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Bihar News in Hindi: The BiharNews Post - Bihar No.1 News Portal

हिन्दू धर्म व्यक्ति में चरित्र ,ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति जिम्मेवार बना ही नहीं सकता

आज भी मनहूस खबरों के साथ सुबह की शुरुआत हुई जी है नए साल पर जम्मू-कश्मीर में कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। माता का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं। इसी दौरान देर रात करीब 2:45 बजे भगदड़ मच गई। इसमें 12 लोगों की मौत हो गई। 14 लोग जख्मी हैं जिनमें से 3 की हालत गंभीर है।

जहां तक मुझे याद है एक जनवरी को इस तरह की घटनाएं घटती रहती है और शाम होते होते इस तरह की और भी मनहूस खबरें आएंगी ही आयेंगी फिर भी हम लोग सीख लेने को तैयार नहीं है । अक्सर मेरे दिल में ख्याल आता है मैं मंदिर क्यों जाता हूं क्या सोच कर जाते हैं बहुत सारे ऐसे मंदिर हैं जहां पहुंचने के लिए काफी शारीरिक कष्ट भी उठना पड़ता है लेकिन याद करिए उस दौरान भी हम लोग अपने ईश्वर को किस तरीके से याद करते हैं 2019 का वाकिया आज भी मुझे याद है सुल्तानगंज से देवघर पैदल जा रहे थे इसी दौरान रास्ते में एक उर्म दराज महिला एक बच्ची को लेकर चल रही थी और रो रही थी अचानक मेरी नजर उस पर पड़ गयी मैं रुक कर बात किया तो पता चला वो अपने परिवार वालों से कल से ही बिछड़ी हुई है मेरा पास जो पैसा था वो भी खत्म हो गया सुबह से पोती कुछ खाई नहीं है मैं तुरंत पांच सौ रुपया निकाल कर दे दिया कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि वो झूठ बोल रही थी खैर हिन्दू धर्म स्थल पर कमोबेश हर जगह ऐसी ही स्थिति है ।

वैष्णव देवी यात्रा के दौरान कही भी वास रुम सही नहीं मिला आप जा ही नहीं सकते हैं चले गये तो बिमार पड़ना तय है आप समझ सकते हैं 14 किलोमीटर आपको पहाड़ पर चढ़ना है फिर भी सामान्य सुविधा भी उपलब्ध नहीं है । वही सिख धर्म से जुड़े धर्मस्थल पर जाये तो साफ सफाई के साथ साथ सेवा भाव क्या कहना है, हां छठ पर्व के दौरान इस तरह की बाते देखने को मिलती है आज देश की सियासत धर्म पर आधारित नैरेटिव पर चल रहा है बहुत ही माकूल समय है हिन्दू धर्म में व्याप्त पाखंड को खत्म करने का मेरे जैसे लोगों को इस तरह कहना सही नहीं है लेकिन हिन्दू धर्म और मंदिर को लेकर जो बातें देखने को मिलता है या फिर मेरा जो व्यक्तिगत अनुभव रहा है ये धर्म व्यक्ति में चरित्र , ईमानदारी और कर्तव्य के प्रति जिम्मेवार बना ही नहीं सकता सोचिए 2022 में हम लोग प्रवेश कर गये हैं कब तक सच से मुंह मोड़ते रहेंगे ।

शुक्रवार को साल के अंतिम सत्र में निफ्टी 17350 के ऊपर, सेंसेक्स 460 अंक चढ़ा।

2021 के आखिरी दिन बीएसई सेंसेक्स 459.50 अंक की तेजी के साथ 58253.82 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 150.10 अंक बढ़कर 17354.50 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स चार्ट (31.12.21) एक नजर में

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 1% से अधिक की तेजी आई। बैंकों, ऑटो, धातु, वित्तीय सेवाओं, एफएमसीजी, तेल और गैस सूचकांकों में 1-2% की वृद्धि के साथ सभी क्षेत्रीय सूचकांक हरे रंग में समाप्त हुए।

टाइटन कंपनी, अल्ट्राटेक सीमेंट, कोटक महिंद्रा बैंक, मारुति सुजुकी, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल), रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) शीर्ष सूचकांक नेताओं में शामिल थे। इसके विपरीत, एनटीपीसी, टेक महिंद्रा, पावरग्रिड नीचे थे।

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 26 शेयर बढ़त के साथ और 4 शेयर कमजोरी के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

निफ्टी के सभी सेक्टोरियल इंडेक्स सकारात्मक दायरे में बंद हुए। बैंक निफ्टी 1.2 फीसदी उछलकर 35,482 पर बंद हुआ
निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1.40 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 1.41 फीसदी चढ़ा।

निफ़्टी के प्रमुख इंडेक्स

निफ्टी पर हिंडाल्को, टाइटन, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा मोटर्स और कोटक बैंक शीर्ष पर रहे। एनटीपीसी, सिप्ला, टेक महिंद्रा, पावरग्रिड और एसबीआई लाइफ में सबसे ज्यादा गिरावट आई।

निफ्टी इंडेक्स के 50 शेयरों में से 45 हरे निशान में बंद हुए, जबकि 5 लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल ।

गुरु पर्व के मौके पर 1 जनवरी 2022 से पटना साहिब स्टेशन पर 23 ट्रेनों का होगा ठहराव

गुरु पर्व को देखते हुए इस बार भी 1 जनवरी 2022 से पटना साहिब रेलवे स्‍टेशन पर 23 जोड़ी ट्रेनों का ठहराव देने की घोषणा की है । इन ट्रेनों ठहराव अस्‍थाई तौर पर देने की बात कही गई है. ये ट्रेनें पटना साहिब रेलवे स्‍टेशन पर 2 मिनट तक रुकेंगी ।

पूर्व-मध्‍य रेलवे के अंतर्गत आने वाल पटना साहिब रेलवे स्‍टेशन पर तकरीबन दो दर्जन जोड़ी ट्रेनों का ठहराव 1 जनवरी से 15 जनवरी 2022 तक के लिए होगा. इससे आम यात्रियों के साथ ही देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से आने वाले सिख श्रद्धालुओं को भी सुविधा होगी. भारतीय रेल की तरफ से इन सभी ट्रेनों की सूची भी जारी कर दी गई है ।

दरअसल, सिखों के 10वें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी की 355वीं जयंती है, जिसे सिख समुदाय प्रकाश पर्व के तौर पर मनाते हैं. गुरु गोबिंद‍ सिंह जी का जन्‍म पटना साहिब में ही हुआ था. उनकी याद में यहां तख्‍त श्री हरमंदिर साहिब का प्रसिद्ध गुरुद्वारा स्थित है. हर साल प्रकाश पर्व के मौके पर यहां बड़ी तादाद में सिख श्रद्धालु जुटते हैं. प्रकाश पर्व को देखते हुए भारतीय रेल ने भी तैयारी की है. उसी के तहत पटना साहिब रेलवे स्‍टेशन पर 23 जोड़ी ट्रेनों का ठहराव दिया गया है, ताकि दूर-दराज से ट्रेनों से आने वाले श्रद्धालु आसानी से गुरुद्वारा पहुंच सकें हलांकि बिहार सरकार पटना साहिब स्टेशन पर अधिक से अधिक गांड़ियों का ठहराव हो सके इसके लिए रेल मंत्रालय से लगातार मांग करता रहा है ।

Asansol-Chhatrapati Shivaji Terminal Mumbai (12361/12362)
Raxaul-Lokmanya Tilak Karmabhoomi (12545/12546)
Rajgir-Varanasi Budh Purnima (14223/14224)
Dibrugarh-Delhi Mahananda (15483/15484)
Howrah-Prayagraj Vibhuti (12333/12334)
Shalimar-Patna Duronto (22213/22214)
Puri-Patna (18449/18450)
Okha-Guwahati (15635/15636)
Bhagalpur-Surat (22947/22948)
Banka-Rajendra Nagar (13241/13242)
Kolkata-Nangal Dam (12325/12326)
Howrah-New Delhi Poorva (12303/12304)
Dhanbad-Patna Intercity (13331/13332)
Bhagalpur-Ajmer (13423/13424)
Kolkata-Jhansi (22197/22198)
Malda Town-New Delhi (14003/14004)
Patna-Jaynagar (15527/15528)
Bhagalpur-Anand Vihar Garib Rath (22405/22406)
Darbhanga-Mysore (12577/12578)
Howrah-Dehradun Upasana (12327/12328)
Howrah-Haridwar Kumbh (12369/12370)
Kolkata-Udaipur Ananya (12315/12316)
Jaynagar-Anand Vihar Express (12435/12436)

