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Breaking News of Bihar

दरभंगा में बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े गोली मारकर अमेज़न कंपनी की 12 लाख रुपये लूटकर फरार

बेखौफ अपराधियों ने गोली मारकर अमेज़न कंपनी की 12 लाख रुपये की लूट, पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच में जुटी

बिहार में अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि दिनदहाड़े किसी घटना को अंजाम देते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनकर देखते रह जाती है। शायद यही कारण है कि एक के बाद एक क्राइम की घटनाओं को अपराधी अंजाम दे रहे हैं। ताजा मामला दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाना क्षेत्र का है। जहां अपराधियों ने दिनदहाड़े फ्रेंड्स कॉलोनी के पास अमेज़न कंपनी से रुपया कलेक्ट कर बैंक जा रहे रेडिएंट कंपनी के कैशियर जटाशंकर को गोली मारकर 12 लाख रुपये की लूटकर मौके से फरार हो गया। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मचा हुआ है।

घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि बहादुरपुर थाना क्षेत्र के बलभद्रपुर नवटोलिया निवासी जटाशंकर चौधरी रेडिएंट कंपनी में कार्यरत थे और अमेज़न कंपनी के कार्यालय से कैश कलेक्ट कर बैंक में जमा करने जा रहे थे। उसी क्रम में पहले से घात लगाये अपराधी ने फ्रेंड्स कॉलोनी के पास जटाशंकर चौधरी को रोककर तबातोड़ फारिंग कर घायल कर दिया और रुपये से भरा बैग लेकर समस्तीपुर की ओर फरार हो गया। जिसके बाद पुलिस ने स्थानीय लोगो की मदद घायल जटाशंकर को इलाज के लिए अस्पताल भेजा। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वही मौके पर पहुंचे सदर एसडीपीओ कृष्ण नंदन कुमार ने कहा की फ्रेंड्स कॉलोनी के पास जटाशंकर चौधरी नाम के व्यक्ति को अपराधी ने गोली मार दी है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले कि जांच में जुट गई है। वही उन्होंने कहा कि लूट की राशि कितनी है वह अभी कन्फर्म नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला जा रहा है। ताकि अपराधी की गिरफ्तार कर मामले का सफल उद्भेदन किया जा सके।

भारतीय लोकतंत्र के अपराधिकरण से धनाढ़यकरण तक का सफर

भारतीय लोकतंत्र के अपराधिकरण से धनाढ्यकरण तक

भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था हमारे आपकी जरूरतों और मूल्यों पर कहां तक खड़ी उतर रही है यह सवाल अब उठने लगा है। आज कल हमारी मुलाकात पंचायती राज व्यवस्था में चुनकर आये प्रतिनिधियों से रोजाना हो रहा है और इस दौरान पंचायत चुनाव का मतलब क्या रह गया है इसको बेहतर तरीके से समझने का मौका भी मिल रहा है।

सुकून देने वाली बात यह है कि अब इसको लेकर चर्चा होनी शुरु हो गयी है कि इस तरीके से चुन कर आये जन प्रतिनिधियों से आप बदलाव की बात कहां तक सोच सकते हैं, संयोग से जिस इलाके में मैं घूम रहा हूं उसी इलाके का मुकेश सहनी भी रहने वाला है। मुकेश सहनी भारतीय लोकतंत्र का वो चेहरा है जो अब हर गांव में मौजूद है और ऐसे लोगों का लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

1970के दशक में जब लोकतंत्र लोगों की जरूरतों को पूरा करने में फेल होने लगा था तो राजनीति का अपराधीकरण की शुरुआत हुई थी और बिहार में एक दौर ऐसा आया जब जनप्रतिनिधि अपराधियों के सहयोग से मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगे बाद में वही अपराधी जो नेता के लिए बूथ कैप्चर करता था वो खुद बूथ कब्जा कर मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगा।

दो दशक तक बिहार में राजनीति के अपराधीकरण का दौर काफी तेजी से आगे बढ़ा लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद धीरे धीरे यह दौर समाप्त होने लगा एक तो अपराधी भी जनता की जरूरतों पर खड़ा नहीं उतर पा रहा था वही कानून व्यवस्था बेहतर होने पर जनता को भी अपराधी से न्याय मांगने की जरुरत कम पड़ने लगी ।

लेकिन इसी दौर बिहार में चुनाव के दौरान पैसे का खेल भी शुरु हुआ और आज स्थिति यह है कि कल तक जो नेता को चुनाव लड़ने के लिए पैसा देता था वो आज खुद चुनावी मैदान में उतर गया है।और यह प्रवृति गांव से लेकर राजधानी तक लगातार बढ़ता जा रहा है इस बार के पंचायत चुनाव में हर गांव में मुकेश सहनी जैसा व्यक्ति जो मुंबई दिल्ली में अकूत संपत्ति अर्जित कर लिया है वो गांव आकर चुनाव लड़ा है और आने वाले समय में विधायक और सांसद का चुनाव लड़ना है इसकी फील्डिंग अभी से ही शुरु कर दिया है ।

ऐसे लोग करता क्या है यह जब आप समझ जाएंगे तो फिर आपको समझ में आ जायेगा कि लोकतंत्र का मतलब क्या है हालांकि इस तरह के पैसे वालो का काम करने का तरीका अलग अलग है लेकिन सभी तरीकों के पीछे जनता की जरूरतों को कैसे पूरा किया जाये और फिर उसका इस्तेमाल चुनाव के दौरान कैसे किया जाये यही रहता है ।

कई ऐसे पैसे वाले है जो घोषित कर चुके हैं कि हमारे विधानसभा क्षेत्र का जो वोटर है अगर बीमार पड़ता है तो उसके दवा में जितना खर्च होगा वो मुहैया कराएगा ,महिलाओं से जुड़ी जितना भी पर्व त्यौहार आयेगा उसमें उस पर्व से जुड़ी सामग्री संभावित विधायक प्रत्याशी द्वारा मुहैया कराया जाता है ,बेटी की शादी है तो विधायक के जो संभावित उम्मीदवार है उनकी ओर से टीवी फ्रिज जैसी सामग्री मुहैया करायी जाती है।

कल संयोग से ऐसे ही एक संभावित विधायक प्रत्याशी के घर पर जाने का मौका मिला गांव में पांच करोड़ का घर जरूर होगा और उसके घर पर पांच छह बड़ी गाड़ी वैसे ही खड़ी थी। गये थे एक वार्ड पार्षद से मिलने लेकिन उसके घर ठीक से बैठने का जगह तक नहीं था ,जैसे ही पहुंचे वो सीधे उसी संभावित विधायक उम्मीदवार के दरवाजे पर लेकर आ गया बाहर कुर्सी सजी हुई थी।

बैठे ही थे कि गांव में आरो का पानी लेकर एक लड़का आ गया उसके ठीक पांच मिनट बाद बढ़िया नास्ता फिर शुद्ध दुध का चाय, चाय खत्म हुआ नही तब तक लौंग इलाइची लेकर खड़ा है पता चला राजनाथ सिंह राधा मोहन सिंह जैसे नेता इनके घर पिछले चुनाव में आये हुए थे। हर दूसरे तीसरे गांव में इस तरह के संभावित प्रत्याशी आपको मिल जायेगा जो पैसा के सहारे वोट की खेती शुरु किये हुए हैंं और यही वजह है कि इस बार पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को विधायक और सांसद के चुनाव से भी ज्यादा खर्च पड़ा है और इसका असर बिहार के आने वाले चुनाव में भी देखने को मिलेगा ।

वैसे बातचीत में लोग अब कहने लगे हैंं कि सरकार भी मुफ्त राशन,गैस,घर और शौचालय बना कर वोट खरीदता है तो फिर ऐसे लोगों से मदद लेकर वोट करना कहां से गुनाह है भारतीय लोकतंत्र में यह एक नया बदलाव आया है इसके सहारे लोकतंत्र कहां तक खीचता है ये देखने वाली बात होगी ।

Bihar Breaking News : नीतीश कुमार पर मानसिक रूप से विक्षिप्त शंकर कुमार वर्मा ने जरा थप्पड़

मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान बख्तियारपुर में सुरक्षा घेरा तोड़ मुख्यमंत्री के नजदीक पहुंचने की कोशिश करता युवक को पुलिस ने लिया हिरासत में
युवक से हो रही हैं पूछताछ
युवक के बैकग्राउंड की जानकारी पुलिस ले रही है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का विस्तार कर दिया गया है

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का विस्तार कर दिया गया है अब देश की अस्सी करोड़ जनता को सितंबर 2022 तक योजना का लाभ मिलेगा योजना के तहत 5 किलो राशन प्रति व्यक्ति निशुल्क दिया जाता है

पीएम मोदी से नीतीश की गुलाकात पर तेजस्वी ने साधा निशाना, रीढ़ विहीन है नीतीश

CM योगी के शपथ समारोह की एक तस्वीर वायरल है। मोदी के आगे 145 डिग्री तक झुक आए शख़्स का नाम है नीतीश कुमार। ये वही नीतीश हैं जिन्होंने साल 2013 में मोदी को लेकर NDA(भाजपा) से गठबंधन तोड़ लिया था। अब आगे की कहानी पढ़िए।

जून 2013 में मोदी को BJP की चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया तो इन्हीं नीतीश ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद नीतीश ने खुद को धार्मिक तटस्थता के पैरोकार के रूप में पेश किया।

बिहार भाजपा टीम ने महीनों तैयारी कर बिहार में मोदी की पहली रैली करवाई। नाम था- हुंकार रैली। बड़े बड़े पत्रकार दिल्ली से बिहार निर्यात किए गए। पूरे पटना को मोदी के पोस्टरों से आट दिया गया। इस रैली में मोदी ने नीतीश को ‘मौकापरस्त’ और ‘बगुलाभगत’ तक कहा।

अपनी एक किताब में राजदीप सरदेसाई बताते हैं- कुछ साल पहले एक रात्रि भोज पर मैंने नीतीश से पूछा था कि मोदी के बारे में ऐसा क्या था कि वह इतना आहत हो गए। इस पर नीतीश का जवाब था, ‘यह विचारधारा की लड़ाई है…यह देश सेक्यूलर है और सेक्यूलर रहेगा…कुछ लोगों को यह पता होना चाहिए।

हालाँकि नीतीश Secularism का फ़र्ज़ी यूज करते रहे हैं, गुजरात दंगों के बाद पासवान ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया था। लेकिन तब रेलवे मंत्री नीतीश ने कुछ नहीं किया। बल्कि उन्होंने गुजरात जाकर एक कार्यक्रम में मंच भी साझा किया। उन्होंने मुसलमानों को सिर्फ़ छला है।

2010 में बिहार चुनाव हुए। कुछ पर्सेंट मुस्लिम वोट राजद से शिफ़्ट होकर नीतीश की तरफ़ चले गए। इससे नीतीश की फ़ुल Majority के साथ सरकार आई। वे समझ गए लंबी राजनीति के लिए सबका वोट चाहिए। इसलिए उन्होंने भाजपा गठबंधन में रहते हुए भी मोदी से दूरी बनाना शुरू कर दिया।

नीतीश BJP में जेटली और सुशील मोदी से काम चलाते रहे। साल 2009 का समय था। भाजपा के PM पद के उम्मीदवार थे आडवाणी। भाजपा ने शक्तिप्रदर्शन के लिए लुधियाना में संयुक्त रैली रखी और नीतीश को बुलाया। नीतीश ने आने में अनिच्छा ज़ाहिर की क्योंकि उन्हें मालूम था वहाँ मोदी आएँगे।

जेटली ने उन्हें कहा कि ये आडवाणी का कार्यक्रम है इसलिए उनका होना ज़रूरी है। नीतीश के आडवाणी से अच्छे सम्बन्ध थे। इसलिए वहां जाने के लिए राज़ी हो गए। लेकिन मोदी बड़े राजनीतिक खिलाड़ी हैं। नीतीश के मंच पर पहुंचते ही वे अभिवादन करने के लिए पहुँच गए और नीतीश का हाथ पकड़ लिया।

ये ऐसा सीन था जिसे TV और अख़बारों की हेडलाइनों ने लपक लिया। नीतीश इसपर लाल-पीले हो गए। उन्होंने मोदी के हाथ पकड़ने की घटना को खुद के साथ विश्वासघात कहा। राजदीप की किताब के अनुसार नीतीश ने बाद में जेटली से कहा, ‘आपने अपना वायदा नहीं निभाया। साल 2010 में पटना में, BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक थी। पूरे पटना में मोदी के बड़े-बडे़ पोस्टर लगाए गए। जिसमें कोसी के बाढ़ पीड़ितों के लिए मोदी के योगदान का आभार व्यक्त किया गया था। दरअसल गुजरात सरकार ने बाढ़ पीडितों के लिए 5 करोड़ रुपए दिए थे।

नीतीश ने पटना में आए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को अपने यहां डिनर पर बुलाया हुआ था। नीतीश ने जब समाचार पत्रों में मोदी के दान वाले विज्ञापन देखे तो ग़ुस्सा हो गए। उन्होंने डिनर कार्यक्रम तक रद्द कर दिया। और बाद में दान के पैसे लेने से भी इंकार कर दिया।

इस बात पर मोदी भी गुस्सा हो गए। राजदीप की किताब के अनुसार मोदी ने BJP अध्यक्ष गडकरी से कहा, ‘आप नीतीश को मेरे साथ ऐसा आचरण की अनुमति कैसे दे रहे हैं?’ नीतीश की आत्मकथा लिखने वाले संकर्षण के अनुसार, ‘यह वह दिन था जब नीतीश-मोदी की लड़ाई ने व्यक्तिगत स्तर पर एक भद्दी शक्ल ले ली“।

राजदीप सरदेसाई की किताब के अनुसार- 2010 की घटना पर नीतीश ने अपने एक सहयोगी से कहा ‘हम उनके (मोदी-भाजपा) बगैर भी चल सकते हैं।’

2010 के बाद भाजपा में मोदी का क़द बढ़ने लगा। 2013 तक वे भाजपा के निर्विवादित शीर्ष नेता बन गए। 2013 में नीतीश ने भी BJP गठबंधन से रिश्ता तोड़ लिया।

एक वक्त था, जब सार्वजनिक मंच पर मोदी के गले मिलने पर नीतीश लाल-पीले हो गए और एक वक्त अब है, जब वो ही नीतीश तीर-कमान की तरह मोदी के पैरों में लटक रहे हैं। वे एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन आचरण उस राज्यपाल की तरह कर रहे हैं जिसका कार्यकाल PM की दया पर आश्रित होता है।

बाप के हत्यारा को मिल रहा था सरकारी संरक्षण,आहत होकर बेटा ने किया आत्महत्या

मोतिहारी -चर्चित RTI कार्यकर्ता के पुत्र ने की आत्महत्या, न्याय और एसपी के नही मिलने से क्षुब्ध होकर किरोसिन तेल छिड़क लगाई आग, हाई टेंशन तार पर कूद झुलसा

मोतिहारी में अपने पिता आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की हत्या से सदमे में चल रहे पुत्र रोहित कुमार (14 वर्ष) ने आत्महत्या कर जीवनलीला समाप्त कर ली। मोतिहारी के ही एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। रोहित पुलिस की कार्रवाई से नाखुश चल थाम। उसके दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार की सुबह वह एसपी से मिलकर न्याय की गुहार लगाने गया था। उसने बकायदा फोन कर उनसे अनुमति भी ली थी।

लेकिन उससे एसपी नहीं मिलकर अधीनस्थ कर्मी को भेजे। जबकि वह एसपी से ही मिलने की गुहार लगाता रहा। लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद भी संतोषजनक जवाब नही मिला। इस कारण सदमे में आकर रोहित ने घर लौटकर आत्महत्या का प्रयास किया। घर के सामने एक तीन मंजिले निजी नर्सिंग होम के छत पर पहले उसने प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए फिर केरोसिन छिड़ककर शरीर मे आग लगाई। और छत से कूदकर बिजली प्रवाहित हाई टेंशन तार पर गिरकर आत्महत्या का प्रयास किया। इसमें वह बुरी तरह झुलस गया।

घटना के तत्काल बाद परिजनों ने आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल के सबसे बड़े पुत्र रोहित को मोतिहारी नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां देर रात रोहित की इलाज के दौरान मौत हो गयी। पहले पति को खोने व अब न्याय के लिए पुत्र को खोने के कारण आरटीआई कार्यकर्ता की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है। बता दें कि हरसिद्धि बाजार निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या दबंगों ने इसलिए करवा दी थी कि वे सरकारी जमीन से कब्जा हटाने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में आधे दर्जन अतिक्रमणवाद के जनहित मुकदमे लड़ रहे थे।

बीते वर्ष 24 सितंबर को प्रखंड कार्यालय से बाहर निकलने के दौरान विपिन की हत्या गोलियों से भूनकर कर दी गई थी। पुलिस ने घटना में शामिल सुपारी किलर सहित कई को गिरफ्तार कर न्याययिक हिरासत में भेज दिया। वही हत्या में दबंगों व एक राजनेता का नाम सुर्खियों में आया था। जिसपर करवाई नही होने को लेकर दो बार आरटीआई कार्यकर्ता के परिजन सड़क जाम कर व आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे। वहीं लोगों में चर्चा है कि जिस सरकारी जमीन पर कब्जा हटाने को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या की गई। उस पर से प्रशासन आजतक अतिक्रमण नहीं हटा सका।

आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल के पिता विजय अग्रवाल ने वीडियो जारी कर बताया कि रोहित गुरुवार को एसपी से मिलने के लिये सुबह में ही एसपी कार्यालय पहुंचा था,जहां एसपी के नही मिलने पर कार्यालय कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया। जिसके बाद एसपी रोहित से मिले,लेकिन एसपी की ओर से रोहित को संतोषजनक जबाब नही मिला।

आरटीआई कार्यकर्ता दिवंगत बिपिन अग्रवाल के पिता और आत्महत्या का प्रयास करने वाले रोहित के दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि एसपी ने अरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रयास करने का आश्वासन दिया जबकि हत्या के पांच महीने गुजरने पर हत्या की साजिश करने वालो को गिरफ्तार करने की मांग पर रोहित अड़ा रहा।

इसी कारण नाराज और सदमे में चल रहे रोहित ने फोन कर 15 मिनट में पुलिस कार्रवाई करने नही करने या अस्वाशन नही देने पर आत्महत्या की धमकी दिया था,लेकिन पुलिस की कार्रवाई 15 मिनट में पूरा नही होने पर रोहित ने शरीर मे आग लगा कर नर्सिंग होम के तीन मंजिले छत से कूद पड़ा है। छत से कूदने के पहले रोहित ने प्रशासन के खिलाफ नारे भी लगाया। दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि हत्यारोपियों की गिरफ्तारी नही होने और एसपी के नही मिलनेसे क्षुब्ध रोहित ने यह आत्मघाती कदम उठाया है।

मालूम हो कि 24 सितंबर 2022 को हरसिद्धि प्रखंड कार्यालय से निकलते समय दिनदहाड़े दिन के करीब 12 बजे मिटरसायकिल पर सवार अपराधियो ने गोलियों से भूनकर आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की हत्या कर दिया था। बताया जाता है कि हत्या के पीछे हरसिद्धि बाजार के करोड़ो रूपये की व्यवसायी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। जिसपर कई बहुमंजिले इमारत और व्यवसायिक प्रतिष्ठान स्थापित है।

सूचना के अधिकार कानून के सहारे इसी कुकृत्य का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल ने किया था,जिसके बाद से ही वह सफेदपोश,माफिया और व्यवसायियों के आखो का किरकिरी बना था। इन्ही कारणों से बिपिन अग्रवाल की हत्या कर दिया गया। हत्या के बाद परिजन न्याय की मांग को लेकर कई बार हरसिद्धि में अरेराज बेतिया सड़क को जाम कर धरना दिया था। पुलिस ने हत्या में शामिल कई अपराधियो को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

लेकिन परिजन हत्या के पीछे के सफेदपोश,माफिया और व्यवसायियों के गठजोड़ का खुलासा करने और इनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े है। इन्ही मांगो को लेकर आज रोहित एसपी से मिलने आया था। लेकिन मांगी को पूरा नही होने से सदमे में रोहित ने आत्मघाती कदम उठाया है। और आज उसकी मौत हो गयी ।

बिहार मंत्रिमंडल में बदलाव के संकेत, बीजेपी कोटे के कई मंत्री का कट सकता है पत्ता

बिहार की राजनीतिक गलियारों में चर्चा सरेआम है कि बिहार विधानसभा सत्र के समापन के साथ ही बिहार की राजनीति में बवंडर आना तय है हाल ही में केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय और नीतीश कुमार की मुलाकात उसी बवंडर को थोड़े समय तक टालने की कवायत मानी जा रही है। हालांकि यूपी में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है लेकिन बीजेपी इस बात को लेकर चिंतित है कि बिहार सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद बीजेपी का कोई भी मंत्री उस तरह का प्रभाव नहीं छोड़ पाया है जिसके सहारे बिहार की राजनीति को साधा जा सके।

ऐसे में सत्र के बाद बिहार मंत्रीमंडल में बीजेपी कोटे के मंत्री में बड़ा बदलाव हो सकता है जिसमें उप मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों का हटना तय माना जा रहा है ।वही नीतीश कुमार ने मंत्रीमंडल में बदलाव का प्रस्ताव लेकर आये केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय को दो टूक कह दिया है कि साथ सरकार चलानी है तो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को भी हटाये ,ऐसी खबरें आ रही है कि अध्यक्ष को मंत्रीमंडल में शामिल करने पर विचार चल रही है।

आज दिल्ली में बिहार बीजेपी के सांसदों से पीएम की मुलाकात इसी की एक कड़ी मानी जा रही है क्यों कि बिहार को लेकर ऐसी खबरे आनी शुरु हो गयी है कि नीतीश कुमार बीजेपी और खास करके अमित शाह के कार्यशैली से नराज चल रहे हैं और वो साथ छोड़ने को लेकर सही समय का इन्तजार कर रहे हैं ऐसे में नीतीश कुमार का विकल्प क्या हो सकता है इस पर भी राय-मशविरा हुआ है वैसे बोचहा विधानसभा उप चुनाव में भाजपा सांसद का चिराग पासवान से मिलना इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है ।

इस बीच यूपी में मुलायम के परिवार की वापसी नहीं होने पर तेजस्वी नीतीश कुमार को लेकर पहले से मुलायम हुए हैं और शरद पवार और के0 चंद्रशेखर राव द्वारा विपक्षी एकता को लेकर जो कवायत शुरु की गयी है उसमें ममता बनर्जी के शामिल होने की खबर आ रही है।

इसी को देखते हुए राजद राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की सियासी खेल को संभालने के लिए शरद यादव की पार्टी का राजद में विलय करया है ताकि दिल्ली की राजनीति को साधा जा सके और इसके लिए राजद अपने कोटे से शरद यादव को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।

इस बीच खबर ये भी आ रही है कि विपक्षी एकता अगर शक्ल लेती है तो नीतीश कुमार चाहेंगे की बिहार में मध्यावधि चुनाव हो और वो भी गुजरात के साथ हो। जदयू जिस तरीके से पंचायत स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश में लगी है उसको मध्यावधि चुनाव से ही जोड़ कर देखा जा रहा है ।वैसे राष्ट्रपति चुनाव आते आते बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा ये साफ दिखने लगा है ।

क्यों कि नीतीश कुमार पर जिस तरीके से बीजेपी लगातार दबाव बना रही है ऐसे में बहुत मुश्किल हो रहा है नीतीश कुमार को सरकार चलाना जानकारी यह भी है कि फिल्म कश्मीर फाइल्स को बिहार में टैक्स फ्री होने कि जानकारी उन्हें मीडिया से मिली थी ।

इसी तरह विधानसभा में वंदे मातरम को शामिल करना, फिर जुम्मा की नमाज को लेकर विधानसभा में बेवजह तूल देना ,वही बिहार विधानसभा में बन रहे शताब्दी स्तंभ से अशोक स्तंभ का हटाया जाना जैसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं ऐसे में बिहार विधानसभा अध्यक्ष के कार्यशैली को लेकर नीतीश कुमार को सदन में आकर प्रतिकार करना पड़ा उससे नीतीश काफी आहत है ऐसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश सहज नहीं है ।

बिहार आज भी देश के आखिरी पंक्ति में खड़ा है

आज बिहार दिवस है और आज ही के दिन 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग हुआ था कहने को तो आज का दिन बिहार के लिए हर्ष का दिन है लेकिन सवाल यह भी है कि 1912 में बिहार जहां खड़ा था आज बिहार कहां खड़ा है ।

बिहार जब बंगाल से अलग हुआ तो 1917 ई. में पटना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई यह भारतीय उपमहाद्वीप का सातवाँ सबसे पुराना स्वतंत्र विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था और स्थापना के 25 वर्ष में यह विश्वविद्यालय ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट कहलाने लगा था।

पटना में 1925 में पीएमसीएच की स्थापना हुई और स्थापना के साथ ही इसकी पहचान देश और दुनिया के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेज में होने लगा था।

1947 में बिहार जीडीपी में देश में नम्बर वन पर था आजादी के तुरंत बाद बिहार की अभिशाप माने जाने वाली कोसी नदी के बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए 1958 में बराज बनाया है वही सिंचाई के लिए भीम नगर में बराज बनाया गया और उससे गंडक नहर निकाला गया उसी तरीके से कोसी से कोसी नहर निकाला गया ।

कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए 1903 में पूसा में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी आजादी के बाद बरौनी का विकास औधोगिक नगरी के रूप से हुआ लेकिन आज बिहार कहां खड़ा है बिहार का दस में दो व्यक्ति देहारी मजदूरी और छोटे छोटे रोजगार के लिए बिहार से बाहर है ।

बिहार का 90 फीसदी छात्र जो बेहतर कर रहा है वो बिहार से बाहर पढ़ रहा है बिहार की स्कूली शिक्षा और कॉलेज का हाल झारखंड से भी बूरा है ।

बिहार बोर्ड के पिछले 10 वर्षो के टांपर का हाल यह है कि कहीं किसी गांव में परचून का दुकान खोल कर रोजी रोटी कमा रहा है ।

आजादी के समय जो गिना चुना शहर था पटना को छोड़ दे तो किसी भी शहर में बेसिक सुविधा भी नहीं है ।शहरीकरण के क्षेत्र में बिहार देश का सबसे पिछड़ा हुआ राज्य है यही स्थिति रोजगार सृजन और शिक्षा ,स्वास्थ्य का है छोटी सी भी बीमारी हुआ तो दिल्ली जाना ही है। पटना में कुछ बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था जरुर है लेकिन वो भी राष्ट्रीय स्तर के मानक पर खड़ा नहीं उतर रहा है ।

मतलब 1947 में बिहार जहां खड़ा था वहां भी आज बिहार खड़ा नहीं है पिछले 15 वर्षो में बिहार में बहुत कुछ हुआ है गांव गांव में बिजली और सड़क पहुंच गयी है लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य उतना ही दूर हो गया है ।नवीन पटनायक 2000 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने थे उस समय ओडिशा की स्थिति बिहार से भी बूरी थी नीतीश 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने आपदा के मामले में बिहार और ओडिशा लगभग एक जैसा ही राज्य है लेकिन ओडिशा कहां पहुंच गया और बिहार कहां है ।

देश स्तर पर आज भी बिहार वहीं खड़ा है जहां 15 वर्ष पहले खड़ा था, बिहार दिवस के मौके पर हर बिहारी को सोचना चाहिए कि बिहार के आने वाले पीढ़ी के लिए हम लोग क्या छोड़ कर जा रहे हैं वही बिहारी शब्द जिसे गाली के रुप में इस्तेमाल किया जाता है या फिर एक ऐसा बिहार जहां का होना गर्व कहलाये ।

1–बिहार के शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत है
सोचिए आज बिहार और बिहारी कहां खड़ा है हमारे हाथ से एक साजिश के तहत शिक्षा छीनी जा रही है एक आसरा था दिल्ली वो भी हाथ से निकल चुका है जेएनयू जहां बिहार का गांव बसता था जहां से बिहारी बच्चे नई उड़ान,भरते थे उस घोंसला को ही उजाड़ दिया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय में सीट कम हो गया आईआईटी और जेई की परीक्षा का स्तर इतना हाई हो गया है वहां बिहार की शिक्षा व्यवस्था दूर दूर तक खड़े नहीं उतर रहा है ।इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत है और बिहार से बाहर जो बिहारी हैं इस विषय पर सोचे ।

हालात यह है कि बिहार के पास अब अच्छे शिक्षक भी नहीं है आज पूरे देश में दरभंगा जैसे छोटे से कस्बे से निकल कर फिजिक्स के छात्रों को ‘धर्मग्रंथ’ देने वाला एचसी वर्मा जैसे विद्वान से बात करने कि जरूरत है कि यह कैसे सम्भव है शिक्षा ही एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां आज भी बिहारी का जोड़ नहीं है ये बिहारियों के डीएनए में है इसलिए इसे बेहतर करने पर सोचने कि जरुरत है ।

2–कृषि के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है

आज बिहारी अपने दम पर अंडा और मछली के क्षेत्र में बड़े बड़े खिलाड़ी को चुनौती दे रहा है ,पांच वर्ष पहले तक जहां गांव गांव के हाट पर आंध्र की मछली मिलती थी, लेकिन आज स्थिति बदल गयी है बिहार की मछली एक बार फिर बिहार से बाहर जाने लगी है।

इसी तरह अंडा जहां आंध्र और पंजाब का एक छत्र राज्य था आज बिहार उसे चुनौती दे रहा है ।दूध के क्षेत्र में तो देश स्तर पर बिहार अमूल को चुनौती देने लगा है।

इसी तरह का काम सब्जी के क्षेत्र में करने की जरूरत है आज उपज का 90 प्रतिशत हिस्सा औने पौने दाम में बेचने को किसान मजबूर है । मक्का ,आलू और लीची के क्षेत्र में देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में बिहार एक है लेकिन पॉपकॉर्न बनाने के लिए बिहार का मक्का मुंबई जाता है जहां 20 रुपये किलों का मक्का किस भाव में लेते हैं आपसे बेहतर कौन जानता है।

ऐसा ही हाल आलू का है जिसके उत्पादक किसान हर दूसरे वर्ष आलू सड़क पर फेंकने को मजबूर होता है । गेहूं और चावल के क्षेत्र में भी एक खास तरह का ब्रांड बिहार पैदा करता है लेकिन उसका लाभ दूसरा राज्य उठाता है ।

कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र हां जहां रोजगार और किसान के समृद्धि का एक नया दौर लाया जा सकता है जबसे बिहार का किसान कमजोर हुआ है बिहारी डीएनए जो पहचान रही है वो गांव से बाहर निकल ही नहीं पा रहा है जो निकल रहा है वो कही रेरी लगा रहा है या फिर नाइट गार्ड का काम कर रहा है ।

3—पर्यटन और कला संस्कृति के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है
कृषि योग्य भूमि की तरह ऊपर वालों ने बिहार को पर्यटन और कला संस्कृति के क्षेत्र में बहुत कुछ दिया है जिसकी बेहतर मार्केटिंग करके बिहार के जीडीपी को ऊंचाई तक पहुंचाया जा सकता है ।

क्या नहीं है बिहार में सभी धर्म का आस्था का केन्द्र बिहार है कला और संस्कृति की ही बात करे तो बहुत कुछ है जिसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की जा सकती है ।

लेकिन इन सब के लिए हम सभी बिहारियोंं को जाति और धर्म के नाम पर जारी सियासत से बाहर हम सब बिहारी है इस नारे के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा ।तभी बदलाव सम्भव है लेकिन बिहारी आगे ना बढ़ जाये इसका खतरा पूरे देश के नेता को है इसलिए हमे उलझा कर रखता है इसे भी समझने की जरूरत है ।

पटना हाईकोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी एलिजिबिलिटी टेस्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा गलत उत्तर का विकल्प के रूप में देने के मामलें में सुनवाई की

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने नितिन कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया।

कोर्ट ने बिहार परीक्षा समिति को स्पष्ट कर दिया कि सीनियर सेकेंडरी शिक्षक की कोई भी अंतरिम नियुक्ति इस मामलें में कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रश्न संख्या 4,50,59,85,89 के उत्तरों के विकल्प गलत दिया गया था।ये परीक्षा कंप्यूटर साइंस से सम्बंधित था।

याचिककर्ता की अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के समक्ष उम्मीद्वार ने 7 गलत विकल्प प्रस्तुत किया, लेकिन समिति ने इन गलतियों को अनदेखा कर दिया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस प्रकार की गड़बडियां होने के कारण बहुत उम्मीद्वारों का भविष्य खतरे में पड गया है।कंप्यूटर साइंस में 1673 पदों पर नियुक्ति होनी हैं।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

बिहार दिवस आज पूरा बिहार डूबा बिहार दिवस के रंग में

जियो बिहार … बिहार जिंदाबाद @ 110
नए कैलेंडर और शासनिक प्रक्रिया के हिसाब से हमारा, हम सबका बिहार, 110 साल का हो गया।

वह बिहार, जिसका इतिहास कमोबेश मानव सभ्यता-संस्कृति का इतिहास है; जिसने दुनिया को लोकतंत्र की अवधारणा से वाकिफ कराया; जिसने चंद्रगुप्त-सम्राट अशोक-बुद्ध-महावीर- वाल्मिकी-चाणक्य-आर्यभट्ट-गुरू गोविंद सिंह महाराज जैसे महानतम शख्सियतों के आचार-सिद्धांतों से लेकर नालंदा- विक्रमशिला विश्वविद्यालय के जरिए दुनिया को ज्ञान दिया;

जिसने आजादी से पहले सात समंदर पार कई-कई देश गढ़े; जिसने मोहन दास करमचंद गांधी को महात्मा बनाया; जो जेपी की संपूर्ण क्रांति का स्थल है, जो आज की तारीख में महिला सशक्तीकरण व ऐसे कई बड़े बुनियादी मसलों पर देश-दुनिया को रास्ता दिखा रहा है; जो लोकसेवाओं के बड़े पदधारकों की ‘फैक्ट्री’ कहलाता है;

जो दुबई में बुर्ज खलीफा व लद्दाख की सड़क बनाता है, दिल्ली में ऑटो चलाता है, कोलकाता में ठेला खींचता है और दिल्ली के केंद्रीय मंत्रालय में बैठकर देश चलाने की नीतियां भी बनाता है; और जो अपनी इन्हीं चौतरफा मौजूदगी को इकट्ठे भाव में विशेषकर छठ के पावन मौके पर गर्व के भाव में परोसने की हैसियत पाता है कि ‘मैं सूर्य हूं, सूर्य मुझमें हैं।’

(बहरहाल, सबको बिहार दिवस की बहुत बधाई, शुभकामनाएं).।

लेखक–मधुरेश सिंह

भागलपुर में मौत का आकड़ा 17 तक पहुँचा

शमशान घाट में लगता जा रहा लाशों का अंबार, जहरीली शराब ने कितनों की ले ली आंखों की रौशनी तो कितनों की गई जान, कई मोहल्लों में छाया मातम। शासन अलर्ट मोड में, कहां – बॉर्डर पर रहेगी नाकेबंदी, शराब तस्कर पर नकेल कसने के लिए प्रशासन पूर्णरूपेण है तैयार।

भागलपुर,होली के दौरान पिछले 48 घंटे में भागलपुर जिले के अलग-अलग जगहों में 17 लोगों की संदिग्ध हालत में मौत हो जाने से पूरा प्रशासनीक महकमा सवाल के घेरे में आ गई है । सवाल है आखिर बिहार में जहरीली शराब आ कैसे रही है।वही दुसरी ओर बांका में 12 और मधेपुरा में भी 3 लोगों की इसी तरह जान चली गई। सबों के मौत का सिस्टम एक ही, पहले पेट दर्द फिर उल्टी होना उसके बाद सांस लेने में परेशानी और सिर चकराने लगना उसके बाद मौत। कई परिजनों ने शराब पीने की बात भी बताई।

कोविड के दो साल बाद होली का रंग चढ़ा ही था की पूरे सूबे को फिर से किसी की नजर लग गई। उसका दाग भागलपुर के अलावे कई शहरों को दागदार बना दिया। एक साथ कई लोगों की संदिग्घ मौत प्रशासन के सिस्टम पर सीधे सवाल खड़ा कर रही है। पूरे सूबे में सरेआम चर्चा है कि जहरीली शराब के पीने से ही मौत हो रही है। फिलहाल जांच किया जा रहा है। डीएम सुब्रत सेन और एसएसपी बाबू राम पूरी घटना के बाद अलर्ट हैं। लेकिन एक बात है कि शराब पीने वाला शराब ही नहीं पीता, माँ की खुशी, पत्नी का सुकून, बच्चों के सपने और पिता की प्रतिष्ठा भी पी जाता है। भागलपुर के बरारी शमशान घाट पर जलती लाश जो बयां कर रहा है, वह कोविड काल की याद दिला रहा है।

अब सवाल यह उठता है कि जब पूरे बिहार में शराबबंदी है तो फिर बिहार के हर जिले में शराब आता कहां से है? पूरे बिहार में शराबबंदी के बाबजूद है लोग शराब पीते क्यों हैं?

बिस्मिल्लाह खान की जंयती आज

बिस्मिल्लाह खान जीवन भर तीन चीज़ों को अपने सीने से चिपटाए रहे – गंगा, बनारस और उनके जनम का स्थान बिहार का डुमरांव क़स्बा. कोई कहता कि खां साब चलिए आपके लिए अमेरिका में म्यूजिक स्कूल खोल देते हैं, कोई कहता दिल्ली-बंबई में चल कर रहा जाय, कुछ माल बनाया जाय. वे बालसुलभ भोलेपन में अगले की आँखों में आँखें डाल कर कहते, “”अमाँ यार! गंगा से अलग रहने को तो न कहो!”

शहनाई उनके होंठो से लगते ही आसपास की हवा को प्रेम और करुणा से सराबोर कर देती थी. वह उनकी आत्मा की पाक ज़ुबान थी जिसका होना आसपास के कंकड़-पत्थरों तक की स्मृतियों में दर्ज हो जाता होगा. उस दैवीय स्वर को गंगा किनारे की उस मस्जिद के किसी कंगूरे की नन्ही ढलान में अब भी ढूँढा जा सकता है जहाँ वे हर रोज गंगास्नान के बाद नमाज पढ़ते थे. उसकी लरज़ को बालाजी मंदिर के फर्श के उन चकले पत्थरों की खुरदरी छुअन में महसूस जा सकता है जिन पर बैठकर उन्होंने पचास से भी ज्यादा सालों तक रियाज़ किया.

दोनों इस कदर आपस में घुल गए थे कि ठीक-ठीक कह सकना मुश्किल होगा कि शहनाई बिस्मिलाह थी या बिस्मिलाह शहनाई थे.

और राग की तपस्या ऐसी कि जो उस जुगलबंदी की गिरफ्त में आया फिर जीवनभर मुक्त न हो सका. पत्रकार जावेद नकवी के हवाले से एक वाकया पता लगता है. सन 1978 में दिल्ली में एक ओपन एयर थियेटर में प्रोग्राम चल रहा था. अचानक लाइट चली गई. बेखबर खान साहब तन्मय होकर बजाते रहे. आयोजकों में से किसी एक ने कहीं से एक लालटेन लाकर उनके सामने धर दी. अगले एक घंटे तक वे उसी की झपझपाती रोशनी में शहनाई बजाते रहे. ऑडिएंस खामोशी से सुनती रही. बजाना ख़त्म हुआ, उस्ताद ने आखें खोलीं. बोले – “लाइट तो जला लिए होते भाई!”

बिस्मिलाह खान का चेहरा भारतीय क्लासिकल संगीत का सबसे मुलायम, सबसे निश्छल चेहरा था. चौड़ी मोहरी वाला सफ़ेद पाजामा, गोल गले वाला सफ़ेद कुरता जिसकी जगह गर्मियों में जेब वाली बंडी ले लिया करती, सफ़ेद नेहरू टोपी और मुंह में बीड़ी. बनारस की गलियों में रिक्शे पर यूं सफ़र करते थे गोया रोल्स रॉयस में घूम रहे हों. उनकी सादगी और साफगोई के बेशुमार किस्से सुनने-पढ़ने को मिलते हैं.

जीते जी वैश्विक धरोहर बन गए इस उस्ताद संगीतकार की मौत के कुछ साल बाद यूं हुआ कि उन्हें भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री प्रमाणपत्र को दीमक खा गयी. इसके कुछ साल बाद उनके घर में चोरी हुई. एक कमरे की दराज़ से पांच शहनाइयां चोरी हुईं जिनमें से तीन चांदी की थीं. एक साल बाद पुलिस ने चांदी वाली शहनाइयों को बनारस के एक सुनार के पास से गली-अधगली हालत में हासिल किया. उस्ताद के एक पोते नज़रे हसन ने कुल सत्रह हज़ार रुपये में उन्हें बेच डाला था. स्पेशल टास्क फ़ोर्स द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद अपना जुर्म कबूल करते हुए उसने कहा, “मुझे बाजार में उधार चुकाना था.”

आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्मदिन पड़ता है. देश-समाज-परम्परा वगैरह बहुत बड़ी बातें हैं. आदमी बनने का थोड़ा-बहुत शऊर सीखना हो तो यूट्यूब वगैरह पर पांच-सात मिनट उनकी बजाई शहनाई सुन लीजिए.

शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

Bihar Breaking News : दिल्ली । औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल में लोकतांत्रिक जनता दल का विलय हो गया। शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

शरद यादव जदयू से अलग होकर 2018 में अपनी पार्टी का गठन किया था।

लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव राजद के साथ महागठबंधन में शरद यादव की पार्टी ने लड़ी थी।

इन दिनों शरद यादव बीमार चल रहे हैं।

आज रजधानी दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में शरद यादव अपनी पार्टी का विलय राजद में किया।

दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राजद सांसद एडी सिंह, राजद सांसद मीसा भारती, राजद सांसद मनोज झा, राजद नेता श्याम रजक, राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद नेता जय प्रकाश नारायण यादव और राजद नेता शिवानन्द तिवारी मौजूद रहे।

मुजफ्फपुर बालिका गृह मामले से जुड़ी फिल्म बन कर तैयार जल्द होगा रिलीज

मई 2019 में मुंबई से पुलकित मुझसे मिलने पटना आये हुए थे ये बिहार से ही हैं और सुभाष चंद्र बोस और साल 2017 में आई फिल्म ‘मरून’ का ये डायरेकटर कर चुके हैं और मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले से जुड़ी फिल्म बनाने के बारे में मुझसे बातचीत करने आये थे।

इन्होंने कहा कि फिल्म पूरी तौर पर आपके चरित्र पर ही आधारित है और आपकी भूमिका में शाहरुख खान होगे मैं हैरान हो गया पत्रकार फिल्म का मुख्य किरदार मुझे समझ में नहीं आ रहा था, फिर इनसे लम्बी बातचीत हुई और कहां कि इस कांड से जुड़े सभी चरित्र का हम लोगों की टीम ने अध्ययन किया है आप ना होते तो यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता इसलिए यह फिल्म पूरी तौर पर आप पर ही आधारित है ।

हम लोगों की टीम आपके कार्यों से जुड़े सारे तथ्यों का संकलन कर लिया है और अब मैं आपसे बस सहमति लेने आये हैं।तीन दिनों तक मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़े मामले में मैंने किस तरीके से स्टोरी चलना शुरू किया फिर इस दौरान किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ा इस विषय पर लम्बी बातचीत हुई। झारखंड विधानसभा चुनाव में टाटा थे उसी दौरान मुझे मुंबई से फोन आया संतोष जी आप कितनी जल्दी मुबंई आ सकते हैं फिल्म को लेकर कुछ औपचारिकता है आपका आना जरुरी है।

21 दिसंबर 2019 को मुंबई पहुंचे वहां शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट (Red Chillies Entertainment)कंपनी से जुड़े लोगों से मुलाकात हुई और फिर मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़े पत्रकारिता को लेकर काफी सवाल जवाब हुआ और उसके बाद फिल्म बनाने को लेकर मुझसे सहमति ली गयी।

लेकिन कोरोना के कारण फिल्म बनना शुरू नहीं हुआ फरवरी 2022 में पुलकित जी का फोन आया संतोष जी फिल्म की शूटिंग शुरू हो गयी है शाहरुख खान जी का मसला पता ही होगा और कोरोना फिर कब वापस आ जाए कहना मुश्किल है इसलिए फिल्म में आपका किरदार भूमि पेडनेकर निभाएंगी फिल्म में संजय मिश्रा जी भी है ।

मैं निराश हो गया कहां शाहरुख खान और अब कोई लड़की पत्रकार बन रही है खैर भूमि पेडनेकर का नाम मैं सूना नहीं था अपनी बेटी से पूछे टिया ये भूमि पेडनेकर कौन हीरोइन है वो बोली आप ही की तो चहेती है टॉइलेट – एक प्रेम कथा वाली इतना सुनते ही मैं उछल पड़ा चलो मजा आयेगा मेरी ही तरह वो भी जिद्दी है।

आज पुलकित जी का फोन आया संतोष जी मुंबई आने के लिए तैयार रहिए फिल्म की शूटिंग पूरी हो गयी है एडिटिंग चल रहा है और इसी वर्ष फिल्म रिलीज होगा ।

पुलकित जी ने मुझसे कहां था कि जब तक फिल्म की शूटिंग नहीं हो जाती है तब तक आप इसको पब्लिक नहीं करेंगे, आज वो दिन आ गया है जब इस खबर को सार्वजनिक करते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है।

फिल्म का नाम है भक्षक और यह फिल्म पूरी तौर पर मेरी भूमिका पर केन्द्रित है तो फिर इन्तजार करिए एक तरफ द कश्मीर फाइल्स है तो दूसरी तरफ भक्षक हिंदुस्तान का दो चेहरा एक चेहरा जो नफरत पैदा करा है तो दूसरा सिस्टम के उस घिनौने सच को उजागर कर रहा है जिसके पीछे पूरा तंत्र खड़ा है।

भ्रष्ट आचरण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कई जज को सेवा से किया मुक्त

पटना हाई कोर्ट के अनुशंसा के आलोक में 14 न्यायिक पदाधिकारियों को बिहार सेवा संहिता, 1952 के नियम – 74 (बी)(ii) के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। इस आशय की अधिसूचना बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 16 मार्च, 2022 को जारी की गई है।

अनिवार्य सेवानिवृत्त किये जाने वालों में शेखपुरा के जिला व सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार दूबे, पटना हाई कोर्ट के विशेष कार्य पदाधिकारी कमरूल होदा, मधुबनी के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश इशरातुल्लाह, मुजफ्फरपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार- III, कटिहार के डी एल एस ए के सचिव विपुल सिन्हा हैं।

भागलपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुश्री प्रीति वर्मा, बांका के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश चंद्र मोहन झा, बाढ़ (पटना) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश शत्रुघ्न सिंह, रोहतास, सासाराम के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश परिमल कुमार मोहित भी शामिल है।

भागलपुर के श्रम न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी प्रभु नाथ प्रसाद, मोतिहारी ( सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह – सी जे एम सुधीर कुमार सिन्हा, मुजफ्फरपुर (पश्चिम) के सब जज – सह – ए सी जे एम, सतीश चंद्र, पटना सिटी (सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह- ए सी जे एम संजीव कुमार चन्द्रीयावी व मसौढ़ी, पटना (सम्प्रति निलंबित ) के एस डी जे एम हरे राम का नाम शामिल है।

फिल्म द कश्मीर फाइल्स के सहारे क्या संदेश देना चाह रहा है फिल्म निर्देशक

कश्मीर से मेरा पुराना वास्ता रहा है दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान कश्मीरी छात्रों के एक ग्रुप से हमारी अच्छी बनती थी और कश्मीर समस्या को लेकर अक्सर बहस होती रहती थी।

मेरा पहला प्यार भी कश्मीर से ही थी इसलिए कश्मीर से मेरा दिल का भी रिश्ता रहा है और यही वजह कि कश्मीर हमेशा मेरे जेहन में बसता है।

कश्मीर से किसी तरह जान बचा कर कर आये कश्मीरी से भी दिल्ली में अक्सर मिलने जाया करते थे हमारी वो कश्मीरी मुसलमान थी लेकिन हर रविवार को उन हिन्दू कश्मीरी के लिए कुछ ना कुछ बना कर घर से ले जाती थी जो रिफ्यूजी के तौर पर दिल्ली में रह रहे थे।साथ खाना खाती थी और घंटों उन सबों के बीच बैठ कर बात करती रहती थी और एक दूसरे को ढाढ़स बढ़ाती रहती थी की एक दिन आयेगा जब हम सब आपको वापस कश्मीर ले जायेंगे

उस समय भी मुझे ये समझ में नहीं आता था कि कश्मीर का युवा हथियार कैसे उठा सकता है क्यों कि वो बहुत ही व्यवहार कुशल और जिंदा दिल इंसान होता है दिल्ली में कश्मीर से भाग कर आये लोगों से भी मैं पुछता रहता था कि ये लोग आपके साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर दिया वो कहते थे ये सही है इन्ही लोगों की वजह से हम लोग जिंदा यहां पहुंच पाये हैं ।पाकिस्तानी आतंकी ये सब कर रहा है कश्मीरी तो अभी भी हम लोगों के लिए जान तक की परवाह नहींं करते हैं ।

दिल्ली से लौटे तो 2002 में ईटीवी ने मुझे दरभंगा में काम करने के लिए भेज दिया संयोग से जिस समय मैं दरभंगा पहुंचा ठीक उसी समय दरभंगा के डेंटल कॉलेज में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र छात्राएं परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे थे। उसके साथ विश्वविधालय और डेंटल कॉलेज के प्रबंधक का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक था कालेज प्रबंधक और विश्वविद्यालय कश्मीरी छात्र छात्राओं को दुधारु गाय समझ रखा था इनके आन्दोलन को मेरी खबर की वजह से राष्ट्रीय मुद्दा बन गया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद इन छात्रों को इस गठजोड़ से मुक्ति मिला पाया। इस दौरान भी कश्मीर के बच्चों और परिवार को एक बार फिर नजदीक से देखने का मौका मिला।

2018 में माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी द्वारा कश्मीर को लेकर देश क्या सोचता है इस विषय पर आयोजित सेमिनार में मुझे वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था इस दौरान भी कश्मीर के बच्चों के साथ हमारी लम्बी बातचीत हुई ।आज भी कश्मीर से मुझे मुक्ति नहीं मिली है ऐसे में फिल्म द कश्मीर फाइल्स की चर्चा ने मुझे एक बार फिर उत्साहिता कर दिया है फिल्म में जो दिखाया गया है उस संदर्भ में कुछ कहने कि जरूरत नहीं है लेकिन इस हिंसा के पीछे एक सच से दर्शक को दूर रखा गया है।

जिस दौरा पर यह फिल्म आधारित है उसका दूसरा पहलु यह है कि उस हिंसा के डर से कुछ ही लोग कश्मीर छोड़कर बाहर निकले थे, अभी भी जितने कश्मीरी कश्मीर छोड़ कर दिल्ली और जम्मू में शरण लिए हुए हैं उसको हजार गुना ज्यादा हिन्दू अभी भी कश्मीर के अपने गांव मेंं रह रहे है और उनकी सुरक्षा के लिए आज भी कश्मीरी मुसलमान बंदूक उठाते हैंं ।

जिस तरह के हिंसा का शिकार वहां के हिन्दू हुए हैं उससे कम हिंसा का शिकार वहां के मुसलमान लड़कियां नहीं हुई है तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी शुरुआती दिनों में भले ही हिन्दू को निशाना बनाया था बाद के दिनों में उससे कहीं अधिक कश्मीरी मुसलमान को निशाना बनाया था।

और आज भारतीय फौज की सफलता का राज भी यही है।लेकिन इस सबसे इतर जो ऐतिहासिक सत्य है भारत में एक मात्र कश्मीर का मुसलमान ही है तो आज भी हिन्दू होने का पहचान बचा कर रखा है जी है जो कश्मीरी पंडित मुसलमान बने वो आज भी अपने नाम के अंत में पंडित लिखता है ,भट्ट लिखता है ,रैना लिखता है ,डोगरा लिखता है इतना ही नहीं कश्मीर का ही मुसलमान है जिसने मुगल शासक को कश्मीर में प्रवेश नहीं करना दिया वहां की अधिकांश आबादी मुसलमान बनने से पहले बौद्ध थे बाद के दिनों में सूफी आंदोलन से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में कश्मीर के लोग इस्लाम धर्म कबूल कर लिया एक भी कश्मीर का मुसलमान जबरन धर्म परिवर्तन वाला नहीं है।

दूसरा ऐतिहासिक तथ्य यह है कि देश का एक मात्र ऐसा कश्मीर का मुसलमान कौम है जो सार्वजनिक रुप से हिन्दू बनने के लिए राजा के पास दरख्वास्त किया था और उस समय के महाराजा हरि सिंह ने मुस्लिम कौम के इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया था। लेकिन कश्मीरी पंडित इसके लिए तैयार नहीं थे फिर भी महाराजा हरि सिंह अडिग रहे और अंत में कश्मीर के पंडित सड़क पर उतर आये और अनुष्ठान करने से मना कर दिया तो तो फिर महाराजा हरि सिंह ने बनारस से पंडित बुलाये और कश्मीर के मुसलमान को हिंदू में शामिल कराने को लेकर अनुष्ठान शुरू किये, लेकिन इस बीच खबर आने लगी है कश्मीरी पंडित इस आयोजन के विरोध में झेलम नदी में कूद कर जान देने की घोषणा कर दिया है, बड़ा हंगामा हुआ और अंत मेंं महाराजा ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया ।

ऐसे मेंं यह सवाल उठना लाजमी है कि इस फिल्म के सहारे कश्मीर के मुसलमानों की जो छवि बनाने कि कोशिश हो रही है इसका मतलब क्या है 1990 के बाद कश्मीर में जो कुछ भी हुआ उसके लिए कश्मीर को जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है ऐसा नहीं है कि कश्मीर में हिंसा का जो दौर शुरु हुई उसमें सिर्फ हिन्दू ही मारे गये सिर्फ हिन्दू लड़कियों के साथ ही रेप हुआ कश्मीरी मुसलमानों के साथ भी ऐसा ही हुआ।

फिलहाल अभी तो कश्मीर शांत है ऐसे समय में इस फिल्म को दिखाने का क्या मतलब है।जबकि नफरत इंसान और इंसानियत को नुकसान ही पहुंचाता है ऐसे मेंं इस फिल्म के सहारे देश के यूथ को क्या संदेश देना चाह रहे हैं क्या देश को कश्मीर बनाना चाह रहे हैं ।

इंटरमीडिएट परीक्षा 2022 के रिजल्ट की घोषणा 16.03.2022 दोपहर 3 बजे की जाएगी।

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने 12वीं (बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा) के नतीजे (Bihar Board BSEB 12th Result 2022) की घोषणा 16.03.2022 को की जाएगी।

परीक्षा परिणाम दोपहर 3 बजे होगा घोषित।

शिक्षा मंत्री करेंगे इसकी घोषणा

बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2022
बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2022

लोकतंत्र की बुनियाद हिल चुकी है

बिहार विधानसभा में आज जो कुछ भी हुआ वो एक ना एक दिन होना था सत्ता से सवाल का अधिकार किसी को नहीं है?
क्यों कि इन्हें जनता चुन कर भेजी है ।ये बहस का विषय हो सकता लेकिन नीतीश कुमार हमेशा साथ छोड़ने का वाजिब कारण ढूढ़ ही लेते हैं ।


सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के बीच आज जो कुछ भी हुआ वो दिखाता है कि लोकतंत्र की बुनियाद हिल चुकी है ।

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू, 14 मार्च से 8 अप्रैल तक बजट सत्र का दूसरा चरण चलेगा।

आज से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो रहा है। आज 14 मार्च से 8 अप्रैल तक बजट सत्र का दूसरा चरण चलेगा।

लोकसभा और राज्यसभा एक साथ सुबह 11 बजे से शुरू होगी।

इस बार कोविड-19 संबंधी हालात में काफी सुधार आने के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे से एक साथ चलेगी।

विपक्ष सरकार को बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।

बजट सत्र का पहला चरण 11 फरवरी 2022 को खत्म हुआ था।

बजट सत्र के पहले चरण में 29 जनवरी से 11 फरवरी तक दो अलग-अलग पालियों में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही संचालित की गई थी।

बजट सत्र का दूसरा चरण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। 

इस सत्र में भी हंगामे होने की संभावना है।

कांग्रेस यूक्रेन, महंगाई, बेरोजगारी और ईपीएफ के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी।

कांग्रेस रणनीति तय करने के लिए रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को ही जम्मू-कश्मीर के लिए बजट पेश करेंगी और इस पर भोजनावकाश के बाद चर्चा कराई जा सकती है।

इस बार फिर बिहार से जेडीयू सांसद सदन में बिहार को विशेष राज्य की दर्जा मिले इसके लिए आवाज उठाएंगे।

बीजेपी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है

बात 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव का है औरंगाबाद होते हुए जैसे ही गंगा के इस पार सुपौल पहुंचे तो वहां की महिलाओं से जब वोट को लेकर बात करना शुरु किया तो एक खास तरह का शब्द बार बार सुनने को मिल रहा था इस बार क्विंटलिया बाबा को वोट करेंगे और यह सिलसिला सीतामढ़ी मुजफ्फरपुर तक जारी रहा।

महिला चाहे वो किसी भी जाति की क्यों ना हो यादव महिला भी क्विंटलिया बाबा को वोट देने कि बात कर रही थी ।ये क्विंटलिया बाबा कौन है जिसको लेकर महिला कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है पता चला इन इलाकों में बाढ़ और अगलगी की घटना से लोग काफी प्रभावित होते रहते है ।पहले राज्य सरकार इस तरह के आपदा से प्रभावित परिवार को 50 किलो अनाज देती थी उसमें से किसी तरह 20 से 25 किलों ही पीड़ित परिवार को मिल पाता था, लेकिन नीतीश कुमार जब सीएम बने तो आदेश जारी किया कि सभी पीड़ित परिवार को एक बोरा अनाज मिलेगा ।

इसका इतना व्यापक असर पड़ा कि गरीब परिवार की महिलाएं नीतीश कुमार का नाम ही क्विंटलिया बाबा रख दी क्योंकि एक बोरा अनाज एक क्विंटल होता है इसलिए नीतीश कुमार का नाम ही क्विंटलिया बाबा रख दी ।और इसका असर ये पड़ा कि 2010 का चुनाव परिणाम ऐतिहासिक ही रहा और राजद का जातीय समीकरण ताश की पत्तों की तरह बिखर गया ।

इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में जब वोटर के बीच वोटिंग को लेकर बात करने पहुंचे तो औरंगाबाद से लेकर बगहा तक भारत पाकिस्तान का प्रभाव तो था कि महिलाओं के बीच उज्ज्वला योजना के कारण मोदी घर घर में पहुंच गये थे और पहली बार बीजेपी और मोदी वहींं पहुंच गये जहां संघ और बीजेपी के कार्यकर्ता का पहुंच तक नहींं था ।भारत पाकिस्तान का मसला भले ही वोट को गोलबंद किया लेकिन उज्जवला योजना के कारण बीजेपी पहली बार देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही और इस योजना से जाति और धर्म पर आधारित राजनीति की हवा निकाल दी मुस्लिम महिला भी मोदी को वोट किया था

कांग्रेस भी इस तरह की योजनाओं के सहारे देश पर इतने दिनों तक राज की है 2009 में किसी ने नहीं सोचा था कि कांग्रेस की फिर से वापसी होगी लेकिन एक योजना मनरेगा ने सारे समीकरण को बदल कर रख दिया और कांग्रेस की फिर से वापसी हुई और नेहरू के बाद मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार पीएम बने ।

यूपी में जो परिणाम सामने आया है उसमें मुफ्त अनाज योजना का बड़ा योगदान है।भारतीय राजनीति पर गौर करेंगे तो महसूस होगा कि इस तरह की योजना जिसका लाभ सीधे जनता तक पहुंच रहा है उसका असर यह होता है कि जातिवादी राजनीति कमजोर पड़ जाता है ।

मोदी का मैजिक यही है मोदी ने जातिवादी राजनीति को धर्म और व्यक्तिगत लाभ से जुड़ी योजनाओं के सहारे तोड़ दिया है जिस वजह से जातीय गोलबंदी की राजनीति फेल कर जा रही है यूपी में भी यही हुआ है इसके अलावे इस बार मोदी का ओवैसी फॉर्मूला भले ही फेल कर गया लेकिन मायावती फर्मूला दो तिहाई बहुमत से जीतने में मदद कर दिया।


1—2024 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं होगा मोदी के लिए
2018 में बीजेपी देश के 21 राज्यों में बीजेपी की सरकार थी और 71 प्रतिशत आबादी पर बीजेपी के शासन में रहता था। 2022 में पांच चुनावी राज्यों में से चार पर भाजपा ने फिर से जीत हासिल कर ली है। वहीं, पंजाब की सत्ता कांग्रेस के हाथों से खिसक गई। इन जीत के साथ देश के 18 राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बरकरार रखने में कामयाबी हासिल कर ली। इन राज्यों में देश की करीब 50% फीसदी आबादी रहती है। यानी, देश की करीब आधी आबादी वाले राज्यों में भाजपा की सरकार हैं।

फिर भी 2024 का चुनाव एक तरफा होगा यह सोचना जल्दबाजी होगा क्यों मुस्लिम वोट के बटवारे के लिए मोदी जिस औबेसी का इस्तमाल करता था वो बिहार चुनाव के परिणाम के साथ ही एक्सपोज हो गया कि औबेसी बीजेपी के लिए काम कर रही है, बंंगाल और यूपी का चुनाव परिणाम यह दिखा दिया कि औबेसी फैक्टर का भारतीय राजनीति में सूर्यास्त हो गया इसी तरह से मायावती का जो दलित वोटर है वो आज भी मायावती के साथ खड़ा रहा लेकिन जो परिणाम आये है उससे यह साफ है कि आने वाले चुनाव में मायावती जिस दलित विरादरी से आती है वो अब साथ छोड़ेगा औबेसी की तरह क्यों कि स्वभाविक रुप से अभी भी दलित बीजेपी के साथ नहीं जुड़ पा रही है वही मुफ्त आनाज योजना को ज्यादा दिनों तक खिचना सभंव नहीं है फिर जिस मध्यवर्ग के आमदनी छिन कर गरीबों के बीच बांटने का जो चलन चल रहा उसका असर बीजेपी के कोर वोटर पर पड़ा है यह बिहार के चुनाव में भी और यूपी के चुनाव में भी देखने को मिला है व्यापारी वर्ग,नौकरी पेशे वाला वर्ग जो बीजेपी का कभी कोर वोटर हुआ करता आज वो बीजेपी को वोट देने मतदान केन्द्रों पर नहीं जा रहा है यह स्थिति अब ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है और जिस दिन ये वोटर बीजेपी के खिलाफ वोट डालने मतदान केन्द्रों पर पहुंच जायेंगा मोदी मैजिंग धरा का धरा रह जायेंगा।

इसलिए भले ही महंगाई ,बेरोजगारी,कोराना काल का हाल और किसान से जुड़ा मसला चुनावी मुद्दा नहीं दिख रहा है लेकिन इस मुद्दे का असर आने वाले समय में बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।