पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िला स्थित हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर सुनवाई की चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने पूर्व में गठित वकीलों की कमिटी को राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों से शिक्षा की समस्याओं पर विचार विमर्श करने का निर्देश दिया।
वकीलों की कमिटी इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।साथ ही हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के लड़कियों के लिए एकमात्र स्कूल के स्थिति के बारे में भी रिपोर्ट अगली सुनवाई में पेश किया जाएगा।
इस सम्बन्ध में आज राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर कोर्ट ने असंतोष जाहिर किया।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड ही एकमात्र स्कूल है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।
लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।
यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 23 जनवरी,2023 को की जाएगी।