जल्द शुरु होगा पूर्व मध्य रेलवे के निर्मली स्टेशन से आसनपुर कुपहा तक रेल सेवा

पूर्व मध्य रेलवे के निर्मली स्टेशन से आसनपुर कुपहा तक सीआरएस निरीक्षण हो गया है, एक सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार स्पीडी ट्रायल हुआ। उम्मीद है कि जनवरी में 5.96 किलोमीटर इस लंबी रेल लाइन पर जनवरी से परिचालन शुरू हो जाएगा। उधर निर्मली से परसा बसबाड़ी तक 5.88 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का काम लगभग पूर्ण हो चुका है, रेलवे ने संभावना जताई है कि अप्रैल 2022 में झंझारपुर तक ट्रेन दौड़ेगी।

वर्ष 1934 में  कोसी नदी पर बना रेलपुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी कारण से यह रेलवे ट्रैक 86 साल तक बंद रहा लेकिन अब यह रेलवे का पुल बनकर तैयार हो गया है और जल्द ही इस रेलवे ट्रैक पर रेल सेवाएँ शुरू कर दी जाएँगी।आपको बता दें कि आसनपुर से झंझारपुर तक का रेलवे ट्रैक पूरा क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण रेल विभाग को इस रेलवे ट्रैक को बंद करना पड़ा। लेकिन आज 87 साल बाद इस ट्रैक के वापस से शुरू होने की खबर को सुनकर वहाँ के स्थानीय लोगों में एक ख़ुशी  की लहर दौड़ गयी है।

भूकंप कि वजह से हुई थी क्षति
5 जनवरी 1934 में विनाशकारी भूकंप की वजह से निर्मली से सरायगढ़ के बीच की रेल सेवाओं को बंद करना पड़ा था। दरअसल इस ट्रैक के बीच में एक रेलवे पुल था जो कोसी नदी पर बना हुआ था और भूकंप से यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया।क्षतिग्रत होने की वजह से उस ट्रैक के समीप के रेलवे स्टेशन को बंद करना पड़ा।

लोगों को होती थी परेशानी
ट्रैक के क्षतिग्रस्त होने के बाद निर्मली के स्थानीय  लोगों को ट्रेन से सरायगढ़ जाने के लिए दरभंगा, समस्तीपुर, खगडिय़ा, मानसी, सहरसा और सुपौल होते हुए जाना पड़ता था मतलब उन्हें  लगभग 297 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। इसमें लगभग आठ घंटे से अधिक का समय लगता था।परन्तु अब पुल का पुनः निर्माण होने के बाद अब सरायगढ़ जाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।यात्रियों को लगभग 22 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी जिसमें ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट का समय लगेगा। कोसी नदी पर बने रेलवे पुल का पुनः निर्माण होने से यात्रियों के समय की बचत होने लगेगी।

निर्मली स्टेशन से किया गया ट्रायल
आपको बता दें कि निर्मली में सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन का ट्रायल हुआ। आशा है कि जनवरी में 5.96 किलोमीटर इस लंबी रेल लाइन पर जनवरी से परिचालन का कार्य  शुरू हो जाएगा। उधर निर्मली से परसा बसबाड़ी तक 5.88 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माणकार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, रेलवे विभाग ने संभावना जताई है कि अप्रैल 2022 में झंझारपुर तक रेल सेवाएँ शुरू कर दी जाएँगी।

अप्रैल तक होगा काम पूरा
बताया जा रहा है कि परसा से बस्बाड़ी तक की 5.88 किलोमीटर की रेलवे लाइन का निरीक्षण करके यह पता चला है कि कुछ ही समय में यह काम पूरा हो जाएगा। इसकी जानकारी सी आर एस को दी जाने बाद फरवरी में इस रेलवे लाइन का पुनः निरीक्षण किया जायेगा और अप्रैल 2022 झंझारपुर-सकरी-दरभंगा भी निर्मली स्टेशन से जुड़ जाएगा।

अटल जी का सपना हुआ पूरा
हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उस समय लोगों को परेशानी को देखते हुए चिंता जताई और इस परेशानी को दूर करने का निर्णय लिया था।अटल जी ने 6 जून 2003 को इस महासेतु को बनाने की मंजूरी देकर इस सेतु की आधारशिला रखी। उसके बाद आज वह सेतु बनकर तैयार है।इस सेतु को बनाने में कुल 516 करोड़ की लागत आयी है और यह पुल तकरीबन 17 साल बाद बनकर तैयार हुआ है।

बिहार में मिला पहला ओमिक्रांन के मरीज सीएम ने बुलाई आपात बैठक

#OmicronVirus बिहार में ओमिक्रॉन के मरीज मिलने की सूचना के बाद आज मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है जिसमें ओमिक्रांन के सम्भावित खतरों से निपटने को लेकर चर्चा होगी ।स्वास्थ्य विभाग की मानें तो बिहार में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का पहला मरीज गुरुवार को मिला। वह इंग्लैंड से आए भाई से मिलने के लिए दिल्ली गया था, जो संक्रमित है और दिल्ली में क्वारंटाइन है।

ओमिक्रॉन को देखते हुए नीतीश ने बुलाई बैठक

संक्रमित 26 वर्षीय युवक किदवईपुरी के IAS कॉलोनी स्थित घर में होम आइसोलेशन में है। इसका सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए दिल्ली स्थित एनसीडीसी लैब भेजा गया था। युवक 21 दिसंबर को संक्रमित हुआ था। अब सुबह से कांटेक्ट ट्रेसिंग शुरू होगी। आज यानी शुक्रवार से ही ओमिक्रॉन मरीज के लिए अलग से सर्विलांस टीम का भी गठन किया जाएगा। 31 दिसंबर को पटना में 99, गया में 48 और मुंगेर में 9 नए केस मिले।

भारत से बड़े पैमाने पर कछुआ की हो रही है तस्करी

भारत से बंग्लादेश कछुआ की तस्करी जारी है आरपीएफ ने सोनपुर स्टेशन पर खड़ी 15716 किशनगंज से जाने वाली गरीब नवाज ट्रेन से 537 पीस जिंदा कछुआ बरामद किया। ट्रेन के एस 3 कोच में सीट के नीचे और शौचालय के समीप रखे 20 लावारिस बैग की सूचना यात्रियों ने पुलिस को जांच के दौरान पुलिस को बीच अलग अलग बैग में 537 जिंदा कछुआ मिला पुलिस तत्तकाल इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दिया वन कर्मी अभय कुमार की माने तो बरामद कछुआ सुंदरी प्रजाति का है और ये प्रजाति उत्तरप्रदेश में पाए जाता है। इस प्रजाति के कछुआ को तस्कर इसे बंगाल अथवा बांग्लादेश ले जाते है। इसे खाने के साथ दवा व औषधि में प्रयोग किया जाता है।

निमोनिया से बच्चों में होने वाली मृत्यु को कम करेगा सांसः मंगल पांडेय

निमोनिया से बच्चों में होने वाली मृत्यु को कम करेगा सांसः मंगल पांडेय
चिकित्सकों व स्टाफ नर्स को अलग-अलग बैच में किया जा रहा प्रशिक्षित

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में नवजात शिशुओं एवं बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु को कम करने के प्रति स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। इस संबंध में कार्य योजनाओं को मूर्त रुप दिया जा रहा है। सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रालाइज पीनिमोनिया सक्सेसफुल (सांस) कार्यक्रम के तहत निमोनिया को दूर करने का कार्य चल रहा है। इसमें गति लाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार प्रशिक्षित करने का कार्य जारी है।

श्री पांडेय ने कहा कि राज्य के क्रमशः 14 जिलों अररिया, औरंगाबाद, बांका, बेगुसराय, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्णिया, शेखपुरा और सीतामढ़ी में स्वास्थ्यकर्मियों को इस बीमारी की रोकथाम के लिए सांस कार्यक्रम के तहत जिला स्तर पर प्रशिक्षित करने की कार्ययोजना है। इन जिलों में 16 मेडिकल आफिसर एवं 16 स्टॉफ नर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। 31 जनवरी तक निर्धारित लक्ष्य के प्रति अलग-अलग बैचों में यह प्रशिक्षण चलेगा। अररिया में 2 बैच, औरंगाबाद में 3 बैच, बांका में 2, बेगूसराय में 4 समेत अन्य 14 जिलों में अलग-अलग बैच के माध्यम से कुल 36 बैचों में यह प्रशिक्षण चलेगा। सांस कार्यक्रम की शुरुआत 2020 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गई थी।
श्री पांडेय ने कहा कि इस अभियान के तहत नवजात शिशुओं एवं बच्चों में निमोनिया नियंत्रण कर मृत्यु को रोकने का लक्ष्य है। 2020-21 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण नालंदा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल पटना में आयोजित किया गया था। इसमें इन जिलों से नामित चिकित्सकों एवं स्टाफ नर्स को जिला स्तरीय प्रशिक्षक के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

