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पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 3 सप्ताह का मोहलत दिया।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निदेशक प्रमुख,स्वास्थ्य सेवा और सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने को गम्भीरता से लिया थ।पूर्व की सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था।मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में कहा था कि इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं।साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था,लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी।

याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी।

इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह के फिर सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा कि बदली राज्य सरकार की इस सम्बन्ध में क्या नीति है।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा।कोर्ट ने कहा कि नई राज्य सरकार यह स्पष्ट करें कि पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में बने अतिक्रमित भवनों को तोड़े जाने की कार्रवाई जारी रहेगी या नहीं।

इससे पहले की सुनवाई में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बहस की थी।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी मकान बने है,उनका निर्माण वैध ढंग से नहीं किया गया है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवास बोर्ड ने जो भी नियमों के उल्लंघन मकान बने है,उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया,लेकिन वे नहीं आवास बोर्ड के समक्ष नहीं आए।

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आज कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी संतोष कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष बहस किया।उन्होंने कहा कि राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में हटाने की कार्रवाई सही नहीं थी।हटाने के पूर्व संचार माध्यमों में उन्हें नोटिस दे कर जानकारी देना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि नागरिकों को मनमाने ढंग से नहीं हटाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि या तो उन्हें उचित मुअबजा दिया जाए या उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 30 अगस्त,2022 को होगी।

नाबालिग लड़की के साथ गैंग रेप और हत्या के नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए एक याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर

पटना हाई कोर्ट में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंग रेप और हत्या के नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए एक याचिका दायर की गई है। मृतिका संध्या कुमारी के परिजनों ने ये याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि मुज़फ़्फ़रपुर थाना कांड संख्या 258/22, धारा- 363, 364, 376, 302, 328 एवं पोक्सो एक्ट की धारा 4, 6 एवं 8 में नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए ये याचिका दायर की गई है।याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि केस में नामजद अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए एवं इस केस की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जाए।

साथ ही इस केस में कार्रवाई नही कर रहे पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध भी विभागीय कार्यवाही चलाई जाए।

अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि दिनांक 26 अप्रैल, 2022 को याचिकाकर्ता की पुत्री अपने घर से बाहर गयी थी, लेकिन वह वापस नही लौटी ।इसके बाद परिजन वालों ने अपनी पुत्री को बहुत खोजने का प्रयास किया, परन्तु वह नही मिली।

उसी दिन रात 12.47 बजे एक कॉल आया, जिसमे याचिकाकर्ता की पुत्री की आवाज सुनाई दी और वह दर्द से कराह रही थी। जिसके बाद फोन कट गया और पुनः प्रयास करने पर मोबाइल बंद मिला।

सुबह में ग्रामीणों ने बताया कि याचिकाकर्ता की पुत्री की मृत शरीर पोखर में पड़ा मिला।

इसके बाद परिजनों ने घटना स्थल पर जाते समय देखा कि गांव के ही मो0 वसीम खान के द्वारा याचिकाकर्ता की पुत्री को बोलेरो कार से लेकर कहीं ले जाया जा रहा है। वह बोलेरो मोहम्मद वसीम के घर पर जाकर रुकती है और फिर मोहम्मद वसीम के परिवार वाले गाड़ी में बैठते है।

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उसके बाद वैष्णवी हॉस्पिटल, मुज़फ़्फ़रपुर याचिकाकर्ता की पुत्री को लेकर जाते हैं, जहाँ याचिकाकर्ता की पुत्री के परिजन भी पहुँचते हैं ।

अपनी पुत्री से बात करते हैं, तो याचिकाकर्ता की पुत्री द्वारा बताया जाता है कि लगभग 8 लोग द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया और जहर पिलाया गया। इसमें संध्या ने चार लोगों का नाम भी लिया था। जिसमे से एक व्यक्ति मोहम्मद वसीम खान को गिरफ्तार कर लिया गया है

लेकिन अभी भी तीन नामजद अभियुक्त पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं।अधिवक्ता ने अपनी याचिका में मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली पर भी सवाल उठाया है औऱ ठीक ढंग से कार्य नही कर रहे पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही करने की भी मांग की है।

