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सृजन घोटाले का मास्टरमांइड विपिन शर्मा गिरफ्तार।

सृजन घोटाले का मास्टरमाइंड विपिन कुमार शर्मा को ईडी ने गिरफ्तार किया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद घोटाले के कई अहम राज खुलने की उम्मीद है। सृजन घोटाला की किंगपिन स्व. मनोरमा देवी और उसके पुत्र अमित कुमार से विपिन के साथ गहरे रिश्ते रहे हैं। भागलपुर स्थित जीटीएम मॉल में सात दुकान विपिन कुमार और उसकी पत्नी रूबी कुमार के नाम से खरीद हुई है। चार दुकान विपिन के नाम और तीन पत्नी रूबी कुमारी के नाम पर है। इसका भुगतान सृजन महिला विकास समिति के खाते से हुआ है।

SrijanScam

रूबी सृजन घोटाले के एक मामले में पटना एयरपोर्ट से पहले ही गिरफ्तार चुकी है। रूबी कुमारी के नाम गाजियाबाद में आवासीय फ्लैट का भुगतान भी सृजन महिला विकास समिति के खाते से किया गया है। विपिन कुमार तिलकामांझी थाने का रहने वाला है। वह बैंक, सृजन महिला विकास समिति, जिला कल्याण पदाधिकारी, कोषागार पदाधिकारी, भूअर्जन पदाधिकारी के बीच विचौलिये की भूमिका निभाता था। पूर्णिया से तेरह लाख रुपये के चार पहिया वाहन की खरीद भी महिला विकास समिति के खाते से ही की गई थी। इसके अलावा राजधानी पटना के बेलीरोड स्थित गोला रोड में मैजेस्टिक जानकी अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 109 की खरीद भी की है।

विपिन के खिलाफ नौ मामले की जांच
ईडी विपिन कुमार शर्मा के खिलाफ दर्ज सृजन घोटाले के नौ मामले का अनुसंधान कर रही है। सीबीआई इन मामलों में चार्जशीट कर चुकी है। सृजन घोटाला के आरोपियों के खिलाफ ईडी 24 मई 2018 से ही जांच कर रही है। इस केस में ईडी ने पीएमएलए 05/21 दर्ज किया है। एक अन्य आरोपित देवशंकर मिश्रा भी इस मामले में न्यायिक हिरासत में जेल में है।

अन्य आरोपित भी खोल रहे राज
इससे पहले अकाउंटेंट प्रणव कुमार घोष, जो मनोरमा देवी और सृजन महिला विकास समिति के खाते का लेखा-जोखा रखता था, अभी वे फिलहाल बेऊर जेल में हैं।

ईडी की बड़ी कारवाई रेलवे इंजीनियर की करोड़ो की संपत्ति किया जप्त

ईडी ने बड़ी कारवाई करते हुए रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव की 3.44 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया है। चन्देश्वर यादव के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था।

ईडी ने रेलवे का स्क्रैप बेचने के मामले में पूर्व रेलवे जमालपुर के तत्कालीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया था।

इसी मामले में मेसर्स श्री महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार को 13 अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
अभियुक्तों पर आरोप है कि रेलवे के स्क्रैप (रेल वैगन का पुराना हिस्सा) को मोटी रकम लेकर महारानी स्टील को औने-पौने दाम में बेच दिया था।

इसके कारण रेलवे को लगभग 34 करोड़ रुपये का चूना लगा था। उक्त स्क्रैप के कस्टोडियन तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव ही थे।

इस मामले में कंपनी के फाइनांसर राकेश कुमार ने बताया था कि उक्त स्क्रैप को खरीदने के लिए रेलवे के पदाधिकारियों को मोटी रकम दी गयी थी।इस मामले में सीबीआइ ने भी नौ फरवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था और जांच कर रहा है।

ईडी ने इस मामले को 28 फरवरी, 2020 में दर्ज की थी। पूछताछ के बाद तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर चंदेश्वर प्रसाद यादव व मेसर्स महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार के नाम सामने आये थे और फिर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा – कन्हैया कुमार

काफी जद्दोजहद के बीच आज कन्हैया कुमार नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके साथ गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी भी कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया कुमार ने भाजपा और RSS पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश का भविष्य खराब करना चाहते हैं, कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। आज देश में गांधी की एकता, आंबेडकर की समानता और भगत सिंह के साहस की जरूरत है।
कन्हैया ने कहा कि हमारे देश का नेतृत्व कांग्रेस ही कर सकती है।

कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से लोकतांत्रिक पार्टी है। यह परिवार को छोड़ने के लिए नहीं कहती है। महात्मा गांधी पत्नी के साथ आजादी की लड़ाई लड़े थे। कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो गांधी की विरासत को आगे ले जाएगी। सरोजिनी नायडू, आंबेडकर, नेहरू, अशफाक उल्लाह खान, भगत सिंह और मौलाना आजाद के रास्तों पर चलेगी।

यहां समानता और बराबरी कुछ लोगों के लिए सीमित नहीं है। ये भारतीय होने का इतिहास है और इस भारतीय होने के इतिहास को अगर कोई अपने आप में कोई समेटे हुए हैं तो वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है।

कन्हैया ने कहा कि मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं, क्योंकि यह सिर्फ एक पार्टी नहीं है, एक विचार है। यह देश की सबसे पुरानी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है। मैं ‘लोकतांत्रिक’ पर जोर दे रहा हूं… सिर्फ मैं ही नहीं कई लोग सोचते हैं कि देश कांग्रेस के बिना नहीं रह सकता।

मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं, क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वे एक सोच हैं। वे देश की सत्ता पर न सिर्फ काबिज हुए हैं, देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, इतिहास, वर्तमान, भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस एक बड़े जहाज की तरह है, अगर इसे बचाया जाता है, तो मेरा मानना है कि कई लोगों की आकांक्षाएं, महात्मा गांधी की एकता, भगत सिंह की हिम्मत और बीआर आंबेडकर के समानता के विचार की भी रक्षा की जाएगी। इसलिए शामिल हुआ हूं।

देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। हम कांग्रेस पार्टी में इसलिए शामिल हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस गांधी की विरासत को लेकर आगे चलेगी।

सेंसेक्स, निफ्टी दोनों गिरकर नीचे बंद हुए।

नकारात्मक वैश्विक बाजार संकेतों और मुनाफावसूली ने चार दिनों में पहली बार सेंसेक्स और निफ्टी दोनों को नीचे धकेल दिया । सेंसेक्स 410.28 अंक गिरकर 60,000 अंक से नीचे फिसलकर 59,667.60 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 106.50 अंक फिसलकर 17,750 के स्तर से नीचे 17,748.60 पर बंद हुआ। इससे पहले दिन में, बीएसई बेंचमार्क 1,032.35 अंक की गिरावट के साथ 59,045.53 के निचले स्तर पर पहुंच गया था, जबकि निफ्टी ने 279.00 अंक की गिरावट के साथ 17,576.10 के निचले स्तर को छुआ था।

सेंसेक्स चार्ट (28.09.21) एक नजर में

सेक्टोरल मोर्चे पर, आईटी और रियल्टी सूचकांक 2-3 प्रतिशत गिर गए, जबकि बिजली, तेल और गैस और धातु सूचकांक हरे रंग में समाप्त हुए। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.71 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 0.62 फीसदी टूटा। निफ्टी पीएसयू बैंक, निफ्टी फार्मा और निफ्टी मेटल सभी लाल निशान में बंद हुए। रियल्टी इंडेक्स 3.02 प्रतिशत नीचे, निफ्टी आईटी इंडेक्स 2.20 फीसदी गिरा ।

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और कच्चे तेल की कीमत के साथ-साथ चीनी संकट ने वैश्विक बाजार में चल रही रैली के लिए प्रमुख हेडविंड के रूप में काम किया। कारोबार के आखिरी घंटे में बाजार ने जबरदस्त रिकवरी की। बीएसई 30-पैक इंडेक्स, पावर ग्रिड, एनटीपीसी, सन फार्मा और टाइटन के नेतृत्व में केवल नौ स्टॉक उच्च स्तर पर बंद हुए। जबकि भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व शीर्ष हारे हुए थे।

सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 20 शेयर्स कमजोरी के साथ और 10 शेयर्स बढ़त के साथ कारोबार करते दिखे। बीएसई पर कारोबार के दौरान 215 शेयर्स 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर और 25 शेयर्स 52 हफ्ते के निचले स्तर पर कारोबार करते दिखे।

निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल

जदयू कार्यकारणी की हुई घोषणा पूराने चेहरे पर ही जताया भरोसा

जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने पार्टी की नई टीम का गठन कर दिया है। इसमें अधिकांश चेहरे पुराने ही हैं।

राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने केसी त्‍यागी (KC Tyagi) को फिर राष्‍ट्रीय प्रधान महासचिव (Secretary General) की जिम्‍मेदारी सौंपी है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) भी संसदीय दल के अध्‍यक्ष बने रहेंगे।

गोपालगंज के सांसद डा. आलोक कुमार सुमन को कोषाध्‍यक्ष बनाया गया है। टीम में लंबे अरसे बाद 18 सदस्‍यीय टीम में सांसद रामनाथ ठाकुर को महासचिव बनाया गया है।

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद मो अली अशरफ फातमी, पूर्व विधायक रामसेवक सिंह, बिहार सरकार के मंत्री संजय झा, विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी, आफाक अहमद खान, प्रवीण सिंह, विधान पार्षद कमरे आलम, हर्षवर्धन सिंह को भी महासचिव बनाया गया है।

कुल नौ महासचिव बनाए गए हैं, जिनमें चार अल्‍पसंख्‍यक हैं। इसके अलावा पांच सचिव बनाए गए हैं। इनमें सांसद आरपी मंडल, पूर्व विधायक विद्यासागर निषाद, रविंद्र प्रसाद सिंह, राज सिंह मान और राजीव रंजन प्रसाद शामिल हैं।

बिहार की राजनीति में बने रहने के लिए कांग्रेस से बेहतर कोई और विकल्प नहीं था ।

कन्हैया कुमार का कांग्रेस में जाना 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही तय हो गया था क्यों कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से राजद,भाकपा माले और सीपीआई कन्हैया को हराने के लिए घेराबंदी कर रहा था ऐसे में कन्हैया के सामने कांग्रेस में जाने के अलावे कोई विकल्प नहीं बचा था।

1—बिहार में कन्हैया के सामने कांग्रेस से बेहतर कोई विकल्प नहीं था
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चाहती थी कि कन्हैया बेगूसराय से महागठबंधन के उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़े और इसके लिए अहमद पटेल कई बार लालू प्रसाद से बात किये इतना ही नहीं बीजेपी के विचारधार से असहमति रखने वाले कई बड़ी हस्ती लालू प्रसाद से जेल में जाकर मिले लेकिन राज्यसभा सांसद मनोज झा का वह तर्क भारी पड़ा जिसमें उनका मनना था कि कन्हैया सांसद बन गया तो फिर तेजस्वी के लिए खतरा हो सकता है इतना ही नहीं कन्हैया महागठबंधन का उम्मीदवार ना हो इसके लिए मनोज झा के साथ भाकपा माले और बिहार सीपीआई के नेता भी शामिल थे ।

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल और लालू प्रसाद के परिवार बीच पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान जो दूरियां रही उसकी वजह कही ना कही कन्हैया भी रहा क्यों कि कांग्रेस का मानना था कि कन्हैया के महागठबंधन से बाहर रहने से मोदी के खिलाफ गोलबंदी कमजोर होगी और इसका प्रभाव भी देखने को मिल बिहार की चुनावी राजनीति में पहली बार लोकसभा चुनाव में राजद खाता तक नहीं खोल पाया।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीपीआई भले ही महागठबंधन का हिस्सा रहा लेकिन पूरे चुनाव के दौरान टिकट वितरण से लेकर प्रचार अभियान के तक कन्हैया को कैसे चुनावी प्रक्रिया से अलग रखे इसको लेकर मनोज झा के नेतृत्व में होटल मौर्या में वार रुम बना हुआ था इस खेल में भाकपा माले ,सीपीआई और कांग्रेस के भी कुछ सीनियर नेता शामिल थे ।

चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी के बाद राजद के उम्मीदवारों ने चुनावी सभा कराने के लिए सबसे ज्यादा मांग कन्हैया का ही किया था 90 से अधिक ऐसे राजद के उम्मीदवार थे जो कन्हैया का सभा अपने क्षेत्र में करााना चाह रहा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका ।

वही दूसरी और बीजेपी की पूरी टीम कन्हैया की पीछे पड़ी हुई है ऐसे में कन्हैया को राजनीति में बने रहने के लिए कांग्रेस से बेहतर विकल्प दूसरा कोई नहीं था क्यों कि बिहार में सीपीआई की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है वही राजद और बीजेपी के साथ खड़ी उन ताकतों के सामने सीपीआई आज की तारीख में खड़े होने की स्थिति में नहीं है ऐसे में कन्हैया के सामने कांग्रेस छोड़कर कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

2—-कन्हैया के साथ आने से बिहार में कांग्रेस मजबूत होगी
आज कांग्रेस की स्थिति 2014 जैसी नहीं है साथ ही आज की तारीख में राहुल पप्पू वाली छवि से बाहर निकल चुका है वही राष्ट्रीय स्तर पर राहुल यह साबित करने में कामयाब रहा है कि वो नरेन्द्र मोदी से मजबूती के साथ लड़ सकता है फिर भी उन्हें ऐसे युवा चेहरे की जरुरत है जो अपने बल पर कुछ वोट जोड़ सके ।

इस लिहाज से कन्हैया बिहार में भी उपयोगी है खास करके बिहार के यूथ का एक हिस्सा और मुस्लिम अभी भी कन्हैया का दिवाना है वही कन्हैया के आने से बिहार कांग्रेस को एक ऐसा चेहरा मिल जायेंगा जो अपने बल पर पांच से दस हजार लोगों की सभा कर सकता है जिसको सूनने के लिए लोग घर से बाहर निकल सकते हैं ।

3–कन्हैया मीडिया ब्वॉय है
भले ही निगेटिव खबर ही क्यों ना चलाये लेकिन मीडिया को आज भी कन्हैया की जरुरत है कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने की खबर आज सभी चैनल का हेडलाइन है बिहार में सीपीआई दफ्तर में मीडिया सुबह से ही स्टोरी करने में लगी हुई है कि कैसे कन्हैया सीपीआई दफ्तर में आना बंद किया तो जिस कमरे में कन्हैया रहता था वहां से AC निकलवा लिया है।
निगेटिव स्टोरी ही क्यों ना चलाये आज से कन्हैया मीडिया में जगह लेता रहेगा ।

कन्हैया आज कांग्रेस में शामिल होंगे

JNU छात्र संघ के पूर्व आध्यक्ष और CPI का फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार अपने साथ गुजरात विधानसभा के सदस्य जिग्नेश मेवानीअंशुल त्रिवेदी,सुशील और पीयूष रंजन झा आज दोपहर तीन बजे कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे।

कन्हैया कुमार दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगी।

कन्हैया CPI के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय सीट से लड़ा था, हालांकि वे हार गए थे।

सदस्यता से पहले भगत सिंह की प्रतिमा पर करेंगे माल्यार्पण
कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से पहले कन्हैया कुमार दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के ITO स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क जाएंगे।

यहां वे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद वे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचेंगे। कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार की राजनीति बदल सकती है ।

हर्ष फायरिंग पर लग सकती है रोक, हाईकोर्ट ने सरकार से माँगी रिपोर्ट ।

पटना हाई कोर्ट ने शादी।समारोहों में लाइसेंसी/बिना लाइसेंसी बंदूको से अंधाधुध फायरिंग कर मानव जीवन को खतरे में डालने पर दायर एक लोकहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 3 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है |

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हर साल कई सारे लोग शादी समारोहों में लाइसेंसी/बिना लाइसेंसी बंदूको से हुए अंधाधुध फायरिंग का शिकार हो कर जान से हाथ धोते हैं |

याचिकाकर्ता ने वैशाली जिला स्थित चंडी धनुष के ऐसे ही वारदात का हवाला देते हुए विवाह कार्यक्रमों में हवाई फायरिंग पर रोक लगाये जाने पर याचिका दायर की थी |

