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बिहार के दो जज साहब के फैसले से लोगों में कोर्ट को लेकर नजरिया बदलने लगा है ।

बिहार में इन दोनों न्यायिक सेवा से जुड़े दो पदाधिकारी अपने मानवीय जजमेंट की वजह से सुर्खियों में है ।एक ही बिहार शरीफ कोर्ट के प्रधान न्यायायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा (Manvendra Mishra)और दूसरे हैं व्यवहार न्यायालय झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार जिन्होंने अपने फैसले से जता दिया कि सबस कुछ कानून के किताब के अनुसार ही नहीं चलता है।

बिहार में बिहारशरीफ किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) के प्रधान जज मानवेन्द्र मिश्र ने सनातन संस्कृति को आधार मान एक फैसला सुनाया है। उन्होंने मिठाई चोरी के आरोपित किशोर को दोष मुक्त करार देते हुए कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी बाललीला हो सकती है तो बालक की मिठाई चोरी को भी अपराध नहीं माना जाना चाहिए। समाज में दोहरा मानदंड नहीं चल सकता। वह भी तब, जब किशोर के पास भोजन न हो।

जज ने मामले में हरनौत के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में एफआइआर दर्ज ही नहीं करनी चाहिए। सिर्फ थाना की सामान्य डायरी में घटना को दर्ज कर मामले को सुलझाना चाहिए था। जज ने चोरी का आरोप लगाने वाली महिला की अधिवक्ता से सवाल किया कि यदि उस महिला की संतान उसके पर्स से निकाल लेती तो क्या वह अपने ब’चे को भी पुलिस को सौंपकर जेल भिजवा देती।

इसी तरह कुछ दिनों पहले एक मामला इनके सामने आया जिसमें एक नाबालिक लड़की को लेकर एक लड़का फरार हो गया जब वो कोर्ट पहुंचा तो वो लड़की मां बन चुकी थी लड़का पर अपहरण का मामला दर्ज था तीन दिनों में ही सुनवाई पूरी करते हुए फैसला दिया कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा। यह सही है कि किशोर ने नाबालिग लड़की को भगाकर ले गया। और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया, जिससे एक बच्ची पैदा हुई।

यह अपराध है। लेकिन, अब उसकी बच्ची जन्म ले चुकी है। बच्ची और उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में किशोर को दंडित करके तीन नाबालिगों की जान सांसत में नहीं डाली जा सकती है। किशोर ने भी पत्नी व बच्ची को स्वीकार करते हुए अच्छी तरह से देखभाल कर रहा है। और आगे भी करने का वचन कोर्ट के समक्ष देता है तो यहां पर न्याय के साथ तीन लोगों का हित भी देखना सर्वोत्तम है इसलिए लड़के को अपराध से मुक्त करते हुए अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने का आदेश दिया ।

इसी तरह बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां के एक युवक की नौकरी असम राइफल्स में लग गई थी. उसे मार्च में ज्वाइन करता था, लेकिन 12 साल पहले किए एक जुर्म के चलते उसका करियर शुरू होने से पहले ही मंझधार में फंस गया था. युवक पर 2009 में मारपीट करने का केस दर्ज हुआ था. असम राइफल्स में ज्वाइन करने के लिए कैरेक्टर सर्टिफिकेट की जरूरत थी. कोर्ट ने दोषमुक्त हुए बिना उसे नौकरी मिलना संभव न था पांच दिन में सुनवाई करके उक्त युवक को दोषमुक्त करते हुए एसपी को चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने करने का निर्देश दिया।

इस तरह के कई फैसले की वजह से बिहार शरीफ में इनके न्यायप्रियता की खुब चर्चा हो रही है ।
दूसरे न्यायिक सेवा के अधिकारी व्यवहार न्यायालय झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार हैं ये भी कई ऐसे फैसले दिये हैं जिसको लेकर खासे चर्चा में हैं तीन दिन पहले गांव की ही महिलाये के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में जेल में बंद लड़के को जमानत देते हुए कहां कि छह माह तक आरोपी गांव की महिलाओं का बिना पैसा लिए हुए छह माह तक कपड़ा धोकर घर पहुंचायेगा, आरोपी गांव का धोबी है ।

इसी तरह मारपीट के एक मामले में जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देते हुए निर्देश दिया कि जमानत से छुटने के बाद आरोपी सार्वजनिक स्थलों यथा मंदिर परिसर एवं पार्क में 10 फलदार पौधा लगायेगा और उसकी घेराबंदी करेगा और 30 दिनों के अंदर लगाए गए पौधों का फोटोग्राफ कोर्ट में जमा करे ।

इसी तरह लखनौर आरएस ओपी के मारपीट के एम मामले के दो आरोपित को इस शर्त जमानत दी है कि वह अगले छह माह तक महादलित परिवार के पांच बच्चों को आधा-आधा लीटर दूध मुफ्त में देगा. साथ ही न्यायालय ने दूध देने का प्रमाण पत्र मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य या विधायक से लेकर न्यायालय में जमा करने का निर्देश दिया हैआरोपी के अधिवक्ता परशुराम मिश्रा के अनुसार लखनौर आर एस ओपी क्षेत्र के भगवान कुमार झा द्वारा आरोपी शिवजी मिश्रा एवं अशोक मिश्रा सहित चार पर मारपीट कर चाकू से जख्मी करने का आरोप लगाया था।

अभियुक्तों के बारे में गाय पालने की जानकारी एडीजे को मिली. न्यायालय ने अभियुक्त शिवजी मिश्रा को तीन गाय पालने तथा अशोक मिश्र को दो गाय पालने की जानकारी हुई. यह जानकारी मिलने के बाद एडीजे ने शिवजी मिश्र को तीन महादलित परिवार के बच्चे को आधा आधा लीटर दूध व अशोक मिश्र को दो दलित परिवार के पांच साल से कम उम्र के बच्चे को आधा – आधा लीटर दूध मुफ्त में देने की शर्त पर जमानत दिया।

इस तरह के फैसले को लेकर कानून के जानकार भले ही सवाल खड़े कर रहे हो लेकिन आम लोग जज साहब के इस तरह के फैसले से काफी खुश है ।

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