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पीएम किसान निधि के अंतर्गत बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों को 15 हजार 964 करोड़ रुपया सीधे उनके खाते में जमा किए गए

पटना/दिल्ली । The BiharNews Post : December 16, 2022
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि पीएम किसान निधि के अंतर्गत बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों को 15 हजार 964 करोड़ रुपया सीधे उनके खाते में जमा किए गए हैं। सर्वाधिक सारण जिले के 6.01 लाख किसानों को 1,090 करोड़, पूर्वी चंपारण के 5.02 लाख किसानों को 916 करोड़ तथा सिवान, मुजफ्फरपुर के 4 लाख से ज्यादा किसानों को योजना का लाभ मिल रहा है।

• बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों के खाते में 15,964 करोड़ प्रधानमंत्री किसान निधि के अंतर्गत भेजे गए।
• 1 लाख 95 हजार अपात्र किसानों ने इसका लाभ ले लिया
• अपात्र किसानों से 241.2 करोड़ के विरुद्ध 5.1 करोड़ की वसूले जा सके हैं

Sushil Modi and Narender singh Tomar

बिहार के 10 लाख 10 हजार किसानों का बैंक खाता आधार से जुड़े नहीं होने के बावजूद अभी तक उनके खाते में पैसा भेजा जा रहा है।

इनकम टैक्स देने वाले किसानों को इस निधि का लाभ नहीं दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद 80,300 किसानों ने इसका लाभ ले लिया। इसके अतिरिक्त 1 लाख 14 हजार किसान अपात्र थे, परंतु उन्हें भी इसका लाभ मिल गया।

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ऐसे किसानों से 241.2 करोड़ रुपए वसूले जाने वाले हैं, परंतु अभी तक मात्र 5.1 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं।

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पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें में ए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के विधि सचिव को सभी जिलों के ज़िला जज,डी एम और अधिवक्ता एसोसिएशनों के साथ बैठक कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।

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लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। उनके लिए पर्याप्त भवन नही है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसंबर,2022 को होगी।

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मुजफ्फरपुर कैंसर अस्पताल का निर्माण 2023 में प्रारंभ होगा: सुशील मोदी

पटना । The BiharNews Post : December 15, 2022
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर में टाटा कैंसर अस्पताल के सहयोग से बनने वाले कैंसर अस्पताल हेतु भारत सरकार द्वारा 198.15 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है।

अस्पताल निर्माण हेतु निविदा निकालकर सफल बोलीकर्ता का चयन कर लिया गया है। जनवरी, 2023 में कार्य प्रारंभ हो जाएगा। अभी तक निर्माण कार्य, उपकरण आदि पर 6.25 करोड़ रुपया व्यय हो चुके हैं।

• मुजफ्फरपुर कैंसर अस्पताल का निर्माण 2023 में प्रारंभ होगा
• 183 करोड़ स्वीकृत कैंसर अस्पताल हेतु

Sushil Modi in sansad

मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सी.एस.आर एवं समाज-सेवियों के सहयोग से मॉड्यूलर अस्पताल चल रहा है जहां प्रतिदिन 200 मरीज आ रहे हैं।

मंत्री ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से शल्य, चिकित्सा, निवारक, प्रशामक कैंसर और प्रयोगशाला सेवाएं दी जा रही है।

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मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित अस्पताल में सर्जिकल, मेडिकल, रेडिएशन, प्रीवेंटिव एवं पेलिएटिव एवं अन्य सब प्रकार की कैंसर चिकित्सा की व्यवस्था रहेगी।

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर की ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना

पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में राज्य के प्रारंभिक राजकीयकृत स्कूलों के हेड मास्टरों की नियुक्ति एवं अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने वाली नई नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना है।

जस्टिस पी वी वैजंत्री की खंडपीठ ने अब्दुल बाकी अंसारी की रिट याचिका को निष्पादित कर दिया।

साथ ही शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 18 अगस्त, 2021 को जारी की गयी बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर उसकी ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को प्रारूप के तौर परकमी उस प्रकाशित करें।

साथ ही उस पर अगले दो महीने में सार्वजनिक टिप्पणी और सलाह आमन्त्रित कर उस पर पूरे विचार विमर्श कर उस कानून या अंतिम नियमावली तैयार कर अधिसूचित करें।

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याचिकाकर्तागण उर्दू टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और 2021 में जारी की गई इस नियमावली में अनुभव की न्यूनतम 8 वर्ष की अवधि को मनमाना पूर्ण कहते हुए इस हेड मास्टर नियुक्ति नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती दिया था।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गई उक्त नियमावली को कानून का दर्जा देने से पहले क्या इसके प्रारूप को प्रकाशित कर सार्वजनिक सलाह आमंत्रित किया गया था या नहीं?

राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया नही पूरी की गयी थी।

कोर्ट ने कहा कि ऐसी नियमावली एक बड़े और व्यापक पैमाने के शिक्षक और उनके वर्ग को प्रभावित करेगी। इस तरह के नियम को जारी करने से पहले या उसे कानूनी जामा पहनाने से पहले सरकार को खुले आम लोगों के बीच में उनसे सलाह मशविरा करना चाहिए था ।

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इसीलिए हाई कोर्ट ने 18 अगस्त, 2021 को जारी इस नियमावली को बेअसर करार देते हुए इसे ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया है। कानून बनने से पहले कानून का मसविदा जो तैयार होता है, वही दर्जा अब इस नियमावली को तत्काल 2 महीने तक रहेगा।

इस दौरान राज्य के 10 हज़ार से भी अधिक प्रारंभिक स्कूलों जो राजकीयकृत होने के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर चल रहे हैं ,वहां के हेड मास्टर नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा।

भाजपा को धमकी देने वाले खुद बर्बाद हो गए, कोई नामलेवा न रहा: सुशील कुमार मोदी

पटना/दिल्ली। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मौत का मामला उठाने से तिलमिलाए नीतीश कुमार भाजपा को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं, जबकि ऐसी सोच रखने वाले कई लोग खुद ही बर्बाद हो गए और उन्हें कोई पूछने वाला नहीं रहा।

  • जहरीली शराब से मरने वालों और उनके आश्रितों को ‘ महापापी ‘ कहना संवेदनहीनता की हद
  • लालू प्रसाद की संगत का असर है नीतीश कुमार की बदजुबानी
Sushil_Modi

श्री मोदी ने कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वालों और उनके गरीब आश्रितों को ” महापापी” कहना मुख्यमंत्री की संवेदनहीनता, राजहठ और सत्ता के अहंकार का सूचक है।

उन्होंने कहा कि यह लालू प्रसाद की संगत का असर है कि वे माननीय विधायकों के लिए “तुम- तुमको” जैसे संबोधन और “बर्बाद कर देंगे” जैसी सड़क-छाप धमकी पर उतर आये हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि भाजपा शराबबंदी के पक्ष में है, लेकिन इस नीति के कठोर क्रियान्वयन की समीक्षा भी चाहती है।

उन्होंने बिहार में जहरीली शराब से 40 लोगों की मौत का मामला राज्यसभा में भी उठाया। अनेक सदस्यों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखायी।

पटना हाइकोर्ट ने पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर गहरी नाराजगी जाहिर की

पटना हाइकोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर गहरी नाराजगी जाहिर की है।प्रतिज्ञा नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने मामलें को गम्भीरता से लेते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए वकीलों की तीन टीम गठित की हैं।अधिवक्ता मनीष कुमार इन टीमों के साथ पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण करेंगे।

इस टीम सदस्य अलग अलग निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेंगे।कोर्ट ने निरीक्षण के दौरान वकीलों की सहायता के लिए सम्बंधित जिले के अधिकारीगण मौजूद रहेंगे। ये टीम निरीक्षण करने के बाद अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करेगी।

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कोर्ट ने कार्य की धीमी गति पर कॉन्ट्रेक्टर को फटकार लगायी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से तय समय सीमा के तहत सड़क निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पायेगा।

गौरतलब है कि इस सड़क निर्माण के तय समय सीमा 31मार्च ,2023 हैं।एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी भी कोर्ट में उपस्थित थे।उन्होंने आश्वास्त किया कि सड़क निर्माण का कार्य में दो तीन माह का विलम्ब हो सकेगा,लेकिन जल्दी पूरा करने का पूरा कोशिश किया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि जितने भी आदमी और मशीनों की जरूरत हो,उन्हें इस सड़क निर्माण के कार्य में लगा कर समय पर कार्य पूरा किया जाए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 19 दिसम्बर,2022 को की जाएगी।

छह साल में जहरीली शराब पीने से 1000 लोग मरे; पूर्ण शराबबंदी विफल और जानलेवा हुई, समीक्षा करे सरकार – सुशील मोदी

  • पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा में भाजपा सदस्यों के प्रति अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को माफी मांगनी चाहिए। जहरीली शराब से फिर 20 लोगों की मौत पर दुखी होने और शराबबंदी की समीक्षा करने के बजाय इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री का आवेश में आना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। वे बात-बात पर आपा खो रहे हैं।
  • – छह साल में जहरीली शराब पीने से 1000 लोग मरे
  • – पूर्ण शराबबंदी विफल और जानलेवा हुई, समीक्षा करे सरकार

श्री मोदी ने कहा कि भाजपा पूर्ण मद्यनिषेध के पक्ष में है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए और समीक्षा का मतलब शराबबंदी समाप्त करना नहीं है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शराबबंदी लागू करने में पूरी तरह विफल हैं, जबकि यह गुजरात में बेहतर तरीके से लागू है।

Sushil Modi

श्री मोदी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद 6 साल में 1000 से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीने से मरे, 6 लाख लोग जेल भेजे गए और केवल शराब से जुड़े मामलों में हर माह 45 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार में रोजाना 10 हजार लीटर और महीने में 3 लाख लीटर शराब जब्त की गई। जब इतनी बड़ी मात्रा में शराब आ रही है, तब सरकार शराबबंदी लागू करने में अपनी विफलता स्वीकार करे।

पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने किया बेयर एक्ट किताबों का विमोचन

कानून का विशेषज्ञ ही बेहतर कानून पर किताब लिख सकता है। बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकता है। इस कार्य को बेहतरी से आलोक कुमार रंजन कर भी रहे हैं।

एंबीशन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली के डायरेक्टर आलोक कुमार रंजन के द्वारा लिखे गए बेयर एक्ट किताबों को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल के साथ न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार,न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद,न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद,न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह,न्यायमूर्ति पार्थ सार्थी,न्यायमूर्ति सत्यव्रत वर्मा, न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा ने एक साथ लोकार्पण किया। सभी ने किताबों को भविष्य के लिए बेहतर बताया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने आलोक कुमार रंजन को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले जब बिहार आया तो पता किया कि कौटिल्य अर्थशास्त्र का अनुवाद मैसूर में हुआ। बिहार के न्यायप्रणाली के लिए कौटिल्य के अर्थशास्त्र, शेरशाह सूरी के विचारों को न्याय के क्षेत्र में बेहतर मार्गदर्शक बताया। बिहार के युवा को आगे बढ़ाने के लिए आलोक रंजन द्वारा किए जा रहे प्रयास की भी सराहना की। इस तरह के प्रयास से बिहार से हो रहे बौद्धिक पलायन पर निश्चित ही रोक लगेगा।

आलोक रंजन को सभी न्यायमूर्तियों ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए बिहार में एंबीशन जैसी कोचिंग की व्यवस्था हो जिनके पास रुपया नहीं है पर वो आपका गाइडेंस प्राप्त कर सके। इस मौके पर नव नियुक्त जुडिशियल अधिकारियों को आईपीएस विकास वैभव ने सम्मानित भी किया। मौके पर राहुल कुमार सिंह ने कहा कि आलोक कुमार रंजन जी की कानून की किताबें बिहार ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

एंबिशन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आलोक कुमार रंजन ने बिहार के विद्यार्थी होने के नाते अपने संबोधन में बिहार के कानून के विद्यार्थियों के लिए बेहतर विधि विश्वविद्यालय एवम उच्च शैक्षणिक स्तर वाला संस्थान बिहार में बनाने के अलावा हिंदीभाषी विधि छात्रों को नो कॉस्ट और लो कॉस्ट एजुकेशन देने की बात पर बल दिया। इसी संदर्भ में उन्होंने हिन्दी में न्यूनतम कीमत पर विधि बेयर एक्ट एवम पुस्तकें के प्रकाशित करने की बात की।

आलोक कुमार रंजन जी का प्रयास निश्चित ही बिहार के छात्रों के लिए वरदान साबित होगा। वरिष्ठ एडिशनल एडवोकेट जनरल झारखंड हाईकोर्ट सचिन कुमार ने भी नवनियुक्त न्यायाधीशों को सम्मानित किया । नीरज कुमार उद्यमी, सोनू कुमार सामाजिक कार्यकर्ता, राहुल कुमार सामाजिक कार्यकर्ता, आनंद कुमार सिंह , प्रियदर्शी रजनीश कुमार, रत्नेश पांडे,विहान सिंह राजपूत ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

पटना हाइकोर्ट ने नाबालिग का नाम उजागर करने के मामले में राज्य के डीजीपी को तीन सप्ताह के भीतर पुलिस अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया है

कोर्ट ने बच्चों और उसके परिवार की पहचान को सार्वजनिक नहीं करने का निर्देश दिया।साथ ही पुलिस अधिकारी या कोई अन्य जो क़ानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने में शामिल पाया जाता है, उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाए।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने नाबालिग के माँ की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदिका की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पूर्वी चम्पारण के पुलिस ने नाबालिग एंव उसके परिजनों का नाम उजागर कर दिया। एक सोशल मीडिया हाउस ने उसे पूरी खबर बना कर चला दी,जबकि पॉक्सो कानून के तहत किसी का निजता और गोपनीयता बनाए रखने का नियम है ।

इन नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन सभी को करना अनिवार्य है, लेकिन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा हैं।प्रक्रियाओं का पालन नहीं किये जाने के परिणामस्वरूप, अपराध के शिकार नाबालिग का नाम उजागर किया जा रहा है।

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उनका कहना था कि पॉक्सो कानून की धारा 23 का उल्लंघन किया जा रहा हैं। मीडिया पीड़िता का पहचान का खुलासा कर समाचार प्रकाशित करने में संयम नहीं दिखा रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ मीडिया भी पोक्सो के प्रावधानों और उसके तहत नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।

इस मामलें पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण,विकास व सुरक्षा के मामले की सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण,विकास व सुरक्षा के मामले सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पिछली सुनवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिहार जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में न तो एक अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है और ना ही ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है।उन्होंने बताया कि देश के कई बड़े शहरों में अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है,बल्कि छोटे छोटे शहरों में भी अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है।

साथ कई शहरों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की सुबिधा उपलब्ध है। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पटना का एयरपोर्ट सुरक्षा के लिहाज से बहुत सही नहीं है।राजगीर,बिहटा और पुनपुन में एयरपोर्ट के विकल्प के रूप में विचार तो हुआ,लेकिन अंततः अंतिम रूप से कोई परिणाम नहीं आया।

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राज्य सरकार की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कहा कि याचिकाकर्ता की ये माँग सही नहीं है कि खास जगह ही एयरपोर्ट बने या यात्रा के साधन का कैसे विकास हो।ये नीतिगत विषय होते है,जिस पर सरकार ही विचार कर कार्रवाई कर सकती है।केंद्र सरकार के अधिवक्ता के एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट हो कि नहीं, ये विचार का मुद्दा हो सकता है,लेकिन यात्रा किसी विशेष रूप हो,ये विचार के योग्य नहीं है।

पिछली सुनवाई में रूडी ने कहा था कि गया अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भी आज तक कोई अंतर्राष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है।अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होने के बावजूद यहां अंतर्राष्ट्रीय विमान नहीं चलते हैं ।

उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर अपना स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है । पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों से जानना चाहा था कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट एवं अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए क्या क्या अनिवार्यता हैं ?

इस मामलें पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी।

बिहार के छपरा में मौत का आंकड़ा पहुंचा 11, परिजनों के अनुसार जहरीली शराब पीने से हो रही मौत

शराब से मौत मामले में 11 ज्ञात लोगो की मौत हुई है जिनके नाम निम्नांकित है :
नाम -उम्र -पिता -पता

  1. मुकेश शर्मा – 30 वर्ष -बच्चा शर्मा – हनुमानगंज थाना , मसरख, जिला- सारण
  2. अमित रंजन-38 वर्ष – द्विजेंद्र कुमार सिन्हा – डोईला थाना, इसुआपुर सारण
  3. संजय सिंह 45 वर्ष – वकील सिंह- डोइला ,इसुआपुर सारण
  4. विजेन्द्र यादव – 46 वर्ष – स्व. नरसिंह राय- डोईला थाना इसुआपुर,
  5. रामजी साह 55 वर्ष – गोपाल साह -शास्त्री टोला, थाना मसरक, सारण
  6. कुणाल कुमार सिंह- 38 वर्ष -भदु सिंह- मसरख यदु मोड़,थाना मसरख, सारण
  7. नासिर हुसैन- 42 वर्ष -समसुद्दीन-मसरख तख्त थाना मसरख सारण
  8. जयदेव सिंह-43 वर्ष -बिंदा सिंह -गांव बेंग छपरा थाना मसरक
  9. रमेश राम- 42 वर्ष-कन्होया राम -गांव बेंग छपरा थाना मसरक सारण
  10. चंद्रमा राम-48 वर्ष हेमराज जी- स्व. जीताराम- मसरख ,थाना मसरक,सारण
  11. विक्की महतो- 16वर्ष- महतो-सुरेश महतो-मढ़ौरा
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पटना हाइकोर्ट ने वैध प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के सदस्य के लिए चुनाव हेतु वोटर लिस्ट में नाम शामिल किए जाने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने वैध प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के सदस्य के लिए चुनाव हेतु वोटर लिस्ट में नाम शामिल किए जाने के मामलें पर सुनवाई की। इसकी जांच करवाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व फार्मेसी कॉउंसिल से जवाब तलब किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुबोध कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि कुछ मामले में तो फार्मासिस्ट के तौर पर निबंधन भी रद्द होता है।

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इसकी वजह से फार्मेसी के हजारों विद्यार्थी वोट के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।इस मामलें पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में राज्य के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण,विकास और मरम्मती से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट में राज्य के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण,विकास और मरम्मती से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की।

कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बरौनी राष्ट्रीय राजमार्ग का डीपीआर अब तक नहीं तैयार किये जाने पर राज्य के विकास आयुक्त और एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी को कल तलब किया है।

कोर्ट को जानकारी दी गई कि छपरा सिवान गोपालगंज रोड के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है।इस राजमार्ग का उदघाटन होना बाकी है।जोगबनी फारबिसगंज एन एच बन चुका है और इस पर वाहनों का आना जाना शुरू हो चुका है।

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पटना बख्तियारपुर एन एच का कार्य पूरा होने की जानकारी दी गई,लेकिन ये कार्य पूरा नहीं हुआ है।साथ मुंगेर के पास गंगा नदी पर बने पुल के पहुँच पथ के पास तीन हाई पावर ट्रांसमिशन री- लोकेट का मामला है।

इन मामलों पर 20दिसंबर,2022 को सुनवाई की जाएगी।

भारत सरकार द्वारा बिहार में 8388 करोड़ की लागत से बरौनी यूरिया खाद कारखाना बनकर तैयार – भगवंत खुबा

राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने बताया कि बताया कि भारत सरकार द्वारा 8388 करोड़ की लागत से खाद कारखाना बनकर तैयार हो गया है, जिससे 18 अक्टूबर, 2022 को यूरिया का उत्पादन प्रारंभ हो गया है। बरौनी प्लांट की यूरिया उत्पादन क्षमता 12.70 लाख मैट्रिक टन प्रतिवर्ष है।

• 242 रुपया यूरिया की बोरी पर 1800 रुपया पर सब्सिडी
• बरौनी यूरिया खाद कारखाना 8388 करोड़ की लागत से बनकर तैयार
• 18 अक्टूबर, 2022 से उत्पादन प्रारंभ
• बरौनी कारखाना की क्षमता 12.70 लाख मैट्रिक टन है

मंत्री ने बताया कि पूरे देश में यूरिया उत्पादन की कुल मिलाकर 6 इकाई स्थापित की गई है जिसमें 4 सरकारी क्षेत्र तथा दो प्राइवेट सेक्टर में स्थापित की गई है। इन छह इकाई की यूरिया उत्पादन की स्थापित क्षमता 283.74 लाख मैट्रिक टन प्रतिवर्ष होगी।

मोदी ने बताया कि पूरे देश में 341.73 लाख मैट्रिक टन यूरिया की खपत है जबकि उत्पादन मात्र 250.72 लाख मैट्रिक टन है। शेष 91.36 लाख मैट्रिक टन यूरिया विदेशों से आयात करना पड़ रहा है ।

मंत्री ने बताया कि एक बोरा 45 किलो ग्राम यूरिया का अधिकतम मूल्य 242 रुपया है जबकि 1800 रुपया सरकार सब्सिडी प्रदान करती है।

सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने आज अपने बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की है

सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने आज अपने बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की है।

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राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल,पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी वी संजय कुमार,पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानउद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए जाने की अनुशंसा की है।

स्थानीय निकाय/ नगरपालिका में वार्ड सदस्यों समेत अन्य पदों के लिए राज्य में होने जा रहे चुनाव में आचार संहिता लागू करने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है

स्थानीय निकाय/ नगरपालिका में वार्ड सदस्यों समेत अन्य पदों के लिए राज्य में होने जा रहे चुनाव में आचार संहिता लागू करने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है। ये जनहित याचिका शम्भू सिद्धार्थ ने दायर किया है।

इस जनहित याचिका में सरकार, मंत्रियों, विधानसभा व विधान परिषद के सदस्यों समेत अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी महागठबंधन से जुड़े उमीदवारों को फायदा पहुंचाने हेतु सत्ता का दुरुपयोग किये जाने की अनुमति नहीं देने की माँग की गई है।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार द्वारा सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के योजनाओं का उदघाटन किया जा रहा है।साथ ही स्थानीय निकाय के चुनाव की घोषणा के बाद भी आचार संहिता का उल्लंघन कर खास वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाओं की घोषणा और प्रचार – प्रसार किया जा रहा है।

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राजगीर में 27 नवंबर, 2022 को गंगा वाटर सप्लाई स्कीम योजना का उदघाटन,राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल का नालंदा जिला में 12 दिसंबर, 2022 को उदघाटन किया गया।साथ ही, 13 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम कथित रूप से आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए आयोजित किया गया।

इस मामलें में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय का यह भी कहना है कि एक ओर आदर्श अचार सहिंता का पालन करवाने के लिए टीम का गठन किया गया है, वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है।राज्य चुनाव आयोग आंख बंद करके बैठा हुआ है और आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही है।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के विधि सचिव को विभिन्न जिलों के ज़िला जजों,डी एम व बार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सन्दर्भ में अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।

वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।भवन की भी काफी कमी है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के विधि सचिव को तलब किया।उन्होंंने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में कार्रवाई की जा रही है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा,तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी।इस मामलें पर अगली सुनवाई 15दिसंबर,2022 को की जाएगी।

बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी

बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित 77 हजार 57 शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी।

पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर विजिलेंस ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है क्योंकि शिक्षकों से कई बार प्रमाण पत्र मांगे जाने पर भी उसे उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

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जांच के लिए निगरानी विभाग को 77 हजार 57 शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर नहीं मिले है। न्यायालय के आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग ने प्रमाण पत्र के फोल्डर नहीं देने वाली नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे रखा है।

पटना हाइकोर्ट में हर्ष फायरिंग को रोकने हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट में हर्ष फायरिंग को रोकने हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट ने राज्य के 11 जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जजों से उनके जिलों में हुए हर्ष फायरिंग की घटनाओं के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसंधान और ट्रायल का रिपोर्ट तलब किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना सहित बिहार के 11 जिले के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को आदेश दिया था कि वह अपने-अपने जिला में हुए हर्ष फायरिंग की घटनाओं पर दायर मामले की त्वरित अनुसंधान और उस मामले में मुकदमे की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।साथ ही एक समय सीमा के अंदर कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी पटना, वैशाली ,सुपौल ,पूर्वी और पश्चिम चंपारण, मधेपुरा पूर्णिया ,जमुई ,लखीसराय सहित अन्य जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने जिलों के डीएम और एसपी के साथ एक बैठक कर यह समयसीमा को सुनिश्चित करें।

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उनके जिलों में हर्ष फायरिंग पर हुए एफ आई आर के अनुसंधान को एक समय सीमा के भीतर पूरा कर आरोपियों को ट्रायल हेतु भेजा जाए।

वही पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के साथ सुनवाई करते हुए जिला अधिकारी को यह निर्देश दिया गया कि वे सुनिश्चित करें कि हर्ष फायरिंग के आरोपियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल की हो सके ,तो रोज़ाना सुनवाई हो और गवाही में विलम्ब नही हो।

हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों के तहत में इन सभी जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज ने बैठक में क्या क्या निर्णय लिए और इस बैठक कहां तक प्रभावकारी रहा, इस पर भी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई,13फरवरी,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने लखीसराय के बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव स्व. कुमार शरद चन्द्र के चर्चित हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया

पटना हाइकोर्ट ने लखीसराय के बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव स्व. कुमार शरद चन्द्र के चर्चित हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने उषा शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद आदेश दिया।

कोर्ट ने इससे पूर्व जांच कर रही जांच एजेंसी सीआईडी को आदेश के दो सप्ताह में सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

कोर्ट ने सीबीआई के निर्देशक को ये निर्देश दिया कि वे शीघ्र एक योग्य अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर इस मामलें की निष्पक्ष और त्वरित जांच कराए।इसकी रिपोर्ट सम्बंधित निचली अदालत को सौंपने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि इस हत्याकांड की जांच में पहले आठ साल का विलम्ब हो गया है।इसलिए इस मामलें की जांच त्वरित गति से किये जाने की जरूरत है।

ये घटना 2अगस्त,2014 को घटी थी, जब दो लोग कुमार शरद चन्द्र के घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी थी।उनकी पत्नी उषा शर्मा घटना के समय घर में थी।उन्होंने गोली मारने वाले को पहचान भी लिया था।

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इस सम्बन्ध में लखीसराय पुलिस थाने में कांड संख्या 443/ 2014/ दर्ज कराई गई।उनकी हत्या के पीछे बालिका विद्यापीठ के संपत्ति और भूमि का विवाद था।

इस मामलें शम्भू शरण सिंह, श्याम सुंदर प्रसाद और राजेंद्र सिंघानिया को निजी प्रतिवादी बनाया गया।कुछ दिनों की जांच के बाद इस मामलें की जांच का जिम्मा सीआईडी को 2014 में सौंप दिया गया।

लेकिन सीआईडी द्वारा मामलें की जांच में कोई तत्परता नहीं दिखाई गई।2016 से 2019 तक तो केस डायरी भी नहीं लिखी गई।2014 में ये हत्या हुई थी,लेकिन दिसंबर,2022 तक इस मामलें में कोई प्रगति नहीं हुई।चूंकि इस मामलें प्रभावशाली लोग शामिल थे,इसलिए जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी।आठ सालों में इस हत्याकांड की जांच नहीं पूरी हुई।

हाईकोर्ट ने इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए जांच का सीबीआई को सौंपते हुए सीआईडी को दो सप्ताह के भीतर सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने को कहा।इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामलें को निष्पादित कर दिया।