मुजफ्फरपुर में समाज सुधार अभियान में मुख्यमंत्री शामिल हुए
अगर समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा- मुख्यमंत्री
हमलोगों को निरंतर अभियान चलाते रहना है ताकि कोई गड़बड़ी न कर सके- मुख्यमंत्री
आज महिलाओं की जागृति के चलते ही समाज आगे बढ़ रहा है और विकास का भी काम हो रहा है मुख्यमंत्री
पटना, 29 दिसम्बर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर के एम0आई0टी0 कैंपस में राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह मुक्ति हेतु चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान में शामिल हुए।
आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में आने के लिए आप सबको धन्यवाद देता हूं और बधाई देता हूं। 5 जीविका दीदियां ने अपने अनुभव को साझा किया उनको बधाई देता हूं। समाज सुधार अभियान का जो हमारा मकसद है आपलोगों को पता है। सिर्फ विकास का काम करेंगे तो उससे काम नहीं चलेगा। आपने 24 नवंबर 2005 से हमलोगों को काम करने का मौका दिया उस समय से आपलोगों की सेवा कर रहा हूं। अगर समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा इसलिए शरुआती दौर से ही हमलोगों ने इस पर काम करना शुरु किया। समाज में जो पीछे रह गये थे, समाज के उन तबकों के उत्थान के लिए हमलोगों ने विशेष ध्यान दिया। चाहे महिला हो, अनुसूचित जाति/जनजाति हो, अल्पसंख्यक हो या अतिपिछड़ा वर्ग के हों, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पहल की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर से मेरा विशेष लगाव है। सरकार बनने के बाद जो हमलोगों ने अभियान चलाया और हमेशा हम यहां आते रहे हैं। हमें याद है कि किस प्रकार एक-एक रास्ते पर मुजफ्फरपुर के लोग खड़े रहे। किस प्रकार लोगों का सहयोग और समर्थन मिला। जब से हमें काम करने का मौका मिला, तब से काम कर रहे हैं, आपकी सेवा कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर में काफी काम किये गये हैं। मुजफ्फरपुर से जुड़े जिले सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली हो सबका महत्व है। जब हमने शुरु किया अभियान तो सबसे पहले 2006 में होने वाले पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए हमने एक कानून बनाया, जिसमे तय किया की 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं के लिए रहेगा। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उसके साथ-साथ महिलाओं के उत्थान के लिए हमलोगों ने कई काम किये। बिहार में उस समय बेहतर ढंग से स्वयं सहायता समूह गठित नहीं था। फिर भी कुछ जगहों पर था।
वर्ष 2006 में मुजफ्फरपुर के 2 जगहों पर जाकर हमने इनके कार्यों को देखा था। स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं काम कर रही थीं। उनलोगों से जाकर हमने बात की, जब उनलोगों की बातों को सुना तो मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। हम सोच ही रहे थे कि इसका विस्तार करेंगे। फिर हमने वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेने का भी निर्णय लिया। बाद में जब इसकी बड़े पैमाने पर शुरुआत की तो आपके यहां का जो अनुभव हुआ उसी के आधार पर हमने पूरे बिहार में काम करवाना शुरु कर दिया और उसका हमने नामकरण किया जीविका समूह। उसके बाद उसमें कितनी जागृति आयी है। हमलोगों का 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य था। अब तो 10 लाख के लक्ष्य को भी पूरा कर लिया गया है। 1 करोड़ 27 लाख महिलाएं इससे जुड़ गई हैं। पहले बेटियों को लोग आगे पढ़ा नहीं सकते थे। अपनी बेटियों को पांचवीं क्लास के बाद उसको जो कपड़ा चाहिए था वो देने की स्थिति में नहीं थे। बहुत कम लड़के-लड़की ही आगे पढ़ पाते थे। वर्ष 2007 से हमलोगों ने पोशाक योजना की शुरुआत की। आगे चलकर हमलोगों ने साईकिल योजना की शुरुआत की। आप देख लीजिए कितनी बड़ी संख्या में लड़कियां आगे आने लगी और पढ़ाई करने लगीं। पहले लड़की कम पढ़ती थीं लेकिन पिछले साल मैट्रिक की परीक्षा में लड़कों से 200-300 ज्यादा लड़की पूरे बिहार में परीक्षार्थी थीं। जीविका समूह के माध्यम से महिलाओं में जागृति लायी जा रही है। महिलाएं घर का काम करती थीं, कहीं-कहीं खेतों में भी जाकर काम करती थीं लेकिन उनके बारे में कोई खास ध्यान नहीं था। जब हमलोगों ने काम करना शुरु किया कि महिलाएं भी अगर काम करेंगी तो परिवार की आमदनी बढ़ेगी। उसके बाद लोगों में जागृति बढ़ेगी। जब साइकिल योजना की शुरुआत किया तो कुछ लोगों ने मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा कि लड़की साइकिल चलाएगी तो रास्ते में लोग तंग करेगा। हमने कहा था कि एक आदमी की हिम्मत नहीं है कि लड़की साइकिल चलाएगी तो कोई उसको तंग करेगा। उसके बाद लडकों ने भी साइकिल की मांग करना शुरु किया तो उनके लिए दो-तीन साल बाद हमलोगों ने साइकिल योजना की शुरुआत की। सरकारी सेवाओं में भी हमलोगों ने आरक्षण दिया। पुलिस में हमलोगों ने आरक्षण देने का काम किया। पुलिस बल में जितनी महिलाएं अब बिहार में हैं उतना प्रतिशत देश के किसी भी राज्य में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या नहीं है। महिलाओं की पढ़ाई, सरकारी सेवाओं में संख्या बढ़ रही है और जो जीविका समूह बनाया तो लोग किस तरह से अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं और कितना जागृति आ रही है। _मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी जब वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने शराबंदी लागू किया लेकिन दो वर्ष बाद फिर से शराब शुरु कर दिया गया। हमारे मन में शराबबंदी की बात शुरु से थी। हमारे मन में आशंका थी कि शराबबंदी लागू कर पाएंगे कि नहीं। उन्होंने कहा कि हमलोग शराबबंदी को लेकर वर्ष 2011 से अभियान चला रहे हैं। इसको क्रियान्वित करने को लेकर मेरे मन में शंका थी. लेकिन जब वर्ष 2016 में महिलाओं के एक सम्मेलन में मैं गया हुआ था, महिलाओं के विकास की बातें हो रही थीं। जैसे ही हम बोलकर बैठे कि पीछे से महिलाओं ने आवाज लगायी शराब बंद कराईये। उसके बाद वापस हम माइक पर आये और कहा कि अगली बार अगर काम करने का मौका मिलेगा तो शराबबंदी लागू कर देंगे और हमने इसको लागू किया। लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 1 अप्रैल 2016 को पहले ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों में विदेशी शराब बंद नहीं किया गया था। शहरों में महिलाएं, लड़कियों, पुरुष वर्ग ने भी शराब के आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया और दुकानों को खोलने नहीं दिया उसके बाद 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। बहत बड़े पैमाने पर लोगों ने साथ दिया। वर्ष 2016 में सभी जगहों पर महिलाओं के साथ, जीविका दीदियों के साथ हमने बैठक की। निरंतर यह अभियान चल रहा है। जीविका समूह की एक महिला ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा- मेरे पति काम से लौटते थे दारू पीकर आते थे, परिवार में सभी को बुरा लगता था, देखने में खराब लगते थे। अब जब शराबबंदी हो गई तो बाजार से सब्जी, फल लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं। अब देखने में अच्छे लगते हैं, यह कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। समाज में कुछ लोग गड़बड़ी करने वाले होते हैं चाहे वे किसी भी धर्म के मानने वाले लोग हों। कितना भी अच्छा काम कीजिएगा कुछ लोग तो गड़बड़ी करेंगे ही। लेकिन हमलोगों को अभियान चलाते रहना है। कोई इधर उधर करना चाहे तो कुछ नहीं कर सके। समाज सुधार अभियान जारी रखना है। जैसे हमलोगों ने शराबबंदी लागू करके अभियान चलाया। उसके बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ भी अभियान चलाया। वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर हमलोगों ने अभियान चलाया। आज महिलाएं बाल विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ बोल रही थीं तो जरुरत इस बात की हमलोगों ने महसूस किया कि कुछ न कुछ गड़बड़ करने वाला रहेगा ही इसके लिए हमलोगों को निरंतर अभियान चलाते रहना है। प्रचार-प्रसार करते रहना है। इस बार जो अभियान शुरु किया गया है। हमलोगों ने उसके पहले 18 नवंबर को सारे अधिकारियों के साथ बैठक की थी। अभी तक 75 हजार 300 छापेमारी की गई। शराबबंदी से संबंधित 11 हजार 370 मामले दर्ज किए गए। 