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निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया

पटना हाइकोर्ट ने निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर कड़ा रुख अपनाया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस तरह की गलत जनहित याचिकाओं के दायर करने वाले सख्त चेतावनी दी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाओं के दायर करने वालोंं की न सिर्फ याचिकाएं खारिज की जाएगी,बल्कि उन पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिकाओं का उद्देश्य जनता से जुड़े उचित मामलों को कोर्ट के समक्ष लाना,न कि अपनी निजी स्वार्थ के लिए जनहित याचिकाओं का दुरूपयोग करना।

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कोर्ट ने आज ही जनहित याचिका के रूप में कॉन्ट्रेक्ट से सम्बंधित मामलें दायर करने पर याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलें को जनहित याचिका के रूप में दायर करना इस व्यवस्था का दुरूपयोग है।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो माह के भीतर ये राशि बालसा के खाते में डालने का निर्देश दिया।

इसी तरह के एक अन्य मामलें जनहित याचिका को निजी स्वार्थ वाला कहा।इस मामलें में याचिकाकर्ता पर पाँच हज़ार रुपये का आर्थिक दंड लगाया।कई दायर जनहित याचिकाओं को अधिवक्ताओं ने खुद ही वापस ले लिया।

पटना हाइकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना में आयी धनराशि में अनियमितता बरतने के मामलें को गम्भीरता से लेते हुए जांच के लिए छह सप्ताह का समय दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य भारत सरकार के योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना में आयी धनराशि में अनियमितता बरतने के मामलें को गम्भीरता से लिया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने हरि नारायण पासवान की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के अपर प्रधान सचिव को राज्य में इस तरह की अनियमितता की जांच करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमन कुमार सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि समस्तीपुर ज़िला के सिंघिया प्रखंड के तहत बारी ग्राम पंचायत राज के मुखिया ने केंद्रीय योजना के तहत आये फंड का दुरूपयोग किया है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो पंचायत को फंड मिला,उसमें मुखिया ने अनियमितता बरती।उन्होंने अफसरों की मिलीभगत से फंड का दुरूपयोग किया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस अनियमितता की जानकारी देते हुए उच्च अधिकारियों को कई बार अभ्यावेदन(रिप्रेजेंटशन) दिया गया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला।

आज कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को राज्य में इस योजना में हुए घपले की करने के छह सप्ताह का समय दिया।इस मामलें पर अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद की जाएगी।

छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर सुनवाई के दौरान पटना हाइकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में भी कोर्ट आदेश क्यों देना होता है? इस तरह कि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है।

पटना हाइकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों में भी कोर्ट आदेश क्यों देना होता है। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह कि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है।

कोर्ट ने पटना समेत राज्य के सभी जिलों के सम्बन्ध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई में पूरा रिपोर्ट चार्ट के रूप में पेश करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने ये जिम्मेदारी अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है।कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की थी।

अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है।इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के बहुत से स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं पढ़ती है।इनकी संख्या काफी अधिक होने के वाबजूद भी कई स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए एक ही शौचालय है।

उन्होंने बताया कि नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं।पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियों बीच में ही पढ़ाई क्यों छोड़ देती हैं।

उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है।डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं।

उन्होंने कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में क्या कहा जा सकता हैं।

इस् मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 13फरवरी,2023 को तय की गई है।

पटना हाइकोर्ट ने बीपीएससी द्वारा संचालित 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली सुनवाई करते हुए परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

जस्टिस पी वी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन वह कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।इस परीक्षा में राज्य में 214सिविल जज(जूनियर डिवीजन)- न्यायिक दंडाधिकारी परीक्षा में सफल हुए।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि की न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ , इस मामले में पारित अंतिम फैसले के फलाफल पर निर्भर करेगा।
रिट याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि चयन करने वाली बिहार लोक सेवा आयोग ने भर्ती नियमावली और इस परीक्षा हेतु प्रकाशित विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन किया है।आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में प्रथम दृष्टया अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुलाकर पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी किया है।आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फ़ीसदी अंक कम था।

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एक और भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में 5 फ़ीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है ,लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया।

शानू ने दूसरा आरोप यह लगाया के इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी ,जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 फ़ीसदी कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फ़ीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया।

वहीं दूसरी तरफ यह रिट याचिका कर्ता, जिन्हें औसतन मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ से 80 फ़ीसदी अधिक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया। पूरे साक्षात्कार की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने पूरे रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया की कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण दोष के आधार पर नए सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार कराया जाए।

हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी।

चीफ जस्टिस संजय करोल ने आई टी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने को लेकर लखीसराय(किऊल) में रेलवे कोर्ट बिल्डिंग, ई- रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर का भी उदघाट्न किया

पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने इंफ्रास्ट्रक्चर आई टी को बढ़ावा देने को लेकर लखीसराय(किऊल) में रेलवे कोर्ट बिल्डिंग का उदघाटन किया गया। साथ ही साथ गया में मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग के निर्माण, जजों के लिये गेस्ट हाउस तथा गया में 80 पी ओ क्वार्टर के लिए आधार शिला रखने का काम किया गया।

‘ गो ग्रीन ‘ और पेपरलेस के अनुरूप, राज्य के सभी न्यायालयों में ई – फाइलिंग 3.0 की भी शुरुआत चीफ जस्टिस ने पटना हाई कोर्ट में किया। पटना हाई कोर्ट में ई- रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर का उदघाट्न भी हुआ। इसके शुरू हो जाने से रजिस्ट्री का फ़ाइल पेपरलेस प्रोसेसिंग के जरिये डिजिटल मोड में हो जाएगी।

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इसका आयोजन जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह व जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों की उपस्थिति में किया गया। इस मौके पर पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि सचिव, राज्य के सभी जिला जज और न्यायिक अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित थे।

इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के उदघाटन से न सिर्फ जजों को फायदा होगा, बल्कि अधिवक्ताओं के साथ ही साथ आम लोगों को भी। यह न्याय आम लोगों को आसानी से पहुंचाने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा।

पटना हाईकोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने का आदेश दिया

पटना हाई कोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आदेश दोनों जिला के डीएम को दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अपने 23 पन्ने का आदेश दिया।

कोर्ट ने ईट भट्टों को फ्लाई ऐस ब्रिक्स में परिवर्तन के बारे में तेजी से कार्रवाई करने का आदेश दिया।वही प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये हर जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया। लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का भी आदेश दिया।

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कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरण कानून का पालन करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने आदेश की प्रति वैशाली एवं नालंदा जिला के डीएम को भेजने का आदेश दिया।

इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि पर्यावरण वन एवं वातवरण बदलाव विभाग की ओर से थर्मल पावर प्लांट के तीन सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी सरकारी कामों फ्लाई ऐस ब्रिक्स का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा। चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने आज सुनाया।

ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया।इस मामलें पर कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि राज्य में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।

उन्होंने कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है।कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते है।

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साथ ही राज्य सरकार की इस दलील को भी रद्द कर दिया कि राज्य के आस पास दूसरे राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है,इसीलिए बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जहां कृषि योग्य भूमि नहीं है,उन्हें चिन्हित कर वहां ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार हो,ताकि राज्य की जनता को सुरक्षित,विकसित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हवाई यात्रा उपलब्ध हो सके।

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया।vइस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के सभी जज,बिहार सरकार एडवोकेट जनरल पी के शाही, वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, वरीय विधि पत्रकार अरविन्द उज्ज्वल, मुकेश कुमार, सरकारीवकील प्रशांत प्रताप व बड़ी तादाद में अधिवक्तागण उपस्थित रहे।वहाँ उन्होंने उन्हें बधाइयाँ और शुभकामनाएं दी।

पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस अहसानुद्दिन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने 13दिसम्बर,2022 को सुप्रीम कोर्ट मे पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की थी।

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राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल,पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी बी संजय कुमार,पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुउद्दीन अमानुल्ला और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए जाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट ने की थी।

इनके द्वारा सोमवार 6 फरवरी,2023 को शपथ ग्रहण करने की संभावना है।

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है। हर्षित शरण द्वारा दायर अपील पर जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ को ये जानकारी बीपीएससी के अधिवक्ता दिया।

