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कृषि कानून वापस लेने का फैसला अन्नदाता का दिल जीतने वाला सुशील कुमार मोदी

कृषि कानून वापस लेने का फैसला अन्नदाता का दिल जीतने वाला

  • सुशील कुमार मोदी
  • प्रधानमंत्री के बड़प्पन ने उन्हें स्टेट्समैन बनाया
  • विपक्ष इसे हार-जीत के
    क्षुद्र नजरिये से न देखे
  • दिल्ली में बिना शर्त धरना
    समाप्त कर घर लौटें किसान
  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के एक वर्ग की भावना का सम्मान करते हुए संसद से पारित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर बड़प्पन दिखाया।
    यह गुरु परब पर सद्भाव का प्रकाश फैलाने वाला ऐसा निर्णय है, जो प्रधानमंत्री मोदी को चुनावी राजनीति से ऊपर उठता हुआ कद्दावर स्टेट्समैन सिद्ध करता है।
    इस ऐतिहासिक पहल को किसी की जीत-हार के रूप में लेने की क्षुद्रता नहीं होनी चाहिए।
  2. हालांकि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे, सरकार किसान प्रतिनिधियों से 11 चक्र में बातचीत कर इसमें और सुधार करने पर सहमत थी और सुप्रीम कोर्ट ने इनके क्रियान्वयन को स्थगित भी कर दिया था, फिर भी इन कानूनों को एक झटके में वापस लेना राजनीतिक नफा-नुकासान, दलगत मान-अपमान और तर्क-वितर्क से ऊपर उठकर अन्नदाता का दिल जीतने वाला निष्कपट कदम है।
    अब आंदोलनकारियों को अपना हठ छोड़कर बिनाशर्त धरना समाप्त कर घर लौटना चाहिए।

कृषि कानून, जातीय जनगणना और शराबबंदी पर खुलकर बोले नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई दिल्ली प्रवास से वापसी के पश्चात् पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत की। प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून बनाये थे। यह केंद्र सरकार का निर्णय था ।

आज प्रधानमंत्री जी ने खुद ही अगले सत्र में इसे वापस लेने की घोषणा कर दी है। उन्होंने बहुत ही स्पष्टता के साथ अपनी बातें रख दी हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए। इसलिए इस

कृषि कानून की वापसी पर नीतीश का तंज

कानून को वापस लिया जा रहा है। इसमें कुछ ख़ास बोलने का कोई औचित्य नहीं है। उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बारे में कौन, क्या बोलता है मालूम नहीं। सब अपनी-अपनी बातें बोलते रहते हैं लेकिन आज तीनों कृषि कानूनों के बारे में प्रधानमंत्री जी ने स्वयं अपनी बातें रख दी हैं। सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। विपक्ष को भी अपनी बातें रखने का अधिकार है।

दिल्ली में श्री लालू प्रसाद यादव के जातीय जनगणना के वक्तव्य पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने क्या कहा हमें मालूम नहीं है। उनसे अभी हमारी कोई बातचीत नहीं होती है। जातीय जनगणना को लेकर उनकी पार्टी के नेता और उनके पुत्र श्री तेजस्वी यादव समेत अन्य दूसरे लोगों ने हमसे मुलाकात की थी।

प्रधानमंत्री जी से भी हमलोगों ने इस मुद्दे पर मुलाकात की थी। जातीय जनगणना के मुद्दे पर केन्द्र ने निर्णय स्पष्ट कर दिया है। उसके बाद हमलोगों ने भी बहुत साफ साफ कह दिया है कि आपस में हम सब बैठक कर इस पर निर्णय लेंगे। श्री तेजस्वी यादव ने जो चिट्ठी लिखी थी, वह उनकी पार्टी की तरफ से आया हुआ है और वह चिट्ठी रखी हुई है। हम सब एक साथ सर्वसम्मति से इस पर निर्णय लेंगे।

बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लेकर पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग मेरे इस फैसले के खिलाफ हैं और धंधेबाज चाहते हैं कि शराबबंदी कानून विफल हो जाए। हम तो प्रारंभ से ही कहते रहे हैं कि हर आदमी एक विचार का होगा, यह संभव नही । मनुष्य का जो स्वभाव होता है, यह सभी को मालूम हमलोग यह मानकर चलते हैं कि कुछ लोग मेरे खिलाफ रहेंगे। इसके लिए पूरा का पूरा प्रयास करना चाहिए, सबको समझाना चाहिए।

शराबबंदी कानून के वापसी का सवाल ही पैदा नहीं होता है ।

गड़बड़ी करने वालों पर कानून के मुताबिक एक्शन होना चाहिए। हमलोगों ने सात घंटे तक बैठक कर एक-एक चीजों पर चर्चा की। हमलोगों ने शुरूआती दौर में इसके लिए जो नियम-कानून बनाये हैं इसके अलावा लगातार अभियान भी चलाते रहे हैं। हमलोगों ने अलग-अलग समय पर नौ बार इसकी समीक्षा भी की है और जितनी बातें कही गयीं उन सब चीजों पर चर्चा की गयी। इसके बारे में हमने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि पूरे तौर पर आप काम करिए। लॉ एंड आर्डर और अपराध के खिलाफ जैसी कार्रवाई होती है उसी तरह इसपर भी पूरी सक्रियता के साथ कार्रवाई करनी है। इसके लिए फिर से व्यापक अभियान चलाएंगे।

मधुमेह की रोकथाम को लेकर सूबे में मरीजो की हो रही स्वास्थ्य जांचः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मधुमेह (डायबटीज) की रोकथाम के लिए सतत प्रयत्नशील है। मधुमेह रोगियों को उचित इलाज की सुविधा प्रदान हो और उन्हें मुफ्त सलाह दी जाए। स्वास्थ्य विभाग 14 नवंबर से सभी सरकारी अस्पतालों (एनसीडी क्लिनिक एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर समेत) में मुफ्त जांच सह चिकित्सा परामर्श शिविर लगा रहा है, जो 21 नवंबर तक चलेगा।

