Press "Enter" to skip to content

Posts tagged as “#BiharNews”

प्रेम एक सुखद अहसास है

प्रेम
एक सुखद अहसास, पर
जिस तक पहुँचने के लिए
पीड़ा एवं वेदना की घाटियों से पड़ता है गुजरना;
फिर भी मुमकिन है
कि यात्रा अधूरी रह जाए,
जिसके अधूरेपन में ही है
उसकी पराकाष्ठा,
उसका उत्कर्ष।

प्रेम नहीं है परीक्षा;
प्रेम है
सम्पूर्ण आनत समर्पण,
सन्देह से परे।

प्रेम नहीं है
पाने का नाम,
प्रेम है
सब कुछ की तथता,
और सब कुछ की तथता का
सम्पूर्ण समर्पण,
उसे दे देने का नाम।

प्रेम है
वेदना की अनुभूति,
उस अनुभूति को भी बार-बार जीने की चाह,
और उन अनुभूतियों को बार-बार जीते हुए
सुख एवं संतुष्टि का अहसास।

प्रेम नहीं है शरीर की चाह,
प्रेम नहीं है उन्नत उरोजों का आकर्षण, और
प्रेम नहीं है
योनि की गहराइयों को मापने वाली कामजन्य वासना!

प्रेम है मस्तक पर चुम्बन,
हाँ, निर्द्वन्द्व, वरद, दीर्घ चुम्बन
जो हमें आश्वस्त करता है!

प्रेम है उरोजों की थाप,
जो बहा ले जाती है हमें
माँ की थपकियों की तरह,
वर्तमान के उस विषम ताप से कहीं दूर
उस दुनिया की ओर,
जिसमें हम विचरण करना चाहते हैं,
जिसमें हम खोना चाहते हैं,
जिसमें हम समा जाना चाहते हैं।

प्रेम है
अपनी सुध-बुध को खोना,
प्रेम है
मुश्किल से मिलने वाला खिलौना।

प्रेम है
खुद को परखना,
प्रेम है
खुद को सिरजना।

प्रेम है
म्यान की तलवार,
प्रेम है
अवलम्ब की पुकार।

प्रेम है
आश्रय की तलाश, और
प्रेम है
आश्रय बन जाने की चाह!

प्रेम है
आँखों के रास्ते दिल में उतर जाना,
प्रेम है
खुरदरे हाथों को सहलाना।

प्रेम है
नि:शब्द होंठों का कम्पन,
प्रेम है
अस्तित्व का विसर्जन।

प्रेम है
असीम में विलीन होने की चाह,
प्रेम है
सामने वाले की परवाह!

जब आँखें बोलने लगतीं,
तो प्रेम है;
जब नज़रें झुकने लगतीं,
तो प्रेम है।

प्रेम है
शून्य में खो जाना,
प्रेम है
आहों में रो जाना।

प्रेम है
आकर्षण में खिंचता चला जाना,
प्रेम है
बँधता चला जाना।

जो बाँध ले
वो प्रेम है,
जो मुक्त कर दे,
वो प्रेम है।

प्रेम है
अनन्त में लीन हो जाना,
प्रेम है
भावों, अनुभूतियों और शब्दों में लीयमान हो जाना;
प्रेम है
नि:शब्द समर्पण,
प्रेम है
नि:शर्त समर्पण!

निःशब्द हो जाना ही
प्रेम है,
निर्वाक हो जाना ही
प्रेम है।

प्रेम है
‘प्रेम’ का मान,
प्रेम है
प्रेमिका का सम्मान!

अगर ऐसा नहीं, तो
प्रेम अधूरा है।

प्रेम #Prem

पुलवामा अटैक का मुख्य आरोपी अभी पकड़ से बाहर है

आज 14 फरवरी है प्यार को पाने का दिन वो प्यार जिसमें घृणा की कोई जगह नहीं है और इंसान अपने प्यार को पाने के लिए सब कुछ दाव पर लगा देता है । वही दूसरी और आज पुलवामा अटैक की तीसरी पुण्यतिथि भी है जो जताता है कि इंसान किस हद तक पागल हो गया है धर्म के नाम पर ,कौम के नाम ,और छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर।

कल से सोशल मीडिया पर  एक मीम चल रहा है  सेना की वर्दी में खड़ा एक नौजवान वैलेंटाइन डे के मौके पर गिफ्ट खरीद रही लड़कियों से पूछ रहा है आज क्या है लड़की कह रही है वैलेंटाइन डे, सैनिक उदास हो जाता है बहना याद करो आज क्या हुआ था ,इस मीम के सहारे क्या याद दिलाना चाह रहे हैं यही ना कि आज हमारे  40 सपूत शहीद हो गये लेकिन अच्छा होता कि आप यह मीम बनाते कि पुलवामा अटैक  के पीछे कौन है , किसने रची थी ये साजिश, कहां से आया था आरडीएक्स अगर मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर  ही था तो पुलवामा अटैक के तीन वर्ष हो गये मौलाना मसूद अजहर को इसकी सजा मिले इसके लिए तीन वर्ष के दौरान क्या कार्रवाई हुई है जो कौम सवाल करना करना छोड़ देता है उस कौम के होने का कोई मतलब नहीं है ।

 आज भेल ही सुबह से हमारे उन 40 शहीद जवानों के मंजार पर आसू बहाने लोग पहुंच रहे हैं लेकिन सच्चाई यही है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पुलवामा आतंकी अटैक केस में जो 13,500 पन्नों का जो चार्जशीट दायर किया गया है वो सिर्फ कोरी कहानी है ,उस पन्ने में अटैक से जुड़ी कई सवालों का जवाब नहीं है मसलन इतनी बड़ी साजिश के पीछे देश में कौन बैठा हुआ था जम्मू से जब हमारे जवान का काफिला श्रीनगर के लिए चला तो पल पल की जानकारी आतंकी को कौन मुहैया करा रहा था ,छोटे मोटे दुकान चलाने वाले ,कार मिस्त्री देहारी का काम करने वाला इतनी बड़ी साजिश को अंजाम कैसे दे सकता है ।

आरडीएक्स कहां से आया, गाड़ियों के काफिला को सुरक्षित ले जाने को लेकर जो रणनीति बनायी गयी उस रणनीति में कहां चूक हुई और फिर इतनी बड़ी साजिश बिना विभीषण  के सम्भव है क्या। 

ऐसे कई सवाल है इस मामले एनआईए ने 19 आरोपी को बनाया है इनमें से 6 आतंकियों की मौत हो चुकी है इस आतंकी हमले को आदिल अहमद डार नाम के आत्मघाती आतंकी ने अंजाम दिया था. जो मारा गया था. आदिल के साथ मिलकर हमले के लिए आईईडी बनाने वाला उमर फारूक भी मारा गया है

1—-सात  पाकिस्तानी को भी आरोपी बनाया गया है

जैश-ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को एनआईए ने अपनी चार्जशीट में सबसे पहला आरोपी बनाया है. मसूद के अलावा  उसके भाई अब्दुल राउफ और मौलाना अम्मार को भी आरोपी बनाया गया है. मौलाना अम्मार बालाकोट में जैश के आतंकियों को ट्रेनिंग देता है,इनके अलावा इस्माइल, उमर फारूक, कामरान अली और कारी यासिर के नाम भी चार्जशीट में हैं. ये चारों भी पाकिस्तानी हैं. इनमें से उमर, यासिर और कामरान  मारे जा चुके हैं।

12 कश्मीरी हैं. कश्मीरी आतंकियों में आदिल डार, सज्जाद अहमद भट्ट और मुदस्सिर अहमद खान मारे जा चुके हैं.

