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हाईकोर्ट के फैसले पर आक्रामक मूड में बीजेपी, जहानाबाद में सीएम और डिप्टी सीएम का फूंका पुतला

आज जहानाबाद में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी आंदोलन के तहत अस्पताल मोड़ चौराहा पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का पुतला फूंका।

बीजेपी के लोगों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को अपने वोट बैंक के रूप में उपयोग करने के चक्कर में बिहार में नगर निकाय के चुनाव को खत्म करवा दिया।

जिस तरह से बिना किसी प्रक्रिया पूरा किए हुए सरकार चुनाव में गई। इससे आम लोगों को काफी परेशानी झेलना पड़ा। ऐसे में जब कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया, तो इसके लिए सीधे बिहार सरकार जिम्मेदार है।

बीजेपी जिला अध्यक्ष ने यह मांग की है कि उम्मीदवारों के जो खर्च हुए हैं उन्हें सीएम नीतीश कुमार के द्वारा दिया जाना चाहिए।

प्रशांत किशोर का विपक्ष और नीतीश कुमार पर बड़ा हमला, बिहार में बदलाव जरूरी

जन सुराज पदयात्रा के दौरान पश्चिम चंपारण के जमुनिया गांव में प्रशांत किशोर ने कहा, “किसी से आजतक पैसा नहीं लिए हैं, अब ले रहे हैं।

बिहार में बदलाव के लिए उनसे फीस ले रहे हैं, जिनके लिए अब तक काम किया है, ताकि ये टेंट लगाया जा सके। मेहनत से, अपनी बुद्धि से 10 साल काम किए हैं, दलाली नहीं किए हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “2014 में चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली आकर कहा कि हमारी मदद कीजिए। 2015 में हमलोगों ने उनको जिताने में कंधा लगाया, अभी 10-15 दिन पहले बुलाकर बोले कि हमारे साथ काम कीजिए, हमने कहा कि ये अब नहीं हो सकता है।

एक बार जो लोगों को वादा कर दिया है कि 3500 किमी चलकर गांव-गांव में जाकर लोगों को जगाना है, वही करेंगे। एक बार जनबल खड़ा हो गया, कोई टिकने वाला नहीं है लिखकर रख लीजिए।”

सामने आ गया जदयू-राजद का द्वंद, अंदर की लड़ाई सतह पर आ गई – शाहनवाज

आरा। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर बोले पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन,कहा सामने आ गया जदयू-राजद का द्वंद , अंदर की लड़ाई सतह पर आ गई – शाहनवाज ।

भीतर की बात दूर तक पहुंची, कहा जदयू-राजद के भीतर चल रही बड़ी लड़ाई,आरा परिसदन में प्रेसवार्ता कर दिया बयान।

अपने बयानों की वजह से विवादों में रहे मंत्री सुधाकर सिंह का इस्तीफा, उनके पिता और पार्टी नेता जगदानंद सिंह ने की पुष्टि

इस वक्त की सबसे बड़ी खबर बिहार की सियासत से आ रही है। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया है। सुधाकर सिंह के पिता और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इसकी पुष्टि की है।

बता दें कि महागठबंधन की सरकार में आरजेडी कोटे से मंत्री बने सुधाकर सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सुधाकर सिंह ने खुले मंच से अपने विभाग के अधिकारियों को चोर कहा या था और खुद को चोरों का सरकार बताया था।

कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस बात को लेकर टोकने पर सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक से उठकर चले गए थे। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष और कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने उनके इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा है कि कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सरकार के पास भेज दिया है।

जगदानंज सिंह ने कहा है कि बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने किसानों के प्रश्न को उठाया है लेकिन सिर्फ प्रश्न उठाने से कुछ नहीं होता है उसके लिए त्याग भी करना पड़ता है। जगदानंद सिंह ने कहा है कि हम नहीं चाहते हैं कि कोई लड़ाई आगे बढ़े। सरकार अच्छी तरह से चले इसके लिए सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सरकार को सौंप दिया है।

गोपालगंज को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दी सौगात

गोपालगंज । डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दी सौगात। गोपालगंज के थावे में की मेडिकल कॉलेज की घोषणा। मॉडल सदर अस्पताल के भवन बनाने का किया शिलान्यास।

थावे मंदिर के जीर्णोद्धार पर करोड़ो रुपए होंगे खर्च। 600 करोड़ राशि विकास योजनाओं पर होंगे खर्च।

क्या नीतीश वीपी सिंह के नक्शे कदम पर बढ़ रहे हैं?

क्या देश नीतीश में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह वाली छवि देख रही है!
मीडिया के एक सवाल के जवाब में ललन सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार को फूलपुर और मिर्जापुर के साथ साथ कई जगह से चुनाव लड़ने का संदेशा आया है लेकिन लोकसभा चुनाव में अभी बहुत वक्त है और नीतीश जी चुनाव लड़ेंगे इस पर अभी तक कोई विचार नहीं हुआ है इसलिए इस तरह के सवाल का कोई मतलब नहीं है।

लेकिन मीडिया ने इस खबर को ऐसा परोसा मानो ललन सिंह ने फूलपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दिया खबर ब्रेक होते ही राष्ट्रीय मीडिया में भूचाल आ गया शाम का सारा प्राइम डिबेट फूलपुर पर आकर ठहर गया देखते देखते सारा राष्ट्रीय चैनल फुलपूर की और प्रस्थान कर गया और गांव गांव ,चौक चौक पर लोगों से सवाल करने लगा नीतीश चुनाव लड़ने आ रहे हैं, आपकी क्या राय है।

खबरे भले ही 2024 का नब्ज टोटलने को लेकर जदयू द्वारा प्रायोजित किया गया था लेकिन मीडिया जब फूलपुर पहुंची तो ऐसे लगा जैसे उनके पहुंचने से पहले गांव गांव मे नीतीश के चुनाव लड़ने की चर्चा शुरु हो गयी है, सारे चैनल के रिपोर्ट को देखे तो बिहार से कही ज्यादा यूपी वाले इस खबर को लेकर उत्साहित हैं।

एक राष्ट्रीय चैनस का पत्रकार चलते चलते एक दरवाजे पर रुकता है और वहां बैठे लोगोंं से सवाल करता है नीतीश आ रहे हैं क्उया कहना है आपका उस व्यक्ति ने नीतीश के सहारे जो बाते कही रिपोर्टर साहब सोच में पड़ गये, गांव वालों ने गठबंधन अभी हुआ भी नहीं है लेकिन नाम भी रख दिया संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार नीतीश जी आय़ेंगे तो मोदी जी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा । जिस अंदाज में वहां बैठे लोग बोल रहे थे कि रिपोर्टर को रहा नहीं गया और उक्त व्यक्ति की जाति जानने के लिए नाम पुंछ डाला वहां बैठे सारे के सारे व्यक्ति ब्राह्मण थे रिपोर्टर हैरान आप लोग नीतीश की तारीफ कर रहे हैं मतलब नीतीश के नाम की चर्चा के साथ ही यूपी की राजनीति में भी एक अलग तरह माहौल अभी से ही बनना शुरू हो गया । इस खबर को जिस तरीके से राष्ट्रीय मीडिया ने कवर किया है अगर लड़ाई आमने सामने हुई तो मोदी का मीडिया मैनेजमेंट बहुत प्रभावित नहीं कर सकता है ऐसा नीतीश के बिहार से बाहर निकलने के बाद दिखने लगा है ।

Nitish Kumar

वैसे अधिकांश मीडिया हाउस के टॉप लेवल पर कोई ना कोई है जिनसे नीतीश कुमार को बेहतर रिश्ता रहा हैं साथ ही मोदी से जो प्रताड़ित वर्ग है वो पूरी तौर पर नीतीश के साथ होते जा रहा है जिस वजह से नीतीश को राष्ट्रीय स्तर पर फंड से लेकर अन्य स्रोतों तक पहुंच काफी तेजी से बढ़ती जा रही है फिर भी नीतीश काफी सावधान है और इस इमेज से बचना चाह रहे हैं कि नीतीश कुमार 2024 के पीएम उम्मीदवार है क्योंकि उनको पता है जब तक विपक्ष अलग अलग रहेंगा इसका कोई मतलब नहीं है।

इसलिए नीतीश कुमार की कोशिश यह है कि वीपी सिंह के नेतृत्व में जिस तरीके से 1989 में देश के सभी विपक्षी पार्टियां एक साथ मिलाकर जनता दल बनाया था ठीक उसी तरह से पहले देश स्तर पर बिखरे सारे विपक्ष को एक दल में विलय करा जाए ताकि टुकड़े टुकड़े में जीत कर आने के बाद पीएम पद की दावेदारी में वो मजबूती नहीं रहेंंगी जैसे विलय के बाद एक दल के रूप में जीत कर आने के बाद वो मजबूती नहीं रहेंगी इसलिए मीडिया जब फूलपुर से चुनाव लड़ने की बात कि तो नीतीश सिरे से खारिज कर दिया और कहां कि मेरी प्राथमिकता विपक्ष को पहले एक करना है ।

हालांकि जो खबर आ रही है राजद,जेडीएस और ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी से सहमति दे दी है और सपा से बातचीत चल रही है वैसे कल युवा चेहरे को आगे करने की बात कर नीतीश ने एक बड़ा दाव खेल दिया है वैसे 25 सितंबर को देवीलाल के जयंती के मौके पर आयोजित रैली में विपक्षी एकता को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है।

शाह ने नीतीश की घेरेबंदी शुरु की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल के सहारे लोकसभा 2024 का आगाज करने 23 और 24 सितंबर को पूर्णिया और किशनगंज के दौरा पर आ रहे हैं स्वाभाविक है यह इलाका बीजेपी के हिन्दू मुस्लिम नैरेटिव में पूरी तरह से फिट बैठता है।
ऐसे में नीतीश कुमार के अलग होने के बाद बिहार की राजनीति में बने रहने के लिए अभी से ही यूपी की तरह यहां भी कैराना की खोज बीजेपी ने शुरु कर दी है हालांकि सीमांचल के अररिया, किशनगंज कटिहार और पूर्णिया इलाके में बीजेपी की पकड़ मजबूत हो इसके लिए संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद 1981 से ही कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है।

वैसे बीजेपी का कोई बड़ा नेता पहली बार बिहार के इन इलाकों में सेंधमारी करने की मुहिम शुरू करने जा रहा है कितना सफल होगा कहना मुश्किल है लेकिन पहली बार बड़ी कोशिश शुरु होने वाली है ये जरूर दिख रहा है और निशाने पर नीतीश है । क्यों कि इस इलाके में अभी भी नीतीश की पकड़ मजबूत है पिछले विधानसभा चुनाव में इन्ही इलाकों मेंं चिराग फैक्टर भी प्रभावी नहीं रहा था। सीमांचल के चुनावी समीकरण की बात करे तो यहां चार लोकसभा क्षेत्र हैंं जहां बिहार का सर्वाधिक मुस्लिम वोटर है ।किशनगंज यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 67 फीसदी है, कटिहार जहां मुस्लिम वोटर की संख्या 38 फीसदी, अररिया जहां 32 फीसदी है और पूर्णिया जहां 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है।

इन लोकसभा क्षेत्र की बात करे तो एनडीए के साथ जब जब नीतीश साथ रहे 2009 के लोकसभा चुनाव में और 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए जीत हासिल की है । नीतीश अकेले चुनाव लड़े तो 2014 के मोदी लहर में भी ये सारी सीटें बीजेपी हार गयी थी ,मतलब इन इलाको में मुस्लिम वोटर के अलावे बड़ी संख्या में अति पिछड़ा वोटर है और जब तक अति पिछड़ा वोटर को साधने में बीजेपी कामयाब नहीं हो जाती है तब तक बहुत मुश्किल है इन इलाकों में बीजेपी की वापस । वैसे ये जो इलाका है पूरी तौर पर कृषि आधारित इलाका है और शहरीकरण नहीं के बड़ाबड़ हुआ है ।वहीं यादव जो हिन्दू में मजबूत तबका है उसमें अभी भी लालू परिवार का तिलिस्म पूरी तौर पर खत्म नहीं हुआ है यू कहे तो अभी भी मजबूत स्थिति में है ऐसे में इन इलाकों में हिन्दू मुस्लिम नैरेटिव को आगे बढ़ना बहुत ही मुश्किल है साथ ही इन इलाकों में बीजेपी का वैसा जमीनी नेता पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति में नहीं है जो माहौल बना सके ।

अररिया के सांसद जरुर अति पिछड़ी जाति से आते हैं लेकिन वो उतने प्रभावी नहीं हैं और क्षेत्र से भी बाहर ही रहते हैं ।वैसे यह इलाका कभी राजद का गढ़ माना जाता था लेकिन नीतीश कुमार यादव के खिलाफ अति पिछड़ों की राजनीति करके राजद को इन इलाकों से सफाया कर दिया था और अभी भी जदयू का सबसे मजबूत किला यही इलाका है, कटिहार और पूर्णिया में जदयू का सांसद है और आज भी जदयू का सबसे अधिक विधायक इन्ही इलाकों से जीत कर आया है ।इसलिए बीजेपी के लिए और भी बड़ा चुनौती है क्यों कि नीतीश कुमार के साथ जो वोटर है उसको हिन्दू मुस्लिम नैरेटिव में बांटना यादव की तुलना में मुश्किल है वैसे अमित शाह की यात्रा को लेकर जदयू कुछ ज्यादा ही सचेत है क्योंकि उन्हें पता है कि इस इलाके में नीतीश की पकड़ कमजोर हुई तो नीतीश की सियासत ही खत्म हो जायेंगी और यही वजह है कि अमित शाह के दौरा के बाद महागठबंधन इन इलाकों में गांव गांव में सम्मेलन करने का निर्णय लिया है।

मिशन 2024 की सफलता के लिए नीतीश को अपनी छवि बनाए रखनी होगी

मिशन 2024 की सफलता बिहार के कानून व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा ।
—–बेगूसराय की घटना सरकार के साख पर सवाल है—–

बेगूसराय फायरिंग मामले की जांच के दौरान बिहार पुलिस मेंं प्रोफेशनलिज्म की कमी साफ देखने को मिला,ऐसे में मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जो बिहार की पुलिसिंग पर खास नजर रखती है बेहद चिंता का विषय है।इस घटना के जांच के दौरान पुलिस की जो प्रवृत्ति देखी गयी है उससे आने वाले समय में अब हर घटना को जाति के चश्मे से देखने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और इसका प्रभाव राज्य के कानून व्यवस्था पर पड़ेगा यह तय है।

बेगूसराय फायरिंग मामले मेंं गिरफ्तार अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य है लेकिन उस साक्ष्य को लेकर जिस स्तर तक पुलिस को काम करने कि जरुरत थी उसमें साफ कमी देखने को मिल रही है और इसका असर यह हुआ कि पुलिस बेगुनाह लोगों को जेल भेज दिया है ऐसी बात चर्चा में आनी शुरु हो गयी है और इस घटना में जो अपराधी शामिल है उसको पुलिस बचा रही है।

घटना 13 तारीख के शाम की है बेगूसराय पुलिस का हाल यह था कि 24 घंटे तक वो अंधेरे में ही तीर चला रहा था ,14 तारीख की शाम को पुलिस ने दो तस्वीर जारी किया और कहा कि यही वो चार अपराधी जो दो मोटरसाइकिल पर सवार होकर इस घटना को अंजाम दिया है। इतने महत्वपूर्ण केस में 15 तारीख की शाम मीडिया में खबर आने लगी कि इस कांड में शामिल अपराधी पकड़े गये और इस घटना में शामिल अपराधियों का नाम क्या है यह भी मीडिया में चलने लगा जबकि उस समय तक सभी कि गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी उन अपराधियों का नाम कैसे बाहर आ गया बड़ा सवाल है।

फिर 16 तारीख के अहले सुबह बेगूसराय पुलिस के इनपुट पर झाझा रेलवे स्टेशन पर तैनात जीआरपी ने केशव उर्फ नागा को पकड़ा जो इस मामले की सबसे बड़ी गिरफ्तारी थी क्यों कि उससे पूछताछ के दौरान इस घटना के पीछे का खेल सामने आ सकता था लेकिन हुआ क्या जीआरपी थाना के प्रभारी फोटो खिंचवा कर 5 बजे सुबह में ही मीडिया को तस्वीर के साथ उसके गिरफ्तारी को सार्वजनिक कर दिया और मीडिया को फोनिंग देने लगा इसका असर यह हुआ कि 10 बजे नागा गैंग से जुड़े लोग बिहट चौक पर स्थित कुणाल लाइन होटल के सीसीटीव का फुटेज जारी कर बेगूसराय पुलिस की पूरी कार्रवाई पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

देखिए जिसको पुलिस सूटर बता रही है वो घटना के समय लाइन होटल पर बैठा हुआ है जैसे ही यह खबर मीडिया में आयी बेगूसराय पुलिस सकते में आ गया और फिर पूछताछ छोड़ कर कितनी जल्दी इसको जेल भेजा जाए इस पर काम करना शुरू कर दिया ।

इसका असर यह हुआ कि केस का पूरी तौर पर खुलासा नहीं हो पाया बहुत सारी बाते सामने नहीं आ सकी और इस वजह से एसपी के सामने प्रेस रिलीज पढ़ने के अलावे को दूसरा चारा नहीं था । क्यों कि उनके पास क्रॉस क्यूसचन का जवाब नहीं था यही स्थिति एडीजीपी मुख्यालय का रहा मीडिया वाले सवाल करते रहे गिरफ्तार अपराधियों में गोली चलाने वाला कौन था नाम तक बताने कि स्थिति में वो नहीं थे ,केशव उर्फ नागा के होटल में बैठे होने कि बात सीसीटीवी में कैद होने पर सवाल किया गया तो कहां गया ये सब घटना की साजिश में शामिल थे, साजिश क्या है तो यह अनुसंधान का मसला है इस तरह से सवाल जवाब ने पुलिस के कार्रवाई को और भी संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया और सुशील मोदी और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं को इस मामले की सीबीआई और एनआईए से जांच की मांग करने का मौका मिल गया।

इतने संवेदनशील मामले में इससे पहले कभी भी इस तरह की बाते देखने को नहीं मिली है पुलिस वाले सूचना लीक कर रहे थे और झाझा जीआरपी ने तो हद कर दी तस्वीर तक जारी कर दिया जो दिखाता है कि बिहार पुलिस की कार्य प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।

याद करिए 1995 से 2005 का दौर राज्य में जो भी आपराधिक घटना घटित होता था सरकार उसको जाति से जोड़ देता था इस वजह से बिहार की पुलिसिंग धीरे धीरे कमजोर होती चली गयी वही सरकार के इस प्रवृत्ति का लाभ उठाते हुए अपराधियों ने भी अपने अपराध को छुपाने के लिए पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए जाति से जोड़ना शुरू कर दिया और धीरे धीरे पूरी व्यवस्था जाति के आधार पर एक दूसरे के साथ खड़े होने लगी और उसी का असर था कि बिहार की कानून व्यवस्था पटरी से उतर गया।

नीतीश कुमार इसी व्यवस्था पर चोट करके राज्य में कानून का राज्य स्थापित करने में कामयाब रहे थे लेकिन पहली बार वो किसी घटना को जातिवादी आधार से जोड़ते हुए बयान दिया और इसका असर बेगूसराय फायरिंग मामले में पुलिस के कार्यशैली पर साफ दिखाई दिया है।

हालांकि इसके लिए सिर्फ लालू प्रसाद या नीतीश कुमार ही जिम्मेवार नहीं है सुशील मोदी और गिरिराज सिंह जैसे नेता के साथ साथ यहां के सवर्णवादी मानसिकता वाले जो लोग है वो भी कम जिम्मेदार नहीं है क्योंकि उनको भी इसी तरह की राजनीति सूट करता है ।

बेगूसराय की घटना पूरी तरह से अपराधिक घटना है और सरकार या फिर किसी जिले में एसपी बदलने के बाद अपराधियों की यह प्रवृत्ति रही है कि इस तरह की घटना करके वह देखना चाहता है कि सरकार और पुलिस प्रशासन की सोच क्या है ।
याद करिए नीतीश कुमार 2005 में जब सत्ता में आये थे तो शुरुआती एक वर्ष तक किस तरीके से अपराधी सरकार को लगातार चुनौती दे रहे थे लेकिन जैसे ही अपराधियों को यह समझ में आ गया कि सरकार,कोर्ट और सत्ता में बैठे अपनी जाति वाले अधिकारियों से अब मदद मिलने वाली नहीं है स्थिति धीरे धीरे सुधरने लगी।

लेकिन बेगूसराय की घटना के बाद अपराधी और असामाजिक तत्व एक बार फिर से सिस्टम में बैठे अधिकारियों और नेताओं पर दबाव बनाना शुरु कर सकते हैं इस उदाहरण के साथ की मेरे साथ जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है हालांकि इस सोच को कितना बल मिलेगा यह कहना मुश्किल है लेकिन इन नेताओं की यही कोशिश होगी कि इस आधार पर समाज को बांटा जाये।

दस्तावेज तैयार करने को लेकर अनुमंडल कार्यालय के पास चहल पहल, नामांकन के लिए उमड़ रही भीड़

जहानाबाद जिले के चार नगर निकायों में चुनाव को लेकर नामांकन के तीसरे दिन तक किसी अभ्यर्थी ने नामजदगी का पर्चा दाखिल नहीं किया था। लेकिन चौथे दिन से प्रत्याशियों की भीड़ उमड़ने लगी है।

गुरुवार को सबसे ज्यादा वार्ड काउंसलर के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन किया। घोसी वॉर्ड नंबर 6 से नामांकन करने वाले अरविंद कुमार ने बताया कि अपने वार्ड के विकास को लेकर वे चुनाव लड़ रहे हैं।

अरविंद कुमार, कैंडिडेट

नगर परिषद जहानाबाद, मखदुमपुर नगर पंचायत, घोसी नगर पंचायत और काको नगर पंचायत क्षेत्र के अभ्यर्थियों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किया गया है।

अनुमंडल कार्यालय के आसपास के क्षेत्र को बैरिकेडिंग की गई है। दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी के साथ जवानों की तैनाती की गई है। प्रवेश के लिए एक रास्ता बनाया गया है, जहां पुलिस जवान व पुलिस पदाधिकारी तैनात हैं।

दीपक रंजन, एसपी, जहानाबाद

नामजदगी का पर्चा दाखिल करने का समय 19 सितम्बर है। गुरुवार तक लगभग 530 उम्मीदवारों ने एनआर कटवाया है।

Municipal elections

नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का हमला जारी, पूर्णिया में कहा – फेविकोल कंपनी को उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए

पूर्णिया । प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर फेविकोल कंपनी वाले मुझसे मिलेंगे तो मैं उनको सलाह दूंगा कि नीतीश कुमार जी को अपना ब्रांड एंबेसडर बना लें । किसी की भी सरकार हो , लेकिन वो कुर्सी से चिपके हुए रहते हैं ।

नीतीश कुमार के हालिया आरोप पर प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए कहा, “एक महीने पहले तक 90 डिग्री के कोण पर झुक कर वो मोदी जी को प्राणाम करने वाले व्यक्ति अगर किसी को बीजेपी की बी टीम कह रहे हैं , तो इस पर हम हंसे या रोए।

Prashant Kishor

बीजेपी के साथ होने या ना होने में नीतीश जी के सर्टिफिकेट का जीरो वैल्यू है। मैं स्वतंत्र हूं और जो करना चाह रहा हूं वो कर रहा हूं।”

नीतीश बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत करेंगे बिहार से

बिहार की राजनीति बवंडर
कभी भी बिहार विधानसभा को किया जा सकता है भंग
जदयू और राजद का आपस में हो सकता है विलय।

विपक्षी एकता को लेकर नीतीश का मिशन 2024 की शुरुआत जिस तरीके से हुई है उससे नीतीश काफी उत्साहित है और कहा ये जा रहा है कि नीतीश हाल के दिनों में बेहद चौकाने वाले निर्णय ले सकते हैं और इसको लेकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच लगभग सहमति बन गयी है ।

जो खबर आ रही है उसके अनुसार नीतीश बिहार विधानसभा को भंग कर चुनाव में जाना चाह रहे हैं और उससे पहले नीतीश राजद और जदयू के विलय की घोषणा कर देश स्तर पर ये संदेश देना चाहते हैं कि देश को बचाने के लिए हमने अपनी पार्टी तक को दांव पर लगा दिये।

क्यों कि दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दल के नेताओं में नीतीश कुमार को लेकर जो उत्साह देखने को मिल रहा है उससे ये साफ हो गया है कि नीतीश कुमार देश के सारे विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। क्यों कि नीतीश कुमार दिल्ली से गया के रास्ते में ही थे कि ममता बनर्जी ने नीतीश के अभियान में साथ आने की घोषणा कर नीतीश के अभियान को और बल दिया है ।

1– राजद जदयू का विलय ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार से बाहर निकलने से पहले नीतीश बिहार की राजनीति में ऐसी किलाबंदी चाह रहे हैं ताकि बीजेपी की सम्भावना बिहार की राजनीति में पूरी तरह से खत्म हो जाये और इसके लिए 2015 के परिणाम से सीख लेते हुए नीतीश और लालू इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के आपसी रिश्तों में जो खाई है उसको पाटने का वक्त नहीं है और इस बार बड़े भाई छोटे भाई के लिए भी कोई जगह ना रहे इसके लिए दोनों पार्टी के आपस में ही विलय कर दिया जाए।

फिलहाल जिस फॉर्मूला पर बातचीत चल रही है उसके अनुसार नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उसके बाद तेजस्वी को पार्टी और सरकार सौंप देंगे वैसे इस फॉर्मूला पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश की तेजस्वी और लालू प्रसाद से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। देश स्तर पर विपक्षी एकता का स्वरुप जैसे जैसे शक्ल लेता जाएगा नीतीश बिहार में इस अभियान को आगे बढ़ाते जाएंगे क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो एनडीए में भाजपा 121 और जदयू 122 सीटों में चुनाव लड़ी थी और उसमें से सात सीट जदयू ने हम को दिए थे इसी तरह महागठबंधन में 144 सीटों पर RJD, 70 सीटों पर कांग्रेस और 29 पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी।2020 के चुनाव में भाजपा 19.46%, जदयू 15.39%,राजद 23.11% वोट मिला था वही कांग्रेस को 09.48% ,भाकपा माले को लगभग 4 प्रतिशत सीबीआई 0.83% 02,माकपा 0.65%रालोसपा 01.77% मतलब सबके सब साथ आ जाये तो लगभग 55 प्रतिशत वोट का शेयर हो जायेंगा वही 2020 के चुनाव में जो ओवैसी फैक्टर राजद गठबंधन को जो नुकसान पहुंचाया उसे कम किया जा सकता है।वहीं जदयू और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं रहेगा जब पार्टी का एक दूसरे में विलय कर दिया जाएगा ।

विलय को लेकर नीतीश गंभीर इसलिए हैं कि इसके सहारे दो संदेश देना चाह रहे हैं एक नीतीश पलटूराम के इमेज से बाहर निकल जाएंगे और बिहार की राजनीति जो अति पिछड़ा ,महादलित और पसमांदा में बट गया था वो एक बार फिर से साथ आ जाएंगे वही देश स्तर पर पार्टी के विलय के सहारे संदेश देने कि कोशिश होगी कि मोदी को लेकर बिहार किस स्तर पर सोच रहा है।

2— जल्द ही होगा बिहार में मध्यावधि चुनाव बिहार में मध्यावधि चुनाव होगा यह तय हो गया है बस इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि गुजरात के साथ दिसंबर में चुनाव में जाया जाये या फिर 2023 में होने वाले राजस्थान,मध्य प्रदेश के चुनाव के साथ जाया जाए, क्यों कि एक राय ये भी बन रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्षी एकता के सहारे मोदी को पहले गुजरात में ही घेरा जाए और इसके लिए नीतीश कुमार सहित विपक्ष के तमाम बड़े चेहरा गुजरात चुनाव में कैम्प करे ,वही दूसरा धरा का यह मानना है कि बिहार से ही बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत कि जाए और इसके लिए गुजरात के साथ बिहार का भी चुनाव करना बेहतर होगा।देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन इतना तो तय हो गया कि अब खेला होबे ।

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के बयान पर भागलपुर में दिया जवाब, कहा–बुजुर्ग है बोलने दीजिए

भागलपुर । प्रशांत किशोर ने भागलपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नीतीश कुमार द्वारा उनपर किए गए टिप्पणी का जवाब दिया है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार जी यहां के बुजुर्ग नेता हैं, वो कुछ बोलना चाहते हैं तो उनको बोलने दीजिए।

व्यक्तिगत टीका टिप्पणी करना ठीक नहीं है। अगर उन्होंने कुछ कहा है तो वो उनकी सोच है। कौन बीजेपी के साथ काम कर रहा है, जहां तक मैं और आपलोग जानते हैं अभी 1 महीना पहले तक नीतीश जी बीजेपी के साथ ही थे। नीतीश कुमार अगर किसी को इस तरह का सर्टिफिकेट दे रहे हैं तो ये हास्यास्पद ही है।”

नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “17 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद आपको याद आया कि 10 लाख नौकरी दी जा सकती है, पहले ही दे देना चाहिए था। लेकिन चलिए अब नीतीश कुमार इतने बड़े नेता हैं, उनको A से Z तक पता है। दूसरे को ABC नहीं आता है।

उन्होंने कहा है कि 10 लाख नौकरी देंगे, अगर दे देंगे तो हम जैसे लोगों को अभियान चलाने की क्या जरूरत है। अगर 10 लाख नौकरी दे देते हैं तो उनको नेता मानकर जैसे 2015 में उनका काम कर रहे थे, फिर से उनका काम करेंगे। उनका झंडा लेकर घूमेंगे। 10 लाख लोगों को नौकरी दे कर दिखाइए साल भर में। 12 महीना में 1 महीना हो गया है। 12 महीना के बाद उनसे पूछेंगे कि किसको ABC का ज्ञान है और किसको XYZ का ज्ञान है।

अगर 10 लाख नौकरी दे दिए तो मान लेंगे कि सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी आप ही है। एक भगवान ऊपर हैं और एक नीचे आप हैं।”

बिहार में कभी भी हो सकता है चुनाव, एलजेपी नेता रविंद्र सिंह का बयान, पार्टी के सांगठनिक चर्चा को लेकर पहुंचे थे जहानाबाद

जहानाबाद में संगठन की समीक्षा और विस्तार को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास की बैठक आयोजित की गई। शहर के एक निजी हॉल में आयोजित बैठक की अध्यक्षता जिला परिषद अध्यक्ष रानी कुमारी और जिला अध्यक्ष कुंदन शर्मा ने किया।

बैठक में संगठन की मजबूती को लेकर चर्चा की गई। मुख्य अतिथि के रूप में एलजेपी संगठन के महा मंत्री रविंद्र सिंह ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि कमेटी का गठन करना होगा।

रविंद्र सिंह ने बताया कि जो परिस्थिति बिहार में बन रही है चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। हर जिले में पार्टी का विस्तार किया जा रहा है।

नीतीश कुमार में पीएम बनने की सारी काबिलियत, बीजेपी को जनता आने वाले समय मे देगी जवाब, मुजग्फरपुर में मंत्री संतोष मांझी का बयान

मुजफ्फरपुर में सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे बिहार के मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे मंत्री डॉ. संतोष सुमन मांझी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा।

वहीं मंत्री संतोष मांझी ने मुजफ्फरपुर में रोड शो भी निकाला जिसमें काफ़ी संख्या में समर्थक शामिल हुए.मंत्री संतोष मांझी ने कहा कि आज भाजपा वाले जंगलराज-जंगलराज का राग अलाप रहे हैं। लेकिन, जब नीतीश कुमार उनकी पार्टी में थे मंगलराज था। अब जंगलराज हो गया। ये भाजपा वालों की पुरानी आदत है।

मणिपुर में जदयू विधायकों द्वारा भाजपा में शामिल होने की बात पर उन्होंने कहा कि ये हमेशा से इनकी आदत रही है। जनता जब उन्हें नकारती है तो इस तरह का मैसेज देते हैं कि हम तोड़-जोड़ कर सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। जनता उन्हें आने वाले समय मे जवाब देगी।

मंत्री डॉ. मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक परिपक्व और अनुभवी नेता हैं। उनमें वो सारे गुण और काबिलियत हैं, जो एक प्रधानमंत्री में होने चाहिए। हालांकि ये उनकी निजी राय है कि वे क्या सोचते हैं। लेकिन, व्यक्तिगत तौर पर अगर हमसे पूछा जाएगा तो मैं यही कहूंगा कि अगर वे बिहार को चला सकते हैं तो पूरे देश को चला सकते हैं। ये बिहार के लिए गौरव की बात होगी कि बिहार का बेटा देश का प्रधानमंत्री बने।

झारखंड सरकार का फ़ैसला दिल्ली में राज्यापाल दिल्ली रवाना

2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कोई पांच माह झारखंड में रहने का मौका मिला था जिस दौरान झारखंड की सामाजिक ,राजनीतिक और आर्थिक मिजाज को बहुत ही करीब से देखने और समझने का मौका मिला। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक दिया था, पैसा की बात छोड़िए हर बूथ पर देश के अलग अलग हिस्सों से आदिवासी ,पिछड़ा ,सवर्ण और बनिया जाति के लोगों को उतार दिया था।

इतना ही नहीं बाबूलाल मरांडी के सहारे बीजेपी हर विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के सामाजिक समीकरण में सेंधमारी के लिए बहुत ही सोच समझ कर प्रत्याशी खड़ा किये थे और बीजेपी पैसा से लेकर सभी तरह का संसाधन मुहैया करा रहा था । इसी दौरान चुनावी मिजाज को समझने के लिए सारंडा जंगल में स्थित आदिवासियों के गांव में गये, पुरुष से बात करना मुश्किल हो रहा था पहले हड़िया पीने के लिए पैसा दीजिए फिर बात करेंगे पत्रकार हैं तो क्या हुआ।

जहां तक मुझे याद है बहस चल ही रहा था कि एक महिला दौड़े दौड़े आयी और बोली छोड़ी छोड़ी इधर आइए । फिर हम लोग उस महिला के साथ चल दिये वो अपने घर के पीछे ले गयी जहां दोपहर के समय काम करके लौटी हर उम्र की महिलाएं पेड़ की नीचे बैठकर आराम कर रही थी एक घंटे तक बात हुई उसी दौरान बाबूलाल मरांडी के उम्मीदवार का क्या होगा वो भी तो आदिवासी है, तपाक से एक महिला बोलती है यह रघुवर के लिए काम कर रहा है । मैं तो हैरान रह गया जहां ना अखबार पहुंचता है ना टीवी है ना सोशल मीडिया है वहां ये बात कैसे पहुंच गई कि बाबू लाल बीजेपी के लिए काम कर रहा है। इस आदिवासी महिला के इस संवाद के साथ ही मुझे लग गया कि बीजेपी के लिए इस बार कोई गुंजाइश नहीं है। वैसे इस बात की चर्चा मैंने इसलिए किया कि बिहार की तरह ही झारखंड के हर व्यक्ति में राजनीतिक समझ है।

अब विषय वस्तु पर आते हैं पिछले छह माह से बीजेपी झारखंड की सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई है और इस खेल में मीडिया,कोर्ट,राज्यपाल,चुनाव आयोग ईडी और सीबीआई पूरी ईमानदारी के साथ खड़ी है फिर भी हेमंत पकड़ में नहीं आ रहा है।वैसे बीजेपी इस खेल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए क्या क्या बिसात बिछा रखी है इस बार के रांची प्रवास के दौरान एक बार फिर से देखने को मिला।

1– बीजेपी का क्या है मिशन झारखंड भाजपा ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9a का हवाला देते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग निर्वाचन आयोग से की थी इस पर आयोग निर्णय लेकर राज्यपाल को एक सप्ताह पहले ही फैसले की कॉपी भेज चुकी है लेकिन राज्यपाल अभी तक उस फैसले पर अमल रोक रखा है । जानकार बता रहे हैं कि शुरुआत में इसी फैसले के आधार पर बीजेपी हेमंत से 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी डील करना चाहता था लेकिन पूरी कोशिश के बावजूद हेमंत तैयार नहीं हुआ फिर यह तय हुआ कि हेमंत की सदस्यता समाप्त कर दी जाये और चुनाव लड़ने से रोका नहीं जाए और इस बीच 15 विधायक को किसी भी स्थिति में तोड़ा जाये ताकि दोबारा शपथ लेने के बाद जब विधानसभा में हेमंत को बहुमत साबित करने को कहां जाये तो सरकार अल्पमत में आ जाए और ऐसी स्थिति में झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा लेकिन त्रिपाठी जी 50 करोड़ तक पहुंच गये फिर भी पांच से ज्यादा अभी तक नहीं जुटा पाए हैं फिर भरोसा नहीं है कि पैसा लेने का बाद भी विधायकी से त्यागपत्र देगा कि नहीं देगा ।

2–कांग्रेस को तोड़ने में आरपीएन सिंह का इस्तमाल कर रही है बीजेपी
अभी वर्तमान में जो बीजेपी है वह जब किसी मिशन पर काम करना शुरु करती है तो तोड़फोड़ अगर गोवा में हो रहा है तो निशाने पर महाराष्ट्र रहता है। इसी तरह यूपी चुनाव से ठीक पहले झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह को बीजेपी कांग्रेस में सिर्फ यूपी के लिए नहीं शामिल कराया था उसका लक्ष्य झारखंड था। हालांकि इस खेल को कांग्रेस समझ गयी और जिसके सहारे आरपीएन सिंह कांग्रेस को तोड़ रहे थे उसका ऑपरेशन खेला शुरु होने से पहले ही कांग्रेस ,ममता और हेमंत ने मिलकर कर दिया जिस वजह से यह खेल लम्बा खीच रहा है।

3–हेमंत झारखंड स्वाभिमान जगाने में कामयाब रहे बीजेपी के मिशन झारखंड में हेमंत को घेरने के लिए बीजेपी चारो और हमला कर रही है इस हमले में दुमका की बेटी अंकिता सिंह की हत्या का भी सहारा लिया गया ताकि प्रदेश में हिंदू मुसलमान का विवाद गहराये और कानून व्यवस्था बिगड़े ।लेकिन इन सारे व्यवधानों के बीच सोरेन अपने विधायकों को यह समझाने में कामयाब हो गये कि यह मत समझे यह हमला सिर्फ मेरे उपर है यह हमला झारखंड के आदिवासी और मूल निवासी पर है और इस बार कमजोर पड़े तो फिर उठने में कितना वर्ष लग जाएगा कहना मुश्किल है, यह बात झारखंड के विधायकों में इस तरह बैठ गया है कि अब किसी भी स्थिति में हेमंत का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है । हमारी तीन चार विधायक से बात हुई सबका यही कहना था संतोष जी झारखंड में जमीन के पांच फीट अंदर पैसा ही पैसा है हम लोग सीधा ठहरे कौन कब कहां कानून में फसा दे पता ही नहीं चलता है ऐसे में कब तक डरते रहेंगे जो होगा देखा जायेगा लेकिन इस बार झुकेंगे नहीं पैसा हम लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखता है देखते ही ना हम लोगों का खर्चा ही क्या है दो चार हजार रुपया रोज का काफी है इसलिए पैसा से कोई खरीद नहीं सकता। यही ताकत हेमंत को मोदी और शाह से सीधी लड़ाई में भी अंतिम क्षण तक खड़ा कर रखा है वैसे विधानसभा का सत्र बुला कर हेमंत ने बीजेपी को सीधी चुनौती दी है।

4–रघुवर की कमजोरी भी मिशन झारखंड में बड़ा बाधक है इन सबके बावजूद मोदी और शाह का जो रघुवर प्रेम है वो मिशन झारखंड के लिए एक बड़ी बाधक है क्यों कि बाबू लाल ,अर्जुन मुंडा सहित बीजेपी के अधिकांश नेता इस खेल में रघुवर की सक्रियता के कारण दिल से लगा हुआ नहीं है साथ ही बीजेपी का कोई भी विधायक चुनाव में जाने को तैयार नहीं है इस वजह से भी बीजेपी को निर्णय लेने में परेशानी हो रही है । वैसे झारखंड के राजनीतिक संकट का परिणाम जो हो लेकिन यह बात तो आ ही गयी कि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो मोदी और शाह जैसे योद्धा से भी मजबूती के साथ लड़ा जा सकता है ।

2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष की जीत और भाजपा को देश से विदा करने के लिए विपक्ष को एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा; नीतीश की भूमिका अहम -तेलंगाना CM के चंद्रशेखर राव

2024 की राजनीतिक बिसात बिझनी शुरु हो गयी है और स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि इसकी भी शुरुआत बिहार से ही होगा ।

बुधवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कहा कि नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनावों में विपक्ष को एकजुट करने के मुद्दे पर सहमति बनी है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष की जीत और भाजपा को देश से विदा करने के लिए विपक्ष को एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा।

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एक दिन के दौरे पर पटना पहुंचे के चंद्रशेखर राव ने पटना सिटी में गुरू के दरबार में टेका मत्था

एक दिवसीय बिहार दौरे पर आए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज देर शाम पटना सिटी का दौरा कर तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब पहुंचकर गुरु के दरबार में मत्था टेका।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सिरोपा भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। इस मौके पर के चंद्रशेखर राव ने दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी महाराज से जुड़ी हुई स्मृतियों का जहां दर्शन किया। वही इस संबंध में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से विशेष जानकारी भी प्राप्त की। हालांकि इस दौरान के चंद्रशेखर राव ने गुरु घर का हवाला देते हुए मीडिया से बात करने से सीधे तौर पर इंकार कर दिया।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के साथ मौजूद बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तख्त श्री हरमंदिर जी पहुंचकर गुरु के दरबार में मत्था टेकने की इच्छा जताई थी। उन्होंने बताया कि बिहार पहुंचकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने काफी खुशी जाहिर की है।

तेजस्वी यादव का कहना था कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने देश के विकास को लेकर साथ चलने की सहमति जताई है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पटना पहुंचे नितीश कुमार से हुई मुलाकात

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पटना पहुंचे नितीश कुमार से राजकीय अतिथि शाला में हुई मुलाकात।

पीएम तो दूर सीएम भी नहीं रह पाएंगे नीतीश, जहानाबाद पहुंचे सुशील मोदी का महागठबंधन पर हुआ करारा प्रहार

जहानाबाद पहुंचे सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार, लालू परिवार और साथ ही महागठबंधन पर एक बार फिर से जमकर हमला बोला।

सुशील मोदी ने कहा कि कई राज्यों के मुख्यमंत्री पीएम बनने का सपना देख रहे हैं. अगर ऐसा होता भी है तो सोच लीजिए देश की स्थिति क्या हो जाएगी. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के बिहार दौरे को लेकर हमला बोलते हुए सुशील मोदी ने कहा कि तेलंगाना की स्थिति खुद ही खस्ताहाल है और उनका जनाधार वहां घट रहा है। बाई इलेक्शन में वह हार चुके हैं. जो लोगों अपने राज्य में नकार दिए जा रहे हैं और जिन का जनाधार घट रहा है वही लोग बीजेपी के खिलाफ फ्रंट बनाने की बात कर रहे हैं।

सुशील मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि केसीआर गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा का फ्रंट बनाने की बात कर रहे हैं. जितने भी राज्य के मुख्यमंत्री हैं वह पीएम बनने का सपना देख रहे हैं. सुशील मोदी ने कहा कि राजद कभी भी नीतीश कुमार को झटका दे सकती है और अपना मुख्यमंत्री बना सकती है.

क्योंकि बिहार विधानसभा का अध्यक्ष राजद का है और जदयू को तोड़कर राजद अपना मुख्यमंत्री बना लेगी. सीएम आपकी बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं. इस पर सुशील मोदी ने कहा कि सीएम बहुत चीजों को गंभीरता से लेते हैं लेकिन उनके गंभीर सवालों को चुप्पी साध लेते हैं.सुशील मोदी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार गंभीर सवालों पर चुप्पी साध लेते हैं और हल्की फुल्की बात करके डायवर्ट कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि सीएम मुझ पर दया करने के बजाय अपनी चिंता करें कि वह कब तक सीएम रहेंगे. दरअसल सुशील मोदी जहानाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं की आयोजित समीक्षा बैठक में भाग लेने आए थे जहां उनका कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया. इससे पहले भी सुशील मोदी सीएम पर हमला करते हैं और नीतीश कुमार भी उनको करारा जवाब देते रहे हैं।

तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव जो मॉल बनवा रहे थे, वह किसका है? -सुशील कुमार मोदी

पटना, 25 अगस्त 2022। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले साल राजद के बड़े राजकुमार तेज प्रताप यादव ने गुरुग्राम में जिस मॉल के बनवाने में तेजस्वी प्रसाद यादव के सलाहकार संजय यादव के लगे होने की बात कही थी, वह किसका है?

तेज प्रताप यादव के आरोप का जवाव दें डिप्टी सीएम

गुरुग्राम के मॉल को लेकर सीबीआई ने कुछ नहीं कहा

वे बतायें कि रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी ने हेमा यादव को जमीन क्यों दान की ?

श्री सुशील मोदी ने कहा कि तेज प्रताप यादव ने संजय यादव को दुर्योधन और प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद को शिशुपाल बताते हुए जिस मॉल का जिक्र किया था, उस पर डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने चुप्पी क्यों साध ली?

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने गुरुग्राम वाले मॉल के स्वामित्व को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है , लेकिन यदि मीडिया एक वर्ग ने मॉल से उनका नाम जोड़ कर खबर चलायी है, तो उन्हें उस मीडिया के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज कराना चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि यदि लालू प्रसाद के कार्यकाल में रेलवे को मुनाफा हुआ, तो उस समय रेलवे के होटल बेचने और रेलवे की नौकरी के बदले लोगों की कीमती जमीन लिखवाने के मामले क्यों सामने आए?

sushilModi

उन्होंने कहा कि
तेजस्वी यादव इसका जवाब दें कि रेलवे में चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी हृदयानंद चौधरी ने पटना की 70 लाख रुपये मूल्य की 7.76 डिसमल जमीन बहन हेमा यादव को क्यों दान कर दी?

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने एक दर्जन से अधिक लोगों पर मामले दर्ज किये हैं, जिनमें रेलवे की नौकरी देने के बदले जमीन लिखवा लेने के सबूत हैं।

श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के मंत्री रहते रेलवे की क्या हालत हुई थी और कितना फायदा हुआ, इस पर पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ही बेहतर जानकारी दे सकते हैं।