पटना हाईकोर्ट ने शादी समेत अन्य समारोहों में राज्य भर में किये जाने वाले हर्ष फायरिंग के मामले पर सुनवाई की

पटना हाई कोर्ट ने शादी समेत अन्य समारोहों में राज्य भर में किये जाने वाले हर्ष फायरिंग के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा है कि कितने केसों में अनुसंधान पूरा किया गया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता का कहना था कि हर्ष फायरिंग में कई निर्दोष लोगों घायल हो जाते हैं और कितने की तो जान भी चली जाती है।इसलिए इस मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई सख्त ढंग की जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में एक सख्त गाइडलाइंस जारी की जानी चाहिए। जनहित याचिका में राज्य के चीफ सेक्रेटरी व डी जी पी समेत अन्य को पार्टी बनाया गया है।

इस मामले पर अगली सुनवाई अब आगामी 29 अगस्त, 2022 को की जाएगी।

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कालेजों द्वारा यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जो धनराशि कालेजों को दी जाती है,इसकी जिम्मेदारी किसी के द्वारा नहीं लेना गंभीर मामला है।

कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों के वीसी और यूजीसी को हलफनामा दायर कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।यूजीसी उसके बाद एक सप्ताह में कार्रवाई करेगा।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कालेजों की संख्या 325 है।इन कालेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कालेजों द्वारा 124 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को प्रस्तुत नहीं किया गया है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कालेजों द्वारा दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा किये गए, तो सम्बंधित वीसी का वेतन रोक दिया जाएगा।

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कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि कालेजों द्वारा निर्धारित परफॉर्मा पर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए गए, तो इसकी जांच कोर्ट कमिश्नर से कराई जा सकती हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 8सितम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव को इस मामलें में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामा पर अगली सुनवाई में दायर करने का निर्देश दिया

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को ये भी बताने को कहा कि आगे इस मामलें में क्या कार्रवाई करने की योजना है।

आज कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं हैं।उन्होंने बताया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामलें आए थे।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे।इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए।इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और अढाइ लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए।

महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत किये है।कुछ दिनों में क्षतिपूर्ति की राशि पीडितों के बीच वितरित कर दिया जाएगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि किन किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामलें दर्ज किये गए।मानव शरीर से बिना सहमति के अंग निकाला जाना गंभीर अपराध है।इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगानी जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की बड़ी संख्या होने की सम्भावना है। बीमा राशि लेने के चक्कर में 82 पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 6 सितम्बर,2022 को की जाएगी।

लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव और पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनाई हुई

लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव और तेज की पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनाई हुई।

कोर्ट ने अगली तारीख 1 सितंबर तय की है। 1 सितंबर को केस की अंतिम सुनवाई की जाएगी।

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गुरुवार को ऐश्वर्या के वकील पीएन सिन्हा नहीं आए थे, इसलिए ऐश्वर्या की तरफ से आगे समय मांगा गया है।

पटना हाईकोर्ट ने पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को राज्य में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है।ये जनहित याचिकाएं गौरव सिंह व अन्य द्वारा की गई है।

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को राज्य के एयरपोर्ट के सुधार पर बैठक कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया था।उन्होंने राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मुद्दे को उठाया था।

उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।

कोर्ट को उन्होंने बताया था कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।उन्होंने बताया कि छपरा के पास इसके लिए पर्याप्त और सस्ती भूमि उपलब्ध हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी को तलब किया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और वर्तमान निर्देशक को भी तलब किया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को भी नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार को गया एयरपोर्ट के विकास के सन्दर्भ में बताने को कहा था कि 268 करोड़ रुपए की धनराशि कब तक दिया जाएगा।

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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अर्चना शाही ने बताया कि गया एयरपोर्ट के विकास के लिए एक बड़ी धनराशि आवंटित की गई है।लेकिन अभी तक गया एयरपोर्ट का विकास कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है।

