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कांग्रेस राजद के बीच विवाद बढ़ा मीरा कुमार का बड़ा बयान लालू प्रसाद को डां से दिखाने कि जरुरत है

कांग्रेस और राजद के बीच जारी तनाव अब थमने का नाम नहीं ले रहा है ,लालू प्रसाद के बयान पर कांग्रेस की सीनियर नेता मीरा कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लालू जी को इलाज कराने की जरुरत है अभी भी वो स्वस्थ्य नहीं दिख रहे हैं भक्त चरण दास जी के बारे में लालू जी ने मर्यादा तोड़ा है।

मीरा कुमार के पटना पहुंचने से यह संकेत साफ है कि भक्त चरण दास को लेकर लालू प्रसाद का जो बयान आया है उसको लेकर कांग्रेस आलाकमान ने गंभीरता से लिया है वही आज कांग्रेस बिहार प्रभारी को लेकर पर दिये गये बयान को लेकर लालू प्रसाद का पुतला दहन किया है ।

कोरोना से हुई मौत मामले में सरकार पीड़ित परिवार को शीघ्र मुआवजा भुगतान करे –हाईकोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने Covid 19 महामारी के कारण हुए मृत लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये या अधिसूचित मुआवजा की राशि मुहैया कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता कुणाल की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने को कहा है।

याचिका में Covid 19 के कारण मृत लोगों की सही – सही आंकड़ा उपलब्ध करवाने हेतु आदेश देने का आग्रह किया गया था। वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी ने बताया कि आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 की धारा 12 के तहत निर्देश देने को लेकर याचिका दायर की गई थी।

याचिका में कोरोना के कारण मृत लोगों की सही – सही आंकड़ा उपलब्ध करवाने व मृतक के परिवार को मृत्यु का कारण बताते हुए आधिकारिक कागज उपलब्ध करवाने का भी आग्रह किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि मार्च, 2020 में कोरोना का संक्रमण भारत में देखा गया। मार्च, 2021 में कोविड का दूसरा लहर भारत में आया। अप्रैल, 2021 से राज्यभार में बडी तादाद में लोगों की कोविड की वजह से मौत हुई।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल में बेड की कमी, अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी, दवाओं की कमी, डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ की सरकारी अस्पताल में अनुपलब्धता व एम्बुलेंस की कमी सहित कई अन्य कारणों की वजह से भी कोविड के रोगियों की मौत राज्य में हुई। याचिकाकर्ता का कहना था कि एक सर्वे में पाया गया है कि कोविड की वजह से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई है।

लेकिन राज्य सरकार का आंकड़ा विश्वास के योग्य नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया आंकड़ा वास्तविक आंकड़ा से बहुत कम है। राज्य सरकार द्वारा कोविड से मृत परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा की राशि उपलब्ध करवाने की घोषणा की जा चुकी है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा मुआवजा की राशि अभी तक नहीं दी गई है।

याचिकाकर्ता द्वारा याचिका में 1 अप्रेल, 2021 से 31 मई, 2021 तक कोविड कि वजह से राज्य के तेरह जिलों में मृतकों की एक सूची भी लगाई गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया।

तेज प्रताप के राजद से विदाई का वक्त आ गया है ।

तेज प्रताप को लेकर लालू परिवार अब सख्त होने लगा है और इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं कि तेज प्रताप की राजद से किसी भी समय विदाई हो सकती है ।कल शाम लालू प्रसाद के पटना पहुंचने के बाद तेज प्रताप ने मीडिया से बात करते हुए जिस तरीके से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर अपमानजनक टिप्पणी किया था उसको लेकर आज लालू प्रसाद की बेटी डां रोहिणी आचार्य ने अपने ट्विटर पर एक फोटो जारी कर जगदानंद सिंह और लालू यादव को सुख और दुख का साथी बताया है।

इस तस्वीर में लालू यादव व्हीलचेयर पर बैठे हैं और उनके बगल में जगदानंद सिंह खड़े हैं। रोहिणी आचार्य इस तस्वीर कैप्शन में लिखती है कि यह दोनों सुख दुख के साथी हैं।

इस ट्वीट के सामने आने के बाद यह साफ दिखने लगा है कि लालू प्रसाद के अधिकांश सदस्य तेज प्रताप के व्यवहार से नाराज है क्यों मीसा और तेजस्वी पर पहले से ही तेज प्रताप आरोप लगाते रहे हैं और लालू प्रसाद के दिल्ली प्रवास पर तेज प्रताप यहां तक कह दिया था कि लालू प्रसाद को लोग बंधक बना कर रखे हुए हैं तेज प्रताप के इस बयान से बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है और तेज प्रताप के इस बयान पर लालू प्रसाद को खुद सफाई देनी पड़ी थी ।

राबड़ी बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में लगी हुई है

राबड़ी देवी तेज प्रताप के व्यवहार से आहत जरुर हैं लेकिन पुत्र मोह से अभी भी बाहर नहीं निकल पाई है अभी भी राबड़ी चाह रही है कि दोनों भाई में सुलह हो जाये और इसी कोशिश में कल देर रात लालू प्रसाद तेज प्रताप के घर गये और आज दिन में घर बुला कर काफी देर तक समझाने की कोशिश किए हैं हालांकि लालू प्रसाद से मिलने के बाद थोड़ा नरम जरूर दिखा लेकिन शाम होते होते राहुल गांधी का पुतला दहन कर एक नये विवाद को जन्म दे दिया है ।

वैसे राबड़ी की कोशिश रंग लाता नहीं दिख रहा है लालू प्रसाद भी तेज प्रताप को लेकर सहज नहीं है फिर वो बीमार भी है ऐसे में तेज प्रताप के इस तरह के व्यवहार से पूरा परिवार आहत है और खतरा भी है कि इसका असर लालू के सेहत पर बुरा पड़ सकता है ।

बिहार में शीघ्र बनेगा चार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ भायरोलॉजि

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 64 हजार करोड़ के प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लोकार्पण से हेल्थकेयर सिस्टम का संपूर्ण विकास होगा।

इसके लिए राज्यवासियों की ओर से माननीय प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का आभार जताते हुए श्री पांडेय ने कहा कि इससे न सिर्फ करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों शोषितों, वंचितों जैसे समाज के सब वर्गों को बहुत फायदा मिलेगा, बल्कि यह योजना आर्थिक आत्मनिर्भरता का माध्यम भी बनेगा।

श्री पांडेय ने कहा कि बीते 7 वर्षों में देश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 60 हजार नई सीटें जोड़ी गई हैं। गांवों और शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने की सुविधा होगी। इन सेंटरों में फ्री मेडिकल कंसलटेशन, फ्री टेस्ट, फ्री दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी।

देश में करीब 600 जिलों के क्रिटिकल केयर यूनिट में 35 हजार से ज्यादा बेड बनना है। 125 जिलों में रेफरल सुविधा उपलब्ध होगा। साथ ही टेस्टिंग और सर्जरी सिस्टम को और मजबूत किया जा रहा है। पूरे सात दिन 24 घंटे 15 इमरजेंसी ऑपरेटिंग सिस्टम काम करेगा। डाइग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ 730 जिलों में पब्लिक हेल्थ लैब और 20 मेट्रोपॉलिटन यूनिट बनाये जाएंगे।

श्री पांडेय ने कहा कि महामारी से जुड़े रिसर्च इंस्टीट्यूट और चार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ भायरोलॉजि बनेगा। होलिस्टिक हेल्थ केयर द्वारा लोगों को सस्ता और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं पहुचाने का लक्ष्य है। मेडिकल सुविधा बढ़ाने के लिए डॉक्टर्स एवं स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को भी दूर किया जा रहा है।

अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले याचिकाकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश

पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अतिक्रमणकारियों से मिल रही धमकी के मद्देनजर राज्य के डीजीपी को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मौखिक आदेश दिया है। राजधानी के बुद्धा कॉलोनी क्षेत्र के दुज़रा में सरकारी जमीन पर स्थित तालाब के रूप में चिन्हित स्थान को विकसित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

याचिककर्ता के अधिवक्ता सुमित कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में अतिक्रमणकारियों द्वारा याचिकाकर्ता को फ़ोन पर धमकियां दी जा रही है।

कोर्ट ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए वहां उपस्थित राज्य सरकार के अधिवक्ता को कहा कि याचिकाकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर राज्य के डीजीपी को कहें।

इसके साथ ही खंडपीठ ने एक सप्ताह में राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। पटना के जिलाधिकारी और पटना नगर निगम को जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। इसके पूर्व अदालत ने पटना के जिलाधिकारी को तीन सदस्यीय एक कमेटी का गठन करने को कहा है, ताकि कमेटी पूरी स्थिति का पता चल सके।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि 5 एकड़ 17 कट्ठा में सरकारी जमीन पर थाना नंबर 4 , प्लॉट नंबर – 613 पर स्थित उक्त तालाब पर अतिक्रमण कर लिया गया है। जमीन का अधिग्रहण राजेन्द्र स्मारक के नाम पर तालाब के निर्माण के लिए किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा इस पर अतिक्रमण कर लिया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आगे बताया कि इस जनहित याचिका के जरिये चहारदीवारी बनाने का भी आग्रह किया हैं, क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा तालाब क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता द्वारा 6 सितंबर, 2021 को पटना के जिलाधिकारी को स्पीड पोस्ट के माध्यम से उक्त मामले को लेकर पत्र भी लिखा गया है, जिसके जरिये तालाब से अतिक्रमण हटाने और चहारदीवारी का निर्माण करने की बात कही गई है।

प्लॉट संख्या 613 के पूरे जमीन औऱ इस प्लॉट तक पहुचने के लिए लिंक रोड को अतिक्रमण मुक्त करने व चहारदीवारी के निर्माण का आग्रह किया गया है।याचिकाकर्ता ने तालाब के स्थल का पर जाकर कुछ फोटो लेने का काम भी किया है, जिसे याचिका के साथ कोर्ट की सहायता हेतु लगाया गया है। उक्त मामले में पटना नगर निगम की ओर से अधिवक्ता प्रसून सिन्हा उपस्थित थे।इस मामले पर एक सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

राजनीति में अक्सर दो दुना चार नहीं होता है

राजनीति में अक्सर दो दुना चार नहीं होता है ,वही कागज पर जो गणित दिखता है वही जमीन पर भी दिखाई दे ये कोई जरूरी नहीं है बिहार विधानसभा के उपचुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है जिस कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र को लेकर कांग्रेस और राजद में विवाद हुआ उस विधानसभा को लेकर राजद का मानना है कि वहां सबसे अधिक वोटर मुसहर जाति का है उसके साथ यादव और मुसलमान आ जाएगा तो फिर राजद प्रत्याशी को जीत से कोई रोक नहीं सकता है ये राजनीतिक गणित सौ फीसदी सही भी है ये तीनों एक साथ आ जाये तो फिर बहुत मुश्किल है नहीं है राजद का चुनाव जीतना ।

1—यादव और मुसहर के बीच दो दशक से हिंसक संघर्ष चल रहा है कुशेश्वर स्थान में
कुशेश्वर स्थान बिहार का सबसे पिछड़ा प्रखंड है जहां अभी भी अधिकांश गांव में सड़क नहीं पहुंचा है वजह बाढ़ है , दरभंगा से कुशेश्वर स्थान पहुंचने के बाद आज भी अधिकांश गांव में जाने के लिए बस नाव ही एक सहारा है। कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र समस्तीपुर ,खगड़िया और सहरसा बॉर्डर से जुड़ा हुआ यह स्थान कोसी,कमला और अधवारा समूह के नदियों का कीड़ा स्थल है और यह इलाका कभी अपराधियों का गढ़ माना जाता था एक दौर था जब कारी पासवान और अशोक यादव गैंग के बीच वर्चस्व को लेकर खूनी संघर्ष चलता था कारी पासवान के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद यह पूरा दियरा इलाका अशोक यादव और रामानंद यादव के कब्जे में आ गया लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सरकार बनी तो मुहसर जाति के लोग यादव के आतंक के खिलाफ गोलबंद होने लगे और इसी दौरान 2008 में गई जोड़ी गांव में दो मुसहर की हत्या कर दी गयी और इस घटना में कई मुसहर घायल हो गये थे इस घटना के बाद इस इलाके में यादव के खिलाफ नक्सली संगठन तैयार होने लगा और उसके बाद हत्या को सिलसिला दोनों और से शुरू हुआ वो अभी तक जारी है दो दर्जन से अधिक हत्याएं इन इलाकों में हो चुकी है और एक वर्ष पहले ही कुख्यात रामानंद यादव की हत्या मुसहर जाति के लोगों ने कर दिया था।

कुशेश्वर स्थान विधानसभा क्षेत्र में तिलकेश्वर थाना क्षेत्र स्थित गईजोड़ी ,रक्डी ,झाझा सहित एक दर्जन से अधिक गांव है जहां हर वर्ष कास की खेती पर कब्जा करने को लेकर यादव और मुसहर के बीच हथियार निकलता है जानकार बताते हैं कि 2005 के बाद से मुसहर पिछले विधानसभा चुनाव तक एनडीए के साथ यानी यादव जिसके साथ रहता था उसके खिलाफ वोट करता था जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद मांझी का पार्टी के द्वारा माहौल बनाने की कोशिश हुई लेकिन मुसहर जदयू के साथ रहा और 2015 के चुनाव में जदयू ने एलजेपी के प्रत्याशी को 18 हजार वोट से चुनाव हार दिया।

यहां मुसहर जाति का वोट 35 हजार के करीब वोट है 2008 से जब से नये परिसीमन में इस विधानसभा सीट का गठन हुआ है तब से लेकर 2020 के विधानसभा चुनाव तक हुए वोटिंग ट्रेंड पर गौर करेंगे तो सबसे कम वोटिंग प्रतिशत मुसहर जाति का ही रहा है हालांकि पहली बार किसी दल ने मुसहर को टिकट दिया है और उसको लेकर मुसहर जाति में उत्साह भी है लेकिन दो बड़ी समस्या है जो राजद के गणित को प्रभावित कर रहा है ।

पहला है जिस गांव में मुसहर और यादव की आबादी है वहां मुसहर यादव के साथ वोट नहीं कर रहा है ऐसा साफ दिख रहा है उसकी वजह आये दिन फसल पर कब्जा करने को लेकर चला आ रहा है विवाद है हालांकि जिस गांव में मुसहर यादव के साथ नहीं रह रहा है वहां के मुसहर का वोट शत प्रतिशत राजद उम्मीदवार के साथ है वैसे 27 को जीतन राम मांझी तिलकेश्वर में आ रहे हैं उनकी सभा में मुसहर की उप स्थिति कैसी रहती है उस पर साफ हो जाएगा क्यों कि यहां अभी भी ट्रेंड है जिसको वोट करेगा उसी के सभा में जायेंगा सभा में मौजूद भीड के उत्साह से समझ में आ जाता है ।

दूसरी सबसे बड़ी समस्या पंचायत चुनाव है यहां 12 दिसंबर को वोट पड़ना है इस वजह से मुसहर और यादव दोनों खुलकर राजनीति करने से परहेज कर रहे हैं क्यों कि कई पंचायच ऐसा है जहां यादव को अतिपिछड़ा के वोट का जरुरत है इसी तरह कई आरक्षित सीट ऐसा है जहां मुसहर उम्मीदवार को कुर्मी वोटर के मदद की जरूरत है इस विधानसभा में 20 से 25 हजार कुर्मी (धानुक) का भी वोट है इसलिए इस विधानसभा में कई ऐसे फेक्टर है जो कागज पर खींची लकीर से मेल नहीं खा रहा है ।

बिहार विधानसभा उपचुनाव के प्रचार अभियान में आयी तेजी एनडीए के सभी बड़े नेता जुटे एक मंच पर

आगामी 30 अक्टूबर को तारापुर विधानसभा क्षेत्र के लिए उप चुनाव होना है। संग्रामपुर के रानी प्रभावती उच्च विद्यालय के मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि परिवारवाद की पोषक पार्टियां सत्ता की छटपटाहट में है। इन्हें बिहार के विकास से कुछ भी लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता जानती है कि इन लोगों ने अब तक सिर्फ अपने परिवार का ही विकास किया है। अब तो इन पार्टियों के अंदर वर्चस्व की लड़ाई भी चल रही है, ऐसे लोग बिहार का क्या भला करेंगे।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार काम कर रही है, वहीं बिहार में लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय के तहत बिहार को विकसित राज्य बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता से काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2005 के पहले का बिहार जर्जर बिहार था। आज समाज के प्रत्येक वर्ग के कल्याण और उत्थान के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लेकर उन योजनाओं को धरातल पर उतारा है।

उपमुख्यमंत्री चुनावी सभा को संबोधित करते हुए

आधारभूत संरचना निर्माण से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, वंचित वर्गों के कल्याण, महिला सशक्तिकरण, युवा शक्ति के विकास के साथ-साथ रोजगार और उद्यमिता को बढ़ाने के संस्थागत प्रयास किए गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों के घर तक बिजली, शुद्ध पेयजल, गैस कनेक्शन, गरीबों को अनाज और उनके लिए घर की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। प्रधानमंत्री जी ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के माध्यम से देश को समृद्ध किया है। शहरों में नगरीय सुविधाओं के विकास, कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान देश के लोगों की जान की रक्षा के साथ-साथ दुनिया के कई देशों को कोरोना के टीके उपलब्ध कराकर मानवता की रक्षा की है। बिहार सरकार ने छह माह में छह करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य को समय सीमा के पहले पूरा कर अपनी प्रतिबद्धताओं को साबित किया है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार प्रतिबद्धताओं और विकास के प्रति दृढ़ संकल्पित सरकार है। हमारी प्रतिबद्धताएं जनता के साथ हैं। उन्होंने तारापुर विधानसभा क्षेत्र की जनता का आह्वान करते हुए कहा कि 30 अक्टूबर को होने वाले उप चुनाव में परिवारवाद की समर्थक पार्टियों के झांसे में न आएं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार को भारी मतों से विजयी बनावें।

रानी प्रभावती उच्च विद्यालय संग्रामपुर के प्रांगण में आयोजित जनसभा को पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी, केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री मुकेश साहनी, सांसद एवं पूर्व मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर, विधायक श्री प्रणव कुमार यादव, विधायक श्री प्रफुल्ल मांझी, मंजीत कुमार सिंह, जिला अध्यक्ष संतोष साहनी, अरुण मांझी सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के वरिष्ठ नेतागण, कार्यकर्तागण एवं भारी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।

पांचवे चरण का पंचायत चुनाव सम्पन्न 61 प्रतिशत के करीब हुई है वोटिंग

पांचवे चरण का पंचायत चुनाव छिटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो शांतिपूर्ण संपन्‍न हो गया। राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद के अनुसार अभी तक 61 प्रतिशत वोटिंग हुई है औरअभी भी कई जगहों पर वोटिंग चल ही रही है चुनाव के दौरान गड़बड़ी के 36 मामले आये हैं और उस पर आयोग कार्यवाही कर रही है ।

आज वैशाली में एक प्रत्‍याशी को चाकू मार दिया गया। अरवल, वैशाली व शेखपुरा सहित कई जगह हंगामा हुआ। शेखपुरा में एक बूथ पर सरपंच व पंच के चुनाव को रद करने की सिफारिश चुनाव आयोग से की गई। उधर, सीतामढ़ी में एक फर्जी महिला वोटर पकड़ी गई। मुंगेर को दो मुखिया के समर्थक आपस में लड़ गये पुलिस के साथ भी धक्का मुक्की की गयी
आज जिला परिषद सदस्‍य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्‍य, वार्ड सदस्‍य, सरपंच व पंच के 26091 पदों के लिए 6746545 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।पांचवें चरण के मतों की गिनती 26 और 27 अक्टूबर को होगी।

दोपहर बाद क्या खास रहा पंचायत चुनाव के दौरान

1—वैशाली जिले के बिदुपुर प्रखंड में मतदान के दौरान मतदान केंद्र संख्या 234 पर ईवीएम का बटन टूट जाने के कारण मतदान प्रभावित हुआ है। कुछ देर के लिए जिला परिषद का मतदान प्रभावित हुआ।

2–अरवल के करपी स्थित बसन बिगहा के बूथ 138 पर दो गुटों में झड़प हुई है। घटना के बाद डीएम व एसपी मौके पर पहुंचे हैं।

3—मुई में नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाने वाले बरहट प्रखंड के जंगल में अवस्थित गुरमाहा, चोरमारा के मतदाताओं ने जमकर मतदान किया। गांव की सरकार चुनने को लेकर पांच पहाड़ पार कर लगभग 35 किलोमीटर पहाड़ी रास्ता पैदल तय कर बूथों तक पहुंच रहे हैं।

4—सीतामढ़ी में पंचायत चुनाव के दौरान फर्जी महिला वोटर पकड़ी गई। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के सोनबरसा साह में प्रत्याशी के समर्थक आपस मे भिड़ गए। एक युवक बूथ के बाहर बैठकर वोटरों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए रिझा रहा था। एक कागज पर अपने पक्ष के प्रत्याशी का चुनाव चिह्न लिखकर वोटरों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कह रहा था। इसी बात को लेकर जमकर हंगामा होने लगा। वहीं, मुंगेर में दो मुखिया प्रत्याशी आपस में भिड़ गए।

पटना–पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने दी चुनाव की जानकारी…..अभी भी कई जगहों पर वोटिंग हो रही है ।

पांचवे चरण में अभी तक 61% मतदाता ने अपने मतदान का प्रयोग किया
वोटिंग को। लेकर कुल 36जगहों से चुनाव को लेकर मामले आये

लालू ने बिहार कांग्रेस प्रभारी को लिया आड़े हाथ

लालू प्रसाद पटना रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहाँ कि गठबंधन क्या होता है कांग्रेस को जमानत जप्त कराने के लिए टिकट नहीं दे देते ।
बिहात कांग्रेस प्रभारी को जमीनी हकीकत पता नहीं ।
परिवार के टूट पर कहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है ।

लालू प्रसाद ने कहाँ जमानत जप्त कराने के लिए कांग्रेस को टिकट दे देते

बिहार में बनिया बीजेपी का साथ क्यों छोड़ रहा है

बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर चुनाव हो रहा है वहां एक बार फिर बीजेपी के कोड़ वोटर बनिया किस ओर करवट लेता है उस पर सबकी नजर है क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर बनिया वोटर बीजेपी का साथ छोड़ दिया था और इस वजह से राजद के टिकट पर मुजफ्फरपुर,शेरघाटी,सासाराम मोरवा ,मधुबनी से बनिया विधायक बना इतना ही नहीं कई सीटों पर निर्दलीय खड़े होकर एनडीए को नुकसान भी पहुंचाया। सुशील मोदी,संजय जयसवाल और तारकेश्वर प्रसाद की प्रतिष्ठा दांव पर

बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर मतदान हो रहा है वहां एनडीए और राजद दोनों के लिए करो या मरो वाली स्थिति है दोनों दल अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है फिर भी बीजेपी का कोर वोटर बनिया तारापुर और कुशेश्वर स्थान में एनडीए के साथ नहीं है, तारापुर में राजद तो बनिया जाति के उम्मीदवार को टिकट देकर एनडीए को पसीना छुड़ा दिया है और अभी तक जो स्थिति है जिसमें जदयू काफी पीछे चल रहा है।

कुशेश्वर स्थान विधानसभा में भी पहली बार कुशेश्वर स्थान बाजार के साथ साथ जो दो तीन गांव बनिया का है वो दो भागों में बंटा हुआ है ,एक बड़ा हिस्सा राजद के साथ भी है,कुछ कांग्रेस के साथ भी है बिखराव साफ दिख रहा है हालांकि बीजेपी अपने तमाम बड़े बनिया नेता को तारापुर और कुशेश्वर स्थान में कैप कराये हुए हैं लेकिन बहुत कुछ प्रभाव नहीं पड़ रहा है।

एनडीए के सरकार में भी बिहार में बनिया सुरक्षित नहीं है बिहार बीजेपी की बात करे तो बनिया जाति का इससे पहले इतने बड़े पद पर एक साथ इस तरह का प्रतिनिधित्व पहले कभी नहीं मिला प्रदेश अध्यक्ष बनिया ,उप मुख्यमंत्री बनिया ,इसके अलावा दो दो मंत्री प्रमोद कुमार और श्री नारायण के साथ सुशील मोदी फिर भी बनिया क्यों बीजेपी से दूरी बनाने लगे हैं इन सवालों का जवाब आपको उन इलाकों में जाने के बाद मिलेगा जहां बनिया एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ जुड़ा है ।

बिहार में एनडीए का कोर वोटर बनिया क्यों बीजेपी का साथ छोड़ रहा है इस पर जब बात शुरू हुई तो उन्होंने कहा कि अब हम लोग भी मुसलमान हो गये हैं एनडीए की सरकार बिहार में है देख लीजिए हर दिन बिहार में बनिया के साथ किस तरह की घटनाएं घट रही है आज भी हत्याएं हो रही है. अपहरण हो रहा है ,रंगदारी मांगी जाती है ,लूट हो रही है ।

लेकिन पुलिस के पास जाइए कोई मदद नहीं मिलता है ऐसे में बिहार का व्यापारी वर्ग को लग रहा है कि एनडीए के साथ रहने से कोई सुरक्षा नहीं है इसलिए जैसे 30 वर्षो से बिहार में जिस वोटिंग समीकरण के सहारे मुसलमान सुरक्षित हैं उसी तरह जहां जहां का व्यापारी समुदाय एनडीए से दूरी बनाया है वहां उसी समीकरण के सहारे सुरक्षित महसूस कर रहा है और शांति से अपना काम धंधा चला रहा है ।देख लीजिए 2020 चुनाव में जहां जहां बनिया एनडीए का साथ छोड़ा है उन इलाकों में बनिया कितना अमन शांति के साथ जी रहा है इसलिए अब हम लोग बिहार में एनडीए से दूरी बढ़ते जा रहे हैं फिर राजद हमलोगों के समाज से जुड़े लोगों को टिकट भी दे रहा है ।

छिटपुट घटनाओं को छोड़कर पंचायत चुनाव का पांचवा चरण शांतिपूर्वक ढंग से चल रहा है

छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर बिहार पंचायत चुनाव के पांचवे चरण का मतदान शांतिपूर्ण ढंग चल रहा है दोपहर एक बजे तक 30 से 35 प्रतिशत वोटिंग की खबर है । इस चरण में 38 जिलों के 58 प्रखंडों में मतदान हो रहा है। इसके लिए 12056 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। पांचवे चरण में 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता अपना वोट डालेंगे। इनमें 35 लाख 38 हजार 500 पुरुष, 32 लाख 07 हजार 791 महिला एवं 254 अन्य मतदाता शामिल हैं।

शेखपुरा में मतपत्र लूट की घटना के बाद आक्रोशित हुए मतदाता

26091 सीटों पर हो रहे हैं चुनाव
पांचवें चरण में कुल 26091 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। इनमें ग्राम पंचायत सदस्य के 11,553, मुखिया के 845, पंचायत समिति सदस्य के 1171, जिला परिषद सदस्य के 124, ग्राम कचहरी पंच के 11,553 एवं ग्राम कचहरी सरपंच के 845 सीटें शामिल हैं। इस चरण में 92 हजार 972 उम्मीदवार मैदान में हैं।

खगड़िया की तस्वीर है जहां मतदान केन्द्रों पर जाने कि व्यवस्था नहीं है

मतदाताओं की संख्या
पांचवे चरण में 35 लाख 38 हजार 500 पुरुष , जबकि 32 लाख सात हजार 791 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता वोट करेंगे.
67 लाख 46 हजार 545 मतदाता
निर्वाचन आयोग की ओर से 7,810 भवनों में 12,056 बूथों की स्थापना की गयी है. इस चरण के मतदान में 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

अररिया की तस्वीर है देखिए किस हाल में चुनाव कराने जा रहे हैं अधिकारी

पंचायत चुनाव के दौरान क्या खास रहा
दिन के एक बजे तक 35 से 40 प्रतिशत वोटिंग होने की सूचना है ।
1—बगहा में बूथ संख्या तीन पर ईवीएम खराब होने के कारण 1 घंटे की देरी से वोटिंग शुरू हुई।

2—शेखपुरा में एक बूथ की लूट की घटना के बाद सरपंच व पंच के चुनाव को रद्द करने की सिफारिश चुनाव आयोग से की गई है।

3—रोसड़ा में मतदान शांतिपूर्वक चल रहा है। भिरहा पूरब पंचायत स्थित मतदान केंद्र संख्या 118 पर सीयू में खराबी के कारण करीब डेढ़ घंटा विलंब से मतदान प्रारंभ हो सका।

4—-मोतिहारी के पताही में एक बूथ पर ड्यूटी कर रहे एक मतदान कर्मी की हृदय गति रूकने से मौत हो गई। घटना पताही प्रखंड क्षेत्र की बखरी पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चम्पापर के मतदान केंद्र संख्या 159 पर हुई। मृत मतदान कर्मी वंशीधर राम (56) था। उधर, भभुआ के बूथ 117 पर एक वृद्ध महिला वोटर की मौत हो गई।

5— अररिया के कई बूथों पर कीचड़ व जल जमाव होने के बावजूद बड़ी संख्यां में मतदाता मतदान करने पहुंचे। इसमें महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या थी।

6—वैशाली जिले के बिदुपुर प्रखंड अंतर्गत सैदपुर गणेश पंचायत के मुखिया प्रत्याशी अभिषेक कुमार को चाकू मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया गया है। उनका इलाज हाजीपुर सदर अस्पताल में चल रहा है।

7—वैशाली जिले में पुलिस और समर्थकों के बीच कहासुनी हो गयी. बिदुपुर प्रखंड के शीतलपुर कमालपुर पंचायत में मतदान केंद्र संख्या 176 पर पोलिंग एजेंट का मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया जिसे लेकर विवाद छिड़ गया और वोट बहिष्कार किया जाने लगा.

8—मोतिहारी: पताही प्रखंड क्षेत्र के जिहुली पंचायत स्थित उच्च विद्यालय जंगली दक्षिणी भाग के मतदान केंद्र संख्या 133 बूथ संख्या 6 पर वार्ड सदस्य के ईवीएम का बदलाव हो गया है. वार्ड नंबर 6 के वार्ड सदस्य पद के लिए 4 अभ्यर्थी है जबकि ईवीएम में 3 अभ्यर्थी का नाम अंकित है. वार्ड नंबर 6 के वार्ड सदस्य के किसी भी अभ्यर्थी के नाम उस ईवीएम में अंकित नहीं है. यहां वोटिंग शुरू होने में देरी हो सकती है.

राम मोहम्मद सिंह आज़ाद और शहीद उधम सिंह का आज का भारत

राम मोहम्मद सिंह आज़ाद और शहीद उधम सिंह का आज का भारत

जिस समय शूजीत सरकार की फ़िल्म उधम सिंह देखी जा रही है, वह समय उन आदर्शों के ख़िलाफ़ हो चुका है जिसमें कोई क्रांतिकारी अपने हाथ पर गुदवा ले कि उसका नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद है। सिर्फ़ इस एक बात से न्यूज़ चैनल और आई टी सेल हमला कर देते कि यह क्रांतिकारी झूठा है। हिन्दू मुस्लिम खाँचे में जनता के सोचने की शक्ति का इस तरह विभाजन कर दिया गया है कि मैं बार बार उसी दृश्य पर अटका रहा जब शहीद उधम सिंह अपनी क़मीज़ की बाँह खींच कर राम मोहम्मद सिंह आज़ाद लिखा दिखाते हैं।

मेरा सवाल इस फ़िल्म से बाहर का है। अपने अपने लैपटॉप पर देख रहे दर्शकों ने इस एक दृश्य को कैसे देखा होगा। क्या उनके भीतर कुछ कौंधा होगा? इस दृश्य को देखते समय क्या वे उधम सिंह से नज़र मिला पाए होंगे, क्या ख़ुद से नज़र मिला सके होंगे? बेहद ईमानदारी से बनाई गई इस फ़िल्म को देखते वक़्त दर्शकों ने अपनी राजनीतिक बेईमानी को किस तरह ढाँका होगा? क्या उन्हें किसी तरह का नैतिक संकट नहीं हुआ होगा?

जिस वक़्त में प्यार लव जिहाद हो गया हो, प्रेम करने वाले जोड़ों के बीच एक ख़ास मज़हब के प्रेमी की पहचान के लिए एंटी रोमियो दस्ता बनाने की बात हुई हो उस वक़्त में लंदन की अदालत में हीर-रांझा किताब पर हाथ रख कर शपथ लेते हुए उधम सिंह को देख कर क्या लोग उसका मतलब समझ पा रहे थे? प्रेम की महानगाथा की यह किताब उधम सिंह के जीवन के केंद्र में हैं जिसमें वे मज़दूर से लेकर मालिक तक के डर को एक व्यापक नज़रिए से देखते हैं जिसे आज कल कम्युनिस्ट कह कर दुत्कारा जाता है। प्रेम के तमाम प्रसंगों को निकाल दिए जाएँ तो उधम सिंह की कहानी में कुछ नहीं बचता है।

सवाल है कि उधम सिंह के जीवन से जुड़ी जो मान्यताएँ थीं, वो सारी की सारी कुचली जा चुकी हैं। आज का समाज और नौजवान उससे मुक्त हो चुका है। उसके भीतर राम मोहम्मद सिंह आज़ाद की कल्पना हो ही नहीं सकती। उस दृश्य को देखते हुए क्या उसकी कल्पनाएँ कौंध गई होंगी, क्या उसे शर्म आई होगी? हर फ़िल्म और फ़िल्म का कोई दृश्य लंबे समय तक दिमाग़ पर छाया रहता है। देखने वालों की कल्पनाओं का विस्तार करता रहता है।सांप्रदायिक नफ़रत से भरी जनता ने उधम सिंह को देखते हुए ख़ुद को कैसे देखे होगा? एक बेहद बेईमान समय में बेहद ईमानदारी से बनी फ़िल्म की बात इसीलिए इतनी कम हो रही है।

हमने शहीदों को मूर्तियों में बदल दिया है। दिवसों के नाम पर कर्मकांड विकसित कर लिए हैं। दिन गुज़रता नहीं है कि हम दूसरे की जयंती मनाने की तैयारी करने लग जाते हैं। याद करना भी भूलना जैसा ही है। एक दर्शक उधम सिंह की ज़िंदगी को फ़िल्म से पहले जितना कम जानता होगा, फ़िल्म देखने के दौरान और उसके बाद और अनजान हो गया होगा। दिन भर वह व्हाट्स एप में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत की बातें करते हैं, वह उधम सिंह के जीवन की गाथा को कैसे समझ पाएगा।

शूजीत सरकार ने एक अच्छी फ़िल्म बनाई है। किसी भी संकट के समय यह बात होती है कि बॉलीवुड चुप है। ठीक बात भी है। लेकिन यह भी देखना चाहिए कि कोई सचेत फ़िल्मकार इसी घुटन भरे वक़्त में किस तरह की फ़िल्म बना रहा है। कैसी कहानियों को दर्शकों के बीच रखता है। उधम सिंह बनाकर शूजीत सरकार ने यही काम किया है। बोला है। यह जानते हुए कि आज के नौजवानों की जवानी की कोई कहानी नहीं हैं, उनके बस की बात नहीं है उधम सिंह के जीवन के मर्म को समझना, फिर भी शूजीत ने यह फ़िल्म बनाई है। विक्की कौशल को उनके जीवन का शानदार अभिनय का अवसर दिया। एक ऐसे शहीद के जीवन के बारे में विस्तार से और बिना किसी नाटकीय और फ़िल्मी गीतों के हमारे सामने रखने के लिए शूजीत का शुक्रिया।

जलियाँवाला बाग़ की घटना फ़िल्म के पर्दे पर विस्तार पा रही है। इसके पहले की फ़िल्मों में इस घटना को संक्षेप में ही रखा गया है। फ़िल्म का हिस्सा बनाकर लेकिन इस फ़िल्म में जलियाँवाला बाग़ एक फ़िल्म के बराबर का हिस्सा पाती है। जिस घटना ने इस महान शख़्स को प्रभावित किया, जिसके कारण वे कई साल का सब्र करते हैं और ड्वायर को मार देते हैं। मारने से पहले लंदन में तरह तरह के काम करते हैं, ड्वायर के घर में काम करते हैं। बिना जलियाँवाला बाग़ को विस्तार से दिखाए शूजीत सरकार कोई रोचक फ़िल्म बना सकते थे मगर वह फ़िल्म नहीं होती। जलियाँवाला बाग़ की कहानी अब भी अधूरी है। एक पूरी फ़िल्म का इंतज़ार कर रही है।

ऐनी फारुकी और महमूद फारुकी की दास्तानगोई में जलियाँवाला बाग़ का एक प्रसंग है। कुचा रामदास की चार महिलाएं जलियाँवाला बाग़ से होकर गुज़रना चाहती थीं।इनमें से दो मुसलमान थीं, एक सिख और एक हिन्दू।भत्तल बेगम, पारो, शाम कौर, ज़ैनब। चारों ने डायर के सिपाहियों के आदेश को मानने से इंकार कर दिया और उनकी गोली से शहीद हो गईं। भत्तल बेगम, पारो, शाम कौर और ज़ैनब का हिन्दुस्तान कितना बदल गया है। उसे अब ये गली सेल्फी स्पाट नज़र आने लगी है। काश यह प्रसंग इस फ़िल्म का हिस्सा होता जो शहीद उधम सिंह के राम मोहम्मद सिंह आज़ाद के मर्म को और विस्तार मिलता।
शहीद उधम सिंह फ़िल्म देखिएगा। वैसे देखने की योग्यता तो तय नहीं की जा सकती लेकिन आपको पता चलेगा कि आप फ़िल्म से नज़र मिलाने के लायक़ हैं या नहीं। बोल कर देखिएगा, शहीद उधम सिंह ज़िंदाबाद। शहीद उधम सिंह ज़िंदाबाद फिर पूछिएगा कि ईमानदारी से निकला या कर्मकांड की तरह निकल गया।

आज के सांप्रदायिक और डरपोक नौजवानों तुम्हारी कोई कहानी नहीं है तुम उधम सिंह की कहानी को कैसे देखोगे। यही सोचता रहा और फ़िल्म देख गया।

लेखक–रवीश कुमार

बिहार में अब मरीजों को सप्ताह में छह दिन मिलेगी ई-संजीवनी टेलीमेडिसीन की सेवाएं

अब मरीजों को सप्ताह में छह दिन मिलेगी ई-संजीवनी टेलीमेडिसीन की सेवाएं । पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा का विस्तार कर दिया गया है। अब eSanjeevani.in और eSanjeevani OPD की सेवाएं सप्ताह में छह दिन उपलब्ध रहेंगी।

    श्री पांडेय ने कहा कि पहले ई-संजीवनी इन के माध्यम से सोमवार, गुरुवार एवं शनिवार तथा  ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से प्रत्येक मंगलवार, बुधवार एवं शुक्रवार को मिलती थी। अब दोनों माध्यम से सेवा  सोमवार से शनिवार तक मिलेगी। इसके साथ ही सेवा की कार्यावधि को सुबह 9 बजे से बढ़ाकर 4 बजे तक कर दी गयी है, जबकि पहले सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक यह सेवाएं मिल रही थी।

    श्री पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वाले वाले लोगों को टेलीमेडिसीन ( eSanjeevani.in और eSanjeevani OPD) के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। ई-संजीवनी समग्र रूप से जमीनी स्तर पर डाक्टरों और चिकित्‍सा विशेषज्ञों की कमी को दूर कर रही है। यही नहीं माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर मरीजों का बोझ भी कम पड़ रहा है।  

श्री पांडेय ने कहा कि  इस सेवा का लाभ अधिक से अधिक लोगों उपलब्ध हो सके, इसके लिए विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। इसके लिए जिलों के सभी प्रखण्डों में कम से कम दो स्पोक्स स्थापित किये जाएंगे।

बिहार विधानसभा उपचुनाव में एनडीए नेता पहुँचे प्रचार में

बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद आज तारापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत संग्रामपुर इलाके में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संग्रामपुर की जनता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है। 30 अक्टूबर को होने वाले उप चुनाव के मतदान में डपोरशंखी विपक्ष को सबक सिखाएगी।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता कहते हैं कि उपचुनाव जीतकर खेला करेंगे, मुझे तो समझ में नहीं आता कि जिसके घर में खेला हो रहा हो, कोई मछली मार रहा हो, कोई बांसुरी बजा रहा हो, इन सब चीजों को तारापुर की जनता देख रही है। उन्होंने कहा कि जिससे अपना परिवार नहीं संभल सकता वे क्षेत्र और राज्य को क्या संभालेंगे ? विपक्ष को सिर्फ सत्ता की भूख है, उन्हें सिर्फ परिवारवाद की चिंता है। जनता से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इस बात को समझने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि 2005 के पहले के बिहार को जिन लोगों ने देखा है, उन्हें आज के बिहार और बिहार सरकार के कामों को देखने पर सब कुछ स्पष्ट दिखता है। 2005 के पहले तारापुर और संग्रामपुर से पटना पहुंचना कितना दूभर था, जर्जर सड़कें बिहार की पहचान थी, परन्तु आज स्थिति बदल चुकी है।

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को साबित किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना के निर्माण के साथ-साथ आम जनमानस की कठिनाइयों को दूर करने के संस्थागत प्रयास सुनिश्चित किए गए हैं, जिसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जहां एक ओर केंद्र सरकार ने माताओं एवं बहनों को उज्जवला योजना के अंतर्गत एल.पी.जी. के कनेक्शन मुहैया कराए गये, स्वच्छ जल, बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधा को मुहैया कराया गया, कोरोना की वैश्विक परिस्थिति के दौरान गरीबों की भूख की चिंता करते हुए नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दो चरणों में नि:शुल्क अनाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराई, जो आगामी नवंबर माह तक दी जा रही है।

कोरोना संकट के दौरान देश के लोगों की जान की रक्षा हेतु प्रधानमंत्री जी की सूझबूझ से भारत ने दो स्वदेशी टीके का निर्माण कर नि:शुल्क टीकाकरण का कार्य प्रारंभ कराया। जहां संसाधन संपन्न देश कोरोना के समक्ष घुटने टेकते नजर आए, वहीं नरेंद्र मोदी जी ने देश के लोगों के साथ-साथ मानवता की रक्षा हेतु दुनिया के कई देशों को टीका उपलब्ध कराए गए। आज भारत में कोरोना टीका का आंकड़ा 100 करोड़ के पार चला गया है।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय के अंतर्गत युवा उद्यमिता एवं महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख रुपये अनुदान एवं 5 लाख रुपये ऋण के रूप में उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। महिला उद्यमियों के लिए इस योजना के अंतर्गत ब्याज मुक्त ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने व्यवसायियों के हितों का खासतौर पर ध्यान रखा है। व्यवसायी किसी भी सामाजिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। करोना काल के दौरान व्यवसायियों की हित रक्षा हेतु विशेष प्रबंध सुनिश्चित किए गए है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन परिवारवाद पर काम नहीं करता।

हमारी प्रतिबद्धताएं जनता के प्रति हैं। उन्होंने जनसभा के दौरान लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि महागठबंधन बिखर चुका है। विपक्ष को सत्ता की भूख सता रही है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि चुनाव के समय जिन्हें विकास की याद आती हो, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि आगामी 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार को भारी बहुमत से विजयी बनावें। जनता के आशीर्वाद से कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा की दोनों सीटें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जीतेगा।

जनसभा के दौरान मुंगेर के विधायक प्रणव कुमार यादव, पूर्व मंत्री श्री श्याम बिहारी प्रसाद भगत, शंभू प्रसाद गुप्ता, अजय कुमार, एस.सी. एवं एस.टी. मोर्चा के अध्यक्ष संजय रजक, उमाकांत जी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के मनोज कुमार सहित भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, हम एवं विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्तागण और भारी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।

पप्पू यादव कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने से पहले राहुल गांधी से मिलकर कोई बड़ा डील करना चाहते हैं

पप्पू यादव कांग्रेस उम्मीदवार का प्रचार करने के बजाय आज अचानक कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली पहुंच गए, वहां उनकी मुलाकात झारखंड के कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह से हुई लेकिन बिहार को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।

कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं पप्पू यादव

हालांकि कांग्रेस पप्पू यादव की जो छवि है और राजद को लेकर जिस तरह के बयान दे रहे हैं उसको लेकर फिलहाल पप्पू यादव के कांग्रेस में एंट्री की सम्भावना कम है ।

इसी को देखते हुए पप्पू यादव किसी भी तरह से राहुल गांधी से मिलकर कोई ठोस आश्वासन लेना चाह रहा है जिसकी सम्भावना फिलहाल नहीं दिख रही है ।

ऐसे में पप्पू यादव क्या करते हैं इस पर सबकी नजर है क्यों कि बिहार विधानसभा के उपचुनाव का प्रचार अभियान 28 अक्टूबर को खत्म होने वाली है ।

कन्हैया के आने के साथ ही बिहार की राजनीति गरमाई

कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने का कितना फायदा कांग्रेस को मिलेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन जिस तरीके से बिहार की राजनीति 30 वर्षों से एक खास मुहाने पर रुक सा गया था उसमें हलचल तो दिखाई देने लगा है।

जरा इन ट्वीट और बयानों पर गौर करिए

तेज प्रताप — ट्वीट कर कहा है- “जब से आए हो, अक्कड़-बक्कड़, कुच्छो बोलते जा रहे हो…! गैंग वाले थे, अब नेता बनने का शौक पाले हो का…? याद रखो कि अगर लालू यादव जी ना होते तो शायद तुम भी ना होते…

डाॅ रोहिणी—-लालू प्रसाद की पुत्री डॉ. रोहिणी जो इन दिनों अपने ट्विटर हैंडल के सहारे बिहार की राजनीति में फिरकी लेती रही है उन्होंने कन्हैया को लेकर एक ट्वीट किया है “बड़ी-बड़ी बातें जो बोलता है, एसी भी उखाड़ कर जो बेचता है..’। रोहिणी ने यह भी कहा है- “सिद्धांत का जो धनी नहीं, वो नेता तो क्या इंसान बनने के लायक नहीं।

सुशील मोदी —कांग्रेस और राजद के जूदा जूदा होने पर सुशील मोदी का बयान आया है ,एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए अलग अलग चुनाव लड़ रहा है ,राजद की पालकी को ढोने का काम कांग्रेस कर रही है और आगे भी करेगी,चुनाव बाद दोनों दल एक बार फिर एक हो जाएगा,जनता को भ्रम में रखने के लिए राजद कांग्रेस की रणनीति है ।

मनोज झा–(राजद प्रवक्ता )—-कन्हैया के बयान पर मनोज झा की बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया आयी है मैं उनको शुभकामना देता हूं और मैं क्या हूं मैं क्या नहीं हूं इसका मूल्यांकन बिहार और देश के लोग करेंगे मैं राजनीति में भाषा की गरिमा का बहुत ध्यान रखता हूं हां उन्हें बहुत बहुत शुभकामना देता हूं और तरक्की करे और उच्चे जाये ।

सुशील मोदी और मनोज झा का यह बयान और लालू प्रसाद के परिवार का ट्वीट अपने आप में बहुत कुछ बया कर रही है, देखिए आगे आगे होता है क्या।

वैसे बिहार विधानसभा उपचुनाव का परिणाम जिसके भी पक्ष में हो बिहार की सियासत पर दूरगामी प्रभाव छोड़ेगा यह तय दिख रहा है ।

चुनाव ठेकेदारी है क्या –अभयानंद

चुनाव ठेकेदारी है क्या? **
विद्यार्थी जीवन में कानून से पाला नहीं पड़ा। विज्ञान एवं गणित से पड़ा था। नौकरी में फौजदारी कानून से वास्ता पड़ा, पुलिस की नौकरी जो कर ली थी।

वर्ष 2001 – 2003 के बीच IG (Provision) के रूप में टेंडर, कॉन्ट्रैक्ट, एग्रीमेंट, आदि शब्दों से रू-ब-रू हुआ। आदत के अनुसार हर चीज़ का कानूनी पहलू समझने के लिए “लॉ ऑफ़ कॉन्ट्रैक्ट” का अध्यययन भी यथासंभव कर लिया।

सहसा ध्यान आया कि चुनाव में भी तो राजनीतिक पार्टियाँ अपने मैनिफेस्टो के माध्यम से चुनाव आयोग के द्वारा निकाली गई अधिसूचना, जो टेंडर के समतुल्य मानी जा सकती है, अपना-अपना “कोटेशन” आम आदमी के सामने रखती हैं।

टेंडर नेगोशिएशन परचेज़ समिति के सामने होती है, जिसमें आजकल टेक्निकल और कमर्शियल बिड अलग-अलग फाइल की जाती है। उसी प्रकार चुनाव प्रचार और मीडिया के द्वारा स्थापित मंच पर बहस होती है, जो “टेंडर नेगोशिएशन” के सपेक्ष है।

अंततः जिस पार्टी का “बिड” आम आदमी अर्थात वोटर को सबसे अच्छा लगता है, उस पार्टी को “वर्क आर्डर” मिल जाता है। चुनाव आयोग उस विजयी पार्टी के उम्मीदवार को औपचारिक रूप से प्रमाण पत्र देकर पार्टी और आम आदमी के बीच “कॉन्ट्रैक्ट” साइन होने का एलान कर देता है।

चुनाव और उसमें अपनाई गई प्रक्रिया से अधिक मौलिक, संवैधानिक एवं कानूनी प्रक्रिया शायद ही कोई हो। ऐसी परिस्थिति में चुनावी वादों को कानून के माध्यम से “एनफोर्स” कराने की व्यवस्था होनी ही चाहिए।
मुझे तो दीवानी तथा फौजदारी, दोनों आयाम दिख रहे हैं। समाज (सरकार नहीं) में कानूनविद इस विचार पर सोच कर देखना चाहेंगे?

लालू के प्रचार अभियान में शामिल होने पर नीतीश हुए खामोश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रबी महाभियान (2021-22) का शुभारंभ एवं प्रसार रथों को हरी झंडी दिखाकर कर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे देश में 100 करोड़ लोगों को कोविड-19 के टीके दिए जाने पर खुशी जताई है और कहां कि बिहार में भी वैक्सीनेशन के इस मिशन को लेकर काफी बेहतर काम हो रहा है वहीं तमाम लोगों को अब दूसरे डोज के टीके भी लग रहे हैं सरकार लगातार इसको लेकर समीक्षा भी कर रही है और सभी लोगों को दूसरा डोज का टिका मिले इस पर काम भी कर रही है

कोरोना के दूसरे टीका को लेकर सरकार गम्भीर है।

वही उत्तराखंड त्रासदी में मारे गए लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दो ₹200000 दिए जाने की घोषणा भी की है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तराखंड के त्रासदी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पश्चिमी चंपारण जिले के कई लोगों की मौत हुई है जिसको लेकर सरकार काफी चिंतित है और तमाम अधिकारियों को भी सरकारी सहायता मुहैया कराय।

कांग्रेस और राजद के रिश्ते पर क्या बोले नीतीश जरा आप भी सुनिए

साथ ही महागठबंधन के बिखराव पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी तोडी…… बोले सीएम नीतीश कुमार ….यह महागठबंधन का अंदरूनी मामला है वे लोग जाने हम लोग महा गठबंधन वाले मामले पर ध्यान नहीं देते हैं

क्या बिहार की राजनीति में तरुप का इक्का साबित होगा कन्हैया

क्या बिहार की राजनीति में तुरुप का इक्का साबित होगा कन्हैया

कांग्रेस में शामिल होने के बाद पहली बार पटना पहुंचे कन्हैया का जिस अंदाज में कांग्रेस के नेताओं ने स्वागत किया उससे संकेत साफ है कि आने वाले समय में गुजरात की तरह बिहार में भी कांग्रेस कन्हैया को बड़ी जिम्मेवारी दे सकती है।

वही कन्हैया जिस अंदाज में जातिवाद ,परिवारवाद और राजद के दिल्ली वाले एक नेता पर जिस तरीके से सीधा हमला बोला है उससे यह तय हो गया कि बिहार में अब कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेलने का निर्णय ले लिया है। और इसका असर है कि लालू प्रसाद रविवार को पटना पहुंच रहे हैं।

1–कन्हैया को पहले कांग्रेसियों से लड़ना होगा
कन्हैया भले ही कांग्रेस में शामिल हुआ है लेकिन बिहार कांग्रेस के जो मठाधीश हैं उसको जब तक वो साथ लाने में कामयाब नहीं होंगे तब तक कन्हैया को बिहार की राजनीति में स्थापित होना बहुत ही मुश्किल है ।

कल सदाकत आश्रम में साफ दिख रहा था कि मंच पर बैठे अधिकांश नेता कन्हैया को लेकर असहज थे, इतना ही नहीं कई नेता तो इस काम में लगे हुए थे कि सदाकत आश्रम में कुछ ऐसा करा दिया जाये ताकि मीडिया में कन्हैया के स्वागत की खबर दब जाये ।

लेकिन कन्हैया के समर्थक को देख कर वो लोग साहस नहीं जुटा पाये फिर भी राहुल गांधी जिस तरीके से गुजरात में हार्दिक पटेल के साथ खड़े हैं ठीक उसी तरह से कन्हैया के साथ भी खड़े रहेंगे तभी कन्हैया कांग्रेस में कुछ जान फुक पायेगा ।