 शाकिर ने हमले के लिए कार उपलब्ध कराई थी, साथ ही विस्फोटक, आईईडी भी उपलब्ध कराया था. अब्बास राथर ने ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए हमले में मदद की थी बस इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वालो की यही सूची है घटना के पीछे जो भी वजह हो सकती है वह सब पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर पर थोप दिया गया है मसलन आरडीएक्स मसूद ने उपलब्ध कराया ,ट्रेनिंग मसूद ने ही करवाया ।

गायघाट आफ्टर केअर होम मामले की हुई सुनवाई डीएसपी स्तर के अधिकारी करे मामले की जांच-हाईकोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट भी तलब किया है।

कोर्ट का यह भी कहना था कि बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी, यदि पीड़िता को जरूरत हो ,तो जो मदद हो सके पीड़िता को उपलब्ध करवाए।

कोर्ट ने राज्य के समाज कल्याण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को अपने अपने हलफनामा को रिकॉर्ड पर लाने को भी कहा है, जिसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी, 2022 का बयान भी शामिल हो।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीडितों की ओर से महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज हो गई है। एक का पी एस केस नंबर – 13/2022 है और दूसरे का पी एस केस नंबर -17/ 2022 दर्ज कर लिया गया है।

पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई। महाधिवक्ता ने पीड़िता द्वारा दिये गए बयान के उद्देश्य पर संदेह भी जताया है। उनका कहना था कि पीड़िता ने केअर होम को वर्ष 2021 के अगस्त महीने में ही छोड़ दिया था, लेकिन वह पहली बार जनवरी, 2022 में आरोप लगा रही है।

पीड़िता की अधिवक्ता मीनू कुमारी ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने महिला विकास मंच द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को भी सुनवाई हेतु स्वीकार कर लिया है। हाई कोर्ट इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है।
हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।

चाय स्टांल का स्टार्टअप सफल हुआ तो देश भर में 300 स्टाल खोलेगे आईअईटी के छात्र

बिहार के आरा के रमना मैदान में रोजाना लगने वाली एक चाय दुकान इन दिनों काफी चर्चा में है उस चाय दुकान का नाम है आईआईटियन चाय वाला । नाम के अनुरूप ही यह टी स्टाल आईआईटी और विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई के रहे टेक्नोलॉजी के छात्रों का आइडिया है।मद्रास आईआईटी में डेटा साइंस में बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र और टी-स्टाल खोलने वाले रणधीर कुमार बताते हैं, यह उनका स्टार्टअप है। उनके साथ देश के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ रहे चार दोस्तों ने रोजगार सृजन के लिए यह स्टार्टअप शुरू किया। इसमें खड़गपुर आईआईटी में प्रथम वर्ष के छात्र जगदीशपुर के अंकित कुमार, बीएचयू में पढ़ रहे इमाद शमीम और एनआईटी सूरतकल में पढ़ रहे सुजान कुमार का आइडिया लगा है।

कोचिंग में पढ़ाई के दौरान हुई दोस्‍ती
रणधीर बताते हैं कि वे लोग पहले एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे और वहीं उनकी दोस्ती हुई। उन लोगों ने भविष्य में कुछ ऐसा करने का निर्णय लिया था, जिससे कुछ लोगों को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें। एक टी-स्टाल में दो से तीन लोगों को रोजगार मिला है। अभी आरा में एक स्टाल है और इसी महीने यहां बमपाली और बाजार समिति में स्टाल खुलने वाला है। एक टी-स्टाल जल्द वे लोग पटना में बोरिंग रोड में खोल रहे हैं।

साल के अंत तक देश में 300 स्‍टाल खोलने की योजना
उनकी योजना साल के अंत तक देशभर में 300 स्टाल खोलने की है। स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए वे वित्तीय संस्थानों से मदद लेंगे। रणधीर बताते हैं कि इस स्टार्टअप से उनकी पढ़ाई बिल्कुल प्रभावित नहीं हो रही है, यह तो बस एक आइडिया है तो उन लोगों ने धरातल पर उतार दिया, बाकी काम वहां स्टाफ को करना है। पिता मनोज पांडेय गोपालगंज में बिहार पुलिस में एएसआई हैं और बीच-बीच मे आकर मॉनिटरिंग करते रहते हैं।

पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे स्टार्टअप को
रणधीर बताते हैं कि भविष्य में वे अपने स्टार्टअप को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे। अभी वे लोग स्टाल पर किसी तरह का प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करते हैं और केवल कुल्हड़ में चाय देते हैं। भविष्य में वे लोग उपयोग में लाये गए कुल्हड़ को हाई प्रेसर पानी से धोने के बाद उसमें पौधा का बीजारोपण कराएंगे और उसे भी स्टाल के जरिये काफी कम कीमत पर ग्राहकों को देंगे।

10 फ्लेवर में मिलती है चाय
आईआईटियन चाय दुकान में एक-दो नहीं, बल्कि 10 फ्लेवर में चाय मिलती है। इनमें, निम्बू, आम, सन्तरा, पुदीना, ब्लूबेरी आदि फ्लेवर की चाय लोग पसंद करते हैं। चाय बना रहे कर्मचारी ने बताया कि 10 रुपये में यहां कुल्हड़ में चाय मिलती है। चाय देने से पहले वे लोग कुल्हड़ को चूल्हे की आग में गर्म करते हैं, जिससे इसमें अनोखा स्वाद आ जाता है। स्टाल पर चाय की चुस्की ले रहे जिला जदयू मीडिया सेल के अध्यक्ष भीम सिंह बबुआन ने कहा कि युवाओं में सोच बदल रही है, यह स्टाल उसी सकारात्मक सोच का नतीजा है।

स्टाल की डिजाइन है खास
टी-स्टाल की सबसे बड़ी खासियत दुकान की डिजाइनिंग है। केवल 16 वर्ग फीट में पहिये पर स्टाल इस तरह से डिजाइन की गई है कि चाय बनाने से लेकर जरूरत का सारा सामान इसमे समा जाए। केवल कुल्हड़ को गर्म करने के लिए चूल्हा को स्टाल से अलग रखना पड़ता है।

