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मत्स्य पालकों के बीच डॉल्फिन के बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार के द्वारा दिनांक 6 अक्टूबर को’ एन आई टी घाट, पटना में मत्स्य पालकों के बीच डॉल्फिन के बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसका उद्घाटन ‘‘श्री नीरज कुमार सिंह’’, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के कर-कमलों द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर श्री दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार उपस्थित रहे।

जागरूकता कार्यक्रम के साथ , मत्स्य पालकों के बच्चों के बीच खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया। साथ ही उनके प्रोत्साहन हेतु, उनके बीच पुरुस्कार भी वितरित किया गया।

माननीय मंत्री ने अपने संबोधन में लोगों से डॉल्फिन के बचाने को अपील की, उन्होंने कहा कि हमारी और आपकी आपसी समझ और समन्वय से ही इनका बचाव करना सुलभ होगा। आपको बिहार सरकार,इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करती रहेगी। साथ ही आपके जीवकोपार्जन में किसी प्रकार की दिक्कत न हो उसका भी उपाय हम करेंगे।

आप सबों से मेरी यह गुजारिश है कि कृपया इसके बचाव में जो बन पड़े कीजिए, साथ ही लोगों को भी अपने से जोड़ जागरूक कीजिए। आज आपके बच्चों ने अपनी बेहतर कला का प्रदर्शन किया और डॉल्फिन को बचाने में अपनी समझ को दर्शाया, यह अत्यंत ही सराहनीय है। मैं आप सभी का आभारी हूं, जो आज आप कर रहे हैं, वह हमारा बेहतर कल में दिखेगा।

प्रधान सचिव ने लोगों से गंगा को स्वच्छ रखने और इसे प्रदूषित न करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह धरती सभी की है जिस पर मानवों के साथ अन्य सभी जीव जंतुओं और जलीय जीवों का अधिकार है। कृपया इसे बचाया जाए, जिससे जैव विवधता और पारिस्थिति तंत्र संतुलित रहे। मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक और डॉल्फिन मैन प्रोफेसर आर के सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर श्री आशुतोष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (Hoff) बिहार, श्री प्रभात कुमार गुप्ता, श्री गोपाल शर्मा, अंतरिम प्रभारी, राष्ट्रीय डाॅल्फिन शोध केन्द्र, पटना के साथ श्री शशिकांत कुमार DFO, Park पटना, DFO Patna उपस्थित रहे।

बिहार के 40 अस्पतालों में दीदी की रसोई से रोगी तक पहुंच रहा खाना

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि अस्पतालों में दीदी की रसोई खुलने से मरीजों को बेहतर इलाज के साथ-साथ स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन भी मिल रहा है। दीदी की रसोई से मरीजों के अलावे परिजनों को भी काफी सहूलियत हो रही है। रसोई में जीविका दीदियों द्वारा बना शुद्ध भोजन मरीजों को दिया जाता है।

दीदी की रसोई में मरीजों को मुफ्त तथा उनके परिजनों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण भोजन दिया जा रहा है। राज्य के 40 अस्पतालों में दीदी की रसोई से मरीजों और उनके परिजनों तक खाना परोसा जा रहा है, जहां स्वच्छता और शुद्धता का पूरा खयाल रखा जाता है।

श्री पांडेय ने कहा कि पहले चरण में पूरे राज्य में 74 दीदी की रसोई खोले जाने हैं। इसमें जिला और अनुमंडलीय अस्पताल मिलाकर अभी तक 40 जगहों पर दीदी की रसोई चालू है। बीते अगस्त को राज्य के 28 अस्पतालों में इसकी शुरुआत की गई है।

राज्य में अभी अरवल, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, कैमूर, खगड़िया, भोजपुर, नालंदा, भागलपुर, जमुई, सुपौल, बांका, कटिहार, नवादा, अररिया, मुजफ्फरपुर, लखीसराय, किसनगंज, मधेपुरा, औरंगाबाद, समस्तीपुर, पटना, मुंगेर, मधुबनी, गोपालगंज, गया, दरभंगा, वैशाली, बक्सर, शेखपुरा, पूर्णिया, शिवहर और सहरसा में दीदी की रसोई संचालित हो रहे हैं। इसमें जिला अस्पताल और अनुमंडलीय अस्पताल दोनों शामिल है।

श्री पांडेय ने बताया कि राज्य के मरीजों को बेहतर और त्वरित स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग का सतत प्रयास जारी है। अस्पतालों में दीदी की रसोई शुरू हो जाने से मरीजों के परिजनों को भी काफी राहत मिली है। नाश्ता एवं भोजन के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों को नाश्ता एवं भोजन के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ता है। अब अस्पताल में ही उन्हें विभिन्न वेरायटी का भोजन सस्ते दर पर उपलब्ध हो जाता है, जिससे संतुष्टि भी मिलती है और पैसे की भी बचत होती है।

पुलिस की यातना से आहत मां बेटी ने की आत्महत्या पुलिस मुख्यालय ने दिया जांच का आदेश

छपरा के मढ़ौरा से एक ऐसी खबर आयी है जहां अपराधी भाई के कृत्य और पुलिस की गुंडागर्दी से आहत होकर मां बेटी ने सुसाइड कर लिया है, हुआ ऐसा है कि सोमवार को मढ़ौरा के इसरौली पेट्रोल पंप के पास बाइक सवार पांच अपराधियों ने हथियार के बल पर कैशवैन से 40 लाख रुपए लूट लिया लूट की घटना के बाद सारण पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिला था जिसके आधार पर घटना के बाद भाग रहे अपराधियों के मोटरसाइकिल का नम्बर पता चल गया था उसी आधार पर पुलिस ने भेल्दी थाना क्षेत्र के खारदरा में अपराधी सोनू पांडेय के घर छापा मारा जहां से पुलिस को लूट की घटना में उपयोग किये गये मोटरसाइकिल के साथ साथ से छह लाख रुपए और एक देशी पिस्टल मिला हलाकि सोनू घर पर मौजूद नहीं था लेकिन अवैध हथियार मिलने की वजह से पुलिस सोनू के पिता चंदेश्वर पांडेय को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने सोनू के पिता के साथ अमानवीय व्यवाहर किया उससे आहत होकर सोनू की मां और बहन ने आत्महत्या कर लिया है ।

पुलिस सोनू के बहन का एक सुसाइड नोट बरामद किया है सुसाइड नोट में भाई के कुकृत्य के कारण जिस तरीके से पुलिस हमलोगों के सामने पापा को जलील किया है ऐसी स्थिति में अब जिंदा रहने का कोई मतलब नहीं रहा गया है।

मेरे मां-बापा हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा और बेटी भविष्य में कुछ अच्छा काम करें लेकिन अफसोस उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। हम लोग गरीब जरूर हैं लेकिन गलत नहीं है और मेरे पापा हमेशा से हम सबको एक ही बात समझाते हैं कि बेटा मर जाना मगर कभी गलती ना करना। मेरे पापा बहुत बदनसीब हैं मेरे पापा का सपना पूरा ना हो सका।

रुपा ने सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि मेरे पापा को गलत ना समझें। प्लीज प्लीज प्लीज मेरे पापा खुद हमेशा सोनू से इस सब के कारण नाराज रहते थे। इसमें उसका भी कोई कसूर नहीं है जब वह सही था तब उसे विनोद पांडे की बेटी ने अपने प्यार के जाल में फंसा लिया और उसे अपने साथ भागने को मजबूर कर दिया। तब सोनू उस समय तो चला गया लेकिन उसके बाद हम लोगों की इज्जत का कचरा किया। विनोद के पूरे परिवार के कारण वह और बिगड़ गया। पापा हम आप की यह हालत नहीं देख सकते। हम कभी नहीं सोचे थे कि कोई आप पर ऐसे हाथ उठाए पर ऐसा हुआ। पुलिस किसी का दर्द नहीं समझती।

इस बीच बिहार न्यूज पोस्ट द्वारा सवाल खड़े किये जाने पर एडीजी जितेन्द्र गंगवार ने कहा कि इस मामले की अलग से जांच कराई जायेंगी और दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज किया जायेंगा ।

बिहार पंचायत चुनाव 2021 तीसरे चरण के चुनाव का प्रचार अभियान आज शाम पांच बजे समाप्त

बिहार पंचायत चुनाव 2021 तीसरे चरण के चुनाव का प्रचार अभियान आज शाम पांच बजे समाप्त हो गया। तीसरे चरण में 35 जिलों के 50 प्रखंडो में 8 अक्टूबर को मतदान होना है। वहीं पांचवें चरण के लिए आज नामांकन का आखिरी दिन है।
हलाकि जैसे जैसे पंचायत चुनाव का चरण आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे पंचायत चुनाव के दौरान प्रचार के अलग अलग अंदाज देखने को मिल रहा है कही बार बाला के सहारे मुखिया जी प्रचार कर रहे हैं तो कही खुली जिप्सी ,कही बैलगांड़ी से ,तो कही घोड़ा पर सवार होकर उम्मीदवार नामंकन करने पहुंच रहे हैं ।

तीसरे चरण में पटना के नौबतपुर के 19 पंचायत और विक्रम प्रखंड 17 पंचायत में। सिवान जिले के हुसैनागंज प्रखंड 15 पंचायत में हसनपुरा प्रखंड के 12 में। बक्सर जिले के डुमरॉव प्रखंड में 14 पंचायत में। भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड के 20 पंचायतों में। कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड में 16 पंचायतों में। रोहतास जिले के काराकाट प्रखंड के 19 पंचायतों में। नालंदा जिले के सिलाव प्रखंड के 11 पंचायतों, नगरनौसा प्रखंड के 9 पंचायतों में। गया जिले के मोहड़ा प्रखंड के 9 पंचायतों में, अतरी प्रखंड के 8 पंचायतों , नीमचक बथानी प्रखंड के 8 पंचायतों में चुनाव होंगे।

नवादा जिले के रजौली प्रखंड के 15 पंचायतों में। औरंगाबाद जिले के बारूण प्रखंड के 16 पंचायतों में। जहानाबाद जिले के रतनीफरीदपुर प्रखंड के 14 पंचायतों में। अरवल जिले के कुर्था प्रखंड के 10 पंचायतों में। सारण जिले के गड़खा प्रखंड के 23 पंचायतों में। गोपालगंज जिले के भोरे प्रखंड के 17 पंचायतों में। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के 27 पंचायतों में, मुरौल प्रखंड के 9 पंचायतों में। पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया प्रखंड के 14 पंचायतों में, घोड़ासहन प्रखंड के 14 पंचायतों में। पंश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज प्रखंड के 27 पंचायतों में। सीतामढ़ी जिले के बोखड़ा प्रखंड के 11 पंचायतों, बथनाहा प्रखंड के 21 पंचायतों में। दरभंगा जिले के बहेडी प्रखंड के 25 पंचायतों में। मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के 12 पंचायतो में, खुटौना प्रखंड के 18 पंचायतो में चुनाव होंगे।

समस्तीपुर जिले के उजियारपुर प्रखंड के 28 पंचायतों में, दलसिंहसराय के 14 पंचायतों में। सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड के 23 पंचायतों में। सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड के 11 पंचायतों में। मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड 8 पंचायतों में, घैलाढ़ प्रखंड 9 पंचायतों में। पूर्णिया जिले के बी कोठी प्रखंड के 19 पंचायतों में, भवानीपुर प्रखंड 12 पंचायतों में। कटिहार जिले के कोढा प्रखंड के 23 पंचायतों में। अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के 30 पंचायतों में। लखीसराय जिले के हलसी प्रखंड के 10 पंचायतों में। बेगूसराय जिले के वीरपुर प्रखंड के 8 पंचायतों में, डंडारी प्रखंड के 8 पंचायतों में। खगड़िया के परबत्ता 17-18 प्रखंड के 10 पंचायतों में। मुंगेर जिला के संग्रामपुर प्रखंड के 10 पंचायतों में। जमूई जिले के ई अलीगंज प्रखंड के 13 पंचायतों में। भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड के 18 पंचायतों में। बांका जिला के रजौन प्रखंड के 18 पंचायतों में चुनाव होना है।

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के ट्रिब्यूनल्स में खाली पड़े पदों को लेकर राज्य सरकार को जमकर लगायी फटकार

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के ट्रिब्यूनल्स में खाली पड़े पदों के मामले पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार से डी आर टी के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल खंडपीठ को राज्य में ट्रिब्यूनल्स में रिक्त पड़े पदों को भरे जाने के सम्बन्ध में महाधिवक्ता ने बताया कि दो सप्ताह में सभी रिक्त पदों को भर दिया जाएगा।

इस मामले में कोर्ट का सहयोग देने के लिए कोर्ट ने आशीष गिरि को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया हैं। आशीष गिरि ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से यह बताया गया है कि राज्य सरकार ट्रिब्यूनल्स में सभी खाली पड़े पदों को शीघ्र भर दिया जाएगा

इसके पूर्व 20 सितंबर, 2021 के कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि पब्लिक वर्क्स कॉट्रेक्ट डिस्प्यूट्स आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के बारे में बताया गया था कि इस ट्रिब्यूनल में चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया प्रगति पर है।
इसे सकारात्मक रूप से 30 सितंबर तक पूरा कर लिया जायेगा।

debt रिकवरी ट्रिब्यूनल (डी आर टी) के बारे में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल द्वारा जानकारी दी गई थी कि debt रिकवरी ट्रिब्यूनल के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति हेतु चयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
इसी प्रकार से कमर्शियल टैक्स ट्रिब्यूनल को लेकर ट्रिब्यूनल के अधिवक्ता द्वारा जानकारी दी गई थी कि इस ट्रिब्यूनल के लिए सरकार द्वारा आवश्यक रिक्त पदों को सूचित कर दिया गया है और अब ट्रिब्यूनल पूरी तौर से काम कर रहा है।

लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रीसेटलेमेंट ऑथोरिटी, पटना, दरभंगा व भागलपुर के बारे में जानकारी दी गई थी कि हाई कोर्ट के स्तर पर चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और मामला अभी राज्य सरकार के समक्ष लंबित है।
बिहार लैंड ट्रिब्यूनल, पटना के बारे में जानकारी दी गई थी कि नियुक्ति हेतु चयन की प्रक्रिया प्रगति पर है और सकारात्मक रूप से 30 सितंबर, 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा।

बिहार स्टेट स्कूल टीचर्स एंड एम्प्लाइज डिस्प्यूट्स रिड्रेसल रूल्स, 2015 के तहत गठित डिस्ट्रीक्ट अपीलेट अथॉरिटीज को लेकर जानकारी दी गई थी कि नियुक्ति हेतु चयन की प्रक्रिया प्रगति पर है और इसे अगले हफ्ते पूरा कर लिया जाएगा।
अब इस मामले पर आगे की सुनवाई आगामी 15 नवंबर को की जाएगी।

जलापूर्ति योजना को समय सीमा के अंदर पूरा करने को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री के निर्देश :

• राजगीर, गया, बोधगया एवं नवादा में गंगा जल उवह योजना के तहत सभी लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने को लेकर तेजी से काम करें।

• जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग तथा

नगर विकास एवं आवास विभाग आपस में समन्वय बनाकर इस पर काम करें। बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति हेतु योजना

बनाकर काम करें। भू-जल स्तर को मेंटेन रखना है, इसके लिए लोगों को प्रेरित करते रहें।

पटना, 06 अक्टूबर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1, अणे मार्ग स्थित संकल्प में जल- जीवन- हरियाली अभियान अंतर्गत पेयजल हेतु गंगा जल उवह योजना के कार्यों की प्रगति की समीक्षा की।

जल संसाधन विभाग के सचिव श्री संजीव हंस ने जल-जीवन- हरियाली अभियान अंतर्गत पेयजल हेतु गंगा जल उद्वह योजना के कार्य की प्रगति के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने हथीदह-मोकामा में इन्टेक वेल-सह-पंप हाउस, मोतनाजे स्थित डिटेंशन टैंक-सह-पंप हाउस, मोतनाजे स्थित जल शोधन संयंत्र, राजगीर जलाशय अर्दन डैम, तेतर जलाशय अर्दन डैम एवं अबगिल्ला मानपुर स्थित जल शोधन संयंत्र के कार्य की भौतिक प्रगति की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में राजगीर, गया एवं बोधगया में तथा द्वितीय चरण में नवादा शहर के लिए इस जलापूर्ति योजना पर काम किया जा रहा है। हथीदह-मोतनाजे तेतर अबगिल्ला तक कुल 150 किलोमीटर की पाइप लाईन में से लगभग 118 किलोमीटर पाईप बिछाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

जल संसाधन विभाग के सचिव ने बताया कि मूल योजना का कार्य मार्च 2022 तक पूर्ण हो जाएगा और जल वितरण का कार्य जून 2022 तक आरंभ करने का लक्ष्य रखा गया है।

समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर, गया, बोधगया एवं नवादा में गंगा जल उद्वह योजना के तहत सभी लोगों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना को पूर्ण करने को लेकर जो समय सीमा निर्धारित की गई है उस लक्ष्य पर तेजी से काम करें। स्पॉट पर जाकर एक-एक चीज का आकलन करें ताकि सभी लोगों को जलापूर्ति

सुनिश्चित हो सके। जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग तथा नगर विकास एवं आवास विभाग आपस में समन्वय बनाकर इस पर काम करें। नवादा में भी जलापूर्ति योजना का काम तेजी से शुरु करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में विकास के कई कार्य किए गए हैं। वहां आबादी तेजी से बढ़ रही है। बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति हेतु योजना बनाकर काम करें। भू-जल स्तर को मेंटेन रखना है, इसके लिए लोगों को प्रेरित करते रहें।

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव श्री संजीव हंस, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित वरीय अभियंतागण उपस्थित थे।

बिहार में तीसरा मोर्चा के लिए कोई जगह नहीं है

देश में फिलहाल जो राजनीतिक मिजाज है इस मिजाज की वजह से क्षेत्रीय दलों के लिए कुछ ज्यादा स्पेस नहीं रह गया है।आप मोदी के साथ रहे या फिर मोदी के विरोध में रहे बीच का रास्ता लगभग खत्म हो चुका है । बिहार की राजनीति पर भी कमोबेश इसी लाइन पर चल रहा है मांझी और सहनी एनडीए के साथ हैं तो राजद के साथ कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां हैं ।उपेन्द्र कुशवाहा इस हकीकत को समझ गये और वो जदयू में आ गये।ऐसे में देश स्तर पर भी और बिहार में भी फिलहाल कोई तीसरे विकल्प की कोई गुंजाइश नहीं दिख रहा है।

1–आनंद मोहन ,नागमणि जैसे नेता अकेला चलो के नारे की वजह से हासिए पर चले गये

कल कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि पप्पू यादव जेल से रिहा हो गए हैं। कांग्रेस उनके संपर्क में है, लेकिन शर्त यही है कि पप्पू यादव कांग्रेस के सिंबल पर ही तारापुर से चुनाव लड़ें। अगर वे सहमति व्यक्त करते हैं तो पार्टी इस पर विचार करेगी कांग्रेस के इस बयान के बाद पप्पू यादव का बयान आया मेरी कुछ शर्तें हैं कांग्रेस पहले राजद का साथ छोड़े ,दूसरा कांग्रेस अपने पुराने विचारधारा की और लौटे ।

पप्पू यादव के इस बयान के 15 मिनट बाद कांग्रेस ने तारापुर से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दिया वैसे रिहा होने की सूचना के बाद से ही कांग्रेस पप्पू यादव की पत्नी के सहारे बात चला रही थी लेकिन पप्पू यादव के शर्त की वजह से बात आगे नहीं बढ़ी।

राजनीति में महत्वाकांक्षा जरूरी है लेकिन अति महत्वाकांक्षा हमेशा नुकसानदायक रहा है बिहार कि राजनीति की बात करे तो 90 के दशक में दो नाम बड़ी सुर्खियों में था एक आनंद मोहन और दूसरा पप्पू यादव दोनों की शैली और मिजाज एक ही तरह का था । बिरादरी में दोनों की छवि राँबिन हुड जैसी थी आनंद मोहन के नेतृत्व में पहली बार बिहार का सवर्ण एक साथ एक मंच पर आया था सवर्ण यूथ में आनंद मोहन की छवि नायक वाली थी ।

पूरे बिहार में राजपूत का एक भी ऐसा गांव नहीं था जहां आनंद मोहन का कट्टर समर्थक मौजूद नहीं था राजपूत लीडरशिप का सिरमौर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा को निर्दलीय वैशाली से लोकसभा चुनाव लवली आनंद ने हरा दी थी। आज भी बिहार में राजपूत पर किसी एक नेता के पकड़ की बात कहे तो आनंद मोहन के सामने दूर दूर तक कोई नहीं है ।जदयू हो ,भाजपा हो या फिर राजद हो सीनियर राजपूत नेता को छोड़ दे तो यंग जितने भी नेता हैं वो कही ना कही आनंद मोहन के टीम का सदस्य रहा है।

लेकिन जोश भरने वाली भाषण शैली ,संगठन की समझ और राजपूत जैसे जाति को साथ लेकर चलने की ताकत रहने के बावजूद आज आनंद मोहन हाशिए पर है वजह अति महत्वाकांक्षा और राजनीतिक समझदारी का अभाव रहा राजनीति कुछ भी हो वैचारिक प्रतिबद्धता बहुत मायने रखता है लेकिन आनंद मोहन इससे समझौता करते रहे और फिर 1999 में राजद में शामिल हो गये जो इनके राजनीतिक जीवन के लिए वाटरलू साबित हुआ और उसके बाद वो फिर वो उबर नहीं पाये । आनंद मोहन एक बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं लवली आनंद एक बार सांसद रही है । 1995 से 2021 तक आनंद मोहन और उसका परिवार ऐसी कौन सी पार्टी नहीं है जिससे लवली आनंद चुनाव नहीं लड़ी ।

2– फिलहाल कांग्रेस में जाने के अलावे पप्पू यादव के पास कोई विकल्प नहीं है

यही समस्या पप्पू यादव के साथ भी है उस दौर में जब लालू प्रसाद एरा चरम पर था उस समय आनंद मोहन और पप्पू यादव के बीच आमने सामने की लड़ाई चल रहा था उस दौरान पप्पू यादव यादव युवा के हृदय सम्राट बन गये थे और उसी दौर में वो पूर्णिया से निर्दलीय सांसद बने थे ।

1996 के चुनाव में बिहार से बाहर की पार्टी सपा ने उन्हें पूर्णिया सीट से अपना उम्मीदवार बनाया और एक बार फिर पप्पू यादव को जीत हासिल हुई । 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव फिर से निर्दलीय चुनाव लड़े और पूर्णिया सीट से तीसरी बार सांसद चुने गए लेकिन 2000 लोकसभा चुनाव वो हार गये फिर पप्पू यादव 2004 में मधेपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की वो बाद में फिर राह जुदा कर लिये और उसके बाद फिर 2014 में राजद के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव जीते लेकिन एक वर्ष बाद ही लालू से अलग हो गये इस दौरान पप्पू यादव अपनी अपराधिक छवि से बाहर आने के लिए क्या क्या नहीं किया दिल्ली स्थित आवास को इन्होंने ऐसे बिहारी जिनका इलाज एम्स में चल रहा था ऐसे मरीज और उसके परिजनों के लिए दोनों शाम मुफ्त भोजन और रहने की व्यवस्था कर रखा था इसके अलावे व्यक्तिगत तौर पर ना जाने कितने लोगों को मदद पहुंचाया।

पटना में बारिश के कारण हुई तबाही का मंजर हो या फिर बाढ़ ,अपराध ,कोरोना हर जगह पप्पू यादव खड़ा रहा लेकिन चुनाव हुआ तो 2019 का लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारे मधेपुरा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का असर सुपौल पर पड़ा और पत्नी भी चुनाव हार गयी ।

2020 के चुनाव में वो खुद मधेपुरा जैसे विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गये मतलब राजनीति में इस तरह के काम के साथ साथ चुनावी गठजोड़ भी महत्व रखता है 2020 के चुनाव में ऐसा लग रहा था कि पप्पू यादव बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं इस छवि ने इनकी पूरी राजनीति की हवा निकाल दी ये भी आनंद मोहन की तरह अति महत्वाकांक्षा के शिकार हैं और राजनीति को आप जितना गाली दे दे लेकिन वैचारिक प्रतिबद्धता मायने रखता है वो भी तब जब देश दो विचारधाराओं में विभक्त है ऐसे में तीसरे विकल्प के लिए जगह जहां है लेकिन ये दोनों नेता हमेशा तीसरे विकल्प के चक्कर में राजनीति के हाशिए पर चले गये ।

कौन किसको नचा रहा है आज भी इस सवाल का हल नहीं मिला है – अभयानंद

कौन किसको खेला रहा है?

उम्र रही होगी 5 साल की। रहता था बिहार के छपरा शहर में जो पूरे सारण जिले का मुख्यालय हुआ करता था। मेरे पिताजी जिले के पुलिस कप्तान थे। छुट्टी का दिन था। कप्तान साहब का बेटा होने के नाते घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। बाहर से पहरा होता था।

रिश्ते के एक बड़े भाई हमारे यहाँ आए हुए थे। उम्र में मुझसे काफ़ी बड़े थे। भोजन पश्चात उन्होंने मुझे बताया कि वे घूमने निकल रहे हैं, मैं भी चल सकता हूँ। घर की सुरक्षा में रहते रहते ऊब गया था सो बिना सोचे ही हामी भर दी। दोनों पैदल निकल पड़े। कुछ ही दूरी पर, उन्होंने मुझे एक बड़े मैदान में लोगों के बीच बैठा दिया। हम एक फुटबॉल मैच देखने लगे। मैं ज़िन्दगी में पहली बार यह देख रहा था। समझने की कोशिश कर रहा था। कुछ सवाल बड़े भाई से करता, तो वे अधिक नहीं बताते क्यूंकि स्वयं तल्लीन थे। कुछ देर बाद, समझ आया कि लोग बॉल को पैर से मार कर, एक-दूसरे से छीनने का प्रयास कर रहे हैं। मैं देख पा रहा था कि बॉल के हिसाब से खिलाड़ी भागते और बॉल भी खिलाड़ियों के अनुसार मारा जाता। खेल समाप्त हुआ। कुछ लोग खुश नज़र आ रहे थे, तो कुछ दुखी।

लौटते समय, प्रश्न बराबर आ रहा था – इस खेल में बॉल खिलाड़ियों को नचा रहा था या खिलाड़ी बॉल को नचा रहे थे? घर पहुँच गया पर उत्तर नहीं मिला। अभी तक इस उत्तर की तलाश में हूँ।

रेलवे को हाईकोर्ट की फटकार कहा रेलवे कोई चैरेटिवल संस्था नहीं है।

पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को सभी ओर से जोड़ने के लिए बनाये जाने वाली सड़कों के निर्माण मामले पर सुनवाई की। इस दौरान रेलवे की ओर से सड़क निर्माण में आने वाले खर्च का हिस्सा देने में आनाकानी किये जाने पर कोर्ट ने रेलवे को कहा कि जब सुविधा नहीं दे सकते तो स्टेशन बंद कर दे।कोर्ट ने कहा कि रेलवे कोई चैरिटी नहीं कर रहा है। बिहार विकास की राह पर है।

कोर्ट के कड़ा रुख को देखते हुए रेलवे के वकील ने कोर्ट से एक समय की मांग की। ताकि कोर्ट के रुख से रेलवे के अधिकारियों को अवगत कराया जा सके। उनका कहना था कि सड़क निर्माण पर करीब एक सौ करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के पूर्व के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार आधा पैसा देने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि रेलवे को पूरा पैसा देना चाहिए। जब रेलवे ने स्टेशन बनाया है तो वहां पहुंचने के लिए रास्ता बनाने का काम उसे ही करना चाहिए।

डबल इंजन में दो अलग-अलग इंजन हैं, मालगाड़ी वाला और इलेक्ट्रिक। कब छितरा जाएगा, किसी को नहीं मालूम लालू प्रसाद

लालू यादव पर अब बिमारी भारी पड़ने लगा है आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तेजस्वी यादव के सरकारी आवास में आयोजित प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे ।

इस दौरान लालू प्रसाद में वो बात नहीं दिखी जिसको लेकर लालू प्रसाद जाने जाते हैं 20 मिनट के संबोधन के दौरान उनकी वो अदा और संवाद को वो तरीका भी नहीं दिखा जिसके लिए लालू प्रसाद जाने जाते हलाकि नीतीश कुमार और बीजेपी को लेकर उसी अंदाज में दिखे लेकिन वो धार नहीं था ।

क्या खास रहा लालू प्रसाद के संबोधन में

1—जेल जाने के लिए तैयार रहो
जेल से डरो नहीं
उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने कहा था कि जेल से ही स्वराज मिला है। इसलिए मित्रों, जेल भरो। जेल से नहीं डरो, पर सत्याग्रह से लोग डरते हैं। प्रदर्शन में मुकदमा हो जाता है, तो सभी कहते हैं मुकदमा हो गया। चुनाव के समय 107 होने पर डर जाते हैं। यह तो शांति व्यवस्था के लिए लगाया जाता है। जगदानंद सिंह को इश्यू पर या समस्या पर जेल भरो अभियान लाना चाहिए। इससे पार्टी में और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा ।

2—जाति जनगणना करा कर रहेंगे
लालू प्रसाद ने कहा कि जाति जनगणना नहीं होने से समाज के अंतिम पायदान के लोग पीछे छूट रहे हैं। हम लोग जाति जनगणना करा कर रहेंगे। देश का बजट इसी के हिसाब से बनेगा। गैर बराबरी की खाई इसी से खत्म होगी।

3—–तेजस्वी को सराहा
हमारी अनुपस्थिति में तेजस्वी के नेतृत्व में मामूली सीट नहीं आई है। हमारी सरकार तो जनता ने बना ही दी थी। अफसोस कि मैं जेल से बाहर नहीं था, नहीं तो बेईमानी को एक्सपोज करता। जो कम मार्जिन से हमारे लोग जीत रहे थे उनको हरवा दिया गया, लेकिन बिहार की जनता हमको फिर से राज देगी, इनके रोकने से नहीं रुकेगा। हमारी पार्टी लार्जेस्ट पार्टी है। डबल इंजन में दो अलग-अलग इंजन हैं, मालगाड़ी वाला और इलेक्ट्रिक। कब छितरा जाएगा, किसी को नहीं मालूम।

4–डां बाहर निकलने से मना कर रहे हैं —
अपनी बीमारी और बिहार आने पर लालू प्रसाद ने कहा कि डॉ राकेश यादव से हम आग्रह करते हैं कि हम बिहार जाएंगे, लेकिन ज्यादा पानी पीने पर रोक लगा दी गई है। एक लीटर पानी में ही जीना है। बिना पानी के हमको बर्दाश्त नहीं होता। कभी-कभी ज्यादा हो जाता है। इस बीच समय निकालकर हम बिहार आएंगे।

5–कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ने को लेकर लालू ने खोला पत्ता
कुशेश्वरस्थान में मुसहरों का उदय हुआ है। गणेश भारती वहां से उम्मीदवार हैं। वहां यादव, बिंद, मुस्लिम, मल्लाह हैं, पर मुसहरों की संख्या सबसे ज्यादा है। मुसहरों को मुख्य धारा में लाने के लिए मैंने काफी काम किया। डोम, हलखोर सबको मुख्य धारा में लाया। भोला राम तूफानी को मंत्री बनाया था।

उनसे हमने एक दिन पूछा कि हेलीकाप्टर पर चढ़े हैं कि नहीं? बोले – नहीं चढ़े हैं, चढ़वा दीजिए। हमने हेलिकॉप्टर दिया कार्यक्रम में जाने के लिए। वहां जाकर चारों तरफ ऊपर से घूमने लगे और लौट कर आए तो हंस कर बताया कि ‘लोग कहता कि ललुआ तो मंत्री बनवाइए दिहलन, अब ऊपर से मूतवावता।।।’ समाज के हर तबका को हमने टिकट दिया।

बीमार-थके, सजायाफ्ता लालू प्रसाद का अब कोई असर नहीं – सुशील कुमार मोदी

2010 में उनके धुआंधार प्रचार के बावजूद पार्टी 22 पर सिमट गई थी

बीमार, सजायाफ्ता और थके हुए लालू प्रसाद अब बिहार की राजनीति का इतिहास बन चुके हैं।
उनके सोशल मीडिया पर लिखने-बोलने या सीधे प्रचार में उतरने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता।
जब उनका परिवार ही उनकी बात नहीं सुन रहा और पार्टी पर पकड़ ढीली हो चुकी है, तब समझदार मतदाता उन्हें क्यों गंभीरता से लेंगे?

बिहार की पहली एनडीए सरकार का कार्यकाल पूरा होने पर जब 2010 में विधानसभा के चुनाव हुए थे,तब सरकार तीन चौथाई बहुमत से सत्ता में लौटी थी। राजद मात्र 22 सीटों पर सिमट गया था।
तब लालू प्रसाद जेल में नहीं थे। उनके धुआंधार प्रचार रूई के बादल की तरह उड़ गए थे।
लोगों ने लालू राज की वापसी रोकने और एनडीए के काम को फिर मौका देने के लिए जमकर वोट दिया था।
एनडीए पर आज भी जनता का भरोसा अटूट है।

डॉल्फिन दिवस पर डॉल्फिन के संरक्षण का लिया संकल्प ।

‘‘डाल्फिन दिवस – 2021’’ के अवसर पर ‘एशिया के मृदुजल सिटैसियन (डाल्फिन) के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन संजय सभागार, अरण्य भवन, पीर अली खान मार्ग, पटना से हाईब्रिड मोड में किया गया। इसका उद्घाटन ‘‘श्री नीरज कुमार सिंह’’, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के कर-कमलों द्वारा किया गया।

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रो॰ गिरीश कुमार चैधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय द्वारा की गयी। उक्त अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅल्फिन मैन के नाम से विख्यात एवं पद्मश्री प्रो॰ आर॰ के॰ सिन्हा, कुलपति, माता वैष्णों देवी विश्वविद्यालय, जम्मू, श्री दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार एवं प्रो॰ ए॰ के॰ घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, पटना उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह में श्री राजीव रंजन मिश्र, भा.प्र.से., महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली एवं डा॰ धृति बनर्जी, निदेशक, भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण, कोलकता द्वारा आॅनलाईन संबोधित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा इस अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल वक्ताओं के वक्तव्य के सार-संग्रह की ‘स्मारिका’ का विमोचन किया गया, जिसमें माननीय मुख्य मंत्री, बिहार द्वारा शुभकामना संदेश दिया गया।

साथ ही, कोसी-महानन्दा में डाॅल्फिन एवं उसकी पारिस्थितिकी पर एक वृतचित्र भी मुख्य अतिथि द्वारा रिलीज किया गया। इस पूरे कार्यक्रम को सोशल मीडिया यथा यू-टयूब, ट्विटर एवं फेसबुक पर लाईभ प्रसारित किया गया। इस एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में उद्घाटन कार्यक्रम के उपरान्त दो तकनीकी सत्र संचालित किये गये जिसमें देश-विदेश से डाॅल्फिन संरक्षण पर कार्य करने वाले नामचीन वैज्ञानिकों, शोधकत्र्ताओं, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून, आई॰यू॰सी॰एन॰, भारत, राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण, चेन्नई एवं भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण के प्रतिनिधियों द्वारा संबोधन किया गया।

श्री प्रभात कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी)-सह-मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, बिहार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
उद्घाटन समारोह के उपरान्त प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता पद्मश्री प्रो॰ आर॰ के॰ सिन्हा द्वारा करते हुए गांगेय डाॅल्फिन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर प्रारम्भिक संबोधन दिया गया।

उनके द्वारा गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना-सांगू-कर्णफुली नदियों को प्रवाह में बसने वाली गांगेय डाॅल्फिन के व्यवहार, उनकी संख्या स्वरूप एवं डाॅल्फिन पारिस्थितिकी पर निर्भर समुदायों तथा मानवीय गतिविधियों से डाॅल्फिन अधिवास को होने वाली क्षति पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। डा॰ गिल टी॰ ब्राॅलिक, युनिवर्सिटी आॅफ सेंट एन्ड्रयू (स्काॅटलैंड), यू॰के॰ द्वारा गंगा एवं सिंधु नदियों की डाॅल्फिन पर अपने दो दशकों के शोध का सार आॅनलाईन प्रस्तुत किया गया।

डा॰ नचिकेत केलकर, वन्यप्राणी संरक्षण ट्रस्ट, मुम्बई द्वारा नदियों में मछली प्रबंधन की आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किये गये। प्रो॰ बेनाजीर अहमद, बंगलादेश द्वारा बंगलादेश में सिटैसियन के संरक्षण पर वार्ता की गयी। डा॰ कमर कुरेशी, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा डाॅल्फिन के जाल में फँसने से मृत्यु तथा तेल हेतु उनके शिकार पर चर्चा करते हुए उसके निराकरण के उपायों पर वक्तव्य दिया गया।

प्रो॰ सुनील कुमार चैधरी, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा दक्षिण एशिया जलीय डाॅल्फिन हेतु संभावित खतरे एवं उनके निराकरण की आवश्यकता पर चर्चा की गयी। डा॰ समीर कुमार सिन्हा, भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट द्वारा सांेस (डाॅल्फिन) के संरक्षण हेतु पर्यावरणीय एवं वन्यप्राणी संरक्षण नियमों को लागू करने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की गयी। श्री संदीप कुमार बहेरा, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नदी पारिस्थितिकी तंत्र में गांगेय डाॅल्फिन की पर्यावरणीय भूमिका पर चर्चा करते हुए उसके संरक्षण पर बल दिया गया।