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के अन्दर जवाब देने के लिए कहा है | मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी |

कोरोना से लड़ने के लिए यूनीसेफ और बिहार सरकार के बीच हुआ करार

भारत भर में कोविड-19 टीकाकरण अभियान हेतु जापान सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही सहायता के अंतर्गत यूनिसेफ़ द्वारा हासिल किए गए कोल्ड चेन उपकरण (सीसीई) की पहली खेप आज एक प्रतीकात्मक हस्तांतरण समारोह में बिहार सरकार को सौंपी गई. पहली खेप में लगभग बीस हज़ार वैक्सीन कैरियर शामिल हैं।

यूनिसेफ़ इंडिया के उप प्रतिनिधि, यासुमासा किमुरा से वैक्सीन कैरियर ग्रहण करने के उपरांत बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा, “हम यूनिसेफ के ज़रिए कोल्ड चेन उपकरण बिहार की सहायता करने के लिए जापान सरकार के आभारी हैं। बिहार सरकार कोविड-19 से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है और 6 महीने में 6 करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

सीसीई से राज्य के टीकाकरण क्षमता में वृद्धि होगी जिससे कोविड-19 टीकाकरण के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं के नियमित टीकाकरण को गति मिलेगी।

भारत में जापान सरकार के Ambassador Extraordinary and Plenipotentiary महामहिम सुजुकी सातोशी और यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि डॉ. यासमीन अली हक़ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

पटना में आयोजित कार्यक्रम में प्रत्यय अमृत, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार और यूनिसेफ़ बिहार की राज्य प्रमुख नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ समेत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, बिहार सरकार एवं यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

जापान सरकार द्वारा भारत के कोविड-19 महामारी बचाव अभियान की मदद करने के लिए घोषित कुल 93 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि के हिस्से के रूप में बिहार सरकार को 100,000 फ्रीज़ फ़्री वैक्सीन कैरियर, दो वॉक-इन कूलर, तीन वॉक-इन फ्रीज़र, 20 कोल्ड चेन इक्विपमेंट रिपेयर और मेंटेनेंस टूलकिट और 2100 फ्रीज़ टैग (जो एक वैक्सीन फ्रीज प्रिवेंशन मॉनिटरिंग डिवाइस है), मिलेगा।

भारत में जापान के Ambassador Extraordinary and Plenipotentiary महामहिम सातोशी सुजुकी ने कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हमारे संयुक्त प्रयासों से कोविड-19 महामारी के कारण होने वाले विनाशकारी प्रभाव को दूर करने में मदद मिलेगी एवं हमारे संबंधों को और भी अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने का अवसर मिलेगा।

यूनिसेफ़ इंडिया की प्रतिनिधि डॉ. यासमीन अली हक़ ने कहा, “यूनिसेफ के माध्यम से जापान सरकार द्वारा भारत को सही समय पर यह बड़ी सहायता मिली है जब देश अपने टीकाकरण योग्य आबादी, विशेषकर कमज़ोर वर्ग के लोगों को कोविड टीका लगाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

पूरे भारत में पहले से ही 81 करोड़ से अधिक ख़ुराकें दी जा चुकी हैं और आने वाले दिनों में कोविड-19 टीकाकरण से देश में स्थिति सामान्य करने एवं आपातकालीन सेवाओं की सुरक्षित बहाली में मदद मिलेगी।

सभी स्तरों पर कोल्ड चेन सिस्टम की आपातकालीन क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए जापान सरकार के वित्त पोषण का कोल्ड चेन उपकरण की ख़रीद में निवेश किया जा रहा है ताकि एक प्रभावी कोविड-19 टीकाकरण अभियान के अलावा महिलाओं और बच्चों के नियमित टीकाकरण को लंबी अवधि के लिए मज़बूती मिल सके. इसमें कोल्ड चेन सिस्टम का हिस्सा – वॉक इन कूलर, वॉक इन फ्रीज़र, सोलर डायरेक्ट ड्राइव, फ्रीज़ फ़्री वैक्सीन कैरियर, टूलकिट, फ्रीज़ टैग और वोल्टेज स्टेबलाइज़र्स की ख़रीद और वितरण शामिल होंगे तथा 25 राज्यों में टीकाकरण अभियान में सहायता करेंगे।

पटना शहर स्थित पूराने तलाब को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश ।

पटना के बुद्धा कॉलोनी क्षेत्र के दुज़रा में सरकारी जमीन पर स्थित तालाब के रूप में चिन्हित स्थान को विकसित करने के लिए पटना हाईकोर्ट ने दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी और पटना नगर निगम को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।। यह जनहित याचिका सुभाष कुमार ने इस जनहित याचिका को दायर किया।

कोर्ट ने पटना के डी एम को तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। यह कमेटी स्थिति की जांच कर एक रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि लगभग 5 एकड़ 17 कट्ठा में सरकारी भूमि पर पर स्थित तालाब का गैर कानूनी अतिक्रमण किया गया है।

भूमि का अधिग्रहण राजेन्द्र स्मारक के नाम पर तालाब के निर्माण के लिए किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा इस पर अतिक्रमण कर लिया गया है।

अधिवक्ता सुमित कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपने जनहित याचिका के जरिये चहारदीवारी बनाने का भी अनुरोध किया है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा तालाब क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने 6 सितंबर, 2021 को पटना के जिलाधिकारी को स्पीड पोस्ट के माध्यम से इस मामले को लेकर पत्र भी लिखा गया है, जिसके जरिये तालाब से अतिक्रमण हटाने और चहारदीवारी का निर्माण करने की बात कही गई है।

याचिकाकर्ता ने तालाब के स्थल का पर जाकर कुछ फोटो लेने का काम भी किया है, जिसे याचिका के साथ कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया गया।अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

सेंसेक्स 60,078, निफ्टी 17,855 पर सपाट बंद; ऑटो शेयरों में तेजी, आईटी में गिरावट

सोमवार को बाजार उतार-चढ़ाव के बीच सेंसेक्स, निफ्टी सपाट बंद हुए। सेंसेक्स 29 अंक बढ़कर 60,078 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर और निफ्टी 50 इंडेक्स 2 अंक बढ़कर 17,855 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुआ।

निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स सपाट नोट पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.12 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक सपाट बंद हुए।

सेंसेक्स चार्ट (27.09.21) एक नजर में

सेक्टोरल मोर्चे पर, ऑटो और रियल्टी सूचकांकों में 2.5-3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आईटी सूचकांक में लगभग 3 प्रतिशत की गिरावट आई। एफएमसीजी, फार्मा, हेल्थकेयर और कंज्यूमर ड्यूरेबल इंडेक्स भी नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए।

मारुति सुजुकी 6.5 प्रतिशत से अधिक की तेजी के साथ सेंसेक्स में शीर्ष पर रही, इसके बाद एमएंडएम, बजाज-ऑटो, एनटीपीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), एचडीएफसी बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का स्थान रहा। दूसरी तरफ, एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, इंफोसिस, नेस्ले इंडिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल), सन फार्मा, टीसीएस, भारती एयरटेल शीर्ष इंडेक्स ड्रैगर्स थे। निफ्टी ऑटो 3.22 फीसदी की बढ़त के साथ शीर्ष पर रहा, जबकि निफ्टी आईटी लगभग 3 फीसदी गिर गया।

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सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 13 शेयर्स बढ़त के साथ और 17 शेयर्स कमजोरी के साथ कारोबार करते दिखे। बीएसई पर कारोबार के दौरान 236 शेयर्स 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर और 33 शेयर्स 52 हफ्ते के निचले स्तर पर कारोबार करते दिखे।

निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल

कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगायी फटकार

पटना हाईकोर्ट ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण बंद होने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि कब तक टेंडर निकालने की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी। डा आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को ये बताने कहा कि वेडिंग जोन निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जानना चाहा था कि राज्य के नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को कैसे रोक दिया।कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं,जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि कदमकुआं वेंडिंग जोन के लिए फिर कब टेंडर जारी किया जाएगा और ये कब तक पूरा हो जाएगा।