कोर्ट को राज्य के गया,पूर्णियां और अन्य एयरपोर्ट के विस्तार,विकास और भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित समस्यायों के बारे में बताया गया था।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव एवं सुरक्षा की समस्याएं हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 24 अगस्त,2022 , को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई अधूरी रही

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई कर रहे है।

कोर्ट में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बहस की।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी मकान बने है,उनका निर्माण वैध ढंग से नहीं किया गया है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवास बोर्ड ने जो भी नियमों के उल्लंघन मकान बने है,उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया,लेकिन वे नहीं आवास बोर्ड के समक्ष नहीं आए।

आज कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी संतोष कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष बहस किया।उन्होंने कहा कि राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में हटाने की कार्रवाई सही नहीं थी।हटाने के पूर्व संचार माध्यमों में उन्हें नोटिस दे कर जानकारी देना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि नागरिकों को मनमाने ढंग से नहीं हटाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि या तो उन्हें उचित मुअबजा दिया जाए या उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

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इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता है।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी भी बड़ी भागीदारी हैं।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 23अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को प्रगति रिपोर्ट दो सप्ताह में देने का निर्देश दिया गया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को विस्तृत जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें मात्र 52 स्टाफ ही है, हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।

सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि राज्य सरकार का ये दायित्व हैं

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पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्कीम और फंड के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा।

पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना, 16 अगस्त 2022। पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :

1. पटना हाईकोर्ट में गया के ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर से सटे फाल्गु नदी में खुले तौर पर डाले जा रहे कचडे और गन्दगी डाले जाने के मामले पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में बूडको के एमडी को निर्देश दिया था कि वह जल्द वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने हेतु चुने गए कंपनी के साथ एग्रीमेंट कर काम को शुरू करें।

2. पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी।जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करेंगे। राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने जवाब दायर कर दिया था।आज याचिकाकर्ता के वकील अपना बहस जारी रखेंगे।

3. पटना हाईकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को विस्तृत जानकारी एवं सुझाव देने को कहा था।

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पटना हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों को हथकड़ी लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार के इंस्पेक्टर जनरल (जेल) को एक सप्ताह में शपथ-पत्र दायर करने का आदेश दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विधि के छात्र कुमार अभिषेक द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया है।

याचिकाकर्ता का कहना था की सिटीजन्स फोर डेमोक्रेसी बनाम स्टेट ऑफ असम व अन्य के मामले में, वर्ष 1995 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कैदियों को एक जेल से दूसरे जेल में लाने व ले जाने तथा जेल से कोर्ट लाने व ले जाने के दौरान हथकड़ी और अन्य बेड़ियों का बलपूर्वक प्रयोग नहीं किया जाए।

फैसले के मुताबिक पुलिस और जेल के अधिकारियों को स्वयं कैदियों को हथकड़ी और बेड़ी लगाने के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं होगा।

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याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले के बावजूद बिहार की पुलिस कैदियों को हथकड़ी लगाने का काम कर रही है। इन अधिकारियों द्वारा की जा रही इस कार्रवाई को अमानवीय कार्य कहा जा सकता है।

याचिका में यह कहा गया है कि यदि इसे जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह न्याय की एक बड़ी विफलता होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पुलिस द्वारा सही ढंग और स्तरीय जांच नहीं किये जाने के कारण अपराधियों को सजा से बच जाने को गम्भीरता से लिया

जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते राज्य सरकार को बताने को कहा कि पुलिस के जांच की स्तर सुधारने के लिए क्या हो रहा हैं।

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस द्वारा जांच में त्रुटि और कमियों के कारण बड़ी संख्या में अपराधी सजा से बच जाते है।कोर्ट ने इस पर काफी गंभीर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के जांच से अपराधियों को सजा नहीं मिल पाना सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि जहां पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से आपराधिक मामलों की जांच के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है।सही तरीके से जांच करने पर अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकेगी।

कोर्ट ने सही ढंग से पुलिस द्वारा जांच नहीं करने,ठोस सबूत और गवाहियां प्रस्तुत करने पर अपराधियों के सजा से बच जाने के उदाहरण भी दिया।ऐसा ही मामला गोपालगंज जहरीली शराब पीने से हुए मौत का मामला है,जहां पुलिस जांच में कमियों के कारण कई अभियुक्त सजा से बच गये।

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कोर्ट ने कहा कि जबतक अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी,कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता हैं।इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के जांच आधुनिक,स्तरीय और वैज्ञानिक हो,जिसमें अपराधियों को सजा मिलना सुनिश्चित हो।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 5 सितम्बर,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 16 अगस्त,2022 को फिर सुनवाई की जाएगी

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर कर रहे है सुनवाई। आज कोर्ट में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बहस की।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी मकान बने है,उनका निर्माण वैध ढंग से नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि नागरिकों के अधिकार के बिना कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवास बोर्ड ने जो भी नियमों के उल्लंघन मकान बने है,उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया,लेकिन वे नहीं आवास बोर्ड के समक्ष नहीं आए।

इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता है।

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पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी भी बड़ी भागीदारी हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को अबतक घेरा नहीं गया है।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 16अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई 18 अगस्त,2022 को होगी

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को चार सप्ताह में बताने को कहा था कि इस मामलें को जांच के लिए क्यों नहीं सी बी आई सौंपा जाए।

आज महाधिवक्ता ललित किशोर ने स्वयम उपस्थित होकर कोर्ट से कुछ समय माँगा,जिसे कोर्ट ने मान लिया।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जानना चाहा था कि कि इस तरह की अमानवीय घटना के मामलें में राज्य सरकार ने क्या किया।राज्य सरकार को इस मामलें ज्यादा संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

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इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 46 हज़ार होने की सम्भावना है। बीमा राशि लेने के चक्कर में 82 पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 18अगस्त,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर अगली सुनवाई 17 अगस्त,2022 को की जाएगी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा गौरव सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही हैं।

राज्य सरकार को कोर्ट ने पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए अगली सुनवाई में जवाब देने को कहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को राज्य के एयरपोर्ट के सुधार पर बैठक कर अगली सुनवाई में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था।

इससे पहले की सुनवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट में राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें को उठाया था।उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी को तलब किया गया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और वर्तमान निर्देशक को भी तलब किया था।

इस मामलें पर पुनः 17 अगस्त,2022 को सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट ने मैथिली विषय में 43 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की बहाली से संबंधित मामले की सुनवाई की

जस्टिस मोहित कुमार शाह ने श्वेता भारती व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फ़िलहाल परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है ।

कोर्ट ने कहा कि इस रिट याचिका के अंतिम परिणाम पर रिज़ल्ट निर्भर करेगा है । याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पुरुषोत्तम कुमार झा ने कोर्ट को बताया कि अभ्यर्थियों की गणना के अनुसार बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा उन्हें अंक नहीं दिए गए ।

बहाली में जेनरल श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों के लिए 81 मार्क्स का कटऑफ़ निकाला गया था।याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उनके योग्य रहने के बावजूद उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया,जबकि मानदंड के अनुरूप कुल बहाली के तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने दुर्भावनापूर्ण तरीक़े से अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत परिणाम नहीं प्रकाशित किए।

साथ ही तथ्यों को तोड़ मोड़ कर कोई गड़बड़ी करने की फ़िराक़ में हैं । इस मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी ।

पटना हाईकोर्ट में लोकायुक्त व अन्य सदस्यों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई टल गयी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ वेटरन फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

इस जनहित याचिका में यह कहा गया कि भारत में भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामलें में प्रभावशाली लोग लिप्त रहते हैं।इस प्रकार के मामलों को देखने के लिए लोकायुक्त के संस्था की स्थापना की गई है।

बिहार में फरवरी,2022 से लोकायुक्त व अन्य सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं।इसके पहले फरवरी,2017 में पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस श्याम किशोर शर्मा बिहार के लोकायुक्त पद पर आसीन हुए।