डा॰ दीप नारायण साह, नेपाल द्वारा नेपाल में गांगेय डाॅल्फिन की वर्तमान स्थिति, संभावित खतरे एवं संरक्षण-प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया गया। डा॰ विवेक सक्सेना, पूर्व भारतीय प्रतिनिधि, आई॰यू॰सी॰एन॰ द्वारा सिटैसियन स्पेशलिस्ट ग्रुप के कार्यों की जानकारी दी गयी तथा जलीय जैव-विवधता संरक्षण पर चर्चा की गयी। श्री जस्टिन मोहन, निदेशक, भारतीय जैव-विविधता प्राधिकरण द्वारा भारत में मृदुजल जैव-विविधता के संरक्षण पर संबोधन किया गया।

श्री सुनील कुमार, सहायक महानिदेशक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट डाॅल्फिन के लक्ष्यांे एवं डाॅल्फिन संरक्षण हेतु उसकी प्रतिबद्धता पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। डा॰ अब्दूल वाकिड, भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली में डाॅल्फिन की पारिस्थितिकी एवं उनके संरक्षण पर विचार प्रस्तुत किये गये। डा॰ गोपाल शर्मा, भारतीय प्राणिशास्त्र सर्वेक्षण, पटना द्वारा गंगा एवं कोसी में डाॅल्फिन एवं उसके अधिवास से संबंधित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के विषय में विस्तार से चर्चा की गयी।

डा॰ अनुपमा कुमारी, प्राणिशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय द्वारा डाॅल्फिन पर जहरीले जलीय पदार्थों से होने वाले प्रभाव पर विस्तृत वक्तव्य दिया गया। इसके अतिरिक्त अन्य वैज्ञानिकों एवं शोधकत्र्ताओं द्वारा भी संगोष्ठी के मुद्दे पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर श्री आशुतोष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (Hoff) बिहार, श्री प्रभात कुमार गुप्ता, श्री राकेश कुमार एवं श्री ए॰ के॰ प्रसाद, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, श्री अरविन्दर सिंह, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (कैम्पा), बिहार, श्री सुरेन्द्र सिंह, निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना, श्री गोपाल शर्मा, अंतरिम प्रभारी, राष्ट्रीय डाॅल्फिन शोध केन्द्र, पटना, वन विभागीय पदाधिकारीगण, पटना विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र-छात्रायें एवं मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

दिल्ली में बिहार लोक सेवा केंद्र की हुई शुरुआत

बिहार सदन द्वारका में लोक सेवा केंद्र की शुरुआत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने किया लोकार्पण

“लोक सेवा प्रदान करने वाला बिहार भवन दिल्ली में देश का पहला राज्य भवन”: प्रधान सचिव

नई दिल्ली, मंगलवार, 5 अक्टूबर

मंगलवार को नई दिल्ली के द्वारका सेक्टर-19 स्थित बिहार सदन में ‘बिहार लोक सेवाओं का अधिकार’ केंद्र की शुरुआत की गई। माननीय मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने पटना से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से लोक सेवा केंद्र का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पटना से डॉ. प्रतिमा (भा.प्र. से), अपर मिशन निदेशक, बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी, सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार सरकार एवं दिल्ली में श्रीमती पलका साहनी (भा.प्र.से), स्थानिक आयुक्त, बिहार भवन, मौजूद थीं।

ग़ौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में स्थित बिहारवासी वर्ष 2012 से चाणक्यपुरी स्थित बिहार भवन लोक सेवा केंद्र में ई-सेवाओं के माध्यम से विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। ई सेवाओं के माध्यम से दिल्ली स्थित बिहार के लोगों ने आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, समेत अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ उठाया है। यहाँ मौजूद प्लॉटर मशीन की सहायता से अब तक 500 राजस्व मानचित्र निर्गत किये जा चुके हैं।

सरकारी सेवाओं को नियत समय सीमा में पारदर्शी एवं सुलभ तरीके से ऑनलाइन ई-सेवा पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराने हेतु बिहार सदन द्वारका में भी लोक सेवाओं की पहल की गई है।

सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से यहाँ ‘मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता राशि’ के लिए आवेदन भी किये जा सकेंगे। बिहार भवन के तर्ज पर बिहार सदन, द्वारका में भी प्लॉटर मशीन की सुविधा बहाल की जाएगी। बिहार सदन लोक सेवा केंद्र में आईटी प्रबंधक और आईटी सहायक लोगों की सेवा में मौजूद रहेंगे।

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने अपने संबोधन में कहा, ‘ये बहुत ख़ुशी की बात है कि इतने कम समय मे बिहार सदन की लोक सेवा केंद्र की शुरुआत की गई है। बिहार भवन में सफलतापूर्वक इस सेवा का क्रियान्वयन किया जा रहा है। अन्य किसी राज्य के मुक़ाबले दिल्ली में ऐसी सुविधा प्रदान करने वाला बिहार भवन पहला राज्य भवन है। मुझे विश्वास है कि बिहारवासियों को लोक सेवाओं की सुविधा का लाभ मिलेगा। मैं स्थानिक आयुक्त को धन्यवाद देता हूँ।”

डॉ. प्रतिमा (भा.प्र. से), अपर मिशन निदेशक, बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी, सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार सरकार ने अपने संबोधन में कहा, “बिहार सदन में लोक सेवा केंद्र की शुरुआत एक प्रशंसनीय क़दम है। इससे बिहार के लोग जो दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं उन्हें कई आवश्यक प्रमाणपत्र हासिल करने में आसानी होगी।”

स्थानिक आयुक्त श्रीमती पलका साहनी (भा.प्र.से) ने अपने संबोधन में कहा, ”माननीय मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार का बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने बिहार सदन में लोक सेवा केंद्र का लोकार्पण किया। लोक सेवा केंद्र की बिहार भवन इकाई के द्वारा अब तक 1.5 लाख से ज़्यादा सर्टिफिकेट निर्गत किये जा चुके हैं। वहीं, वर्ष 2012 से अब तक मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना के तहत लगभग 45 करोड़ की राशि का भुगतान 5600 मरीजों को किया जा चुका है। भौगोलिक रूप से बिहार सदन, द्वारका बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में बिहार सदन का लोक सेवा केंद्र बिहारवासियों को बहुत सहूलियत प्रदान करेगा।”

इस लोक सेवा केंद्र का समय सभी कार्यदिवसों को प्रातः 10 बजे से शाम 5 बजे तक रहेगा। बिहार सदन लोक सेवा केंद्र लोकार्पण के अवसर पर बिहार सरकार के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला तेजस्वी के लिए आत्मधाती हो सकता है

बिहार विधानसभा के दो सीटों पर होने वाली उप चुनाव को लेकर बिहार में सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया है ।जदयू के लिए इन दोनों  सीटों पर चुनाव जीतना पार्टी के जीवन और मरण से जुड़ा हुआ है। वही राजद इस चुनाव के सहारे यह तय करना चाह रही है कि आने वाले समय में महागठबंधन का स्वरूप क्या होगा।

जदयू उप चुनाव में दोनों सीट पर जीत हासिल करे इसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है और पार्टी में चल रहे अंतर्विरोध पर विराम लगाते हुए नीतीश कुमार ने कुशेश्वर स्थान विधानसभा उप चुनाव का कमान आरसीपी सिंह को दिया है और तारापुर का कमान ललन सिंह को दिया है।

वही ऐसा लगा रहा है जैसे राजद 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर कांग्रेस की क्या हैसियत रहेंगी इसको लेकर लड़ाई लड़ रहा है।बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तेजस्वी के सामने प्राथमिकता मिल कर चुनाव लड़ने की होनी चाहिए थी क्यों कि उपचुनाव में जदयू दोनों सीट हार जाती है तो तेजस्वी और मजबूत होंगे।

लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से तेजस्वी के साथ बिहार के युवा जुड़े उससे तेजस्वी का विश्वास चरम पर है ऐसे में तेजस्वी बिहार विधानसभा के इस उप चुनाव के सहारे कांग्रेस के कन्हैया फैक्टर और चाचा नीतीश से एक साथ दो दो हाथ करने की तैयारी कर ली हालांकि जानकार कहते हैं तेजस्वी का यह फैसला आत्मघाती भी साबित हो सकता है और इस बात को लालू प्रसाद बखूबी समझ भी रहे हैं और यही वजह है कि लालू प्रसाद पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में बीमार रहने के बावजूद प्रचार करने का फैसला लिया है।

1–नीतीश कुमार का राह आसान हो गया  
2020 के विधानसभा चुनाव का जो परिणाम सामने आया था उससे नीतीश को काफी धक्का लगा भले ही नीतीश के उस हार का सेहरा चिराग के सिर बंधा था लेकिन सच्चाई ये भी था कि बिहार की जनता नीतीश से उब चुकी थी और कुछ नया करना चाह रही थी अभी भी नीतीश कुमार को लेकर जमीन पर अभी भी नजरिया नहीं बदला है लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी कांग्रेस को अलग करके महागठबंधन को तोड़ा है उससे नीतीश कुमार की राह आसान हो गयी ।

क्यों कि कांग्रेस से अलग होने की स्थिति में इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में चिराग फैक्टर कमजोर पड़ जायेगा क्यों कि नीतीश विरोधी वोट उस तरह के आक्रमक नहीं हो पाएगा जैसा 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला था ।ऐसा इसलिए होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग के साथ पासवान छोड़कर जो भी वोटर जुड़े थे उनकी एक ही मंशा था नीतीश को हराना है लेकिन इस उप चुनाव में कांग्रेस के अलग होने से नीतीश से नाराज वोटर चिराग के साथ पूरी तौर चला जायेगा ऐसा होता दिख नहीं रहा है क्यों कि नाराज वोटर के चिराग के साथ जाने के बावजूद नीतीश कुमार हारते हुए नहीं दिख रहे हैं ऐसे में बिहार को कोई वोटर अपना वोट बर्वाद नहीं करना चाहेगा क्यों कि बिहार के वोटरों का लक्ष्य स्पष्ट रहता है ।

 वैसे महागठबंधन साथ चुनाव लड़ता तो कुशेश्वर स्थान जहां कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक राम का अपना व्यक्तिगत संबंध 1980 से है जब उनके पिता बालेश्वर राम रोसड़ा से लोकसभा चुनाव लड़े थे और वो संबंध पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा है ।इसलिए राजद पूरी ताकत भी झौक देगी तब भी यादव और मुस्लिम वोट में 20से 30 प्रतिशत डिवीजन कराने में कामयाब हो जायेंगे इसके अलावा दलित में राम जाति का भी वोट वहां है।

वही बात चिराग की करे तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनका उम्मीदवार 13 हजार से अधिक वोट लाया था फिर भी जदयू सात हजार से अधिक वोट से जीत गया था इस बार अगर महागठबंधन साथ रहता तो चिराग यहां करिश्मा कर सकता था क्यों कि रामविलास पासवान का ननिहाल कुशेश्वर स्थान ही है और रामविलास पासवान और रामचंद्र पासवान रोसड़ा लोकसभा से जब चुनाव लड़ते थे उस समय कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ता था इसलिए रामविलास पासवान का भी इस इलाके से घरेलू रिश्ता रहा है और इस इलाके के ब्राह्मण और राजपूत वोटर से इनका व्यक्तिगत रिश्ता रहा है लेकिन महागठबंधन टूटने से चिराग खास करके सवर्ण वोटर जो जदयू प्रत्याशी शशी हजारी से खासा नाराज है ऐसे में चाह करके भी वोट नहीं दे पाएंगा क्यों कि इस स्थिति में राजद उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है अगर कांग्रेस रहता तो यहां को सवर्ण वोटर यह दांव खेल सकता था।

ऐसी ही स्थिति तारापुर विधानसभा में भी उत्पन्न हो सकती है चिराग के प्रत्याशी को  2020 के चुनाव में यहां सात हजार के करीब वोट आया था इस बार सात हजार वोट भी आ जाये तो बड़ी बात होगी क्योंकि यहां भी गठबंधन टूटने का असर दिखेगा अगर पप्पू यादव कांग्रेस से लड़ गया तो फिर राजद का हार निश्चित है ।

 2– अब उपचुनाव में तेजस्वी का साख दाव पर लग गया है 
हालांकि महागठबंधन साथ साथ चुनाव लड़ता और जदयू चुनाव जीत भी जाती तो राजद के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन अब अगर राजद दोनों सीट हार जाती है और कांग्रेस मुस्लिम वोट में डिवीजन कराने में कामयाब हो जाती है तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में चुनाव में राजद उस हैसियत में चुनाव नहीं लड़ पायेंगी जिस हैसियत राजद 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था वही दूसरी और जिस तरीके से कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा सहित कई विधायक राजद से दो दो हाथ करने की बात रह रहे हैं ऐसे में कांग्रेस आलाकमान थोड़ा कमजोर पड़े तो उप चुनाव बाद कांग्रेस के विधायकों में बड़ी टूट हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

 इसलिए तेजस्वी का यह दाव आत्मघाती साबित हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि कांग्रेस के अलग होने से नीतीश कुमार एक बार फिर मजबूत हो सकते हैं और ऐसे में नीतीश कुमार बीजेपी से और अधिक से अधिक मोलजोल करने की स्थिति में आ जायेंगे ।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी 27 लॉ कालेजों की संबद्धता के मामले की सुनवाई की।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी 27 लॉ कालेजों की संबद्धता के मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को inspection रिपोर्ट तीन सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया।

साथ ही कोर्ट ने कॉउन्सिल को जिन कॉलेजो को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी है, वहां व्यवस्था सम्बन्ध व सुविधाओं के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने को कहा है।

पिछ्ली सुनवाई में कोर्ट ने सभी लॉ कालेजों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष एक सप्ताह में निरीक्षण हेतु आवेदन देने का निर्देश दिया था। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया इन कालेजों का वर्चुअल या फिजिकल निरीक्षण करने का निर्देश दिया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निरीक्षण कमेटी का रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया के संबंधित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना था। यह कमेटी इनके रिपोर्ट पर निर्णय लेगी।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह देखेगी कि विधि शिक्षा, 2008 के नियमों का पालन इन शिक्षण संस्थानों में किया जा रहा है या नहीं। इन लॉ कालेजों को पुनः चालू करने के लिए अस्थाई अनुमति देते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी प्रकार के नियमों में ढील नहीं देगी।

पिछली सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी लॉ कालेजों में नामांकन पर रोक लगा दिया था। इससे पूर्व चांसलर कार्यालय, राज्य सरकार, संबंधित विश्वविद्यालय व अन्य से जवाब तलब किया गया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश किया था, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य में जो लॉ कालेज हैं, उनमें समुचित व्यवस्था नहीं है। योग्य शिक्षकों व प्रशासनिक अधिकारियों की भी काफी कमी हैं। इसका असर लॉ की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

साथ ही साथ बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के किसी भी सरकारी व निजी लॉ कालेजों में रूल्स ऑफ लीगल एजुकेशन, 2008 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है।

राज्य में सरकारी व निजी लॉ कालेज 27 हैं, लेकिन कहीं भी पढ़ाई की पूरी व्यवस्था नहीं होने के कारण लॉ की पढ़ाई का स्तर लगातार गिर ही जा रहा है।इस मामले पर 3 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

पटना हाई कोर्ट सेवानिवृत जजों को मकान खाली करना पड़ सकता है हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट के जजों के सेवानिवृत होने के कई महीनों बाद भी अपने सरकारी आवास खाली नहीं करने के मामलें में पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई की। अधिवक्ता दिनेश कुमार की जनहित याचिका चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ मे सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए 15 नवंबर,2021 तक की मोहलत ली।

अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया गया है कि सेवानिवृत जज जस्टिस दिनेश कुमार सिंह, जस्टिस अंजना मिश्रा,जस्टिस पी सी जायसवाल और जस्टिस ए के त्रिवेदी कई माह पहले सेवा निवृत हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अब तक सरकारी आवास खाली नहीं किया है।


उन्होंने बताया कि जस्टिस दिनेश कुमार सिंह अक्टूबर, 2020,जस्टिस पी सी जायसवाल दिसम्बर, 2019 और जस्टिस ए के त्रिवेदी अगस्त,2020ं में अपने पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। पर वे अभी भी सरकारी आवास में बने हुए हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि जजों के सेवानिवृत होने के एक महीने के भीतर उन्हें सरकारी आवास खाली करने का प्रावधान है।अगर वे एक महीने के बाद भी सरकारी आवास में रहते हैं,तो उन्हें आवास में रहने के लिए प्रावधान के अनुसार किराया देना होगा।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अगर कोई राजनीतिज्ञ या नौकरशाह अपना सरकारी आवास खाली नहीं करते है, तो कोर्ट उन्हें सरकारी आवास खाली करने का आदेश देता है। लेकिन उनके द्वारा सेवानिवृत होने के बाद सरकारी आवास खाली नहीं किया जाना गंभीर मामला है।

उन्होंने कोर्ट से इस सम्बन्ध में उचित आदेश पारित करने का अनुरोध किया है, ताकि सेवानिवृत जज अपने सरकारी आवास को खाली कर दे।इस मामले पर 15 नवंबर, 2021 को फिर सुनवाई होगी।

पप्पू यादव के जेल से बाहर आने से राजद की बैचेनी बढ़ी

जेल से बाहर निकलते हैं पूर्व सांसद और जाप नेता राजद और भाजपा पर जमकर निशाना साधा है मीडिया से बात करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि राजद भाजपा दोनों मिला हुआ है ईडी सीबीआई की छापेमारी हुई क्या हुआ सबके सब मिले हुए हैं।
जल्द ही इस खेल का खुलासा करेंगे

राजद बीजेपी की बी टीम पप्पू यादव

तेजस्वी चाहते हैं, बिहार फिरौती के लिए डाक्टरों के अपहरण का दौर भुला दे — सुशील कुमार मोदी

तेजस्वी प्रसाद यादव “डायलॉग विद डाक्टर्स ” में अपनी पार्टी के शासन काल की अराजकता, फिरौती के लिए डाक्टरों के अपहरण और अस्पतालों को दुर्दशा की कड़वी सच्चाइयों को भुला देने की बात करते हैं।

ये बातें न लोग भूले हैं और न कोई प्रबुद्ध समाज राजद के राजनीतिक अपराधों को कभी भुला ही सकता है।
जो अतीत से सबक लेकर वर्तमान को नहीं सुधारते, वे पीछे रह जाते हैं। तेजस्वी पिछली सरकारों के अपराध भुलाने की घुट्टी पिलाना चाहते हैं।

तेजस्वी यादव बतायें कि उनके माता-पिता के राज में एक भी नया मेडिकल कालेज क्यों नहीं खुला?
राजद के शासन में नर्सें केरल से आती थीं, क्योंकि राज्य में नर्सिंग ट्रेनिंग के संस्थान नहीं खुले।
एनडीए सरकार ने न केवल नये मेडिकल कॉलेज खुलवाये, बल्कि उनमें नर्सिंग की पढाई की भी व्यवस्था की।
एनडीए सरकार में चिकित्सा व्यवस्था बेहतर हुई, जिससे अस्पतालों में मरीजों का फुट फॉल कई गुना बढा।

अमीन बहाली में धांधली को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अमीन के पद पर की जाने वाली नियुक्ति के लिये बनाये गए सूची को निरस्त करने के लिये दायर रिट याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने नारायण चौधरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के साथ साथ राजस्व एवम भूमि सुधार बिभाग के प्रधान सचिव और बिहार संयुक्त तकनीकी परीक्षा सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जबाब देने के लिए चार सप्ताह की मोहलत दी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राज कुमार राजेश ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने सूबे में अमीनों के 1767 पदों पर नियुक्ति के लिए 21 दिसंबर 2019 को एक विज्ञापन निकाला था। विज्ञापन के बाद इस पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों ने अपना आवेदन जमा किया।

सरकार द्वारा नियुक्ति के हेतु आवेदनों की छंटनी कर एक सूची वेवसाईट पर डाली गई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि जो सूची वेवसाईट पर अपलोड किया गया, उसमे ज्यादातर वैसे लोगों का नाम शामिल था, जिनके पस इस पद पर नियुक्त होने के लिए निर्धारित तकनीकी योग्यता नही थी।

जिन लोगों के पास इस पद के लिये निर्धारित तकनीकी योग्यता था ,उनका नाम इस सूची में शामिल नही था।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि इस तरह के गैर तकनीकी लोगों की नियुक्ति करने के लिये सरकार ने पहले भी प्रयास किया था। इसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था।।
इसके बाद भी फिर उसी प्रकार का लिस्ट सरकार बना रही है ,जो कि गलत और प्रावधानों का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सरकार द्वारा बनाये गए सूची को निरस्त कर अमीन पद पर नियुक्ति के लिए तकनीकी योग्यता रखने वाले लोगों की सूची बनाने का निर्देश राज्य सरकार को दे।

उनकी योग्यता और सर्वे सेटलमेंट एक्ट में निर्धारित योग्यता के अनुसार बनाने का निर्देश सरकार को दिया जाय।इस मामले पर अगली सुनवाई फिर चार सप्ताह बाद होगी।

नीति आयोग ने बिहार के साथ न्याय नहीं किया है — नीतीश कुमार

सीएम नीतीश कुमार जातीय जनगणना और नीति आयोग के रिपोर्ट पर जमकर बोले उन्होंने कहा कि विधानसभा उपचुनाव के बाद सभी दल बैठेंगे। मुझे भरोसा है की जातीय जनगणना पर बिहार में सर्वसम्मति से कोई निर्णय लिया जाएगा फिर आगे क्या करना है इस पर विचार किया जायेंगा।


वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि देश के सभी राज्यों को मापने का एक आधार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो विकसित राज्य हैं और जो पिछड़े हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखा जाना चाहिए। इससे पिछड़े राज्यों को आगे लाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद बिहार है लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से 12वें स्थान पर है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर काम हुए हैं। याद करिए बिहार के अस्पतालों में कुत्ता सोया करता था उस दौर ये बिहार यहां पहुंचा आईजीआईएमएस काम नहीं कर रहा था। अब कितना अच्छा काम कर रहा है। नीति आयोग को पता है कि हमलोग पीएमसीएच को कितने बड़े अस्पताल के रूप में कन्वर्ट कर रहे हैं। देश में ऐसा अस्पताल नहीं है। 5400 बेड का अस्पताल बन रहा है, जिसका काम शुरू हो गया है।

तय कर दिया की चार साल के अन्दर यह काम पूरा होगा। प्रधानमन्त्री के जन्मदिन पर 33 लाख टीकाकरण किया। बापू के जन्मदिन पर 30 लाख का टीकाकरण किया गया, लेकिन काम भी देखना चाहिए। स्वास्थ्य मामलों को लेकर जो रिपोर्ट आई है, उस पर हम लोग अपनी बात नीति आयोग को भेजेंगे और अगली बार मैं खुद नीति आयोग के बैठक में शामिल होंगे ।