कन्हैया को लेकर राजद सहज नहीं राजद कांग्रेस गठबंधन दाव पर

कन्हैया को लेकर राजद सहज नहीं
इस बार राजद कार्यकारणी की बैठक में नीतीश और मोदी से कही ज्यादा कांग्रेस छाया रहा। तेजस्वी कांग्रेस के साथ रिश्ते को लेकर खुल कर अपनी बात रखी उन्होंंने कहा कि कांग्रेस के बिना देश मे विपक्ष की मजबूती सम्भव नही है,पर क्षेत्रीय दलों को राज्यों में ड्राइविंग सीट पर रखना होगा,बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है,बिहार में राजद को ही कमजोर किया जा रहा है,ऐसा नही चलने वाला।

बिहार विधानसभा में हमने कांग्रेस को 70 सीटें दी ,हर लोग कहते है यह बहुत ज्यादा था और महागठबंधन की सरकार नहीं बनी इसमें कांग्रेस का परफॉर्मेंस आड़े आया ।,राष्ट्रीय मुद्दों पर मेरी पार्टी कांग्रेस के साथ है,बिहार में भी कांग्रेस को साथ देना चाहिए,राजद ने हमेशा त्याग किया है,बीजेपी को रोकने के लिए राजद को समर्थन करना चाहिए।हर क्षेत्रीय पार्टी ने एनडीए के साथ कभी न कभी समझौता किया,राजद ने कभी भी एनडीए के साथ समझौता नहीं किया ।राजद के इस चरित्र का सम्मान होना चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने तेजस्वी के बयान पर कहा है कि बिहार में धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ कांग्रेस हमेशा खड़ी रही है और 1991 और 2000 में कांग्रेस के कारण ही उनकी सरकार बनी और इस वजह से बिहार में कांग्रेस को अपना आधार वोट भी दाव पर लगाना पड़ा फिर भी कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए हमेशा खड़ी रही ।

कांग्रेस विधायक शकील अहमद खा का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजद की भूमिका ऐसा लग रहा था जैसे राजद बीजेपी को मदद कर रही है जो गठबंधन विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ वह गठबंधन लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ रहता तो परिणाम कुछ और ही हुआ होता है ।

रही बात विधानसभा चुनाव में 70 सीट देने का तो देख लीजिए कैसा कैसा सीट कांग्रेस को दिया गया वो भी नामांकन शुरु होने के बाद कहा जा रहा था कि इस सीट पर आप चुनाव लड़िए ।

कांग्रेस के परफॉर्मेंस की बात हो रही है राजद को जवाब देना चाहिए ना अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित 7 मुस्लिम उम्मीदवार क्यों चुनाव हार गये । बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी ऐसे में बेहतर है कि मिल बैठकर बात करे कांग्रेस हमेशा धर्मनिरपेक्षता को बचाये रखने के लिए कुर्बानी देती रही है क्षेत्रीय दलों को भी उसका सम्मान करना चाहिए ।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अचानक ऐसा क्या हुआ जो राजद को इस तरह का बयान देना पड़ा,बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक टीकाकार का मानना है कि समस्या कांग्रेस नहीं है समस्या कन्हैया है लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन को लेकर जो समस्या खड़ी हुई थी उसके पीछे भी वजह कन्हैया ही था राहुल गांधी चाहते थे कि राजद कन्हैया का समर्थन करे लेकिन राजद इसके लिए तैयार नहीं हुआ।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जिस तरह का गठबंधन चाह रही थी उसके लिए राजद तैयार हो जाता तो फिर लोकसभा का जो चुनाव परिणाम सामने आया वो स्थिति नहीं रहती है। इसकी वजह यह है कि राजद के जो थिंक टैंक हैं वो शुरु से ही कन्हैया को लेकर कुछ ज्यादा ही सजग है उनका मानना है कि कन्हैया की बिहार की राजनीति में सक्रियता बढ़ी तो तेजस्वी को नुकसान हो सकता है।

और इसी सोच के तहत राजद काम कर रही है दूसरी और कन्हैया का मुस्लिम वोटर पर अच्छा पकड़ है समस्या यह भी है इसलिए राजद चाहती है कि कन्हैया को लेकर कांग्रेस अपने रुख में बदलाव करे और विधानसभा उप चुनाव में और विधान परिषद के चुनाव में जो समझौता नहीं हुआ उसकी वजह यही है ।

पुरानी सड़क के मैटीरियल से चकाचक हो सकती है राज्य और देश की सड़कें

पुरानी सड़क के मैटीरियल से चकाचक हो सकती है राज्य और देश की सड़कें बिहार के इंजीनियर के शोध में आया सामने जी है सड़क बनाने में रिक्लेम एसफोर्टिंग पेवमेंट एक ऐसी तकनीक है, जिससे सड़क की लागत आधी हो जाएगी।

पुरानी और खस्ताहाल सड़कों को उखाड़कर उसी मैटीरियल से उन्हें चकाचक कर दिया जाएगा। इस तकनीक के जरिए आरएपी मशीन में पुराने मैटीरियल को डालकर उसे सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने लायक बनाया जाता है।

पूरानी सड़क के मैटीरियल से बन सकती है अच्छी सड़के

उन्होने बताया कि इसके व्यापक इस्तेमाल के लिए शासन स्तर पर भी नीति बनाई जाने की जरूरत है। बता दें कि वर्तमान में विभाग को सिंगल लेन सड़क की लागत 80 से 82 लाख रुपये प्रति किमी पड़ती है। मगर सड़कों को खोद कर उनके मैटीरियल से सड़क बनाए जाने से ये लागत घटकर 28 से 30 लाख रुपये हो जाएगी।

कई राज्यों में इस तकनीक से सड़कों का निर्माण हो रहा है। डा चौधरी ने आगे बताया कि पुरानी सड़क को उखाड़कर उसी सामग्री से सड़क बनाने से सिर्फ लागत ही कम नहीं होगी। दरअसल, इससे सड़कों के दोनों किनारों पर स्थित प्रतिष्ठानों और आवासों को भी लाभ मिलेगा।

बार-बार डामरीकरण से सड़कों का तल किनारों के तल से ऊपर उठ जाता है जिससे बरसात के दिनों मे आसपास के घरों और प्रतिष्ठानों में पानी भर जाता है। सड़कों को खोदकर उन्हीं के मैटीरियल से जब दोबारा बनाया जाएगा तो उनका तल समान रहेगा। व्यापक इस्तेमाल से पर्यावरण को भी फायदा मिलेगा।

राज्य के शिशु रोग विशेषज्ञ उच्च जोखिम वाले नवजातों की उचित देखभाल के लिए होंगे प्रशिक्षितः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में समय पूर्व जन्म लेने वाले, कम वजन वाले एवं बीमार नवजातों के उचित उपचार के लिए शिशु रोग विशेषज्ञों एवं स्टाफ नर्स को प्रशिक्षित करने पर विशेष जोर है। जिलों में प्रशिक्षित करने के लिए 20 शिशु रोग विशेषज्ञों, जो एम्स एवं आईजीआईएमएस, पटना समेत विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से चयनित किये गए हैं, को 14 से 16 फरवरी तक तीन दिवसीय ट्रेनिंग एम्स, पटना में दिया जाएगा।

पांडेय ने कहा कि प्रशिक्षण में राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों को विभिन्न प्रकार के तकनीकी उपकरणों को संचालित करने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल सुविधाओं की जानकारी दी जायेगी। ट्रेनिंग राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके वरीय चिकित्सक देंगे। यहां से प्रशिक्षित होने वाले ट्रेनर अलग-अलग जिलों में जाकर 41 नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई (एनबीएसयू) में कार्यरत चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स को प्रशिक्षण देंगे।

पांडेय ने कहा कि ऐसा कर राज्य में नवजातों को उच्च जोखिम की स्थिति से निकाला जा सकता है। अरवल एवं शिवहर को छोड़कर शेष 36 जिलों में चयनित प्रथम रेफरल इकाई में एनबीएसयू की स्थापना की गई है, जहां बीमार नवजातों का उपचार एवं स्थिरीकरण की जरूरत पड़ने पर उन्हें विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाइयां व नवजात गहन चिकित्सा इकाई रेफर किया जाता है।

बिहार सरकार द्वारा 14 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू ढुलाई मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरु

पटना हाई कोर्ट में बिहार ट्रक ऑनर एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की।

इस याचिका पर बिहार सरकार द्वारा 14 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू आदि की ढुलाई पर 16 दिसंबर, 2020 को ही एक अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध लगा दिया गया था।इसी मामलें को याचिकाएं दायर कर राज्य सरकार के निर्णय challenge किया गया।

राज्य सरकार द्वारा रोक के आदेश के विरुद्ध संबंधित पक्ष ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी ये मामला उठाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2022 को इसे वापस पटना हाई कोर्ट के समक्ष भेज दिया है। साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 8 सप्ताह के भीतर निपटारा करने को भी कहा है।

इस मामले पर हाई कोर्ट में अब 22 फरवरी,2022 को फिजिकल रूप से सुनवाई की जाएगी।। इस बीच राज्य सरकार समेत अन्य सम्बंधित सभी पक्षों को अपना अपना पक्ष लिखित तौर पर कोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया है।

बीजेपी जदयू में शह मात का खेल जारी बिहार विधान परिषद का चुनाव टला

यूपी में जारी सियासी घमासान का असर अभी से ही बिहार की राजनीति पर दिखने लगा है खबर ये आ रही है कि बिहार विधान परिषद चुनाव को मार्च तक के लिए टाल दिया गया है।जबकि पहले से जो तैयारी चल रही थी उसके अनुसार 10 मार्च को यूपी सहित जिन पांच राज्यों की वोटों की गिनती होनी थी उसी दिन बिहार के 24 विधान परिषद सीटों की गिनती होना तय हुआ था लेकिन अब इसकी संभावना खत्म हो गयी है।

चुनाव आयोग से जो खबर क्षण कर आ रही है वो खबर यह है कि बिहार विधान परिषद के मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले आयोग की राज्य के सभी डीएम से जो संवाद होना था उसकी तिथि निर्धारित नहीं हो पायी है जबकि सभी जिले में मतदाता सूची बन कर तैयार है लेकिन जब तक चुनाव आयोग मतदाता सूची को प्रकाशित करने का आदेश निर्गत नहीं करती है तब तक चुनाव की घोषणा नहीं हो सकती है।

वही 25 फरवरी से बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरु हो रहा है जो 31 मार्च तक चलेगा ऐसे में इस अवधि में चुनाव हो इसके लिए सरकार तैयार नहीं है उनका मानना है सत्र चलने की वजह से विधायक प्रचार अभियान में कैसे शामिल होगा।
वही दूसरी और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है और 11 फरवरी तक नगर निकाय के सीमांकन का कार्य पूरा करके आदेश है। जिस स्तर पर राज्य निर्वाचन आयोग तैयारी में जुटा है उससे यह लग रहा है अप्रैल मई में बिहार में नगर निकाय का चुनाव हो जायेगा।

बिहार विधान परिषद के चुनाव में नगर निकाय के सदस्य भी वोटर होते हैं ऐसे में ये भी खबरें आ रही है कि बीजेपी चाहती है कि नगर निकाय चुनाव के बाद बिहार विधान परिषद का चुनाव हो वैसे भी एक माह के लिए किसी भी वोटर को उसके वोटिंग राइट से वंचित करना गैर संवैधानिक माना जायेगा क्यों कि इस समय बिहार के अधिकांश नगर निकाय भंग है ।

वही हाईकोर्ट से भी एक खबर आ रही है कि पंच और सरपंच की और से एक याचिका दायर किया गया है जिसमें बिहार विधान परिषद के चुनाव में उन्हें वोटिंग राइट नहीं होना गैर संवैधानिक बताया है। हाईकोर्ट शीघ्र ही इस मामले की सुनवाई करने जा रही है वैसे खबर ये आ रही है कि इस याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार पंच और सरपंच को वोटिंग राइट मिले इस पर सहमति जाता सकता है अगर यह स्थिति बनी तो बिहार विधान परिषद का चुनाव जून तक के लिए टल जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

राजनीतिक गलियारों से जो खबरें आ रही है कि बिहार विधान परिषद के 24 सीटों पर चुनाव होना है जो बिहार विधान परिषद में बहुमत के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में नीतीश कुमार की कोशिश है कि इस चुनाव को जितना दिन हो सके टाला जाये।

बीजेपी नीतीश कुमार की इस रणनीति को समझ रही है इसलिए चुनाव की घोषणा से पहले सीटों का बंटवारा कर लिया और नगर निकाय चुनाव तक विधान परिषद का चुनाव टल जाये इसकी पूरी कोशिश में बीजेपी लगी हुई है क्यों कि बीजेपी का मानना है कि नगर निकाय में जो जीत कर आएगा उनमें बीजेपी समर्थकों की संख्या ज्यादा होगी और इसी के काट के लिए जदयू की ओर से ही पंच और सरपंच को वोटिंग राइट मिले इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करवाया गया है ताकि संतुलन बना रहे वैसे इस बार के पंचायत चुनाव की बात करे तो राजद की पकड़ काफी मजबूत है और इसका एहसास जदयू और भाजपा दोनों को है वही यूपी चुनाव के बाद क्या स्थिति बनती है इस पर भी जदयू की विशेष नजर है क्यों कि जिस तरीके से भाजपा जदयू पर हमलावर रुख अख्तियार किये हुए हैं उससे नीतीश खासे नाराज है और नीतीश कुमार यूपी चुनाव के बाद बड़े फैसले ले सकते हैं और इसके लिए कांग्रेस से बातचीत भी चल रही है।

बिहार का पहला धूप घड़ी पर चोरों ने किया हाथ साफ 1871 में लगी थी घड़ी

बिहार के रोहतास जिले के डेहरी शहर में 1871 में स्थापित बिहार का पहला ऐतिहासिक धूप घड़ी को मंगलवार रात चोर उखाड़ कर ले गए। बुधवार सुबह जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकले तो कुछ लोगों की नजर धूप घड़ी पर पड़ी, तो देखा कि धूप घड़ी की धातु की प्लेट वहां से गायब है।

लोगों ने इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंच इसकी जांच कर रही है। डेहरी ऑन सोन के एनीकट रोड में आज भी लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी धूप घड़ी का उपयोग उस रास्ते से आने-जाने वाले लोग समय देखने के लिए करते थे। जिस तरह कोणार्क मंदिर के पहिए सूर्य की रोशनी से सही समय बताते हैं। ठीक उसी प्रकार यह धूप घड़ी भी काम करती थी।
1871 में स्थापित की गई थी धूप घड़ी

1871 में स्थापित राज्य की यह ऐसी घड़ी है जिससे सूर्य के प्रकाश से समय का पता चलता है। तब अंग्रेजों ने सिंचाई विभाग में कार्यरत कामगारों को समय का ज्ञात कराने के लिए इस घड़ी का निर्माण कराया गया और एक चबूतरे पर स्थापित किया गया था। इसी वजह से इसका नाम धूप घड़ी रखा गया। इस घड़ी में रोमन और हिन्दी के अंक अंकित है, उस समय नहाने से लेकर पूरा कामकाज समय के आधार पर होता था।

श्रमिकों के लिए घड़ी स्थापित की गई थी
घड़ी के बीच में धातु की त्रिकोणीय प्लेट लगी है। कोण के माध्यम से उस पर नंबर अंकित है। शोध अन्वेषक के अनुसार यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है। इसे नोमोन कहा जाता है। यंत्र इस सिद्धांत पर काम करता है कि दिन में जैसे-जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की तरफ जाता है। उसी तरह किसी वस्तु की छाया पश्चिम से पूर्व की तरफ चलती है। सूर्य लाइनों वाली सतह पर छाया डालता है, जिससे दिन के समय घंटों का पता चलता है।

बिहार में सात मार्च से शुरु होगा विशेष टिकाकरण अभियान

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि नियमित टीकाकरण की गतिविधियों को और भी सुदृढ़ करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृतसंकल्पित है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु विभाग ने ‘सघन मिशन इंद्रधनुष’ अभियान के तहत शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा है।

राज्य में इस अभियान की शुरुआत इस वर्ष सात मार्च से की जाएगी। अभियान तीन चक्रों में संपन्न कराया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से, जो बच्चे एवं महिलाएं कोरोनाकाल में नियमित टीकाकरण से छूट गए हैं, उनलोगों को टीकाकृत किया जायेगा।

श्री पांडेय ने कहा कि इस अभियान के तहत बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकृत किया जाएगा। पूर्व में यह अभियान सात फरवरी से चलाया जाना था, मगर कोराना की वजह से इसमें बदलाव किया गया है। आगामी सात मार्च (प्रथम चक्र) से सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान शुरू किया जाएगा।

वहीं दूसरा चक्र चार अप्रैल और तीसरा चक्र दो मई को शुरू होगा। तीनों चक्रों में यह अभियान लगातार सात दिनों तक अवकाश वाले दिन भी चलेगा। शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर इस अभियान में वैक्सीन रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ बच्चों व महिलाओं को टीका लगाया जाएगा।

श्री पांडेय ने कहा कि जिले में विभाग का लक्ष्य है कि एक भी बच्चा टीकाकरण कार्यक्रम से वंचित नहीं रहे। जिन इलाकों में टीकाकरण कम हुआ है, उन इलाकों को चिह्नित कर टीकाकरण का कार्यक्रम तैयार करना है। यह अभियान केंद्र सरकार की ओर से संचालित है।

इसमें यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि देश के 90 प्रतिशत बच्चों को पूर्ण टीकाकरण की सुविधा दी जाए, जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सके।

नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता पर हाईकोर्ट सख्त सरकार को कहा जबावी हलफनामा दायर करे

पटना हाईकोर्ट ने नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता के मामलें पर राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि इस अवधि में हलफनामा दायर नहीं किया गया,तो नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव को पाँच हज़ार रुपया दंड के रूप में भरना होगा।

याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि निगमों के फंड पर राज्य का नियंत्रण हैं,जहां नगर विकास व आवास विभाग ये तय करता है कि इस निगम के धनराशि का उपयोग कैसे किया जाए।साथ ही इस धनराशि को किस मद में रखा जाए।

जबकि अन्य राज्यों में नगर निगम को आवंटित धनराशि का उपयोग करने का अधिकार नगर निगम को ही हैं।साथ किस मद में पैसा कैसे खर्च करना हैं,इसका निर्णय भी नगर निगम ही लेता है।

नगर निगमों को जो भी फंड मुहैया कराया जाता हैं,जो कि एक विशेष कार्य के लिए होता है।उन्हें कोई अधिकार नहीं होता कि वे यह तय कर सके कि आवंटित धनराशि को कैसे खर्च किया जाए।

अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बांटी कि बिहार निगम क़ानून के सेक्सन 127 के अंतर्गत नगर निगम को विशेष सेवा देने के बदले टैक्स लगाने का अधिकार दिया गया है।लेकिन नगर विकास व आवास विभाग ने धीरे धीरे इन सारी वित्तीय शक्तियां ले लिया।
उदाहरण के लिए नगर निगम को सन्चार टावर और उससे सम्बंधित निर्माण पर पहले टैक्स लगाने का अधिकार था,लेकिन अब ये अधिकार नगर विकास व आवास विभाग को मिल गया है।

साथ ही नगर निगम ने 1993 से ही संपत्ति व अन्य करों के पुनर्विचार करने के लिए लिख रहा है, लेकिन इस सम्बन्ध में कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे नगर निगम के राजस्व की स्थिति सुधर सके।

इन कारणों से नगर निगम की वित्तीय स्वायत्तता बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।नगर निगमों को छोटे छोटे काम के लिए सरकार का मुंह देखना पड़ता है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

हिजाब के बहाने सियासत साधने कि हो रही है कोशिश

हिजाब के बहाने /

कर्नाटक के शिक्षा संस्थानों में लड़कियों के हिजाब के विरोध में जो मुहिम चलाई जा रही है, वह बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ कॉलेजों के यूनिफार्म ड्रेस कोड के विरोध के तहत कुछ मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनने का अपना अधिकार नहीं छोड़ा तो कुछ हिन्दू लड़के भगवा ओढ़कर कॉलेज पहुंचने लगे।

कॉलेजों में ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगे और कहीं-कहीं ‘अल्लाहु अकबर’ का उद्घोष भी हुआ। वहां धार्मिक विभाजन तेजी से बढ़ा है और शिक्षा संस्थान जंग के मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं। घटनाक्रम को देखकर साफ लग रहा है कि यह सब धार्मिक आधार पर लोगों के ध्रुवीकरण की सोची-समझी राजनीति के तहत सुनियोजित रूप से किया जा रहा है।

मैं स्वयं बुर्का या पर्दा प्रथा का समर्थक नहीं हूं लेकिन कोई अगर धर्म के नाम पर या व्यक्तिगत इच्छा से परदे में रहना चाहता है तो उसकी आस्था और इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए। वैसे ज्यादातर मुस्लिम औरतें हिजाब नहीं पहनतीं। जो पहनना चाहती हैं उन्हें इसे उतारने के लिए मजबूर करना उनकी आस्था का अपमान भी है और उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी।

विविधताओं से भरे हमारे देश में हज़ारों तरह के पहनावे हैं। कहीं-कहीं तो औरतों के सामने गज-गज भर के घूंघट में रहने की भी मजबूरी है। समस्या बस मुस्लिम औरतों के हिजाब से है। यह हिजाब गलत है तो उसके खिलाफ आवाज़ मुस्लिम औरतों के बीच से ही उठनी चाहिए। उठती भी रही है। एक लोकतांत्रिक देश में कोई भगवाधारी डरा-धमकाकर उन्हें हिजाब उतारने का आदेश नहीं दे सकता।

संस्कृतियों, आस्थाओं, वेशभूषा और भाषाओं की असंख्य दृश्य विविधताओं के बीच एकात्मकता का अदृश्य धागा सदा से हमारे देश की खूबसूरती रही है। सत्ता के लिए जिस तरह से इस धागे को तोड़ने की निरंतर कोशिशें हो रही है उससे हम सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब देश की बुनियाद ही बिखर जाएगी।

लेखक==ध्रुव गुप्ता ,पूर्व आईपीएस अधिकारी

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध ।

जब से यूपी सहित पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हुई है उसके बाद से देश में क्या चल रहा है उस पर जरा गौर करिए बहुत कुछ समझ में आ जायेगा ।कर्नाटक में जो कुछ भी हो रहा है ऐसा तो नहीं है कि नये सत्र का शुभारंभ हुआ है और कॉलेज में नये छात्र-छात्राएं आयी है इसलिए ड्रेस को लेकर विवाद शुरू हो गया । या फिर मुस्लिम लड़कियाँ अचानक हिजाब पहनकर कॉलेज जाना शुरु कर दी है जिसे देख छात्र भड़क गये ।

ऐसा कुछ भी नहीं है तो फिर यह मुद्दा अचानक उठा क्यों यह समझने की जरूरत है ,यूपी के कैराना में दूसरे चरण में चुनाव है लेकिन अमित शाह प्रचार अभियान की शुरुआत कैराना से करते हैं ।लेकिन कैराना के बाद जो माहौल बनना चाहिए था वो नहीं बन पाया, फिर ओवैसी पर हमला होता है इससे भी जो बात बननी चाहिए थी वो नहीं बन पाई ,फिर शाहरुख खान का मामला उछाला गया लता दी पर थूक फेका बहुत कोशिश हुई रंग देने कि लेकिन इसकी हवा तो चंद घंटों में ही निकल गयी ।

हिजाब पर विवाद उसी की अगली कड़ी है कर्नाटक के एक कांलेज में इस तरह घटना घटी और मीडिया इसको ऐसे हवा दिया कि यह मामला पूरे कर्नाटक में फेल गया , इसके पीछे का खेल यही है कि इसकी आग यूपी में कैसे फैले।

यह सियासत है और इस सियासत को समझने कि जरूरत है 2014– 2015 में लव जिहाद और गौ रक्षा के नाम पर पूरे देश में खूब खेला हुआ और फिर एक दिन अचानक चर्चा से गायब हो गया, क्या यह सब अब देश में नहीं हो रहा है, ऐसा नहीं है ना यही सियासत है लेकिन इस तरह के सियासत का क्या नुकसान हो रहा है शायद आज आपको समझ में नहीं आ रहा है ।

हिजाब का विरोध करने वाले कौन है जो कल तक वेलेंटाइन डे का विरोध कर रहे थे ,जिन्हें लड़कियों के जींस पहने पर आपत्ति है,जिनको लड़कियों के उच्च शिक्षा ग्रहण करने पर आपत्ति है, जो महिलाओं को घर की चारदीवारी में देखना चाहते हैं।

इसलिए हिजाब का मसला सिर्फ मुस्लिम लड़कियों से जुड़ा हुआ नहीं है यह मुद्दा उस सोच से जुड़ा हुआ है जो संघ का नजरिया है लड़कियों को लेकर, आज भले ही सियासी जरुरतों के अनुसार मुस्लिम लड़कियां इसकी शिकार हो रही है कल आप भी इसके शिकार होंगी यह तय मानिए।

क्यों कि सरकार किसी की भी रहे अब लोक लज्जा भी नहीं रह गया वोट के लिए ये किसी का भी सौदा कर सकता है मासूम लड़कियों के बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे राम रहीम को 21 दिन छुट्टी दिया है ये स्थिति है इसलिए जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध ।

21 फरवरी से हाईकोर्ट मे शुरु होगा फिजिकल सुनवाई

आगामी 21 फरवरी से पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई पुनः शुरू होगी। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 4 जनवरी, 2022 से हाई कोर्ट में सुनवाई पूर्ण रूप से वर्चुअल चल रही थी।

इस बार पूर्व की भांति सप्ताह में चार दिन पूर्ण रूप से फिजिकल सुनवाई की जाएगी और सप्ताह में एक दिन वर्चुअल सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी।

कोविड को लेकर जारी गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इस मामले में चीफ जस्टिस समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों के साथ एक बैठक आहूत की गई थी।

इस बैठक में पटना हाई कोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर व राजीव कुमार सिंह समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।

फिलहाल ई- पास धारियों को ही कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही कोविड को लेकर समय- समय पर जारी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

कैंसर पीड़ित इंग्लैंड के रग्बी खिलाड़ी लुक ग्रेनफुल्ल शॉ 27 देशों की यात्रा पर भारत पहुंचा

जब हौसला बुलंद हो तो मंजिल पाना आसान होता है इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं इंग्लैंड के रग्बी खिलाड़ी लुक ग्रेनफुल्ल शॉ, जो कैंसर पीड़ित होते हुए भी लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साइकिल द्वारा पूरे विश्व की यात्रा पर निकले हैं।

लुक ग्रेनफुल्ल शॉ ने अपने शहर ब्रिस्टाल के नाम से यात्रा का नाम ब्रिस्टाल टू बीजिंग रखा है। इस माह तक वे 27 देशों की यात्रा कर पाकिस्तान के बाद भारत पहुंचे हैं। मंगलवार को लुक ग्रेनफुल्ल बिहार के नालंदा जिले पहुंचे।

उन्होंने नालंदा के प्राचीन भग्नावशेष का अवलोकन किया। इसके बाद वे चीन जायेंगे, जहां इनकी यात्रा संपन्न होगी। इनके हौसले को देखते हुए कोलकाता के तीन युवक इनका साथ दे रहे हैं।

लुक ग्रेनफुल्ल ने बताया कि 24 साल के उम्र में उन्हें पता चला था कि उन्हें कैंसर हो गया है, इसके बाद उन्होंने अपने जीवन से निराश नहीं होते हुए साइकिलिंग कर पूरे देश की यात्रा करने का मन बनाया । धीरे-धीरे कैंसर चौथा स्टेज में पहुंच गया है। बाबजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारा है।

उन्होंने बताया कि इस यात्रा से जो भी राशि इकट्ठा होगी, उसे कैंसर अस्पताल में दान देंगे। उनके साथ चल रहे कोलकाता के युवक ने बताया कि कैंसर जैसे रोग से पीड़ित होने के बावजूद इन्होंने बहुत बड़ा फैसला लिया है, जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत है। अब तक यह तुर्की ,उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान की यात्रा साइकिल से ही कर चुके हैं। इन्हें जब पता चला कि कैंसर हो गया है तो इन्होंने घर में बैठने के बजाए यात्रा करने को सोचा।

गायघाट, पटना शेल्टर होम की घटना के खिलाफ महिला संगठनों का प्रतिवाद मार्च

गायघाट: पटना शेल्टर होम की घटना के खिलाफ महिला संगठनों का प्रतिवाद मार्च

पटना के गायघाट शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन हिंसा, बलात्कार, मार-पीट एवं अमानवीय व्यवहार के खिलाफ महिला संगठनों की ओर आज 8 फरवरी 2022 को बुद्ध स्मृति पार्क से महिलाओं का आक्रोषपूर्ण प्रतिवाद मार्च निकाला गया।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गायघाट बालिका सुधार गृह में 200 से अधिक निसहाय बच्चियाँ रहती है। उनके देख-रेख, भोजन, दवा तथा अन्य सुविधा के ऊपर सरकार के पैसे खर्च होते है, जिसका पूरा दुरूपयोग समाज-कल्याण विभाग सेे मिलीभगत करके शेल्टर होम की प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है।

एक सप्ताह पहले गायघाट शेल्टर होम से किसी तरह एक लड़की निकल कर अपने साथ और अन्य लड़कियों के साथ वहाँ की प्रबंधक वंदना गुप्ता के द्वारा किस तरह मार-पीट, दुव्र्यवहार और यौन शोषण करवाया जाता है। मीडिया तथा पटना के डी.एम. एवं एस.पी. को सुनाई।

इस घटना ने फिर से एक बार बिहार का सिर शर्म से झुका दिया है। 2018 में टीस द्वारा उजागर मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह काण्ड के खिलाफ महिला संगठनों के आंदोलन के बदौलत दोषियों को सजा दिलाई गई।

लेकिन मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने तो उस घटना पर भी पर्दा डालने की पूरी कोषिष की इस तरह गायघाट शेल्टर होम की घटना के इतने दिन बित जाने के वाबजूद भी मुख्य दोषी वंदना गुप्ता अभी तक गिरफ्तार नहीं हुई है, बल्कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बिना पीड़िता से मिले फर्जी जांच रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता को ही बदचलन कहकर मामले को दबाने की कोषिष की जा रही है।

इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है अपने स्तर से जाँच करने की बात कही है। ये स्वागत योग्य कदम है।
बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं, महिला सषक्तिकरण का झूठा प्रचार करनेवाले मुख्यमंत्री को शर्म करनी चाहिये। इस सरकार मे ंमहिलाएँ असुरक्षित है। दबंगों, सामंतों और भ्रष्टाचारियों का बोलवाला है। इसके खिलाफ समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा।

महिला संगठनों की सरकार से माँग है कि-

  1. समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए
  2. गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए.
  3. रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है.इसके लिए गृह के भीतर स्कूल, मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए. आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कहीं मुकम्मल नहीं है. इसकी व्यवस्था की जाए.
  4. सुधार गृह में जांच-पड़ताल और संवासिनो से समय≤ पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए.
  5. महिला संगठनों ,मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें,सुधार गृह में जा सकें. इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए।

बिहार में बीजेपी ने जदयू के खिलाफ शुरु किया छद्ग युद्ध

बीजेपी बिहार विधान परिषद चुनाव में भी छद्म युद्ध के सहारे जदयू को हराने में जुटा

कल देर शाम मधुबनी से एक फोन आया बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर बीजेपी और जदयू में गठबंधन तो हो गया ना ,सीट की भी घोषणा हो गयी और मधुबनी सीट जदयू के खाते में गया है, लेकिन यहां तो बीजेपी के विधान पार्षद घूम रहे हैं और कह रहे हैं बीजेपी यहां से चुनाव लड़ेगी अभी थोड़ी देर पहले बात हुई तो महासेठ बोले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से कल भी हमारी बात हुई है वो बोले हैं कि चुनाव लड़ना है।

इस तरह की खबर सिर्फ मधुबनी से ही नहीं आ रही है इस तरह की खबर वैसे अधिकांश सीटों से आ रही है जहां जदयू चुनावी मैदान में है, ठीक उसी तरीके से जैसे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग की पार्टी से बीजेपी के नेता चुनाव लड़े थे ।

बीजेपी पर खास नजर रखने वाले पत्रकारों का भी मानना है कि बीजेपी बिहार विधान सभा चुनाव की तरह ही बिहार विधान परिषद के चुनाव में भी छद्म युद्ध के सहारे इस चुनाव में भी जदयू को हराना चाह रही है।

और इसी रणनीति के तहत बिहार विधान परिषद चुनाव से ठीक पहले वैसे तमाम बीजेपी के नेता को पार्टी में शामिल करवाया गया जो एलजेपी के टिकट पर जदयू को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे ।

संदेश साफ है जदयू बीजेपी में पहले वाली बात नहीं रही आप जदयू का विरोध भी करते हैं तो कोई बात नहीं है आपकी वापसी तय है।

जानकार बता रहे हैं कि पिछले दो माह से जाति जनगणना और विशेष राज्य के दर्जा को लेकर बीजेपी जिस तरीके से जदयू पर हमलावर है इसके पीछे बीजेपी की रणनीति यह है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ये संदेश जाता रहे कि जदयू से रिश्ता पहले जैसा नहीं है ऐसे में आप निर्णय लेने को स्वतंत्र है।

सोमवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जिस अंदाज में विशेष राज्य की मांग पर सवाल खड़े करते हुए जिन बिन्दू पर फोकस किये हैं उससे कही ना कही यह संदेश देने कि कोशिश है कि मंत्रिमंडल में भी जो बीजेपी के मंत्री है उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा है उन्होंने लिखा है कि शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

इसी तरह जनसंख्या नीति पर सवाल खड़े करते हुए नीतीश पर सीधा हमला बोला है संजय जायसवाल ने लिखा है कि आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है।
इन सबके पीछे भी बीजेपी की रणनीति यही है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच संदेश साफ जाये कि जदयू से 2005 वाला रिश्ता नहीं रहा है ऐसे में गठबंधन धर्म उतना मायेने नहीं रखता है ।
इसलिए विधान परिषद चुनाव तक यह खेल बीजेपी की ओर से जारी रहेगा ।

गायघाट रिमांड होम मामले में सुनवाई टली

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह ( आफ्टर केअर होम ) की घटनाओं पर सुनवाई 11फरवरी, 2022 को होगी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।


इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ कर रही है।आज पीड़िता की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया।लेकिन इसकी प्रति राज्य सरकार को प्राप्त नहीं होने के कारण सुनवाई 11 फरवरी, 2022 तक टाल दी गई।

इस कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार अध्यक्ष हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।

इस केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं रहती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई।

समाचारों के अनुसार पीड़िता व केअर होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है।

बहुत महिलाओं को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती है। कमेटी द्वारा अन्य बातों के अलावा ऐसा देखा गया कि पीड़िता द्वारा आश्चर्यजनक देने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि अजनबियों को रिश्तेदार के रूप में बहाना बनाकर आने दी जाती है।ये आकर बेसहारा महिला को उठाते हैं।
ये इनके जीवन और मर्यादा को और जोखिम में डाल देता है। यह भी आश्चर्य जनक है कि पीड़िता द्वारा किये गए खुलासे के बाद भी कोई एफ आई आर दर्ज नहीं किया गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने को भी कहा था। इस मामले पर अब 11 फरवरी, 2022 को सुनवाई की जाएगी।

विशेष राज्य के दर्जा को लेकर जदयू बीजेपी आमने सामने

बिहार को विशेष राज्य दर्जा को लेकर जारी जदयू द्वारा जारी बयानबाजी के बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज के सहारे जदयू पर हमला बोला है और कहां है कि

नीचे दिया गया डाटा यह बताने में सक्षम है कि केंद्र सरकार बिहार का कितना ध्यान रखती है ।
महाराष्ट्र की आबादी बिहार से एक करोड़ ज्यादा है फिर भी बिहार को महाराष्ट्र के मुकाबले 31हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलते हैं ।बंगाल भी बिहार की भांति पिछड़ा राज्य है पर उसके मुकाबले भी बिहार को 21हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलता है ।

आकड़ा बता रही है कि बिहार को विशेष राज्य से ज्यादा मदद मिल रही है


दक्षिण भारत के राज्यों की हमेशा शिकायत रहती है कि केंद्र सरकार हमें कम पैसे देती है क्योंकि हमने आबादी को 70 के दशक में ही केंद्र की नीतियों के कारण रोक लिया था । अब केंद्र सरकार इसको अपराध मानती हैं।
जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा बिहार जैसे राज्य को हुआ है । पहले जिस राज्य में उद्योग स्थापित होते थे उनको अलग से कमाई होती थी ।अब इस कमाई का बडा़ हिस्सा उपभोक्ता राज्य में बंटता है जिसके कारण बिहार को 20हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है ।
बिहार को अगर आगे बढ़ाना है तो सरकार को ये लक्ष्य रखने ही होंगे ।

बिहार को केन्द्र से पूरी मदद मिल रही है

1) बिहार सरकार को हर हालत में उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। जब तक हम औद्योगिक नीतियां लाकर नए उद्योगों को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक ना हम रोजगार देने में सफल हो पाएंगे और ना हीं बिहार की आय बढ़ेगी। शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

2) जहां भी संभव हो वहां प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप होनी चाहिए। उद्योग लगाने वालों को विलेन समझने की मानसिकता बिहार को कहीं का नहीं छोड़ेगी । बड़ौदा बस स्टैंड विश्व स्तर का है पर ऊपर की मंजिलों में दुकानें खोलकर सारी राशि की भरपाई कर ली गई और गुजरात सरकार का एक पैसा भी नहीं लगा ।वैसे ही गांधीनगर के पूरे साबरमती फ्रंट का डेवलपमेंट उसीमें एक निश्चित भूमि प्राइवेट हाथों में देकर अनेक पार्क सहित पूरे फ्रंट को विकसित करने का कीमत निकाल लिया गया ।

3) हम 6 वर्षों में भी प्रधानमंत्री जी के दिए हुए पैकेज का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं।अभी भी दस हजार करोड रुपए से ज्यादा बकाया है ।एक छोटा उदाहरण मेरे लोकसभा का रक्सौल हवाई अड्डा है जिसके लिए प्रधानमंत्री पैकेज में ढाई सौ करोड़ रुपए मिल चुके हैं पर बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त जमीन नहीं देने के कारण आज भी यह योजना रुकी हुई है।
प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में भी बिहार को हजारों करोड़ रुपए मिलने हैं । अगर हमने भूमि उपलब्ध नहीं कराया तो ये किस्से कहानियों की बातें हो जाएंगी।

4) केंद्र सरकार की योजनाओं का समुचित उपयोग करना होगा ।जैसे बिहार सरकार के जल नल योजना में केंद्र की 50% राशि लगी है जिसका इस्तेमाल हम पंचायती राज की अन्य योजनाओं में कर सकते थे और जल नल योजना की राशि सीधे जल संसाधन विभाग से ले सकते थे। पिछले वित्तीय वर्ष में 6 हजार करोड़ की राशि बिहार सरकार को आवंटित की गई थी पर जल नल योजना के मद में हमने यह पैसे नहीं लिए।इस तरह की राशियों का सही उपयोग हमें करना होगा।

5) जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें स्वयं काम करना होगा ।केवल यह सोच कि समाज स्वयं शिक्षा के साथ जनसंख्या को नियंत्रित कर लेगा, के चक्कर मे बहुत ही देर हो जाएगी। आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है।


6) अगर केरल के अस्पताल 100 बेड जोड़ते हैं तो प्रति हजार व्यक्ति में इसका इजाफा दिखता है। हम 200 बेड भी जोड़ते हैं तो 300 बच्चे पैदा करने के कारण वह नीति आयोग के आंकड़े में कहीं नहीं दिखता और हम अपनी कमी दूर करने के बजाय नीति आयोग की शिकायत करते हैं ।


7) जब हमने एक अच्छे लक्ष्य के लिए गुजरात की भांति 15 हजार करोड़ रुपए की तिलांजलि दी है तो सरकारी राशि का उपयोग होटल और बस स्टैंड जैसी योजनाओं में सैकड़ों करोड़ खर्च करके भवन निर्माण विभाग को खुश करने के बजाय गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए। पीपीपी मोड में इन सब चीजों को बनाने से सरकार का एक पैसा भी नहीं लगेगा उल्टे उसकी आमदनी बढ़ेगी। वैसे भी फाइव स्टार होटल बनाना सरकार का काम नहीं है।


2020 में एनडीए सरकार का गठन आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय के आधार पर हुआ था । हमें इस मूल मुद्दे से कभी भटकना नहीं चाहिए