आज पटना में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री Nitish Kumar जी की अध्यक्षता में जातीय गणना को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल हुआ। इस बात की सहमति वय्क्त की गई कि जातीय एवं जाति में भी उपजातिय आधारित सभी धर्मों की गणना या सर्वेक्षण होगा।
भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं। अभी माननीय नरेंद्र मोदी जी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं। हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते।
मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री जी के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा।
पहला जातीय एवं उप जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए।



दूसरा सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति पिछड़े नहीं बन जाएं।
ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है ।
तीसरा भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4:30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है । यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।