चारो और घोर अंधेरा छाया हुआ है। कही से भी रोशनी दिखायी नहीं दे रही है।

बिहार एक ऐसे चौहारे पर आकर खड़ा है जहां तय नहीं कर पा रहा है कि जाये तो जाये कहा और यही अनिर्णय वाली स्थिति बिहार के बुनियाद को हिला कर रख दिया है ।बिहार की राजनीति को 2007 से देख रहे हैं 2010 के विधानसभा चुनाव में भले ही राजद का सूपड़ा साफ हो गया था लेकिन नेता प्रतिपक्ष के रूप में अब्दुल बारी सिद्दीकी का विधानसभा में दिया गया ।
वह भाषण आज भी मुझे याद है जहां तक मेरी समझ है अब्दुलबारी सिद्दकी का बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष के रुप में दिया गया भाषण और नीतीश कुमार का सिद्दीकी के भाषण पर सरकार का जवाब इतना स्तरीय भाषण बिहार विधानसभा में शायद अब देखने को नहीं ।

वो धार फिर कभी नीतीश कुमार में देखने को नहीं मिला भरे सदन में अब्दुल बारी सिद्दीकी लगभग डेढ़ घंटे तक सरकार के एक एक निर्णय का बखिया उखेरते रहे और पूरा सदन चुपचाप सुनता रहा और इतना ही सारे रिजनल चैनल लाइव चलाता रहा और कल होकर अखबार के मुख्य पेज पर पूरा भाषण छपा था । भाषण के दौरान अब्दुल बारी सिद्दीकी ने एक शब्द का इस्तेमाल किया था रॉयल ब्लड जिसके सहारे नीतीश कुमार पर सीधा आरोप लगाया था कि किस तरीके से राज्य सरकार के नौकरी में और अधिकारियों के पोस्टिंग में कुर्मी जाति को मदद किया जा रहा है, प्रेस दिर्घा में बैठे सारे पत्रकार रॉयल ब्‍लड का मिनिंग क्या होगा इसको लेकर अगल बगल झांकने लगे थे ।

कुछ नहीं बदला है वही नीतीश हैं ,वही जदयू हैं, वही बीजेपी हैं, वही राजद है वही मांझी लेकिन आज बहस किस बात को लेकर हो रही है मैं ब्राह्मण नहीं ब्राह्मणवाद के खिलाफ हूं इस पर डिबेट करने के बजाय लोग सड़क पर उतर गये जीभ काटने पर पुरस्कार का एलान तक कर दिया है एक सप्ताह तक दोनों और से घृणा फैलाने कि पूरी कोशिश हुई गांव गांव में तनाव पैदा हो इसको लेकर गोलबंदी शुरु हो गयी।

ये बिहार का एक नया चेहरा है जहां बहस की कोई गुंजाइश नहीं है बस कैसे एक दूसरे के खिलाफ जहर उगले और समाज में तनाव और द्वेष पैदा हो हर राजनीति दल इसी में लगा हुआ है।

इसका परिणाम क्या हो रहा है मूल मुद्दा जिस पर चर्चा होनी चाहिए था जिसके सहारे सरकार पर दबाव बनाया जा सकता था सबके सब गौण होते जा रहे हैं।

इस प्रदेश में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 27 लोगों की आंखों में गंभीर संक्रमण हो गया, 15 मरीजों की आंखें निकलनी पड़ी विधानसभा चल रहा था लेकिन कही से कोई आवाज सुनाई दिया क्या ,शराबबंदी कानून को लेकर सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का जो बयान आया उस बयान को लेकर कही कोई चर्चा हो रही है क्या, इसी तरह सरकार की जो बहाली नीति है इस पर कोई बात करने को भी तैयार है क्या ,किस तरीके से राज्य सरकार ने बिहार पुलिस और प्रशासनिक सेवा के कैडर को एक रणनीति के तहत खत्म कर दिया इस तरह के कई बुनियादी सवाल है विश्वविधालय में कुलपति के नियुक्ति का ही मामला हो कही कोई चर्चा हो रही है ।

जैसे जातिवादी राजनीति ने बिहार के बुनियाद को हिला दिया था इसी तरह धर्मवादी राजनीति ने बिहार के इमारत को ही गिरा दिया है 30 वर्षो से मानो बिहार एक जगह आकर ठहर सा गया है जहां से तय नहीं कर पा रहा है जाये तो जाये कहां । क्यों कि पूरी व्यवस्था राजनीति को बनाये रखने में लगी हुई है कही से कोई आवाज नहीं उठ रहा है सोशल मीडिया से बदलाव की उम्मीद की जा रही थी लेकिन बुनियादी सवालों के मामले में ये मुख्यधारा की मीडिया से भी आगे निकल गया है । ऐसे में बुनियादी सवालों की और जनता का ध्यान कैसे आकृष्ठ हो इसके लिए बड़े स्तर पर काम करने कि जरुरत नहीं है क्यों कि जिस बुनियाद पर बिहार अभी तक चल रहा था वो अब दरक चुका है ।

समाज सुधार के बगैर विकास अधूरा -नीतीश कुमार

मुजफ्फरपुर में समाज सुधार अभियान में मुख्यमंत्री शामिल हुए
अगर समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा- मुख्यमंत्री
हमलोगों को निरंतर अभियान चलाते रहना है ताकि कोई गड़बड़ी न कर सके- मुख्यमंत्री
आज महिलाओं की जागृति के चलते ही समाज आगे बढ़ रहा है और विकास का भी काम हो रहा है मुख्यमंत्री
पटना, 29 दिसम्बर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर के एम0आई0टी0 कैंपस में राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह मुक्ति हेतु चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान में शामिल हुए।
आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में आने के लिए आप सबको धन्यवाद देता हूं और बधाई देता हूं। 5 जीविका दीदियां ने अपने अनुभव को साझा किया उनको बधाई देता हूं। समाज सुधार अभियान का जो हमारा मकसद है आपलोगों को पता है। सिर्फ विकास का काम करेंगे तो उससे काम नहीं चलेगा। आपने 24 नवंबर 2005 से हमलोगों को काम करने का मौका दिया उस समय से आपलोगों की सेवा कर रहा हूं। अगर समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा इसलिए शरुआती दौर से ही हमलोगों ने इस पर काम करना शुरु किया। समाज में जो पीछे रह गये थे, समाज के उन तबकों के उत्थान के लिए हमलोगों ने विशेष ध्यान दिया। चाहे महिला हो, अनुसूचित जाति/जनजाति हो, अल्पसंख्यक हो या अतिपिछड़ा वर्ग के हों, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पहल की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर से मेरा विशेष लगाव है। सरकार बनने के बाद जो हमलोगों ने अभियान चलाया और हमेशा हम यहां आते रहे हैं। हमें याद है कि किस प्रकार एक-एक रास्ते पर मुजफ्फरपुर के लोग खड़े रहे। किस प्रकार लोगों का सहयोग और समर्थन मिला। जब से हमें काम करने का मौका मिला, तब से काम कर रहे हैं, आपकी सेवा कर रहे हैं।

मुजफ्फरपुर में काफी काम किये गये हैं। मुजफ्फरपुर से जुड़े जिले सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली हो सबका महत्व है। जब हमने शुरु किया अभियान तो सबसे पहले 2006 में होने वाले पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए हमने एक कानून बनाया, जिसमे तय किया की 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं के लिए रहेगा। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उसके साथ-साथ महिलाओं के उत्थान के लिए हमलोगों ने कई काम किये। बिहार में उस समय बेहतर ढंग से स्वयं सहायता समूह गठित नहीं था। फिर भी कुछ जगहों पर था।

वर्ष 2006 में मुजफ्फरपुर के 2 जगहों पर जाकर हमने इनके कार्यों को देखा था। स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं काम कर रही थीं। उनलोगों से जाकर हमने बात की, जब उनलोगों की बातों को सुना तो मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। हम सोच ही रहे थे कि इसका विस्तार करेंगे। फिर हमने वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेने का भी निर्णय लिया। बाद में जब इसकी बड़े पैमाने पर शुरुआत की तो आपके यहां का जो अनुभव हुआ उसी के आधार पर हमने पूरे बिहार में काम करवाना शुरु कर दिया और उसका हमने नामकरण किया जीविका समूह। उसके बाद उसमें कितनी जागृति आयी है। हमलोगों का 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य था। अब तो 10 लाख के लक्ष्य को भी पूरा कर लिया गया है। 1 करोड़ 27 लाख महिलाएं इससे जुड़ गई हैं। पहले बेटियों को लोग आगे पढ़ा नहीं सकते थे। अपनी बेटियों को पांचवीं क्लास के बाद उसको जो कपड़ा चाहिए था वो देने की स्थिति में नहीं थे। बहुत कम लड़के-लड़की ही आगे पढ़ पाते थे। वर्ष 2007 से हमलोगों ने पोशाक योजना की शुरुआत की। आगे चलकर हमलोगों ने साईकिल योजना की शुरुआत की। आप देख लीजिए कितनी बड़ी संख्या में लड़कियां आगे आने लगी और पढ़ाई करने लगीं। पहले लड़की कम पढ़ती थीं लेकिन पिछले साल मैट्रिक की परीक्षा में लड़कों से 200-300 ज्यादा लड़की पूरे बिहार में परीक्षार्थी थीं। जीविका समूह के माध्यम से महिलाओं में जागृति लायी जा रही है। महिलाएं घर का काम करती थीं, कहीं-कहीं खेतों में भी जाकर काम करती थीं लेकिन उनके बारे में कोई खास ध्यान नहीं था। जब हमलोगों ने काम करना शुरु किया कि महिलाएं भी अगर काम करेंगी तो परिवार की आमदनी बढ़ेगी। उसके बाद लोगों में जागृति बढ़ेगी। जब साइकिल योजना की शुरुआत किया तो कुछ लोगों ने मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा कि लड़की साइकिल चलाएगी तो रास्ते में लोग तंग करेगा। हमने कहा था कि एक आदमी की हिम्मत नहीं है कि लड़की साइकिल चलाएगी तो कोई उसको तंग करेगा। उसके बाद लडकों ने भी साइकिल की मांग करना शुरु किया तो उनके लिए दो-तीन साल बाद हमलोगों ने साइकिल योजना की शुरुआत की। सरकारी सेवाओं में भी हमलोगों ने आरक्षण दिया। पुलिस में हमलोगों ने आरक्षण देने का काम किया। पुलिस बल में जितनी महिलाएं अब बिहार में हैं उतना प्रतिशत देश के किसी भी राज्य में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या नहीं है। महिलाओं की पढ़ाई, सरकारी सेवाओं में संख्या बढ़ रही है और जो जीविका समूह बनाया तो लोग किस तरह से अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं और कितना जागृति आ रही है। _मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी जब वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने शराबंदी लागू किया लेकिन दो वर्ष बाद फिर से शराब शुरु कर दिया गया। हमारे मन में शराबबंदी की बात शुरु से थी। हमारे मन में आशंका थी कि शराबबंदी लागू कर पाएंगे कि नहीं। उन्होंने कहा कि हमलोग शराबबंदी को लेकर वर्ष 2011 से अभियान चला रहे हैं। इसको क्रियान्वित करने को लेकर मेरे मन में शंका थी. लेकिन जब वर्ष 2016 में महिलाओं के एक सम्मेलन में मैं गया हुआ था, महिलाओं के विकास की बातें हो रही थीं। जैसे ही हम बोलकर बैठे कि पीछे से महिलाओं ने आवाज लगायी शराब बंद कराईये। उसके बाद वापस हम माइक पर आये और कहा कि अगली बार अगर काम करने का मौका मिलेगा तो शराबबंदी लागू कर देंगे और हमने इसको लागू किया। लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 1 अप्रैल 2016 को पहले ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों में विदेशी शराब बंद नहीं किया गया था। शहरों में महिलाएं, लड़कियों, पुरुष वर्ग ने भी शराब के आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया और दुकानों को खोलने नहीं दिया उसके बाद 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। बहत बड़े पैमाने पर लोगों ने साथ दिया। वर्ष 2016 में सभी जगहों पर महिलाओं के साथ, जीविका दीदियों के साथ हमने बैठक की। निरंतर यह अभियान चल रहा है। जीविका समूह की एक महिला ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा- मेरे पति काम से लौटते थे दारू पीकर आते थे, परिवार में सभी को बुरा लगता था, देखने में खराब लगते थे। अब जब शराबबंदी हो गई तो बाजार से सब्जी, फल लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं। अब देखने में अच्छे लगते हैं, यह कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। समाज में कुछ लोग गड़बड़ी करने वाले होते हैं चाहे वे किसी भी धर्म के मानने वाले लोग हों। कितना भी अच्छा काम कीजिएगा कुछ लोग तो गड़बड़ी करेंगे ही। लेकिन हमलोगों को अभियान चलाते रहना है। कोई इधर उधर करना चाहे तो कुछ नहीं कर सके। समाज सुधार अभियान जारी रखना है। जैसे हमलोगों ने शराबबंदी लागू करके अभियान चलाया। उसके बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ भी अभियान चलाया। वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर हमलोगों ने अभियान चलाया। आज महिलाएं बाल विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ बोल रही थीं तो जरुरत इस बात की हमलोगों ने महसूस किया कि कुछ न कुछ गड़बड़ करने वाला रहेगा ही इसके लिए हमलोगों को निरंतर अभियान चलाते रहना है। प्रचार-प्रसार करते रहना है। इस बार जो अभियान शुरु किया गया है। हमलोगों ने उसके पहले 18 नवंबर को सारे अधिकारियों के साथ बैठक की थी। अभी तक 75 हजार 300 छापेमारी की गई। शराबबंदी से संबंधित 11 हजार 370 मामले दर्ज किए गए। 13 हजार अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई। 1 लाख 89 हजार लीटर देसी शराब, 3 लाख 24 हजार लीटर विदेशी शराब जब्त की गई। शराब से जुड़े मामलों में 1 हजार 788 गाड़ियां जब्त की गई। हमलोगों ने कॉल सेंटर बनाया था कि कोई गड़बड़ करे तो सूचित करें आपका नाम नहीं बताया जाएगा और तत्काल कार्रवाई किया जाएगा। कॉल सेंटर में जहां औसतन 70-80 कॉल प्रतिदिन आते थे अब बढ़कर 190 से 200 कॉल आ रहे हैं। महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी जागृति आनी चाहिए। हमने अपने साथियों से भी कहा है कि हमने अभियान की शुरुआत की है, इसका मतलब ये नहीं की जहां जाएंगे वही अभियान है बल्कि इस अभियान को निरंतर जारी रखना है। अगर कोई शादी-विवाह में दहेज लेता है तो आप उसका विरोध कीजिए। वैसी शादी में आप शामिल मत होइये। जब आप शामिल नहीं होंगे तो निश्चित रुप से लोगों को लगेगा कि अगर हम दहेज लेंगे तो निश्चित रुप से विरोध होगा इसलिए इस काम को भी साथ-साथ जारी रखना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी बाल विवाह होता है और बाल विवाह के शिकार कितने लोग होते हैं इसलिए इन सब बातों पर ध्यान देना है कि बच्चों की शादी कोई इस तरह से नहीं करे। उसकी वजह से कितने तरह की परेशानी बढ़ती है, ये सबको मालूम है इसलिए इस अभियान को जारी रखिए। बाल विवाह और दहेज प्रथा कितनी बुरी चीज है। दहेज के चक्कर में कितनी लड़कियों को आत्महत्या करनी पड़ती है। कितने लोगों की हत्या की गई है। महिलाओं की अगर कोई इज्जत नहीं करेगा तो इससे बढ़कर और गलत काम क्या है। हम सभी पुरुष, स्त्री यहां हैं। महिलाओं की देन है कि हमको ये जीवन मिला है। अगर महिला नहीं होती तो आप या कोई और धरती पर नहीं आते, इसलिए किसी को महिला की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पुरुष-स्त्री समाज के दोनों अंग है, इन दोनों के वगैर समाज का विकास संभव नहीं है। पुरुषों में ये भाव नहीं आना चाहिए कि सब कुछ वही हैं और महिलाएं उनकी फॉलोवर हैं। महिलाओं और लड़कियों के प्रति अच्छी भावना रखें, तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। आज महिलाओं की जागृति के चलते ही समाज आगे बढ़ रहा है और विकास का भी काम हो रहा है। हमलोगों को हमेशा शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाना चाहिए ताकि लोगों में जागृति आए। शासन और प्रशासन को एक-एक चीज पर नजर बनाए रखना है। बहुत लोग तो कहते हैं कि शराबबंदी से बाहर का कोई आना नहीं चाहता है तो हमने उनको कह दिया कि कोई अलाउ नहीं है। जिसको पीना है वे यहां नहीं आयें। लोग कह रहे थे कि पर्यटन में कमी आ जाएगी लेकिन हमने बता दिया कि जब शराबबंदी लागू हुई तो बाहर से आने वाले पर्यटकों की संख्या पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गई है। दो साल से तो कोरोना का दौर चल रहा है। सब सचेत रहिए लेकिन उसके पहले 2019 तक 2 करोड़ से भी ज्यादा लोग यहां आते रहे हैं। चंद लोग हैं, कुछ अपने को विद्वान समझते हैं, उनके मन में फिलिंग होती है उनको हम बताना चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 से 2018 तक सर्वेक्षण कराया और 2018 में ही रिपोर्ट को प्रकाशित किया। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनिया में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से होती है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं, जबकि 18 प्रतिशत लोग शराब पीने से आत्महत्या कर लेते हैं। शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं। शराब पीने से दुनियाभर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीना किसी को मौलिक अधिकार नहीं है। शराब इतनी बुरी चीज है इसके संबंध में विज्ञापन के जरिए भी लोगों को जानकारी दी जा रही है, उस पर भी गौर कीजिएगा। लोगों को इसके प्रति सचेत कीजिए। बापू ने देश को आजाद कराया। शराब के वे कितना खिलाफ थे। आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों से कहते थे-शराब न सिर्फ आदमी का पैसा बल्कि बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। बापू ने कहा था कि अगर एक दिन के लिए भी तानाशाह बन गए तो हम सभी शराब की दुकानों को बंद कर देंगे। बहनों से हम आग्रह करेंगे कि जो शराब पीते हैं, गड़बड़ करता है उनके चारो तरफ खड़ा होकर जमकर नारा लगाईये और सूचना भी दीजिए। जहां बैठिए शराब नहीं पीने के लिए लोगों को प्रेरित कीजिए। आपस में मिल जुलकर रहना है। आपकी सेवा करना ही हमारा काम है। बहनों से उम्मीद है कि जो कोई भी गड़बड़ करेगा, उसके खिलाफ अभियान चलाइयेगा। विकास के साथ समाज सुधार होगा तो समाज, राज्य और देश आगे बढ़ेगा।