पटना नगर निगम ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण रोके जाने के मामले में एक हलफनामा दायर किया।इस हलफनामा में यह बताया गया कि नगर निगम को दो करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर जारी करने का अधिकार नहीं है।

साथ ही इस तरह के निर्माण के लिए बुडको से सहमति लेना आवश्यक है।कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इन सरकारी विभागों ने निगम के टेंडर को कैसे रद्द कर दिया,जबकि नगर निगम संवैधानिक दर्जा प्राप्त स्वायत संस्था हैं।

साथ ही नगर निगम को बुडको की सहमति क्यों लेने की जरूरत है।हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि जब नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं और उसकी वित्तीय स्वतंत्रता हैं,इन सरकारी विभागों को टेंडर रद्द करने का क्या अधिकार हैं।

अधिवक्ता मयूरी ने याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि इन दोनों सरकारी विभागों न सिर्फ कदमकुआं वेंडिंग जोन परियोजना को रद्द किया,बल्कि आठ अन्य परियोजनाओं को भी रद्द किया है।
इस मामले अगली सुनवाई फिर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

विपिन तुम्हारी शहादत रंग लायेंगी

संपादक का पत्र आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल के नाम

27–09—2021

स्वर्गीय विपिन अग्रवाल

आरटीआई कार्यकर्ता(हरसिद्धि ,मोतिहारी)

जिस तरीके से तुम भ्रष्टाचार और भूमाफिया के खिलाफ चला रहे अभियान को लेकर सूचना देते रहते थे ठीक उसी तरीके से सीओ के दफ्तर से निकलने के वक्त तुम पर हमला हुआ और मोतिहारी आने के रास्ते में तुम्हारी मौत हो गयी उसकी पल पल की सूचना मुझे मिल रही थी।
तुम्हारी मौत की सूचना मिलते ही मैंने सबसे पहले बिहार के चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय को फोन किया राय जी मोतिहारी में एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या हो गयी है उस सूचना के बाद राय जी क्या कर रहे हैं मुझे कोई जानकारी नहीं है ।कुछ बयान जरुर पढ़ने को मिला है वैसे राय जी जब भी मुझसे इस तरह की घटनाओं को लेकर मिलने आये हैं उनमें थोड़ा जातिवादी लगते हैं ।खैर इसके बाद मैंने पुलिस मुख्यालय के सीनियर अधिकारियों को फोन कर तुम्हारे साथ जो घटना घटी छी उसकी सूचना मैंने दी।

तुम्हारा एसपी तो फोन उठाया ही नहीं सुशासन और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का दावा नीतीश कुमार जरुर करते हैं उसमें बिहार में अभी सबसे अधिक खड़ा तुम्हारा एसपी ही उतरा है ।हद है लूट मची हुई है तुम्हारे जिले में मुझे तो कोई उम्मीद नहीं है कि इस एसपी के रहते तुमको न्याय मिल पायेगा ।हलाकि मुख्यमंत्री सचिवालय की संक्रियता के बाद तुम्हारा एसपी हरसिद्दि परसो रात को गया था पांच घंटा थाना पर बैठा है लेकिन तुम्हारे परिवार से मिलने शायद नहीं गया है ।

अभी भी खबर आ रही है कि भूमाफिया तुम्हारे परिवार को धमकी दे रहा है और इस वजह से तुम्हारे पापा चुप्पी साध लिये हैं ।होना ही था ये बिहार है भाई सब कुछ जाति तय करता है आज तुम राजपूत भूमिहार,ब्राह्रण, यादव कोयरी कुर्मी होते तो सोशल मीडिया से लेकर तुम्हारे घर पर नेताओं का ताता लगा रहता। देख रहे हो ना सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया कैसे चुप्पी साधे हुए हैं सुशील मोदी का फोन गया है कि नहीं ,रितू जायसवाल तो गयी थी अब ये भी नेता हो गयी है ।

खैर तुमको कहते थे ना रे मारवाड़ी काहे तुम इस लफरे में पड़ गये हो कोई साथ नहीं देगा सरकार की जमीन है सरकारी अधिकारी उस जमीन पर कब्जा करा रहा है तुम्हारा क्या जा रहा है नहीं सर जान चला जाये होने नहीं देगे देखिए झुठा मुकदमा करवा रहा है फिर भी नहीं ना झुके पेट्रोल पंप सील करवा दिये ना ,जब तक एक एक इंच जमीन खाली नहीं करवा देगे चैन से नहीं बैठेंगे सर तू पागल है जी सर पागल हैं तभी तो लड़ रहे हैं आपका साथ है ना हां जी पूरी साथ है।

हरसिद्दि बाजार और उसके आसपास मुख्य सड़क से सटे बेतिया राज का सैकड़ों एकड़ जमीन है उस सरकारी जमीन के काफी बड़े हिस्से पर अनधिकृत तौर पर मोतिहारी जिले के बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष राजेन्द्र गुप्ता और अजय सिंह सहित दर्जनों बड़े लोग कब्जा कर रखा है उसी को खाली कराने को लेकर विपिन अग्रवाल हाईकोर्ट तक लड़ गया परिणाम यह हुआ कि राजेन्द्र गुप्ता और अजय सिंह को सरकारी जमीन खाली करना पड़ा ।

राजेन्द्र गुप्ता का पेट्रोल पम्प जो सरकार की जमीन का अतिक्रमण करके बनाया गया था विपिन अग्रवाल के कानूनी लड़ाई की वजह से ही प्रशासन को सील करना पड़ा था। यू कहे तो विपिन अग्रवाल के पहल की वजह से सरकार की कोरोड़ो की जमीन अतिक्रमण मुक्त हो सका ।इस दौरान भूमाफिया द्वारा मोटी रकम का भी प्रलोभन दिया इससे बात नहीं बनी तो विपिन अग्रवाल के घर पर हमला हुआ, झूठे मुकदमों मे फंसाया गया इसके बावजूद ये समझौता नहीं किया।
घटना के दिन भी हरसिद्दि के सीओ से सरकारी जमीन के अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन शीघ्र कैसे हो इसको लेकर मिलने गया था और जैसे ही मिलकर बाहर निकला पहले से घात लगाये अपराधियों ने गोली से छलनी कर दिया।

तू तो चला गया लेकिन एक सवाल छोड़ गया है सिस्टम ,समाज ,सरकार और न्याय व्यवस्था को ईमानदारी और ईमानदार लोग पसंद नहीं है ।तुमसे बेहतर ये कौन जानता है कि यहां न्याय पाना कितना कठिन है इसलिए तुमको मारने वालों को सजा मिलेगी या नहीं मिलेगी कहना मुश्किल है ।लेकिन इस पत्र के सहारे एक कोशिश है इस सिस्टम और समाज को आईना दिखाने की। वैसे मुझे पता है जिंदगी फिल्म नहीं है जिसमें हमेशा सुखद अंत होता है सच्चाई यही है तुम्हारे संघर्ष का दुखद अंत हो गया तुम्हारी ये लड़ाई यही ठहर गयी।

कल फिर से उस सरकारी जमीन पर कब्जा होना शुरु हो जायेंगा और तुम्हारे हत्या में शामिल लोग उसी जमीन पर फाइवस्टार होटल बनायेंगा जहां रोज शाम सिस्टम,सरकार ,न्याय व्यवस्था और समाज का महफ़िल जमेगी रंगीन नजारा होगा और इस सब के बीच तुम्हारे संर्घष की गाथा कभी किसी गरीब के जुवान पर बंद कमरे में आ जाये तो बड़ी बात होगी।
तुमको पहले भी हतोत्साहित नहीं करते थे और तुम्हारे जाने के बावजूद भी हतोत्साहित नहीं कर रहे हैं। तुम तो हीरो निकले यार अब देखना यह है कि उसी मोतिहारी की धरती पर गुजरात से गांधी आकर अमर हो गये और उसी मोतिहारी की धरती पर तुम्हारी शहादत क्या रंग लाती है इसका मुझे भी इन्तजार रहेंगा ।

तुम्हारे जाने का मुझे दुख है अब कौन सुबह सुबह फोन करके कहेगा कैसे हैं संतोष सर सुबह सुबह फिर तंग करने के लिए फोन कर दिये ।जहां रहो सिस्टम से लड़ते रहो और मुस्कुराते रहो जाना तो नियति है ।

तुम्हारा संतोष

संतोष सिंह पत्रकार के फेसबुक वाल से लिया गया है

नक्सली उग्रवाद को केंद्र और राज्य को मिलकर लड़ने की जरूरत है ।

वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक मे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अभिभाषण का मुख्य बिन्दु ।

बिहार में विगत वर्षो में उग्ररवादी हिसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त हाेना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है। केन्द्र एवं प्रभावित राज्याें की सरकाराें काे इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष हाेनी चाहिए।

नक्सली हिंसा देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है और यह विकासोन्मुखी सरकार की नीतियों के सफल क्रियान्वयन में बाधक बनता है। बीते वर्षाें में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबाें का हित करना नहीं है, अपितु अलाेकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकाें का प्रयाेग कर गरीबों काे विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है। इनके कारण गरीब अपने वाजिब हक से तथा क्षेत्र में संचालित विकास याेजनाओं के लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर हाे जाते हैं परंतु इस तथ्य काे भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनाें में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं। नक्सली संगठनाें के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता काे निष्प्रभावी करने के लिए इन क्षेत्राें में समावेशी एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं कार्यान्वित करनी हाेगी। हमने पुलिस काे अधिक जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाया है। यदि लाेगाें की आस्था हमारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली में बढ़ेगी ताे समाज में इसके सकारात्मक परिणाम हाेंगे।

2018 में राज्य में सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में अच्छादित जिलों की संख्या 22 से घटकर 16 हो गई तथा पुनः वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर केवल 10 ( रोहतास कैमूर गया औरंगाबाद नवादा जमुई लखीसराय मुंगेर बांका बेतिया) रह गई है। वर्ष 2018 में अति उग्रवादी प्रभावित जिलों की संख्या 100 थी जो अब घटकर केवल 3 गया जमुई लखीसराय रह गई है ।अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से औरंगाबाद जिले को हटा दिया गया है। औरंगाबाद झारखंड के अति नक्सल प्रभावित पलामू जिले का सीमावर्ती है और पहाड़ एवं जंगलों से आच्छादित है । औरंगाबाद जिला को अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुनः शामिल करने की जरूरत है।

सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक आयाम रखने वाली नक्सली उग्रवाद की समस्या के एक छोटे भाग से पुलिस लड़ सकती है । इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने न्याय के साथ विकास की समावेशी रणनीति बनाई । विकास से वंचित और भटके हुए लोगों को सामाजिक आर्थिक मुख्यधारा में वापस लाने के लिए गंभीर विकासात्मक पहल किए गए हैं । वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में वंचित लोगों को आरक्षण महिलाओं को 50% आरक्षण देकर उन्हें क्षेत्र के विकास के निर्णय लेने का हक दिया गया। सभी थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधान के पृथक्करण किया गया है । कानून का राज एवं भयमुक्त शासन स्थापित करना बिहार सरकार की नीति रही है। सांप्रदायिक सौहार्द्र का वातावरण राज्य के सभी जिलों में कायम है ।

महिला सशक्तिकरण के तहत हमने पुलिस में 35% आरक्षण दिया है और इसी का नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 23% से अधिक संख्या में महिलाओं की है । उल्लेखनीय है कि महिलाओं की कमांडो टीम को विशेष टास्क फोर्स एवं आतंकवाद निरोधक दस्ता में सम्मिलित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है । एक अभिनव पहल के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थारू ,संथाल, उरांव और अन्य अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को लेकर बिहार स्वाभिमान बटालियन का गठन बाल्मीकि नगर पश्चिम चंपारण जिला में किया गया है । राज्य सरकार के इस कदम से बगहा एवं बाल्मीकि नगर के जंगल पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है।

नक्सली उग्रवाद प्रभावित जिलों में लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चलाई जा रही विभिन्न विकासोनमुखी एवं कल्याण संबंधी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण मुख्य सचिव बिहार सरकार के स्तर से किया जाता है । जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा संचार व्यवस्था के लिए पहचान किए गए बीएसएनल के ढाई सौ मोबाइल टावर का अधिष्ठापन कार्य राज्य में सबसे पहले पूर्ण कर उन्हें ऊर्जान्वित किया जा चुका है ।विभिन्न विकास मुखी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ था एवं ग्रामीण इलाकों में पहुंचने से सकारात्मक माहौल बना है ।

जहां एक तरफ घटनाओं में कमी आना प्रसन्नता का विषय है। वही घटनाओं का पूर्णता समाप्त नहीं होना यह इंगित करता है कि नक्सली हिंसा की संभावना अभी भी बनी हुई है। जिसे समूल समाप्त करने की दिशा में अत्यंत सचेत रहते हुए रणनीति बनाकर अभियानों के साथ-साथ समावेशी विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों और में और तीव्रता लाए जाने की आवश्यकता है ।

नक्सली हिंसा से निबटने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझाव।

1- विशेष आधारभूत संरचना योजना सीआईएस 2021-22 के बाद बंद होने की सूचना मिली है इसे आगे चलाने की आवश्यकता है ।

2- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान में यह अत्यंत आवश्यक है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाए । केंद्र सरकार द्वारा पुलिस अधिकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है ।समय के साथ-साथ इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है । इस योजना में केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40 रखा गया है । बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90 : 10 किया जाना चाहिए ।

3- केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सली उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति के अंतर्गत सुरक्षात्मक कार्यवाहियों के साथ-साथ विकाससोनामुखी कार्यक्रमों को भी अनुसरण किया जा रहा है ।प्रभावित जिलों की विशेष स्थिति के कारण निश्चित ही इस दिशा में संकेतिक पहल करने की आवश्यकता है । हमारा सुझाव होगा कि इन क्षेत्रों के लिए चयनित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने और उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त निजी उपलब्ध कराई जाए तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एवं मापदंडों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाए ।

4- नकली उग्रवाद के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियानों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग आवश्यक हो गया है । आधुनिक हथियार ड्रोन, रोबटिक यंत्र, संचार माध्यमों पर निगरानी आदि तकनीकी सिर्फ सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ाती है, संभावित जान के खतरे को भी कम करती है ,जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल और भी बढ़ता है । इसके साथ-साथ प्रत्येक राज्य में हेलीकॉप्टर की तैनाती अवश्यम्भावी रूप से की जाए जो सुरक्षा बलों की गतिशीलता को तो बढ़ाता ही है आवश्यकता पड़ने पर बचाव में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम चाहेंगे कि गृह मंत्रालय इस पर पुनर्विचार कर बिहार में अलग से हेलीकॉप्टर की स्थाई तैनाती करें ।

5- वर्तमान में बिहार राज्य में 7 . 5 बटालियन केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को उपलब्ध कराया गया है । जिसमें सभी बलों की प्रतिनियुक्ति बिहार झारखंड के सीमावर्ती जिलों में की गई है। इन बलों के माध्यम से लगातार अभियान चलाया जा रहा है ।वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार सीआरपीएफ की दो बटालियन बल बिहार से छत्तीसगढ़ राज्य में भेजी गई है। जिससे बिहार राज्य में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या घट गई है। इन बलों के जाने से क्षेत्र में सुरक्षा अंतराल बना है । जिससे अभियान की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है । अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा कैंप का निर्माण प्रस्तावित है , जिसके लिए अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की आवश्यकता है ।अतः मैं गृह मंत्रालय से अनुरोध करना चाहूंगा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की इन दोनों बटालियनओं को बिहार में वापस किया जाए।

6- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान हेतु यह भी आवश्यक है कि राज्यों के सुरक्षाबलों को गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रभावी रूप से दक्ष बनाया जाए । केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिहार के लिए अधिक कोटा निर्धारित किया जाए और निशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए ।

7- इस अवसर पर मैं केंद्र सरकार का ध्यान अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षाबलों पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति की नीति के की तरफ भी आकृष्ट करना चाहूंगा । आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सली हिंसा वादियों के खिलाफ या लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है परंतु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा भार राज्य सरकार के कोष पर पड़ जाता है ।अतः अनुरोध होगा कि इस खर्च का वाहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए । यह मैं यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति सदस्य जाग रही है और वर्तमान में कोई भुगतान लंबित नहीं है ।