हालांकि बिहार कांग्रेस पूरी तौर पर टेबल पॉलिटिक्स तक सिमट कर रहा गया है साथ ही कोई भी ऐसा नेता नहीं बचा है जिससे कोई बड़ी उम्मीद लगायी जा सके, लेकिन ये सारे कांग्रेस के अंदर काफी प्रभावशाली हैं और तोड़ जोड़ के माहिर खिलाड़ी भी है साथ ही बिहार की राजनीति की समझ भी रखते हैं। ऐसे में कन्हैया के सामने पहली चुनौती है यही है कि ऐसे कांग्रेसियों का आर्शीवाद उन्हें कैसे प्राप्त हो।

क्यों कि सीपीआई में भी कन्हैया पार्टी के मठाधीश को साथ जोड़ने में कामयाब नहीं हुए थे और इस वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव में बेगूसराय में पार्टी का उस तरह से साथ नहीं मिला,अगर साथ मिलता तो लड़ाई दिलचस्प हो जाता। हालांकि कन्हैया के साथ राहुल का आर्शीवाद है इसलिए मठाधीश को मनाना मुश्किल नहीं है फिर भी बड़ी चुनौती है क्यों कि कांग्रेस का जो भी संगठन बचा हुआ है उसमें नये लोगों को जोड़ कर ही कन्हैया बिहार कांग्रेस में धार पैदा कर सकता है ।

2–राजद के साथ कैसे रिश्ता रहता है इस पर भी कन्हैया का राजनीतिक भविष्य निर्भर करता है

कन्हैया के आने से बिहार कांग्रेस की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आ जाएगा ऐसा सम्भव नहीं है, बिहार में कांग्रेस को राजद या जदयू का साथ चाहिए ही तभी वह बिहार की राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकता है।
कन्हैया के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती यही है।

राजद के अंदर कन्हैया को लेकर जो छवि बनायी गयी है उससे तेजस्वी असहज है और यही वजह है कि राजद बिहार विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देकर हैसियत दिखाना चाह रही है ताकि आने वाले चुनाव में कन्हैया का दबाव ना रहे साथ ही जैसे पहले कांग्रेस को हाथ उठा कर सीट दे देते थे वैसे ही दे दें।

लेकिन राजद के इस व्यवहार पर पहली बार आलाकमान ने लालू प्रसाद के परिवार को लेकर अपना रुख बदलते हुए पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरने का कहा ,इतना ही नहीं कांग्रेस लालू प्रसाद के परिवार को हैसियत दिखाने के लिए पप्पू यादव तक को साथ आने का न्यौता दे दिया वही कन्हैया को आते आते मैदान में उतर दिया और इतना ही नहीं पहली बार कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दिया कि राजद से मेरा रिश्ता समाप्त हो गया ।

हालांकि कांग्रेस ऐसा रुख अख्तियार कर लेगा इसकी उम्मीद राजद के सलाहकार को नहीं था और कहां जा रहा है कि कांग्रेस को लेकर राजद प्रवक्ता मनोज झा का जो बयान आया है उससे लालू प्रसाद खासे नाराज है और यही वजह है कि लालू प्रसाद जो पूरी तौर पर अभी भी स्वस्थ नहीं है भागे भागे रविवार को पटना पहुंच रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कांग्रेस के साथ छुटने से राष्ट्रीय स्तर पर जो नुकसान होगा सो होगा ही बिहार में भी एक नये तरीके का गठबंधन बन सकता है जिसका नुकसान राजद को होगा।क्यों कि राजद की ताकत अब सिर्फ मुस्लिम वोटर रहा है एमवाई समीकरण दरका तो फिर राजद की वापसी बेहद मुश्किल हो जायेंगी ।

वही कन्हैया के आने से जदयू और कांग्रेस के बीच नजदीकियां बढ़ सकती है क्यों कि कन्हैया का नीतीश से बहुत ही अंतरंग रिश्ता है और नीतीश भी चाह रहे थे कि कांग्रेस में ऐसा कोई नेता हो जिसके सहारे सीधे राहुल तक पहुंचा जा सके। क्यों कि जदयू पिछली बार भी जब राजद से नाता तोड़ रहा था उस समय अंतिम क्षण तक नीतीश का यह प्रयास जारी रहा कि कांग्रेस लालू प्रसाद पर दबाव बनाये और तेजस्वी पद छोड़ दे राहुल उस समय भी नीतीश के साथ खड़े थे लेकिन अहमद पटेल लालू प्रसाद की बात में आ गये और फिर राहुल चुप हो गया ।

लेकिन कन्हैया के आने से इस बार स्थिति भिन्न है कमान राहुल के हाथ में है, वही देश की राजनीति जिस दिशा में बढ़ रही है ऐसे में नीतीश बीजेपी के साथ सहज नहीं है ।

ऐसे में कन्हैया के आने से नीतीश का गठबंधन से अलग होने का रास्ता मिल गया है क्यों कि कन्हैया जिस तरीके से राजद और लालू प्रसाद को लेकर हमलावर है ऐसे में कांग्रेस अगर कन्हैया को बिहार की जिम्मेवारी सौपता है तो नीतीश को राजद से साथ हाथ मिलाने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि इस बार कांग्रेस पहले कि स्थिति में ज्यादा मजबूत और निर्णय लेने की स्थिति में है इसलिए आने वाले समय में बिहार की राजनीति में कन्हैया तुरुप का इक्का साबित हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

साइबर क्राइम मामले में हाईकोर्ट ने दिखाया सख्त रुख कहां ऐसे मामले में आरोपी को बेल नहीं दी जा सकती

पटना हाईकोर्ट ने आम लोगों ठगने के लिए 28 पृष्टों में मोबाइल फ़ोन नंबर पकड़े जाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए शिव कुमार को अग्रिम जमानत नहीं दिया।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आज के दिनों में इस प्रकार का अपराध समाज में अनियंत्रित हो गया है, जब अपराधी लोगों को फ़ोन करके उनसे बैंक आदि के डिटेल्स ले कर ठग रहे हैं।

शिव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संदीप कुमार ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने ससमय आत्मसमर्पण नहीं करने की स्थिति में नवादा के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में याचिकाकर्ता समेत इस मामले के सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में नवादा के पुलिस अधीक्षक को केस के अनुसंधान अधिकारी (आई ओ )को कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा है कि आखिर इस मामले के अभियुक्तों की गिरफ्तारी अभी तक क्यों नहीं कि गई है,जबकि यह मामला वर्ष 2020 का है।

कोर्ट ने इस बात की जानकारी मांगी है कि इनकी गिरफ्तारी को लेकर क्या कार्रवाई अभी तक कि गई है। इतने लंबे समय तक इनकी गिरफ्तारी पुलिस द्वारा क्यों नहीं कि गई है।

कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस तरह के अपराध वारीसलीगंज पुलिस थाना क्षेत्र में अनियंत्रित ढंग से फैला हुआ है। कोर्ट नवादा को दूसरा जामताड़ा होने की अनुमति नहीं देगा।

आदेश का अनुपालन को लेकर इस आदेश की प्रति को फौरन नवादा के पुलिस अधीक्षक को फैक्स के जरिये भेजने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया है। कोर्ट के आदेश का अनुपालन रिपोर्ट नवादा के पुलिस अधीक्षक के व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ पेश करने को कहा गया है।

मामला वारीसलिगंज थाना कांड संख्या – 163 / 2020 से जुड़ा हुआ है, जिसमें आई पी सी की धारा 419/ 420 व आई टी एक्ट की धारा 66( बी) के तहत केस दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता के पास से कथित तौर पर 28 पृष्टों में आम लोगों को ठगने के लिए मोबाइल फ़ोन नंबर पाया गया था।
इस मामले पर आगे की सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।