याचिकाकर्ता ने जस्टिस मधुरेश प्रसाद के सिंगल बेंच के उस आदेश को एलपीए दायर कर चुनौती दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आयोग द्वारा लिए गए परीक्षा में गलत दिए गए 10 प्रश्नों को चुनौती दिया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के रिट याचिका को खारिज कर दिया था।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया बीपीएससी द्वारा द्वारा ली गई 67वीं के मुख्य परीक्षा में 10 प्रश्न गलत थे।इस बात की जानकारी कोर्ट को देने के बाद भी सिंगल बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को सुनने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता से पूछा इस परीक्षा का परिणाम कब तक प्रकाशित होगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगली सुनवाई तक इस परीक्षा का परिणाम प्रकाशित होने की संभावना कम है।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 21 फरवरी,2023 निर्धारित किया है।

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक रूप से अपंग लड़कियों के ईलाज किए जाने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक रूप से अपंग लड़कियों के ईलाज किए जाने के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि एम्स,पटना में इनके ईलाज के लिए आवश्यक धनराशि निर्गत करने की कार्रवाई हो रही है।

एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि अस्थि रोग से ग्रस्त लड़कियों का ईलाज पटना के एम्स अस्पताल में हो जाएगा।ईलाज हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक धनराशि निर्गत होने के बाद अगले सप्ताह से इन अस्थि रोग से ग्रस्त लड़कियों का अगले सप्ताह शुरू हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि एक दृष्टिहीन लड़की के ईलाज की व्यवस्था एम्स,दिल्ली में करनी होगी।कोर्ट ने उनसे उस लड़की के आँखों के ईलाज की व्यवस्था दिल्ली के एम्स में किये जाने का निर्देश दिया।

साथ ही आर्थिक रूप से कमज़ोर,पर अच्छी छात्रा को सीतामढी के कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय में प्रवेश दिया गया है।उस लड़की के शिक्षा पर आने वाला खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

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इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इन दिव्यांग लड़कियों की अपंगता की जांच के लिए एम्स,पटना को भेजा था।

गौरतलब है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।

इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य हो गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एम्स अस्पताल, पटना व राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग को पार्टी बनाने का आदेश दिया था।

इस मामलें पर 16 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाइकोर्ट ने सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के आसपास बड़े तालाब में स्वच्छ और ताज़ा पानी आने के लिए बनाया गए नाले बंद होने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के आसपास बड़े तालाब में स्वच्छ और ताज़ा पानी आने के लिए बनाया गए नाले बंद होने के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते केंद्र सरकार के अधिवक्ता को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों से विचार विमर्श करने का निर्देश दिया।

इससे पूर्व कोर्ट ने रोहतास के डी एम, डीसीएलआर,सासाराम नगर निकाय के अधिकारियो समेत केंद्र सरकार के अधिकारी और एएसआई की बैठक कर विस्तृत कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने प्राची पल्लवी को इस जनहित की सुनवाई में कोर्ट की मदद करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया हैं।कोर्ट ने कहा कि ये ऐतिहासिक धरोहर है,जिसकी सुरक्षा और देखभाल करना आवश्यक हैं।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर ने कोर्ट को बताया कि सासाराम स्थित शेरशाह का मकबरा राष्ट्रीय धरोहर हैं।इसके तालाब में साफ और ताज़ा
के लिए वहां तक नाले का निर्माण किया गया।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 2018 से 2020 तक सिर्फ पचास फी सदी नाले का काम हुआ।इसे बाद में खराब माना गया।इसमें लगभग आठ करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

इसमें काफी अनियमितताएं बरती गई, जिसकी जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।उन्होंने बताया था कि ये नाला कूड़ा से भरा पड़ा है,जिस कारण शेरशाह के मकबरे के तालाब में साफ पानी नहीं पहुँच पाता है।

वह तालाब गंदा और कचडे से भरा हुआ है।वहां जो पर्यटक आते है,उन्हें ऐसी हालत देख कर निराशा होती है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई अब 3 सप्ताह बाद की जाएगी

