आज लोकसभा में शून्य काल के दौरान दरभंगा सांसद गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा सहित पूरे मिथिला क्षेत्र में डीएपी एवं यूरिया खाद की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया जी से आग्रह किया।
इस दौरान सांसद डॉ गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि दरभंगा सहित सम्पूर्ण मिथिला पूर्णतः बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां उद्योग एवं कल – कारखानों के अभाव के कारण बरसात के समय बड़ी संख्या में लोग जीविकोपार्जन हेतु यहां से दूसरे राज्यों और महानगरों को पलायन कर जाते है।
सांसद श्री ठाकुर ने कहा कि मिथिला क्षेत्र में प्रमुख रूप से गेहूं, मक्का, तिलहन, दलहन आदि फसलों की खेती होती है और इस फसल की बुवाई में किसानों को डीएपी एवं यूरिया खाद की आवश्यकता विशेष रूप से होती है।
विदित हो कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान सांसद को किसानों ने डीएपी(D.A.P) एवं यूरिया खाद की अनुपलब्धता दूर करने का मांग की थी। खाद की अनुपलब्धता के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण किसानों को कृषि कार्य मे नुकसान का भी सामना करना पर सकता है।
उन्होंने कहा कि दरभंगा सहित मिथिला क्षेत्र में अधिकांश किसान लघु और सीमांत किसान हैं और यदि समय रहते डीएपी(D.A.P) एवं खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नही की गई तो उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
सांसद ने लोकसभा के माध्यम से विभागीय मंत्री से डीएपी (D.A.P) एवं यूरिया खाद की अनुपलब्धता को दूर करते हुए पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने का अनुरोध किया ताकि किसान अपनी फसल बुवाई निर्बाध रूप से कर सके।
बिहार में जहरीली शराब से मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है ।आज समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर थाना क्षेत्र के बल्लीपुर गांव में शराब पीने से तीन लोगों के मरने की खबर आ रही है।
जिला प्रशासन का कहना है पोस्टमार्टम के बाद बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेंगी की मौत का कारण क्या है हालांकि मौत की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी है क्यों कि जिसकी भी मौत हुई है वो सभी एक शादी समारोह में शामिल हुआ थे और वही शराब का सेवन किया था ।
बिहार के 8 मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र 1090 करोड़ बिहार को उपलब्ध करा चुकी है • पूर्णिया, छपरा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सीवान, बक्सर, जमुई में मेडिकल कॉलेज केंद्र के सहयोग से • राज्यसभा में सुशील कुमार मोदी के प्रश्न पर सरकार का जवाब
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में भारत सरकार की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डाक्टर भारती प्रविण पवार ने बताया कि बिहार में कुल 8 मेडिकल कॉलेज पूर्णिया, छपरा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सीवान, बक्सर, जमुई में केंद्र की सहायता से खोलने की स्वीकृति दी गई है।
इसमें प्रथम चरण में पूर्णिया, छपरा एवं समस्तीपुर हेतु 189 करोड़ प्रति मेडिकल कॉलेज की दर से कुल 567 करोड़ की स्वीकृति दी गई है जिसमें 340 करोड़ केंद्र ने अपना हिस्सा बिहार सरकार को उपलब्ध करा दिया है।
दूसरे चरण में सीतामढ़ी, झंझारपुर, सीवान, बक्सर, जमुई हेतु प्रति मेडिकल कॉलेज 250 करोड़ की लागत से कुल 1250 करोड़ की स्वीकृति दी गई है जिसमें से 750 करोड़ केंद्रीय हिस्सा राज्य को उपलब्ध करा दिया गया है।
यानी कुल 8 मेडिकल कॉलेज हेतु केंद्र ने अपना हिस्सा 1090 करोड़ राज्य को दे दिया गया है। निर्माण का कार्य राज्य सरकार को कराना है।
बिहारियों की उपेक्षा नहीं, 14 करोड़ की आबादी को लेकर चलना होगा साथ, तभी होगा नये भारत का निर्माण
· लोकसभा में सांसद रुडी ने शून्यकाल के जोरदार तरीके से उठाया राज्य के पिछड़ेपन का मुद्दा
· नीति आयोग द्वारा जारी देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (बहुआयामी गरीबी सूचकांक-MPI) में बाल एवं किशोर मृत्यु दर सबसे अधिक, स्कूली शिक्षा, स्कूल में उपस्थिति और सेनिटेशन में भी बिहार का सबसे खराब स्थान
· बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे ज्यादा है, मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी का प्रतिशत अधिक, कैसे बनेगा विकसित बिहार
· रुडी ने कहा कि मेरा राज्य पिछड़ा तो मैं भी पिछड़ा, 14 करोड़ की आबादी की नहीं की जा सकती उपेक्षा
नई दिल्ली, 07 दिसम्बर 2021 । बिहार भारत का अभिन्न अंग है। इसकी प्रगति देश की प्रगति है। 14 करोड़ बिहारियों के विकास को नजर अंदाज कर भारत को कभी विकसित नहीं माना जा सकता। नये भारत के निर्माण में बिहार की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
उक्त बात आज लोकसभा में बिहार के सारण से लोकसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने लोकसभा में कही। उन्होंने इस दौरान नीति आयोग के आंकड़े का हवाला देते हुए बिहारियों के पिछड़ेपन पर सवाल उठाया। भाजपा सांसद रूडी ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गरीबी सूचकांक में बिहार सबसे नीचे है, तमिलनाडु सबसे ऊपर है।
उन्होंने कहा कि बिहार काफी पिछड़ गया है। देश तब तक नहीं बढ़ सकता है जब तक बिहार आगे नहीं बढ़ पाएगा। रूडी ने कहा कि एक पिछड़े राज्य का पिछड़ा व्यक्ति होने के नाते मै सरकार से मांग करता हूँ कि बिहार की इस स्थिति को लेकर जरूरी कदम उठाने चाहिए।
बता दें कि पिछले दिनों सदन में ही रुडी ने बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया था और कहा था कि यदि मेरा राज्य बिहार पिछड़ा है तो वहां का नागरिक होने के नाते मैं भी पिछड़ा हूँ।
सांसद रुडी ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। रुडी ने कहा कि पिछड़े राज्य के पिछड़ा व्यक्ति होने के नाते मैं राज्य के पिछड़ेपन का मुद्दा उठा रहा हूँ। तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से सरकार को कहा कि सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार राज्य की आबादी में गरीबी का अनुपात सबसे अधिक है। पूरे देश में सबसे गरीब हम हैं।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 28 राज्यों में राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक बिहार का 51.91 प्रतिशत है जबकि वहीं तमिलनाडु 4 प्रतिशत के अंदर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक है, पोषण के मामले में हम 52 प्रतिशत कम है।
रुडी ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बिहार की प्रगति के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। लगभग 14 करोड की आबादी की उपेक्षा कर देश आगे नहीं बढ़ सकता।
सदन के बार मीडिया से बात करते हुए सांसद रुडी ने कहा कि इतनी योजनाओं-परियोजनाओं के बावजूद आखिर क्या कारण है कि बिहार विकसित नहीं हो पा रहा है। बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी का प्रतिशत, बाल एवं किशोर मृत्यु दर सबसे अधिक, स्कूली शिक्षा से वंचित आबादी, स्कूल में उपस्थिति और खाना पकाने के ईंधन तथा बिजली से वंचित आबादी के प्रतिशत के मामले में भी बिहार का सबसे खराब स्थान है। विदित हो कि 01 जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन वर्तमान राजग सरकार ने किया है।
नीति आयोग देश की नीति निर्धारण करने वाली सबसे बड़ी सरकार संस्था है। इसके अध्यक्ष पदेन प्रधानमंत्री होते है और उपाध्यक्ष नियुक्त किये जाते है। वर्तमान में राजीव कुमार उपाध्यक्ष है जिनके नाम का उल्लेख रुडी ने अपने वक्तव्य के दौरान किया।
नीति आयोग ने देश का पहला मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (बहुआयामी गरीबी सूचकांक-MPI) जारी किया है जिसके आंकड़ों के आधार पर सदन में सांसद रुडी ने उक्त बाते कही।
मेरे दादाजी गया के ख्यातिप्राप्त वकील थे। उन्होंने प्रण लिया था कि वे फौजदारी मुकदमा की प्रैक्टिस कभी नहीं करेंगे। उन्हें ऐसा लगता था कि फौजदारी मुकदमों में कानून से अधिक “लफ़्फ़ाज़ी” होती है। फलतः, वे केवल दीवानी मुकदमा ही करते थे।
एक दिन, उनका एक प्रिय मुवक्किल सुबह-सुबह, रोते-बिलखते उनके घर आया। “थानेदार ने मेरी पूरी इज़्ज़त गाँव के सामने उतार दी। वकील साहब कुछ कीजिए।”
दादाजी ने उसकी पूरी कहानी सुनी। थानेदार महोदय ने बिना वजह उसके घर की तलाशी ले ली थी। सारे ग्रामीण देखते रहे। बरामद कुछ हुआ नहीं। दरोगाजी अपना डंडा पटकते, मुस्कराते हुए चल दिए। उनका खुन्नस उतर चुका था।
ऐसी घटनाएँ तो आए दिन होती हैं, कौन सी बड़ी बात हो गई? यह क्या कम है कि दरोगाजी ने घर में कुछ ग़ैर कानूनी सामान रखकर उसे गिरफ़्तार नहीं कर लिया?
दादाजी के मुवक्किल ने ज़िद पकड़ ली कि उन्हें आज तो उनकी प्रतिष्ठा के लिए अपना कानून का अस्त्र उठाना ही होगा। उन्हें अपना प्रण तोड़ना ही होगा। दादाजी ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ी। इस फौजदारी मामले को उन्होंने दीवानी चोंगा पहनाया।
धारा 165 Cr.P.C. में दी गई प्रक्रिया, जिसके अनुसार पुलिस को बिना वारंट के घर सर्च करने का प्रावधान है, उसकी प्रक्रिया को पूरी तरह पुलिस कभी नहीं अपनाती। यह प्रक्रिया कानून में इसलिए दी गई है ताकि पुलिस नागरिक की निजता के अधिकार का हनन बिना वजह नहीं करें।
तलाशी से पूर्व, पुलिस को लिखना पड़ता है कि बिना वारंट के यह तलाशी क्यों ली जा रही है। यह कारण जस्टिसियेबल होते हैं। पुलिस बिना वारंट के सर्च करने को अपना कानूनी अधिकार मानती है। उसमें निहित शर्तों का पालन करने को अपना कर्त्तव्य नहीं।
दादाजी ने जिला जज के सामने, नागरिक की निजता के अधिकार के हनन का मामला, दीवानी चोंगे में रखा। न फौजदारी, न प्रशासनिक, न ही रिट के रूप में। तथ्य ऐसे थे कि दरोगाजी अपना बचाव नहीं कर पाए। दादाजी ने रिलीफ़ में माँगा कि दरोगाजी के वेतन से एक रुपया प्रति माह काट कर उनके मुवक्किल के खाते में कंपनसेशन के रूप में डाल दिया जाए।
ऐसा ही हुआ। पूरी नौकरी दरोगाजी को बिना कारण बताए, बिना वारंट के तलाशी लेना कचोटता रहा।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा राज्य में 1767 रिक्त अमीन पदों पर बहाली के लिए जनवरी,2020 में निकाले गए विज्ञापन को रद्द कर दिया।जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता राम बाबू आजाद व् अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इस विज्ञापन को रद्द कर तीन महीने के भीतर अमीन के रिक्त पदों को भरने के लिए नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित करें।
याचिकाकर्ता के ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि अमीन पद पर बहाली के लिए शैक्षणिक योग्यता के लिए जो योग्यता राज्य सरकार ने विज्ञापन में प्रकाशित किया था, वह प्रावधानों के अनुरूप नहीं था।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार अमीन cadre रूल के अनुसार उम्मीदवार +2 उत्तीर्ण होने के साथ अमानत की डिग्री या आई टी आई द्वारा सर्वेयर की डिग्री प्राप्त होना चाहिए।
राज्य सरकार के राजस्व विभाग में जो विज्ञापन में शैक्षणिक योग्यता रखी थी,उसके अनुसार उम्मीदवार को मात्र +2 ही उत्तीर्ण होना ही पर्याप्त हैं।
उम्मीद्वारों ने राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित इस विज्ञापन को पटना हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करने चैलेंज किया।कोर्ट ने आज सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विज्ञापन को रद्द करते हुए राज्य सरकार को नए सिरे अमीनो के रिक्त 1767 पर बहाली के लिए तीन माह नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश दिया।
परिवारिक शादी के हैंगओवर से अभी ठीक से बाहर निकले भी नहीं है की एक खबर कल देर रात से ही नींद और चैन दोनों हराम किये हुए हैं वैसे खबर इसलिए महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार इन दिनों भ्रष्टाचार को लेकर काफी संवेदनशील है ऐसे में कुछ ऐसी बातें सामने आती है तो स्वाभाविक है तो सवाल नैतिकता का उठेगा ही ।
तीन दिन पहले पटना के होटल चाणाक्य में एक बर्थडे पार्टी का आयोजन हुआ था उस बर्थडे पार्टी में राज्य सरकार के कई मंत्री ,पूर्व मंत्री ,विधायक और आईएएस अधिकारी शामिल हुए थे,बर्थडे किसी बच्चे का नहीं था जीवन कुमार नाम के एक व्यक्ति का था जिसके फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा है प्रदेश संयोजक हिन्दू जागरण मंच और उनके प्रोफाइल पर मौजूद फोटो से साथ लगता है कि बीजेपी नेताओं के इनके बेहतर रिश्ते रहे हैं और ये किसी ना किसी रूप में बीजेपी से जुड़े रहे हैं।इनका दूसरा परिचय है ये बालू खनन करने वाली कंपनी ब्रॉडसन के एमडी डॉ अशोक कुमार के बेटे हैं ।
लेकिन इस बर्थडे पार्टी की और मीडिया का ध्यान इसलिए केन्द्रित हुआ कि इस पार्टी में दल की कोई सीमा नहीं थी सभी दल के विधायक,मंत्री और बड़े नेता इनके जन्मदिन पार्टी से शामिल हुए थे ,कई आईएएस अधिकारी और बिहार के अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोग भी मौजूद थे और दूसरी बात इस पार्टी की सूचना के बाद आर्थिक अपराध से जुड़ी सरकार की सभी ऐन्जसी के साथ सक्रिय हो गयी है ऐसे में स्वाभाविक है मीडिया का ध्यान उस पार्टी की और आकृष्ट होगा ही ।
हलांकि यह सूचना जैसे ही बाहर आयी जीवन कुमार अपने फेसबुक प्रोफाइल से बर्थडे पार्टी से जुड़ी तमाम वीडियो और फोटो को डिलीट कर दिया है।
वैसे जीवन कुमार के बारे में जो जानकारी प्राप्त हो रही है वो चौकाने वाली है इनकी पत्नी पटना जिला के जिला परिषद अध्यक्ष थी इस बार वो चुनाव हार गयी है । जहां के रहने वाले हैं उस इलाके के हर किसी के जुवान पर इनके परिवार के 15 वर्षो में अरबपति बनने की खबर जुवाने आम है ।
ऐसे में इनके जन्मदिन के मौके पर आयोजित पार्टी में जिस आत्मीयता के साथ मंत्री ,विधायक और आईएएस अधिकारी शामिल हो रहे हैं उसके सहारे बहुत कुछ समझा जा सकता है ।
पटना हाई कोर्ट ने ग्यारह महीने पहले मांगी गई केस डायरी व विसरा रिपोर्ट अभी तक नहीं प्रस्तुत करने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए फतुहां के डी एस पी को अगली सुनवाई में तलब किया है। पिछले एक वर्ष से लंबित एक अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि केस डायरी और विसरा रिपोर्ट इतने दिनों बाद भी अबतक नहीं पेश किया गया।
पुलिस की कार्यशैली पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जस्टिस संदीप कुमार ने फतुहां के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को आगामी 8 दिसम्बर को पेश होने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता गजेंद्र कुमार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विगत जनवरी माह में ही हाई कोर्ट ने केस डायरी पेश करने का आदेश दिया था।
इसके बाद विगत फरवरी माह में पुनः हाई कोर्ट ने पटना पुलिस को एक रिमाइंडर देते हुए केस डायरी और विसरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन 11 महीने बीत जाने के बावजूद हाई कोर्ट के आदेश का पुलिस ने अनुपालन नहीं किया। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 8 दिसम्बर को की जाएगी।
‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री, 200 फरियादियों की सुनी फरियाद, अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा निर्देश
पटना, 06 दिसम्बर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज 4 देशरत्न मार्ग स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में आयोजित ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शामिल हुए जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे 200 लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए।
आज जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन विभाग, गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग के मामलों पर सुनवाई हुयी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ठीक 10.30 बजे जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में पहुॅचकर विभिन्न जिलों से आये 200 लोगों की शिकायतें सुनीं। नालंदा जिले की रहनेवाली एक महिला ने गुहार लगाते हुए कहा कि उनकी शादी पटना के गुलजारबाग के मेंहदीगंज में हुई है।
मुझे दो बेटी है उसके बाद भी मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली है। जब पुलिस से इसकी शिकायत की तो पटना पुलिस ने कहा कि वह इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि आप नालंदा की रहनेवाली हैं इसलिए नालंदा में ही कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को इस पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
जनता दरबार में एक महिला ने गुहार लगाते हुए कहा कि उसका पति पंजाब में काम करता है। गांव के युवक पर जबरन गलत काम करने और वीडियो बनाने का महिला ने आरोप लगाया और कहा कि वह वीडियो बनाकर वह जबरदस्ती शादी करने की बात कह रहा है। इस मामले की जानकारी पुलिस को देने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को इस पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मधेपुरा से आए युवक बताया कि उसे अपराधियों ने चार गोलियां मारी एफ0आई0आर0 भी हुई लेकिन अपराधी खुलेआम घूम रहा है, वह धमकाता है। एस०पी० के रीडर पर • युवक ने मामले को दबाने का आरोप लगाया। इस पर मुख्यमंत्री ने पुलिस • महानिदेश को समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अरवल से आए एक फरियादी ने शिकायत करते हुए कहा कि फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति मामले में शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। वहीं एक फरियादी ने बताया कि कब्रिस्तान के साथ ही निजी जमीन को भूमि माफिया ने बेच दिया है। उसके बाद उसे धमकी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को इस पर समुचित कार्रवाई का निर्देश दिया। एस0टी0एफ0 में कार्यरत एक सिपाही की पत्नी ने मुख्यमंत्री से शिकायत करते हुए कहा कि उनकी शादी को तीन साल हो गए। पति एस0टी0एफ0 में है लेकिन सर्विस बुक पर उनका नाम नहीं चढ़ा है।
अब वह दूसरी शादी करने की धमकी दे रहा है। इस पर मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। गया के एक जे०पी० सेनानी ने अपनी शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि बिहार सरकार जे०पी० मूवमेंट में सभी आंदोलनकारियों को पेंशन देती है लेकिन मेरा पेंशन तक शुरू नहीं हो सका है।
मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि आपने अब तक आवेदन क्यों नहीं किया। जे०पी० सेनानी ने बताया कि छह साल पहले उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन दिया था लेकिन यह कहा गया कि कमेटी का गठन किया जाएगा, तब फैसला लिया जाएगा। इस पर जे०पी० सेनानी ने कहा कि वह सरकारी नौकरी में थे इसलिए पेंशन के लिए आवेदन नहीं किया। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
गोपालगंज के एक व्यक्ति ने सरकारी गैरमजरुआ जमीन से होकर गुजरनेवाली सड़क को अतिक्रमणमुक्त कराने की शिकायत की तो वहीं भागलपुर के एक व्यक्ति ने कब्रिस्तान की घेराबंदी के संबंध में शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को समस्याओं के समाधान के लिए उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया नवादा निवासी खुशबू कुमारी ने फरियाद करते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि वो हैंडबॉल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं इस आधार पर सिपाही के पद से अन्य पद पर उन्हें पदोन्नति दी जाए।
वहीं अररिया जिले के एक युवक ने स्वतंत्रता सेनानियों के नाती-पोता को आरक्षण दिए जाने की अपनी शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। मुजफ्फरपुर के एक युवक ने शिकायत करते हुए कहा कि दबंगों ने उनके घर को तोड़कर घर से बेघर कर दिया है और घर के सामान की लूटपाट भी की है लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। वहीं मुजफ्फरपुर के एक व्यक्ति ने सेवानिवृति के उपरांत सेवांत लाभ नहीं मिलने के संबंध में अपनी शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को इस पर समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
बिहारशरीफ के एक व्यक्ति ने एस०सी० / एस०टी० अधिनियम के अंतर्गत एक मामले में पुलिस द्वारा उन पर गलत कार्रवाई की जा रही है। वहीं किशनगंज के एक व्यक्ति ने मू अर्जन की जमीन का मुआवजा व्यवसायिक प्रकृति के आधार पर दिलाने के संबंध में मांग की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत की। शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की खाली बोतलें मिलने को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है।
जांच की रिपोर्ट आने के बाद सभी बातों का पता चल जायेगा। प्रशासन इस पर अलर्ट है। इस बात को देखना पड़ेगा कि क्या सही मायने में वहां पर किसी ने शराब का सेवन किया था या फिर कहीं से बोतल लाकर वहां पर फेंक दिया है। इस मामले की पूरी गहराई से जांच चल रही है।
इस मामले पर अभी मेरा कुछ भी बोलना उचित नहीं है। इसको लेकर हमने सभी को अलर्ट कर दिया है। कई बार शराब की खाली बोतलें को फेंक दी जाती है ताकि यह चर्चा में आये। दोनों दृष्टिकोण से इस पर काम करना है। एक बार फिर से कड़े एक्शन की शुरुआत हुई है।
उन्होंने कहा कि आज भी इस कार्यक्रम में लोगों ने शराब के धंधेबाजों को लेकर सूचना दी है। हमने उस पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। शराब को लेकर प्रशासन के लोग अब काफी सतर्कता बरत रहे हैं। पटना को लेकर हमने पहले ही कह दिया है कि शराब को लेकर राजधानी में कड़ी कार्रवाई कीजिए।
जब तक पटना में नियंत्रित नहीं कीजिएगा तो बिहार में नियंत्रण कैसे होगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर पटना के लोगों में कितनी जागरुकता है यह इस बात से पता चलता है कि वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू करते समय शुरु में जब हमलोगों ने तय किया था बड़े शहरों में विदेशी शराब को अभी बंद नहीं करेंगे तो पटना में लोगों ने शराब की बिक्री का विरोध करना शुरु किया।
इसे देखते हुए 5 दिनों के अंदर ही सभी जगहों पर पूर्ण शराबबंदी को लागू करना पड़ा। इससे यह साबित होता है कि सभी लोग चाहते हैं कि पूरी तौर पर शराबबंदी सफल हो लेकिन कुछ लोग गड़बड़ करने वाले होते हैं, ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के अच्छे कामों की चर्चा दिल्ली के अंग्रेजी अखबारों में नहीं रहती है लेकिन इन सब घटनाओं की खबरें दिल्ली के अखबारों में छपी है। यह सब देखकर हम कुछ बोलते नहीं हैं लेकिन समझ जाते हैं कि कोई न कोई मामला जरुर होगा।
सरकार पूरे मामले की गंभीरता से जांच करा रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ शंका पर ध्यान नहीं देना है बल्कि इस बात को देखना है कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं कर रहा है। जांच के बाद गड़बड़ी करने वाले और शराब की खाली बोतलें को फेंकने वालों की पहचान हो जायेगी। ऐसे लोग पकड़े जायेंगे। गड़बड़ी करने वालों पर कड़े एक्शन की शुरुआत अब काफी तेजी से हुई है।
बिहार में खाद की किल्लत के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद की कुछ दिक्कत है। इसको लेकर बिहार के कृषि मंत्री ने भी केंद्र सरकार से भी बात की है। कृषि मंत्री और मुख्य सचिव ने पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर कल हमने केंद्रीय मंत्री से बात की है।
उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि 7 दिनों के अंदर बिहार में खाद की पर्याप्त खेप पहुंच जायेगी। इसको लेकर हमने अपने मंत्री और अधिकारियों को कनसस रहने को कहा है। एक दो दिनों के बाद हम फिर से बिहार में खाद की उपलब्धता को लेकर समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि खाद की उपलब्धता में कुछ कमी आई थी, इसको लेकर केंद्र सरकार प्रयास कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने मुझे आश्वस्त किया है कि कुछ दिनों में समस्या का हल निकल जायेगा।
कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना का • खतरा अभी टला नहीं है। एक बार फिर से दुनियाभर में यह फैल रहा है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर बिहार सरकार पूरी तरह से अलर्ट है। इसको लेकर गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने भी इसको लेकर पूरी जानकारी दे दी है। इसको लेकर हमलोगों ने समीक्षा बैठक की है। सभी लोग इसको लेकर सजग हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना की जांच भी तेजी से हो रही है। कोरोना की जांच में पॉजिटिव आने के बाद वह व्यक्ति ओमिक्रॉन से संक्रमित है कि नहीं यह पता लगने में अभी 5-7 दिन का समय लग जाता है।
बिहार में अभी तक ओमिक्रॉन का कोई केस सामने नहीं आया है। विदेश से बिहार लौटे कुछ लोगों के ट्रेस नहीं होने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसको लेकर सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। ऐसे लोगों का पता लगाकर उनकी कोरोना जांच कराना जरुरी है।
प्रशासन के लोग इस काम में लगे हैं। इसको लेकर सभी को सजग रहने की जरूरत है। दुनिया के साथ ही अपने देश में भी ओमिक्रॉन के कुछ सामने सामने आये हैं। इसको लेकर हम सभी को पूरी तौर पर सजग और सतर्क रहना है। हमलोग इसको लेकर पूरी तौर पर सजग हैं।
सी०ए०जी० की रिपोर्ट पर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उसकी जो रिपार्ट आती है वो कैबिनेट से होकर सीधे विधानसभा और विधान परिषद में सबमिट हो जाता है। उसके बाद वह प्रकाशित होता है। प्रकाशित होने के बाद उस पर हमलोग कोई कमेन्ट नहीं करते हैं।
किसी भी रिपोर्ट को हमलोग रोकते नहीं हैं। अगर कोई बात आयेगी तो उसको जांच करने के लिये देखने के लिये हाउस में भी कमेटी बनती है, इसलिये मेरे लिये इन सब पर कमेंट करना उचित नहीं होगा। अगर आपलोग इसके बारे में कुछ विशेष जानना चाहते हैं तो हमारे अधिकारीगण स्थिति को बता देंगे।
बिहार सरकार के ऊपर इस रिपोर्ट में डैमेजिंग कमेंट के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार के ऊपर डैमेजिंग कमेंट देने में पब्लिसिटी मिलेगी। आपलोग जानते हैं कि बिहार में कितना काम हुआ है इसलिये उन सब चीजों पर हम कोई कमेंट नहीं करेंगे।
किसी भी क्षेत्र में आप देख लीजिये कि 2005 में बिहार की क्या स्थिति थी। जब से हमलोग ने काम करना शुरू किया तो आज बिहार कहां से कहां पहुंचा है। हमलोग जो यहां काम कर रहे हैं वो पब्लिसिटी के लिये नहीं कर रहे हैं। लेकिन इस तरह की चीज कोई लिखेगा तो उसको पब्लिसिटी मिलेगी ये स्वभाविक है। इसमें हमलोग कुछ नहीं कहते हैं। अगर कहीं से भी कोई चूक है तो उस पर पूरी नजर रखी जाती है और तत्काल अधिकारियों को इसको लेकर निर्देश दिये जाते हैं।
जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि हमलोग इसे करना चाह रहे हैं, हमने बात कर ली है। उप मुख्यमंत्री को भी अपनी पार्टी के लोगों से बात करने के लिये कहा है। बाकी सब लोगों से बातचीत हो गई है। जब वे बातचीत कर लेंगे और इसके बारे में बतायेंगे, उसके बाद ऑल पार्टी मीटिंग की जायेगी।
इन प्रीसिपल हम पहले ही से जातीय जनगणना को लेकर बार बार कह रहे हैं। हम इसलिये ऑल पार्टी मीटिंग करना चाह रहे हैं कि इसके बारे में सब लोगों की समझ बहुत साफ होनी चाहिये। जनगणना हम किस तरह से करायेंगे, उस पर सब लोगों की एक राय होनी चाहिये।
इसके बारे में कैसे करेंगे, किस प्रकार से करेंगे किस माध्यम से करेंगे, इस सब पर पूरी तैयारी करवा रहे हैं। जब इस पर सबकी राय बन जायेगी तो सारी चीजों को मीटिंग में फाइनल करेंगे। सभी पार्टी की मीटिंग में एक राय होगी उसी के आधार पर निर्णय लेकर सरकार उसका ऐलान करेगी।
उन्होंने कहा कि हमलोग जातीय जनगणना के पक्ष में हैं, इससे सबको फायदा होगा, ये बहुत ठीक चीज है। हमलोग इसे ठीक ढंग से करवायेंगे ताकि कोई मिस नहीं करे। बहुत लोग सब कास्ट ही बोलेंगे, कास्ट नहीं बोलेंगे इसलिये सब कास्ट और कास्ट को हर तरह से देखना है।
एक-एक चीज के लिये हमने लोगों को कहा भी है, बात भी की है। क्या-क्या किया जायेगा, इन सब चीजों के बारे में अभी कुछ नहीं कहेंगे। जब मीटिंग होगी उसी समय कुछ बात को रखेंगे। सबकी सहमति से जो बात निकलेगी उसी के आधार पर सरकार की तरफ से कास्ट बेस्ड सेंशस का जो तरीका होगा, उसके बारे में ऐलान किया जायेगा। जैसे ही सबकी सहमति आयेगी उसके बाद एक डेट तय करेंगे और पूरे डिटेल में हमलोग बातचीत करेंगे। हमको नहीं लगता है किसी तरह की असहमति की कोई गुंजाइश है।
बिहार के अरवल जिले में कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़ा का अजीब मामला सामने आया है। यहां के करपी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, बॉलीवुड एक्टर प्रियंका चोपड़ा की कोरोना जांच कर दी गई है।
यह खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने घर-घर जाकर सर्वे किया। बताया जा रहा है कि करपी CHC में मिले रैपिड एंटीजन टेस्ट किट से जांच के नाम पर सैकड़ों लोगों का नाम फर्जी तरीके से डाल दिया गया है। इनके नाम और मोबाइल नंबर पूरी तरीके से गलत हैं।
वहीं, 27 अक्टूबर को RT-PCR जांच के नाम पर कई बड़े दिग्गजों का नाम शामिल कर दिया गया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी का नाम अहम हैं।
विनोद दुआ का बिना देखे गुज़र जाना भी याद है और देख कर तृप्त कर देना भी याद रहेगा।
जब आप बहुत नए होते हैं तो किसी बहुत पुराने को बहुत उम्मीद और घबराहट से देखते हैं। उसके देख लिए जाने के लिए तरसते हैं और उससे नज़रें चुराकर देखते रहते हैं। उसके जैसा होने या उससे अच्छा होने का जुनून पाल लेते हैं। वो तो नहीं हो पाते लेकिन उसी की तरह का कुछ और हो जाते हैं।
विनोद दुआ को हमने इन्हीं सब उम्मीदों और निराशाओं की अदला-बदली के साथ देखा। बहुत लंबा साथ रहा। व्यक्तिगत तो नहीं, पेशेवर ज़्यादा रहा। पेशेवर संबंधों की स्मृतियां व्यक्तिगत संबंधों से बहुत अलग होती हैं। हमेशा उन्हें नज़र उठा कर सीधे चलते देखा।
मैं हैरान होता था कि कोई हमेशा ऐसे कैसे चल सकता है। बहुत आसानी से नज़र नहीं मोड़ते थे। चलते थे तो सीधा चलते थे। ऐसे में बहुत कम संभावना थी कि उनकी नज़र आपकी तरफ़ मुड़ जाए। एक ही रास्ता बचता था कि आप उनके सामने आ जाएं लेकिन बिना कुछ किए उनके सामने आना आसान नहीं था।
महफ़िलबाज़ थे लेकिन दफ़्तर से चेले बनाकर महफ़िलें नहीं सजाते थे। उनके अपने दोस्त यार थे जिनके साथ महफ़िलें सजाते थे। हर समय कुछ गुनगुनाते हुए उनका आना राहत देता था। वर्ना ऐसी ठसक वाला व्यक्ति बहुतों की हालत ख़राब कर सकता है। विनोद का गुनगुनाना उनके आस-पास विनोद का वातावरण बना देता था।
आप सहज़ हो जाते थे। कुछ लापरवाहियां और बेपरवाहियां थीं मगर वो उनके जीने के अंदाज़ का हिस्सा था और कई बार इसकी वजह से उन सीमाओं को भी लांघ जाते थे जिसे ख़ुद अपने और सबके लिए बनाया था। उन्हें अच्छा लगता था कि कोई उनसे ठसक से मिल रहा है। उन्हें किसी में लिजलिजापन पसंद नहीं आता था।
काम करने की जगह पर उनकी मौजूदगी सबको बराबर होने का मौका देती थी। लोग आसानी से उन्हें टोक आते थे और कई बार उनकी ग़लतियों पर हाथ रख देते थे। लेकिन जब वे किसी की ग़लती पर हाथ रख देते तो हालत ख़राब हो जाती। विनोद के पास जानकारियों का खज़ाना था। उनकी स्मृति ग़ज़ब की थी।
किसी शायर का पूरा शेर, तुलसी की चौपाई और कबीर के दोहे यूं ज़ुबान पर आ जाया करते थे। यकीन करना मुश्किल हो जाता था कि उन्हें इतना सब कुछ याद कैसे हो सकता है। इससे अंदाज़ा होता था कि पब्लिक के बीच आने के पहले के विनोद दुआ हम सभी से अनजान किसी कमरे में अपनी तैयारियों में बहुत व्यस्त रहते होंगे।
साहित्य और शास्त्रीय संगीत की जानकारी पर कोई चलते फिरते इतना अधिकार नहीं रख सकता था। यही कहना चाहता हूं कि हम सबने विनोद दुआ को काम करने की जगह पर तो देखा लेकिन वहां आने से पहले विनोद दुआ ख़ुद को विनोद दुआ कैसे बनाते थे, नहीं देखा।
गणेश जी के दीवाने थे। उनके घर में गणेश की अनगिनत आकृतियां थीं। मूर्तियां थीं। शायद गणेश से उन्होंने परिक्रमा उधार ली और भारत की ख़ूब परिक्रमा की। हर दिशा में कई बार गए। कई तरह के फार्मेट के कार्यक्रम के लिए गए। कैमरे के सामने उनकी उपस्थिति अपने आप में एक नई भाषा बनाती थी।
उनकी भाषा में एक ख़ास किस्म की दृश्यता थी। किसी बेहतरीन नक्शानवीस की तरह ख़ाका खींच देते थे। बहुत मुश्किल है इतने लंबे जीवन में आप केवल शतकीय पारी ही खेलते रह जाएं। बहुत सी पारियां शून्य की भी रहीं और रन बनने से पहले ही आउट होकर पवेलियन लौट आने के भी किस्से हैं।
विनोद के हाथ से बल्ला छूटा भी है और विनोद ने ऐसी गेंद पर रन बनाए हैं जिस पर सटीक नज़र उन्हीं की पड़ सकती थी। उन्हें विनोद कहलाना पसंद था।
काफी लंबा साथ रहा है। उन्होंने कभी हाथ पकड़ा तो कभी केवल रास्ता दिखाया। गुड़गांव में मज़दूरों पर पुलिस ने लाठी चार्ज की थी। उसका लाइव कवरेज़ कर रहा था। शाम को दफ्तर लौटा तो सीढ़िओं पर मिल गए। मुझे रोक लिया, कहने लगे कि एकदम वर्ल्ड क्लास टेलिविज़न था।
ऐसा दुनिया के टेलिविज़न में भी नहीं होता होगा जो तुमने किया। उस वक्त हमें नहीं पता था और आज भी नहीं पता कि वर्ल्ड क्लास क्या होता है, पर विनोद ने इस तरह ज़ोर दिया कि अपने काम के प्रति विश्वास बढ़ गया। कई मौक़े आए जब उन्होंने उदारता के साथ फोन कर कहा कि ये वर्ल्ड क्लास है।
मैं सोचता रहा कि विनोद दुआ के लिए वर्ल्ड क्लास क्या है। मैं कभी पूछ नहीं सका क्योंकि सिर्फ इतना भर कह देने से लाजवंती की तरह ख़ुशी के मारे सिमट जाता था। उनकी तारीफों का मेरे पास पूरा हिसाब नहीं है मगर उन तारीफों ने मुझे बेहिसाब ख़ुशियां दी हैं। हौसला दिया है।
आज़ादी के पचास साल हो रहे थे। मैं नहीं चाहता था कि शो बन जाने से पहले कोई मेरी स्क्रिप्ट देखे। मैंने यह बात विनोद से कह दी। विनोद ने कहा कि कुछ शरारत कर रहे होगे। मैंने कहा नहीं सर। कुछ लिखने और बनाने से पहले क्या किसी को दिखाना।
तो उन्होंने कहा कोई नहीं, कह देना कि विनोद दुआ ने देख लिया है और क्लियर कर लिया है। विनोद दुआ ने जब पेश किया तो उस कार्यक्रम में उन पर भी टिप्पणी थी। उन्होंने सोचा नहीं होगा कि जिस विनोद दुआ के दम पर इसने कार्यक्रम बनाया है उसमें विनोद दुआ पर भी टिप्पणी थी।
अचानक आई उस टिप्पणी से विनोद दुआ जैसा सधा हुआ बल्लेबाज़ सकपका गया लेकिन उन्होंने बुरा नहीं माना। पूरे कार्यक्रम में हर हिस्से के बाद वे तारीफ ही करते रहे कि ये सिर्फ रवीश कर सकता है। मैं दूसरे छोर पर एक नए पेशेवर की तरह सकुचाया खड़ा रहता था।
हर दिन अपना आत्मविश्वास खोता रहता था और हर दिन पाता रहता था। उनके प्रति सम्मान इसलिए था कि वे माध्यम का हुनर रखते थे। वे माध्यम के हिसाब से मेरी तारीफ़ करते थे। मेरे अंदर माध्यम के प्रति मोहब्बत भर देते थे। उनसे इतना मिला, वो काफी था।
इसके बाद भी हम व्यक्तिगत रुप से क़रीब नहीं थे लेकिन मेरी यादों में वे किसी करीबी से कम नहीं हैं। उनका बिना देखे गुज़र जाना भी याद है और देख कर तृप्त कर देना भी याद रहेगा। उनसे ख़ूब दाद मिली और और कभी दाद नहीं भी मिली। एक अच्छा उस्ताद यही करता है।
अपना हक अदाकर हिस्सा नहीं मांगता है। वो किसी और रास्ते चला जाता है और हम किसी और रास्ते चले गए। जिसने जो दिया उसके प्रति हमेशा शुक्रगुज़ार होना चाहिए। विनोद दुआ का दिया हुआ आत्मविश्वास आगे की यात्राओं में बहुत काम आया।
जिससे आप ड्राइविंग सीखते हैं, हर मोड़ पर उसे याद नहीं करते हैं लेकिन सफ़र में किसी मोड़ पर उसकी कुछ बातें याद आ जाती हैं। आपकी रफ़्तार बदल जाती है। सफ़र का अंदाज़ बदल जाता है। विनोद दुआ, दुआ साहब, विनोद, आप ज़िंदगी के बदलते गियर के साथ याद आते रहेंगे।
उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देश व उसी कड़ी मै पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित न्यायिक आदेश के तहत राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए व्यवस्था पुख्ता करने कार्रवाई की जा रही है।
इसके लिए थानाध्यक्ष, अंचल पुलिस निरीक्षक, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जैसे सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को शिक्षण संस्थानों, बालिका व महिला होस्टल, बाजारों, सार्वजनिक वाहन आदि स्थानों पर महिला पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है।
महिलाओं पर होने वाले अपराध की दृष्टि से भेद्य स्थानों पर थाना/ पुलिस अधिकारियों का दूरभाष/ मोबाईल फोन नम्बर का होर्डिंग्स, पर्चा, ब्रोचर व बुकलेट आदि से प्रचार प्रसार करने के लिए निर्देश दिया गया है।
साथ ही इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के जरिए जन जागरूकता का प्रसार करने को लेकर निदेश दिया गया है।
इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश बिहार पुलिस मुख्यालय के कार्मिक व कल्याण प्रभाग द्वारा राज्य के पुलिस उप महानिरीक्षक (कार्मिक ) द्वारा दिया गया है।
इस आदेश की प्रति याचिकाकर्ता वकील ओम प्रकाश को भी प्रेषित किया है।
पटना हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट द्वारा पूछे गए प्रश्न का राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिए जाने पर राज्य सरकार के किसी जिम्मेदार अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का आदेश ने दिया है। ये आदेश कमल किशोर प्रसाद की अपील पर जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच सुनवाई की।
कोर्ट ने पूर्व में पारित किये गए अदालती आदेश के संबंध में राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता से प्रश्न किया था। कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को वैसे अधिकारी को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया,जो उप सचिव से नीचे का रैंक का न हो।
अपीलार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में विगत 12 अक्टूबर, 2017 को पटना हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने राज्य के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के निदेशक को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने बी आर अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के 14 फिजिकल ट्रैनिंग इन्स्ट्रक्टर को वाइस चांसलर द्वारा 8000 रुपये से 13,500 रुपये वाला पे स्केल दिए जाने सम्बन्ध में जवाब देने का निर्देश दिया।
साथ ही वाइस चांसलर द्वारा की गई कार्रवाई का राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किये जाने व रिट याचिका में रिट कोर्ट द्वारा पारित किये गए आदेश के आलोक में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के सम्बन्ध में जवाब देने का निर्देश दिया था।
साथ ही राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में फिजिकल ट्रेनिंग इन्स्ट्रक्टर के लिए निर्धारित पे स्केल को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2022 को होगी।
महिलाओं को लेकर कितना संवेदनशून्य है मेरा समाज इसका एहसास मुझे बीजेपी विधायक निक्की हेंब्रममामले में एक बार फिर देखने को मिला ।बिहार विधानसभा सत्र को लेकर आयोजित बैठक के दौरान राज्य की एकमात्र आदिवासी विधायिका निक्की हेम्ब्रम ने आदिवासी समाज में महुआ शराब के प्रचलन और उससे जुड़े रोजगार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुछ कहना चाह रही थी उसी दौरान मुख्यमंत्री ने कहा आप इतनी सुंदर हैं, लेकिन आपको मालूम है कि आदिवासियों के लिए हमने क्या-क्या किया है आप जैसे देखने में हैं उसके ठीक उलट आपका विचार है।
कहने को तो यह सामान्य सी बात है लेकिन मुख्यमंत्री के पद पर बैठे लोगों से ये उम्मीद नहीं कि जा सकती है वैसे नीतीश कुमार को पश्चाताप जरुर हो रहा होगा लेकिन निक्की हेंब्रम को लेकर उन्होंने जो कहां उससे महिलाओं को लेकर उनकी क्या नजरिया है ये जरुर सामने आ गया ।
उस बैठक में एनडीए के सारे विधायक मौजूद थे लेकिन किसी ने इस बात को लेकर प्रतिकार नहीं किया सब चुप रह गये महिला विधायक को थोड़ा नागवार जरुर गुजरा लेकिन किसी ने भी इस बात को लेकर आवाज उठाना तो दूर काना फूसी से भी बचते नजर आयी।
लेकिन जैसे ही यह जानकारी मुझे मिली मैं समझ सकता था कि निक्की हेंब्रम किस मानसिक व्यथा से गुजर रही होगी,जब वो राज्य महिला आयोग की सदस्य थी उस वक्त से मेरा इनसे रिश्ता रहा है और मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सरकार और पार्टी के दबाव के बावजूद जिस तरीके से ये उन लड़कियों के साथ अंतिम क्षण तक खड़ी रही उस दौरान मुझे महसूस हुआ था ये अंदर से कितनी मजबूत है और महिलाओं के अधिकार को लेकर कितनी संवेदनशील है ।
लेकिन मैं खुद अंदर से इतना शर्मिदा था कि नजर मिलाना तो दूर बात करने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे इस घटना की जब हम अपने मीडिया से जुड़े मित्रों के बीच चर्चा किया और इस खबर को कैसे किया जाए इस पर जब बात करनी चाही तो पता है क्या प्रतिक्रिया आयी निक्की हेंब्रम का खेला लगता है आपको पता नहीं है बहुत घाट की पानी पीये हुए है गुस्सा भी आया लेकिन मैं भी पुरुष हूं महिलाओं को कमजोर करने के लिए बस उसके चरित्र पर सवाल खड़ा हमलोगों की फ़ितरत है ।
जिस तरीके से मेरी घेराबंदी की गयी है इसके बावजूद मैंने इस खबर को सबसे पहले सामने लाया नीतीश को गुस्सा क्यों आता है ,नीतीश महिलाओं को लेकर इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते ।खैर कल मेरी एक मित्र निक्की हेंब्रम से मिली और मिलने के बाद जैसे ही बाहर आयी मुझे फोन की तुमको मिलना चाहिए वो अंदर से टूट चुकी है और अकेला महसूस कर रही है ।
मैं विधानसभा में ही हूं लेकिन मुझे साहस ही नहीं हो रहा है वो महिला जो महिला के अधिकार को लेकर खुद सजग रहती है आज वो खुद इसकी शिकार हो गयी क्या बात करें कैसे शुरुआत करें मुझे पता है वो अंदर से टूट चुकी होगी खैर तुम बढ़िया से खबर चलाई हो शाम होते होते कुछ ना कुछ होगा जरूर ,फिर भी संतोष एक बार तुम फोन से भी बात कर लो उनको भी मजबूती मिलेगी मैं फोन लगा दिया वो फोन काट दी पता किए जो जानकारी मिली कि उपमुख्यमंत्री और भवन निर्माण मंत्री उनसे बात कर रहे हैं फिर थोड़ी देर बाद निक्की हेंब्रम का बयान आया कि नीतीश कुमार हमारे गार्जियन हैं. दोनों के बीच गलतफहमी पैदा हो गई थी. मिलकर समाधान कर लेंगे. उन्होंने एक गार्जियन रूप में जो भी मुझे समझाने का प्रयास किया, उस चीज से मैं थोड़ी आहत हूं. लेकिन इस इश्यू को लेकर हम लोग जल्द ही बैठेंगे और मसले को बातचीत के माध्यम से निपटा लेंगे।
इस तरह का बयान आना स्वाभाविक था क्या कर सकती है पार्टी भी इनके साथ खड़ी नहीं है। विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री के काफिला को लेकर मंत्री की गाड़ी को पुलिस ने रोक दिया तो मंत्री जो किये सारी दुनिया देखा बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जो दिल्ली में हैं और संसद की कार्रवाई भाग ले रहे हैं उनकी प्रतिक्रिया बस चंद मिनटों में उनके फेसबुक वाल पर आ गया मंत्री के साथ यह व्यवहार अफरशाही की प्रकाष्ठा है दोषी अधिकारियों पर तुरंत कारवाई होनी चाहिए लेकिन उनके ही पार्टी की महिला विधायक पर इस तरह कि टिप्पणी के बावजूद अभी तक उनका कोई बयान नहीं आया कोई ट्वीट नहीं आया खैर थोड़ी देर बाद उनसे बातचीत हुई और लम्बी बातचीत हुई बातचीत के दौरान मुझे महसूस हुआ कि वो अब भी आहत है और उनके शब्द अभी भी लड़खड़ा रहा था ।
हमारे आपके लिए ये छोटी बात हो सकती है अरे ये क्या है किसी सुंदर महिला को सुंदर कह ही दिये तो क्या हुआ ये तो कॉम्प्लीमेंट है ।लेकिन कहने का अंदाज और सदर्भ काफी मायने रखता है ये अलग बात है कि आज की राजनीति में निक्की हेंब्रम जैसी संवेदनशील महिलाएं राजनीति में बहुत कम है या यू कहे तो वो अभी राजनीति को समझ नहीं पाई है नहीं तो मुख्यमंत्री का किसी महिला को लेकर इस तरह की प्रतिक्रिया उस महिला को राजनीति की शिखर पर पहुंचा सकती है लेकिन निक्की हेंब्रम ने जिस तरीके से प्रतिवाद की है राजनीति में कदम रखने वाली महिलाओं को सीख लेनी चाहिए ।
कल तक बिना कारवाई के सदन में नहीं जाने की बात करने वाले बिहार सरकार के श्रम संशाधन मंत्री जीवेश मिश्रा सुबह होते ही क्यों नरम पड़ गये यह सवाल आज सुबह से ही राजनीति के गलियारे में घूम रहा है।
हुआ ऐसा था कि कल विधानसभा सत्र की शुरुआत होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री के सुरक्षा कारकेट जाने के दौरान मंत्री जीवेश मिश्रा के गांड़ी को पुलिस ने रोक दिया था इसको लेकर मंत्री सड़क से लेकर सदन तक हंगामा खड़ा कर दिये विधानसभा अध्यक्ष इस मामले की जांच अपर मुख्यसचिव गृह और डीजीपी को सौप दिया और इस आदेश के आलोक में अपर मुख्यसचिव गृह और डीजीपी कल शाम विधानसभा परिसर में पहुंच कर जांच शुरु कर दिये थे लेकिन जांच रिपोर्ट अभी आयी भी नहीं है उससे पहले ही जीवेश मिश्रा ने कहा कि किसी अधिकारियों के प्रति मेरी नाराजगी न थी, न है. मैंने तो बस जो सम्मान को लेकर मुद्दा है, उसे उठाया है. उम्मीद करता हूं कि किसी प्रकार की कोई नाराजगी आगे होगी भी नहीं।
हलांकि कल देर रात को पटना के डीएम और एसएसपी मंत्री से मिलने उनके आवास गये थे पटना डीएम इससे पहले दरभंगा का डीएम रह चुके हैं और मंत्री दरभंगा जिले से ही विधायक है इसलिए दोनों में पूराना रिश्ता रहा है डीएम के पहल पर रात में ही मंत्री मान गये थे ऐसा कहां जा रहा है ।
पटना हाई कोर्ट ने बीस सालों से लंबित एक पुलिस कर्मी के प्रोन्नति मामले में जवाबी हलफनामा दायर नहीं करने पर राज्य सरकार पर दस हज़ार रुपये का अर्थदंड लगाया। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने रमा कांत राम की याचिका पर यह आदेश दिया।
कोर्ट ने 18 नवंबर को डी जी पी सह विभागीय प्रोन्नति कमेटी के अध्यक्ष को हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दिया था।
इस हलफनामा में यह बताने कहा था कि 23 सितंबर, 1998 के प्रभाव से सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नत हुए याचिकाकर्ता 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य थे कि नहीं।
साथ ही डी जी पी,बिहार को यह भी बतलाने को कहा गया था कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा किये गए दावे के अनुसार प्रोन्नति नहीं दी गई तो, इसकी वजह क्या थी।
याचिकाकर्ता ने 11 दिसंबर, 1998 को पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर अपनी याचिका में कहा था कि वह 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य हैं।
इस तिथि से अनुसूचित जाति में आने वाले इसके जूनियरों की प्रोन्नति दी गई थी,जबकि याचिकाकर्ता को तीन वर्षों के विलंब के बाद प्रोन्नति दी गई थी।
याचिकाकर्ता बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर का चुनाव किया था और इस तरह से याचिकाकर्ता झारखंड पुलिस का अधिकारी हो गया था।
राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से चार सप्ताह अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया था, इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अर्थदंड लगाया।
जीवेश मिश्रा मंत्री हैं. दूसरी दफ़ा चुनाव जीते हैं. और मंत्री बन गए. यह सौभाग्य सब को नहीं मिलता है. बहुत लोगों की ज़िंदगी राजनीति में गुज़र जाती है. कुछ नहीं मिलता है. सबका सौभाग्य जीवेश जी जैसा कहाँ होता है!
पहली मर्तबा मंत्री बनने वालों में ताव ज़्यादा होता है. उनको लगता है हम सरकार हैं. सरकार तो सरकार है. उसके ऊपर कौन! भला देखिए ! ट्रैफ़िक सिपाही की जुर्रत. सरकार की गाड़ी को रोक दिया ! और सरकार के मुलाजिम कलक्टर और एसपी की गाड़ी को आगे बढ़ा दिया. यह तो सरासर सरकार का अपमान है !
इसी भावना से जीवेश जी ने बहुत रोष में इस मामले को विधानसभा में उठाया. विरोधी पक्ष के विधायकों को बढ़िया मौक़ा मिल गया. उन्होंने भी इस पर खूब लहर काटा. जो पुराने लोग हैं उनके साथ अगर इस तरह की घटना हुई होती तो शायद उसको पचा गए होते.
अब क्या होगा ? गौर से देखिए. कलक्टर और एसपी इस मामले में कहाँ क़सूरवार ठहरते हैं. ट्रैफ़िक के सिपाही ने उनको आगे बढ़ने का सिग्नल दिया और वे बढ़ गए. इस पूरे प्रकरण में जीवेश के रोष का शिकार तो गरीब ट्रैफ़िक का सिपाही बन रहा है.
जबकि जीवेश जी को ताव आया होगा कलक्टर और एसपी के लिए उनकी गाड़ी को रोक दिये जाने पर. जीवेश जी धीरे धीरे पकठा जाएँगे. उनको समझ में आ जाएगा कि वे तो टेम्परोरी हैं. कलक्टर, एसपी परमानेन्ट हैं. इसलिए बेचारा सिपाही टेम्परोरी को देखे या परमानेन्ट को !
राजनीति में बहुत दिनों से सत्ता के केंद्र को लेकर इंदिरा जी के नाम से एक कहावत चलती है. कहा जाता है कि कभी उन्होंने कहा था कि इस सिस्टम में सत्ता के तीन ही केंद्र हैं. पीएम, सीएम और डीएम. पता नहीं इंदिरा जी ने सचमुच कभी ऐसा कहा था या नहीं. लेकिन बात तो सत्य है.
मंत्री जीवेश मिश्रा की शिकायत की जांच करने अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी विधानसभा परिसर पहुंचे जांच के बाद मीडिया से बात करते हुए अपर मुख्य सचिव गृह चैतन्य प्रसाद ने कहा कि ऐसा हो नहीं सकता कि कोई भी पदाधिकारी पुलिस पदाधिकारी माननीय मंत्री जी इज्जत ना करें लेकिन कुछ दिक्कतें हुई है इस पूरे मामले को देखा जा रहा है जा रहा है जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है वही डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने कहा कि वीडियो फुटेज देखा जा रहा है और जांच शुरू कर दी गई है उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
आज पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री और भाजपा सांसद राम कृपाल यादव ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख लक्ष्मणभाई मांडविया के लोकसभा स्थित संसदीय कार्यालय में मिलकर बिहार में DAP की भारी किल्लत को देखते हुए बिहार सरकार द्वारा वांछित 4 लाख मेट्रिक टन DAP खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु मांग पत्र सौंपा।
मंत्री से मुलाकात के दौरान सांसद राम कृपाल यादव ने कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र पाटलीपुत्र के पालीगंज, दुल्हिन बाजार, बिक्रम, नौबतपुर, मसौढ़ी, धनरुआ, पुनपुन, बिहटा, मनेर, दानापुर और फुलवारीशरीफ प्रखंडों में काफी मात्रा में रबी की खेती होती है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों ने DAP के अनुपलब्धता के बारे में ध्यान आकृष्ट कराया है।
जब कृषि विभाग बिहार सरकार से इस संबंध में जानकारी ली तो बताया गया कि बिहार सरकार ने रबी सीजन के लिए 4 लाख मीट्रिक टन DAP का डिमांड केन्द्र सरकार को भेजा है।
लेकिन सप्लाई बाधित है। बिहार सरकार द्वारा किसानों को DAP के बदले SSP और यूरिया के कॉम्बिनेशन के प्रयोग के लिए जागरूक किया जा रहा है।
परंतु किसान भाइयों के तरफ से लगातार दूरभाष पर संदेश प्राप्त हो रहा है कि DAP का भारी संकट है। यह संकट सिर्फ मेरे संसदीय क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में बरकरार है।
ऐसे में बिहार में DAP की भारी किल्लत को देखते हुए बिहार सरकार द्वारा बांछित 4 लाख मीट्रिक टन DAP खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु त्वरित कार्रवाई करने की कृपा की जाय।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है।यह याचिकाकर्ता अजय नारायण शर्मा ने याचिका दायर की है।
चयनकर्ताओं/ सपोर्ट स्टाफ व बी सी सी आई द्वारा संचालित घरेलू टूर्नामेंट में विभिन्न उम्र के राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडियों को सही तौर से चयन करने को लेकर आदेश देने की माँग भी इस याचिका में किया गया।
याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन कमेटी में अवैध रूप से कुर्सी पर काबिज लोगों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है। यह भी आरोप लगाया गया है कि कुर्सी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों के दावों को हतोत्साहित कर रहे हैं।
खिलाड़ियों के मनमाने औऱ अनुचित तौर से चयन कर क्रिकेट को बेचने पर उतारू हैं।इसलिए राज्य में खिलाड़ियों की स्थिति और भी खराब होते जा रही है।
इस कारण से खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट में भी कामयाब नहीं हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया एंड अदर्स बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार व अन्य के मामले में सिविल अपील संख्या – 4235 में 9 अगस्त, 2018 को दिये गए फैसले के अनुसार जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में खिलाड़ियों का सही तौर से चयन करने हेतु क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के गठन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।