाँधी के मुरीद हैं।
अफ्रीका जैसे कई देशों ने गांधी के आदर्शों और रास्तों से आंदोलन चलाया और आज़ादी हासिल की।
यहां तक कि दुनिया के कई हरामी देश भी गाँधी की इज्जत करते हैं। कई निकृष्ट नेता भी गाँधी का अपमान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
इस पूरे ब्रम्हांड में एक भक्ताणु ही ऐसे वायरस हैं जिनको गाँधी से बड़ी समस्या है। समस्या भी ऐसी-ऐसी कि आप हैरान रह जाएंगे। भक्त की समस्या ये भी है कि अगर वह गांधी को महान मान ले तो।उसके लात खाने की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं जो उसे बर्दाश्त नहीं है।
संघियों और संघ के समर्थक चमनबहारों की कुंठा क्या है, ये समझ से परे है। जिस दिन मनुष्य के अंदर नफरत का इलाज हो जाएगा, उस दिन संघियों की कुंठा का भी इलाज संभव हो सकेगा। तब तक ये मनुष्यरूपी ये नफरती जंतु गांधी के प्रति नफरत लिए जीते रहेंगे।