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तीनकठिया आन्दोलन से जुड़े लोकगीत

तीनकठिया स दियेलहुं मुक्ति आबि अहां यउ गाँधी जी

कहिया धरि हम गहुंम उगेबै आब अहां आउ गाँधी जी

आरि कटैये, धुरि कटैये, कटैये पूरजी गांधी जी
हडपि खेत सरकार कहैये, चलयनै मरजी गांधी जी
कोना हम अपन खेत लुटेबै, आब अहां आउ गांधी जी
तीनकठिया स दियेलहुं मुक्ति आबि अहां यउ गांधी जी

कहिया धरि हम गहुंम उगेबै आब अहां आउ गाँधी जी

माछ ये उपटल, पान ये उपटल, उपटल मखान ये गाँधी
पोखरिक ठेकेदार कहैये, चुका लगान ये गाँधी जी
कथी स अपन खेत पटेबै, आब अहां आउ गाँधी जी
तीनकठिया स दियेलहुं मुक्ति आबि अहां यउ गाँधी जी

कहिया धरि हम गहुंम उगेबै आब अहां आउ गाँधी जी

कार्ड ये भेटल, वार्ड ये भेटल, भेटल आधार ये गाँधी जी
देशक सब अखबार कहैये, छै रोजगार ये गाँधी छी
कतए हम अपन पेट नुकेबै, आब अहां आउ गाँधी जी
तीनकठिया स दियेलहुं मुक्ति आबि अहां यउ गाँधी जी
कहिया धरि हम गहुंम उगेबै आब अहां आउ गाँधी जी

कवि : भवेशनाथ

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