श्री पांडेय ने कहा कि मुफ्त जांच सह चिकित्सा परामर्श शिविर में अपने ड्रेस कोड में उपस्थित चिकित्सा दल के द्वारा मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि की स्क्रीनिंग कराकर आवश्यक औषधियां उपलब्ध करवाई जा रही है। इनसे बचाव के उपायों के साथ ही खान-पान संबंधित उचित सलाह दी जा रही है। शिविर के आयोजन के लिए निर्धारित तिथि के पूर्व से ही प्रभात फेरी, जागरुकता रैली, हैंडबिल वितरण, पोस्टर बैनर, माइकिंग की व्यवस्था की गयी थी।

जिलों के सभी अस्पताल परिसर में जीविका के कार्यालय पर एवं शहर के 10 अन्य उपयुक्त स्थलों पर मधुमेह से संबंधित होर्डिंग की व्यवस्था भी की गयी। इस दौरान मधुमेह होने से पूर्व की रोकथाम के उपाय व उनके कारणों व बचाव को प्रमुखता से बताया जा रहा है।

 श्री पांडेय ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से लोगों में इस बीमारी से सतर्क किया जा रहा है। हर जगह चिकित्सों की टीम लोगों को बीमारी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा उपाय बता रही है। उन्होंने कहा कि मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। सही खान-पान, व्यायाम एवं उचित किकित्सकीय सलाह से इससे बचा सकता है।

कृषि कानूनों पर माफी मांगी जाने पर आंदोलनकारी किसान ने कहा MSP लागू होने तक आन्दोलन जारी रहेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन तीन कृषि कानूनों पर माफी मांगी है, जिन पर सरकार एक साल से अधिक समय तक किसानों को उन्हें स्वीकार करने के लिए “समझाने में विफल” रही।

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं देश की जनता से सच्चे और नेक दिल से माफी मांगता हूं। हम किसानों को नहीं समझा पाए। हमारे प्रयासों में कुछ कमी रही होगी कि हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए।

पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा


पीएम मोदी की इस घोषणा के साथ ही सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाया है। किसान नेताओं का कहना है कि वे प्रधानमंत्री के बयान को अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा अभी नहीं की गई है।

किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे राकेश टिकैत का कहना है कि एक साल बाद में सरकार की समझ में किसान शब्द आया है, हम इसे अपनी जीत मान रहे हैं। सरकार से बातचीत का रास्ता खुला है। सरकार जब संसद में कानून लेकर जाएगी, वहां क्या होगा, ये मायने रखता है। MSP हमारा मुद्दा है। सरकार MSP गारंटी कानून लेकर आए। जब तक सभी मुद्दों पर समाधान नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।

वही इसको लेकर बिहार में भी सियासत चरम पर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीनों कृषि बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर कहा कि केंद्र सरकार का निर्णय पहले जो था वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था अब उन्होंने जो निर्णय लिया वह भी केंद्र सरकार का निर्णय था इसलिए इस पर बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।

कृषि कानून के रद्द होने पर नीतीश ने पीएम मोदी पर फोड़ा ठीकरा

वही लालू प्रसाद ने कहा कि विश्व के सबसे लंबे,शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई।पूँजीपरस्त अहंकारी सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।

राजद सासंद ने कृषि कानून के वापसी पर पीएम मोदी को लिया आड़े हाथ

तेजस्वी यादव ने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है। यह पूँजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है।विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूँजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया।आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है। बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी।भाजपाई उपचुनाव हारे तो इन्होंने पेट्रोल-डीज़ल पर दिखावटी ही सही लेकिन थोड़ा सा टैक्स कम किया।

कृषि बिल वापस लेने पर कांग्रेस नेता ने भी मोदी को लिया आड़े हाथ

उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड,पंजाब की हार के डर से तीनों काले कृषि क़ानून वापस लेने पड़ रहे है।विगत वर्ष 26 नवंबर से किसान आंदोलनरत थे। बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के तुरंत पश्चात किसानहित में हम किसानों के समर्थन में सड़कों पर थे।इसी दिन किसान विरोधी नीतीश-भाजपा ने गाँधी मैदान में इन कृषि कानूनों का विरोध एवं किसानों का समर्थन करने पर मुझ सहित हमारे अनेक वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया।अंततः सत्य और किसानों की जीत हुई।

मधुबनी की घटना दो संवैधानिक संस्थानों के बीच अहंकार का नतीजा है

जब दो संवैधानिक संस्था आपस में आमने सामने हो तो मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है ऐसे में रिपोर्टिंग करने में थोड़ी सावधानी बरतने की जरुरत है ।मधुबनी की घटना कुछ ऐसा ही है दोनों संस्थान अपने अंहकार में संस्थान के मर्यादाओं को तार तार करने में लगे हैं।

जज साहब ने जो लिख कर दिया उसके अनुसार पुलिस पर कार्रवाई हो गयी है दोनों पुलिस वाले जेल चले गये हैं, हाईकोर्ट जिनकी भूमिका अभिभावक की है क्यों कि पुलिस भी न्याय प्रणाली का ही हिस्सा है इसलिए हाईकोर्ट इस मामले में दोनों पक्ष को सूनने के बाद ऐसा निर्णय ले जिससे कि आगे इस तरह की घटनाए ना घटे

क्यों कि जिस जज के कार्यशैली को गलत मानते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें न्यायिक काम काज से अलग कर दिया था, उस जज के आरोप की पहले जांच होनी चाहिए थी क्यों कि जज साहब ने जो लिखित शिकायत किये हैं उसमें विवाद की जो वजह बताया है कि 16.11.21 को मुझे घोघरडीहा थानाध्यक्ष के खिलाफ घोघरडीहा प्रखंड की भोलीराही निवासी उषा देवी ने मुझे बीते मंगलवार को एक आवेदन दिया। जिसमें पीड़ित ने बताया था कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष ने उसके पति, ननद, वृद्ध सास व ससुर को झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया है। साथ ही, पति के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत की।

