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पटना हाईकोर्ट ने राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, निर्माण,मरम्मती और चौड़ीकरण की परियोजनाओं की मॉनिटरिंग करेगी पटना हाई कोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, निर्माण,मरम्मती और चौड़ीकरण की परियोजनाओं की मॉनिटरिंग कर रही पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई की। राजमार्गों से सम्बंधित से सम्बंधित 32 जनहित याचिकाओं पर स्वयम संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच मामलों की सुनवाई की।

कोर्ट ने दानापुर बिहटा एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में आ रही तमाम अड़चनों को दूर करने हेतु ठोस उपाय निकालने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है ।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे एक हफ्ते के अंदर रेलवे , एनएचएआई , पटना ज़िला प्रशासन सहित उन तमाम स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान निकालें। साथ ही जिनके हितों के टकराव से इस एलिवेटेड रोड के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही है, उनका समाधान करें।

सुनवाई के दौरान एनएचएआई ने कोर्ट को बताया की दानापुर रेलवे टर्मिनस व स्टेशन के विस्तार करने की परियोजना के कारण इस एलिवेटेड कॉरिडोर के बनने में बाधा है । रेलवे ने प्लैटफॉर्म विस्तारित जमीन के चौहद्दी के पांच मीटर दूर तक कोई निर्माण पर रोक लगा रखा हैं।

इन मामलों में कोर्ट की सुनवाई के दौरान सहायता देने के लिए नियुक्त एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि पटना के आगे का विकास इसी एलिवेटेड कॉरिडोर पर निर्भर है । पटना से बिहटा हवाई अड्डा तक जाने का यही एलिवेटेड सड़क है, अन्यथा उस एयरपोर्ट का कोई औचित्य नही रह जाएगा ।

उन्होंने बताया कि दूसरी ओर आईआईटी , व अन्य शैक्षणिक संस्थान तक सुगम रास्ता देने वाली इस एलिवेटेड कॉरिडोर के जरिये ही पटना शहर का पूरे पश्चिम पटना से सम्पर्क हो पाता है ।

मामले की सुनवाई के दौरान रेलवे को पार्टी बनाते हुए रेलवे के वकील सिद्धार्थ प्रसाद को सुनवाई में शामिल किया गया। अधिवक्ता सिद्धार्थ ने कोर्ट को बताया कि रेलवे की ओर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा।
इस मामले पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को की जाएगी।

शराबबंदी को लेकर नीतीश के पक्ष में उतरे सुशील मोदी

जहाँ शराबबंदी नहीं, उन राज्यों में भी हुई जहरीली शराब से मौत

नालंदा में जहरीली शराब से मरने की घटना अत्यंत दुखद है, लेकिन ऐसी त्रासदी से पूर्ण मद्यनिषेध का कोई संबंध नहीं है।
जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, वहां अक्सर बिहार से ज्यादा बड़ी घटनाएँ हुईं।

पश्चिम बंगाल में 2011 में जहरीली शराब शराब पीने से 167, महाराष्ट्र में 2015 में 102 और 2019 में यूपी-उत्तराखंड में 108 लोगों की जान गई।

इनमें से किसी राज्य में शराबबंदी लागू नहीं है।

वर्ष 2016 में जब जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 19 लोगों की मौत हुई थी, तब राज्य सरकार ने स्पीडी ट्रायल के जरिये पांच साल के भीतर 13 लोगों को दोषी सिद्ध कराया। इनमें से 9 को फांसी और 4 महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनायी गई।
नालंदा और जहरीली शराब से मौत की सभी घटनाओं में स्पीडी ट्रायल का रास्ता अपना कर ही पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सकता है।

पुलवामा हमले का बिहार से जुड़ा तार

पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हमाला मामले में बिहार के भी दो आतंकी शामिल थै एनआइए ने जम्मू स्थित विशेष कोर्ट में गंगयाल थाना में फरवरी 2021 में हुए आंतकी घटना मामले में चार्जशीट दायर की है।

सोमवार को दायर इस चार्जशीट में पांच लोगों को मुख्य रूप से अभियुक्त बनाया गया है. इसमें दो लोग बिहार के भी हैं. शेष आरोपी जम्मू के ही रहने वाले हैं और जैश एवं एलएम आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं. बिहार के दोनों आरोपी मो. अरमान अली और मो. एहसानुल्लाह सारण जिला के मढ़ौरा थाना क्षेत्र के देवबहुआरा गांव के रहने वाला है. कुछ दिनों पहले एनआइए ने इनकी गिरफ्तारी भी इसी मामले में की थी.

एनआइए की जांच में यह पाया गया कि कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए गठित नये आतंकी संगठन लश्कर-ए-मुस्तफा (एलएम) को अवैध हथियार सप्लाइ करने वाले नेटवर्क में मुख्य रूप से जुड़े हुए थे. ये दोनों मुंगेर से देसी हथियारों की खेप को पंजाब, हरियाणा होते हुए जम्मू-कश्मीर तक पहुंचाते थे. हथियारों की तीन-चार खेप को इन्होंने इस आतंकी संगठन तक पहुंचाया था.

जम्मू के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले में करीब 60 जवान शहीद हो गये थे. इस मामले की तफ्तीश एनआइए ने शुरू की और देश में छिपे एलएम का सहयोग करने वालों की धड़-पकड़ शुरू कर दी. एनआइए की जांच में यह पाया गया कि पुलवामा हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद या जैश प्रमुख मसूद अजहर के भाई मो. रौउफ अजहर उर्फ अब्दुल असगर ने एलएम की स्थापना सिर्फ इस हमले को अंजाम देने के लिए किया था.

इसमें उसने बिहार, यूपी और जम्मू के कई युवाओं को भी बहला-फुसला कर शामिल कराया था. बिहार के ये दोनों युवक हथियारों की तस्करी करते और इसी चक्कर में इस आतंकी संगठन को हथियार सप्लाई करने लगे. फिलहाल इस मामले की जांच अभी जारी है. इसमें कुछ अन्य लोगों के भी शामिल होने की संभावना है. इससे संबंधित दूसरी चार्जशीट भी एनआइए जल्द दायर कर सकती है. इसमें कुछ अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं. बिहार में भी इससे जुड़े अन्य लोगों की तफ्तीश चल रही है.

कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को तैयार है स्वास्थ्यकर्मी -मंगल पांडेय

#Covid19 कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने हेतु स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया विशिष्ट प्रशिक्षणः मंगल पांडेय
सूबे में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई मजबूत

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स एवं पारा मेडिकल कर्मियों को हर स्तर से तैयार कर रहा है। इसी क्रम में सूबे के मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों एवं जिला अस्पतालों में 317 डॉक्टर्स एवं पारा मेडिकल कर्मियों को एम्स, पटना द्वारा विशिष्ठ ट्रेनिंग संपन्न हुई। इन्हें वेंटिलेटर के संचालन, रखरखाव एवं ऑक्सीजन थेरापी पर वर्चुअल माध्यम से विशेष प्रशिक्षण 13 जनवरी से चल रहा था।

श्री पांडेय ने कहा कि इन कर्मियों को हाई फ्लो नेजल कैनुला, नान इन्वेसिव वेंटिलेशन, इन्वेसिव वेंटिलेशन, वेंटिलेटरी सपोर्ट संबंधी विषय वस्तुओं पर 17 जनवरी तक प्रशिक्षण दिया गया। पूर्व में भी जिला स्तर पर चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को इससे संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके अलावे विभाग द्वारा कोरोना मरीजों के लिए सूबे के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों में जरूरी दवा और अन्य सामग्री निरंतर मुहैया करायी जा रही है।

श्री पांडेय ने कहा कि कोविड संक्रमित अधिकतर व्यक्ति होम आईसोलेशन या कोविड केयर सेंटर में सामान्य उपचार से स्वस्थ हो जा रहे हैं, लेकिन कुछ गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन एवं अन्य सपोर्टिव ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य में ऑक्सीजनयुक्त बेड, आईसीयू बेड एवं वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था को पहले से और भी ज्यादा सुदृढ़ किया जा रहा है।

हाईकोर्ट ने राजेन्द्र प्रसाद स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।

आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया।कोर्ट को इसमें जानकारी दी गई कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी,2022 को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सीवान के डी एम भी शामिल थे।

इसमें कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने पर विचार तथा निर्णय लिया गया।

इस बैठक में जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आस पास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय हुआ।

हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। लेकिन आर्किओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने आज कोर्ट के समक्ष जवाब नहीं प्रस्तुत किया।कोर्ट ने उन्हें जवाब देने के लिए 21 जनवरी,2022 तक की मोहलत दे।

हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।

इस वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात अपनी रिपोर्ट में बताई।

साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहां काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की खासी कमी थी।
साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की हालत को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया था।

जनहित याचिका में अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है। जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है।वहां न तो पहुँचने के लिए सड़क की हालत सही है।साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं,जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है।

उन्होंने बताया कि वहां सफाई,रोशनी और लगातार देख रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।

इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 21 जनवरी,2022 को होगी।

बिरजू महराज का जाना कथक नृत्यु की दुनिया में एक युग का हुआ अंत

बिरजू महाराज मेरे लिए सिर्फ़ कथक गुरु नहीं, मेरी दिलरुबा सहेली अनिता महाराज के पिता भी थे । मेरी पहली मुलाक़ात ही कथक केंद्र में अनिता के साथ हुई थी, तब मैं अमर उजाला अख़बार के लिए उनका लंबा चौड़ा इंटरव्यू करने गई थी । अनिता पहले से मेरी मित्र थी । ये 90 के दशक की बात है । 1993 -94 के आसपास. कटिंग ढूँढ रही हूँ । अमर उजाला में फ़ुल पेज छपा था ।

उस समय मैं नवभारत टाइम्स और अमर उजाला के लिए कलाकारों, चित्रकारों के फ़ुल पेज इंटरव्यू किया करती थी. वो दौर था जब अख़बार कला और कलाकारों को बहुत महत्व देते थे ।

मुझे उनके पास अनिता लेकर गई थी और अनिता की तरह ही मैं भी उन्हें “बाबू “ कहने लगी थी ।
उसके बाद कई बार मिलना हुआ. तीन साल पहले अचानक पंकज नारायण ने बताया कि गुरु जी जोरबाग में रहते हैं, मिलने चलते हैं. जोरबाग में रहने वाली मेरी चित्रकार मित्र अनुराधा ( सोनिया) भी अनिता की अभिन्न मित्र . हम सब पूरा दल बनाकर मिलने धमक गए ।

मुझे एक आमंत्रण भी देना था. हमारे क्लब का सालाना जलसा था और मुझे उसमें बतौर मुख्य अतिथि “बाबू” ( बिरजू महाराज) को बुलाना था ।
जब हम पहुँच गए तो धूम धड़ाम शुरु. हमने उन्हें मना ही लिया. तब सोचे कि नहीं मानेंगे तब अनिता का सहारा लेंगे. लेकिन थोड़ा ना नुकुर के बाद मान गए ।
ये उसी अवसर की तस्वीरें हैं जब हम उन्हें आमंत्रित करने गए थे. मैं तो मुँह लगी उनकी. हमने ख़ूब दिलजोई की. शाश्वती सेन जी का साथ बना रहा ।

आज सुबह अनिता के बात करते हुए रोना आ गया. मैं उसके पास जा भी नहीं सकती – मैं पिछले छह दिन से कोरोंटीन हूँ. दुबारा से तीसरी लहर में ओमीक्रोन ने दबोच लिया. सावधान रहते, बचते बचाते भी बीमारियाँ घर चल कर आ जाती हैं.
अनिता … मैं हमेशा तेरे साथ हूँ… बाबू कहीं नहीं गए. वे अपनी कला में ज़िंदा हैं. वे अमर हैं. हमारी पीढ़ी गर्व से कह सकेगी कि हमने बिरजू महाराज को मंच पर देखा है. बिजली कौंधते देखी है. सारी दिशाओं को अपनी बाँहों में भरने का आवाहन करते देखा है ।

आउटलुक के लिए जब इंटरव्यू करने गई थी तब एक कॉलम था – दूसरा पहलू. आप कथक के देवता हैं… ये न करते तो क्या करते?
जवाब – “मोटर मैकेनिक होता. मुझे गाड़ियाँ बनाने का शौक़ है. ठीक कर लेता हूँ. बहुत रोचक काम है. यह भी कला है.”
हम लोग हैरान थे कि कहाँ नृत्य की दुनिया और उसके बेताज बादशाह और कहाँ गाड़ियों के कल पुर्ज़े ठीक करना पसंद था ।

लेखक —गीता श्री

कोरोना को लेकर आज हाईकोर्ट में फिर हुई सुनवाई सरकार के जबाव से कोर्ट सहमत नहीं

#Covid19 पटना हाईकोर्ट में राज्य में कोरोना महामारी के नए वेरिएंट के बढ़ते प्रभाव के रोक थाम व नियंत्रित किये जाने के मामले पर राज्य सरकार को 24 जनवरी,2022 तक जवाब देने का मोहलत दिया हैं। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने इस महामारी के रोक थाम और नियंत्रित करने के लिए की जा रही कारवाइयों का ब्यौरा दिया। कोर्ट ने आज राज्य सरकार को कोरोंना महामारी के नियंत्रण और रोकथाम के लिए की जा रही कार्रवाई का विस्तृत जानकारी अगली सुनवाई में पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा था कि करोना महामारी के तीसरे लहर के रोकथाम और स्वास्थ्य सेवा की क्या कदम उठाए जा रहे है। पिछली सुनवाई में एडवोकेट जेनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस महामारी पर नियंत्रण के कई तरह के राज्य सरकार ने कदम उठाए हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि करोना महामारी के रोक थाम के दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्त तरीके किया जा रहा है।सार्वजानिक स्थलों,सिनेमा,मॉल,पार्क आदि को फिलहाल बंद कर दिया गया।साथ ही 10 रात्रि से सुबह पाँच बजे तक curfew भी प्रशासन ने लागू कर दिया है।

सरकारी,निजी दफ्तरों में कर्मचारियों के पचास फी सदी उपस्थिति के साथ ही कार्य होगा।स्कूलों कॉलेजों में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई हैं।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा को इसके महामारी से निबटने कार्रवाई करने को तैयार किया जा रहा।सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में करोना मरीज के ईलाज के पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि अभी दो लाख व्यक्तियों का प्रति दिन टेस्ट किया जा रहा है।ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त है और अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति के पूरी कार्रवाई हो रही है।

जो व्यक्ति करोना से पीड़ित हैं,उनके लिए ईलाज की व्यवस्था की गई है।उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।अभी जो ओम्रिकोन नामक नए वेरिएंट के तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति में परिवर्तन हो रहा है।दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों से ले कर देश के अन्य भागों में ओम्रिकोन फैलने का अंदेशा बना हुआ है। पटना हाईकोर्ट में भी इस महीने के प्रारम्भ से ही ऑनलाइन सुनवाई प्रारम्भ हो चुका है।

इस मामले पर 24 जनवरी, 2022 को फिर सुनवाई होगी।

बिहार में बीजेपी और जदयू में तल्खी बढ़ी गठबंधन लगा दाव पर

बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने आज फेसबुक पेज के माध्यम से जो संदेश दिया है उससे साफ लग रहा है कि इस बार बीजेपी किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं है अब गेंद जदयू के पाले में है वो सरकार साथ साथ चलाये या फिर राह जुदा जुदा कर ले ।

हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के दिन से ही यह चर्चा आम है कि यूपी चुनाव के बाद बिहार में बदलाव तय है अगर योगी की वापसी हुई तो नीतीश का जाना तय है .अगर योगी की वापसी नहीं हुई तो नीतीश बिहार में बड़े भाई की भूमिका में पूरी मजबूती के साथ बने रहेंगे ।

लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले ही जिस तरीके से बीजेपी और जदयू आमने सामने हो गयी है उससे तो साफ लग रहा है कि खेला शुरु हो गया है लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि अभी बिहार की सरकार अस्थिर करके बीजेपी किसको लाभ पहुंचाना चाह रही है यह सवाल भी जायसवाल के तेवर से उठने लगा है इस पर आगे फिर कभी चर्चा होगी क्यों कि कुछ चीजे अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है । वैसे आज जो कुछ भी हो रहा है वो नीतीश समझ चुके थे इसलिए 2020 के चुनाव परिणाम आने के साथ ही पार्टी को मजबूत करने के लिए नीतीश कुमार पहले दिन से ही लग गये, कह सकते हैं कि नीतीश इस एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकार कब पार्टी को मजबूत करने में ज्यादा समय दिये नीतीश कुमार के पहल पर जो साथी पार्टी छोड़ कर चले गये थे उनको पार्टी में फिर से वापस लौटे उपेन्द्र कुशवाहा ,पूर्व विधायक मंजीत सिंह ,पूर्व विधान पार्षद विनोद सिंह पूर्व सांसद रंजन यादव सहित कई पुराने साथी इसी अभियान के दौरान पार्टी में वापस आये वही संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया ।

नीतीश कुमार के घर वापसी वाली राजनीति पर गौर करे तो नीतीश कुमार भाजपा विरोधी लोगों को ज्यादा से ज्यादा साथ लाये और पार्टी में जिनकी छवि भाजपा को लेकर सोफ्ट रहा उससे दूरी बनाने लगे मतलब नीतीश कुमार यूपी चुनाव के बाद की स्थिति पर चुनाव परिणाम आने के साथ ही काम शुरु कर दिया था

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि विधानसभा में नीतीश की जो हैसियत है उसके आधार पर वो अपनी राजनीति को कहां तक खीच कर ले जा सकते हैं।

1—यूपी में सीट की दावेदारी का मतलब क्या है
झारखंड में जदयू का विधायक भी रहा है पार्टी का संगठन भी रहा है तब भी बीजेपी 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को एक भी सीट नहीं दिया ऐसा स्थिति में यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन करने कि बात इतनी मजबूती के साथ जदयू क्यों कर रही थी ,
यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार शराबबंदी के सहारे यूपी में काफी सभा किये और पार्टी संगठन को खड़ा करने कि कोशिश भी किये लेकिन पिछले पांच वर्षो के दौरान यूपी में पार्टी की कोई गतिविधि नहीं रही संगठन भी नहीं के बराबर है ऐसी स्थिति में जदयू यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर आश्वस्त क्यों दिख रहा था कुछ दिन पहले जदयू ने तो एलान भी कर दिया था कि यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन हो गया जबकि इस विषय में जदयू को बीजेपी के किसी भी नेता से बात तक नहीं हुई थी जानकार बता रहे हैं कि इसकी दो वजह है एक आरसीपी सिंह जो यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे गठबंधन नहीं होने से वो जगह पकड़ लिया वही नीतीश कुमार यूपी को लेकर इसलिए तोड़ जोड़ कर रहे थे ताकि यूपी में पांच दस सीट में मिल गया तो फिर उसी के दम पर बिहार में बीजेपी को गठबंधन में बनाये रखने पर मजबूर कर सकते हैं लेकिन बीजेपी नीतीश कुमार के किसी भी प्रस्ताव पर बात करने को तैयार नहीं था ।

2–जदयू सम्राट अशोक के मामले को क्यों तूल दे रहा है दया प्रकाश सिन्हा सम्राट अशोक को लेकर जो कुछ भी लिखा है वो कोई आज नहीं लिखा है बहुत पहले लिखा गया है लेकिन इस विषय को लेकर जदयू अचानक बीजेपी पर हमलावर हो यहां भी वजह यूपी चुनाव ही है जदयू को लगता है कि सम्राट अशोक का मुद्दा उठा कर यूपी का जो मौर्य समाज है उसको उद्वेलित करे जो बीजेपी के साथ है मतलब बिहार के सहारे नीतीश कुमार बीजेपी को यूपी में नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं मतलब यहां भी जदयू की राजनीति यूपी को नजर में रख कर ही बनायी गयी है ।

3–बीजेपी समझौते के मूड में नहीं है इस बार बीजेपी किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं है जातीय जनगणना को लेकर पहले ही बिहार बीजेपी अपनी राय स्पष्ट कर चुका है शराबबंदी को लेकर बीजेपी हमलावर है और सम्राट अशोक मामले में बीजेपी सुनने को तैयार नहीं है ऐसे में यह सरकार कब तक चलेगी कहना मुश्किल है ।

संजय जायसवाल क्या लिखा है अपने फेसबुक पेज पर जरा आप भी पढ़ लीजिए

चलिए माननीय जी को यह समझ आ गया कि एनडीए गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है।फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं। एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। यह एकतरफा अब नहीं चलेगा।

इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर ट्विटर ना खेलें ।प्रधानमंत्री जी प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए। टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे ।

आप सब बड़े नेता है । एक बिहार मे एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें ,से ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता। दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। पर हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए ।

74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है। जबकि चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच ,सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती ।

इसलिए सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा जी को मेरे f.i.r. के आलोक में गिरफ्तार करे और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाये । उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सबों की बात रक्खे कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए ।

बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है। अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें। हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए।
हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि पुनः मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए। अभी भेड़िया स्वर्ण मृग की भांति नकली हिरण की खाल पहनकर अठखेलियां कर जनता को आकृष्ट कर रहा है। एक पूरी पीढ़ी जो 2005 के बाद मतदाता बनी है वह उन स्थितियों को नहीं जानती और बिना समझे कि यह रावण का षड्यंत्र है स्वर्ण मृग पर आकर्षित हो रही है ।यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व भी है और कर्तव्य भी।

शराबबंदी को लेकर बीजेपी और जदयू आमने सामने

शराबबंदी को लेकर बीजेपी और जदयू अब दो दो हाथ करने के मूड में पिख रहा है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े करने पर जदयू ने भी तीखा प्रहार किया है और जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने संजय जायसवाल को अज्ञाणी तक कह दिया माननीय Sanjay Jaiswal जी,

इस देश में जघन्य अपराधों के लिए कड़े कानून हैं लेकिन उसके बावजूद वैसे अपराध होते हैं।
बिहार में सुशासन है और सुशासन में जो भी गलत करेगा, अफसर हो या कोई और, दंडित होगा। सुशासन की सरकार की नीति है ना किसी को फसाना और ना किसी को बचाना।

थोड़ा ज्ञान वर्धन कर लीजिए अध्यक्ष जी,

गोपालगंज में जहरीली शराब कांड एक उदाहरण है जहां जहरीली शराब बेचने वाले लोगों को फांसी तक की सजा हुई है।

पुलिस विभाग के 250 से ज्यादा और एक्साइज डिपार्टमेंट के 10 से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून में गड़बड़ी करने की वजह से बर्खास्त तक किया गया है और बड़ी संख्या में अधिकारियों पर विभागीय कारवाई चल रही है।

शराबबंदी के पहले चरण में देशी शराब को बंद किया गया। विधान परिषद में आपके सम्मानित नेता सुशील कुमार मोदी जी ने विदेशी शराब को बंद करने की मांग की लिहाजा दूसरे चरण में विदेशी शराब को बंद करके पूर्ण शराबबंदी को लागू किया गया।
यदि स्मरण ना हो तो विधान परिषद की प्रोसिडिंग मंगाकर पढ़ लीजिए।

अपने पूर्व के बयानों को भी जरा ध्यान से पढ़िए जहां आप गठबंधन की जड़ में मट्ठा देने की बात कर रहे थे और आज एक बार फिर से अपने ही गठबंधन की सरकार के विरोध में बोल रहे हैं।
हर आदमी को कुछ बोलने से पहले आत्म अवलोकन करना चाहिए।

सामाजिक कर्तव्य राजनीति से जुड़ा मसला होता है। शराबबंदी के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में आप भी साझीदार रहे हैं। शराबबंदी के लिए जब सदन के अंदर शपथ लिया गया, सभी दल साथ थे। हाल के दिनों में एनडीए विधायक दल की बैठक में सभी सदस्यों ने दोनों हाथ उठाकर शराब बंदी के पक्ष में अपना समर्थन दिया।
आप अपने दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं लेकिन अद्भुत विरोधाभास है कि आप अपने अनुभव से विधायकों को लाभान्वित नहीं करवाते हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गांधी मैदान के प्रकाश उत्सव में साफ तौर पर कहा था कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के द्वारा लिया गया शराबबंदी का फैसला साहसिक व सराहनीय है। सभी दलों और संगठनों को इसमें सहयोग करना चाहिए।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी की भावना का सम्मान करते हुए आपने भी शराबबंदी कानून को बनाने की प्रक्रिया में अपना सहयोग दिया लेकिन जहां तक मेरी स्मरण शक्ति है आपको शराबबंदी की आलोचना करने का अधिकार नहीं दिया गया है फिर भी न जाने कौन से ऐसे अज्ञात कारण है जिसके चलते आपके द्वारा आलोचना के ही सुर निकलते हैं।

आलोचना करिए, आपका अधिकार है लेकिन ज्ञान वर्धन भी कीजिए।

अपने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में आप दावा करते हैं कि आपका संगठन बूथ आधारित है। हम आपसे अनुरोध करेंगे कि प्रधानमंत्री जी की भावना और आपके विधानमंडल दल के सदस्यों की भावना का सम्मान करते हुए आप संगठन की प्रारंभिक इकाई को शराबबंदी को सफल बनाने का सामाजिक उत्तरदायित्व दें।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने हर गांव तक बिजली पहुंचाई है और बिजली के हर खंभे पर शराबबंदी कानून को तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने हेतु टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है। अपने प्रारंभिक इकाई के सदस्यों को भी इस टॉल फ्री नंबर का उपयोग करने का निर्देश दें।

आपको हमसे राजनीतिक पीड़ा हो सकती है लेकिन आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध है कि जिस तरह आप लोग राजनीतिक कार्यशाला का आयोजन करते हैं उसी तरह शराबबंदी को सफल बनाने हेतु भी कार्यशाला का आयोजन करिए। प्रधानमंत्री जी और अपने दल के विधायकों की भावना का सम्मान करते हुए आप यदि अपनी प्रारंभिक इकाई को भी शराब बंदी के इस अभियान में शामिल होने का निर्देश दीजिएगा तो और अच्छा होगा।

प्रधानमंत्री जी ने सभी संगठन और दलों से शराबबंदी को सफल बनाने के लिए कहा था जिसमें आप लोग भी शामिल थे।
आपको उनकी भावना की कद्र करनी चाहिए, लेकिन आपको आलोचना करने का अधिकार किसने दिया?

शराबंदी कानून को लेकर एक बार फिर बीजेपी हुआ हमलावर कहां जिसके घर शराब पीने से मौत हुई है उसे भेज दो जेल

शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी का रुख कड़ा होता जा रहा है आज फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट पर नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े करते हुए सीधे नीतीश पर हमला बोला है ।नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें हो चुकी हैं।

परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था। आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 11 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है।

अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है।

दूसरे अपराधी वहां के पुलिस वाले हैं जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्रि होने दी । 10 वर्ष का कारावास इन पुलिस कर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए सस्पेंड करके नया थाना देना जहां वह यह सब काम चालू रख सकें।

तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है। इस को पकड़ना भी बहुत आसान है ।इन्हीं पुलिस कर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा। शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे ।जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन ,पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा।

बिहार में कोरोना का कहर जारी 5 लोगों की हुई मौत 40 हजार का आकड़ा हुआ पार

#Covid19 कोरोना को लेकर बिहार में सुनामी जारी है शनिवार को पटना में कोरोना के 2254 नए मामले मिले हैं। इसके अलावा 124 फॉलोअप की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें 417 बाहर के रहने वाले हैं जिन्होंने पटना में जांच कराई थी। पटना जिले में रहने वालों के 2254 नए मामले दर्ज हुए हैं।

पटना में शनिवार को NMCH में एक 40 साल की महिला की मौत हो गई वही एम्स में एक 12 वर्ष का बच्चा सहित चार लोगों की मौत हुई है इस तरह आज कुल पांच लोगों की मौत हुई। वहीं, IGIMS में 4 डॉक्टर, 4 नर्सिंग स्टाफ व एक अन्य की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इधर, बिहार में अगले महीने से शुरू हो रही मैट्रिक-इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले सभी किशोरों का टीकाकरण 26 जनवरी से पहले पूरा कराने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग ने रखा है।

शनिवार को पटना में कोरोना के 2254 नए मामले मिले हैं। इसके अलावा 124 फॉलोअप की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें 417 बाहर के रहने वाले हैं जिन्होंने पटना में जांच कराई थी। पटना जिले में रहने वालों के 2254 नए मामले दर्ज हुए हैं।
24 घंटे में संक्रमण के टॉप 3 जिले
पटना – 2116
मुंगेर – 298
मुजफ्फरपुर – 427

88 वर्ष पहले आज ही के दिन आया था देश का सबसे बड़ा भूकंप

आज ही दिन 88 वर्ष पहले बिहार में अभी तक का सबसे बड़ा भूकंप हुआ था रिक्टर स्केल पर 8.4तीव्रता आंकी गयी थी ,आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप की वजह से दरभंगा में 1839 लोगों की मौत हुई,

तो मुजफ्फरपुर में 1583 लोगों की. मुंगेर में मरने वालों का आंकड़ा 1260 तक पहुंचा. बिहार में कुल मिला कर इस भूकंप की वजह से 7253 लोगों की मौत हुई थी साथ ही करीब 3400 वर्ग किलोमीटर का इलाका ऐसा रहा, जिस पर भूकंप का सबसे गंभीर असर पड़ा.

दरभंगा और मुंगेर शहर का नामोनिशान मिट गया था पटना में गंगा नदी के किनारे के सभी मकान या तो गिर गये या फिर क्षतिग्रस्त हुए. गांधी मैदान के नजदीक भी यही हाल रहा. चीफ जस्टिस से लेकर कमिश्नर और एसपी तक के आधिकारिक आवासों का बुरा हाल हुआ.

पीएमसीएच को भी नुकसान पहुंचा, रोगियों को अस्पताल के वार्डो से निकाल कर खुले मैदान में रखने की नौबत आयी. बिहार सचिवालय की बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा, खास तौर पर टावर को. टावर का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ और कुछ दिनों बाद गिर भी गया.

पटना से भी बूरा हाल दरभंगा का था जहां तत्कालीन दरभंगा जिले के राजनगर (अब जिला मधुबनी) शहर के लिए भूकंप अभिशाप रहा है. यह शहर भूकंप के केंद्र में शामिल होने के कारण इस प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ. वैसे तो राजनगर में भूकंप कई बार आया, लेकिन 15 जनवरी 1934 का भूकंप इस शहर के लिए विनाशकारी रहा था.

दोपहर के समय आये भूकंप ने राजनगर के रमेश्वर विलास पैलेस को चंद मिनटों में मलवे में तब्दील कर दिया वही कृषि विज्ञान के क्षेत्र में तब के सबसे महत्वपूर्ण संस्थान पूसा एग्रीक्लचरल इंस्टीट्यूट का कैंपस पूरी तरह तबाह हो गया.

इसी तरह राजनगर में मौजूद महाराजा दरभंगा का महल भी क्षतिग्रस्त हुआ. जहां तक सामान्य घरों का सवाल था, पूरे उत्तर बिहार में कम ही घर ऐसे बचे, जिसे किसी भी किस्म का नुकसान न हुआ हो.कांग्रेस से जुड़े देश के प्रमुख नेताओं के दौरे भी हुए. जवाहर लाल नेहरू ने करीब दस दिनों तक बिहार के भूकंपग्रस्त इलाकों का दौरा किया.

खुद महात्मा गांधी भी 11 मार्च को पटना पहुंचे. उसके बाद राजेंद्र बाबू के साथ वो लगातार भूकंपग्रस्त इलाकों में घूमते रहे, राहत कार्यो का जायजा लेते रहे. गांधी 20 मई तक बिहार में रहे. खास बात ये रही कि गांधी ने इस भूकंप को छुआछूत के खिलाफ भगवान के कहर के तौर पर गिनाया.

सम्राट अशोक को लेकर सियासी घमासान जारी जदयू ने एक बार फिर बीजेपी पर साधा निशाना

सम्राट अशोक को लेकर जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं है आज जदयू ने एक बार फिर दया प्रकाश सिन्हा पर हमला करते हुए सरकार से साहित्य अकादमी वापस लेने की मांग की है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सम्राट अशोक के संदर्भ में उपजे तथाकथित विवाद का राजनैतिक संदर्भ से महत्‍वपूर्ण वैचारिक संदर्भ है ।

विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक राष्‍ट्रीय अस्मिता, राष्‍ट्रीय‍ प्रतीक चिन्‍ह व भारतीयों के आत्‍मसम्‍मान से जुड़ा हुआ मसला है ।

पुस्‍तक के लेखक ने इतिहास को मिथक और मिथक को इतिहास बनाने की जो साजिश की है, उसके बचाव में आना विचारधारा की लड़ाई का अंग हो सकता है लेकिन राजनैतिक गठबंधन का नहीं ।

सम्राट अशोक पर आधारित नाट्य के भूमिका को पृष्‍ठ संख्‍या- 25 में ‘‘कामाशोक, चंडाशोक और धम्‍माशोक एक के बाद एक नहीं आये । वे तीनों, उसके शरीर में एक साथ, लगातार, जीवनपर्यन्‍त जीवित रहे । वह कामाशोक केवल नवायु में ही नहीं था । देवी के बाद उसके अन्‍त:पुर में पांच सौ स्त्रियाँ, फिर उसकी घोषित पत्नियाँ-असंधमित्ता, पद्मावती और कारुवाकी ! फिर वृद्धावस्‍था में तिष्‍यरक्षिता ! वह आजीवन काम से मुक्ति नहीं पा सका’’ (संदर्भ ‘सम्राट अशोक’ )

साथ ही साथ नाट्य के दृश्‍य-10 ‘अशोक-तिष्‍यरक्षित’ संदर्भ में जिसरूप में पेश किया गया है, वह किसी रूप से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है । (संदर्भ ‘सम्राट अशोक’)

ऐसे लिखने वाले को सम्राट अशोक के नाम पर ‘साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार 2021’ दिया जाना ही सम्राट अशोक के प्रति अपमान एवं तिरस्कार का भाव दिखाता है ।

राजनैतिक बयान से महत्‍वूपर्ण यह है कि जिस लेखक ने सम्राट अशोक की गरिमा पर अपने नाट्क के माध्‍यम से अपमान किया है उस व्‍यक्ति से विभिन्‍न अवार्ड वापसी मुहिम में साथ दें ।

हालांकि कल बीजेपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री ट्टीट करके सम्राट अशोक को लेकर जारी सियासत को बंद करने का आग्रह किया था और एनडीए के घटक दलों से बयानबाजी बंद करने को कहा था उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं।उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।

दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू मेंं जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।

दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है। साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं।

सम्राट अशोक का भाजपा सदा सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। 2015 में भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते।

अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई।
वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।
सुशील मोदी के सफाई के बावजूद आज जदयू ने बयान जारी कर नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है ।

नालंदा में जहरीली शराब पीने से छह लोगों के मौत की खबर प्रशासन सकते में

सिर मुड़ाते ही ओले पड़े, जी हां, नीतीश कुमार के शराबनीति पर बीजेपी के हमालवर रुख का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि नीतीश कुमार के गृह जिले से ही जहरीली शराब पीने से 4 लोगों की मौत हो गई है वही दो की हालत गंभीर है यह घटना जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली मोहल्ला की है। मरने वालों में 55 वर्षीय भागो मिस्त्री, 55 वर्षीय मन्ना मिस्त्री, 50 वर्षीय धर्मेंद्र उर्फ नागेश्वर और 50 वर्षीय कालीचरण शामिल हैं। वहीं, मानपुर थाना क्षेत्र के प्रभु विगहा गांव के रामरूप चौहान और शिवजी चौहान की भी मौत हुई है। दोनों की उम्र 45 साल से ऊपर है।

मौत की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद के बाद सदर DSP डॉ शिब्ली नोमानी ने मौके पर पहुंच कर परिजन से जानकारी ली। नालंदा डीएम ने जहरीली शराब से मौत की पुष्टि कर दिया है ।

मृतक की पत्नी ललिता देवी ने बताया, ‘रात में पति को बेचैनी महसूस हुई। इसके बाद पानी पीने का दिया। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उनकी मौत हो गई। उसने गांव में बिक रही शराब पी थी।’ मन्ना मिस्त्री की बेटी प्रीति देवी ने बताया, ‘पिता जी बाहर से शराब पीकर आए थे। उनके सिर में दर्द हुआ। दवा दी, थोड़ी देर बाद उनकी मौत हो गई। वह अक्सर शराब पीकर आते थे। कई बार तो घर में भी पीते थे।’

संकट में सरकार नीतीश हुए मौन

संकट में है सरकार नीतीश हुए मौन
जदयू और भाजपा के बीच पहली बार ऐसा लग रहा है कि सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है जिस तरीके से जदयू के एक साधारण से प्रवक्ता के बयान पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का जिस तल्खी से बयान आया है वो दिखा रहा है कि बीजेपी अब जदयू के दबाव में काम करने को तैयार नहीं है । ऐसी स्थिति में आने वाले समय में नीतीश कुमार को बीजेपी से सरकार के संचालन के स्तर पर भी चुनौती मिलने वाली है ये साफ दिखने लगा है और अब तय नीतीश कुमार को करना है ।

वैसे जानकार कह रहे हैं कि यूपी में सीट बंटवारे के साथ साथ बिहार विधान परिषद के चुनाव में सीट को लेकर जदयू जो चाह रही है उसको ना तो योगी महत्व दे रहे हैं और ना ही बिहार बीजेपी झुकने को तैयार है। रिश्ते कितने कटु हो गये हैं यह संजय जायसवाल के फेसबुक पोस्ट से समझा जा सकता है हालांकि बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि सम्राट अशोक वाले मामले में बीजेपी घिरती जा रही थी उससे ध्यान भटकाने के लिए संजय जायसवाल आगे बढ़ कर नीतीश के शराब नीति पर सवाल खड़ा कर हमला बोला है ताकि बिहार में सम्राट अशोक के सहारे जिस डिस्कोर्स चलाने कि कोशिश हो रही थी उसका असर यूपी के चुनाव पर भी पड़ सकता था इसलिए संजय जायसवाल ने इस तरह का बयान दिया है।

लेकिन सवाल यह है कि जिस तरीके से संजय जायसवाल ने शराब नीति पर सवाल खड़ा किया है उस स्थिति में नीतीश के पास अब विकल्प क्या है, क्यों कि शराबबंदी की समीक्षा को लेकर जो बैठक हुई थी उस बैठक में बीजेपी के तमाम मंत्री शराबबंदी कानून की समीक्षा के पक्ष में थे और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने तो शराबबंदी कानून पर ही सवाल खड़े कर दिये थे लेकिन समीक्षा बैठक में बीजेपी के मंत्री के विरोध के बावजूद नीतीश अपने फैसले पर डटे रहे ।

लेकिन शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी की क्या सोच है यह अब सार्वजनिक हो गयी है वैसे सब की नजर सीएम के कोरोना रिपोर्ट पर टिकी है कहां ये जा रहा है कि कोरोना के बहाने ही सही सीएम हाउस में बड़ी सियासी खिचड़ी पक रही है क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सीएम के कोरोना पॉजिटिव होने कि खबर आने के बाद जदयू नीतीश के शीघ्र स्वस्थ होने को लेकर पूरे प्रदेश में पूजा पाठ और हवन करवा रही है और इसकी शुरुआत भी पार्टी के प्रवक्ताओं के द्वारा किया गया है सब को पता है कि यह प्रवृत्ति नीतीश को पसंद नहीं है तो फिर यह पूजा पाठ और हवन कराने के पीछे सियासी खेल क्या है क्यों कि ऐसा भी नहीं है कि सीएम सख्त बीमार हैं इसलिए पिछले 72 घंटों के दौरान बीजेपी और जदयू के बीच जो जुबानी जंग चल रहा है उसका कोई निहितार्थ नहीं है ऐसा नहीं है।

बीजेपी और जदयू के बीच घमासान शराबबंदी कानून के सहारे बीजेपी का नीतीश पर बड़ा हमला

बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज के सहारे शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार पर सीधे हमला बोला है ।अपने पोस्ट में यहां तक कह दिया है कि शराबबंदी कानून पूरी तौर पर विफल है और इस वजह से आम लोग दशहत में है यह कानून अंग्रेजी हूकूमत की याद ताजी कर दी है।

संजय जायसवाल का यह पोस्ट संकेत है कि बिहार की राजनीति में बड़ा बवंडर आने वाला है क्यों कि जदयू का प्रवक्ता बिना सीनियर नेता के अनुमति के बगैर एक शब्द भी नहीं बोल सकते हैं

जरा आप भी पढ़िए संजय जायसवाल में अपने फेसबुक पेज पर लिखा क्या है —मेरी प्रवृत्ति नहीं है कि मैं अपने ऊपर किए गए व्यक्तिगत आरोपों का जवाब दुँ।

आज मुझे पता चला कि जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा जी मेरे लोकसभा क्षेत्र में जहरीली शराब के कारण हुए मृत्यु मे, मेरे जाने पर मुझसे जवाब मांग रहे हैं । जदयू के प्रवक्ता का मुझसे सवाल करना बताता है कि यह सवाल जदयू के द्वारा है क्योंकि प्रवक्ता दल की बातें रखता है अपनी व्यक्तिगत नहीं ।

मैं माननीय अभिषेक झा जी को बता दूं की मैं जहरीली शराब से हुई मौतों के परिवारजनों के घर गया था और अगर भविष्य में भी कभी मेरे लोकसभा क्षेत्र में इस तरह की दुर्घटना घटेगी तो मैं हर हालत में जाऊंगा और आर्थिक मदद भी करुँगा । अगर कोई व्यक्ति जहरीली शराब से मरता है तो उसने निश्चित तौर पर अपराध किया है पर इससे प्रशासनिक विफलता के दाग को बचाया नहीं जा सकता और जब मैं इस शासन के एक घटक का अध्यक्ष हूं तो यह मेरी भी विफलता है।

मैं उन गरीबों से इंसानियत के नाते मिलने गया था। मैं अच्छे से जानता हूं कि मरने वालों ने अपराध किया है इसलिए सरकार द्वारा उन्हें किसी प्रकार की मदद संभव नहीं थी । उन सभी परिवारों को अंतिम क्रियाकर्म में थोड़ी सी मदद करने का काम मैंने किया है क्योंकि गुनाहगार मरने वाले थे ना कि उनके परिवारजन।

वैसे भी मैं अभिषेक झा जी को याद दिला दुँ कि मैंने संपूर्ण मीडिया के सामने कहा था कि शराबबंदी कानून की पुनः समीक्षा होनी चाहिए। मैं 100% शराबबंदी का समर्थक हूं और मानता हूं कि शराब बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है जो पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है ।

फिर भी मैं यह मानता हूं कि जिस श्रेणी का अपराध हो सजा उसी श्रेणी की होनी चाहिए।
दिल्ली से कोई परिवार दार्जिलिंग छुट्टियां मनाने जा रहा है और उसके गाड़ी में बिहार में एक बोतल शराब पकड़ी गई और उस परिवार की गाड़ी नीलाम हो जाती है। ऐसी कम से कम 5 घटनाएं मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं ।10 वर्ष के जेल का प्रावधान केवल उन पुलिस अधिकारियों के लिए होना चाहिए जिन्होंने माननीय नीतीश कुमार जी के इतने अच्छे सामाजिक सोच को नुकसान पहुंचाया है।

अगर मेरी बात समझ में नहीं आ रही हो तो मीडिया की दुनिया से बाहर जाकर अपने पंचायत के किसी भी आम व्यक्ति से संपर्क कर लें। आपको शराबबंदी और पुलिस की भूमिका अच्छे से समझ में आ जाएगी।

सम्राट अशोक राष्ट्रीय गौरव, लेखक की सफाई के बाद बंद होनी चाहिए बयानबाजी -सुशील कुमार मोदी

सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है।

86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।

दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू मेंं जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।

दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है।

साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं। सम्राट अशोक का भाजपा सदा सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था।

2015 में भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

.हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते।

अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई।
वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।

कमाल खान को रवीश की श्रद्धांजलि

जो भी टीवी देखता है, जो भी टीवी का दर्शक है वह जानता है कि कमाल खान कौन हैं. अपनी पत्रकारिता में वे किस तरह की शख्सियत रहे हैं .उन सभी करोड़ों दर्शकों के लिए, उनके सहयोगियों के लिए, परिवार के लिए तो बहुत दुखद खबर है ही . यकीन करना भी मुश्किल हो रहा है कि कमाल हमारे बीच में नहीं हैं. कमाल के बारे में बहुत सारी बातें की जा सकती हैं लेकिन इस वक्‍त ऐसा सदमा लगा है इस खबर से कि न तो कुछ याद आ रहा है, न कुछ समझ में आ रहा है कि उनके बारे में क्‍या कहा जाए. हर किसी के पास एक अलग-अलग कमाल खान हैं उनकी रिपोर्टिंग की अपनी यादें हैं. उन्‍होंने इस पेशे में जो अब बेहद खराब हो गया है और शर्मनाक पेशा हो गया है. आज टेलीविजन इससे बुरा तो कभी दुनिया में नहीं हुआ होगा जितना खराब इस देश में हो गया है. इसमें कुछ लोग हैं जो दिए की तरह टिमटिमा रहे थे, दिखाई दे रहे थे कि हां, यहां से भाषा, शराफत, शऊर को हासिल किया जा सकता है, यहां से ये चीजें बची हई नजर आती हैं।

इस कीचड़ हो चुकी चैनलों की दुनिया में वे कमल की तरह कमाल तरीके से खिले नजर आ रहे थे. जो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन किसी को मुगालता नहीं होना चाहिए कि केवल माइक पकड़ लेने से, चैनल से जुड़ जाने से कोई कमाल खान बन जाता है. जब हम अपनी रिपोर्टिंग शुरू कर रहे थे तो कमाल के बारे में सुनते थे कि वे सफर में जाया करते थे तब अपनी गाड़ी में बहुत सी किताबें लेकर जाते थे. चार लाइन की स्क्रिप्‍ट लिखने के लिए वे कई बार घंटों लगा दिया करते थे. उन किताबों को पढ़ते थे, अपना रिफरेंस चुनते थे और बड़ी मेहनत के साथ] अपनी स्क्रिप्‍ट लिखते हैं. अब इस तरह की मेहनत की कद्र नहीं है. इस पेशे में ऐसे बहुत से लोग रहे जिन्‍होंने इस पेशे को खड़ा किया, जिन्‍होंने इसे देखने लायक बनाया, उसमें कमाल खान एक मजबूत बुनियाद के तौर पर हैं. इसके लिए उन्‍होंने कड़ी मेहनत की।

अगर आप उनकी स्क्रिप्‍ट देखेंगे तो पता चलेगा कि कमाल खान होने का मतलब क्‍या होता है. यह हवा में कोई नहीं बन जाता है. एक-एक शब्‍द उन तस्‍वीरों के साथ, जिस समाज में वे बात कर रहे हैं जिस दायरे में से वे आ रहे हैं, इन सबके बीच कमाल खान एक खिड़की सी खोल देते थे कि भाषा, शराफत और शऊर की एक ऐसी भी दुनिया हो सकती है, जहां पर बहुत सी तल्‍ख बातें बहुत हल्‍के तरीके से कही जा सकती हैं. इस मकसद से कुछ गलत है तो उसे ठीक किया जाए और सभी की बेहतरी के लिए इसे ठीक किया जाए. कमाल ने अपनी जिंदगी के जो पल गुजारे हैं, उनके बारे में उनकी पत्‍न्‍नी और बच्‍चे ही बेहतर बता सकते है. कई बार लोग नहीं समझते हैं कि टीवी में अच्‍छा पत्रकार होना कितना मुश्किल काम है. कमाल खान होने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है. यह भी देखिए कि वे कि लखनऊ से आते, जिसकी तहजीब को लेकर कई किस्‍से हैं, किताबें है, इन सब के बीच कमाल खान भी तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे.

काफी उम्र भी हो गई थी मगर शरीर को फिट भी रखते थे. उन्‍होंने बेहतरीन काम किया. कल तक ग्रुप में लिख रहे थे. उनका लिखने का अंदाज ऐसा था कि कई बार हंसी छूटती थी. कई बार समझ नहीं आता था कि कमाल साहब मजाक कर रहे हैं या गंभीरता से बात कर रहे हैं. कल मैं छुट्टी पर था तबीयत ठीक नहीं थी. कमाल की तबीयत के बारे में यह अंदाजा नहीं था. मैं सोचता कि उन्‍होंने अपने को फिट रखा है उनसे कुछ सीखना चाहिए लेकिन यह मौका नहीं मिला.

कल हमारे सहयोगी अनुराग द्वारी ने बताया कि उन्‍हें भोपाल में मुख्‍यमंत्री की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नहीं बुलाया गया, उन्‍हें बुरा लगा. मैं अनुराग से कह रहा था कि आप धीरज रखिए. अगर सीएम आपको नहीं बुला रहे तो यह उनका हल्‍कापन है. आजकल की सरकारें ऐसी हो गई हैं जो जनता के बीच, जनता के सहयोग से इस मीडिया को खत्‍म करने में लगी हैं. मैंने अनुराग से यही कहा कि कमाल खान साहब को यह सब भुगतना पड़ता है, उनसे बात करके देखते हैं कि अगर वे बोलना चाहें तो आपकी बात को लेकर प्राइम टाइम पर दिखा सकता हूं। और यह सब लोगों को जानना चाहिए कि आप काम के दौरान कितनी बातों को झेलते हैं. क्‍या देश को इन बातों से शर्म आनी बंद हो गई है.

कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे. जब कमाल अपनी रिपोर्टिंग में लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह का उदाहरण देते थे कि ‘हजरत जाते हैं लंदन, कृपा करो रघुनंदन’…तो कमाल उस हिंदुस्‍तान को आवाज दे रहे थे, कि सभी तो इसी की मिट्टी से निकले हैं। लेकिन नफरत की ऐसी आंधी चली कि उनके जैसा पत्रकार अपने को हाशिये पर महसूस करने लगा था. वे अपने आपको रोकने लगते थे कि ऐसी खबर करूंगा तो लोग यकीन करेंगे या नहीं. फिर लोग कहेंगे कि कमाल खान के अलावा कुछ और है इसलिए उन्‍होंने यह स्‍टोरी की. समाज और सरकार ने कमाल के पास किस तरह का माहौल बनाया था, हमें यह भी देखना पड़ेगा. उस माहौल में कमाल खान किस तरह अपनी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, किस तरह से लिख रहे हैं कि बात पहचान पर न आए, मजहब पर न आए और बात पत्रकारिता की हो. इस हालात में इतने बड़े देश में चार, पांच, दस पत्रकार बच गए और वे इतनी मुश्किल से गुज़र रहे हैं, क्या किसी को शर्म नहीं आती है?

ये मुख्‍यमंत्री स्‍तर के लोग अपने आप को क्‍या समझने लगे हैं कि पत्रकारों को प्रेस कान्‍फ्रेंस से बाहर रखें. दिन भर से ये गोदी मीडिया के बीच में बैठे रहते हैं. इन सबके बीच लखनऊ में कमाल स्‍तंभ के रूप में खड़े रहे. हम उनके दिन और रात की तकलीफों को नहीं जानते. लखनऊ जो बदल गया, उसमें कोई कमाल खान कैसे बचा हुआ है? उनकी चिंताएं किस तरह की रहीं, हम नहीं जानते. यह सामान्‍य नुकसान नहीं है. आप समझ नहीं सकते कि कितने लोगों के दिल में, जेहन में कमाल बसे हुए हैं, उनकी रिपोर्टिंग की यादें बसी हुई हैं. आप क्‍या रिपोर्टिंग देखेंगे, आपको बोलने का तरीका बदल जाएगा, इसलिए वे कमाल खान हैं. इस उम्र में भी उन्‍होंने अपने को दुरुस्‍त-तंदुरुस्‍त रखा , यह यकीन के बाहर कि बात है कि उन्‍हें ऐसा हुआ. उन्‍हें कोरोना भी हुआ वे ठीक भी हुए इसके बाद भी काम करते रहे. जो भी अच्‍छी पत्रकारिता को समझने वाले दर्शक देश में बचे हैं जो दो चार सहयोगी पत्रकार जो समझते हैं कि कमाल खान का होना क्‍या है वे जानते हैं कि उनका जाना कितना बड़ा नुकसान हैं. बाकी सबके लिए यह औपचारिकता है।

उड़ान पर मौसम का असर एक दर्जन से अधिक फ्लाइट हुआ कैंसिल

आज पटना का मौसम साफ है इस कारण पटना एयरपोर्ट पर शुरूआत की फ्लाइट्स टाइम पर आईं और वापस भी गईं। लेकिन दिल्ली, मुम्बई और बेंगलुरु की कुछ फ्लाइट्स कैंसिल होने की वजह से इन शहरों को जाने वाली कुछ फ्लाइट्स कैंसिल हुई है ।

अरावइल और डिपार्चर को मिलाकर आज कुल 12 फ्लाइट्स कैंसिल की गई है। इसमें दिल्ली की 8, बेंगलुरु की 2 और मुम्बई की 2 फ्लाइट शामिल है। वहीं, बेंगलुरु से आने वाली 1 फ्लाइट लेट हुई है। जबकि, डिपार्चर में दिल्ली व बेंगलुरु की 1-1 फ्लाइट रिशिड्यूल हुई है।

अराइवल में कैंसिल हुई फ्लाइट
सुबह 10:40 की दिल्ली से आने वाली G8-143
दोपहर 1:10 पर दिल्ली से आने वाली G8-131
दोपहर 1:45 पर मुम्बई से आने वाली G8-351
दोपहर बाद 3:00 बजे दिल्ली से आने वाली SG-2043
दोपहर बाद 3:25 पर बेंगलुरु से आने वाली AI-573
दोपहर बाद 3:35 की दिल्ली से आने वाली G8-231
लेट आने वाली फ्लाइट
बेंगलुरु से आने वाली G8-274 दोपहर 2:10 की जगह 3:10 बजे तक आएगी।
पटना से कैंसिल हुई फ्लाइट
सुबह 11:20 पर दिल्ली जाने वाली G8-144
दोपहर 1:40 पर दिल्ली जाने वाली G8-229
दोपहर 2:20 पर मुम्बई जाने वाली G8-352
शाम 4:05 पर दिल्ली जाने वाली G8-132
शाम 4 :20 बजे बेंगलुरु जाने वाली AI-574
लेट जाने वाली फ्लाइट
दिल्ली जाने वाली दोपहर 12:50 की फ्लाइट G8-2512 आज दोपहर 2:35 पर जाएगी
बेंगलुरु जाने वाली दोपहर 2:45 की G8-273 आज 3:45 पर जाएगी

संघ का कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना

संघ सम्राट अशोक के बहाने भारत की आत्मा पर चोट पहुँचाना चाह रहा है ।
संघ की कही पे निगाहें कही पे निशाना

संघ किस तरीके से काम करती है उसके सौ वर्षो के इतिहास पर गौर करेंगे तो राम जन्मभूमि,धारा 370 ,कॉमन सिविल कोर्ट ,धर्मांतरण,जनसंख्या नियंत्रण उनका राजनीतिक एजेंडा रहा है जिसका नेतृत्व बीजेपी करती है।

लेकिन संघ का एक दर्जन से अधिक ऐसी अनुषांगिक संस्था है जो संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सोच के तहत भारतीय इतिहास ,संस्कृति और भारतीय सोच को बदलने को लेकर काम कर रही है ।जो इनका स्लीपर सेल है, जिसकी कोई पहचान नहीं है लेकिन अंदर ही अंदर उसके सहारे काम चलता रहता है।

संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में सम्राट अशोक,चाणक्य, बुद्ध, महावीर ,कबीर ,रैदास ,मीरा ,गांधी,विवेकानंद, नेहरू और अम्बेडकर जैसे शासक,राजनीतिक विचारक,समाज सुधारक ,साहित्यकार और कवि फिट नहीं बैठते हैं, उन्हें भारतीय तिरंगा और राष्ट्रगान भी पसंद नहीं है उन्हें राष्ट्र गीत भी पसंद नहीं है लेकिन वह गीत मुसलमान के भावना को ठेस पहुंचता है इसलिए उसको अपने राजनीतिक मंच से उठाता रहते है।

आजादी के बाद गांधी इनके निशाने पर हैं क्यों कि संघ के सांस्कृति राष्ट्रवाद के फैलाव में गांधीवाद बड़ा बाधक है इसी तरह नेहरु का विचार और पीएम के रूप में किया गया काम संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतिकूल है इसलिए एक रणनीति के तहत गांधी और नेहरू को भारतीय सोच से बाहर निकालने के लिए संघ बड़े स्तर पर काम कर रही है ।
भारत के आजादी के आन्दोलन में जब तक गांधी और नेहरू के योगदान की चर्चा होती रहेगी संघ अपने एजेंडे को आगे नहीं बढ़ पाएगी ।

इस तरह के काम के लिए संघ का अपना एक अलग तरीका है गांधी और नेहरू पर हमला किस तरीके से किया जा रहा है इसे आप महसूस कर रहे होगे।

लेकिन सम्राट अशोक पर हमला भी संघ के एक रणनीति का हिस्सा ही है और संघ जिस तरीके से काम करती है उसका यह पहला चरण है ।

जिस व्यक्ति ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से किया है वो व्यक्ति यूपी कैडर के रिटाइर आईएस अधिकारी है फिलहाल बहुत बिमार है और बड़ी मुश्किल से बात कर पा रहे हैं।

जिस नाटक में सम्राट अशोक को औरंगजेब से तुलना किया गया है उस नाटक को पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया हाल ही में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पदम श्री दिया गया।

जैसे ही सिन्हा जी का पहचान बना उनके नाटक को लेकर एक खबर प्रकाशित करवाया गया ताकि इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आती है उसको देखा जाए । संघ का काम करने का यह तरीका है पहले किसी गुमनाम व्यक्ति से मुद्दा जनता के बीच परोसता है फिर उसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आयी उस पर नजर रखता है ।

और सम्राट अशोक के मामले में जैसे ही तीव्र प्रतिक्रिया आयी संघ और बीजेपी दोनों दया प्रकाश सिन्हा से पल्ला झार लिया और बिहार बीजेपी एक कदम आगे बढ़ाते हुए सिन्हा जी पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया। लक्ष्य कुछ ओर है इसलिए यह खेल यही नहीं रुकेंगा देखते रहिए एक सप्ताह के अंदर उड़ीसा के किसी विद्वान के हवाले से इसी तरह की प्रतिक्रिया सम्राट अशोक को लेकर आयेगी इंतजार करिए, संघ के काम करने का यही तरीका है ।


लेकिन आपका यह सवाल स्वाभाविक होगा कि इस समय सम्राट अशोक का औरंगजेब से तुलना करने की वजह क्या है, जी है सवाल आपका लाजमी है और मौजू भी है।


ऐसा है केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जो नया संसद भवन बनया जा रहा है उसमें लोकसभा अध्यक्ष के पीछे लगा अशोक स्तम्भ और सत्यमेव जयते को हटा दिया गया है क्यों कि यह प्रतीक संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अनुकूल नहीं है और संघ के निर्देश पर यह काम किया गया है ,संसद भवन का काम अंतिम चरण में है और 2022 में इस भवन का उद्घाटन होना है ऐसे में उस समय किस स्तर तक हंगामा हो सकता है उसी को देखते हुए दया प्रसाद सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक पर लिखा गया नाटक से जुड़ी खबर चलवा कर टेस्ट ले रहा है ।