13 हजार अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई। 1 लाख 89 हजार लीटर देसी शराब, 3 लाख 24 हजार लीटर विदेशी शराब जब्त की गई। शराब से जुड़े मामलों में 1 हजार 788 गाड़ियां जब्त की गई। हमलोगों ने कॉल सेंटर बनाया था कि कोई गड़बड़ करे तो सूचित करें आपका नाम नहीं बताया जाएगा और तत्काल कार्रवाई किया जाएगा। कॉल सेंटर में जहां औसतन 70-80 कॉल प्रतिदिन आते थे अब बढ़कर 190 से 200 कॉल आ रहे हैं। महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी जागृति आनी चाहिए। हमने अपने साथियों से भी कहा है कि हमने अभियान की शुरुआत की है, इसका मतलब ये नहीं की जहां जाएंगे वही अभियान है बल्कि इस अभियान को निरंतर जारी रखना है। अगर कोई शादी-विवाह में दहेज लेता है तो आप उसका विरोध कीजिए। वैसी शादी में आप शामिल मत होइये। जब आप शामिल नहीं होंगे तो निश्चित रुप से लोगों को लगेगा कि अगर हम दहेज लेंगे तो निश्चित रुप से विरोध होगा इसलिए इस काम को भी साथ-साथ जारी रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी बाल विवाह होता है और बाल विवाह के शिकार कितने लोग होते हैं इसलिए इन सब बातों पर ध्यान देना है कि बच्चों की शादी कोई इस तरह से नहीं करे। उसकी वजह से कितने तरह की परेशानी बढ़ती है, ये सबको मालूम है इसलिए इस अभियान को जारी रखिए। बाल विवाह और दहेज प्रथा कितनी बुरी चीज है। दहेज के चक्कर में कितनी लड़कियों को आत्महत्या करनी पड़ती है। कितने लोगों की हत्या की गई है। महिलाओं की अगर कोई इज्जत नहीं करेगा तो इससे बढ़कर और गलत काम क्या है। हम सभी पुरुष, स्त्री यहां हैं। महिलाओं की देन है कि हमको ये जीवन मिला है। अगर महिला नहीं होती तो आप या कोई और धरती पर नहीं आते, इसलिए किसी को महिला की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पुरुष-स्त्री समाज के दोनों अंग है, इन दोनों के वगैर समाज का विकास संभव नहीं है। पुरुषों में ये भाव नहीं आना चाहिए कि सब कुछ वही हैं और महिलाएं उनकी फॉलोवर हैं। महिलाओं और लड़कियों के प्रति अच्छी भावना रखें, तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। आज महिलाओं की जागृति के चलते ही समाज आगे बढ़ रहा है और विकास का भी काम हो रहा है। हमलोगों को हमेशा शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाना चाहिए ताकि लोगों में जागृति आए। शासन और प्रशासन को एक-एक चीज पर नजर बनाए रखना है। बहुत लोग तो कहते हैं कि शराबबंदी से बाहर का कोई आना नहीं चाहता है तो हमने उनको कह दिया कि कोई अलाउ नहीं है। जिसको पीना है वे यहां नहीं आयें। लोग कह रहे थे कि पर्यटन में कमी आ जाएगी लेकिन हमने बता दिया कि जब शराबबंदी लागू हुई तो बाहर से आने वाले पर्यटकों की संख्या पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गई है। दो साल से तो कोरोना का दौर चल रहा है। सब सचेत रहिए लेकिन उसके पहले 2019 तक 2 करोड़ से भी ज्यादा लोग यहां आते रहे हैं। चंद लोग हैं, कुछ अपने को विद्वान समझते हैं, उनके मन में फिलिंग होती है उनको हम बताना चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 से 2018 तक सर्वेक्षण कराया और 2018 में ही रिपोर्ट को प्रकाशित किया। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनिया में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से होती है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं, जबकि 18 प्रतिशत लोग शराब पीने से आत्महत्या कर लेते हैं। शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं। शराब पीने से दुनियाभर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीना किसी को मौलिक अधिकार नहीं है। शराब इतनी बुरी चीज है इसके संबंध में विज्ञापन के जरिए भी लोगों को जानकारी दी जा रही है, उस पर भी गौर कीजिएगा। लोगों को इसके प्रति सचेत कीजिए। बापू ने देश को आजाद कराया। शराब के वे कितना खिलाफ थे। आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों से कहते थे-शराब न सिर्फ आदमी का पैसा बल्कि बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। बापू ने कहा था कि अगर एक दिन के लिए भी तानाशाह बन गए तो हम सभी शराब की दुकानों को बंद कर देंगे। बहनों से हम आग्रह करेंगे कि जो शराब पीते हैं, गड़बड़ करता है उनके चारो तरफ खड़ा होकर जमकर नारा लगाईये और सूचना भी दीजिए। जहां बैठिए शराब नहीं पीने के लिए लोगों को प्रेरित कीजिए। आपस में मिल जुलकर रहना है। आपकी सेवा करना ही हमारा काम है। बहनों से उम्मीद है कि जो कोई भी गड़बड़ करेगा, उसके खिलाफ अभियान चलाइयेगा। विकास के साथ समाज सुधार होगा तो समाज, राज्य और देश आगे बढ़ेगा।
कार्यक्रम को मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री सुनील कुमार, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सह सीतामढ़ी जिले के प्रभारी मंत्री मो0 जमा खान, ग्रामीण कार्य मंत्री सह वैशाली जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयंत राज, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव, गृह श्री चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन के अपर मुख्य सचिव श्री के0के0 पाठक ने संबोधित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत से पहले मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टॉलों पर लगाए गए प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री को तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त श्री मिहिर कुमार सिंह ने पौधा तथा राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार ने प्रतीक चिन्ह और अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया। जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरुगन डी0 ने जीविका दीदी श्रीमती गुड़िया देवी द्वारा सुजनी कला निर्मित सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह मुख्यमंत्री को भेंट किया।
कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों ने स्वागत गान गाया और कला जत्था के कलाकारों ने नशामुक्ति से संबंधित जागरुकता गीत को प्रस्तुत किया।
सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत 9.41 करोड़ रूपये की राशि मुख्यमंत्री ने जीविका की दीदियों को डमी चेक प्रदान कर किया। स्वयं सहायता समूह को बैंकों द्वारा प्रदत राशि का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 15 जलाशयों के रख रखाव हेतु 18.81 लाख का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम के दौरान सतत जीविकोपार्जन योजना की लाभार्थी वैशाली जिले के पोखरैरा गांव निवासी श्रीमती मोडली देवी जो ताड़ी व्यवसाय से जुड़ी हुई थीं। वर्ष 2018 में जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपनी छोटी-मोटी जरुरतों को पूरा करती रहीं। बाद में सतत् जीविकोपार्जन के तहत इनका चयन हुआ और इन्हें प्रारंभिक निधि प्रदान कर किराना दुकान खुलवाया गया। आज की तारीख में श्रीमती मोईली देवी आर्थिक रुप से मजबूत हो रही हैं। 5 बकरियों को भी इन्होंने पाल रखा है। उन्होंने बताया कि मेरे पति ताड़ी बेचते और पीते थे। मेरे पास पैसे नहीं थे कि मैं उनका इलाज करा सकू। पैसे के अभाव में उनका इलाज नहीं हो सका और उनकी मौत हो गई। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। कैसे उनका जीविकोपार्जन चलेगा। फिर जीविका समूह से मैं जुड़ गई और 12 लोगों का हमलोगों ने समूह बनाकर बचत करना शुरु कर दिया। फिर मुझे लगातार सहायता मिलने लगी। 10 रुपये रोज बचाकर माह में 300 रुपए की बचत करती
शिवहर जिले की मोहनपुर की रहने वाली पूजा दीदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि दहेज प्रथा के खिलाफ उन्होंने मुहिम छेड़ी और जीविका से जुड़ी सीता दीदी की बेटी की शादी तय हो गई थी लेकिन सीता दीदी दहेज देने में असमर्थ थीं, जबकि लड़के वालों ने दहेज की मांग की। सीता दीदी बहुत दुखी हुई कि मैंने अपनी बेटी को पढ़ाया, लिखाया और ये सोच भी नहीं पायी थी कि इस लायक बनाने के बाद भी दहेज की मांग की जाएगी। साप्ताहिक बैठक में अपने बचत को जब लेकर आयीं तो उन्होंने अपनी बातों को सबके सामने रखा। हम सभी ने मिलकर उनको समझाया कि हम सब आपके साथ हैं। उसके बाद सीता दीदी की थोड़ी हिम्मत बढ़ी। फिर हमलोग मिलकर गए लड़के वाले के घर जाकर हमने कहा कि कोई कमी होगी तो बोलिएगा। सीता दीदी दहेज देने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ तो बोलिए, सारी बातें हमने उससे कहीं और कहा कि अगर आप नहीं मानेंगे तो आगे भी हमलोग जाएंगे। दो दिन बाद सीता दीदी को खबर आया और उनकी बेटी की शादी हो गई। आज वे सुखी जीवन जी रही हैं, उनकी बेटी को एक पुत्र भी है।
सीतामढ़ी के अख्ता की रहने वाली रुबिना खातून ने कहा कि जीविका से पहले मैं कुछ नहीं थी। हमलोग शराब पर चर्चा करना शुरु किये। हम देखते थे कि हर घर में अपने पति के शराब पीने से महिलायें परेशान रहती थीं। जब भी उनके पति पीकर आते थे तो अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते थे। हमलोग हमेशा सामाजिक मुद्दों पर अपने संगठन में चर्चा किया करते थे। इसके बावजूद हमलोगों की कोई सुनने वाला नहीं था। जब सरकार द्वारा नशामुक्ति अभियान चलाया गया तो इसको लेकर हमलोगों में बहुत जोश और उमंग आया कि अब तो हमारे साथ बिहार सरकार है। उसके बाद हमलोगों की हिम्मत बढ़ी और घर-घर जाकर शराब के खिलाफ लोगों को जागरुक किया, रैलियां निकाली। इसका नतीजा हुआ कि हमारे गांव में लोग शराब बहुत कम पीने लगे। फिर हमलोगों ने पता करना शुरु किया कि जब शराब मिलता नहीं है तो भी लोग कहां से पी रहे हैं। पता चला कि नेपाल से नदी मार्ग से आने वाले दारु को मछली खरीदने के बहाने खरीदकर ले आते हैं। उसके बाद सभी जीविका दीदियों ने नदी किनारे जाकर छिपकर देखा तो पता चला कि जगह-जगह छपा देते थे और पीने वाले एक-एक कर आते थे और पीकर चले आते थे। हमलोग चुप नहीं बैठे और हमलोगों ने टॉल फ्री नंबर पर फोन किया और तुरंत उस पर कार्रवाई हुई और आरोपी जेल चले गए। इसके बाद पता चला कि एक विकलांग घर पर ही दारु बनाते हैं, वे अपने घर में बासी चावल और मीठा से दारु बना रहा है, उसको हमलोगों ने ध्वस्त कर दिया। उसके बाद उनके जीविकोपार्जन के लिए अपने साथ जोड़ा और सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत किराना का दुकान खुलवा दिया गया। जब तक हमलोग जिंदा रहेंगे, सभी दीदियां इस काम को बढ़ाने के लिए चलाते रहेंगे।
मुजफ्फरपुर जिले के बोचहां की पूनम दीदी पिछले 10 वर्षों से जीविका से जुड़ी हैं। इनके द्वारा लैंगिक असमानता और सामाजिक बदलाव को लेकर वर्षों से कार्य किए जा रहे हैं। इनके द्वारा इनके गांव में कम उम्र में शादी को लेकर विरोध किया गया, जिसमें इनका साथ ग्राम संगठन ने दिया। चुनौतियों का सामना करते हुए शराबबंदी और बाल विवाह को भी इनके द्वारा रोका गया और आज पूरा गांव खुशहाल है। एक दिन हमलोगों की बैठक चल रही थी, वो लड़का आया बोला हम आगे पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन मेरे मम्मी-पापा शादी करना चाहते हैं, कुछ कीजिए ना। बैठक खत्म होने पर उनके घर गए और हमलोगों ने कहा कि आपका लड़का चाह रहा है कि आगे पढ़ाई करे तो आप क्यों शादी कर रहे हैं। उस दिन लाख समझाने पर वे लोग नहीं समझे। अगले दिन 30-40 दीदियों का समूह बनाकर हमलोग उनके घर गए। उनको समझाते हुए हमलोगों ने कहा कि बात से समझ जाईयेगा तो ठीक है वर्ना हमलोग कानूनी कार्रवाई करवा देंगे और आपलोग जेल चले जाइयेगा। उसके बाद उनलोगों ने कहा कि लड़की वाला कैसे समझेगा। फिर लड़की वाले का नंबर लेकर हमलोगों ने बातचीत की। लड़की 16 साल की थी, लड़की का मन भी था कि आगे पढ़ाई करे, जिसको 8वीं तक पढ़ाई कराकर पढ़ाई छुड़ा दिया गया था। लड़की से बात किया तो उसने कहा कि आगे पढ़ना चाहती हूं| आज लड़का इंटर में पढ़ रहा है। बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक मुद्दों पर हमलोग साप्ताहिक बैठक कर चर्चा करते हैं। हमलोगों को इतना मान सम्मान मुख्यमंत्री जी ने दी है कि किसी ऑफिस में जाते हैं, स्कूल में जाते हैं तो हमलोगों को सम्मान मिलता है।
सीतामढ़ी जिले के परसौनी की श्रीमती रिंकु देवी के पति ताड़ी बेचने का काम करते थे। शराबबंदी लागू होने के बाद इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। पति की मृत्यु होने पर दुखों का पहाड़ टूट गया। इनको सतत् जीविकोपार्जन के तहत लाभान्वित हुई हैं और वे अपना जीवन खुशहालपूर्वक जी रही हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं।