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कन्हैया का सीपीआई छोड़ना वामपंथ के लिए बड़ा नुकसान है।

बेगूसराय से किसी मित्र ने यह तस्वीर भेजी है गौर से देखिए कौन है, जी है ये कन्हैया है । सीपीआई के महासचिव एबी बर्धन कन्हैया को जोरदार भाषण देने के लिए पुरस्कृत कर रहे हैं। मतलब कन्हैया का सफर कहां से शुरु हुआ था और कहां पहुंच गया वामपंथ विचार से जुड़े लोगों को इस पर विचार करना चाहिए।

23 वर्षो के पत्रकारिता जीवन में बात राजनीतिक दलों के नेताओं से रिश्तों की करे तो बीजेपी और वामपंथी पार्टियों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं से मेरा बेहद करीबी रिश्ता रहा है। हलाकि मोदी के आने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता दोनों के चाल चरित्र और चेहरा में बड़ा बदलाव आ गया है।

मेरा मानना है कि विपक्ष में रहने के दौरान जितना सरल और सहज बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता होते हैं वो सहजता सत्ता में आने के साथ ही रातो रात गुम हो जाती है।

वही वामपंथी आलोचना कभी बर्दास्त नहीं करता है वो हमेशा आक्रमक रहता है, पढ़ाई लिखाई की बात करे तो वामपंथी पढ़ाई लिखाई से लगाव रखता है लेकिन बदलवा में विश्ववास नहीं है।

जो कार्ल मार्क्स जो कह गये वही सत्य है कन्हैया का जाना उसी बदलाव का एक हिस्सा है जिसको वामपंथी स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि कार्ल मार्क्स के आगे भी दुनिया है ।

-पत्रकार संतोष सिंह के वाल से

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