नक्सली उग्रवाद के विरुद्ध अभियान केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त दायित्व है अतः इसका आर्थिक भार भी केंद्र और राज्यों के बीच बैठकर वहन किया जाना चाहिए ।

जातीय जनगणना को लेकर बिहार की सियासी पारा चढ़ा बीजेपी समझौते के मूड में नहीं ।

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामा को लेकर बिहार की सियासत में तुफान आ गया है कल नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव इस मामले को लेकर देश के 30 बड़े राजनीतिज्ञों को पत्र लिख कर समर्थन मांगा था ।
वही आज मैदान में खुद नीतीश कूद पड़े हैं नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री की बैठक में भाग लेने पहुंचे नीतीश कुमार ने आज बैठक समाप्ति के बाद बैठक को लेकर पूछे गये सवालों को नजरअंदाज करते हुए बेहद तल्ख लहजे में कहा कि बिहार के सभी दलों के लोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है. केंद्र सरकार फिर से ठीक ढ़ंग से इस पर विचार करें।

उन्होंने जातीय जनगणना को देशहित में बताया.मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा को लेकर कहा कि वे आर्थिक और समाजिक गणना को लेकर है. इसमें जातीय जनगणना को नहीं जोड़िए. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार इस पर ठीक ढ़ंग से विचार करें और ये देशहित का मामला है।

CM ने कहा कि 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी, वो जातीय जनगणना थी ही नहीं। वो आर्थिक आधारित जातीय जनगणना थी, जिसमें कई गलतियां थीं, इसलिए उसे प्रसारित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार अगर सबका विकास चाहती है तो जातीय जनगणना कराए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक बार फिर मिलकर सभी बातों को साफ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर अपने सभी दलों के साथ एक बार फिर से मीटिंग कर इस पर विचार करेंगे।

नीतीश कुमार के इस बयान के थोड़ी देर बाद ही बिहार बीजेपी के सीनियर नेता सुशील मोदी ने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार के मांग को खारिज करते हुए कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

नीतीश कुमार के बयान के बाद सुशील मोदी का जातीय जनगणना के मांग को पूरी तरह खारिज करने के साथ ही यह तय हो गया कि आने वाले समय में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी और नीतीश के बीच तल्खी बढ़ेगी क्यों कि मांझी और सहनी पहले ही बगावत के मूड में है वही तेजस्वी जिस तरीके से जातीय जनगणना को लेकर नीतीश पर दबाव बना रहे हैं ऐसे में आने वाले समय में बिहार की सियासत किसी और दिशा की और मूड़ जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। क्यों कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर जितने आगे बढ़ गये वहां से वापसी उनके लिए आत्मघाती हो सकता है ।

इस बीच लालू प्रसाद की बेटी डॉ. रोहिणी आचार्या ने एक ट्टीट करके नीतीश पर सीधे हमला बोला है उन्होंने कहा है कि ‘ बीजेपी का जो यार है.. जातीय जनगणना का विरोधी नीतीश कुमार है’। उन्होंने आगे लिखा है- ‘ भ्रम के जाल में उलझा, नीतीश कुमार कुर्सी का भूखा है।’ डॉ. रोहिणी ने लिखा है कि- ‘ओबीसी समाज के हितों का दुश्मन बीजापी का यार नीतीश कुमार है।’ऐसे में बिहार की सियासी फिजा एक बार फिर गर्माने लगा है ।

हर थाली में बिहारी व्यंजन एक और कदम आगे बढ़ा बिहार फाउंडेशन।

हर थाली में बिहारी व्यंजन के लिए काम करेगा बिहार फाउंडेशन…उपमुख्यमंत्री
पटना 26 सितंबर 2021
कल देर शाम बिहार के उपमुख्यमंत्री -सह-वित्त मंत्री-सह-अध्यक्ष, बिहार फाउंडेशन श्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में वर्चुअल मीट के माध्यम से बिहार फाउंडेशन के विदेशों में स्थित चैप्टरों एवं कोविड-19 दूसरी लहर में प्राप्त राहत सामग्रियों के दानकर्त्ताओं के संग एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बिहार फाउंडेशन के विदेश में अवस्थित 4 चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े, जिनमें यू०एस०ए० वेस्ट कोस्ट चैप्टर से श्री राजीव सिन्हा (अध्यक्ष) एवं श्री दीपक शर्मा (सचिव), कनाडा चैप्टर से श्री उमेश कुमार (सचिव), क़तर चैप्टर से श्री शकील अहमद काकवी (अध्यक्ष), श्री गौहर अल्ताफ (उपाध्यक्ष), मोहम्मद महफूज़ हसन (महासचिव) तथा यू०ए०ई० चैप्टर से श्री ओमेर हेजाज़ीन (अध्यक्ष) एवं श्री तारिक़ अनवर (सचिव) शामिल हुए। इसके अतिरिक्त अमेरिका में बसे प्रवासी बिहारी जिन्होंने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य को राहत सामग्री उपलब्ध कराई थी, वे भी इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) से डॉ अविनाश गुप्ता (अध्यक्ष) एवं श्री आलोक कुमार (सदस्य), डा० सोनल सिंह, एमडी, एमपीएच, एफएसीपी यू०एस०ए०, एवं श्रीमती मनीषा पाठक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बे एरिया, सिलिकॉन वैली, यू०एस०ए० ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़कर अपने विचारों को रखा।

उपमुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं को कार्यक्रम में शामिल होने तथा बिहार की यथासंभव मदद करने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने सबों को सूचित किया कि बिहार के कटिहार जिले के शुभम कुमार इस वर्ष की यूपीएससी की परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम रैंक लाकर बिहार की बौद्धिक शक्ति का परिचय दिया है।

उन्होंने हर्ष के साथ कहा कि जिस प्रकार आप सभी प्रवासी बिहारी विदेशों में भी बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा को न सिर्फ अपने अंदर संजोये हुए है बल्कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी तत्पर है, इस भावना का हम सभी बिहारवासी सम्मान करते है। इसी सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ाने के उद्देश्य से बिहार फाउंडेशन के माध्यम से एवं आपके सहयोग से विदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की परिकल्पना की जाएगी। इस भावी कार्यक्रम में बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा इत्यादि आधारित ऑडियो/वीडियो, अन्य उत्पाद आदि भी साझा की जाएगी।

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रवासी बिहारियों से अपने-अपने क्षेत्र में बिहार के व्यंजन यथा गया का तिलकुट, बाढ़ का लाई, सिलाव का खाजा, मनेर का लड्डू, नवादा का अनरसा इत्यादि के प्रचार-प्रसार किए जाने पर बल दिया तथा यह भी सुझाव दिया की इन व्यंजनों का विदेश में एक बिक्री-केंद्र खोला जाए जिससे इसका न केवल ब्रांडिंग-मार्केटिंग होगा बल्कि इससे रोजगार का सृजन भी होगा । उन्होंने कहा कि उनकी हार्दिक इच्छा है की बिहार के पारम्परिक व्यंजन सुदूर देशों के प्रवासी चखें। इससे न केवल जड़ों से सम्बन्ध मजबूत रहेगा, वरन् इनके निर्माण में लगे कारीगरों को भी प्रोत्साहन तथा रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, उन्होंने बिहारी कला जैसे मधुबनी पेंटिंग एवं बिहारी हस्तशिल्प निर्मित सामग्रियों की भी बिक्री बढ़ाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए विशेष पहल की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री ने समस्त प्रवासी बिहारियों से कोविड की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य के लिए उपलब्ध कराये गए राहत सामग्री के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में बिहार फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री रविशंकर प्रसाद ने कार्यक्रम में उपस्थित बिहार फाउंडेशन के चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं का स्वागत किया तथा सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं द्वारा बिहार राज्य के हितार्थ किये गए कार्यों से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री सुशील कुमार ने उपर वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

भारतीय सिनेमा का पहला गीत !

भारतीय सिनेमा का पहला गीत !

भारत की सबसे पहली बोलती फिल्म थी ‘आलम आरा’। वर्ष 1931 की इस फिल्म के निर्देशक थे अर्देशिर ईरानी। उन्होंने भारतीयों के बीच संगीत की लोकप्रियता को समझा और इस फिल्म में सात गाने डाले। उनमें से पहला गाना था ‘दे दे खुदा के नाम पे प्यारे’। यह एक प्रार्थना गीत था जिसके गायक थे अभिनेता वजीर मोहम्मद खान। वज़ीर खान ने फिल्म में एक फकीर का चरित्र निभाया था। ‘आलम आरा’ सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने-गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना ज्यादा था। इस फिल्म के संगीतकार थे फिरोजशाह मिस्त्री और बी ईरानी। इसी फिल्म के साथ हमारे यहां फिल्मी संगीत की नींव पड़ी। फिल्म के साथ इसके संगीत को भी व्यापक सफलता हासिल हुई। ‘दे दे खुदा के नाम पर प्यारे’ को भारतीय फिल्म के पहले गीत और वज़ीर खान को पहला गायक होने का गौरव प्राप्त हुआ। उस दौर में फिल्मों में पार्श्व गायन की परंपरा शुरु नहीं हुई थी। गीत को हारमोनियम और तबले के साथ सजीव रिकॉर्ड किया गया था।

दुर्भाग्य से भारत की पहली बोलती फिल्म का कोईभी प्रिंट अब उपलब्ध नहीं है। गीत की उपलब्ध रिकॉर्डिंग बेहद अस्पष्ट है । फिल्म शोधकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक गीत को श्रीमती कृष्णा अटाडकर की आवाज़ में रिकॉर्ड कर भारतीय सिनेमा के पहले गीत के जादू को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।

-लेखक ध्रुव गुप्ता (पूर्व आईपीएस अधिकारी )

आप भी सुनिए !

जातीय जनगणना की दुहाई देने वाले सुशील मोदी भी पलट गये ।

पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

राज्यों की अलग-अलग स्थितियां हैं, मसलन 5 राज्यों में OBC है ही नहीं, 4 राज्यों की कोई राजयसूची नहीं है, कुछ राज्यों में अनाथ व गरीब बच्चों को OBC की सूची में शामिल किया गया है। कर्नाटक सरकार ने तो 2015 में जातीय जनगणना कराई थी, मगर आज तक उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जा सके हैं।

1960 में पहला बिहारी यूपीएससी में टाप किया था

UPSC में टाप करने के बाद जिस तरीके से सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और संतरी तक बधाई दे रहे हैं ऐसे में गालिब का एक शायरी याद आ गया ——– हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है ।

एक दौर था जब पटना विश्वविधालय को ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ कहा जाता था स्थापना के शुरुआती दिनों में वकालत और मेडिकल की पढ़ाई के क्षेत्र में देश और दुनिया में पटना विश्वविधालय ने अलग पहचान स्थापित किया बाद के दिनों में रामशरण शर्मा जैसे इतिहासकार की वजह से पटना विश्वविधालय की पहचान इतिहास लेखन के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुआ ।60 के दशक में इस विश्वविधालय की पहचान यूपीएससी के फैक्ट्री के रुप में स्थापित हुआ ।

1960 में जगन्नाथन मुरली बिहार से UPSC के पहले टापर बने। उन्होंने पटना में रहकर ही पढ़ाई की थी और उनके पिता भी आइसीएस (ब्रिटिश काल) थे और तब पटना में पदस्थापित थे।बिहार के दूसरे टांपर छह साल बाद 1966 में पूर्णिया के आभास चटर्जी UPSC टापर बने 1970 में पटना विश्वविधालय के तीन छात्र UPSC में पहला स्थान श्याम शरण दूसरा स्थान अनुराधा मजूमदार और तीसरा स्थान लक्ष्णी चक्रवर्ती प्राप्त की थी बाद में श्याम शरण विदेश सचिव बने थे ।

पटना विश्वविधालय से पढ़े आमिर सुबहानी 1987 में टाप किये थे आमिर सुबहानी पटना विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग से स्नातकोत्तर में गोल्ड मेडलिस्ट थे।आमिर सुबहानी के बाद अभी तक कोई दूसरा पटना विश्वविधालय से पढ़कर UPSC में टाप नहीं किया है।

1988में UPSC में प्रशांत कुमार टापर रहे इनकी प्रारंभिक पढ़ाई पटना में हुई थी। उच्च शिक्षा सेंट स्टीफेंस कालेज, दिल्ली से हुई।1997 में सुनील कुमार बर्णवाल टापर रहे सुनील बर्णवाल की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर में हुई। आइएसएम धनबाद से बीटेक के बाद उन्होंने गेल में भी सेवा दी।

2001 के टापर आलोक रंजन झा ने हिंदू कालेज से स्नातक करने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल किया। इनके बाद फिर टापर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा और 20 साल बाद कटिहार के शुभम कुमार यूपीएससी में टाप किया है । शुभम ने बोकारो से 12वीं की। फिर बॉम्बे आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है।

1961 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आइसी कुमार का कहना है कि 1960 से पहले बिहार से करीब 26 आइसीएस थे। इसके बाद 1960 में प्रथम स्थान पर पटना के जगन्नाथन मुरली, पांचवें स्थान पर रामास्वामी और 12वें स्थान पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा थे।

1977 बैच के आईपीएस अधिकारी बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद का कहना है कि पटना विश्वविधालय उस समय पढ़ाई के हर क्षेत्र में देश और दुनिया में पहचान स्थापित कर लिया था यूपीएससी को तो मक्का कहा जाता था।हर बैच में 25 से 30 छात्र यूपीएससी करता था ।1980 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे राजवर्धन शर्मा जो 1967 में पटना सांइस कांलेज के छात्र थे उनका कहना था कि फिजिक्स ,अर्थशास्त्र और इतिहास विभाग का टांपर का यूपीएससी तय माना जाता था।

लेकिन आज बिहार के स्कूल कांलेज से पढ़े बच्चों के पास कर्मचारी बनने लाइक भी योग्यता नहीं है पिछले 10 वर्षो का बिहार बोर्ड का टापर का लिस्ट निकाल लीजिए देखिए वो क्या कर रहा है ।
पटना विश्वविधालय में पढ़ने वाले पूर्ववर्ती छात्रों का कहना है कि एक रणनीति के तहत बिहार के नेताओं ने पटना विश्वविधालय को बर्वाद किया है और इस बर्वादी में ताबूत में आखिरी कील इंटरमीडियट की पढ़ाई खत्म करने का निर्णय रहा आज बिहार के बजट की बात करे तो सबसे अधिक राशी 17 प्रतिशत 38035.93 करोड़ रुपये खर्च शिक्षा पर ही हो रहा है परिणाम आपके सामने हैं ।

बिहार में जहां कही से भी उम्मीद की छोटी सी किरणें दिखायी दे रही है उसके निर्माण में बिहार के किसी भी संस्थान को कोई योगदान नहीं है। छात्र,मजदूर ,किसान और व्यापारी जो बिहार का नाम रोशन कर रहा है वो सभी व्यक्तिगत प्रयास से सफलता हासिल किया है ।
चलते चलते–मुद्दतें बीत गयी आज पर
यार-ए-ज़िद्द ना गयी
बंद कर दिए गए दरवाजे
मगर उम्मीद ना गयी !!

आज के युवा पीढ़ी के लिए सिटिजन जर्नलिज्म एक सुनहरा मौका है।

अनिता गौतम
सिटिज़न जर्नलिज़्म, यह सिर्फ शब्द भर नहीं बल्कि व्यक्ति समाज, देश और दुनिया की जरूरत है। इस अंग्रेजी शब्द का मूल अनुवाद संभवतः नागरिक पत्रकारिता हो परंतु अलग अलग आयाम में फिट बैठता यह शब्द आम अवाम की मजबूत आवाज बन चुका है। देश दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और भौगोलिक बदलाव को तकनीक के सहारे अति शीघ्र बहुत बड़े समूह तक पहुचाने का सशक्त माध्यम है यह सिटिज़न जर्नलिज्म।

समय के साथ इस वर्चुअल वर्ल्ड इन्फॉर्मेशन तकनीक में अभी और बदलाव आएंगे परंतु वर्तमान में इस माध्यम की सार्थक भूमिका को हम अपने आस पड़ोस में अनुभव कर सकते हैं।

मीडिया का शुरुआती दौर, जब प्रिंट मीडिया के माध्यम से ख़बरें लोगों तक घटना के अगले दिन या कई दिनों बाद पहुंच पाती थीं। फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आयी और खबरें संकलित और संपादित होकर तस्वीरों और ट्रेंड एंकरों द्वारा कुछ लोगों तक पहुंचने लगीं।

दूरदर्शन से अपना सफर शुरू कर क्रमशः इस खबरों की दुनिया के निरंतर बदलाव का गवाह आज भी एक बहुत बड़ा वर्ग है। टेलीविजन केबल से डेटा केबल तक घूमते हुए आज इस नागरिक पत्रकारिता ने “कर लो दुनिया मुट्ठी में” के तर्ज पर हर किसी को अपने हुनर दिखाने का मंच दे दिया है।

कल तक खबरों के लिए टेलीविजन और अखबार की मोहताज आम आवाम आज खुद खबर बना और परोस रहा है। हर क्षेत्र, राजनीति, अपराध, सिने वर्ल्ड , टेलीविजन की दुनिया या समाज से जुड़ी छोटी बड़ी घटना की जानकारी पलक झपकते लोगों तक पहुँच रही है।

बात चाहे सरकार बनाने की हो, गिराने की हो , चुनावी समीकरण की हो या मत ध्रुवीकरण की, एक क्लिक और खबर पूरी दुनियां में संचारित। जाहिर सी बात है आगे जैसे-जैसे नागरिक पत्रकारिता का दायरा बढ़ेगा इसकी विश्वसनीयता दाव पर लगेगी। सीधे शब्दों में समझे तो बिना किसी तकनीकी पढ़ाई किये स्मार्ट फोन के साथ स्मार्ट बनने की प्रक्रिया में जितनी तेजी से सच फैलेगा उस से कई गुना रफ्तार से झूठ दौड़ेगा। वैसे भी एक पुरानी कहावत है जब तक सत्य बाहर निकलने के लिए अपने जूते तलाशता है, झूठ पूरी दुनिया घूम आता है।

मतलब बिल्कुल सीधा और साफ है कि हर चीज जिसमें अच्छाई होती है उसी में बुराई भी होती है, तो हमें तय करना होगा कि इसके निगेटिव पॉजिटिव प्रभाव को समझने की समझ कैसे विकसित करें?
वर्चुअल मीडिया, सोशल मीडिया के इस वर्ल्ड वाइड वेव ने सिटीजन जर्नलिज्म को एक मंच तो दे दिया है पर इसकी उपयोगिता की जिम्मेवारी हमें तय करनी होगी। इसके बेहतर प्रयोग से समाज और देश सुधार की न सिर्फ दिशा तय करनी होगी बल्कि उसके सकारात्मक प्रभाव पर भी गंभीरता से मंथन करना होगा।

निश्चित रूप से नागरिक पत्रकारिता , किसी भी मीडिया संस्थान से न जुड़कर भी खबरें संचालित करने का अद्भुत मंच है, शर्त यह है कि पत्रकारिता के लिए बने पंच लाइन ‘पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं मिशन है।’ को इसमें अपने स्तर से बहाल रखा जाए।
सिक्के के दो पहलू की तरह सिटीजन जर्नलिज्म की भी अपनी ताकत के दो रूप है अच्छाई और बुराई। अगर कभी खबरों की सत्यता तय करने में मुश्किल आये तो हम न सिर्फ निष्पक्ष भाव से समाचार का सृजन करें बल्कि पत्रकारिता के मूल उद्देश्य, जनहित को प्राथमिकता देने का प्रयास करें।

ज्ञातव्य है कि समय के साथ मुख्य धारा की मीडिया में चंद लोगों की मोनोपोली कायम हो रही थी। दिशा निर्देश सत्तारूढ़ पार्टी या खास व्यक्ति के द्वारा प्राप्त होने लगे थे। ऐसी विषम परिस्थितियों में नागरिक पत्रकारिता ने मीडिया के कुछ मुट्ठी भर लोगों के गुरुर को न सिर्फ तोड़ा है बल्कि उनके पूरे किले को ही ध्वस्त कर दिया है। आज इस नागरिक पत्रकारिता की ताकत को ऐसे भी समझा जा सकता है कि कई सारी खबरें सोशल मीडिया पर पहले आती हैं और बाद में सत्यापित और संपादित होकर मुख्य धारा की मीडिया में आती है।

इसके साथ ही अगर बेहतर तरीके से इसके पूरे दिशा निर्देशों का पालन किया जाए और किसी तरह की विवादास्पद सामग्री न परोसी जाए तो इसमें मुद्रीकरण की प्रक्रिया भी है। अर्थात पूरी शर्त के साथ इस मंच को संचालित करने पर पैसे कमाने का साधन भी यहां उपलब्ध है।

इस तरह से देखा जाए तो सही मायने में यह सिटिज़न जर्नलिज्म हर आम और खास को एक बराबर अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है। खास लोगों की जिंदगी से प्रेरणा देने एवं उनकी कहानियों के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं पर आम अवाम के पास जो अनुभव का खजाना है, उसे साझा करने में मददगार साबित हो रहा है यह मंच।
खाना खजाना, महिला जगत से लेकर बाल विकास तक के पन्नों को अपने में समेटे हुए, यह मंच न सिर्फ किताब बल्कि पूरी लाइब्रेरी है।

नाली गली से लेकर व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने का सबसे प्रभावी जरिया है यह। तस्वीरों, वीडियो और ग्राफिक्स जैसे साक्ष्यों के साथ खबरों की अनोखी दुनिया। अपने पसंद की चीजों को यथा समय खोजने से लेकर फुरसत में खबरों से रूबरू होना, सब संभव हुआ है इस साधन से।

इसकी सबसे बड़ी खामियों में नागरिक पत्रकारिता के नाम पर पीत पत्रकारिता की संभावना बन जाती है। किसी के निजी जीवन की बातें, व्यक्तिगत पहलू या असंसदीय शब्दों का प्रयोग या फिर किसी की मर्यादा भंग करने वाली कहानियों को प्रकाशित करना। साथ ही इस माध्यम का दुरुपयोग सामूहिक रूप से पैसे उगाहने में भी लोग कर रहे हैं। क्राउड फंडिंग के नाम पर तकरीबन भीख मांगने की परंपरा को बढ़ावा मिल रहा है।

इसका सबसे डरावना और वीभत्स प्रयोग है पोर्नोग्राफी। स्त्री से लेकर बच्चों तक के शोषण के रास्ते तैयार करता है। वैसे कुछ कड़े कानून से इस पर रोक लग सकती है। पहले से भी देश में इस तरह के आपत्तिजनक सामग्री को रोकने के लिए कई कानून हैं। धार्मिक उन्माद , धर्मान्ध सामग्री और एक पक्षीय विश्लेषण से भी बचने की आवश्यकता है।

ब्लॉग, वेब पेज, गूगल, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप, वी चैट, टिकटाक, सोशल साइट्स और भी न जाने कितने तरीके से अब संचार संभव हो गया है। बहुत हद तक सूचना के अधिकार का विस्तार भी है नागरिक पत्रकारिता, बस जरूरत है भाषा की शुद्धता, तस्वीरों, वीडियो या ग्राफिक्स की प्रामाणिकता और उकसाने वाली खबरों से बचाव के तरीके तलाशने की।
बहरहाल इन सब चुनौतियों के बावजूद सिटिज़न जर्नलिज्म में असीम संभावनाएं है।

सुपर तकनीक के माध्यम से होने वाली इस पत्रकारिता में जरूरत है, थोड़े प्रशिक्षण और कुछ कानूनी दायरे बनाने की। सही मायने में लोकतांत्रिक तरीके से आम आदमी की अभिव्यक्ति का माध्यम बना नागरिक पत्रकारिता का यह मंच अपने आप में अनूठा है।

मुख्य धारा की मीडिया को चुनौती देते इस सिटिज़न जर्नलिज्म यानी नागरिक पत्रकारिता का भविष्य आगे अभी और उज्ज्वल है।

-लेखिका का नाम अनिता गौतम पत्रकार है