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पटना हाईकोर्ट ने पटना के कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को 5 मई, 2023 तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने पटना के कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को 5 मई, 2023 तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।डा. आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम क्षेत्र में बनने वाले वेडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि पिछली सुनवाई में राज्य सरकार और पटना नगर निगम ने इस वेडिंग जोन नौ महीने निर्माण कार्य पूरा करने का अश्वासन दिया था। लेकिन अभी पंद्रह महीने के बाद भी अब तक कदमकुआं वेडिंग जोन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है।

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने को कहा।पिछली सुनवाई में पटना नगर निगम की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पटना नगर निगम क्षेत्र में 98 वेंडिग जोन बनाने की कार्रवाई चल रही है।

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कोर्ट को ये भी बताया गया था कि लगभग 50 वेंडिग जोन के निर्माण के लिए राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा हैं।ये पटना नगर निगम क्षेत्र के कदमकुआं,शेखपुरा और बोरिंग रोड के अलावे ये 98 वेंडिग जोन बनाए जाने की योजना थी।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने पटना नगर निगम के आयुक्त से स्पष्ट कहा कि वे सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं,बल्कि वे स्वायत्त संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में जानना चाहा था कि राज्य के नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को कैसे रोक दिया।साथ ही यह भी बताने को कहा था कि वेंडिग जोन का निर्माण कब तक पूरा होगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं,जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

इस मामले पर 5 मई , 2023 को सुनवाई की जाएगी।

माफिया को ‘शहीद’ बताकर माहौल बिगाड़ने वालों पर सख्ती करे सरकार: सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को ईद की बधाई दी और अपील की कि समाज उन तत्वों से सावधान रहें, जो वोट बैंक की राजनीति के चलते किसी अपराधी-माफिया को ‘शहीद’ बताकर अमन-चैन की तहजीब को खतरे में डालते हैं।

  • महागठबंधन सरकार की नरमी के कारण उन्मादी तत्वों का दुस्साहस बढ़ा
  • मुस्लिम समुदाय को ईद मुबारक़, शरारती तत्वों से सावधान रहें लोग

श्री मोदी ने कहा कि यूपी के माफिया अतीक अहमद की हत्या बिहार में सामाजिक सौहार्द मिटाने का बहाना न बने , इसके लिए समाज और सरकार को पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए। हम नहीं चाहते कि रामनवमी के बाद ईद पर भी किसी प्रकार की गड़बड़ी हो।

उन्होंने कहा कि जिस शख्स पर हत्या-अपहरण जैसे संगीन मामले में पिछली गैर-भाजपा सरकारों के समय ही 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे, उसे किसी मजहब से जोड़ कर नारेबाजी करने वालों की पहचान कर सरकार को तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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श्री मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने शोभायात्रा और सामूहिक नमाज जैसे मौके पर गड़बड़ी करने वालों के प्रति यदि नरमी नहीं बरती होती, तो उपद्रवी तत्वों का दुस्साहस नहीं बढता।

उन्होंने कहा कि अतीक अहमद उत्तर प्रदेश में जुल्म का पर्याय बन चुका था। फिर भी उसकी हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता। योगी सरकार ने तुरंत पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश देकर कानून के प्रति भरोसा जताया है।

श्री मोदी मे कहा कि बिहार में मंत्री वृजबिहारी प्रसाद की हत्या पुलिस सुरक्षा और अस्पताल परिसर में हुई थी।
अजीत सरकार और अशोक सिंह (दोनों पूर्व विधायक) की हत्या भी उनके सुरक्षा में रहते की गई थी। ऐसी चुनिंदा घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई की। आत्मबोध की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार दिए गए कार्रवाई रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास,विस्तार और कलाकारों के कल्याण के लिए राज्य सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कला व संस्कृति सचिव व उद्योग विभाग के निर्देशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कल कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत का निर्देश दिया था।

उन्होंने जो रिपोर्ट दिया ,उससे स्पष्ट हुआ कि पटना एयरपोर्ट के परिसर में जो मधुबनी पेंटिंग लगी है,वहां न तो कलाकारों को क्रेडिट दिया गया है।साथ ही जी आई टैग भी नहीं लगा है।इससे मधुबनी पेंटिंग व उसके कलाकारों की उपेक्षा स्पष्ट होती है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास और विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही, साथ ही मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है,लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है।उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है।

इसी का लाभ बिचौलिए उठाते है।उनकी पेंटिंग का बाहर ले जा कर महंगे दामों में बेचते है, जबकि उन कलाकारों को बहुत थोड़ी सी रकम दे देते है।

उन्होंनेे कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई।ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है ,लेकिन इसका आजतक रेजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

इसके सम्बन्ध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है।इसका लाभ बिचौलिए उठाते है। इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में हुए अवैध अतिक्रमण के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में हुए अवैध अतिक्रमण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन ने विकास चंद्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

इस जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में अवैध भूमि अतिक्रमण हुआ है।इन्हें हटाने के राज्य सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारी को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार अपनी संपत्ति की रक्षा करने में असफल रही।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि बिना सरकारी भूमि को चिन्हित किये और चारदिवारी बनाए भूमि का अवैध अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

जब कुछ सजायाफ्ता लोगों के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं? – सुशील मोदी

पटना । राज्यसभा सांसद सह पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार ने कहा कि जब कुछ प्रभावशाली लोगों के गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होने के बावजूद उनकी रिहाई के लिए जेल मैन्युअल को शिथिल किया जा सकता है, तब शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े 3 लाख 61 हजार मुकदमे भी वापस लिये जा सकते हैं।

• जब कुछ सजायाफ्ता लोगों के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं?
• शराब से जुड़े मामलों के लिए न स्पेशल कोर्ट, न स्पीडी ट्रायल

श्री मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए। इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें।

उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत जिन 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे कोई शातिर अपराधी नहीं हैं, उनमें 90 फीसद लोग दलित-पिछड़े-आदिवासी समुदाय के हैं। ऐसे लगभग 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि जेलों में जगह नहीं है और अदालतें पहले ही मुकदमों के बोझ से दबी हैं। गरीब मुकदमे के चक्कर में और गरीब हो रहे हैं। ऐसे में शराबबंदी कानून तोड़ने वालों को आम माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि 6 वर्षों में जहरीली शराब पीने से मरने की 30 घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 196 लोगों की मौत हुई, लेकिन इस के लिए दोषी एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई।

श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया ? किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ? गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया?

बिहार में तबादलों का दौर जारी; 2 IAS, 2 IPS अधिकारियों समेत 19 SDPO के तलाबदले किये गए, जाने पूरी लिस्ट…

पटना। बिहार में तबादलों का दौर जारी है । इसी क्रम में, बिहार सरकार ने बुधवार की देर रात दो आइएएस अधिकारियों का और दो आइपीएस समेत 19 एसडीपीओ के तलाबदले कर दिए। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंधित में आदेश भी जारी कर दिया है।

बिहार की नीतीश सरकार ने 19 एसडीपीओ और 2 आइपीएस का ट्रांसफर किया है। बुधवार को गृह विभाग ने इसके लिए भी अधिसूचना जारी कर दी है।

सरकार ने 2 IAS और 2 IPS को नई जिम्मेदारी दी है। 2 आईएएस को अतिरिक्त प्रभार भी मिला है।

Police transfer

CID में पोस्टेड नुरुल हक को पटना का डीएसपी लॉ एंडऑर्डर बनाया गया हैहै। तो वहीं, नालंदा में डीएसपी विधि व्यवस्था सुशील कुमार को पटनासचिवालय में डीएसपी नियुक्त किया गया है।

जाने पूरी लिस्ट…

  • सीआइडी में डीएसपी अफाक अख्तर अंसारी कोडुमराव में एसडीपीओ
  • निगरानी में डीएसपी मो. खुर्शीद आलम को गया में डीएसपी विधिव्यवस्था
  • थ नगर में डीएसपी संतोष कुमार को छपरा सदर का एसडीपीओ
  • सीआइडी मेंडीएसपी खुशरु सिराज को फारबिसगंज में एसडीपीओ
  • भीम नगर में डीएसपी धीरेंद्र कुमारको रक्सौल का एसडीपीओ
  • जमुई के डीएसपी सुशील कुमार को नालंदा में डीएएपी विधिव्यवस्था
  • अररिया के एसडीपीओ पुष्कर कुमार को पूर्णिया सदर का एसडीपीओ
  • पुलिसमुख्यालय में डीएसपी रामपुकार सिंह को अररिया में एसडीपीओ
  • स्पेशल ब्रांच पटना मेंडीएसपी रविशंकर प्रसाद को समस्तीपुर के पटाेरी में एसडीपीओ
  • डेहरी में डीएसपीशिवशंकर कुमार को कैमूर में एसडीपीओ
  • डुमरांव में डीएसपी कुमार वैभव को वजीरगंज में एसडीपीओ
  • स्पेशल ब्रांच पटना में डीएसपी अरविंद कुमार सिन्हा को शेखपुरा मेंएसडीपीओ
  • डीएसपी रेल पटना फिराेज आलम को सीवान सदर में एसडीपीओ
  • बगहा के डीएसपीअशोक कुमार को सिकरहना का एसडीपीओ
  • रोहतास में डीएसपी राजेश कुमार को झाझा में एसडीपीओ
  • सीआइडी में डीएसपी हुलास कुमार को बनमनखी में एसडीपीओ
  • डुमरांव में डीएसपी राजू रंजन कुमार को सुपौल के निर्मली में एसडीपीओ नियुक्त किया गया है

इससे पहले भी बीते दिनों बिहार में बिहार प्रशासनिक सेवा (बीएएस) के 64अधिकारियों का तबादला किया गया था. जिसमें 32 एसडीओ और 32 अन्य अधिकारी शामिल थे।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उन 107 मदरसों को वित्तीय अनुदान देने की अनुमति राज्य सरकार को दिया है, जो बिहार राज्य मदरसा कानून की शर्तों को पूरा कर रहे हैं

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उन 107 मदरसों को वित्तीय अनुदान देने की अनुमति राज्य सरकार को दिया है, जो बिहार राज्य मदरसा कानून की शर्तों को पूरा कर रहे हैं। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अलाउद्दीन बिस्मिल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

24 जनवरी,2023 को पटना हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इसी जनहित मामले में सुबह के 23 सौ से अधिक मदरसाओं की जांच का आदेश देते हुए इन संस्थानों को मिलने वाले सभी वित्तीय अनुदान ऊपर रोक लगा दिया था।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने बताया कि मदरसाओं की जांच हर जिले में की जा रही है । यह जांच प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय समिति कर रही है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब तक 268 मदरसा संस्थानों की जांच पूरी हो गई है,जिसमें 107 मदरसा संस्थान कानूनी तौर पर सभी शर्तों को पूरा करते हुए अनुदान योग्य पाए गए हैं। शेष 161 संस्थानों को मामूली गड़बड़ी पाते हुए उन्हें 6 महीने का मौका दिया गया है कि वे अपने अपने त्रुटियों को सुधारें।

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इस सम्बन्ध में राज्य सरकार की तरफ से एक हलफनामा भी दायर किया गया।एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से कहा ने कहा कि कानूनी शर्तों को पूरा करने वाले अभी 107 मदरसों को फिलहाल अभी से अनुदान देने की अनुमति दी जा सकती है।

मान्यता की शर्तों को लागू कर करने हेतु 6 महीने का समय पाने वाले शेष 161 मदरसा संस्थान को सशर्त अनुदान देने की अनुमति कोर्ट ने दिया।

कोर्ट ने अन्य मदरसों की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया। अगली जांच रिपोर्ट के लिए इस मामले की सुनवाई 21जून,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने अदालती आदेश का पालन नहीं करने के मामलें में बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया

पटना हाइकोर्ट ने अदालती आदेश का पालन नहीं करने के मामलें में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया है।डा. राकेश रंजन की अवमानना वाद पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी वी बजंत्री ने आदेश दिया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉक्टर के प्रोन्नति के मामले 17 दिसंबर ,2021एक आदेश पारित किया था।कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने पर याचिकाकर्ता ने अवमाननावाद दायर किया।

कोर्ट ने 5अप्रैल,2023 को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत प्रत्यय को आज मामलें के सारे सम्बंधित रिकार्ड व कागजात के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया था।

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लेकिन आज कोर्ट के समक्ष उक्त अधिकारी उपस्थित नहीं हुए।इस पर कोर्ट ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया।इस मामलें की सुनवाई दो सप्ताह बाद किया जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शशि भूषण कुमार और राज्य सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता सूरज देव यादव ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया।

बिहार में लालू और बालू का रिश्ता अटूट है, इसलिए राजद के सत्ता में आते ही पुलिस पर बढ़े माफिया के हमले: सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में लालू और बालू का रिश्ता अटूट है, इसलिए राजद के सत्ता में आते ही बालू माफिया का दुस्साहस बढ़ जाता है और इसी का परिणाम है कि महिला अधिकारी पर जानलेवा हमला हुआ।

• लालू – बालू के रिश्ते से पुलिस पर बढ़े माफिया के हमले
• नीतीश कुमार ने राजद को खनन विभाग देकर बिल्ली को सौंपी दूध की रखवाली
• बालू माफिया ने 4.28 करोड़ में खरीदे राबड़ी देवी के 8 फ्लैट
• राजद विधायक के चहेतों ने खनन अधिकारियों से की मारपीट
• प्राकृतिक सम्पदा की लूट न रोक पाने के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने खनन विभाग लालू प्रसाद की पार्टी को सौंप कर बिल्ली को दूध की रखवाली देने-जैसा फैसला किया है।

श्री मोदी ने कहा कि बालू माफिया सुभाष यादव को राजद ने चतरा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था। दूसरे बालू माफिया राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव बलातकार के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इन्हीं सुभाष यादव और अरुण यादव ने राबड़ी देवी के 8 फ्लैट एक ही दिन में 5 करोड़ 28 लाख में खरीदे थे। बालू माफिया राजद की पोलिटिकल फंडिंग करता है।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले छह माह पुलिस पर बालू माफिया के हमले के एक दर्जन से ज्यादा घटनाएँ हुईं। बिहटा-मनेर-विक्रम इलाके में राजनीतिक संरक्षण-प्राप्त बालू माफिया के हमले की एक घटना में 1000 राउंड गोलियां चली थीं।

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श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार में बालू माफिया पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है, इसलिए अवैध खनन बढ रहा है और राजस्व वसूली घट रही है।

उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार खनन विभाग में फर्जी चालान से स्कूटर, कार, एंबुलेंस में बालू की ढुलाई से विभाग को 355 करोड़ रुपया का नुकसान हुआ। साथ ही वर्ष 22-23 में अवैध खनन के कारण राजस्व में लक्ष्य से 500 करोड़ रुपया कम संग्रह हुआ।

श्री मोदी ने कहा कि जब राजद विधायक के चहेते खनन विभाग के पटना कार्यालय में घुसकर कर्मचारियों से मारपीट और तोड़फोड़ कर रहे हैं, तब विभाग अपना काम कैसे कर सकता है? ऐसी घटनाएँ संगठित अपराध से मुख्यमंत्री के समझौता कर लेने का सबूत हैं।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब हर बात का श्रेय खुद लेते हैं, तब राज्य की प्राकृतिक सम्पदा की लूट नहीं रोक पाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही लेनी चाहिए।

पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची से रेप के बाद FIR दर्ज करने में कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर बिहार सरकार से जबाब तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची से रेप के बाद प्राथमिकी दर्ज करने में कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर राज्य सरकार से जबाब तलब किया है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जबाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने साथ ही अब तक की गई कार्रवाई का पूरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि यूनिसेफ के एक कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट को एक पत्र भेज मुजफ्फरपुर में 16 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ रेप के बाद उसकी हत्या किये जाने के दस दिनों के बाद प्राधमिकी दर्ज करने के बारे में जानकारी भेजी।इसके अलावा मधुबनी जिला में गूंगी बहरी 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ रेप किये जाने के बाद उसकी दोनों आंखे फोड़े जाने की घटना के बारे में भी हाई कोर्ट को जानकारी दी थी।

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इस जानकारी पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले कार्रवाई प्रारम्भ की।कोर्ट का कहना था कि रेप की घटना के बाद तुरंत प्राथमिकी दर्ज किया जाना चाहिए।लेकिन पुलिस दस दिनों के बाद प्राथमिकी दर्ज की।कोर्ट का कहना था कि आखिर किस परिस्थिति में प्राथमिकी देर से दर्ज की गई।

कोर्ट ने ये जानना चाहा कि देर से प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 4 मई,2023 की तिथि निर्धारित की है।

पटना हाईकोर्ट में पटना के एमपी/ एमएलए कोर्ट द्वारा कांग्रेस के पूर्व एमपी और पूर्व सांसद राहुल गांधी को एक परिवाद पत्र मामले में उपस्थित होने के लिए भेजे गए नोटिस को चुनौती देने वाली अपराधिक याचिका पर हाईकोर्ट में 24 अप्रैल,2023 को सुनवाई होने की संभावना है

पटना हाईकोर्ट में पटना के एमपी/ एमएलए कोर्ट द्वारा कांग्रेस के पूर्व एमपी और पूर्व सांसद राहुल गांधी को एक परिवाद पत्र मामले में उपस्थित होने के लिए भेजे गए नोटिस को चुनौती देने वाली अपराधिक याचिका पर हाईकोर्ट में 24 अप्रैल,2023 को सुनवाई होने की संभावना है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी द्वारा दायर यह आपराधिक याचिका जस्टिस संदीप कुमार के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

राहुल गांधी के अधिवक्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल के पहले की जाए। कोर्ट को बताया गया की पटना के एमपी/ एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी को 25 अप्रैल,2023 को एक परिवाद पत्र में उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा है।

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने एक सभा के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि जितने भी मोदी हैं ,वे चोर हैं। इसी टिप्पणी को आधार बनाते हुए देश के कई हिस्सों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ परिवाद पत्र दाखिल किया गया था।

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इसी मामलें में गुजरात की एक कोर्ट द्वारा इसी परिवाद पत्र पर राहुल गांधी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। इसके बाद उनकी संसद की सदस्यता समाप्त कर दी गई है।

अगर हाई कोर्ट द्वारा निचली अदालत के इस आदेश पर रोक लगा दिया जाता है ,तो राहुल गांधी को 25 अप्रैल को पटना के एमपी /एमएलए कोर्ट में उपस्थित नहीं होना पड़ेगा।

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित हो कर तथ्यों की जानकारी दी थी।

इससे पहले अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया था कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने जानकारी दी थी कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब है।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

पटना हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

बिहार सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में 4 मई, 2023 को सुनवाई की जाएगी

राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाइकोर्ट में 4 मई, 2023 को सुनवाई की जाएगी।अखिलेश कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होंने कहा कि ये सर्वेक्षण कराने का अधिकार राज्य सरकार को नही है।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि ये राज्य सरकार के क्षेत्रधिकार में नहीं आता है।

उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है।ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है।

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उन्होंने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है।राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने इसकी सुनवाई की योग्यता पर बुनियादी आपत्ति की थी।उन्होंने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।कोर्ट ने इस अमान्य करते हुए कहा था कि ये प्रावधानों के उल्लंघन और पाँच सौ करोड़ रुपए से सम्बंधित मामला है।

कोर्ट ने इस मामलें पर 4 मई,2023 को सुनवाई की नई तिथि निर्धारित की है।इस याचिकाकर्ता की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत कर रहे हैं।

बिहार में लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के लिए लोहार कल्याण समिति ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की

लोहार,कमर (लोहार और कर्मकार), लोहरा और लोहारा जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के लिए लोहार कल्याण समिति ने पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस रिट याचिका में इन सभी जातियों को अलग अलग जाति कोड जारी करने की मांग कोर्ट से की गई है।

आवेदक की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह का कहना है कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के लिए गत पहली मार्च को अधिसूचना है। जिसके तहत जाति सर्वेक्षण का दूसरा चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू कर 15 मई तक पूरा करना है।

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उनका कहना है कि 1941 की जनगणना में लोहार जाति को अलग जाति के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन इस जातिये जनगणना में इस जाति को अपना कोई जाति कोड नहीं दिया गया।जबकि राज्य में लोहार जाति सबसे कमजोर जातियों में से एक है।

इसी कारण राज्य सरकार ने 25 जनवरी 2017 को लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने की सिफारिश केंद्र से की थी।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट में एक सप्ताह सुनवाई की जाएगी

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पर पटना हाई कोर्ट में एक सप्ताह सुनवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका दायर पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

इस जनहित याचिका में चयनकर्ताओं/ सपोर्ट स्टाफ व बी सी सी आई द्वारा संचालित घरेलू टूर्नामेंट में विभिन्न उम्र के राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडियों को सही तौर से चयन करने को लेकर आदेश देने की माँग की गई है। इसमें
में यह आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन कमेटी में अवैध रूप से कुर्सी पर काबिज लोगों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि कुर्सी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों के दावों को हतोत्साहित कर रहे हैं। खिलाड़ियों के मनमाने औऱ अनुचित तौर से चयन कर क्रिकेट को बेचने पर उतारू हैं।

इसलिए राज्य में खिलाड़ियों की स्थिति और भी खराब होते जा रही है। साथ ही इस से खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट में भी कामयाब नहीं हो रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया एंड अदर्स बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार व अन्य के मामले में सिविल अपील संख्या – 4235 में 9 अगस्त, 2018 को दिये गए फैसले दिया गया था।

इसके अनुसार जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में खिलाड़ियों का सही तौर से चयन करने हेतु क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के गठन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

Patna High Court News: बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 20 अप्रैल, 2023 को की जाएगी

पटना हाईकोर्ट में बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 20 अप्रैल, 2023 को की जाएगी। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17अप्रैल,2023 तक मोहलत दी थी।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया था कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई।

बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।कोर्ट को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है।2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी।

कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है।गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है।इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है।

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कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी।यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है।इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए।

कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20अप्रैल,2023 के बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में राज्य में एयरपोर्ट के स्थापित करने,विकास,विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी

पटना हाइकोर्ट में राज्य में एयरपोर्ट के स्थापित करने,विकास,विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के तीन एयरपोर्ट और पूर्णियां एयरपोर्ट के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से ये बताने को कहा था कि राज्य में नए एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें क्या कार्रवाई की गई है।दोनों सरकारों को बताने को कहा गया था कि वे बताए कि इनके सम्बन्ध में क्या योजनाएं बना रहे है।

कोर्ट ने उन्हें ये भी बताने को कहा था कि क्या वे नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उन्हें चिन्हित करने की कार्रवाई की है।कोर्ट ने ये जानना चाहा कि इन नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उनकी क्या योजना है।

पूर्व की सुनवाई में कार्यरत एयरपोर्ट पटना,गया,बिहटा और दरभंगा के एयरपोर्ट के विकास,विस्तार और सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं के बारे में बताने को कहा था।

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कोर्ट को बताया गया कि राज्य के अधिकतर हवाई अड्डों पर सुविधाओं की काफी कमी है।इन्हें बेहतर बनाने के क्या कार्रवाई की जा रही है।

इससे पूर्व कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

जहरीली शराब से अब तक 300 गरीब मरे, इस्तीफा दें नीतीश: सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से जहरीली शराब पीने की घटनाओं में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। यह हादसा नहीं, दलितों-गरीबों की हत्या का मामला है और इसकी जिम्मेदारी लेकर नीतीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए।

  • चम्पारण में मरने वालों के आश्रितों को भी मिले 4-4 लाख का मुआवजा
  • जहरीली शराब से मौत हादसा नहीं, दलित नरसंहार
  • जिन्हें जहरीली शराब से मौत पर हमदर्दी नहीं, वे माफिया की हत्या पर आँसू बहा रहे

श्री मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों और उनके आश्रितों के प्रति नीतीश कुमार की कोई सहानुभूति नहीं है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी चम्पारण में जहरीली शराब से जिनकी मृत्यु हुई, उनके आश्रितों को भी उत्पाद कानून के अनुसार 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए। खजूरबन्ना (गोपालगंज) में जहरीली शराब से मरने वाले 30 लोगों को मुआवजा दिया गया गया था।

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श्री मोदी ने कहा कि जदयू-राजद सहित जिन सात दलों के राज में दो दिन के भीतर जहरीली शराब से दलित-आदिवासी समुदाय के 30 से ज्यादा लोगों की जान गई, वे यूपी के एक माफिया के गैंगवार में मारे जाने पर आँसू बहा रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि माफिया अतीक और उसके गुर्गों के मारे जाने से उत्तर प्रदेश की जनता खुश है, लेकिन जिन्होंने बिहार में शहाबुद्दीन को माफिया बनाया, वे पड़ोसी राज्य के एक दुर्दांत माफिया का मजहब देख कर उसकी मौत पर छाती पीट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में मंत्री वृजबिहारी प्रसाद को पुलिस सुरक्षा में रहते हुए अस्पताल परिसर में गोलियों से भून दिया गया था। अजित सरकार, अशोक सिंह सहित आधा दर्जन विधायकों की हत्या भी उसी दौर में हुई, लेकिन राजद से मिल कर सत्ता पाने वाले लोग यह सब भूल गए।

श्री मोदी ने कहा कि राजद शासन में दलित-पिछड़े हत्या-नरसंहार का शिकार होते थे, आज चाचा-भतीजा राज में जहरीली शराब के जरिये दलित-आदिवासी नरसंहार हो रहा है।

Bihar Weather Update: बिहार में मौसम विभाग ने दी हीट वेव की चेतावनी; 20 अप्रैल तक दिखेगा अधिक असर

पटना । बिहार मौसम सेवा केंद्र, पटना के अनुसार अगले तीन-चार दिनों में बिहार में भीषण गर्मी की स्थिति रहने की संभावना है। बिहार में लगातार बढ़ती गर्मी से लोग परेशान हो रहे है । राजधानी पटना समेत कई जिलों में पारा 40 के पार चला गया है । ऐसे में भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है ।

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान में और अधिक वृद्धि होगी और पारा 44 डिग्री तक पहुंच सकता है। पछुआ हवा के कारण लू चलने की स्थिति बनी रहेगी।

सबसे अधिक औरंगाबाद में दिन का अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बिहार के अधिकांश जिलों में 15 अप्रैल को दिन का अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक दर्ज किया गया।

शनिवार को 42 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान दर्ज करने वाले जिलों में डेहरी (42.8 डिग्री सेल्सियस), पटना (42.4 डिग्री सेल्सियस), जमुई (42.3 डिग्री सेल्सियस), खगड़िया (42.2 डिग्री सेल्सियस) और शेखपुरा (42.1 डिग्री सेल्सियस) शामिल हैं।

पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने पूर्वानुमान व्यक्त किया है कि अप्रैल महीने में तपती गर्मी का असर मध्य और दक्षिण बिहार के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक होगी। वहीं, आईएमडी के अनुसार, बिहार में सोमवार यानी 17 अप्रैल तक लू की स्थिति रहेगी। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 20 अप्रैल तक राज्य में हीटवेव की स्थिति रह सकती है।

पटना मौसम केंद्र के अनुसार बिहार के 13 जिलों में 16 से 18 अप्रैल तक हिट वेव को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। रविवार को राज्य के पूर्व और दक्षिण-मध्य हिस्सों में लू का अलर्ट जारी किया है. वहीं, सोमवार को राज्य के दक्षिणी हिस्सों में लू की स्थिति को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। बिहार के पटना, जहानाबाद, गया, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया में 20 अप्रैल तक हीट वेव चलने की आशंका है।

भीषण गर्मी के बीच लोगों को तपती धूप से बचने की सलाह दी गई हैं। इसके अलावा, जिला अधिकारियों को भी सलाह दी गई है कि वे अपने-अपने जिलों में स्थिति की निगरानी करें।

पूर्वी चम्पारण में भी छिपाये जा रहे जहरीली शराब से मौत के आंकड़े: सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि छपरा के बाद अब पूर्वी चम्पारण में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की जान गई, दो दर्जन से ज्यादा पीड़ितों का इलाज चल रहा है और कई आँखों की रोशनी खो चुके हैं, लेकिन सरकार आँकड़े छिपाने में लगी है।

  • मृतकों में दलित और पिछड़े समाज के लोग, कई ने खोयी नेत्र ज्योति
  • पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के जलाये जा रहे शव
  • मृतक-आश्रितों को मिले 4-4 लाख का मुआवजा, नीति तय करे सरकार

श्री मोदी ने कहा कि सरकार मौत का कारण डायरिया या अज्ञात बीमारी बता रही है। पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के भुटन मांझी सहित कई मृतकों के शव जला दिये गए। मृतकों में अधिकतर दलित और पिछड़ी जातियों के थे।

उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा देने की स्पष्ट नीति बनाने के लिए मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक जल्द बुलानी चाहिए। छपरा में ऐसी घटना के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की गई थी।

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श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने छपरा की घटना के बाद राज्य सरकार पर आँकड़े छिपाने का आरोप लगाया था। अब पूर्वी चपारण में भी यही हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आयोग नेजहरीली शराब पीने से मरने वालों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक उसका पालन नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि पटना हाई कोर्ट ने जहरीली शराब पीने से बीमार होने वालों की चिकित्सा के लिए मानक प्रक्रिया (SOP) तय करने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार यह भी नहीं बना सकी।

श्री मोदी ने कहा कि यदि सरकार ने हाई कोर्ट के निर्देश और आयोग की अनुशंसाओं को गंभीरता से लिया होता,तो पीड़ितों और उनके परिवारों को कठिन समय में बड़ी राहत मिलती।