भारतीय राजनीति को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से पत्रकारों ने सवाल किया तो वीपी सिंह ने कहा था कि भारत विविधताओं का देश है यहां जाति ,धर्म ,क्षेत्रवाद ,और सामाजिक मान्यताओं को लेकर व्यापक स्तर पर विरोधाभास है ।ऐसे में जो राजनीतिक दल जाति,धर्म,क्षेत्रवाद और सामाजिक मान्यताओं को लेकर व्याप्त विरोधाभास का बेहतर समन्वय करेंगा वही पार्टी भारतीय राजनीति में सफल हो सकता है ।भारतीय राजनीति को समझना है तो इससे बेहतर कोई दूसरा सूत्र नहीं है ।
यूपी चुनाव के परिणाम को लेकर कल मैंने एक पोस्ट लिखा था कि बीजेपी भेले ही चुनाव जीत रहा है लेकिन बीजेपी का जो आधार वोट रहा है सवर्ण ,बनिया के साथ साथ मीडिल क्लास और पढ़ा लिखा तबका चुनाव दर चुनाव उससे दूर होता जा रहा है और आज भी अति पिछड़ा और दलित लाभकारी योजनाओं के साथ साथ क्षेत्रीय दल की वजह से भले ही बीजेपी को वोट मिल जा रहा है लेकिन इस वर्ग में अभी भी बीजेपी का प्रवेश नहीं हो सका है ।यूपी चुनाव में बीजेपी के जीत को लेकर महिला वोटर और मुफ्त अनाज योजना को लेकर बड़ी बड़ी बातें हो रही है लेकिन चुनाव का परिणाम इसके ठीक उलट में यूपी के जिस इलाके में पुरुष की तुलना में महिला वोटर सबसे अधिक वोट किया वहां बीजेपी का खासा नुकसान हुआ है उसी तरीके से जिस इलाके में मुफ्त अनाज योजना का लाभ सबसे अधिक लोगों ने उठाया उस इलाके में भी बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा।
इतना ही नहीं जिस इलाके में बीजेपी का परम्परागत वोट सबसे अधिक प्रभावी था उस इलाके में भी बीजेपी के बड़ा नुकसान हुआ है जी है हम बात कर रहे हैं पांचवां, छठा और सातवां चरण के चुनाव का जहां सबसे अधिक महिला वोट किया ,मुफ्त अनाज योजना को सबसे अधिक लाभ इसी इलाके के लोगों ने उठाया है और परिणाम पर गौर करे तो अंबेडकर नगर, आजमगढ़ और गाजीपुर जिले में भाजपा का खाता तक नहीं खुला।
इतना ही नहीं जौनपुर जिला के 9 सीटें में (6 सपा गठबंधन & 3 भाजपा गठबंधन)जीत दर्ज किया है।भदोही जिले में 3 सीट है जिसमें (2 सपा गठबंधन & 1 भाजपा गठबंधन)मऊ जिले में 4 सीटें है जिसमें (3 सपा गठबंधन & 1 भाजपा गठबंधन),बलिया जिला जहां 7 सीट है वहां (4 सपा गठबंधन, 2 भाजपा गठबंधन & 1 बसपा)को जीत मिली है ।बनारस और गोरखपुर के कमीश्नरी में सभी 17 और 28 में 27 सीटों पर जीत नहीं मिलती तो बहुमत को लेकर समस्या खड़ी हो जाती ये वही इलाके से जहाँ राजभर और पल्लवी पटेल ने बीजेपी के अतिपिछड़ा वाले वोट में सेंध लगा दी वही सवर्ण और बनिया के साथ साथ बीजेपी का जो परंपरागत वोटर था वो या तो वोट गिराने मतदान केन्द्रों नहीं पहुंचे या फिर जिस पार्टी से जिस बिरादरी का उम्मीदवार था उसको वोट कर दिया बलिया में राजपूत,गाजीपुर में भूमिहार वोटर बीजेपी के साथ पूरी तौर पर खड़ा नहीं रहा है जबकि एक मुख्यमंत्री के उम्मीदवार है और दूसरा के पास मनोज सिन्हा जैसा नेता है फिर भी अन्य फेज की तरह वोट नहीं किया मतलब सपा जिन इलाकों में जो विरोधाभास था उसका बेहतर समन्वय करने में कामयाब रही वहीं सपा सफल रहा।
ऐसे में संदेश साफ है कि बिहार और यूपी जैसे राज्यों में जो क्षेत्रीय दल है उनकी वापसी तभी संभव है जब वो अपने चरित्र में बदलाव लाये मुस्लिम और यादव में जो अपराधी प्रवृत्ति से नेता है उससे दूरी बनानी पड़ेगी क्यों कि बिहार और इस बार यूपी में भी राजद और सपा के हार के पीछे एक बड़ी वजह मुलायम,अखिलेश और लालू राबड़ी राज्य में कानून व्यवस्था का जो हाल था उसको लेकर आज भी वोटर इन दोनों पार्टियों से स्वाभाविक दोस्ती बनाने से परहेज करते हैं और इसी का लाभ बिहार में नीतीश और यूपी में बीजेपी उठा रहा है।जीती हुई टीम की क्या कमजोरी है इस पर चर्चा होती नहीं है लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को अपना का साथ छूट रहा है ये साफ दिख रहा और जो पार्टी बीजेपी के कोर वोटर को साधने में कामयाब होगे आने वाला कल उसका होगा यह बिहार के बाद यूपी का चुनाव परिणाम भी चीख चीख कर कह रहा है ।