फरवरी,2022 में लोकायुक्त श्याम किशोर शर्मा इस पद से सेवानिवृत हुए। उसके बाद से ये पद रिक्त पड़ा हैं।1973 में इसकी स्थापना सरल व त्वरित न्याय दिलाने के लिए की गई है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि इस दौरान लगातार पीड़ित लोगों द्वारा मामलें दायर किये जा रहे हैं, लेकिन इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित पड़े हैं।

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उन्होंने बताया कि इससे वादों का निपटारा नहीं हो पा रहा हैं। इससे जहां लोगों की कठिनाइयां बढ़ी है,वहीं लोगों में असंतोष की भावना लगातार बढ़ रही हैं।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि लोकायुक्त कार्यालय में दो जज और एक सदस्य अन्य क्षेत्र से लिए जाते हैं।पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज मिहिर कुमार झा और कीर्ति चन्द्र साहा 17मई,2021 को सेवा निवृत हो गए।

सरकार को लोकायुक्त समेत अन्य रिक्त पदों को शीघ्र भरे जाने की जरूरत हैं,ताकि इन मामलों का निपटारा हो सके और लोगों को न्याय मिल सके।

इस संस्था का दुरपयोग नहीं हो इसके लिए काफी सख्त कानून बनाए गए हैं।अगर कोई व्यक्ति किसी को भ्रष्टाचार के झूठे आरोप में फंसाने के लिए मामला दर्ज कराएगा,तो वह स्वयम फंस जाएगा।उसके विरुद्ध तीन वर्ष कैद की सजा और पाँच हज़ार रुपये तक आर्थिक दंड का भी प्रावधान है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 11अगस्त,2022 को की जाएगी।

पटना हाई कोर्ट ने पटना के दानापुर स्थित बी एस कॉलेज में कथित रूप से बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए कॉलेज के कैंपस व शौचालय बनवाने का आदेश दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने बिंदेश्वर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल के जरिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चार सप्ताह में धनराशि जारी करने को कहा है।

कोर्ट ने कहा है कि आदेश का पालन नहीं किये जाने की स्थिति में शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी का वेतन रोक दिया जाएगा।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद का कहना था कि छात्राओं को ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने के लिए कॉलेज परिसर में वेंडिंग मशीन भी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर आगे की सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता के साथ हाथापाई एवं दुर्व्यवहार किए जाने के मामले पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए शास्त्री नगर थाना के पुलिस कर्मियों को नोटिस जारी किया है।

इसके साथ साथ कोर्ट ने थाने की सीसीटीवी फुटेज को भी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है ।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता साकेत गुप्ता ने आरोप लगाया है कि वह 03 अगस्त की शाम को अपने परिचित अभिषेक कुमार एवं अन्य अधिवक्ताओं के साथ एक केस के सिलसिले में शास्त्री नगर थाना गए थे। उनके परिचित अभिषेक कुमार को शास्त्री नगर थाने में पदस्थापित एसआई स्मृति ने पूछताछ के लिए बुलाया था।

थाने में पूछताछ के दौरान एसआई स्मृति एवं लाल बाबू अभिषेक के साथ बदतमीजी और गाली गलौज करने लगे।

इसी दौरान जब अधिवक्ता साकेत ने उन्हें ऐसा करने से रोका ,तो इन दोनों एसआई ने अधिवक्ता साकेत, अधिवक्ता मयंक शेखर ऐवं अधिवक्ता रजनीकांत सिंह के साथ धक्का मुक्की करने लगे।

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इसका विरोध किए जाने पर एसआई लाल बाबू ने अधिवक्ता को पिस्तौल दिखा कर जान से मारने की धमकी दी और उन पर हाथ उठाया।

इस बात की शिकायत अधिवक्ता ने पटना के सिटी एसपी से भी की । हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए उक्त पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही करने हेतु नोटिस जारी किया है ।

सुनवाई में एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि पुलिस वालों की मनमानी काफ़ी बढ़ गई है । आए दिन सुनने में आता है कि पुलिस वकीलों एवं जनता के साथ बेहद बदतमीजी और रुखाई से पेश आती है ।इनके ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

इस मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी ।