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बिहार का पहला धूप घड़ी पर चोरों ने किया हाथ साफ 1871 में लगी थी घड़ी

बिहार के रोहतास जिले के डेहरी शहर में 1871 में स्थापित बिहार का पहला ऐतिहासिक धूप घड़ी को मंगलवार रात चोर उखाड़ कर ले गए। बुधवार सुबह जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकले तो कुछ लोगों की नजर धूप घड़ी पर पड़ी, तो देखा कि धूप घड़ी की धातु की प्लेट वहां से गायब है।

लोगों ने इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंच इसकी जांच कर रही है। डेहरी ऑन सोन के एनीकट रोड में आज भी लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी धूप घड़ी का उपयोग उस रास्ते से आने-जाने वाले लोग समय देखने के लिए करते थे। जिस तरह कोणार्क मंदिर के पहिए सूर्य की रोशनी से सही समय बताते हैं। ठीक उसी प्रकार यह धूप घड़ी भी काम करती थी।
1871 में स्थापित की गई थी धूप घड़ी

1871 में स्थापित राज्य की यह ऐसी घड़ी है जिससे सूर्य के प्रकाश से समय का पता चलता है। तब अंग्रेजों ने सिंचाई विभाग में कार्यरत कामगारों को समय का ज्ञात कराने के लिए इस घड़ी का निर्माण कराया गया और एक चबूतरे पर स्थापित किया गया था। इसी वजह से इसका नाम धूप घड़ी रखा गया। इस घड़ी में रोमन और हिन्दी के अंक अंकित है, उस समय नहाने से लेकर पूरा कामकाज समय के आधार पर होता था।

श्रमिकों के लिए घड़ी स्थापित की गई थी
घड़ी के बीच में धातु की त्रिकोणीय प्लेट लगी है। कोण के माध्यम से उस पर नंबर अंकित है। शोध अन्वेषक के अनुसार यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है। इसे नोमोन कहा जाता है। यंत्र इस सिद्धांत पर काम करता है कि दिन में जैसे-जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की तरफ जाता है। उसी तरह किसी वस्तु की छाया पश्चिम से पूर्व की तरफ चलती है। सूर्य लाइनों वाली सतह पर छाया डालता है, जिससे दिन के समय घंटों का पता चलता है।

बिहार में सात मार्च से शुरु होगा विशेष टिकाकरण अभियान

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि नियमित टीकाकरण की गतिविधियों को और भी सुदृढ़ करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृतसंकल्पित है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु विभाग ने ‘सघन मिशन इंद्रधनुष’ अभियान के तहत शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा है।

राज्य में इस अभियान की शुरुआत इस वर्ष सात मार्च से की जाएगी। अभियान तीन चक्रों में संपन्न कराया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से, जो बच्चे एवं महिलाएं कोरोनाकाल में नियमित टीकाकरण से छूट गए हैं, उनलोगों को टीकाकृत किया जायेगा।

श्री पांडेय ने कहा कि इस अभियान के तहत बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकृत किया जाएगा। पूर्व में यह अभियान सात फरवरी से चलाया जाना था, मगर कोराना की वजह से इसमें बदलाव किया गया है। आगामी सात मार्च (प्रथम चक्र) से सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान शुरू किया जाएगा।

वहीं दूसरा चक्र चार अप्रैल और तीसरा चक्र दो मई को शुरू होगा। तीनों चक्रों में यह अभियान लगातार सात दिनों तक अवकाश वाले दिन भी चलेगा। शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर इस अभियान में वैक्सीन रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ बच्चों व महिलाओं को टीका लगाया जाएगा।

श्री पांडेय ने कहा कि जिले में विभाग का लक्ष्य है कि एक भी बच्चा टीकाकरण कार्यक्रम से वंचित नहीं रहे। जिन इलाकों में टीकाकरण कम हुआ है, उन इलाकों को चिह्नित कर टीकाकरण का कार्यक्रम तैयार करना है। यह अभियान केंद्र सरकार की ओर से संचालित है।

इसमें यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि देश के 90 प्रतिशत बच्चों को पूर्ण टीकाकरण की सुविधा दी जाए, जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सके।

नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता पर हाईकोर्ट सख्त सरकार को कहा जबावी हलफनामा दायर करे

पटना हाईकोर्ट ने नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता के मामलें पर राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि इस अवधि में हलफनामा दायर नहीं किया गया,तो नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव को पाँच हज़ार रुपया दंड के रूप में भरना होगा।

याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि निगमों के फंड पर राज्य का नियंत्रण हैं,जहां नगर विकास व आवास विभाग ये तय करता है कि इस निगम के धनराशि का उपयोग कैसे किया जाए।साथ ही इस धनराशि को किस मद में रखा जाए।

जबकि अन्य राज्यों में नगर निगम को आवंटित धनराशि का उपयोग करने का अधिकार नगर निगम को ही हैं।साथ किस मद में पैसा कैसे खर्च करना हैं,इसका निर्णय भी नगर निगम ही लेता है।

नगर निगमों को जो भी फंड मुहैया कराया जाता हैं,जो कि एक विशेष कार्य के लिए होता है।उन्हें कोई अधिकार नहीं होता कि वे यह तय कर सके कि आवंटित धनराशि को कैसे खर्च किया जाए।

अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बांटी कि बिहार निगम क़ानून के सेक्सन 127 के अंतर्गत नगर निगम को विशेष सेवा देने के बदले टैक्स लगाने का अधिकार दिया गया है।लेकिन नगर विकास व आवास विभाग ने धीरे धीरे इन सारी वित्तीय शक्तियां ले लिया।
उदाहरण के लिए नगर निगम को सन्चार टावर और उससे सम्बंधित निर्माण पर पहले टैक्स लगाने का अधिकार था,लेकिन अब ये अधिकार नगर विकास व आवास विभाग को मिल गया है।

साथ ही नगर निगम ने 1993 से ही संपत्ति व अन्य करों के पुनर्विचार करने के लिए लिख रहा है, लेकिन इस सम्बन्ध में कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे नगर निगम के राजस्व की स्थिति सुधर सके।

इन कारणों से नगर निगम की वित्तीय स्वायत्तता बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।नगर निगमों को छोटे छोटे काम के लिए सरकार का मुंह देखना पड़ता है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

हिजाब के बहाने सियासत साधने कि हो रही है कोशिश

हिजाब के बहाने /

कर्नाटक के शिक्षा संस्थानों में लड़कियों के हिजाब के विरोध में जो मुहिम चलाई जा रही है, वह बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ कॉलेजों के यूनिफार्म ड्रेस कोड के विरोध के तहत कुछ मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनने का अपना अधिकार नहीं छोड़ा तो कुछ हिन्दू लड़के भगवा ओढ़कर कॉलेज पहुंचने लगे।

कॉलेजों में ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगे और कहीं-कहीं ‘अल्लाहु अकबर’ का उद्घोष भी हुआ। वहां धार्मिक विभाजन तेजी से बढ़ा है और शिक्षा संस्थान जंग के मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं। घटनाक्रम को देखकर साफ लग रहा है कि यह सब धार्मिक आधार पर लोगों के ध्रुवीकरण की सोची-समझी राजनीति के तहत सुनियोजित रूप से किया जा रहा है।

मैं स्वयं बुर्का या पर्दा प्रथा का समर्थक नहीं हूं लेकिन कोई अगर धर्म के नाम पर या व्यक्तिगत इच्छा से परदे में रहना चाहता है तो उसकी आस्था और इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए। वैसे ज्यादातर मुस्लिम औरतें हिजाब नहीं पहनतीं। जो पहनना चाहती हैं उन्हें इसे उतारने के लिए मजबूर करना उनकी आस्था का अपमान भी है और उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी।

विविधताओं से भरे हमारे देश में हज़ारों तरह के पहनावे हैं। कहीं-कहीं तो औरतों के सामने गज-गज भर के घूंघट में रहने की भी मजबूरी है। समस्या बस मुस्लिम औरतों के हिजाब से है। यह हिजाब गलत है तो उसके खिलाफ आवाज़ मुस्लिम औरतों के बीच से ही उठनी चाहिए। उठती भी रही है। एक लोकतांत्रिक देश में कोई भगवाधारी डरा-धमकाकर उन्हें हिजाब उतारने का आदेश नहीं दे सकता।

संस्कृतियों, आस्थाओं, वेशभूषा और भाषाओं की असंख्य दृश्य विविधताओं के बीच एकात्मकता का अदृश्य धागा सदा से हमारे देश की खूबसूरती रही है। सत्ता के लिए जिस तरह से इस धागे को तोड़ने की निरंतर कोशिशें हो रही है उससे हम सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब देश की बुनियाद ही बिखर जाएगी।

लेखक==ध्रुव गुप्ता ,पूर्व आईपीएस अधिकारी

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध ।

जब से यूपी सहित पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हुई है उसके बाद से देश में क्या चल रहा है उस पर जरा गौर करिए बहुत कुछ समझ में आ जायेगा ।कर्नाटक में जो कुछ भी हो रहा है ऐसा तो नहीं है कि नये सत्र का शुभारंभ हुआ है और कॉलेज में नये छात्र-छात्राएं आयी है इसलिए ड्रेस को लेकर विवाद शुरू हो गया । या फिर मुस्लिम लड़कियाँ अचानक हिजाब पहनकर कॉलेज जाना शुरु कर दी है जिसे देख छात्र भड़क गये ।

ऐसा कुछ भी नहीं है तो फिर यह मुद्दा अचानक उठा क्यों यह समझने की जरूरत है ,यूपी के कैराना में दूसरे चरण में चुनाव है लेकिन अमित शाह प्रचार अभियान की शुरुआत कैराना से करते हैं ।लेकिन कैराना के बाद जो माहौल बनना चाहिए था वो नहीं बन पाया, फिर ओवैसी पर हमला होता है इससे भी जो बात बननी चाहिए थी वो नहीं बन पाई ,फिर शाहरुख खान का मामला उछाला गया लता दी पर थूक फेका बहुत कोशिश हुई रंग देने कि लेकिन इसकी हवा तो चंद घंटों में ही निकल गयी ।

हिजाब पर विवाद उसी की अगली कड़ी है कर्नाटक के एक कांलेज में इस तरह घटना घटी और मीडिया इसको ऐसे हवा दिया कि यह मामला पूरे कर्नाटक में फेल गया , इसके पीछे का खेल यही है कि इसकी आग यूपी में कैसे फैले।

यह सियासत है और इस सियासत को समझने कि जरूरत है 2014– 2015 में लव जिहाद और गौ रक्षा के नाम पर पूरे देश में खूब खेला हुआ और फिर एक दिन अचानक चर्चा से गायब हो गया, क्या यह सब अब देश में नहीं हो रहा है, ऐसा नहीं है ना यही सियासत है लेकिन इस तरह के सियासत का क्या नुकसान हो रहा है शायद आज आपको समझ में नहीं आ रहा है ।

हिजाब का विरोध करने वाले कौन है जो कल तक वेलेंटाइन डे का विरोध कर रहे थे ,जिन्हें लड़कियों के जींस पहने पर आपत्ति है,जिनको लड़कियों के उच्च शिक्षा ग्रहण करने पर आपत्ति है, जो महिलाओं को घर की चारदीवारी में देखना चाहते हैं।

इसलिए हिजाब का मसला सिर्फ मुस्लिम लड़कियों से जुड़ा हुआ नहीं है यह मुद्दा उस सोच से जुड़ा हुआ है जो संघ का नजरिया है लड़कियों को लेकर, आज भले ही सियासी जरुरतों के अनुसार मुस्लिम लड़कियां इसकी शिकार हो रही है कल आप भी इसके शिकार होंगी यह तय मानिए।

क्यों कि सरकार किसी की भी रहे अब लोक लज्जा भी नहीं रह गया वोट के लिए ये किसी का भी सौदा कर सकता है मासूम लड़कियों के बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे राम रहीम को 21 दिन छुट्टी दिया है ये स्थिति है इसलिए जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध ।

21 फरवरी से हाईकोर्ट मे शुरु होगा फिजिकल सुनवाई

आगामी 21 फरवरी से पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई पुनः शुरू होगी। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 4 जनवरी, 2022 से हाई कोर्ट में सुनवाई पूर्ण रूप से वर्चुअल चल रही थी।

इस बार पूर्व की भांति सप्ताह में चार दिन पूर्ण रूप से फिजिकल सुनवाई की जाएगी और सप्ताह में एक दिन वर्चुअल सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी।

कोविड को लेकर जारी गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इस मामले में चीफ जस्टिस समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों के साथ एक बैठक आहूत की गई थी।

इस बैठक में पटना हाई कोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर व राजीव कुमार सिंह समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।

फिलहाल ई- पास धारियों को ही कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही कोविड को लेकर समय- समय पर जारी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

कैंसर पीड़ित इंग्लैंड के रग्बी खिलाड़ी लुक ग्रेनफुल्ल शॉ 27 देशों की यात्रा पर भारत पहुंचा

जब हौसला बुलंद हो तो मंजिल पाना आसान होता है इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं इंग्लैंड के रग्बी खिलाड़ी लुक ग्रेनफुल्ल शॉ, जो कैंसर पीड़ित होते हुए भी लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साइकिल द्वारा पूरे विश्व की यात्रा पर निकले हैं।

लुक ग्रेनफुल्ल शॉ ने अपने शहर ब्रिस्टाल के नाम से यात्रा का नाम ब्रिस्टाल टू बीजिंग रखा है। इस माह तक वे 27 देशों की यात्रा कर पाकिस्तान के बाद भारत पहुंचे हैं। मंगलवार को लुक ग्रेनफुल्ल बिहार के नालंदा जिले पहुंचे।

उन्होंने नालंदा के प्राचीन भग्नावशेष का अवलोकन किया। इसके बाद वे चीन जायेंगे, जहां इनकी यात्रा संपन्न होगी। इनके हौसले को देखते हुए कोलकाता के तीन युवक इनका साथ दे रहे हैं।

लुक ग्रेनफुल्ल ने बताया कि 24 साल के उम्र में उन्हें पता चला था कि उन्हें कैंसर हो गया है, इसके बाद उन्होंने अपने जीवन से निराश नहीं होते हुए साइकिलिंग कर पूरे देश की यात्रा करने का मन बनाया । धीरे-धीरे कैंसर चौथा स्टेज में पहुंच गया है। बाबजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारा है।

उन्होंने बताया कि इस यात्रा से जो भी राशि इकट्ठा होगी, उसे कैंसर अस्पताल में दान देंगे। उनके साथ चल रहे कोलकाता के युवक ने बताया कि कैंसर जैसे रोग से पीड़ित होने के बावजूद इन्होंने बहुत बड़ा फैसला लिया है, जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत है। अब तक यह तुर्की ,उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान की यात्रा साइकिल से ही कर चुके हैं। इन्हें जब पता चला कि कैंसर हो गया है तो इन्होंने घर में बैठने के बजाए यात्रा करने को सोचा।

गायघाट, पटना शेल्टर होम की घटना के खिलाफ महिला संगठनों का प्रतिवाद मार्च

गायघाट: पटना शेल्टर होम की घटना के खिलाफ महिला संगठनों का प्रतिवाद मार्च

पटना के गायघाट शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन हिंसा, बलात्कार, मार-पीट एवं अमानवीय व्यवहार के खिलाफ महिला संगठनों की ओर आज 8 फरवरी 2022 को बुद्ध स्मृति पार्क से महिलाओं का आक्रोषपूर्ण प्रतिवाद मार्च निकाला गया।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गायघाट बालिका सुधार गृह में 200 से अधिक निसहाय बच्चियाँ रहती है। उनके देख-रेख, भोजन, दवा तथा अन्य सुविधा के ऊपर सरकार के पैसे खर्च होते है, जिसका पूरा दुरूपयोग समाज-कल्याण विभाग सेे मिलीभगत करके शेल्टर होम की प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है।

एक सप्ताह पहले गायघाट शेल्टर होम से किसी तरह एक लड़की निकल कर अपने साथ और अन्य लड़कियों के साथ वहाँ की प्रबंधक वंदना गुप्ता के द्वारा किस तरह मार-पीट, दुव्र्यवहार और यौन शोषण करवाया जाता है। मीडिया तथा पटना के डी.एम. एवं एस.पी. को सुनाई।

इस घटना ने फिर से एक बार बिहार का सिर शर्म से झुका दिया है। 2018 में टीस द्वारा उजागर मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह काण्ड के खिलाफ महिला संगठनों के आंदोलन के बदौलत दोषियों को सजा दिलाई गई।

लेकिन मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने तो उस घटना पर भी पर्दा डालने की पूरी कोषिष की इस तरह गायघाट शेल्टर होम की घटना के इतने दिन बित जाने के वाबजूद भी मुख्य दोषी वंदना गुप्ता अभी तक गिरफ्तार नहीं हुई है, बल्कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बिना पीड़िता से मिले फर्जी जांच रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता को ही बदचलन कहकर मामले को दबाने की कोषिष की जा रही है।

इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है अपने स्तर से जाँच करने की बात कही है। ये स्वागत योग्य कदम है।
बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं, महिला सषक्तिकरण का झूठा प्रचार करनेवाले मुख्यमंत्री को शर्म करनी चाहिये। इस सरकार मे ंमहिलाएँ असुरक्षित है। दबंगों, सामंतों और भ्रष्टाचारियों का बोलवाला है। इसके खिलाफ समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा।

महिला संगठनों की सरकार से माँग है कि-

  1. समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए
  2. गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए.
  3. रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है.इसके लिए गृह के भीतर स्कूल, मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए. आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कहीं मुकम्मल नहीं है. इसकी व्यवस्था की जाए.
  4. सुधार गृह में जांच-पड़ताल और संवासिनो से समय≤ पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए.
  5. महिला संगठनों ,मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें,सुधार गृह में जा सकें. इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए।

बिहार में बीजेपी ने जदयू के खिलाफ शुरु किया छद्ग युद्ध

बीजेपी बिहार विधान परिषद चुनाव में भी छद्म युद्ध के सहारे जदयू को हराने में जुटा

कल देर शाम मधुबनी से एक फोन आया बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर बीजेपी और जदयू में गठबंधन तो हो गया ना ,सीट की भी घोषणा हो गयी और मधुबनी सीट जदयू के खाते में गया है, लेकिन यहां तो बीजेपी के विधान पार्षद घूम रहे हैं और कह रहे हैं बीजेपी यहां से चुनाव लड़ेगी अभी थोड़ी देर पहले बात हुई तो महासेठ बोले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से कल भी हमारी बात हुई है वो बोले हैं कि चुनाव लड़ना है।

इस तरह की खबर सिर्फ मधुबनी से ही नहीं आ रही है इस तरह की खबर वैसे अधिकांश सीटों से आ रही है जहां जदयू चुनावी मैदान में है, ठीक उसी तरीके से जैसे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग की पार्टी से बीजेपी के नेता चुनाव लड़े थे ।

बीजेपी पर खास नजर रखने वाले पत्रकारों का भी मानना है कि बीजेपी बिहार विधान सभा चुनाव की तरह ही बिहार विधान परिषद के चुनाव में भी छद्म युद्ध के सहारे इस चुनाव में भी जदयू को हराना चाह रही है।

और इसी रणनीति के तहत बिहार विधान परिषद चुनाव से ठीक पहले वैसे तमाम बीजेपी के नेता को पार्टी में शामिल करवाया गया जो एलजेपी के टिकट पर जदयू को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे ।

संदेश साफ है जदयू बीजेपी में पहले वाली बात नहीं रही आप जदयू का विरोध भी करते हैं तो कोई बात नहीं है आपकी वापसी तय है।

जानकार बता रहे हैं कि पिछले दो माह से जाति जनगणना और विशेष राज्य के दर्जा को लेकर बीजेपी जिस तरीके से जदयू पर हमलावर है इसके पीछे बीजेपी की रणनीति यह है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ये संदेश जाता रहे कि जदयू से रिश्ता पहले जैसा नहीं है ऐसे में आप निर्णय लेने को स्वतंत्र है।

सोमवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जिस अंदाज में विशेष राज्य की मांग पर सवाल खड़े करते हुए जिन बिन्दू पर फोकस किये हैं उससे कही ना कही यह संदेश देने कि कोशिश है कि मंत्रिमंडल में भी जो बीजेपी के मंत्री है उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा है उन्होंने लिखा है कि शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

इसी तरह जनसंख्या नीति पर सवाल खड़े करते हुए नीतीश पर सीधा हमला बोला है संजय जायसवाल ने लिखा है कि आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है।
इन सबके पीछे भी बीजेपी की रणनीति यही है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच संदेश साफ जाये कि जदयू से 2005 वाला रिश्ता नहीं रहा है ऐसे में गठबंधन धर्म उतना मायेने नहीं रखता है ।
इसलिए विधान परिषद चुनाव तक यह खेल बीजेपी की ओर से जारी रहेगा ।

गायघाट रिमांड होम मामले में सुनवाई टली

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह ( आफ्टर केअर होम ) की घटनाओं पर सुनवाई 11फरवरी, 2022 को होगी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।


इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ कर रही है।आज पीड़िता की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया।लेकिन इसकी प्रति राज्य सरकार को प्राप्त नहीं होने के कारण सुनवाई 11 फरवरी, 2022 तक टाल दी गई।

इस कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार अध्यक्ष हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।

इस केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं रहती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई।

समाचारों के अनुसार पीड़िता व केअर होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है।

बहुत महिलाओं को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती है। कमेटी द्वारा अन्य बातों के अलावा ऐसा देखा गया कि पीड़िता द्वारा आश्चर्यजनक देने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि अजनबियों को रिश्तेदार के रूप में बहाना बनाकर आने दी जाती है।ये आकर बेसहारा महिला को उठाते हैं।
ये इनके जीवन और मर्यादा को और जोखिम में डाल देता है। यह भी आश्चर्य जनक है कि पीड़िता द्वारा किये गए खुलासे के बाद भी कोई एफ आई आर दर्ज नहीं किया गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने को भी कहा था। इस मामले पर अब 11 फरवरी, 2022 को सुनवाई की जाएगी।

विशेष राज्य के दर्जा को लेकर जदयू बीजेपी आमने सामने

बिहार को विशेष राज्य दर्जा को लेकर जारी जदयू द्वारा जारी बयानबाजी के बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज के सहारे जदयू पर हमला बोला है और कहां है कि

नीचे दिया गया डाटा यह बताने में सक्षम है कि केंद्र सरकार बिहार का कितना ध्यान रखती है ।
महाराष्ट्र की आबादी बिहार से एक करोड़ ज्यादा है फिर भी बिहार को महाराष्ट्र के मुकाबले 31हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलते हैं ।बंगाल भी बिहार की भांति पिछड़ा राज्य है पर उसके मुकाबले भी बिहार को 21हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलता है ।

आकड़ा बता रही है कि बिहार को विशेष राज्य से ज्यादा मदद मिल रही है


दक्षिण भारत के राज्यों की हमेशा शिकायत रहती है कि केंद्र सरकार हमें कम पैसे देती है क्योंकि हमने आबादी को 70 के दशक में ही केंद्र की नीतियों के कारण रोक लिया था । अब केंद्र सरकार इसको अपराध मानती हैं।
जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा बिहार जैसे राज्य को हुआ है । पहले जिस राज्य में उद्योग स्थापित होते थे उनको अलग से कमाई होती थी ।अब इस कमाई का बडा़ हिस्सा उपभोक्ता राज्य में बंटता है जिसके कारण बिहार को 20हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है ।
बिहार को अगर आगे बढ़ाना है तो सरकार को ये लक्ष्य रखने ही होंगे ।

बिहार को केन्द्र से पूरी मदद मिल रही है

1) बिहार सरकार को हर हालत में उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। जब तक हम औद्योगिक नीतियां लाकर नए उद्योगों को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक ना हम रोजगार देने में सफल हो पाएंगे और ना हीं बिहार की आय बढ़ेगी। शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

2) जहां भी संभव हो वहां प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप होनी चाहिए। उद्योग लगाने वालों को विलेन समझने की मानसिकता बिहार को कहीं का नहीं छोड़ेगी । बड़ौदा बस स्टैंड विश्व स्तर का है पर ऊपर की मंजिलों में दुकानें खोलकर सारी राशि की भरपाई कर ली गई और गुजरात सरकार का एक पैसा भी नहीं लगा ।वैसे ही गांधीनगर के पूरे साबरमती फ्रंट का डेवलपमेंट उसीमें एक निश्चित भूमि प्राइवेट हाथों में देकर अनेक पार्क सहित पूरे फ्रंट को विकसित करने का कीमत निकाल लिया गया ।

3) हम 6 वर्षों में भी प्रधानमंत्री जी के दिए हुए पैकेज का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं।अभी भी दस हजार करोड रुपए से ज्यादा बकाया है ।एक छोटा उदाहरण मेरे लोकसभा का रक्सौल हवाई अड्डा है जिसके लिए प्रधानमंत्री पैकेज में ढाई सौ करोड़ रुपए मिल चुके हैं पर बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त जमीन नहीं देने के कारण आज भी यह योजना रुकी हुई है।
प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में भी बिहार को हजारों करोड़ रुपए मिलने हैं । अगर हमने भूमि उपलब्ध नहीं कराया तो ये किस्से कहानियों की बातें हो जाएंगी।

4) केंद्र सरकार की योजनाओं का समुचित उपयोग करना होगा ।जैसे बिहार सरकार के जल नल योजना में केंद्र की 50% राशि लगी है जिसका इस्तेमाल हम पंचायती राज की अन्य योजनाओं में कर सकते थे और जल नल योजना की राशि सीधे जल संसाधन विभाग से ले सकते थे। पिछले वित्तीय वर्ष में 6 हजार करोड़ की राशि बिहार सरकार को आवंटित की गई थी पर जल नल योजना के मद में हमने यह पैसे नहीं लिए।इस तरह की राशियों का सही उपयोग हमें करना होगा।

5) जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें स्वयं काम करना होगा ।केवल यह सोच कि समाज स्वयं शिक्षा के साथ जनसंख्या को नियंत्रित कर लेगा, के चक्कर मे बहुत ही देर हो जाएगी। आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है।


6) अगर केरल के अस्पताल 100 बेड जोड़ते हैं तो प्रति हजार व्यक्ति में इसका इजाफा दिखता है। हम 200 बेड भी जोड़ते हैं तो 300 बच्चे पैदा करने के कारण वह नीति आयोग के आंकड़े में कहीं नहीं दिखता और हम अपनी कमी दूर करने के बजाय नीति आयोग की शिकायत करते हैं ।


7) जब हमने एक अच्छे लक्ष्य के लिए गुजरात की भांति 15 हजार करोड़ रुपए की तिलांजलि दी है तो सरकारी राशि का उपयोग होटल और बस स्टैंड जैसी योजनाओं में सैकड़ों करोड़ खर्च करके भवन निर्माण विभाग को खुश करने के बजाय गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए। पीपीपी मोड में इन सब चीजों को बनाने से सरकार का एक पैसा भी नहीं लगेगा उल्टे उसकी आमदनी बढ़ेगी। वैसे भी फाइव स्टार होटल बनाना सरकार का काम नहीं है।


2020 में एनडीए सरकार का गठन आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय के आधार पर हुआ था । हमें इस मूल मुद्दे से कभी भटकना नहीं चाहिए

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा मामलें में आज भी हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा के मामलें में दायर जनहित पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिविजन बेंच ने सुनवाई करते हुए बिहार विद्यापीठ के सम्बन्ध में दायर हलफनामा पर असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने पटना के डी एम को निर्देश दिया कि बिहार विद्यापीठ में हुए अतिक्रमण का विस्तृत ब्यौरा पेश करें।इसमें अतिक्रमणकारियों के नाम,इस सम्बन्ध में विभिन्न अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित मामलों और उनके नाम,जो इन भूमि पर अपना दावा करते हैं।

साथ ही हाई कोर्ट ने
बिहार विद्यापीठ से जुड़े विवादित भूमि की खरीद बिक्री पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है । कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के तमाम ज़मीन के स्वत्व सम्बन्धित कागज़ात पटना डीएम कार्यालय को हस्तगत करने का निर्देश विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति को दिया है ।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पटना के बांस घाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और बिहार विद्यापीठ के हालात का जायजा लेने के लिए याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार को पटना के जिलाधिकारी के साथ भेजा था।

उन्होंने कोर्ट को वहां की वस्तुस्थिति से अवगत कराया।कोर्ट ने पटना के जिलाधिकारी को डा राजेंद्र प्रसाद के बांस घाट स्थित समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण व विकास के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन समिति की कार्यशैली पर नाराजगी जताई।जीरादेई स्थित डॉ राजेन्द्र प्रसाद के म्यूज़ियम संग्रहालय हेतु उनके निजी भूमि को राज्य सरकार को हस्तगत किये जाने के मामले में डीएम सिवान को चार दिनों के भीतर हलफनामा दायर करने का भी निर्देश है ।

जीरादेई सड़क से स्मारक स्थल तक जाने के लिए रेलवे लाइन के नीचे से भूमिगत रास्ता बनाने हेतु डीआरएम वाराणसी को पार्टी बनाते हुए रेलवे को जीरादेई में स्थल निरीक्षण कर एक्शन प्लान बनाने निर्देश दिया है ।

रेलवे के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि इस सिलसिले में वाराणसी रेल डिवीजन के अफसरों की अगुवाई में एक समिति गठित हो गयी है, जो स्थल निरीक्षण कर सिवान ज़िला प्रशासन के साथ बैठक करेगी ।

इस बैठक के बारे में जानकारी मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को दी जाएगी ।इस मामले पर अब अगली सुनवाई 11 फरवरी,2022 को की जाएगी।

कैसा भारत चाहिए आपको

रविवार का दिन खेती,मित्र और परिवार के बीच इस तरह उलझ कर रहा है कि लता दी के सम्मान में क्या हो रहा उससे पूरी तरह से अनभिज्ञ रह गये ,लेकिन 150 किलोमीटर के सफर के दौरान लता दी के गीत के सहारे उनसे जरुर जुड़े रहे फिर भी मन बैचेन था क्या हो रहा है लता दी के सम्मान में।


देर शाम पटना पहुंचे तो लता दी से जुड़ी खबरें पढ़ना शुरू किया बात टीवी की करे तो टीवी पर समाचार देखना कब बंद कर दिये मुझे भी ठीक से याद नहीं है।
इसलिए अखबार की एक एक रिपोर्ट पढ़ना शुरु किये वैसे लता दी का जाना मुझे तो बहुत भाया सत्य तो यही है कि जो आया है उसको जाना है हर किसी को ऐसे ही जाना चाहिए। कुछ ऐसा छोड़ कर जो आपको पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखे मन में यह सब चल ही रहा था की इसी दौरान एक खबर पर मेरी नजर पड़ गयी ।

शाहरुख खान लता दी से शव पर थूक फेका है और इस खबर को लेकर हंगामा खड़े करने कि कोशिश चल रही है शुरुआत में एक दो पोस्ट दिखा लेकिन रात होते होते इस तरह का पोस्ट ट्रेंड
होना शुरु हो गया । कुछ देर बाद वजह भी समझ में आने लगा था एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा था जिसमें लता दी के पार्थिव शरीर के सामने शाहरुख खान दुआ कर रहा है और उसका पीए हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रही है ।इस तस्वीर के सहारे यह संदेश दिया जा रहा था कि यही भारत है स्वभाविक है आज जिस मिजाज की राजनीति चल रही है उसमें इस तरह की तस्वीर उनके उद्देश्य को नुकसान पहुंचा सकता है ।

वैसे पिछले कुछ वर्षो से देश में हिन्दू मुसलमान को लेकर जो चल रहा है पहली बार मन अंदर से बहुत व्यथित हो गया लता दी के विदाई पर भी ये लोग हिन्दू मुसलमान के बीच घृणा पैदा करने का मौका निकाल ही लिया। कोई लिखता है ये तो हमारे सनातन धर्म पर हमला है, कोई लिखता है इस्लाम संगीत को सही नहीं मानता है इसलिए शाहरुख लता दी के शव पर थूक कर चला गया।


अभी भी कोशिश जारी है कैसे इस मुद्दे को लेकर देश में आग लग जाये, पता नहीं ये लोग देश को कहां ले जाना चाहते हैं घृणा ऐसी आग है जो एक बार मनुष्य को लग गयी तो फिर हिन्दू मुसलमान तक ही सीमित रहेंगा ऐसा होता नहीं है ।इस आग के लपेटे में धीरे धीरे उसका खुद का समाज और परिवार आयेगा ही इतिहास इसका गवाह है ।

हमारी आपकी मुसलमानों से कहां भेट होती है सामान्य तौर पर चप्पल के दुकान पर ,मीट मुर्गा की दुकान पर ,गाड़ी बनाने वाले गैरेज पर ,कपड़े सिलने वाले दुकान पर ,गाड़ी के ड्राइवर के रूप में मुलाकात होती है, इन सब जगहों के अलावे मेरी मुलाकात मुस्लिम अधिकारी, नेता और पत्रकार से भी होता है।

धर्म को लेकर उसकी अपनी सोच है और धर्म के मामले में आप उसे कट्टर भी कह सकते हैं लेकिन ये भी सही है कि धर्म ने उन्हें दान और ईमानदारी का जो पाठ पढ़ता है उस पर आज भी बहुसंख्यक मुसलमान अमल कर रहा है ।एक दो नहीं एक दर्जन से अधिक ऐसे अधिकारी को मैं जानता हूं जो घूस लेना हराम समझते हैं ईद के मौके पर जिस तरीके वो अपने समाज के गरीब लोगों को दान देता है कभी सपने में भी हिन्दू समाज सोच भी सकता है,कट्टरता की वजह से उसको जो नुकसान हो रहा है उसे पूरी दुनिया देख रहा है आप अपने अंदर झाकिए ना आप कहां थे कहां पहुंच गये हैं ।

याद करिए हर गांव में एक ठाकुरबाड़ी हुआ करता था जहां साधु संत आकर ठहरते थे सत्संग होता था
धर्म पर चर्चा होती थी एक से एक संत आते थे हर ठाकुरबारी में धर्म और शास्त्र से जुड़ी पुस्तकालय हुआ करता था।
कभी हरिद्वार से तो ,कभी बनारस से .तो कभी देवघर से धर्म के जानकार ठाकुरबाड़ी पर आते थे ठहरते थे और प्रवचन होता था आज अधिकांश ठाकुरबाड़ी का हाल यह है कि तीनों समय भगवान को भोग नहीं लग पा रहा है जिसके पूर्वज ठाकुरबाड़ी को जमीन दान में दिये थे उनके परिवार वाले जमीन वापस ले लिये हैं ।

मुसलमान क्या कर रहा है कहां जा रहा है जाने दीजिए जैसा करेगा वैसा भरेगा आ हम आप कहां जा रहे हैं उस पर जरा गौर करिए ना महिला है तो हिन्दू धर्म बची हुई है, घर और मंदिर में आरती और घूप भी जल जा रहा है ।

लेकिन21 सदी की लड़कियों से ये भी उम्मीद छोड़ दीजिए हाल तो यह हो गया है कि अब गांव में भी छठ करने वाली नहीं मिल रही है एक एक महिला आठ से दस घर वालों का पूजा कर रही है।

ऐसी बहुत सारी बाते हैं जिस पर सोचने कि जरुरत है ।हिन्दू धर्म में अब बचा क्या है कर्मकांड, कहां है नैतिक मूल्य ,कहां है सत्य। सनातन धर्म को इन मुसलमानों से खतरे में नहीं है हमारे आपकी वजह से खतरे में है ये तो मुसलमान आ गया जो मंदिर मंदिर की बात भी हो रही है नहीं तो ये मंदिर कब तोड़ कर हमलोग होटल बना देते कह नहीं सकते।

खुल गया बिहार फिर भी सावधान रहने की जरूरत है

#Covid19 कोरोना की स्थिति की समीक्षा की गई। कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार को देखते हुए 8वीं कक्षा तक के सभी विद्यालय 50 प्रतिशत क्षमता के साथ तथा 9वीं एवं ऊपर की कक्षाओं से संबंधित सभी विद्यालय एवं महाविद्यालय तथा कोचिंग संस्थान शत-प्रतिशत उपस्थिति के साथ खुल सकेंगे।

सभी सरकारी कार्यालय प्रतिदिन सामान्य रूप से खुलेंगे। केवल टीका प्राप्त आगंतुकों को ही कार्यालय में प्रवेश अनुमान्य होगा।

सभी दुकानें, प्रतिष्ठान, शॉपिंग मॉल एवं धार्मिक स्थल सामान्य रूप से खुल सकेंगे। सभी पार्क एवं उद्यान प्रातः 6 बजे से अपराह्न 2 बजे तक खुलेंगे। सिनेमा हॉल, क्लब, जिम, स्टेडियम, स्वीमिंग पूल, रेस्टोरेंट एवं खाने की दुकानें (आगंतुकों के साथ) 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खुल सकेंगी।

जिला प्रशासन की पूर्वानुमति से सभी प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन अपेक्षित सावधानियों के साथ आयोजित किए जा सकेंगे। विवाह समारोह, अंतिम संस्कार/श्राद्ध कार्यक्रम अधिकतम 200 व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ आयोजित किये जा सकेंगे।

हम सभी बिहारवासियों को कोविड के कारण अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है। मास्क के उपयोग के साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करना नितांत आवश्यक है।

फिल्म स्पेशल 26 की तरह आईटी अधिकारी बन ठीकेदार को लाखों का लगाया चूना

फिल्म स्पेशल 26 की कहानी याद है आपको अक्षय कुमार और अनुपम खेर नकली सीबीआई ऑफिसर बनकर राजनीतिज्ञों तथा व्यवसायियों के काले धन को लूटने के लिए छापा मारता है।ठीक उसी तरीके से बिहार के लखीसराय जिले के कबैया गांव के रहने वाले बालू कारोबारी के घर आयकर अधिकारी बन कर आता है और लाखों रुपये लेकर चंपत हो जाता है। क्या है पूरा मामला जरा आप भी समझ लीजिए

लखीसराय में फर्जी आयकर अधिकारी (आईटी अफसर) बनकर बालू ठेकेदार के घर लूट को अंजाम देने के मामले में लखीसराय पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है और पुलिस ने सभी आरोपी को लूट के पैसे के साथ गिरफ्तार कर लिया है।
लखीसराय एसपी की माने तो इस गैग का सरगना चंदन कुमार है जो पेशे मेकेनिकल इंजीनियर है और इस तरह से कई अपराधों का अंजाम दे चुका है ।

आईटी अधिकारी बन ठीकेदार को लाखों का लगाया चूना

घटना 31 जनवरी की दोपहर की है जब कबैया थाना क्षेत्र में रहने वाले बालू कारोबारी संजय सिंह के घर स्कार्पियो पर सवार होकर 5 पुरूष और दो महिलाएं इनकमटैक्स अधिकारी बनकर आए और पूरे घर की तलाशी लिया इस दौरान घर में रखे रूपये और जेवरात को जप्त कर चलते बने थोड़ी देर बाद घर वाले को एहसास हुआ कि उसके साथ कुछ गड़बड़ हुआ है और तुंरत इसी सूचना थाने को दिया।

पुलिस जब छानबीन शुरु किया तो यह बात सामने आया कि इनकम टैक्स का कोई रेड नहीं था इसके साथ ठगी हुई ,इसकी सूचना मिलते ही एसपी लखीसराय ने एसआईटी का गठन किया और छानबीन शुरु किया इस दौरान जिस गांड़ी का इस्तमाल किया था उसका नम्बर भी फर्जी निकला लेकिन गांड़ी का लोकेसन सीसीटीवी में जहां जहां दर्ज हुआ था उसको देखते हुए पुलिस आगे बढ़ रही थी और इसी दौरान पटना में इसका लोकेसन मिल गया और पहली गिरफ्तारी हुई और उसी के निशानदेही पर सारे अपराधी पकड़े गये ।

इस घटना में ठिकेदार का पड़ोसी भी शामिल था जो इस गैंग को पूरा सूचना दिया था

चर्चित मामले को पुलिस ने पर्दाफाश कर लिया है। पुलिस ने फर्जी इनकमटैक्स रेड में शामिल छहः फर्जी इनकमटैक्स अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। सभी की गिरफ्तारी पटना और शेखपुरा जिले से हुई है। वहीं लूट के 5 लाख 70 हजार रूपये के साथ फर्जी आइ कार्ड, मोबाइल, कोट, पैन्ट एवं घटना में प्रयोग किए गए बैग को बरामद कर लिया गया है।

जिन छह अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है उसमें चंदन कुमार और सुमित कुमार पटना जिले के रहनेवाले हैं। वहीं मंजित कुमार और सोनू कुमार नालंदा जिले के रहने वाले हैं। जबकि कुश कुमार शेखपुरा और गु़जन चौके पश्चिम चंपारण के रहनेवाले हैं।

बिहार में एक ऐसा गांव है जहां लड़किया जनेऊ पहनती है

बिहार में एक गांव ऐसा भी है जहां लड़किया जनेऊ पहनती है । यह सूनने में थोड़ा अटपटा लगा रहा होगा लेकिन यह सच्चाई है । बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल के नावानगर प्रखंड में एक गांव है मणियां जहां प्रति वर्ष बसंत पंचमी के दिन लड़कियों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया जाता है।

यह अनोखी परंपरा मणियां गांव स्थित दयानंद आर्य हाईस्कूल में प्रति वर्ष आयोजित होती है। इस स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं स्वेच्छा से जनेऊ धारण करती हैं। यहां जनेऊ धारण करने वाली छात्राएं रुढ़िवादी परंपरा को खत्म करने के साथ चरित्र निर्माण की शपथ लेती हैं। अभिभावकों का कहना कि इससे नारी शक्ति को बढ़ावा मिल रहा है।

परिवार व समाज का मिल रहा सहयोग
यज्ञोपवीत पहनने की मुहिम में लड़कियों को परिवार व समाज से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। पिछले साल आचार्य श्रीहरिनारायण आर्य और सिद्धेश्वर शर्मा के नेतृत्व में शिल्पी कुमारी, बसंती कुमारी, अनु कुमारी, नीतु कुमारी, खुशबू कुमारी एवं नीतु कुमारी सहित अन्य कई छात्राओं का उपनयन संस्कार किया गया था। इस बार भी बसंत पंचमी के दिन लड़कियों को जनेऊ पहनाने की तैयारी चल रही है। इस आयोजन को लेकर गांव में उत्‍सवी माहौल बना हुआ है।

विद्यालय के संस्थापक ने चलाई थी यह परंपरा
मणियां उच्च विद्यालय के संस्थापक और इसी क्षेत्र के छपरा गांव निवासी स्व. विश्वनाथ सिंह ने 1972 ई. में इस परंपरा की शुरुआत की थी। उन्होंने सर्वप्रथम अपनी पुत्रियों को जनेऊ धारण कराया था। उसके बाद फिर यह परंपरा चल पड़ी। तब से हर वर्ष यहां लड़‍कियों का यज्ञोपवीत संस्‍कार किया जाता है। स्व. सिंह आर्यसमाजी थे। मणियां के ग्रामीणों का कहना है कि गुरुजी का इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था कि नारी शक्ति को श्रेष्ठ कराने से समाज का कल्याण हो सकता है।

मूर्तिपूजा का नहीं है प्रचलन
आचार्य सिद्धेश्वर शर्मा का कहना है, बसंत पंचमी के दिन विद्यालय की छात्र-छात्राएं हवनकुंड के समक्ष बैठकर आचार्य से श्रेष्ठ आचरण, आदर्श जीवन व सद्चरित्र का संस्कार ग्रहण करती हैं।

सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत हर घर जल नल योजना की नहीं होगी सीबीआई जांच

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रारम्भ किये गए हर घर नल का जल योजना में हुई गडबड़ी और बरती गई अनियमितताओं की जांच कर कार्रवाई करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

संजय मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारियों को अभ्यावेदन देने का निर्देश दिया।

इस जनहित याचिका को अधिवक्ता अलका वर्मा और मीरा कुमारी ने संजय मेहता की ओर कोर्ट में दायर किया हैं।इस जनहित में राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य सम्बंधित अधिकारियों को पार्टी बनाया गया था।इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि इस योजना में अनियमितताएं बरतने वाले के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।

साथ ही इस हर घर नल का जल योजना का कार्यान्वयन सही ढंग से किया जाए।यह आम जनता के हितों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की काफी महत्वपूर्ण योजना हैं।

शुद्ध पेय जल आम लोगों की बुनियादी आवश्यकता हैं।इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं और अनियमितताएं बरती गई हैं।

पूर्णियां,सहरसा,अररिया,सुपौल,किशनगंज,मधेपुरा व राज्य के अन्य जिलों में शुद्ध पेय जल, विशेषकर गर्मी के दिनों में, आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।

इस महत्वपूर्ण जनहित योजना में भ्रष्ट्राचार और अनियमितता बरता जाना गंभीर अपराध हैं।इसकी पूरी जांच स्वतन्त्र एजेंसी से करा कर दोषियों को दंड देने की कार्रवाई की जाए।

सात निश्चय योजना के अंतर्गत हर घर नल का जल योजना में सिकटी विधानसभा क्षेत्र में काफी गड़बड़ियां हुई।विधायक विजय कुमार मंडल ने डी एम, अररिया को आवेदन दे कर बताया गया कि जलापूर्ति के लिए घटिया पाइप लगाया गया।
साथ ही सही गहराई में पाइप नहीं लगाया गया।

इस कारण जहां आए दिन पाइप फटता रहता है, वहीं सड़क भी क्षतिग्रस्त होता रहा हैं।इस सम्बन्ध में सम्बंधित मंत्री और अधिकारियों को भी पत्र के जरिये सूचना दी गई थी।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन देने के निर्देश के साथ ही इस जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया।

बालिकागृह जैसे मामलों में समग्रता से सोचने कि जरुरत है तभी बेहतर हो सकता है

कल दोपहर को एक फोन आया मैं पटना हाईकोर्ट में एडवोकेट हूं आपके फेसबुक से काफी दिनों से जुड़ा हुआ हूं और पढ़ता रहता हूं ।बालिकागृह मामले में आपसे कुछ बात करनी है , हाईकोर्ट ने जो स्वत संज्ञान लिया है उसमें गुड्डू बाबा के माध्यम से मैं भी अपना पक्ष रखना चाहता हूं आपके पास इसको लेकर जो भी जानकारी है वो मुझे चाहिए।

समय तय हुआ शाम में मिलना है उन्होंने बताया कि कृष्णापुरी पार्क के सामने मेरा आवास है आपका इन्तजार करेंगे। मैं नियत समय पर उनके आवास पर पहुंच गया बाहर से कॉल किया सर किधर आना है,मेरा पहले से कोई परिचय नहीं था, घर के बाहरी आवरण से लगा जनाब पटना हाईकोर्ट के बड़े वकील है,भव्य मकान फिर कैंपस में बागवानी का सलीका ,ड्राइंग रूम की भव्यता और फिर उनका ऑफिस मन ही मन में हो रहा था जनाब का रहन सहन ऐसा है तो वो खुद कैसे होगे ।

जैसे ही उनके ऑफिस में पहुंचा एक साधारण सा नाटा कद का व्यक्ति कुर्सी पर बैठा है और उनके सामने तीन चार लोग बैठे हुए है। चंद मिनट में ही पूर्व से बैठे लोगों का विदा कर दिया इस दौरान वो अपने क्लाइंट से जिस अंदाज में बात कर रहे थे मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि ये व्यक्ति अपनी कमाई से इस तरह का घर द्वारा बना सकता है ।

मुझे लगा बाप दादा का सम्पत्ति पर हाक रहा है मैं चुपचाप सुनता रहा , बाबू मैं बोरा छाप स्कूल से पढ़ कर यहां पहुंचा हूं तुम जब तक मुकदमे के बारे में मुझे संतुष्ट नहीं कर दोगे मैं जज साहब को कैसे संतुष्ट कर पाऊँगा । क्यों कि मेरी समझदारी थोड़ी गांव वाली है इसलिए समझने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन समझ गये तो फिर आपका केस बड़ी मजबूती से लड़ेंगे ।

खैर इन लोगों के जाने के बाद बातचीत शुरू हुई संतोष जी पहले आपको आज ही मेरे गांव से मिठाई आया है वो खिलाते हैं फिर भागलपुर के चूरा का भूजा खाना पसंद करेंगे वो खिलाते हैं।

पहले मिठाई आया काला काला गोला गोला मुझे लगा काला जाबुन होगा संतोष जी यह आरा में ठंड के समय खास तोड़ पर बनता है मैं समझ गया हाल ही में मेरी सासू माँ भी लेकर आयी थी।

कैसे चावल को पीसा जाता है और इसमें क्या क्या मिलाया जाता है एक स्वर में सब बता दिए संतोष जी इस मिठाई को सोईठ कहते हैं ठंड में बहुत फायदा करता है।

बातचीत चल ही रही थी तभी उनकी पत्नी आयी परिचय हुआ वो भी पटना हाईकोर्ट में वकील है,कहने लगी करिए करिए कुछ होने वाला नहीं है ।गायघाट बालिका गृह के अधीक्षक की क्या हैसियत होगी वो तो पटना में पोस्टिंग बनी रहे इसलिए अधिकारियों की गुलामी कर रही होगी ताकी किसी तरह बाल बच्चा को पढ़ा ले या फिर पति पटना में ही रहता होगा, या मायिका पटना होगा ,सास ससुर बिमार रहते होंगे इसलिए किसी तरह पटना में बनी रहना चाह रही होगी इससे ज्यादा वो सोच नहीं रही होगी संतोष जी यही सच्चाई है देख लीजिएगा मंत्री के घर लड़की पहुंचाना ये सब फालतु बात है कोई माँ ये काम नहीं कर सकती है कुछ ऐसी रहती है लेकिन सरकारी अधिकारी काहे को यह सब करेंगे जो होता है वह सब उपर लेबल पर होता है ये चुपचाप देखती रहती होगी इससे ज्यादा इसकी हैसियत नहीं होगी।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में क्या हुआ बस आईवास कुछ बदलने वाला नहीं है आप लोगों के पेट की आग बुझी हुई है इसलिए ये सब कर रहे हैं कुछ होने वाला नहीं है।

वकील साहब चुपचाप मैंडम की बात सून रहे थे और फिर अंत में इतना ही कहा संतोष जी इस देश का आम आदमी इसी तरीके से सोचता है क्यों कि चारो तरफ घोर निराशा छाया हुआ है सारे सिस्टम ध्वस्त हो चुके हैं ।

याद करिए पहले किसी सरकारी दफ्तर में जाते होंगे और किसी कर्मचारी के बारे पता करते होंगे तो साथ काम करने वाला अधिकारी कहता था उसको खोज रहे हैं बिना पैसा लिये काम नहीं करेंगा बाहर चाय की दुकान पर बैठा होगा ।

और आज अड़े वो पगला है ना पैसा लेगा ना काम करेगा मतलब ईमानदारी पागलपन है फिर भी फाइट करते रहना है संतोष जी ।
आपसे जो जानकारी मिली है इसका यह मतलब है की बालिका और बालक के संरक्षण लिए कानूनी प्रावधान काफी सख्त है लेकिन कार्यान्वयन में समस्या है मैं इसी बिन्दु को हाईकोर्ट के सामने लाते हैं क्यों कि जो व्यवस्था बनायी गयी है इस तरह के गृह को चलाने का वो सही तरह से चल सके ।

बात खत्म हुई एक दूसरे से विदा लिये लेकिन उनकी और उनकी पत्नी की एक एक बात अभी भी मेरे जेहन में चल रहा है महिलाएं अक्सर प्रैक्टिकल होती है उनकी सोच प्रैक्टिकल होती है और हम लोग चीजों को ऊपर ऊपर सोचते हैं गायघाट की अधीक्षिका की सोच इतना ही होगी किसी तरह पटना में पोस्टिंग बनी रहे ताकि बच्चों को पढ़ा सके यही हाल अधिकांश सरकार कर्मी और अधिकारियों का है बस छोटी ही चाहत के लिए कितनीबड़ी से बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है सोचिए
इसलिए ऐसे मामलों में समग्रता में सोचने कि जरूरत है तभी कुछ सार्थक बदलाव सामने आ सकता है ।

नेपाल भागते हुए पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम के आरोपी गिरफ्तार

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) के 4,355 करोड़ रुपए के स्कैम के मुख्य आरोपियों में से एक बैंक के डायरेक्टर दलजीत सिंह बल को रक्सौल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे देश छोड़कर भागने के दौरान इमिग्रेशन विभाग ने गिरफ्तार किया गया है।

2019 में उजागर हुए इस घोटाले की जांच महाराष्ट्र की EOW टीम कर रही है। दलजीत सिंह बल अब तक जांच एजेंसी को चकमा देकर फरार था।

पूछताछ में दलजीत ने बताया है कि देश छोड़कर नेपाल के रास्ते कनाडा भगाने के फिराक में थे। महाराष्ट्र से रक्सौल बॉर्डर तक आसानी से पहुंच गया था। नेपाल में इंटर करने से 200 मीटर पहले ही इमिग्रेशन विभाग ने हिरासत में ले लिया।
2019 में सामने आया था घोटाला

2019 में लोन की धोखाधड़ी और घोटाला सामने आया था। इसके बाद RBI ने PMC बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था। साथ ही RBI ने बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगा दी थी। इस धोखाधड़ी और घोटाले में बैंक के कई सीनियर अधिकारी शामिल पाए गए थे। बैंक द्वारा रियल एस्टेट कंपनी HDIL को दिए गए लोन की RBI को सही जानकारी नहीं दी थी। इस लोन में भी घोटाले के आरोप हैं।

HDIL को दिया था कर्ज
PMC बैंक ने अवैध तरीके से HDIL ग्रुप को 6500 करोड़ रुपए लोन दिया था, जो सितंबर 2019 में बैंक के टोटल लोन बुक साइज 8880 करोड़ रुपए का 73% था। मार्च, 2019 में बैंक की डिपॉजिट 11,617 करोड़ रुपए थी। PMC Bank के पूर्व एमडी जॉय थॉमस और पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह को पिछले साल अक्टूबर में मुंबई की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने गिरफ्तार कर लिया था।

PMC की 7 राज्यों में 137 शाखाएं
PMC अरबन को-ऑपरेटिव बैंक है। महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में इसका कामकाज है। इसकी 137 शाखाएं हैं।

रिमांड होम से लड़कियों की सप्लाई बिहार सरकार के कई मंत्रियों तक की जाती है

गायघाट रिमांड होम मामले में सरकार की मश्किले लगातार बढ़ती जी रही है राज्य के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने सरकार पर बड़ा ही गभीर आरोप लगाया है. राज्यपाल को लिखे पत्र में अमिताभ कुमार दास ने गायघाट रिमांड होम (Patna Remand Home Case) मामले कहा है कि रिमांड होम से लड़कियों की सप्लाई बिहार सरकार के कई मंत्रियों तक की जाती है, इसलिए सरकार इस मामले पर लीपापोती कर रही है. राज्य सरकार इस मामले में सही तरीके से जांच नहीं करवा रही है. आनन-फानन में सरकार के समाज कल्याण विभाग ने खुद से जांच की और रिपोर्ट जारी कर दिया.

अमिताभ कुमार दास ने अपने लेटर में सीधे तौर सरकार और उनके कई मंत्रियों पर आरोप लगाते हुए राज्यपाल से सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने की मांग कर दी है. उन्होंने अपने लेटर में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड का हवाला भी दिया है और बताया है कि कैसे मुजफ्फपुर वाले कांड में उस वक्त की समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू सिन्हा को इस्तीफा तक देना पड़ा था.

वही दूसरी और आज महिला संगठनों की संयुक्त बैठक हुई. बैठक में गायघाट रिमांड होम से मुक्त हुई महिला के बयान के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया.कल शाम को महिला संगठनों की प्रतिनिधियों को उक्त महिला ने विस्तार से अपनी बातें बताई. कल ही एक अन्य लड़की के भी बयान की जानकारी मिली है.

पटना हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतःसंज्ञान लिया है. महिला संगठनों की ओर से हम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि

  1. समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए
  2. गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए.
  3. रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है.इसके लिए गृह के भीतर स्कूल, मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए.
    आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कहीं मुक्कमल नहीं है. इसकी व्यवस्था की जाए.
  4. सुधार गृह में जांच-पड़ताल और संवासिनो से समय-समय पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए.
    5.महिला संगठनों ,मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें,सुधार गृह में जा सकें.इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए.
    बैठक में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) की और मीना तिवारी, शशि यादव, अफ्शां जबीं, बिहार महिला समाज की निवेदिता, रिंकू, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की रामपरी, रश्मि श्रीवास्तव, ए डब्ल्यू एस एफ की आसमां खान, ए आइ एम एस एस की अनामिका, कोरस की समता राय आदि शामिल हुईं.
    महिला संगठनों की तरफ से हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह तत्काल कदम उठाए.ऐसा नहीं होने पर 9 फरवरी को प्रतिवाद कार्यक्रम किया जाएगा.