कोरोना के तीसरी लहर की आशंका के बीच बिहार में वायरल बुखार ने पूरी सरकार की नींद हराम कर दी है अभी तक जो सूचनायें आ रही उसके अनुसार पीएमसीएच ,आईजीएमएस और एम्स पटना में कोरोना के सम्भावित खतरे को देखते हुए बच्चों के लिए जीतने भी बेड लगाये गये थे वो सारे फुल हो चुके हैं यही स्थिति SKMCH मुजफ्फरपुर और डीएमसीएच दरभंगा का है अभी तक सरकारी अस्पतालओं की ही बात करे तो 3000 हजार से अधिक बच्चों का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है ।
एनएमसीएच के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि वायरल बरोंकोलिस्ट बीमारी में श्वांस नली में सूजन हो जाता है। यह स्थिति जुकाम से शुरू होती है। सांस नली में सूजन होने से सांस फूलना, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एक सप्ताह से एक महीने तक रह सकता है। अगर सही से और समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह गंभीर रूप ले लेता है अभी तक पांच सौ से अधिक बच्चे भर्ती हो चुके हैं सभी में इसी तरह के लक्षण पाये गये हैं आज सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा के नेतृत्व ने एक टीम SKMCH में निरीक्षण करने पहुंची। टीम में पटना के भी स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी हैं। SKMCH अधीक्षक डॉ. बीएस झा के साथ बैठक हुई। इसके बाद पीकू वार्ड निरीक्षण किया। सिविल सर्जन ने अधीक्षक से पूरी रिपोर्ट मांगी है। कहा है जिस इलाके के बच्चे अधिक प्रभावित होंगे। वहां पर विशेष निगरानी की जाएगी और जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
एम्स के शिशुरोग विशेषज्ञ डां लोकेस तिवारी की माने तो अभी तक अधिकांश बच्चों में वायरल बुखार के ही लक्षण देखने को मिल रहा है फिर भी सतर्क रहने कि जरुरत है क्यों कि कोरोना में भी कुछ ऐसा ही लक्षण मरीजों में देखा जाता है हलाकि अभी तक एम्स में एक बच्चे में कोरोना पाँजिटिभ पाया गया है और दो बच्चों में पोस्ट कोरोना के लक्षण दिखे गये हैं ।