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई अब 3 सप्ताह बाद की जाएगी। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जांच की धीमी गति पर असंतोष जाहिर किया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जांच की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया था।अगली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित रही थी।

कोर्ट ने कहा था कि इस मामलें की समग्रता में जांच नहीं की जा रही हैं।पुलिस अधिकारियों को विस्तार और गहराई से जांच पड़ताल करने की आवश्यकता है।

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अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया था कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया था कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी बुरी है।

पहले की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई में 3 सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। जस्टिस अहसाउद्दीन अमानुल्ला की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ऑनलाइन राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज उपस्थित रहे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि निर्माण कार्य अच्छे ढंग से चल रहा है। लेकिन कहीं कहीं कठिनाइयां भी आ रही है।
कोर्ट ने उन्हें इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई में पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था।

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पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने रैयती जमीन को जलाशय कह रहे अंचलाधिकारी के मनमानेपन की जांच करने का आदेश दिया

पूर्वी चम्पारण ज़िला में जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त करने के दौरान एक नागरिक को पट्टे पर मिली रैयती जमीन को अंचल अधिकारी ने जलाशय कहते हुए उसे अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दे डाला। पटना हाइकोर्ट ने जब यह पूछा कि किस कागजात के आधार पर रैयती जमीन को जलाशय कह रहे हैं, तो अंचल अधिकारी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

कोर्ट ने इस मामले में चकिया अंचल के अंचलाधिकारी के मनमानेपन की जांच करने का आदेश पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी को दिया है।

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जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने रघुनाथ प्रसाद की रिट याचिका को निष्पादित करते हुए पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी को चकिया अंचल में इस तरह के अतिक्रमण मामले की खुद जांच पड़ताल करने का आदेश दिया।

साथ ही निजी स्वार्थ से काम करने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

पटना हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर पटना राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर पूरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने स्वयम संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव सहित सभी जिलों के डीएम और डीईओ को तुरंत देने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने ये जिम्मेदारी सरकारी अधिवक्ता आलोक राही को दिया है। कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की।

अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है।इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

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उन्होंने बताया कि नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं।पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियों बीच में ही पढ़ाई क्यों
छोड़ देती हैं।

उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है।डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं।

उन्होंने कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में कल्पना ही की जा सकती हैं।

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कोर्ट ने अपने दो पुराने आदेश का हवाला देते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर सभी सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय और सैनेटरी नैपकिन मुहैया कराने से लेकर उसके निष्पादन के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

इस् मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 7फरवरी,2023 तय की गई है।

पटना हाईकोर्ट ने मोतिहारी के पूर्व डीईओ (ज़िला शिक्षा पदाधिकारी) को दो दिनों की जेल की सजा सुनाई

पटना हाईकोर्ट में अवमानना से जुड़े एक मामले को गंभीरता से लेते हुए मोतिहारी के पूर्व डीईओ (ज़िला शिक्षा पदाधिकारी) को दो दिनों की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 50 हजार रुपये का हर्जाना भी याचिकाकर्ता कुमारी पूनम को देने के लिए कहा है।

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने पंचायत टीचर की नियुक्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।दिनांक 1अक्तुबर,2007 को याचिकाकर्ता की नियुक्ति पूर्वी चंपारण के सेमवापुर पंचायत में टीचर के पद पर हुई थी।दिनांक 04.09.2012 को याचिकाकर्ता को अपने पद से हटा कर उसकी जगह मुन्नी कुमारी को इस पद पर नियुक्त कर लिया गया था ।

याचिकाकर्ता ने जब कोर्ट में मामला दायर किया,तो कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय सुनाया। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें दोबारा नियुक्त कर लिया गया।याचिकाकर्ता ने पुनः एक अवमानना ​​याचिका दायर कर कोर्ट से गुहार की कि उसे जुलाई 2019 तक का वेतन जारी किए जाने हेतु आदेश पारित किया जाए।

इस पर याचिकाकर्ता ने अवमानना वाद दायर किया। कोर्ट ने उन्हें उपयुक्त प्राधिकार से संपर्क करने की छूट दी।

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लेकिन जैसे ही अवमानना ​​की कार्यवाही को समाप्त हुई, तो उक्त ज़िला शिक्षा पदाधिकारी ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उन पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता से कार्य नहीं लिया जाना चाहिए।

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साथ ही यदि कार्य लिया जाता है, तो प्रभारी प्राचार्य की जवाबदेही होगी। इन घटनाओं के मद्देनज़र जब हाईकोर्ट ने डीईओ को नोटिस जारी किया, तो कोर्ट को बताया गया कि अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उन पर अवमानना की कार्रवाई न की जाए ।

अदालत ने उन्होंने अवमानना का दोषी पाते हुए पटना के बेऊर जेल में दो दिनों की जेल भेजने की सजा सुना दी और याचिकाकर्ता को 50 हज़ार रुपये देने के लिए भी कहा है।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ के समक्ष आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ने बताया कि पटना समेत अन्य जिलों में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के अध्यक्षों की बहाली के लिए फाइल चयन समिति के पास जाएगी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।

साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है।जबकि हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

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उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 31जनवरी,2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की

पटना हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों के काम काज पर तीखी टिप्पणी की है।

कोर्ट ने कहा कि जो काम अधिकारी का हैं, वह काम कोर्ट को करना पड़ रहा है।मुंगेर से मिर्जाचौकी तक बनने वाली राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में जमीन का अधिग्रहण नहीं किये जाने पर कोर्ट ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी को जमीन अधिग्रहण का काम जल्द पूरा करने का आदेश दिया।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान मुंगेर के डीएम तथा जिला भूअर्जन पदाधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे।डीएम ने कोर्ट को बताया कि 2.5 किलोमीटर राज मार्ग के निर्माण के लिए करीब 80 पक्का मकान को ध्वस्त करना पड़ेगा।उनका कहना था कि अगर राज मार्ग के निर्माण के लिए थोड़ा सा एलाइमेन्ट में बदलाव किये जाने से काफी कम घरों को तोड़ना पड़ेगा।

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उन्होंने कोर्ट को एक दूसरा प्रस्ताव भी दिया कि अगर पुराने राष्ट्रीय राज मार्ग को ही नये राष्ट्रीय राज मार्ग से जोड़ दिये जाने पर काफी कम घर को तोड़ना पड़ेगा।कोर्ट ने एनएचएआई के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का समाधान हल करने का निर्देश दिया।

वही अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि मुंगेर जिला में नियमित भूअर्जन पदाधिकारी के नहीं रहने से राष्ट्रीय राज मार्ग के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही हैं।इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई करने का आदेश दिया।साथ ही मामलें पर अगली सुनवाई की तारीख 2 फरवरी,2023 निर्धारित की है।

पटना हाईकोर्ट ने जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्माण,विस्तार एवं नवीनीकरण के मामले पर पटना एयरपोर्ट के डायरेक्टर को तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्माण,विस्तार एवं नवीनीकरण के मामले पर पटना एयरपोर्ट के डायरेक्टर को तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया ।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि पटना ऐयरपोर्ट में सुविधाओं की काफ़ी कमी है।इस एयरपोर्ट से हवाई यात्रा करना काफ़ी जोखिम भर है ।

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इस पर कोर्ट ने पटना एयरपोर्ट के डायरेक्टर को अगली सुनवाई को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है । इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी,2023 को होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक को सहायक प्रोफेसर बहाली मामलें में तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक को सहायक प्रोफेसर बहाली मामलें में तलब किया है।जस्टिस पी बी बजनथ्री व जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने डा कुमार चन्दन की अपील पर सुनवाई की।

कोर्ट ने निदेशक को आगामी 31 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।कोर्ट का कहना था कि सहायक प्रोफेसर के बहाली के लिए कौन कौन सा पद स्वीकृत था।

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उसकी पूरी जानकारी देने का आदेश आईजीआईएमएस के निदेशक को देने का आदेश दिया ।

इससे पूर्व कोर्ट ने सहायक प्रोफेसर बहाली मामले का पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश आईजीआईएमएस को दिया था।इस मामलें पर अगली सुनवाई 31जनवरी, 2023 को की जाएगी।