जदयू के संसदीय दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा और शरद यादव के बीच बंद कमरे में दो घंटे तक चली बैठक के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गयी है और अटकलों का दौड़ शुरु हो गया है कि शरद यादव की घर वापसी हो रही है क्या।
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद नीतीश कुमार अपने तमाम पूराने सहयोगियों के साथ लगातार सम्पर्क में है और उनके पार्टी में वापसी को लेकर खुद पहल कर रहे हैं और उस कड़ी की शुरुआत उपेन्द्र कुशवाहा के जदयू में शामिल होने से हुआ था ,और उसके बाद पूर्व विधायक मंजीत सिंह पूर्व विधान पार्षद विनोद कुमार सिंह सहित दो दर्जन से अधिक नेताओं की घर वापसी हुई है।
हलाकि शरद यादव की वापसी के सवाल को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा सहित पार्टी के अधिकांश नेता खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है लेकिन जिस तरीके से उपेन्द्र कुशवाहा मुलाकात की तस्वीर को सार्वजनिक किये हैं उससे कही ना कही यह लग रहा है कि अंदर खाने में कुछ ना कुछ खिचड़ी पक रही है।
क्यों कि नीतीश कुमार जिस तरीके से चिराग को निशाने पर ले रहे हैं ऐसे में बिहार में वापसी के लिए यादव वोट में डिवीजन कराने वाले बड़े चेहरे की जरुरत है भले ही इस बार कोसी का वो इलाका जदयू की प्रतिष्ठा को बचा लिया लेकिन आने वाले समय में जिस तरीके से विजेन्द्र यादव और नरेन्द्र नरायण यादव जैसे नेता बढ़ती उम्र के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हो रहे हैं ऐसे में जदयू की परेशानी आने वाले समय में बढ़ सकती है ।
इसलिए शरद यादव सिर्फ बिहार की चुनावी राजनीति के लिए ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर तीसरे मोर्चे को लेकर कोई सम्भावना बनती है तो उस समय शरद यादव की भूमिका महत्वपूर्ण हो जायेंगी क्यों कि इनका रिश्ता कांग्रेस से भी और लालू से भी बेहतर है। ऐसे में शरद आज की राजनीति में नीतीश की जरुरत है इस स्थिति में आने वाले समय में शरद यादव की वापसी हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।