चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। इस जनहित याचिका में ये माँग की गई कि सम्बंधित अधिकारीगण इस उग्र आंदोलन के कारण नष्ट और क्षतिग्रस्त सम्पत्ति का आकलन करें।साथ ही इस आंदोलन में भाग लेने वाली राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाए।
साथ ही इस घटना को नहीं रोक पाने के राज्य सरकार पर भी जुर्माना लगाया जाए।इस उग्र और हिंसक आंदोलन के कारण न सिर्फ रेल को काफी नुकसान हुआ,बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई थी।दानापुर रेलवे स्टेशन को ही अकेले 260 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि इस आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरा व सख्त इंतजाम किया था। उन्होंने कहा कि गलत जनहित याचिका है।राज्य सरकार ने अराजक तत्वों पर सख्त तरीके से कार्रवाई की।सरकारी सम्पत्ति की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने मुकम्मल इंतजाम किया था।
महाधिवक्ता ललित किशोर द्वारा कोर्ट को कार्रवाई के सम्बन्ध में पूरी जानकारी देने के इस जनहित याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।