शिकायत मिलने के बाद मैंने सत्यता जानने के लिए 16.11.21 को ही थानाध्यक्ष को पक्ष रखने की सूचना फोन पर दी। लेकिन, थानाध्यक्ष आने से टालमटोल करते रहे। इसके बाद थानाध्यक्ष को गुरुवार को 11 बजे आने का समय दिया गया। थानाध्यक्ष निर्धारित समय पर न आकर दोपहर 2 बजे मेरे चैंबर में पहुंचे। चैंबर में प्रवेश करते ही थानाध्यक्ष ऊंची आवाज में बात करने लगा। जब हमने शांति से बात करने को कहा तो उसने कहा कि हम इसी अंदाज में बात करेंगे। क्योंकि यही मेरा अंदाज है। इसी बीच थानाध्यक्ष ने गाली-गलौज शुरू करते हुए कहा कि तुम मेरे बॉस (एसपी साहब) को नोटिस देकर कोर्ट बुलाते हो।आज तुम्हारी औकात बता देता हूं।

जज साहब को हाईकोर्ट ने उनके अटपटे फैसले की वजह से न्याययिक कार्य से अलग कर दिया है तो जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मधुबनी जिला जज ने लोकअदालत से जुड़े कार्यों को देखने का उन्हें जिम्मा दिया है ,ऐसे में किसी महिला द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में थाना अध्यक्ष को फोन करके बुलाने का अधिकार इनको किस न्याययिक अधिकार के तहत मिल गया ,इसका जबाव तो देना पड़ेगा ना क्यों कि यह खुद आवेदन में लिख रहे हैं कि बार बार बुलाने के बावजूद थाना प्रभारी उनके कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे थे ।

किसी भी मामले में कोर्ट को लगता है कि थाना अध्यक्ष को कोर्ट में पेश होना चाहिए तो इसके लिए एक वैधानिक प्रावधान बना हुआ है कोर्ट एसपी को लिखता है अगर एसपी थाना अध्यक्ष को कोर्ट में उपस्थिति होने का निर्देश नहीं देता है तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डीजीपी कार्यालय में गठित सेल को सूचना देना है जिसका काम ही यही है कि अगर कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है तो उनका अनुपालन सुनिश्चित कराये ऐसे में जज सहाब जिस तरीके से अधिकारियों को बार बार कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश जारी कर रहे थे यह अधिकार उनको है क्या ।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का इसको लेकर स्पष्ट आदेश है फिर जज साहब लगातार उस आदेश को नजरअंदाज क्यों कर रहे थे कई ऐसे सवाल है जो जज साहब के प्राथमिकी से ही स्पष्ट हो रहा है एसपी को क्यों वो बार बार कोर्ट में बुला रहे थे उनको एसपी को कोर्ट में बुलाने का कोई वाजिब वजह था क्या उनको तो अधिकार भी नहीं है ऐसे कई सवाल है जिस पर पूरी जुडिशरी को सोचना चाहिए बस यह कि हम सुप्रीम है इससे दोनों संस्थानों के बीच तनाव बढ़ेगा ।

कोरोना की वजह से इस बार भी सोनपुर मेला का आयोजन नहीं होगा

हरिहरक्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा
आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक माह तक चलने वाले बिहार के विश्वप्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र मेले या सोनपुर मेले की शुरुआत होती है। हालांकि कोविड के चलते सरकार द्वारा इस साल भी मेले की अनुमति नहीं दी गई है, मगर कोविड प्रोटोकॉल के तहत यहां श्रद्धालुओं को गंगा और गंडक नदियों में स्नान और हरिहरनाथ मंदिर में पूजा करने की अनुमति है। फलतः नदियों के किनारे और हरिहरनाथ मंदिर में जुटी साधु-संतों और आम श्रद्धालुओं की भीड़ ने यहां मेले जैसा दृश्य तो उपस्थित कर ही दिया है।

इस मेले के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में यहां गंडक के तट पर गज और ग्राह के बीच लंबी लड़ाई चली थी। गज की फ़रियाद पर विष्णु या हरि और शिव या हर ने बीच-बचाव कर इस लड़ाई का अंत कराया था। कथा प्रतीकात्मक है। प्राचीन भारत वैष्णवों और शैव भक्तों के बीच सदियों तक चलने वाली लड़ाई का साक्षी रहा था। अपने आराध्यों की श्रेष्ठता स्थापित करने के इस संघर्ष ने हजारों लोगों की बलि ली थी। इसकी समाप्ति के लिए गुप्त वंश के शासन काल में कार्तिक पूर्णिमा को वैष्णव और शैव आचार्यों का एक विराट सम्मेलन सोनपुर के गंडक तट पर आयोजित किया गया। यह सम्मेलन दोनों संप्रदायों के बीच समन्वय की विराट कोशिश साबित हुई जिसमें विष्णु और शिव दोनों को ईश्वर के ही दो रूप मानकर विवाद का सदा के लिए अंत कर दिया गया। उसी दिन की स्मृति में यहां पहली बार विष्णु और शिव की संयुक्त मूर्तियों के साथ हरिहर नाथ मंदिर की स्थापना हुई थी। उसी काल में यहां एशिया के सबसे बड़े पशु मेले की भी शुरुआत हुई थी जिसने कालांतर में एक बड़े व्यावसायिक मेले का भी रूप धर लिया।

पिछले लगभग डेढ़ हजार सालों से हरिहरक्षेत्र मेला एक ऐसी जगह रही है जहां ग्रामीण बिहार की सभ्यता और संस्कृति को निकट से देखा, जाना और महसूस किया जा सकता है।

शहाबुद्दीन के दामाद बेटी का रिसेप्शन आज

मोतिहारी —
शहाबुद्दीन के दामाद शादमान के ज्ञानबाबू चौक स्थित घर रानीकोठी में आज वलीमा (रिसेप्शन) है। जिसे लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। समारोह में पटना, सीवान, मुजफ्फरपुर, बेतिया, बगहा सहित विभिन्न जगहों से रिश्तेदारों सहित अन्य मेहमानों के आने का सिलसिला जारी है।

रिसेप्शन समारोह के लिए शादमान के पिता इफ्तेखार अहमद सह साहब के घर रानीकोठी में भव्य पंडाल बनाया गया। जहां पंडालों को कई तरह की आकर्षक डिजाइन देकर सजाया गया। जिससे पंडालों की खूबसूरती देखते बन रही है।

बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एंप्लॉय फेडरेशन के द्वारा 9 सूत्री मांगों को लेकर दिया धरना

बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एंप्लॉय फेडरेशन के द्वारा अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर बिहार सरकार के परिवहन निगम कार्यालय के मुख्य द्वार के बाहर एक दिवसीय धरना देकर सरकार और प्रशासनिक अधिकारी परिवहन निगम के खिलाफ नाराजगी जाहिर की बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन इंप्लाइज फेडरेशन के सचिव विश्वजीत कार्यकारी अध्यक्ष गजनबी नवाब महासचिव अजय कुमार समेत बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया इस मौके पर संगठन के महासचिव अजय कुमार ने बताया बिहार राज्य पथ परिवहन निगम राज्य सरकार का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी उपक्रम है केंद्रीय कानून के तहत वर्ष 1959 में संवैधानिक दायित्व के तहत राज्य सरकार ने परिवहन निगम की स्थापना की थी

लेकिन राज सरकार की निगम विरोधी और निजी बस मालिक पक्षी नीति अपनाने के वजह से आज परिवहन निगम के हालात काफी खराब हो चुके हैं समय-समय पर निगम बस बेड़े में नई गाड़ियां जोड़ने और नई नियुक्ति करने के बजाए पीपीपी मोड पर निजी बस परिचालकों को राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निगम परमिट प्राप्त कर निजी बस मालिक पक्षी नीति चला रही है

,,,, निगम के कर्मचारियों पर राज सरकार और निगम प्रबंधन का हमला इसके बाद तेज हो गया है मजदूरों पर दमन उत्पीड़न बेतहाशा बढ़ गया है वेतन मानदेय सेवा शर्तों में कटौती की जा रही है मेहनत मजदूरी करने वालों की हालात बद से बदतर होती जा रही है श्रम कानून में मालिक पक्षीय सुधार के जरिए जहां एक और मालिकों को नौकरी पर रखने एवं उसे बाहर करने की छूट दी जा रही है

वही ट्रेड यूनियन के गतिविधियों पर तरह तरह की पाबंदियां लगाई जा रही है अस्थाई नियुक्ति के स्थान पर ठेका प्रथा बाहर की एजेंसियो से कार्य लीला अस्थाई एवं दैनिक मजदूरी के जरिए मजदूरों का भयंकर शोषण हो रहा है,,,, वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट कौन वर्ष 2017 में पटना उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य में समान काम का समान वेतन देना होगा भारत सरकार और सरकार द्वारा निर्धारित ₹18000 मासिक मंजूरी होगी उससे कम किसी भी हालात में वेतन देना मंजूर नहीं होगा पद और योग्यता के अनुरूप इससे उनका वेतन निर्धारित की जानी चाहिए,,,

परिवहन निगम के कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों का विशेषण और दो हट गया है 31 मार्च 2017 के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जवान तलाव का भुगतान भी निगम ने नहीं किया राज्य सरकार से 7 वर्ष पूर्व राशि प्राप्त होने के बावजूद निगम ने उपलब्ध राशि से से वार्तालाप का भुगतान नहीं करना निगम प्रबंधन का सेवानिवृत्त कर्मचारियों विरोधी मानसिकता का परिचायक है केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत मंगाई भर्ती की लंबित दोस्तों को कर्मचारियों के वेतन में जोड़ने का आदेश निर्गत नहीं करना प्रबंधन का कुरुर मानसिकता है

संविदा पर बहाल कर्मचारी पदाधिकारियों से बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार किया जा रहा है पद और योग्यता के अनुरूप वेतन नहीं देकर आल्सो वेतन पर कार्य करने हेतु मजबूर किया जा रहा है अवकाश के दिनों में मनमाने तरीके से बिना किसी क्षतिपूर्ति का बराबर कार्यालय खोलकर कार्य करने को मजबूर किया जा रहा है

इस संदर्भ में पूर्व में भी निगम कर्मचारियों द्वारा अपने ज्वलंत समस्याओं के निराकरण हेतु निगम प्रशासक को पत्रांक संख्या 115 दिनांक 20 अक्टूबर 2021 एवं विकलांग संख्या 105 2 अक्टूबर 2021 के माध्यम से मांग की गई थी और प्रबंधन से द्विपक्षीय वार्ता मांग की पूर्ति हेतु अनुरोध किया गया था लेकिन अब तक प्रबंधन द्वारा इस पर किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया गया है प्रबंधन का यह रवैया निगम विरोधी निगम कर्मी विरोधी मानसिकता का परिचायक है यूनियन के द्वारा सरकार और निगम प्रबंधन के समक्ष उठाई गई मांगे

1 पूर्व के हड़ताल के दौरान संपन्न द्विपक्षीय समझौता की कंडिका तीन लागू की जाए

2 वेतन विसंगति के बकाए राशि का अविलंब भुगतान किया जाए

3 महंगाई भत्ते की किस्त को तत्काल निगम कर्मी के वेतन में जोड़ा जाए

4 समान काम का समान मंजूरी दी जाए

5 आउटसोर्सिंग और ठेका पर बहाली तथा मजदूरों का शोषण और दोहन करने की प्रथा है इसलिए इस पर बहाल सभी कर्मी को सेवा नियमित की जाए

6 संविदा, दैनिक वेतन मजदूरी , पचोर से मजदूर को न्यूनतम ₹21000 मासिक वेतन भुगतान किया जाए

7 निगम के अस्तित्व को बचाने के लिए 500 नई बसें क्रय कर निगम के बेड़े में जोड़ा जाए

8 निगम के बसों के अनुपात में शीघ्र कर्मचारी पदाधिकारियों के स्थाई नियुक्ति की जाए

9 निगम में कार्यरत कर्मचारी पदाधिकारियों को योग्यता एवं पद के अनुरूप वेतन तथा श्रम कानून के तहत सुविधा मुहैया कराई जाए

नीतीश जी मुझसे इतना ही घ्रृणा है तो मुझे गोली मारवा दें नहीं तो जेल के अंदर खाने में जहर मिला दें–आनंद मोहन

सहरसा: — जी.कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) सहरसा कोर्ट में पेशी के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुझसे इतना घ्रृणा है तो मुझे गोली मार दें या नहीं तो जेल के अंदर खाने में जहर मिला दें.”क्यों सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नजर अंदाज कर रहे हैं ।

आजीवन कारावास के 14 साल बीत जाने के साढ़े पांच महीने के बाद भी उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जा रहा है वही बदले की भावना से जेल के वार्ड में छापामारी कराकर चार मोबाईल की बरामदगी दिखाकर मुझे बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं.”

