बिहार विधान परिषद के लिए पंचायती राज व्यवस्था से होने वाले चुनाव गिनती बिहार विधान सभा और लोकसभा के चुनाव की गिनती से बिल्कुल अलग होती है इस चुनाव में एक कल संक्रमणीय अनुपातिक मतदान के आधार पर विजेता का फैसला होता है एक मतदाता अपनी पसंद के एक से अधिक प्रत्याशी को वरीयता दे सकता है विधान परिषद के चुनाव में वोटरों के पास एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वोट देने पहली दूसरी तीसरी पसंद जैसे विकल्प होते हैं वोटर को अधिकार होता है कि वह यह तय करता है कि किस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं और किसे कम।
उम्मीदवारों को जीत के लिए मिले कुल वैध मतों के 50% के अलावा कम से कम एक अधिक वोट लाना होता है प्रथम वरीयता के वोट किसी उम्मीदवार को यदि 50 फ़ीसदी से एक ज्यादा मिल गए तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है लेकिन इतने वोट किसी को नहीं मिले तो दूसरी वरीयता की गिनती शुरू होती है इसमें सबसे पहले प्रथम वरीयता के सबसे कम वोट पाने हमारे प्रत्याशी को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया जाता है और उनके बैलेट पेपर में मिले दूसरी वरीयता के वोटों को संबंधित प्रत्याशियों के वोट में जोड़ दिया जाता है
वोट गिरने के दौरान पहली वरीयता के वोटों में पिछड़ कर दी किसी कैंडिडेट के जीतने की संभावना खत्म नहीं होती है वह मुकाबले में बना रहता है दूसरी वरीयता के वोटों के सहारे उसे जीत मिल सकती है इस प्रक्रिया में सामान्य मतगणना तीन गुना अधिक समय लगता है।