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पटना हाइकोर्ट ने पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के सन्दर्भ में केंद्र, राज्य सरकार, NHAI और निर्माण कार्य करने वाली कम्पनियों को कार्य के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ के समक्ष वकीलों की टीम ने निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

कोर्ट ने वकीलों की टीम के रिपोर्ट के सन्दर्भ में केंद्र,राज्य सरकार,एनएचएआई और निर्माण कार्य करने वाली कम्पनियों को कार्य के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वकीलों की टीम को इस राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण पिछले सप्ताह के अंत में किया। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में उत्पन्न कर रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

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इससे पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।साथ ही कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।

पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया था कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।

इस मामलें पर 20 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।

बिहार के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच किये जाने से सबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने CID को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 4 माह की मोहलत दी

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच किये जाने से सबंधित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सीतामढी जिले के मदरसों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सीआईडी को चार माह की मोहलत दी।

इससे पूर्व कोर्ट ने राज्य के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच का आदेश राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को दिया था।कोर्ट ने अल्लाउद्दीन बिस्मिल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इनकी जांच चार महीने में पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को शीघ्र राज्य के सभी डी एम के साथ बैठक कर उनके संसाधनों के बारे में जांच करने का आदेश दिया।वही जांच पूरी होने तक 609 मदरसों को अनुदान राशि नहीं देने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने जाली कागजात पर मदरसों को दी गई मान्यता पर दर्ज प्राथमिकी पर राज्य के डीजीपी को अनुसंधान के बारे में पूरी जानकारी कोर्ट को देने का निर्देश दिया था।कोर्ट को इस सम्बन्ध में बताया गया कि राज्य की ओर से सीतामढी जिले के 88 मदरसों की जांच सीआईडी कर रही है।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राशिद इजहार ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक मो तस्नीमुर रहमान ने सीतामढ़ी जिला के सरकारी अनुदान लेने वाले मदरसों की जांच रिपोर्ट दी थी।इसमें कहा गया था कि सीतामढ़ी जिला में फर्जी कागजात पर करीब 88 मदरसों ने सरकारी अनुदान ली है।

कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही थी।उनका कहना था कि शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में जबाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि राज्य के अन्य जिलों के 609 मदरसों जो सरकारी अनुदान प्राप्त किये हैं,उन सभी के जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

कोर्ट मामले पर चार माह के बाद फिर सुनवाई करेगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल के शिक्षकों का ब्यौरा तलब किया।

कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई। कोर्ट ने जानना चाहा कि इन शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया थी।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था।लेकिन आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2018 के बाद कोई प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं आया है।

कोर्ट ने इस बात को बहुत को बहुत गम्भीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है।वह भी संगीत शिक्षक हैं।जबकि वहां स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामलें दिन प्रतिदिन सुनवाई होगी।इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जाएंगे ।

इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी,2023 को होगी।

पटना के विक्रम ब्लॉक में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर के निर्माण मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

पटना जिले की विक्रम ब्लॉक में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर के निर्माण के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने रजनीश कुमार तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट में राज्य स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और पटना के डी एम उपस्थित हुए। उन्होंने को कोर्ट को बताया कि विक्रम स्थित ट्रामा सेंटर बन गया है। इसमें कुछ काम और चिकित्सकों को पदस्थापित करने का कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा।

कल कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और पटना के डी एम को 14 फरवरी,2023 को कोर्ट में उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हैरानी जताया कि 2016 से लंबित या मामला अभी तक अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया की सरकार द्वारा प्रस्तावित सुपर स्पेशलिटी ट्रामा सेंटर सह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए अक्टूबर 2016 से ही यह प्रस्तावित

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पिछली सुनवाई 9 जनवरी,2023 को हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि जमीन चिन्हित होते के 3 दिनों के अंदर ट्रामा सेंटर को स्थापित करने की कार्रवाई शुरू कर देनी होगी।

