2अक्तूबर, 2021.
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अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस की बधाइयाँ!
गांधी जयंती के दिन सत्यानुसरण का संकल्प !
शुभ हो यह दिवस !
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मैं स्वीकार करता हूँ ,
गांधी अतीत नहीं, भविष्य हो हमारा!
क्यों कि,
जहर घोलते उद्योग,
विषैली हो चुकी मिट्टी,
विषाक्त वायुमंडल का समाधान है गाँधी !
दूषित राजनीति,
आसुरी तंत्र,
काटने-बाँटने के,
लूटने-कूटने के कारोबार से,
हृदय हीन व्यवसाय से,
निर्मम आचरण और
तद्जन्य घृणा,कटुता,विभेद
भय,संत्रास,कुण्ठा, अवसाद से
मुक्ति का मार्ग है, गाँधी!
सियासत में मनुष्यता,
कारोबार में शुचिता,
समाज में समंजन,
व्यवहार में शील, संयम, परोपकार,
कामना में शांति सद्भाव, समरसता की राह है, गाँधी!
तनाव-दुराव की महामारी,
कट्टरता की व्याधि,
कुटिल, दुष्ट, आसुरी दुष्चक्र से
परित्राण का पथ है, गाँधी !
राजनीति का,
और धर्म का,
और, धर्म-निष्ठ राजनीति का
मंत्र है, गांधी!
सोचो ना,
और कौन कर सकता था, कीर्त्तन-
“अल्लाह-ईश्वर तेरो नाम”
तब,
शैतानी सेकुलर और सिरफिरे कम्यूनल की
औषधि है, गाँधी !
भारत देश की सूरत से एकाकार होता
एक आकार है, गाँधी!
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जब,
अनेक राष्ट्रों की गुंथी एक माला है भारत,
सुमनोहर सुमनों का
एक हार भारत,
रंग-बिरंगे सुवास की
क्यारियाँ है, भारत
तब , इसका
निर्माता-पिता-जनक हो नहीं सकता कोई एक-
युक्तिसंगत नहीं कदाचित,
मानना किसी एक को “राष्ट्र-पिता”!
वाल्मीकि और कृष्ण द्वैपायन वेद-व्यास के,
महावीर और बुद्ध के,
पतंजलि और शंकराचार्य के,
आचार्य शुक्र और अशोक के,
राजेन्द्र चोल और कृष्ण देव राय के,
अथवा,
नानक, कबीर, कम्बन के,
कृत्तिवास, रामानुज , रैदास के,
तुलसी, जायसी रस-खान के
निर्मित-पोषित-विकसित
राष्ट्र का पिता
नहीं है, गांधी !
किंतु,
अवश्य ही
उन अनेक आदर्शो का
वाहक,दण्डधर,ध्वजाधारी है, गाँधी !
शतशः प्रणाम उस गांधी को!
विषाक्त इस संसार के
“वांछित भविष्य” को
सादर नमन !
लेखक –नेतरहाट स्कूल के छात्र