कार्यक्रम को मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री सुनील कुमार, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सह सीतामढ़ी जिले के प्रभारी मंत्री मो0 जमा खान, ग्रामीण कार्य मंत्री सह वैशाली जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयंत राज, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव, गृह श्री चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन के अपर मुख्य सचिव श्री के0के0 पाठक ने संबोधित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत से पहले मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टॉलों पर लगाए गए प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री को तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त श्री मिहिर कुमार सिंह ने पौधा तथा राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार ने प्रतीक चिन्ह और अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया। जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरुगन डी0 ने जीविका दीदी श्रीमती गुड़िया देवी द्वारा सुजनी कला निर्मित सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह मुख्यमंत्री को भेंट किया।

कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों ने स्वागत गान गाया और कला जत्था के कलाकारों ने नशामुक्ति से संबंधित जागरुकता गीत को प्रस्तुत किया।

सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत 9.41 करोड़ रूपये की राशि मुख्यमंत्री ने जीविका की दीदियों को डमी चेक प्रदान कर किया। स्वयं सहायता समूह को बैंकों द्वारा प्रदत राशि का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 15 जलाशयों के रख रखाव हेतु 18.81 लाख का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया।

कार्यक्रम के दौरान जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम के दौरान सतत जीविकोपार्जन योजना की लाभार्थी वैशाली जिले के पोखरैरा गांव निवासी श्रीमती मोडली देवी जो ताड़ी व्यवसाय से जुड़ी हुई थीं। वर्ष 2018 में जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपनी छोटी-मोटी जरुरतों को पूरा करती रहीं। बाद में सतत् जीविकोपार्जन के तहत इनका चयन हुआ और इन्हें प्रारंभिक निधि प्रदान कर किराना दुकान खुलवाया गया। आज की तारीख में श्रीमती मोईली देवी आर्थिक रुप से मजबूत हो रही हैं। 5 बकरियों को भी इन्होंने पाल रखा है। उन्होंने बताया कि मेरे पति ताड़ी बेचते और पीते थे। मेरे पास पैसे नहीं थे कि मैं उनका इलाज करा सकू। पैसे के अभाव में उनका इलाज नहीं हो सका और उनकी मौत हो गई। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। कैसे उनका जीविकोपार्जन चलेगा। फिर जीविका समूह से मैं जुड़ गई और 12 लोगों का हमलोगों ने समूह बनाकर बचत करना शुरु कर दिया। फिर मुझे लगातार सहायता मिलने लगी। 10 रुपये रोज बचाकर माह में 300 रुपए की बचत करती
शिवहर जिले की मोहनपुर की रहने वाली पूजा दीदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि दहेज प्रथा के खिलाफ उन्होंने मुहिम छेड़ी और जीविका से जुड़ी सीता दीदी की बेटी की शादी तय हो गई थी लेकिन सीता दीदी दहेज देने में असमर्थ थीं, जबकि लड़के वालों ने दहेज की मांग की। सीता दीदी बहुत दुखी हुई कि मैंने अपनी बेटी को पढ़ाया, लिखाया और ये सोच भी नहीं पायी थी कि इस लायक बनाने के बाद भी दहेज की मांग की जाएगी। साप्ताहिक बैठक में अपने बचत को जब लेकर आयीं तो उन्होंने अपनी बातों को सबके सामने रखा। हम सभी ने मिलकर उनको समझाया कि हम सब आपके साथ हैं। उसके बाद सीता दीदी की थोड़ी हिम्मत बढ़ी। फिर हमलोग मिलकर गए लड़के वाले के घर जाकर हमने कहा कि कोई कमी होगी तो बोलिएगा। सीता दीदी दहेज देने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ तो बोलिए, सारी बातें हमने उससे कहीं और कहा कि अगर आप नहीं मानेंगे तो आगे भी हमलोग जाएंगे। दो दिन बाद सीता दीदी को खबर आया और उनकी बेटी की शादी हो गई। आज वे सुखी जीवन जी रही हैं, उनकी बेटी को एक पुत्र भी है।

सीतामढ़ी के अख्ता की रहने वाली रुबिना खातून ने कहा कि जीविका से पहले मैं कुछ नहीं थी। हमलोग शराब पर चर्चा करना शुरु किये। हम देखते थे कि हर घर में अपने पति के शराब पीने से महिलायें परेशान रहती थीं। जब भी उनके पति पीकर आते थे तो अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते थे। हमलोग हमेशा सामाजिक मुद्दों पर अपने संगठन में चर्चा किया करते थे। इसके बावजूद हमलोगों की कोई सुनने वाला नहीं था। जब सरकार द्वारा नशामुक्ति अभियान चलाया गया तो इसको लेकर हमलोगों में बहुत जोश और उमंग आया कि अब तो हमारे साथ बिहार सरकार है। उसके बाद हमलोगों की हिम्मत बढ़ी और घर-घर जाकर शराब के खिलाफ लोगों को जागरुक किया, रैलियां निकाली। इसका नतीजा हुआ कि हमारे गांव में लोग शराब बहुत कम पीने लगे। फिर हमलोगों ने पता करना शुरु किया कि जब शराब मिलता नहीं है तो भी लोग कहां से पी रहे हैं। पता चला कि नेपाल से नदी मार्ग से आने वाले दारु को मछली खरीदने के बहाने खरीदकर ले आते हैं। उसके बाद सभी जीविका दीदियों ने नदी किनारे जाकर छिपकर देखा तो पता चला कि जगह-जगह छपा देते थे और पीने वाले एक-एक कर आते थे और पीकर चले आते थे। हमलोग चुप नहीं बैठे और हमलोगों ने टॉल फ्री नंबर पर फोन किया और तुरंत उस पर कार्रवाई हुई और आरोपी जेल चले गए। इसके बाद पता चला कि एक विकलांग घर पर ही दारु बनाते हैं, वे अपने घर में बासी चावल और मीठा से दारु बना रहा है, उसको हमलोगों ने ध्वस्त कर दिया। उसके बाद उनके जीविकोपार्जन के लिए अपने साथ जोड़ा और सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत किराना का दुकान खुलवा दिया गया। जब तक हमलोग जिंदा रहेंगे, सभी दीदियां इस काम को बढ़ाने के लिए चलाते रहेंगे।

मुजफ्फरपुर जिले के बोचहां की पूनम दीदी पिछले 10 वर्षों से जीविका से जुड़ी हैं। इनके द्वारा लैंगिक असमानता और सामाजिक बदलाव को लेकर वर्षों से कार्य किए जा रहे हैं। इनके द्वारा इनके गांव में कम उम्र में शादी को लेकर विरोध किया गया, जिसमें इनका साथ ग्राम संगठन ने दिया। चुनौतियों का सामना करते हुए शराबबंदी और बाल विवाह को भी इनके द्वारा रोका गया और आज पूरा गांव खुशहाल है। एक दिन हमलोगों की बैठक चल रही थी, वो लड़का आया बोला हम आगे पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन मेरे मम्मी-पापा शादी करना चाहते हैं, कुछ कीजिए ना। बैठक खत्म होने पर उनके घर गए और हमलोगों ने कहा कि आपका लड़का चाह रहा है कि आगे पढ़ाई करे तो आप क्यों शादी कर रहे हैं। उस दिन लाख समझाने पर वे लोग नहीं समझे। अगले दिन 30-40 दीदियों का समूह बनाकर हमलोग उनके घर गए। उनको समझाते हुए हमलोगों ने कहा कि बात से समझ जाईयेगा तो ठीक है वर्ना हमलोग कानूनी कार्रवाई करवा देंगे और आपलोग जेल चले जाइयेगा। उसके बाद उनलोगों ने कहा कि लड़की वाला कैसे समझेगा। फिर लड़की वाले का नंबर लेकर हमलोगों ने बातचीत की। लड़की 16 साल की थी, लड़की का मन भी था कि आगे पढ़ाई करे, जिसको 8वीं तक पढ़ाई कराकर पढ़ाई छुड़ा दिया गया था। लड़की से बात किया तो उसने कहा कि आगे पढ़ना चाहती हूं| आज लड़का इंटर में पढ़ रहा है। बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक मुद्दों पर हमलोग साप्ताहिक बैठक कर चर्चा करते हैं। हमलोगों को इतना मान सम्मान मुख्यमंत्री जी ने दी है कि किसी ऑफिस में जाते हैं, स्कूल में जाते हैं तो हमलोगों को सम्मान मिलता है।

सीतामढ़ी जिले के परसौनी की श्रीमती रिंकु देवी के पति ताड़ी बेचने का काम करते थे। शराबबंदी लागू होने के बाद इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। पति की मृत्यु होने पर दुखों का पहाड़ टूट गया। इनको सतत् जीविकोपार्जन के तहत लाभान्वित हुई हैं और वे अपना जीवन खुशहालपूर्वक जी रही हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं।

कोरोना को देखते हुए हाईकोर्ट की सुरक्षा बढ़ाई गयी

कोविड – 19 संक्रमण के बढ़ते हुए प्रवृत्ति को देखते पटना हाई कोर्ट परिसर में प्रवेश तत्काल प्रभाव से सीमित कर दिया गया है। पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी नोटिस के अनुसार कोर्ट के सभी कर्मियों को प्रवेश द्वार पर अनिवार्य रूप से पहचान पत्र दिखाने को कहा गया है।

अधिवक्ताओं को कोर्ट द्वारा निर्णय किये गए उचित अधिकारी द्वारा जारी ई – पास दिखाने पर ही प्रवेश दिया जाएगा। इसी तरह से, मुवक्किलों को भी कोर्ट परिसर में प्रवेश हेतु स्पेशल पास जारी किया जाएगा।

जारी नोटिस के अनुसार कोर्ट ऑफीसर को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। कोविड – 19 के संबंध में पूर्व में अधिसूचित प्रोटोकॉल व मानक संचालन प्रक्रियाओं ( एस ओ पी ) का सख्ती से पालन किया जाएगा और इसका उल्लंघन करने को गंभीरता से लिया जाएगा।

शराबबंदी को लेकर मुख्यन्याधीश के बयान के समर्थन में आये वकील

कानून बनाने की प्रक्रिया में पर बिना व्यापक विचार विमर्श किए कानून बनाने पर कानून में कमियां रह जाती है।भारत के चीफ जस्टिस पी बी रमना ने इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार में शराब बंदी कानून लागू करना इसका एक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि पूरी तरह विचार नहीं कर कानून नहीं बनाने का नतीजा है कि पटना हाई कोर्ट लाखों के तादाद में मुकदमें सुनवाई के लिए लंबित हैं।

पटना वार ने मुख्यन्यायधीश के बयान पर जतायी सहमति


इस मुद्दे पर पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि कानून बनाने के पूर्व पूरा विचार विमर्श होना चाहिए,सम्बंधित समूह या व्यक्तियों से बात करना जरूरी होता हैं।लेकिन शराबबंदी कानून के मामलें में ऐसा नहीं करने के परिणाम सामने आ रहे हैं।
जहां शराबबंदी से सम्बंधित बड़ी तादाद में मुकदमें कोर्ट
सुनवाई के लिए लंबित हैं, वहीं एक जमानत याचिका की सुनवाई में काफी समय लग रहा हैं।
उन्होंने कहा कि अभी इस कानून पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हैं।जहां एक ओर सरकार को राजस्व की क्षति बड़े पैमाने पर हो रही है,वहीं गैरकानूनी रूप से शराब का कारोबार चल रहा हैं।
इस पर पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने की बुनियादी जिम्मेदारी की जगह शराबबंदी कानून को लागू करने में समय और शक्ति लग रही।उन्होंने कहा कि इसके आम आदमी को जागरूक बनाने की आवश्यकता हैं और साथ ही इसमें परिवार, समाज, मीडिया और सरकार की भूमिका अहम् होगी।

सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने का ढोंग कर रही है

सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का ढोंग कर रही है ।
पिछले दो तीन माह से सुबह नींद खुलने पर सबसे पहले बिहार सरकार के आर्थिक अपराध से जुड़े वाट्सएप पर ही नजर जाती है कही कुछ चल तो नहीं रहा है ।

आज भी भ्रष्टअधिकारियों के खिलाफ बिहार के कई हिस्से से छापेमारी की खबर आ रही है वैसे अब यह खबर रूटीन सा हो गया है मतलब सिर्फ इतना ही रह गया है कि अधिकारियों के घर से कितना नगद पैसा मिला है ,लेकिन हाल के दिनों में राज्य सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जो अभियान चलाया है उसमें जो साफ दिख रहा है सरकार बड़ी मछली पर कार्यवाही करने से बच रही है शुरुआत बालू माफिया पर कार्यवाही से करते हैें इस मामले में औरंगाबाद और भोजपुर के एसपी सहित आधे दर्जन से अधिक अधिकारियों कार्यवाही हुई लेकिन अभी तक औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरिका पर निलंबन के अलावा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है जबकि इसी मामले में शेष अधिकारियों के चल और अंचल सम्पत्ति तक कि जांच हो चुकी है।

मगध विश्वविधालय के कांपी घोटाले मामले पर नजर डालिए ऐसा लग रहा है जैसे कुलपति को बचाने में सारा सिस्टम खड़ा है आर्थिक अपराध ईकाई हाजिर होने को कहता है वही राजभवन उनका छुट्टी स्वीकृत कर देता है ।

दस दिन पहले हाजीपुर के जिस लेबर इन्फोर्समेंट अधिकारी दीपक शर्मा के घर 2.50 करोड़ रुपया नगद और 30 से अधिक निवेश और बैक खाते का पता चला था उस अधिकारी से निगरानी चाह करके भी पुछताछ नहीं कर पा रही है ।उक्त अधिकारी बिहार यूपी के चैक पोस्ट मोहनिया में सात वर्ष से प्रतिनियुक्ति पर भा इस दौरान इसके मूर विभाग श्रम संशाधन विभाग कई बार केैमूर से तबादला भी किया लेकिन डीएम के आग्रह पर इसके तबादले को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया जाता था ।


जिस तरीके से इसके पास से कैश रुपया बरामद हुआ है और जिस स्तर पर निवेश का कागजात बरामद हुआ है उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसको संरक्षण देने वाले अधिकारियों कि क्या कमाई हुई होगी एक अनुमान के अनुसार इस अधिकारी का जितना सैलरी है उससे पांच सौ गुना अधिक की सपंत्ति का अभी तक खुलासा हो चुका है जबकि जांच अभी भी पूरा नहीं हुआ है इस अधिकारी का रखूस देखिए निगरानी की टीम दीपक वर्मा से पुछताछ करना चाह रही है लेकिन पटना के एक बड़े डाँक्टर की और से एक मेडिकल रिपोर्ट जारी किया गया है जिसमें लिखा है कि दीपर वर्मा की याददाश्त चली गयी है और बेहद गंभीर मानसिक बिमारी के दौर से गुजर रहा है।

भ्रष्ट सिस्टम के बीच तालमेल देखिए पुलिस इससे पुछताछ करेगी और कही सारा राज खोल दिया तो कई बड़े अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं इसलिए ऐसा खेल खेला है कि निगरानी अब चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती है इस चेक पोस्ट पर तैनात रहे एक पूर्व अधिकारी की माने ते मोहनिया चेक पोस्ट पर जब से शराबबंदी हुई है अधिकारियों का रोजाना का प्रेक्टिंस 10 से 15 लाख के करीब था शराब वाले हर ट्रक से इस चेकपोस्ट पर 30 से 50 हजार रुपया लिया जाता था इस चेक पोस्ट से हरियाणा और यूपी से शराब का बड़ा खेप बिहार में प्रवेश करता था उक्त अधिकारी का कहना है कि इस राशी का हिस्सा पटना तक पहुंचता था और दीपक शर्मा इस खेल का एक बड़ा खेलाड़ी रहा है और जिला से लेकर पटना तक किसको कितना शेयर भेजना है इसका सारा हिसाब इसी के पास रहता था और यही बजह है कि बिहार में अभी तक जितनी भी छापेमारी हुई है इतना कैश किसी के यहां से बरामद नहीं हुआ है ।इसलिए इस खेल में शामिल सारे अधिकारी दीपक वर्मा का जुवान ना खुले इसमें लगा हुआ है वही परिवार वाले इस डर से सहमे हुए हैं कि दीपक शर्मा के साथ कही कोई अनहोनी ना हा जाये ।

ऐसा ही कुछ दरभंगा ग्रामीण कार्यविभाग के इंजीनियर मामले में सामने आया इंजीनियर दरभंगा से पटना के लिए निकलता है मुजफ्फरपुर पुलिस इसके गांड़ी को रोकता है जांच के दौरान कहां जाता है कि 2 करोड़ से अधिक कैश रुपया था सुबह से लगातार मुजफ्फपुर पुलिस का बयान पैसा बरामदगी को लेकर बदलता रहा अंत में पंचायत चुनाव के दौरान कैश पैसे लेकर चलने पर रोक से जुड़े मामले में एफआईआर दर्ज करके उस इंजीनियर को थाने से ही जमानत दे दिया गया है अभी भी इतनी बड़ी राशी मिलने के बावजूद मामला निगरानी या फिर आर्थिक अपराध ईकाई को मुजफ्फरपुर पुलिस केस ट्रान्सफर नहीं किया है ।

इस इंनजीनियर की पकड़ देखिए दो माह बाद जब विधानसभा में हंगामा हुआ तब निलंबन की कार्यवाही हो पायी जिस समय सत्ता पंक्ष की और से हंगामा हो रहा था मुख्यमंत्री विधानसभा में अपने चैबर में बैठकर सब कुछ देख रहे थे कहां ये जा रहा है कि अनिल कुमार पूरे दरभंगा प्रमंडल का पैसा वसूल कर पटना पहुंचाता था और विभाग के मंत्री की कौन कहे प्रधान सचिव भी इससे बचता था सीधा इसका संवाद सरकार के साथ था और यही वजह रहा कि कार्यवाही करने से विभाग बच रहा था ।

इस तरह के कई और उदाहरण है जो कही ना कही दिखाता है कि सरकार भ्रष्टाचार को लेकर पहले जैसे गंभीर नहीं है ।

अब जेल अधिकारी के घर परा छापा कोरोड़ो के अवैध सम्पत्ति हुआ बरामद

#Corruption : छपरा के जेल सुपरिटेंडेंट रामाधार सिंह सरकारी नौकरी में रहते हुए करोड़पति बन गए हैं। आरोप है कि सरकारी पद का दुरुपयोग कर ये भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं।

इस बात के ठोस सबूत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम को मिले। जिसके बाद कल ही यानी गुरुवार को इनके खिलाफ पटना में आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया।

अब शुक्रवार को निगरानी की टीम ने इनके तीन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर दी है। गुपचुप तरीके से प्लान वे में निगरानी की अलग-अलग टीम ने आज सुबह 10:30 बजे के बाद छपरा, पटना और गया में एक साथ इस कार्रवाई को शुरू किया।

मौसम विभाग की चेतावनी 27 से 30 के बीच बिहार में बारिश के हैं आसार

#WeatherForecast : बिहार में आज देर शाम से मौसम का मिजाज बदलने वाला है मौसम विभाग की माने तो बिहार के कई हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है जिस वजह से ठंड का प्रभाव बढ़ सकता है ।

मौसम विज्ञान केंन्द्र के अनुसार आज शाम होते होते पछुआ हवा रुक जायेगी और पूर्वी हवा चलेगी। इससे प्रदेश के तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।

वहीं, 27 से 30 दिसंबर के दौरान पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने का पूर्वानुमान है। ऐसा होने पर अधिकांश जगहों पर हल्की व मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है।

वहीं, अधिकतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने के आसार हैं। पटना का अधिकतम तापमान 24.6 डिग्री एवं न्यूनतम 8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

5.7 डिग्री सेल्सियस के साथ पिछले एक सप्ताह से गया प्रदेश का सबसे ठंडा शहर रहा। किसानों को किया अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, मौसमी प्रभाव को देखते हुए किसान भाइयों को सलाह दी जा रही है कि कटे हुए धान की फसल को सुरक्षित स्थान पर रखें। इसके साथ ही पशुओं के बचाव की भी व्यवस्था करें।

अब चलेगी पूर्वी हवा, हल्की बूंदाबांदी के आसार

2 से तीन डिग्री सेल्सियस प्रदेश में तापमान में होगी वृद्धि

5.7 डिग्री सेल्सियस के साथ गया प्रदेश का ठंडा शहर

8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया पटना का न्यूनतम तापमान

27-30 दिसंबर तक पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में गिरावट के आसार

कोरोना से निपटने को लेकर राज्य सरकार की क्या तैयारी इस आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

#Covid19 : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि अगली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा बुकलेट ( Compendium) के रूप में पेश करेगी।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से पूरे तथ्यों की जांच कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में विरोधाभासी तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।आज इस मामलें की ऑन लाइन सुनवाई हुई,जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों से पूरी जानकारियां ले कर उन्हें बुकलेट( Compendium) के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधभासी हलफनामा पर पिछली सुनवाई में ऑन लाइन उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव अमृत प्रत्यय ने खेद जाहिर किया था।उन्होंने कहा था कि अगली सुनवाई में विस्तृत और पूरे तथ्यों के साथ हलफनामा दायर किया जाएगा।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार के अध्यक्षता में चार सदस्यों की एक टीम गठित किया गया है।यह टीम राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर रहा है।

ज़िला के सभी जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा तथ्यों को जांच कर प्रस्तुत करेंगे।

राज्य सरकार ने जो इससे पहले ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही तथ्यों पर आधारित ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर आज साढ़े ग्यारह बजे सुबह ऑनलाइन पर सुनवाई किया। कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा दिया।
कोर्ट ने पटना के सिविल सर्जन को अस्पतालों में सारी व्यवस्था,दवा,डॉक्टर व अन्य सुविधाओं की तैयारी बनाए रखने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया था कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था।
इस मामले पर 7 जनवरी, 2022को सुनवाई होगी।

जीतनराम मांझी को जीभ कांटने वाले बयान पर हाईकोर्ट में याचिका दायर

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये देने के बारे में दिए गए बयान देने वाले गजेंदर झा के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है।यह जनहित याचिका शहजादा कमर खान ने दायर की है।

इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि ये सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि इस प्रकार के बयानों को बढ़ावा नहीं मिले और आइडी तरह के बयान जारी करने वाले के विरूद्ध सख्त कार्रवाई हो।

जनहित याचिका के जरिये ये कहा गया है कि इस तरह का बयान जारी किए जाने से क्या राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध हिंसा फैलेगा और उनके जीवन पर भी खतरा होगा।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के चीफ जीतन राम मांझी ने यह स्पष्ट किया है कि उनका बयान ब्राह्मणवाद के विरोध में था न कि ब्राह्मण के।

उनका यह भी कहना था कि वे दलितों के विरुद्ध होने वाले भेदभाव का विरोध करते रहेंगे।उनका राज्य में सम्मान किया जाता है और वे बिहार के एक बड़े दलित चेहरे हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में इस तरह के बयान जारी किए जाने के बाद यह बात राज्य भर में फैल गया है, जिससे शांति भंग हो सकती है।ऐसे हर तरह के मामलें में सख्त कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत हैं।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुयी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुयी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक

जब से हमें काम करने का मौका मिला है, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण के लिये काफी काम किया गया है- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री के निर्देश

• पुलिस महानिदेशक सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में कम से कम एक बार नियमित समीक्षा करें ताकि मामलों का निष्पादन तेजी से हो सके।

• पुलिस महानिदेशक विशेष अभियान चलाकर लंबित काण्डों का अनुसंधान कराकर निर्धारित 60 दिन के अन्दर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कराएं।

कनविक्शन रेट बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समाज के कमजोर वर्ग के सभी व्यक्तियों को ससमय न्याय मिल सके।

जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा करें एवं पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करायें।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठकहुयी। यह बैठक साढ़े चार घंटे से भी अधिक समय तक चली। बैठक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव श्री दिवेश सेहरा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विगत बैठक की कार्यवाही एवं अनुपालन की विस्तृत जानकारी दी। समीक्षा के क्रम में अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग), निदेशक अभियोजन, सचिव, विधि विभाग द्वारा इस संबंध में किए जा रहे कार्यों की बिंदुवार जानकारी दी।

बैठक में पुलिस महानिदेशक के स्तर पर दोष सिद्धि निपटारे के लिये की गयी कार्रवाई, पीड़ित व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत एवं पुनर्वास सुविधाओं तथा उनसे जुड़े अन्य मामलों की भी समीक्षा हुई। जिलास्तर पर गठित निगरानी एवं अनुश्रवण समिति के कार्यकलापों की जानकारी, विशेष लोक अभियोजकों के कार्यों की समीक्षा, संबंधित पदाधिकारियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने के साथ-साथ अन्य कार्यवाही की भी जानकारी दी गयी।

समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में आप सभी सदस्य शामिल हुए हैं, इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूँ। सभी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम से जुड़ी अपनी बातें एवं सुझाव रखे हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जो बातें सामने रखीं गई हैं, उसका एक पक्ष इस अधिनियम के अंतर्गत की जा रही कार्यवाही के संबंध में है तो दूसरा पक्ष अनुसूचित जाति / जनजाति के हित में काम किये जा रहे कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने को लेकर है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग संबंधित विभागों को जनप्रतिनिधियों द्वारा रखी गयी समस्याओं एवं सुझावों से अवगत कराये ताकि उस पर तेजी से अमल हो सके। विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में भी जन प्रतिनिधियों को अवगत करायें।

मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस महानिदेशक सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में कम से कम एक बार नियमित समीक्षा करें ताकि मामलों का निष्पादन तेजी से हो सके। पुलिस महानिदेशक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित कार्यों की समीक्षा करें तथा विशेष अभियान चलाकर लंबित काण्डों का अनुसंधान कराकर निर्धारित 60 दिन के अन्दर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कराएं। कनविक्शन रेट बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समाज के कमजोर वर्ग के सभी व्यक्तियों को ससमय न्याय मिल सके। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा करें एवं पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करायें। जिला स्तर पर गठित सतर्कता एवं मॉनिटरिंग समिति के कार्यकलापों भी समीक्षा करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष लोक अभियोजकों की कार्य क्षमता की समीक्षा करें और योग्य विशेष लोक अभियोजकों को दायित्व सौंपे ताकि वे न्यायालय में बेहतर ढंग से पक्ष रख सकें। इस अधिनियम के तहत दर्ज कांडों के त्वरित निष्पादन हेतु 9 अनन्य विशेष न्यायालयों के गठन की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूर्ण करें। अनन्य विशेष न्यायालयों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई हो। अत्याचार होने पर घटना स्थल का निरीक्षण निश्चित रूप से हो। अगर संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो वरीय अधिकारी जाकर स्थल निरीक्षण करें। गृह विभाग एवं विधि विभाग कनविक्शन रेट में सुधार एवं लंबित मामलों में कमी लाने के लिए नियमित अनुश्रवण करे। चिकित्सा जांच प्रतिवेदन ससमय प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिलों में कनविक्शन रेट में कमी और स्पीडी ट्रायल में सुधार लाने को लेकर लगातार समीक्षा करें। विधि विभाग यह सुनिश्चित करें किगवाह ससमय कोर्ट पहुंचे और उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जिलास्तर पर अत्याचार के पीड़ित / आश्रितों को राहत अनुदान की स्वीकृति तत्काल दी जाय ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमें काम करने का मौका मिला है अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए काफी काम किया गया है। अनुसूचित जाति में से महादलित वर्ग के लिए विशेष काम किया गया। बाद में सभी अनुसूचित जातियों को वह सारी सुविधायें दी गई। सरकार में आने के बाद सर्वे कराने के बाद यह पता चला कि 12.5 प्रतिशत बच्चे-बच्चियां जो स्कूल नहीं जा पाते हैं, उनमें ज्यादातर महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्गों से आते हैं। सभी बच्चे-बच्चियों को स्कूल पहुंचाया गया। वर्ष 2008 तक पूरे बिहार में 22,000 स्कूल बनवाये गये। अनुसूचित जाति-जनजातियों के जिन संस्थानों के भवनों की स्थिति ठीक नहीं थी उन्हें अलग से ठीक कराया गया। शिक्षकों की बहाली की गई। पहले अनुसूचित जाति-जनजाति की क्या स्थिति थी सभी जानते हैं। हमलोगों के सरकार में आने के बाद से इस वर्ग के लिए काफी काम किया गया है। आज की बैठक में शामिल सदस्यों ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कल्याण के कार्यों और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए जो सुझाव दिये, विभाग उस पर भी तेजी से काम करे।

दलित और ब्राम्हण आमने सामने मांझी के बयान पर आज भी पूरे दिन बिहार में मचा रहा बवाल

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा ब्राह्मणों पर दिए गए बयान का मामला गरमाता जा रहा है।

मांझी के आवास के बाहर सत्यनारायण पूजा करते ब्राह्णाण संघ

गुरुवार को बयान से आहत ब्राह्मण समाज के लोग पटना स्थित उनके आवास का शुद्धिकरण करने पहुंच गए। घर के अंदर जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक लिया। इसके बाद ब्राह्मणों ने उनके आवास के बाहर ही बैठकर सत्यनारायण भगवान की पूजा की। साथ ही बीच सड़क पर दही-चूड़ा का भोज किया।  

मांझी के समर्थन में उतरा दलित संगठन

                     

वही आज  गया में जीतन राम मांझी के समर्थन में लोग सड़क पर उतर आए और जमकर बवाल किया यू कहे तो बिहार में दलित बनाम ब्राह्मण धीरे धीरे तूल पकड़ता जा रहा है और ऐसे में कहां जा सकता है कि जीतन राम मांझी जिस उद्देश्य को ध्यान में रख कर बयान दिया था वो उस उद्देश्य में कामयाब होते दिख रहे हैं ।

जीतन राम मांझी कराएंगें ब्राम्हण-पंडित भोज

जीतन राम मांझी कराएंगें ब्राम्हण-पंडित भोज, वैसे ब्राम्हण-पंडित जिन्होने कभी मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया,चोरी-डकैती नहीं किया उनको दिया निमंत्रण, अपने सरकारी आवास पर दोपहर 12 बजे कराएंगें ब्राम्हण-पंडित भोज,
HAM प्रवक्ता डॉ दानिश रिजवान ने दी जानकारी

बिहार का एक गांव ऐसा जो अपने हुनर के बल पर देश में बनायी अलग पहचान

पटना से कोई 50 किलोमीटर दूर वैशाली जिले में एक गांव है अकबरपुर मलाही इस गांव के पुरुष और महिलाओं ने अपने हुनर के बल पर देश के नक्शे में अपने गांव का नाम शामिल कराने में कामायाब रहा है ।

तार के पेड़ से छड़ी बनाते गाँव वाले

दरअसल इस गाँव के आधा से अधिक आबादी तार के पेड़ का छड़ी और बैसाखी बना कर पूरे देश मे सप्लाई कर रहा है।गांव के हर घर मे तार के पेड़ का छड़ी बनता है। यह छड़ी बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हो रहा है । गाँव के इंदु शर्मा नामक महिला ने इस तार के छड़ी बनाने का काम शुरू किया था और देखते ही देखते पूरा गांव इस धंधा में जुड़ गया। गाँव के लोगो की बात मने तो भारत देश मे यह छड़ी सिर्फ अकबरपुर मलाही गाँव में बनता है।ऐसे तो लकड़ी का छड़ी हर जगह बनता होगा मगर तार के पेड़ का छड़ी सिर्फ अकबरपुर मलाही गाँव मे बनता है।।।

क्या कहना है गाँव वालो का

तार के पेड़ के छड़ी कई नामो से जाना जाता है,नबाब की छड़ी इसमें काफी खूबसूरत होता है।इसके दाम भी ज्यादा है।ऐसे एक छड़ी डेढ़ सौ से लेकर ढाई सौ के बीच बिकता है। छड़ी बनाने का कारोबार में पिछले कई सालों कर रहे अभय शर्मा ने बताया सरकार के तरफ से कोई मदद नही मिलता है।छोटे मोटे प्राईवेट फाइनेंस कर्मी से लोन पर पैसा लेकर यह धंधा को कर रहे है।अगर सरकार मदद करती तो इस उधोग को आगे और बढ़ाया जा सकता है।

इस तार की छड़ी में खास यह है कि यह छड़ी काफी मजबूत होता है और उसकी पकड़ काफी मजबूत होती है वही दूसरे लकड़ी से बना छड़ी पानी बर्दाश्त नहीं करता है वहीं तार से बना यह छड़ी पानी के साथ साथ घुन से भी बचाता है ।

हाईकोर्ट ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डां राजेन्द्र प्रसाद के जन्मस्थली के खस्ताहाल को लेकर दायर याचिका पर हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेइ और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा पर गंभीर रुख अपनाया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से 3 जनवरी,2022 तक जवाब देने का निर्देश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने वकीलों की एक तीन सदस्यीय टीम गठित किया है।ये टीम जीरादेइ और वहां स्थित स्मारकों,पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित स्मारकों का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट अगली सुनवाई में देगा।
जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है।याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है।न तो वहां पहुँचने के सड़क की हालत सही है,न ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति ठीक है।
उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण लगातार हालत खराब होती जा रही है।कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की दुर्दशा भी साफ दिखती हैं।इस स्थिति में शीघ्र सुधार के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत हैं।

डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर,1884 को सिवान के पास जीरादेई गांव में हुआ था।वे बड़े ही मेधावी छात्र थे।उन्होंने वकालत की डिग्री ले कर कुछ समय तक वकालत की बाद वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रणी नेता रह कर भाग लिया।
भारतीय संविधान की निर्माण कर रही संविधान सभा के वे अध्यक्ष भी रहे।

बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने।इस पद पर उन्होंने मई,1962 तक कार्य किया।बाद में राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद पटना के सदाकत आश्रम में रहे,जहां 28 फरवरी,1963 को उनकी मृत्यु हुई।
ऐसे महान नेता के स्मृतियों व् स्मारकों की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जाना उचित नहीं हैं।इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी,2022 को की जाएगी।