कोर्ट ने आज स्वास्थ्य विभाग अपर मुख्य सचिव के स्थिति बताने के कोर्ट ने उन्हें जिम्मेदारी दी कि ये ट्रामा सेंटर पूर्ण रूप से कार्यशील हो जाए।इसके साथ ही कोर्ट ने मामलें को निष्पादित कर दिया।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामले पर सख्त नाराजगी जाहिर की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामले पर सुनवाई करते हुए स्थिति पर सख्त नाराजगी जाहिर की। एक्टिंग चीफ जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने कहा कि इनके शिक्षा की उपेक्षा करना संवेदनहीनता प्रदर्शित करता है।

कोर्ट ने इस बात को बहुत को बहुत गम्भीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है।वह भी संगीत शिक्षक हैं।जबकि वहां स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामलें दिन प्रतिदिन सुनवाई होगी।इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

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गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जाएंगे ।

इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 15फरवरी,2023 को होगी।

PatnaHighCourtNews: बिहार सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली

पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली। एक्टिंग चीफ जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सरकारी वकीलों की फीस बढोतरी के सम्बन्ध में कार्रवाई चल रही है।इसी सम्बन्ध में 17 फरवरी,2023 इस मामलें पर विचार करने के लिए बैठक आयोजित की गई है।

पूर्व की सुनवाई में PatnaHighCourt ने सुनवाई करते हुए वरीय अधिवक्ता पी के शाही समेत पाँच वरीय अधिवक्ताओं को राज्य के मुख्य कार्यपालक ( मुख्य मंत्री) से मिल कर इस सम्बन्ध में विचार करने का निर्देश दिया था।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 29 दिसम्बर,2022 को अधिवक्ताओं की टीम ने मुख्यमंत्री से भेंट कर सरकारी वकीलों के फीस बढोतरी के सम्बन्ध में चर्चा की।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया था।

पहले की सुनवाइयों में PatnaHighCourt को बताया गया था कि केंद्र सरकार सहित अन्य राज्य राज्य सरकार के वकीलों की तुलना में यहाँ के सरकारी वकीलों को काफी कम फीस का भुगतान किया जाता है।

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कोर्ट को ये भी जानकारी दी गई थी कि PatnaHighCourt में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहाँ रोजाना फीस न्यूनतम 9 हज़ार रुपये है, वहाँ बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाई कोर्ट में रोजाना अधिकतम फीस रू 2750 से 3750 तक ही है।

कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि पंजाब व हरियाणा, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल में भी वहाँ के सरकारी वकीलों का फीस बिहार के सरकारी वकीलों से ज्यादा है।

सबसे दयनीय स्थिति राज्य के सहायक सरकारी वकीलों की है, जिन्हे रोजाना मात्र 1250 रुपये फीसही काम करना पड़ता है। बिहार में राज्य सरकारों के वकीलों के फीस में वृद्धि 14 साल पहले हुई थी।

इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर को सरकारी मंजूरी मिलने के 5 वर्ष बाद भी शुरू नहीं किए जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और पटना के डीएम को 14 फरवरी,2023 को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया

पटना जिले की विक्रम ब्लॉक में प्रस्तावित ट्रामा सेंटर को सरकारी मंजूरी मिलने के 5 वर्ष बाद भी शुरू नहीं किए जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और पटना के डी एम को 14 फरवरी,2023 को कोर्ट में उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

ए सी जे चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने रजनीश कुमार तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हैरानी जताया कि 2016 से लंबित या मामला अभी तक अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया की सरकार द्वारा प्रस्तावित सुपर स्पेशलिटी ट्रामा सेंटर सह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए अक्टूबर 2016 से ही यह प्रस्तावित है।

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केंद्र का निर्माण लंबित है। पिछली सुनवाई 9 जनवरी को हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि जमीन चिन्हित होते के 3 दिनों के अंदर ट्रामा सेंटर को स्थापित करने की कार्रवाई शुरू कर देनी होगी।

आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एसडी यादव ने कोर्ट को बताया कि जमीन चिन्हित कर लिया गया है।कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट कहा था कि 3 दिन के अंदर सेंटर शुरू किया जाए, इस पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 14फरवरी,2023 को की जाएगी।

बिहार में एयरपोर्ट के स्थापित करने, विकास, विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई पटना हाइकोर्ट ने की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के स्थापित करने,विकास,विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की।

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से ये बताने को कहा कि राज्य में नए एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें क्या कार्रवाई की गई। दोनों सरकारों को बताने को कहा गया कि वे बताए कि इनके सम्बन्ध में क्या प्रस्ताव बना रहे है।

कोर्ट ने उन्हें ये भी बताने को कहा कि क्या वे नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उन्हें चिन्हित करने की कार्रवाई की है।कोर्ट ने ये जानना चाहा कि इन नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उनकी क्या योजना है।

साथ ही कार्यरत एयरपोर्ट पटना,गया,बिहटा और दरभंगा के एयरपोर्ट के विकास,विस्तार और सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की क्या योजना है।बहुत सारी सुविधाओं की कमी है।इन्हें बेहतर बनाने के क्या कार्रवाई की जा रही है।

इससे पूर्व में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था। तत्कालीन चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर फैसला सुनाया था।

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ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया था कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है।कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

राष्ट्रीय लोक अदालत में सूचीबद्ध 385 मुकदमों में से 195 मुकदमों को निष्पादित किया गया

पटना हाई कोर्ट के समक्ष शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में 385 मुकदमें सूचीबद्ध किए गए थे। इनमें 195 मुकदमों को निष्पादित किया गया (92 प्री – सिटींग में मिलाकर)।

इस प्रकार से कुल 195 मुकदमों को निष्पादित किया गया। 103 नेशनल लोक अदालत में और 92 प्री- सिटींग में। 195 मुकदमों में 81 रिट, 56 एमजेसी और 58 एम वी एक्ट से संबंधित मुकदमें।

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प्री- सिटींग 6 फरवरी और 7 फरवरी, 2023 को हुआ था। इस तरह से लोक अदालत में 103 और प्री- सिटींग में 92 मुकदमें निष्पादित किये गए।

पटना हाईकोर्ट ने बगैर प्राथमिकी दर्ज किए ही याचिकाकर्ताओं के घर में बांस के सहारे जहानाबाद के पुलिसकर्मियों के घुसने और मारपीट करने के मामले में सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने बगैर प्राथमिकी दर्ज किए ही याचिकाकर्ताओं के घर में बांस के सहारे जहानाबाद के पुलिसकर्मियों के घुसने और मारपीट करने के मामले में सुनवाई की। जस्टिस चन्द्रशेखर झा ने अधिवक्ता जय प्रकाश और कमला कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जहानाबाद के एसपी और घोसी पुलिस स्टेशन के एसएचओ को 14 फरवरी,2023 को तलब किया है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया कि याचिकाकर्ता नंबर – 1 हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं और याचिकाकर्ता नंबर 2 उनकी मां हैं, जो जहानाबाद में एक साथ रहते हैं।

याचिकाकर्ता जय प्रकाश का अपनी पत्नी के साथ कुछ मतभेद हो गया था, जिसकी सूचना पत्नी द्वारा स्थानीय पुलिस को दी गई थी। इसके बाद पुलिस द्वारा कथित रूप से जय प्रकाश के घर पर 29 दिसंबर, 2022 को 4 बजे सुबह में बगैर किसी नोटिस के रेड किया गया था।

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जय प्रकाश को जबरन पुलिस थाना लाकर घोसी थाना के एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मियों द्वारा बुरी तरह से पिटाई की गई थी।साथ ही धमकी भी दी गई थी। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा है। इस मामले में आगे की सुनवाई अब आगामी 14 फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने BASA ( बिहार एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस एसोसिएशन) के निबंधन रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने BASA ( बिहार एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस एसोसिएशन) के निबंधन रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस पूर्णेन्दु कुमार सिंह ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बासा के सदस्य को मुख्य सचिव की उपस्थिति में आईएएस अधिकारी के के पाठक के साथ बैठक कर आपसी सहमति से हल निकाले।

कोर्ट ने यह भी उम्मीद जाहिर की कि निबंधन रद्द करने के आदेश पर अगली सुनवाई (28 फरवरी,2023) तक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

आईएएस अधिकारी के के पाठक वर्तमान में बिहार सरकार के उत्पाद, मध निषेध और निबंधन विभाग में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं।पिछले दिनों उनका बासा के अधिकारियों के साथ मतभेद हो गया था।बासा के अधिकारियों ने उनका बहिष्कार किया था।

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कोर्ट ने के के पाठक के अधिवक्ता नरेश दीक्षित के सकारात्मक पहल को सराहा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि श्री पाठक इस बैठक में शामिल होने की सहमति दे दी है।ये बैठक 16फरवरी,2023 को या इसके बाद सुविधा के अनुसार की जा सकती है।

अधिवक्ता दीक्षित ने श्री पाठक से टेलीफोन पर विचार कर कोर्ट को उनकी सहमति की जानकारी दी।इस मामलें पर अगली सुनवाई 28फरवरी, 2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के वर्ष 2023-2025 कार्यकाल के लिए पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिये वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार को रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) निर्वाचित किया गया

पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के वर्ष 2023-2025 कार्यकाल के लिए पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिये वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार को रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) निर्वाचित किया गया है। इसको लेकर एडवोकेट्स एसोसिएशन की जनरल बॉडी की मीटिंग बुलाई गई थी।

रिटर्निंग ऑफिसर उक्त चुनाव का संचालन करवाएंगे। वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि एक तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है। चुनाव होली के बाद होगा।

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श्री वर्मा ने बताया कि एडवोकेट्स एसोसिएशन अधिवक्ताओं का राज्य का सबसे बड़ा एसोसिएशन है। इसके तकरीबन सात हजार पांच सौ सदस्य हैं। एसोसिएशन के पास लगभग एक करोड़ 82 लाख का रिज़र्व है।

वर्तमान कार्यकाल में एयर कंडीशनर लगवाने, वकीलों के बैठने की व्यवस्था का विस्तार, कोविड में आर्थिक मदद, कोविड टीकाकरण में सहयोग व मुकदमों के निष्पादन में सहयोग समेत कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य किये गए।

पटना हाईकोर्ट में बिहार की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामलें पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया।

वित्त,राजस्व,विधि व अन्य सम्बंधित अधिकारी इस बैठक में शामिल हो कर भूमि उपलब्धता और अन्य समस्यायों पर विचार करेंगे।16 फरवरी,2023 को बैठक होगी।ये कमिटी 20 फरवरी,2023 को अपना रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है।साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया था,जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है।

पूर्व की सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था।

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श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 फरवरी,2023 को की जाएगी।

Patna High Court News: बिहार में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामलें बिहार राज्य के ए डी जी कमल किशोर सिंह कार्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था। राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।

इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है। कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।

जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।

इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।

इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।

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Patna High Court में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।

उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवन में चल रहे है,लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है,उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।

रेप के आरोप में गया में डीएसपी के पद पर रहे पुलिस अधिकारी श्री कमला कांत प्रसाद की अग्रिम जमानत अर्जी को पटना हाईकोर्ट ने खारिज किया

पटना हाईकोर्ट ने रेप के आरोप में गया में डीएसपी के पद पर रहे पुलिस अधिकारी श्री कमला कांत प्रसाद की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज किया। जस्टिस राजीव रॉय ने ये आदेश दिया।

कोर्ट का कहना था कि पीड़िता याचिकाकर्ता की बेटी की उम्र की थी। दशहरा के समय जब कोई स्टाफ मौजूद नहीं था, तो अपने आधिकारिक क्वार्टर का दुरुपयोग करते हुए पुलिस अधिकारी ने पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया।

ये मामला महिला थाना कांड संख्या 18/ 2021 से जुड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता घटना के वक्त गया में डीएसपी हेडक्वार्टर के तौर पर पदस्थापित था।

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याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा का कहना था कि प्राथमिकी दर्ज करने में असामान्य रूप से देर किया गया था। वही, पीड़िता/ इंफॉर्मेंट के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव का कहना था कि पीड़िता को सेविका (मेड सर्वेंट) के रूप में रखा गया था।

उसे याचिकाकर्ता की पत्नी की सेवा करने के लिए पटना जाना था। इसी के लिए पीड़िता के भाई ने याचिकाकर्ता के सरकारी क्वार्टर पर लाया था।

उसे कैंपस में छोड़ दिया था, ताकि उसे गया से पटना दूसरे दिन ले जाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने केरल हाईकोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस विनोद के. चंद्रन को पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त करने की अनुशंसा की है

सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने केरल हाईकोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस विनोद के. चंद्रन को पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त करने की अनुशंसा की है । फ़िलहाल पटना हाई कोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्य कर रहे हैं।

जस्टिस के. विनोद चंद्रन को जज के रूप 08 नवंबर, 2011 को नियुक्त किया गया था।वह 24 अप्रैल, 2025 को सेवानिवृत होने वाले हैं।

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केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद जस्टिस विनोद के. चंद्रन पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे ।

पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने वकीलों की टीम को निर्माण कार्य का निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने वकीलों की टीम को निर्माण कार्य का निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

यह वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण के लिए इस सप्ताह के अंत में जाएगी। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में आ रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

पिछली सुनवाई में इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।इससे पूर्व में भी कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

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इस राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में बाधा बने धार्मिक स्थलों सहित स्कूल तथा अन्य अवरोध को हटाने के लिए कोर्ट ने जहानाबाद तथा गया के डीएम एवं एसपी को निर्देश दिया था।

कोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का आदेश दिया था।कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।

वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रही है।

इस मामलें पर 14 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।

बिहार में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।

राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है।कोर्ट ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार के महाधिवक्ता पी के शाही को दो तीन वरीय आई पी एस अधिकारियों के नामों का सुझाव देने को कहा,जो कोर्ट और राज्य सरकार के मध्य कॉर्डिनेट करें।

जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कोर्ट के अधिकारी के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।

इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।

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इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।लगभग आठ सौ थाने ऐसे है,जो सरकारी भवन में चल रहे है।
उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।

कोर्ट ने उनके द्वारा दिए गए तथ्यों को सुनते हुए कहा कि आगे की सुनवाई में इन मुद्दों विचार किया जाएगा।इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है। साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया है,जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है।कोर्ट ऐसे जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेगा।

पिछली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था।

वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था।

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पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 9 फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने समस्तीपुर में कथित रूप से जाली राशन कार्ड जारी करने के मामलें में सुनवाई की

पटना हाई कोर्ट ने समस्तीपुर में कथित रूप से जाली राशन कार्ड जारी करने के मामलें में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मोहम्मद इशाक़् की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि समस्तीपुर ज़िला में बड़े पैमाने पर जाली राशन कार्ड का धंधा चल रहा है। जो लोग वहां के निवासी भी नहीं है, उनके नाम भी राशन कार्ड में शामिल है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो लोग मर चुके है,उनके नाम भी राशन कार्ड में लगे हुए है।उनका कहना था कि गरीबों को सब्सिडी पर दिए जाने वाले अनाज और किरासन तेल टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (कंट्रोल) आर्डर, 2015 के विपरीत गलत लोगों को दिया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि इस मामलें न जाली राशन कार्ड का मामला है,बल्कि पीडीएस को चलाने वाले भी आम जनता को लूट रहे है।उन्हें घटिया अनाज दे रहे है और वह भी पूरा बजन नहीं दे रहे है और लाभ कमा रहे है।

इसकी शिकायत पिछले साल समस्तीपुर के जिलाधिकारी से की गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं देखने को मिला।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

इस मामले में आगे की सुनवाई अब चार सप्ताह बाद कि जाएगी।