नियम-कानून सभी के लिए एक

उन्होंने कहा, ” बीते 23 अक्टूबर की देर शाम जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में मंडल कारा में औचक छापेमारी की गई थी. यह बदले की भावना और राजनीतिक साजिश के तहत की गई थी. इस दौरान मुझे बदनाम करने और मानसिक यातना पहुंचाने का पूरा प्रयास किया गया. लेकिन नियम, कानून और संविधान से सभी बंधे हैं. जेल एक संस्था है, सराय नहीं जहां कोई भी मुंह उठाकर चले जाए. तलाशी के दौरान वरीय पदाधिकारी बाहर मौजूद थे जबकि डीएसपी और एसडीओ ने जेल में छापामारी की थी. “
नीतीश कुमार पर साधा निशाना

पूर्व सांसद ने कहा, ” कायदे से जेल अधीक्षक छुट्टी में थे. लेकिन उनके ही आवेदन पर उन पर मामला दर्ज किया गया है. उनके पास चार मोबाइल दिखाए गए, जो सरासर झूठ है

कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ः मंगल पांडेय

कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने
वालों को ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वाले जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के डॉक्टर, नर्स समेत इससे जुड़े समाजसेवियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा समारोह आयोजित कर ‘जश्न-ए-टीका पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा रहा है।

टीकाकरण में उत्कृष्ट लोगों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में जहां कोरोना जांच और टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है, वहीं टीकाकरण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भी सम्मानित किया जा रहा है।


श्री पांडेय ने कहा कि इसके तहत पहले चरण में 4 अक्टूबर को विभाग द्वारा जश्न-ए-टीका पुरस्कार समारोह आयोजित कर टीकाकरण में अह्म योगदान देने वाले पदाधिकारियों और टीकाकरण में सहयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। सरकार के संकल्पित लक्ष्य पूरा होने के बाद पुरस्कार समारोह आयोजित कर टीकाकरण कार्य में सहयोग करने वाले सम्मानित किए जाएंगे। वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में डॉक्टर, नर्स के साथ साथ बड़ी संख्या में आमलोगों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

ऐसे लोगों के योगदान को उल्लेख करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जश्न ए पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इस पोर्टल पर कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण कार्य को सफल बनाने में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उत्कृष्ट योगदान देने वालों के कार्य प्रविष्ट की गई, ताकि दूसरे लोगों उनके कार्य और प्रयास को जान सकें।

श्री पांडेय ने कहा कि विभाग द्वारा कोरोना टीका का प्रथम डोज और दूसरी डोज लगवाने में सामूहिक और व्यक्तिगत तौर पर उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोग सम्मानित किए जा रहे हैं। इस तरह के आयोजन से अन्य लोगों में भी सेवा की भावना जागृत होगी, जिससे कोरोना से बचाव के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी।

झंझारपुर कोर्ट में जज और पुलिस वाले आपस में भीड़े थाना अध्यक्ष गिरफ्तार

झंझारपुर एडीजे कोर्ट के जज पर हमला ।।
थाना के एसएचओ और दरोगा ने की मारपीट।।
झंझारपुर एडीजे कोर्ट के जज अविनाश कुमार प्रथम पर घोघरडीहा थाना के SHO गोपाल कृष्ण और एक सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु शर्मा के द्वारा मारपीट करने कि खबर आ रही है ।

जज पर पुलिस वाला कोर्ट में ही ताना पिस्टल

इस हमले में ADJ अविनाश कुमार प्रथम घायल हो गए ।हमले की जानकारी पाकर कोर्ट के सभी कर्मी ADJ के चेंबर में दौड़े और दोनों को पकड़ लिया । ADJ की ओर से बताया गया कि सब इंस्पेक्टर ने उन पर पिस्टल तान दिया और एसएचओ ने उनके साथ मारपीट की जिसके बाद एसएचओ और एसआई को कोर्ट के कर्मियों ने बंधक बना लिया है एसपी सहित भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद है ।

न्याय व्यवस्था पर हमला है


इस बीच एसएचओ गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है । बताया जाता है कि एडीजे प्रथम अविनाश कुमार लोक अदालत के अध्यक्ष हैं और घोघरडीहा थाना क्षेत्र की किसी महिला के द्वारा लोक अदालत में आवेदन दिया गया था एसएचओ गोपाल कृष्ण और अभिमन्यु शर्मा को कोर्ट में समय पर नहीं पहुंचने पर ADJ ने जब फटकार लगाई तो उसके बाद इस तरह की घटना घटी है।

संपतचक बैरिया कचड़ा प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट ने पटना के संपतचक बैरिया में स्थापित किये जाने वाले कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट (वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट ) को हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुरेश प्रसाद यादव व अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीप्रकाश श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जवाबी हलफनामा से यह प्रतीत होता है कि बगैर किसी भी प्रक्रिया का पालन करते हुए संपतचक बैरिया की जनता को गंभीर प्रदूषण झेलने के लिए छोड़ दिया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए बिहार स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की सहमति भी नहीं लिया गया है।
जिसकी वजह से एक ओर वायु प्रदूषण फैल रहा है, तो दूसरी ओर कृषि योग्य भूमि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

याचिका में यह प्रश्न उठाया गया कि किस कानूनी अधिकार के तहत पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाले इस जगह का चयन कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए किया गया है ? यह भी कहा गया कि कृषि भूमि पर स्थापित किये जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए बैरिया कर्णपुरा पंचायत राज से किसी भी प्रकार की अनुमति ली गई है ?

नगर विकास व आवास विभाग के कमिश्नर, बिहार स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड व पटना नगर निगम से स्पष्टीकरण पूछने सह शो – कॉज करने का आग्रह भी इस याचिका में किया गया है।

प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किये जाने के पूर्व पंचायत राज बैरिया के ग्राम सभा द्वारा एक बैठक भी 29 दिसंबर, 2006 को बुलाई गई थी, जिसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध किया गया था।
इस मामले पर आगे भी सुनवाई होगी।

पत्रकार अविनाश हत्याकांड मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने लिया स्वत संज्ञान

पत्रकार अविनाश झा हत्या मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब किया है इस संबंध में राज्य के डीजीपी मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब किया है।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्रकार अविनाश हत्याकांड मामले में लिया संज्ञान

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि मधुबनी के पत्रकार अविनाश झा की संदिग्ध स्थिति में मौत की खबर आ रहा है यह बहुत ही दुखद घटना है ।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के स्वत संज्ञान लेने की खबर के बाद पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे मामले से जुड़े तथ्यों से एसपी मधुबनी को अवगत कराने का निर्देश दिया है साथ ही आईजी दरभंगा को पूरे मामले की जांच का आदेश डीजीपी द्वारा जारी किया गया है ।

पंचायत चुनाव में बैंककर्मियों के उपयोग पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पंचायती राज संस्थानों में कराए जा रहे पंचायत आम निर्वाचन 2021 के चुनाव कार्य मे बैंककर्मियों के साथ साथ केंद्रीय बोर्ड व निगम सहित पब्लिक सेक्टर में कार्यरत कर्मी को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किए जाने के मामलें पर सुनवाई की।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ साथ राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार से जबाब तलब किया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा बैंक कर्मियों को चुनाव कार्य मे लगाए जाने संबंधी चुनाव आयोग के अधिसूचना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी (पंचायत)- सह- जिला पदाधिकारी पटना के द्वारा दिनांक 12 अगस्त 2021 को चीफ मैनेजर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मुख्य कार्यालय पटना को लिखे उस पत्र को चुनौती दी है।

इसके माध्यम से पटना में कार्यरत सभी पदाधिकारियों एवम कर्मियों को चुनाव कार्य मे लगाए जाने के लिये नाम पद एवं उनका मोबाइल नंबर माँगा था, ताकि चुनाव कार्य के लिये उनका डाटा बेस तैयार किया जा सके।

कोर्ट को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि इससे बैंक का कार्य प्रभावित होता है।
एसबीआई पटना सर्किल ( बिहार व झारखंड क्षेत्र ) के अफसरों के संघ के महासचिव व अन्य अधिकारियों की तरफ से दायर इस याचिका में बिहार पंचायती राज कानून की संशोधित धारा 125 की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी है।

इस धारा के तहत चुनाव ड्यूटी पर तैनात करने हेतु बैंक कर्मियों को भी राज्य सरकार के कर्मियों के समतुल्य माना गया है।
इस मामले पर फिर अगली सुनवाई 22 दिसम्बर को फिर होगी।

मुख्यमंत्री ने पटना म्युजियम और बिहार म्युजियम का किया भ्रमण

मुख्यमंत्री ने पटना म्युजियम और बिहार म्युजियम का किया भ्रमण, नये प्रस्तावित बस अड्डा के निर्माण को लेकर विभिन्न स्थलों का किया निरीक्षण

पटना, 17 नवम्बर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज पटना म्युजियम का भ्रमण कर वहां चलाए जा रहे अपग्रेडेशन एवं एक्सटेंशन कार्यों की जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पटना म्युजियम के ग्राउंड प्लान, पटना म्यूजियम सब-वे लेबल प्लान तथा पटना म्यूजियम एवं बिहार म्युजियम की अंडरग्राउंड कनेक्टिविटी को लेकर प्रस्तावित सब–वे की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने पटना म्युजियम एवं बिहार म्युजियम को जोड़ने वाले अंडरग्राउंड टनल (पाथ) बनाने की योजना की विस्तृत जानकारी ली और निर्माण कार्य को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुये कहा बड़ी संख्या में लोग पटना म्युजियम एवं बिहार म्युजियम आते हैं और आगे भी आयेंगे। इसे ध्यान में रखते हुये यहां पार्किंग की समुचित व्यवस्था करें ताकि यहां आने वाले लोगों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो।

पटना म्युजियम का सीएम ने किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि पाटलिपुत्र एक ऐतिहासिक स्थल है। पुरातात्विक दृष्टिकोण से पटना म्युजियम का यह स्थल काफी महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण से पटना म्युजियम के एक हिस्से में खुदाई कराना आवश्यक है। ताकि पुरातात्विक अवशेषों की प्राप्ति से यहां के इतिहास के बारे में और विशेष जानकारी मिल सकेगी।

मुख्यमंत्री ने पटना म्युजियम भ्रमण के उपरांत बिहार म्युजियम का भी निरीक्षण किया और पटना म्युजियम एवं बिहार म्युजियम को जोड़ने वाले अंडरग्राउंड पाथ के निर्माण कार्य को लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने पटना म्युजियम एवं बिहार म्युजियम के भ्रमण के पश्चात् नये प्रस्तावित बस अड्डे के निर्माण हेतु फुलवारीशरीफ के मुरादपुर, बिहटा के नेउरा तथा कन्हौली में स्थल निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव पथ निर्माण श्री प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव श्री आनंद किशोर, प्रमंडलीय आयुक्त श्री संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, कला-संस्कृति एवं युवा विभाग की सचिव श्रीमती बंदना प्रेयसी, भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि, अपर सचिव कला संस्कृति एवं युवा विभाग श्री दीपक आनंद, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री उपेंद्र शर्मा सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।

फुलवारीशरीफ कब्रिस्तान को अतिक्रमण से मुक्त कराने का निर्देश

पटना हाईकोर्ट ने फुलवारीशरीफ के टमटम पड़ाव स्थित वक्फ बोर्ड की भूमि पर बने मजार और कब्रिस्तान पर हुए अतिक्रमण की जांच कर उसे अतिक्रमण से मुक्त कराने का निर्देश डी एम, पटना को दिया। मंसूर आलम द्वारा दायर किये गए जनहित याचिका जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि फुलवारीशरीफ में टमटम पड़ाव के पास 3.5 एकड़ में सुन्नी वक्फ का काफी समय से कब्रिस्तान है।यह मिनहाज रहमातुल्लाह अल्लाएह मजार और बाबा मखदूम साहेब मजार के नाम से जाना जाता है।

इस भूमि को सुल्तान मियां नामक व्यक्ति द्वारा अतिक्रमित कर लिया गया है।अतिक्रमणकारी द्वारा इस कब्रिस्तान के भूमि पर अवैध रूप से दुकान का निर्माण भी किये जाने लगा है।

कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा अतिक्रमण करने वाले जमीन माफिया के विरुद्ध कार्रवाई करने को लेकर राज्य के मुख्य मंत्री को एक आवेदन भी 25 सितंबर, 2020 को दिया गया।

साथ ही याचिकाकर्ता ने संयुक्त आवेदन पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, फुलवारीशरीफ के डी एस पी व एस एच ओ को भी दिया, जिसकी प्रति राज्य के डी जी पी, फुलवारीशरीफ के सी ओ व राज्य के गृह सचिव को भी भेजा गया, लेकिन अबतक अतिक्रमण हटाने के लिए को प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नही की गई। कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर उक्त आदेश देने के बाद मामले को निष्पादित कर दिया।

पटना हाईकोर्ट ने सेकेंड्री स्कूल हेडमास्टर के नियुक्ति के लिए बनी नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका को किया स्वीकार

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में सीनियर सेकेंड्री स्कूल हेडमास्टर के नियुक्ति के लिए बनी नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है । टेट/एस टेट उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ की रिट याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते में जवाब देने का आदेश दिया

हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में इस नियमावली के तहत हो रही नियुक्तियां इस याचिका में पारित फैसले पर निर्भर करेगा ।

याचिकाकर्ता के वकील कुमार शानू ने कोर्ट को बताया कि 18 अगस्त 2021 को अधिसूचित हुई बिहार राज्य उच्चतर माध्यमिक स्कूल हेडमास्टर नियमावली में हेडमास्टर की नियुक्ति की शर्ते परस्पर विरोधी हैं । एक ओर 2012 नियमावली के तहत टी ई टी परीक्षा पास करना अनिवार्य है ,वही दूसरी ओर शैक्षणिक कार्य अनुभव को न्यूनतम 10 साल रखा गया है ।

इसमें मुश्किल ये हैं कि 2012 की नियमावली के तहत टीईटी परीक्षा को पास कर अधिकांश अभ्यर्थी 2014 में शिक्षक बने । इसलिए टीईटी पास शिक्षकों का न्यूनतम कार्य अनुभव 10 साल तक का नही हो पाया ।
इस कारण हेडमास्टर बहाली में मनमानी हो रही है।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के आरोपों पर सरकार को जवाब देने के लिए चार सप्ताह की मोहलत दिया है।इस मामले पर
अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी ।

शिक्षा माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई मगध विश्वविधालय के कुलपति के ठीकाने पर चल रहा रेड

बिहार में स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) ने बुधवार को बोध गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर छापेमारी की। कुलपति के ऑफिस के साथ-साथ घर को खंगाला जा रहा है। इस बात की पुष्टि स्पेशल विजिलेंस यूनिट ADG नैयर हसनैन खान ने की है।

कुलपति के कार्यालय में चल रहा है छापामारी

कुलपति पर रुपए की हेराफेरी का आरोप है। इसमें कुलपति अकेले नहीं हैं। कुलपति के PA सुबोध कुमार, आरा स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल ऑफिसर ओम प्रकाश, पटना स्थित पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार और लखनऊ के मेसर्स पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट व मेसर्स एक्सलिकट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक शामिल हैं।

ADG के मुताबिक, इन सभी के खिलाफ 16 नवंबर को SVU ने IPC की धारा 120B, 420, R/W की धारा 12 के सेक्शन 13(2) & 13(B) और PC एक्ट 1988 के तहत FIR दर्ज की गई। फिर स्पेशल विजिलेंस कोर्ट से कुलपति के ठिकानों पर छापेमारी करने और वहां की जांच करने के लिए सर्च वारंट मांगा। इसे कोर्ट ने जारी कर दिया। इसके बाद बुधवार सुबह छापेमारी की गई।

मधुबनी पत्रकार हत्याकांड ने खड़े किये कई सवाल

पत्रकार अविनाश झा हत्याकांड मामले में पुलिस प्रशासन क्या कर रही है इस पर मेरी भी नजर है और अविनाश को न्याय कैसे मिले इसको लेकर राज्य के सीनियर अधिकारियों से भी लगातार संपर्क में है आईजी दरभंगा को देखने का निर्देश पुलिस मुख्यालय की और से दिया गया है।

जो जानकारी मिल रही है अविनाश मधुबनी जिले में चल रहे अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ अभियान चला रखा था और उसी वजह से उसकी हत्या हुई है ऐसा परिवार के लोगों का कहना है ।

वजह जो भी रहा हो लेकिन इस तरह के सार्वजनिक हितों से जुड़े मामले में झूठे मुकदमे में फंसाने से लेकर हत्या तक की घटनाए आम होती जा रही है वही इस तरह के व्हिसल ब्लोअर के संरक्षण के लिए जो कानून बनाये गये वो अब निष्प्रभावी होते जा रहा है। वजह भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों को सरकार ,न्यायपालिका और मीडिया से जो पहले संरक्षण मिलता था वो अब नहीं मिल रहा है मीडिया का हाल क्या कहना है शहाबुद्दीन की बेटी की शादी में व्यस्त है, रहे भी क्यों नहीं सबसे अधिक इसी तरह के खबर को लोग पढ़ते हैं ।

वही पुलिस और प्रशासन का हाल यह है कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है तो आवाज उठाने वालो पर ही पुलिस कार्रवाई करनी शुरु कर देती है, पहले ये सब थाना स्तर पर होता था लेकिन अब यह सब डीएम और एसपी के स्तर पर होने लगा है ऐसे में आप किससे न्याय की उम्मीद करते हैं ।

कोर्ट का हाल आप देख ही रहे हैं याद है या भुल गये पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में रिपोर्ट करने पर रोक लगा दिया था ।ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इस भ्रष्ट व्यवस्था से कैसे लड़ा जाये ,मैं अपने अनुभव के आधार पर कुछ बाते कहना चाहता हूं भारत में लोकतंत्र के अंदर जो व्यवस्था है आप उन्ही के सहारे लड़ाई लड़ सकते हैं ।

1970 के दशक में हमारे कुछ उत्साही नौजवान बंदूक के सहारे व्यवस्था बदलने की सोच को लेकर नक्सल आंदोलन की शुरुआत किये भले ही आज यह आंदोलन एक अपराधी गैंग के हाथों सिमट कर रह गया है लेकिन इस आंदोलन ने सिस्टम को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाने के लिए जरुर मजबूर किया लेकिन हिंसा आधारित आन्दोलन का जो हश्र होता है वही हश्र नक्सल आंदोलन का भी हुआ ।

दूसरा विकल्प गांधीवाद है उसके लिए आपके अंदर नैतिक बल होना चाहिए साथ ही जेल जाने के डर से बाहर निकलना पड़ेगा आज ना तो इसके लिए समाज तैयार है ना ही हमारी युवा पीढ़ी ।सोशल मीडिया के आने से थोड़ी उम्मीद जगी थी लेकिन भाई साहब लोग इसको भी गर्त में पहुंचा दिये आज हर गांव में एक सोशल मीडिया से जुड़े लोग मिल जायेंगे जो सुबह से शाम तक मिड डे मील की जांच करने स्कूल स्कूल में घूमता रहता है , बात नहीं बनी तो फिर जनवितरण प्रणाली के दुकान पर चला जाता है, इससे भी बात नहीं बनी तो अस्पताल पहुंच जाता है और दिन भर में सौ दो सौ करते करते एक हजार रुपया तक उगाही कर लेता है ।

यही चल रहा है बिहार में हाल ही छपरा से एक सीनियर पुलिस अधिकारी का फोन आया संतोष जी सामने एक लड़का बैठा है कह रहा है कि मैं पटना के एक पोर्टल का संपादक हूं देखिए कैसे ये जनाब एक गरीब का फसा दिया है। हुआ ऐसा कि संपादक महोदय कुछ दिन पहले छपरा गये थे और एक चप्पल बनाने वाले कारोबारी को ऑर्डर दिया कि इस नाम से एक हजार हवाई चप्पल बना दो और इसके लिए एडभान्स के रूप में 5 हजार रुपया भी दे दिया, जिस दिन चप्पल लेने के लिए वो कारोबारी फोन किया उस दिन संपादक महोदय उस कंपनी के बिहार हेड को लेकर छपरा पहुंचे और थाने में बड़े ब्रांड का नकली समान बनाने का आरोप लगाते हुए केस करवा दिया ।

पुलिस उस कारोबारी के घर छापा मारा तो ब्रांडेड कंपनी का नकली चप्पल उसके घर से बरामद हुआ पुलिस वहां काम करने वाला जो भी कारीगर था सबको पकड़ कर थाने ले आया पुलिस के लिए ये बड़ी उपलब्धि थी इसलिए पूछताछ के लिए सीनियर अधिकारी भी थाने पहुंच गये इस बीच संपादक महोदय पुलिस की कार्रवाई का लाइव रिपोर्टिंग करते रहे।

सीनियर अधिकारी जब थाना पहुंचा तो पूछताछ में पता चला कि चप्पल कारोबारी कानपुर के चप्पल बनाने वाली कंपनी में काम करता था लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गया तो छपरा लौट आये और यहां आकर चप्पल बनाना जानते थे ही ,यही घर पर छोटा सा फैक्ट्री बैठा कर चप्पल बनाते हैं और गांव गांव घूम कर बेचते हैं ये मेरा भतीजा है जो साथ कानपुर में काम करता था।

ये जो मोबाइल चला रहे हैं वहीं आये हुए थे एक माह पहले मुझे एक नाम दिये और पांच हजार एडभान्स दिये और बोले जो एक हजार पीस चप्पल इस नाम से बना दो मैंने बना करके फोन कर दिये फिर ये घटना घटी है ।

पुलिस जब कंपनी वाले से पूछा तो पता चला ब्रांडेड कंपनी इस तरह जो नकली सामान बेचता है उसको पकड़ने पर कंपनी पकड़वाने वाले व्यक्ति को अच्छा खासा पैसा देता है, संपादक महोदय मीडिया के आर में यही धंधा चला रहा है ।

कभी सूने हैं पत्रकार को भी जिला बदर किया जाता है नहीं ना सूने हैं तो सुन लीजिए यह घटना दरभंगा का है जहां एक राष्ट्रीय चैनल के पत्रकार को डीएम जिला बदर कर दिया इसलिए कि वो रोज एफसीआई गोदाम पहुंच कर उगाही करना चाह रहे थे।

यही हाल सूचना का अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले अधिकांश आरटीआई कार्यकर्ता का हर पंचायत में आपको दो चार मिल जाएगा जिसका दिन भर काम यही है सूचना मांगना और पैसा लेना और यही वजह है कि यह कानून ही निष्प्रभावी हो गया ।ऐसे में समाज भी तय नहीं पा रही है कि असली कौन है और नकली कौन है और इसी का फायदा सिस्टम उठा रहा है ।

ऐसे में भ्रष्टाचार और जुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए संगठित होने कि जरूरत है आज हो क्या रहा है भ्रष्टाचार और गलत काम करने वालो को बचाने के लिए सारा चोर एक साथ खड़ा हो जा रहा है लेकिन सही के लिए लड़ाई लड़ने वाले अक्सर अकेले पड़ जाता है ।

हाईकोर्ट ने पूर्वी चम्पारण के केसरिया ज़िला परिषद के चुनाव में उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि के समक्ष मतगणना नहीं होने के मामले पर की सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने पूर्व चम्पारण के केसरिया ज़िला परिषद के चुनाव में उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि के समक्ष मतगणना नहीं होने के मामले पर सुनवाई की।हेमंत कुमार की जनहित याचिका पर जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को मतगणना के समय वीडिओ और सीसीटीवी फुटेज की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।
इस जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया कि चुनाव के बाद हुए मतगणना के दौरान न तो उम्मीदवार उपस्थित थे और न ही उनके प्रतिनिधि।मतगणना उनके अनुपस्थिति में हुआ और बाद में एक चार्ट में मतगणना का परिणाम दे दिया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया गया कि चुनाव के बाद मतगणना नियमानुकूल हुई।इसमें किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई।साथ ही सारी मतगणना प्रक्रिया का वीडिओ और सीसीटीवी फुटेज मौजूद है।

इस पर कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि मतगणना से सम्बंधित वीडिओ और सीसी टीवी फुटेज की जांच व् परीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करें।इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया।