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नीतीश बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत करेंगे बिहार से

बिहार की राजनीति बवंडर
कभी भी बिहार विधानसभा को किया जा सकता है भंग
जदयू और राजद का आपस में हो सकता है विलय।

विपक्षी एकता को लेकर नीतीश का मिशन 2024 की शुरुआत जिस तरीके से हुई है उससे नीतीश काफी उत्साहित है और कहा ये जा रहा है कि नीतीश हाल के दिनों में बेहद चौकाने वाले निर्णय ले सकते हैं और इसको लेकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच लगभग सहमति बन गयी है ।

जो खबर आ रही है उसके अनुसार नीतीश बिहार विधानसभा को भंग कर चुनाव में जाना चाह रहे हैं और उससे पहले नीतीश राजद और जदयू के विलय की घोषणा कर देश स्तर पर ये संदेश देना चाहते हैं कि देश को बचाने के लिए हमने अपनी पार्टी तक को दांव पर लगा दिये।

क्यों कि दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दल के नेताओं में नीतीश कुमार को लेकर जो उत्साह देखने को मिल रहा है उससे ये साफ हो गया है कि नीतीश कुमार देश के सारे विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। क्यों कि नीतीश कुमार दिल्ली से गया के रास्ते में ही थे कि ममता बनर्जी ने नीतीश के अभियान में साथ आने की घोषणा कर नीतीश के अभियान को और बल दिया है ।

1– राजद जदयू का विलय ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार से बाहर निकलने से पहले नीतीश बिहार की राजनीति में ऐसी किलाबंदी चाह रहे हैं ताकि बीजेपी की सम्भावना बिहार की राजनीति में पूरी तरह से खत्म हो जाये और इसके लिए 2015 के परिणाम से सीख लेते हुए नीतीश और लालू इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के आपसी रिश्तों में जो खाई है उसको पाटने का वक्त नहीं है और इस बार बड़े भाई छोटे भाई के लिए भी कोई जगह ना रहे इसके लिए दोनों पार्टी के आपस में ही विलय कर दिया जाए।

फिलहाल जिस फॉर्मूला पर बातचीत चल रही है उसके अनुसार नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उसके बाद तेजस्वी को पार्टी और सरकार सौंप देंगे वैसे इस फॉर्मूला पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश की तेजस्वी और लालू प्रसाद से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। देश स्तर पर विपक्षी एकता का स्वरुप जैसे जैसे शक्ल लेता जाएगा नीतीश बिहार में इस अभियान को आगे बढ़ाते जाएंगे क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो एनडीए में भाजपा 121 और जदयू 122 सीटों में चुनाव लड़ी थी और उसमें से सात सीट जदयू ने हम को दिए थे इसी तरह महागठबंधन में 144 सीटों पर RJD, 70 सीटों पर कांग्रेस और 29 पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी।2020 के चुनाव में भाजपा 19.46%, जदयू 15.39%,राजद 23.11% वोट मिला था वही कांग्रेस को 09.48% ,भाकपा माले को लगभग 4 प्रतिशत सीबीआई 0.83% 02,माकपा 0.65%रालोसपा 01.77% मतलब सबके सब साथ आ जाये तो लगभग 55 प्रतिशत वोट का शेयर हो जायेंगा वही 2020 के चुनाव में जो ओवैसी फैक्टर राजद गठबंधन को जो नुकसान पहुंचाया उसे कम किया जा सकता है।वहीं जदयू और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं रहेगा जब पार्टी का एक दूसरे में विलय कर दिया जाएगा ।

विलय को लेकर नीतीश गंभीर इसलिए हैं कि इसके सहारे दो संदेश देना चाह रहे हैं एक नीतीश पलटूराम के इमेज से बाहर निकल जाएंगे और बिहार की राजनीति जो अति पिछड़ा ,महादलित और पसमांदा में बट गया था वो एक बार फिर से साथ आ जाएंगे वही देश स्तर पर पार्टी के विलय के सहारे संदेश देने कि कोशिश होगी कि मोदी को लेकर बिहार किस स्तर पर सोच रहा है।

2— जल्द ही होगा बिहार में मध्यावधि चुनाव बिहार में मध्यावधि चुनाव होगा यह तय हो गया है बस इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि गुजरात के साथ दिसंबर में चुनाव में जाया जाये या फिर 2023 में होने वाले राजस्थान,मध्य प्रदेश के चुनाव के साथ जाया जाए, क्यों कि एक राय ये भी बन रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्षी एकता के सहारे मोदी को पहले गुजरात में ही घेरा जाए और इसके लिए नीतीश कुमार सहित विपक्ष के तमाम बड़े चेहरा गुजरात चुनाव में कैम्प करे ,वही दूसरा धरा का यह मानना है कि बिहार से ही बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत कि जाए और इसके लिए गुजरात के साथ बिहार का भी चुनाव करना बेहतर होगा।देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन इतना तो तय हो गया कि अब खेला होबे ।

पटना हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा NDA गठबंधन को छोड़ कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी

ये जनहित याचिका धर्मशीला देवी ने दायर की है। इस जनहित याचिका की चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के एडवोकेटजनरल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण सिन्हा को इस मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन को खत्म करने के सम्बन्ध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधान क्या है।

कोर्ट ने सुनवाई के शुरुआत में याचिकाकर्ता वरुण सिन्हा से जानना चाहा कि क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है या नहीं।

इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि 2020 में नीतीश कुमार ने एन डी ए के साथ चुनाव लड़ा और उनके साथ सरकार बनायीं।लेकिन फिर उन्होंने यह गठबंधन छोड़ कर राजद व अन्य दलों के महागठबंधन की सरकार बना कर फिर मुख्यमंत्री बन गए।

ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और जनादेश का अपमान हैं।याचिका में यह कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने बहुमत वाले गठबंधन को छोड़ कर अल्पसंख्यक वाले गठबंधन के साथ सरकार बना ली।

इससे पहले भी 2017 में भी नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने बाद राजद छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना का मुख्यमंत्री बने।जिस गठबंधन के आधार मत ले कर सरकार बनाते है,बाद में उसी जनादेश नजरअंदाज और अपमान कर दूसरे गठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी।

शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

Bihar Breaking News : दिल्ली । औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल में लोकतांत्रिक जनता दल का विलय हो गया। शरद यादव अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राजद में किया।

शरद यादव जदयू से अलग होकर 2018 में अपनी पार्टी का गठन किया था।

लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव राजद के साथ महागठबंधन में शरद यादव की पार्टी ने लड़ी थी।

इन दिनों शरद यादव बीमार चल रहे हैं।

आज रजधानी दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में शरद यादव अपनी पार्टी का विलय राजद में किया।

दिल्ली में नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राजद सांसद एडी सिंह, राजद सांसद मीसा भारती, राजद सांसद मनोज झा, राजद नेता श्याम रजक, राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद नेता जय प्रकाश नारायण यादव और राजद नेता शिवानन्द तिवारी मौजूद रहे।

राबड़ी के बहाने सुशील मोदी ने ठाकरे पर साधा निशाना

महाराष्ट्र पुलिस ने किया राबड़ी देवी का अपमान, उद्धव ठाकरे से बात करें लालू-सुशील कुमार मोदी

पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति पूरा सम्मान, उनसे किसी मराठी की तुलना अपमान कैसे?

  1. महाराष्ट्र में भाजपा सोशल मीडिया सेल के प्रभारी ने यदि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे को “मराठी राबड़ी देवी’ कहा और इसे ‘अपमान’ या ‘गाली’ मान कर वहां की पुलिस ने कार्रवाई की, तो राजद को कांग्रेस, शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार से अपना विरोध प्रकट करना चाहिए।
    ठाकरे सरकार बताये कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री का नाम क्या कोई असंसदीय शब्द है?
  1. भाजपा जानना चाहती है कि क्या महाराष्ट्र पुलिस राबड़ी देवी जी को ऐसी सम्मानित महिला नहीं मानती, जिससे किसी मराठी की तुलना की जा सके ?
    राबड़ी देवी का अपमान वह महाराष्ट्र पुलिस कर रही है, जिसने सुशांत सिंह राजपूत के मामले में लीपापोती की और जिस पर 100 करोड़ रुपये महीने की अवैध वसूली के दाग लगे हैं।
  2. राबड़ी देवी से भाजपा के राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं और भले ही उन्होंने कभी बिहार के एक राज्यपाल के प्रति अमर्यादित शब्दों का प्रयोग भी किया हो, लेकिन हमारी पार्टी सदा उनका सम्मान करती है।
    यदि हिम्मत है तो लालू प्रसाद इस मुद्दे पर सोनिया गाँधी या उद्धव ठाकरे से बात करें।
    राजद बेवजह भाजपा को निशाना बना रहा है।

बिहार के विकास का सच आया सामने

विधानसभा के आम चुनाव में देरी है। सो, तारापुर-कुशेश्वरस्थान के उप चुनाव को मिनी आम चुनाव तो नहीं, रिहर्सल कह सकते हैं। उप चुनाव के अनुभव से आम चुनाव के लिए सटीक पात्र तय होंगे। विषय वस्तु का निर्धारण होगा। दर्शकों की रुचि की विविधता को देखते हुए कुछ रोचक पटकथा लिखी जाएगी। तारापुर में जदयू और राजद-दोनों ने कठोर श्रम किया।

हाल के दिनों का यह पहला उप चुनाव था, जिसमें हर घर नेता पहुंचे। कड़ी मेहनत किसे कहते हैं, इसका अहसास सभी दलों को हुआ।जदयू के नए बने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह इसी क्षेत्र में बंधे रहे। भवन निर्माण मंत्री डा. अशोक चौधरी प्रभारी बनाए गए थे।

चुनाव के दौरान वह एक दिन के लिए भी पटना नहीं आए। मतदान के दिन भी वे जमुई जिले में बैठे थे। राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने रोड शो किया। केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कई गांवों में गए। पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस क्षेत्र के गांवों में गए।

विधानसभा के पिछले चुनाव में रालोसपा उम्मीदवार को पांच हजार से अधिक वोट मिले थे। कुशवाहा ने इन वोटरों को जदयू में हस्तांतरित कराने की पूरी कोशिश की। सरकार का शायद ही कोई मंत्री और जदयू का सांसद या विधायक हो, जिन्होंने उप चुनाव में वोट नहीं मांगा।

जाति बनाम विकास
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नारा न्याय के साथ विकास है। चुनाव जीतने के लिए यह काफी नहीं होता है। इसलिए जिस जाति का गांव था, उसी जाति के नेता की ड्यूटी लगाई गई। प्रचार के दौरान यह भी पता चला कि अंदरूनी हिस्से में विकास की रफ्तार ठीक नहीं है।

प्रचार के दौरान जदयू प्रवक्ता संजय सिंह को ग्रामीणों ने खराब सड़क की शिकायत की। ललन सिंह को कई जगहों पर कहना पड़ा कि प्राथमिकता के आधार पर अंदरूनी सड़कों की मरम्मत करा देंगे। इसके अलावा अफसरों की काम टालू प्रवृति और रिश्वखोरी की शिकायतें भी इफरात में मिली। सवाल उठता है कि किसी एक क्षेत्र में इतनी मेहनत आम चुनाव में भी संभव है क्या?

तेजस्वी को शुद्ध लाभ
कड़ी मेहनत के बावजूद राजद चुनाव हार गया। जदयू की तरह उसके भी विधायक-पूर्व विधायक पंचायतों में भर चुनाव मौजूद रहे। तेजस्वी यादव ने अकेले चुनाव लड़ने और अपने समीकरण से बाहर का उम्मीदवार देकर नया प्रयोग किया था। इन प्रयोगों पर उन्हें अफसोस करने की जरूरत नहीं है। तेजस्वी को शुद्ध लाभ यह हुआ कि परिवार ने भी उनके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया।

विश्लेषण का एक पक्ष यह भी है कि राजद अपने संस्थापक लालू प्रसाद के दौर से निकल गया है। उनकी पुरानी शैली राजद के बदले प्रतिद्वंद्वी को लाभ पहुंचाती है। हां, लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को भी उप चुनाव से संदेश मिला-अकेले चलते रहे तो घाटे में ही रहेंगे।

लेखक –अरुण अशेष

नीतीश का तीर लगा निशाने पर राजद की लालटेन गयी बुझ

बिहार विधानसभा उपचुनाव का जो परिणाम सामने आये हैं उससे यह संकेत साफ है कि बिहार अभी भी एमवाई समीकरण की आक्रामकता को स्वीकार करने को तैयार नहीं है ,दूसरा संदेश यह भी है कि बिहार की राजनीति में लालू अब प्रासंगिक नहीं रहे और तीसरा संदेश है बिहार की राजनीति में बनिया जाति बीजेपी का अब बपौती नहीं रहा और चौथा संदेश नीतीश की राजनीति में अब वो धार नहीं रही ।

1–एमवाई समीकरण की आक्रामकता राजद के हार की वजह बनी 
बात कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र के परिणाम से करते हैं 2020 में जदयू के शशिभूषण हजारी और कांग्रेस से डॉ अशोक राम चुनाव लड़े थे ।2020 के विधानसभा चुनाव में शशि भूषण हजारी को 53,980 वोट मिला था और डॉक्टर अशोक कुमार 46,758 मिला था ।

 इस बार के चुनाव में जदयू के  अमन भूषण हजारी को 59,882 और राजद के गणेश भारती 47184 वोट आया है मतलब पिछले चुनाव की तुलना में जदयू को लगभग 5902 हजार वोट अधिक मिला वही राजद उम्मीदवार को कांग्रेस से मात्र 426 वोट अधिक मिला है, संदेश क्या है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो स्वर्ण का वोट मिला था वो वोट पूरी तौर पर जदयू के साथ हो गया, वहीं मुसहर जाति को टिकट देकर  राजद ने जो प्रयोग किया था वह प्रयोग पूरी तौर पर विफल रहा ।उसकी वजह यह रही कि कुशेश्वरस्थान में मुसहर और यादव के बीच वर्चस्व को लेकर लड़ाई रही है इस हकीकत को राजद ने नजर अंदाज कर दिया ।

वहीं वर्षो बाद राजद का लालटेन देख कर जिस तरीके से यादव और मुस्लिम वोटर मिजाज में आ गये थे और इसका असर यह हुआ कि कुशेश्वरस्थान में सारी जाति एक साथ गोलबंद हो गये और पिछले चुनाव से लगभग 5 प्रतिशत वोट कम पड़ने के बावजूद जदयू 12 हजार से अधिक वोट से चुनाव जीत गया।

2–बिहार की राजनीति में लालू अब प्रासंगिक नहीं रहे  उप चुनाव के परिणाम ने तय कर दिया कि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद अब प्रासंगिक नहीं रहे उनकी सभा से या फिर राजनीति शैली से भले ही यादव और मुसलमान वोटर आक्रमक हो जाते हैं वही दूसरी और अन्य वोटर राजद से अलग भी हो जाता है ।

कुशेश्वर स्थान में लालू का ही साइड इफेक्ट रहा कि सवर्ण कांग्रेस प्रत्याशी का साथ छोड़ दिया पिछले चुनाव में तारापुर से निर्दलीय चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी को 12 हजार से अधिक वोट आया था, लेकिन इस बार 4 हजार से भी कम वोट आया यही हाल लोजपा प्रत्याशी का भी रहा कुशेश्वरस्थान में पिछले चुनाव में 12 हजार से अधिक वोट आया था और इस बार 5 हजार में सिमट कर रह गया तारापुर में भी यही स्थिति रही यहां भी पिछले चुनाव से लगभग तीन हजार वोट कम आया लोजपा को।जैसे ही गोलबंदी शुरु हुई राजपूत और ब्राह्रमण मतदाता के जाति के उम्मीदवार होने के बावजूद लोग वोट नहीं किये ।

3—बिहार की राजनीति में बनिया जाति बीजेपी का अब बपौती नहीं  रहा 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लाख कोशिश के बावजूद बनिया वोट में सेंधमारी करने में राजद कामयाब रहा था उस चुनाव में पांच विधायक बनिया समाज से राजद के टिकट पर चुनाव जीत कर आये , इस बार फिर तारापुर में बीजेपी के तमाम बनिया नेता के मैदान में उतरने के बावजूद बनिया वोटर में बड़ा बिखराव हुआ ,कुशेश्वर स्थान में भले ही जदयू को बड़ी जीत मिली है लेकिन यहां भी बनिया वोटर में बिखराव दिखा है भले ही  स्थानीय मुद्दा ही क्यों ना हो ।

2020 के विधानसभा चुनाव की बात करे तो जदयू को 64 हजार 199 वोट आया था और राजद को 56943 वोट आया था और जदयू 7 हजार 225 वोट से जीता था और इस बार जेडीयू – 78966 वोट प्राप्त हुआ  वही राजद को आरजेडी – 75145 आया और जदयू 3821 मतों से चुनाव जीत गया । 

मतलब इस बार के चुनाव में जदयू को पिछले चुनाव की तुलना में 14,199 वोट ज्यादा आया वही राजद को 18,202 वोट ज्यादा मिला फिर भी राजद 3821 वोट से चुनाव हार गया, बनिया का वोट राजद के साथ जुड़ा लेकिन पिछले चुनाव में लोजपा और निर्दलीय उम्मीदवार को (इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे)वोट मिला वो सारा वोट जदयू में सिफ्ट कर गया मतलब सीधी लड़ाई हुई तो राजद एमवाई के अतिरिक्त वोट जोड़ने के बावजूद चुनाव हार गया ।

4–नीतीश की राजनीति में अब वो धार नहीं रही दोनों चुनाव जीतने के बावजूद ये कहना कि नीतीश कुमार की राजनीति में अब वो धार नहीं रही तोड़ अटपटा लगता है लेकिन कुशेश्वर स्थान में भी जहां जदयू जबरदस्त जीत हासिल की है वहां भी नीतीश कुमार के समीकरण वाला वोट जदयू को कैसे मिला है मंत्री संजय झा बेहतर बता सकते हैं तारापुर में भी यही स्थिति रही मतलब जदयू लव कुश और अति पिछड़ा के बदौलत राजद की तरह ही अंतिम चरण तक फाइट में बने रह सकते हैं लेकिन जीतने के लिए उन्हें सवर्ण वोटर का जबरदस्त सहयोग चाहिए यह साफ इस चुनाव में दिख रहा था कुशेश्वर स्थान और तारापुर में भी लव कुश और अति पिछड़ा और महादलित का वोटर कम नहीं है लेकिन सच्चाई यही है कि सवर्ण थोड़ा सा भी मुख मोड़ लेता तो हार निश्चित था,

 ऐसे में आने वाले चुनाव में सवर्ण और बनिया जिसके साथ खड़ा होगा उसकी सरकार बनेगी क्यों कि  बिहार की राजनीति में राजद जो प्रयोग कर रहा है वह प्रयोग उसे नीतीश के बराबरी में लाकर खड़ा कर दिया है।

विधान सभा उप चुनाव को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर हुआ तेज जदयू ने भी किया पलटवार

बिहार विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी बयानबाजी चरम पर पहुंच गया है राजद नेता तेजस्वी ने मीडिया से बात करते हुए कहां कि जनता अपना फैसला तय कर चुकी है। लड़ाई किसी पार्टी के बीच नहीं, बल्कि जनता और सरकार के बीच है।न्‍होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

बिहार सरकार के मंत्री और भाजपा-जदयू के नेता चुनाव प्रचार की समयसीमा खत्‍म होने के बाद भी तारापुर और कुशेश्‍वरस्‍थान में जमे हुए हैं। सत्‍ताधारी दल चुनाव में गड़बड़ी की कोशिश में जुटे हुए हैं। वोटरों को गुमराह करने के लिए साड़‍ियां बांट रहे हैं और प्रलोभन दे रहे हैं।

तेजस्‍वी ने कहा कि मतदान के दौरान बूथों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति होनी चाहिए। बिहार की पुलिस जदयू की कार्यकर्ता की तरह व्‍यवहार कर रही है। उन्‍होंने अधिकारियों पर भी पक्षपात करने का भी आरोप लगाया। तेजस्‍वी ने डीएसपी स्‍तर के एक अधिकारी को शिकायत के बाद चुनाव आयोग के स्‍तर से हटाए जाने का जिक्र करते हुए बाकी अफसरों को चेतावनी भी दी।उन्‍होंने कहा कि मतदान के दौरान गड़बड़ी की शिकायत मिली तो वे हेलीकाप्‍टर से मौके पर पहुंच जाएंगे।

तेजस्वी के इस बयान पर जदयू के प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि उनके पास जो भी शिकायतें या वीडियो है वह लेकर चुनाव आयोग के पास जाए,निखिल मंडल से जब यह पूछा तेजस्वी यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश में सरकार चली गई किसी को पता था क्या इस पर निखिल मंडल ने कहा कि उनका फिजिक्स केमेस्ट्री मैथमेटिक्स तीनों खराब है वह नवमी पास है उन्होंने यह भी कहा कि पहले तो वह जीत ही नही रहे हैं और अगर जीत भी जाते हैं तो 121 काआंकड़ा कहा से पार करेंगे।

वही हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हार देख कर तेजस्वी बौखला गये हैं नीतीश कुमार काम पर विश्वास करते और बिहार की जनता उनके साथ है ।

सुशील मोदी ने लालू पर साधा निशाना कहां सभी मोर्चे पर फेल लालू विकास का हिसाब मांग रहा है

पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने लालू प्रसाद पर एक बार फिर साधा निशाना कहा

पहले सड़कें थीं जर्जर, हास्पीटल बेड पर सोते थे कुत्ते, गांव अँधेरे में

लालू प्रसाद 15 साल के भकचोंधर राज का हिसाब दें

  • सुशील कुमार मोदी
  1. लालू प्रसाद बतायें कि उनके राज में सड़कें जर्जर क्यों थीं और विकास ठप क्यों था?
    उनके मंत्री क्या ‘भकचोंधर’ थे कि कोई बिना सड़क बनवाये अलकतरा घोटाला कर खजाना लूट रहा था, तो कोई बीएड डिग्री घोटाला कर रहा था?
  1. राजद बताये कि उसके समय सरकारी अस्पतालों में गरीबों को डाक्टर-दवाई क्यों नहीं मिलते थे और मरीज के बेड पर कुत्ते क्यों सोते थे?
    लालू-राबड़ी सरकार कितने मेडिकल कालेज, प्रबंधन संस्थान खोलवा पायी और कितने डाक्टरों-नर्सों को नौकरी मिली?
  2. जिनके राज में शहरों को पूरी बिजली नहीं मिलती थी, गांव लालटेन-ढिबरी युग के अँधेरे में डूबे थे और अपराधियों के डर से बाजार शाम के बाद बंद होते थे, उन्हें एनडीए सरकार के विकास पर सवाल उठाने से पहले अपने चौपट भकचोंधर राज का हिसाब देना चाहिए।

भक्तचरण पर टिप्पणी के बाद राजद से नाता तोड़ने की घोषणा करें सोनिया–सुशील कुमार मोदी

भक्तचरण पर टिप्पणी के बाद राजद से नाता तोड़ने की घोषणा करें सोनिया

  • सुशील कुमार मोदी

लालू प्रसाद के प्रचार करने से एनडीए को होगा फायदा

लोगों को याद है राजद का लंबा कुशासन, जिन्न निकलने वाला नहीं

1.कांग्रेस में यदि हिम्मत है तो सोनिया गांधी पार्टी के दलित नेता भक्तचरण दास पर लालू प्रसाद की भद्दी टिप्पणी के बाद राजद से संबंध तोड़ने की घोषणा करें।
पार्टी के राज्य प्रभारी पर टिप्पणी सीधे सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के नेतृत्व का अपमान है।
कांग्रेस को लालू प्रसाद से अपमान सहने की सीमा खुद तय करनी होगी।

  1. बीमारी की दलील देकर बेल पर छूटे लालू प्रसाद यदि आराम करने के बजाय चुनाव प्रचार के जरिये सक्रिय राजनीति में लौट रहे हैं, तो इससे एनडीए को लाभ ही होगा।
    जब वे सीधे जनता के सामने होंगे, तब उनके राज में हुए नरसंहार, अपहरण, लूटपाट, घोटाले और गाड़ी की खिड़की से बंदूक की नाल निकाल कर चलने वालों के डरावने दौर की याद दिलाने के लिए किसी को कुछ कहना नहीं पड़ेगा।

3 . लालू प्रसाद बिहार में लंबे कुशासन, सामूहिक पलायन और भ्रष्टाचार के जीवंत आइकॉन हैं, इसलिए लोगों की नाराजगी के डर से राजद ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के पोस्टर से उन्हें गायब कर दिया था।
अब उपचुनाव में उनके प्रचार करने से कोई जिन्न निकलने वाला नहीं।

कांग्रेस राजद के बीच विवाद बढ़ा मीरा कुमार का बड़ा बयान लालू प्रसाद को डां से दिखाने कि जरुरत है

कांग्रेस और राजद के बीच जारी तनाव अब थमने का नाम नहीं ले रहा है ,लालू प्रसाद के बयान पर कांग्रेस की सीनियर नेता मीरा कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लालू जी को इलाज कराने की जरुरत है अभी भी वो स्वस्थ्य नहीं दिख रहे हैं भक्त चरण दास जी के बारे में लालू जी ने मर्यादा तोड़ा है।

मीरा कुमार के पटना पहुंचने से यह संकेत साफ है कि भक्त चरण दास को लेकर लालू प्रसाद का जो बयान आया है उसको लेकर कांग्रेस आलाकमान ने गंभीरता से लिया है वही आज कांग्रेस बिहार प्रभारी को लेकर पर दिये गये बयान को लेकर लालू प्रसाद का पुतला दहन किया है ।

डबल इंजन में दो अलग-अलग इंजन हैं, मालगाड़ी वाला और इलेक्ट्रिक। कब छितरा जाएगा, किसी को नहीं मालूम लालू प्रसाद

लालू यादव पर अब बिमारी भारी पड़ने लगा है आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तेजस्वी यादव के सरकारी आवास में आयोजित प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे ।

इस दौरान लालू प्रसाद में वो बात नहीं दिखी जिसको लेकर लालू प्रसाद जाने जाते हैं 20 मिनट के संबोधन के दौरान उनकी वो अदा और संवाद को वो तरीका भी नहीं दिखा जिसके लिए लालू प्रसाद जाने जाते हलाकि नीतीश कुमार और बीजेपी को लेकर उसी अंदाज में दिखे लेकिन वो धार नहीं था ।

क्या खास रहा लालू प्रसाद के संबोधन में

1—जेल जाने के लिए तैयार रहो
जेल से डरो नहीं
उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने कहा था कि जेल से ही स्वराज मिला है। इसलिए मित्रों, जेल भरो। जेल से नहीं डरो, पर सत्याग्रह से लोग डरते हैं। प्रदर्शन में मुकदमा हो जाता है, तो सभी कहते हैं मुकदमा हो गया। चुनाव के समय 107 होने पर डर जाते हैं। यह तो शांति व्यवस्था के लिए लगाया जाता है। जगदानंद सिंह को इश्यू पर या समस्या पर जेल भरो अभियान लाना चाहिए। इससे पार्टी में और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा ।

2—जाति जनगणना करा कर रहेंगे
लालू प्रसाद ने कहा कि जाति जनगणना नहीं होने से समाज के अंतिम पायदान के लोग पीछे छूट रहे हैं। हम लोग जाति जनगणना करा कर रहेंगे। देश का बजट इसी के हिसाब से बनेगा। गैर बराबरी की खाई इसी से खत्म होगी।

3—–तेजस्वी को सराहा
हमारी अनुपस्थिति में तेजस्वी के नेतृत्व में मामूली सीट नहीं आई है। हमारी सरकार तो जनता ने बना ही दी थी। अफसोस कि मैं जेल से बाहर नहीं था, नहीं तो बेईमानी को एक्सपोज करता। जो कम मार्जिन से हमारे लोग जीत रहे थे उनको हरवा दिया गया, लेकिन बिहार की जनता हमको फिर से राज देगी, इनके रोकने से नहीं रुकेगा। हमारी पार्टी लार्जेस्ट पार्टी है। डबल इंजन में दो अलग-अलग इंजन हैं, मालगाड़ी वाला और इलेक्ट्रिक। कब छितरा जाएगा, किसी को नहीं मालूम।

4–डां बाहर निकलने से मना कर रहे हैं —
अपनी बीमारी और बिहार आने पर लालू प्रसाद ने कहा कि डॉ राकेश यादव से हम आग्रह करते हैं कि हम बिहार जाएंगे, लेकिन ज्यादा पानी पीने पर रोक लगा दी गई है। एक लीटर पानी में ही जीना है। बिना पानी के हमको बर्दाश्त नहीं होता। कभी-कभी ज्यादा हो जाता है। इस बीच समय निकालकर हम बिहार आएंगे।

5–कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ने को लेकर लालू ने खोला पत्ता
कुशेश्वरस्थान में मुसहरों का उदय हुआ है। गणेश भारती वहां से उम्मीदवार हैं। वहां यादव, बिंद, मुस्लिम, मल्लाह हैं, पर मुसहरों की संख्या सबसे ज्यादा है। मुसहरों को मुख्य धारा में लाने के लिए मैंने काफी काम किया। डोम, हलखोर सबको मुख्य धारा में लाया। भोला राम तूफानी को मंत्री बनाया था।

उनसे हमने एक दिन पूछा कि हेलीकाप्टर पर चढ़े हैं कि नहीं? बोले – नहीं चढ़े हैं, चढ़वा दीजिए। हमने हेलिकॉप्टर दिया कार्यक्रम में जाने के लिए। वहां जाकर चारों तरफ ऊपर से घूमने लगे और लौट कर आए तो हंस कर बताया कि ‘लोग कहता कि ललुआ तो मंत्री बनवाइए दिहलन, अब ऊपर से मूतवावता।।।’ समाज के हर तबका को हमने टिकट दिया।

बिहार के अस्पतालों के हाल पर तेजस्वी ने नीतीश पर बोला हमला कहां नीतीश जी भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह है ।

नीति आयोग के रिपोर्ट को लेकर घमासान शुरु हो गया है नीतीश कुमार ने कल मीडिया से बात करते हुए कहा था कि देश के सभी राज्यों को मापने का एक आधार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो विकसित राज्य हैं और जो पिछड़े हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखा जाना चाहिए। इससे पिछड़े राज्यों को आगे लाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद बिहार है लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से 12वें स्थान पर है।

1—नीति आयोग ने बिहार के साथ भेदभाव किया है

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर काम हुए हैं। याद करिए बिहार के अस्पतालों में कुत्ता सोया करता था उस दौर ये बिहार यहां पहुंचा आईजीआईएमएस काम नहीं कर रहा था। अब कितना अच्छा काम कर रहा है। नीति आयोग को पता है कि हमलोग पीएमसीएच को कितने बड़े अस्पताल के रूप में कन्वर्ट कर रहे हैं। देश में ऐसा अस्पताल नहीं है। 5400 बेड का अस्पताल बन रहा है, जिसका काम शुरू हो गया है।
तय कर दिया की चार साल के अन्दर यह काम पूरा होगा। प्रधानमन्त्री के जन्मदिन पर 33 लाख टीकाकरण किया। बापू के जन्मदिन पर 30 लाख का टीकाकरण किया गया, लेकिन काम भी देखना चाहिए। स्वास्थ्य मामलों को लेकर जो रिपोर्ट आई है, उस पर हम लोग अपनी बात नीति आयोग को भेजेंगे और अगली बार मैं खुद नीति आयोग के बैठक में शामिल होंगे ।

2– तेजस्वी का नीतीश कुमार पर बड़ा हमला

आज इसको लेकर तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है और बिहार के अस्पतालों का क्या हाल है उससे जुड़ी तस्वीरे जारी करके नीतीश कुमार से सवाल किया है कि भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह और बिहार के एडिटर इन चीफ़ श्री नीतीश कुमार जी कल कह रहे थे कि 30 बरस पहले बिहार के अस्पतालों में कुत्ते बैठते थे।

लगता है आदरणीय नीतीश कुमार जी को थकने के अलावा अब आँखों से दिखना और कानों से सुनना भी बंद हो गया है।

हाल की ही कुछ खबरें साँझा कर रहा हूँ ये उन तक पहुँचा देना, दिखा व सुना देना।

  1. ऑपरेशन थिएटर से इलाज के दौरान काटा हुआ पैर लेकर कुत्ता भागा।
  2. नवादा के अस्पताल में बेड पर बैठे कुत्ते
  3. नवजात की उँगलियाँ खा गए चूहे

यह सच्चाई देखने के बाद क्या नीति आयोग की रिपोर्ट की तरह वो यहाँ भी बोल देंगे कि यह सब झूठ है। उनकी इसी खुशफहमी ने बिहार को बर्बाद किया है।

पप्पू यादव के जेल से बाहर आने से राजद की बैचेनी बढ़ी

जेल से बाहर निकलते हैं पूर्व सांसद और जाप नेता राजद और भाजपा पर जमकर निशाना साधा है मीडिया से बात करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि राजद भाजपा दोनों मिला हुआ है ईडी सीबीआई की छापेमारी हुई क्या हुआ सबके सब मिले हुए हैं।
जल्द ही इस खेल का खुलासा करेंगे

राजद बीजेपी की बी टीम पप्पू यादव

तेजस्वी चाहते हैं, बिहार फिरौती के लिए डाक्टरों के अपहरण का दौर भुला दे — सुशील कुमार मोदी

तेजस्वी प्रसाद यादव “डायलॉग विद डाक्टर्स ” में अपनी पार्टी के शासन काल की अराजकता, फिरौती के लिए डाक्टरों के अपहरण और अस्पतालों को दुर्दशा की कड़वी सच्चाइयों को भुला देने की बात करते हैं।

ये बातें न लोग भूले हैं और न कोई प्रबुद्ध समाज राजद के राजनीतिक अपराधों को कभी भुला ही सकता है।
जो अतीत से सबक लेकर वर्तमान को नहीं सुधारते, वे पीछे रह जाते हैं। तेजस्वी पिछली सरकारों के अपराध भुलाने की घुट्टी पिलाना चाहते हैं।

तेजस्वी यादव बतायें कि उनके माता-पिता के राज में एक भी नया मेडिकल कालेज क्यों नहीं खुला?
राजद के शासन में नर्सें केरल से आती थीं, क्योंकि राज्य में नर्सिंग ट्रेनिंग के संस्थान नहीं खुले।
एनडीए सरकार ने न केवल नये मेडिकल कॉलेज खुलवाये, बल्कि उनमें नर्सिंग की पढाई की भी व्यवस्था की।
एनडीए सरकार में चिकित्सा व्यवस्था बेहतर हुई, जिससे अस्पतालों में मरीजों का फुट फॉल कई गुना बढा।

बिहार में महागठबंधन टूटा राजद और कांग्रेस हुए जुदा जुदा

राहुल गांधी अभिमन्यु की तरह भारतीय राजनीति के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं अभी पंजाब,राजस्थान और छत्तीसगढ़ से बाहर निकल भी नही पाये थे कि बिहार में राजद वर्षो पूरानी गठबंधन को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस के परम्परागत सीट कुशेश्वरअस्थान से अपना प्रत्याशी उतार दिया है ।

कहां ये जा रहा है कि राजद कन्हैया को लेकर सहज नहीं है इसलिए उप चुनाव में राजद कांग्रेस के परम्परागत सीट पर उम्मीदवार उतार दिया है हलाकि कल से लगातार दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है लेकिन राजद कांग्रेस से आश्वासन चाहती है कि कन्हैया बिहार की राजनीति में दखल ना दे ।

1–सुविधाभोगी कांग्रेसी सकते में

वैसे बिहार के जो सुविधाभोगी राजनीति करने वाले कांग्रेसी हैं कन्हैया के आने से पहले से ही असहज थे ऐसे में राजद के इस रुख से उनकी बाँछें खिल गयी है, और अब वो मजा ले रहे हैं क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार कांग्रेस के प्रभारी गठबंधन को लेकर लालू प्रसाद से बात करने के बजाय राजद के श्याम रजक जैसे नेता से सीट को लेकर बात कर रहे थे जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है बिहार प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता बिहार उप चुनाव को लेकर संगठन के शीर्ष पर बैठे नेता और बिहार प्रभारी की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं ।

2—राहुल आर पार के मूड में है

ऐसे में राहुल के सामने बिहार को लेकर सिर मुड़ाते ही ओले पड़े वाली स्थिति उत्पन्न हो गयी है लेकिन आज सुबह राहुल ने स्पष्ट कर दिया है कि राजद कुशेश्वरअस्थान से उम्मीदवार वापस नहीं लेती है तो दोनों जगह से कांग्रेस चुनाव लड़ेंगी ।राहुल के संकेत के बाद बिहार कांग्रेस के नेता तेजस्वी पर सीधे सीधे हमला शुरु कर दिया है ।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक शकील अहमद शाह ने कहा कि बिहार उपचुनाव में महागठबंधन टूट चुका है तेजस्वी मनमानी पर उतर आये हैं उन्होंने कहा कि बिना पूछें घोषणा कर देने का मतलब है राजद भाजपा के खिलाफ वैचारिक लड़ाई से भाग रही है और कहीं ना कहीं उसे समर्थन दे रही है।

शकील अहमद खां यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि हम दोनों जगह से चुनाव लड़ेंगे और इसकी घोषणा बहुत जल्द करेंगे उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन बना था तब उस समय स्थिति ज्यादा अच्छी थी और हमारा वोटिंग का स्ट्राइक रेट भी बहुत अच्छा था राजद अपने गिरेबान में झाके क्यों जीतते जीतते हार गये ।

वही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा है कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान के लिए कांग्रेस अपना उम्मीदवार की घोषणा कल करेंगी राजद ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया और हमसे बिना पूछे राजद ने दोनों सीटों पर कैंडिडेट की घोषणा कर दी है ।

राजद के विधान पार्षद रामबली चंद्रवंशी ने कहा कि कांग्रेस के जीत का स्ट्राइक रेट कमजोर है इसलिए राजद चुनाव लड़ने का फैसला लिया है ताकि साम्प्रदायिक शक्तियां को रोक सके अब कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वो किसके साथ खड़ी रहती हैं।

देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन यह तय हो गया है कि आने वाले समय में अब राजद और कांग्रेस इस उप चुनाव में अलग अलग राह पकड़ लिये तो फिर बिहार की राजनीति की दिशा बदल जायेंगी । हो ना हो विधानसभा उप चुनाव में राजद कही दोनों सीट हार गया तो फिर तेजस्वी चक्रव्यूह में फंस जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी इसलिए लालू प्रसाद किसी भी स्थिति में चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होना चाह रहे हैं क्यों कि उन्हें भी पता है कि कांग्रेस से रिश्ता टूटा तो फिर तेजस्वी तभी मजबूत रहेगा जब उप चुनाव का दोनों सीट राजद जीत जाये ।

लालू को बंधक बनाये जाने वाले बयान को लेकर बिहार की राजनीति गरमाई

लालू के लाल तेज प्रताप द्वारा लालू के बंधक वाला दिए गए बयान के बाद बिहार के राजनितिक गलियारों में भूचाल आ गया है । इस बयान के बाद एनडीए को एक नया मुद्दा मिल गया है । तेज प्रताप के बयान देने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष् डॉ संजय जायसवाल ने एक बड़ा बयान दिया है ।

संजय जायसवाल ने कहा कि राजद अब औरंगजेब कि पार्टी बन गई है । क्योकि तेजस्वी यादव अपने पुरे परिवार को समाप्त कर राजद का मालिक बनना चाहते हैं । और आने वाले वक्त में दूसरा कोई नहीं बल्कि तेजस्वी के शादी के बाद उनका जो पुत्र जन्म लेगा वही राजद का राष्ट्रीय अध्यक्ष् बनेगा ।

क्या कहा संजय जयसवाल ने जरा सुनीय …..

लालू के लाल तेज प्रताप द्वारा लालू के बंधक बनाये जाने के बयान को लेकर बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है।तेज प्रताप कल छात्र संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ लोग राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहते हैं और इसके लिए मेरे पिता लालू जी को बंधक बनाये हुए हैं ।

जरा आप भी लालू प्रसाद को लेकर क्या कहा रहा है तेज प्रताप…

हलाकि तेज प्रताप का बयान सीधे तौर पर तेजस्वी पर हमला माना जा रहा है दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि लालू को बंधक बनाये जाने पर कहा कि
लालू प्रसाद यादव को बंधक बनाने की बात उनके व्यक्तित्व से नहीं मिलता है। लालू प्रसाद यादव ने कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे देश और बिहार के लोगों ने पहचानते हैं, लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे, रेल मंत्री रहे दो प्रधानमंत्री बनाया आडवानी को जेल भेजा है ऐसे विराट व्यक्तित्व को कौन बंधक बना कर रख सकता है

आप भी सुनिए लालू प्रसाद को बंधक बनाये जाने पर क्या कहां तेजस्वी…

कन्हैया को लेकर राजद असहज कहां कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दे कन्हैया को

कन्हैया को लेकर असहज राजद की और से शिवानंद तिवारी ने आखिरकार मौर्चा खोल ही दिया ,कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने पर शिवानंद तिवारी ने कहा है कि कन्हैया कुमार भाषण देने की कला में माहिर है उनके जैसा भाषण कोई नहीं दे सकता।

कांग्रेस जॉइन करते समय कन्हैया कुमार ने कहा था कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है, जिसे बचाना है। अगर बड़ा जहाज नहीं बचेगा तो छोटी-छोटी कश्तियों का क्या होगा? इस बयान को उन्होंने ऐतिहासिक करार दिया है।

शिवानंद तिवारी ने कहा कि एक समय वामपंथी कन्हैया कुमार में अपना भविष्य देख रहे थे। अब कांग्रेस उनमें अपना भविष्य देख रही है। कन्हैया कुमार को ही कांग्रेस अपना अध्यक्ष बना दे। पिछले दो साल से ऐसे भी वहां कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं है।

शिवानंद तिवारी यही नहीं रुके कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। उन्होंने पंजाब का जिक्र करते हुए सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की लड़ाई की बात कही शिवानंद तिवारी के इस बयान के बाद कांग्रेस भी शिवानंद तिवारी के सहारे राजद पर सीधे सीधे हमला शुरु कर दिया

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा राष्ट्रीय जनता दल का भविष्य ही इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस सहित तमाम सेकुलर पार्टियां कितना अधिक से अधिक कमजोर रहती हैं और खास तौर से कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्ध पार्टी की मजबूती से राष्ट्रीय जनता दल ज्यादा भयभीत रहती है।

कन्हैया कुमार एक राजनीतिक रूप से समझदार नौजवान हैं और उसके कांग्रेस में आने से बिहार कांग्रेस और मजबूत हुआ है,कांग्रेस नेता आनंद माधव ने शिवानंद तिवारी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि शिवानंद जी सठिया गए हैं। कन्हैया के बारे में निर्णय कांग्रेस को लेना है, वे अपना खून क्यों जला रहे हैं।

हलाकि इस तरह का बयावबाजी आने वाले समय में और तेज होगी क्यों कि कन्हैया को लेकर राजद का जो कोर ग्रुप है वो सहज नहीं है और उस ग्रुप का मानना है कि कन्हैया के मजबूत होने से राजद और तेजस्वी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है ।

जातीय जनगणना को लेकर बिहार की सियासी पारा चढ़ा बीजेपी समझौते के मूड में नहीं ।

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामा को लेकर बिहार की सियासत में तुफान आ गया है कल नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव इस मामले को लेकर देश के 30 बड़े राजनीतिज्ञों को पत्र लिख कर समर्थन मांगा था ।
वही आज मैदान में खुद नीतीश कूद पड़े हैं नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री की बैठक में भाग लेने पहुंचे नीतीश कुमार ने आज बैठक समाप्ति के बाद बैठक को लेकर पूछे गये सवालों को नजरअंदाज करते हुए बेहद तल्ख लहजे में कहा कि बिहार के सभी दलों के लोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है. केंद्र सरकार फिर से ठीक ढ़ंग से इस पर विचार करें।

उन्होंने जातीय जनगणना को देशहित में बताया.मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा को लेकर कहा कि वे आर्थिक और समाजिक गणना को लेकर है. इसमें जातीय जनगणना को नहीं जोड़िए. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार इस पर ठीक ढ़ंग से विचार करें और ये देशहित का मामला है।

CM ने कहा कि 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी, वो जातीय जनगणना थी ही नहीं। वो आर्थिक आधारित जातीय जनगणना थी, जिसमें कई गलतियां थीं, इसलिए उसे प्रसारित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार अगर सबका विकास चाहती है तो जातीय जनगणना कराए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक बार फिर मिलकर सभी बातों को साफ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर अपने सभी दलों के साथ एक बार फिर से मीटिंग कर इस पर विचार करेंगे।

नीतीश कुमार के इस बयान के थोड़ी देर बाद ही बिहार बीजेपी के सीनियर नेता सुशील मोदी ने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार के मांग को खारिज करते हुए कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

नीतीश कुमार के बयान के बाद सुशील मोदी का जातीय जनगणना के मांग को पूरी तरह खारिज करने के साथ ही यह तय हो गया कि आने वाले समय में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी और नीतीश के बीच तल्खी बढ़ेगी क्यों कि मांझी और सहनी पहले ही बगावत के मूड में है वही तेजस्वी जिस तरीके से जातीय जनगणना को लेकर नीतीश पर दबाव बना रहे हैं ऐसे में आने वाले समय में बिहार की सियासत किसी और दिशा की और मूड़ जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। क्यों कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर जितने आगे बढ़ गये वहां से वापसी उनके लिए आत्मघाती हो सकता है ।

इस बीच लालू प्रसाद की बेटी डॉ. रोहिणी आचार्या ने एक ट्टीट करके नीतीश पर सीधे हमला बोला है उन्होंने कहा है कि ‘ बीजेपी का जो यार है.. जातीय जनगणना का विरोधी नीतीश कुमार है’। उन्होंने आगे लिखा है- ‘ भ्रम के जाल में उलझा, नीतीश कुमार कुर्सी का भूखा है।’ डॉ. रोहिणी ने लिखा है कि- ‘ओबीसी समाज के हितों का दुश्मन बीजापी का यार नीतीश कुमार है।’ऐसे में बिहार की सियासी फिजा एक बार फिर गर्माने लगा है ।

जातीय जनगणना की दुहाई देने वाले सुशील मोदी भी पलट गये ।

पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

राज्यों की अलग-अलग स्थितियां हैं, मसलन 5 राज्यों में OBC है ही नहीं, 4 राज्यों की कोई राजयसूची नहीं है, कुछ राज्यों में अनाथ व गरीब बच्चों को OBC की सूची में शामिल किया गया है। कर्नाटक सरकार ने तो 2015 में जातीय जनगणना कराई थी, मगर आज तक उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जा सके हैं।

कंपनी के नियमों की अनदेखी करके काम देने का मामला आया सामने

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और शुचिता का दावा करने वाली नीतीश सरकार इस बार अपने ही उपमुख्यमंत्री के कृत्य से बैकफुट पर है।मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे महात्वाकांक्षी योजना’हर घर नल का जल’ योजना से जुड़ी हुई है जिसमें उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद पर अपने पद के प्रभाव का इस्तमाल कर साले और दमाद की कम्पनी को काम दिलाने का आरोप है।

हलाकि इस आरोप के बावजूद पूरी बीजेपी तारकेश्वर प्रसाद के साथ खड़ी है तारकेश्वर प्रसाद भी कह रहे हैं की मैं राजनीति में हूं इसका क्या मतलब मेरे परिवार के लोग बिजनेस व्यापार करना छोड़ दे ये सारा काम मेरे उपमुख्यमंत्री बनने से पहले का है और काम के आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं है ।

उपमुख्यमंत्री के रिश्तेदार को मिला काम यह पूरा मामला उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के गृह जिले कटिहार से जुड़ा हुआ है जहां हर घर नल का जल’ योजना के तहत जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड को 48 करोड़ और 3 करोड 60 लाख का काम दिया गया है आरोप यह है कि इस दोनों कम्पनी के निदेशक मंडल में उपमुख्यमंत्री के साले और दमाद शामिल है यो दोनों कंपनी पटना के पते पर रजिस्टर्ड है ।

वन श्री जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का पता 319,ASHIANA TOWER EXHIBITION ROAD PATNA Patna BR 800001 दर्ज और दूसरी कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड का पता 74,SARSWATI APARTMENT, S.P. VERMA ROAD, PATNA BR 800001 दर्ज है ।

सरकारी काम करने के लिए योग्य नहीं है यह कपंनी आशियाना टावर कमरा नम्बर 319 में दो कपंनी का दफ्तर है
पहला BRITESKY BUILDCON( P )LTD. और दूसरा JEEVANSHREE INFASTRURE,(P)LTD का है। दोनों कंपनी के निदेशक मंडल में दो व्यक्ति संतोष कुमार और ललित किशोर का नाम शामिल है । इस कंपनी को 48 करोड़ रुपया का काम दिया गया है इस कंपनी का टर्नओभर काफी है लेकिन इससे पहले किसी भी तरह के सरकारी काम करने को लेकर कोई अनुभव नहीं है पीडब्लूडी नियमावली के अनुसार ऐसी कंपनी को काम नहीं दिया जा सकता है।

आशियाना टावर स्थित कमरा नम्बर 319 में जब बिहार न्यूज पोस्ट का रिपोर्टर पहुंचा तो दफ्तर में एक दो लोग बैठे थे जो इस मसले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया वही दूसरी कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड का जो पता दर्ज है 74,SARSWATI APARTMENT, S.P. VERMA ROAD, PATNA BR 800001 वहां जब बिहार न्यूज पोस्ट का संवाददाता पहुंचा तो दफ्तर का कोई भी साइनबोर्ड लगा हुआ नहीं था , कॉल बेल बचाया तो प्रदीप कुमार भगत निकले उनसे जब संवाददाता ने पुंछा कि इस पते पर एक कम्पनी का नाम दर्ज है और यहां तो आपका आवास है जबतक उनसे सवाल किया जाता तब तक वो रुम बंद करते हुए इतना ही कहा मेरे वकील से बात करिए मुझे कुछ भी नहीं कहना है ।

उपमुख्यमंत्री के साले की कंपनी की आँडिट रिपोर्ट कंपनी के फर्जी होने का दे रहा है प्रमाण
दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड के वर्ष 2019 और 2020 के ऑडिट रिपोर्ट पर गौर करे तो उस रिपोर्ट में कही भी किसी भी तरह के सरकारी कामकाज करने का जिक्र ही नहीं है वर्ष 2019–2020 के बीच कंपनी आँडिट रिपोर्ट में लिखा है कि इस वर्ष 78लाख 6 हजार 800 रेवेन्यू प्राप्त हुआ है जिसमें 44 लाख 26हजार 136 रुपया 68 पैसा समान खरीद बिक्री से और सर्विस में 33 लाख 80 हजार 664 रुपया आया है लेकिन इस आँडिट रिपोर्ट में कही भी टीडीएस देने की चर्चा नहीं है जबकि किसी भी तरह के काम में कंपनी को टीडीएस भरना ही है जबकि इस कंपनी को सरकारी ठेका मिला है गौर करने वाली बात यह है कि इस कंपनी के वित्तीय वर्ष 2018–2019 का जो आँडित रिपोर्ट है वो शून्य है मतलब उस वर्ष कंपनी कोई काम नहीं कि है। इस तरह के कंपनी को किस आधार पर सरकारी ठेका दिया गया एक बड़ा सवाल है ।हलाकि इस मामले में विभाग के अधिकारियों से जब सवाल किया गया तो कहां गया कि मामले की जांच चल रही है ऐसी कोई बात संज्ञान में आती है तो कारवाई होगी।

वही इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री और अब राष्ट्रीय जनता दल के नेता रामप्रकाश महतो का कहना है कि जब भी इससे संबंधित शिकायत की गयी तो पुलिस द्वारा ग्रामीणों को धमकाया जाता था.’हर घर नल का जल’ योजना का हाल बेहाल है, ग्रामीणों का कहना है कि जब से ‘हर घर नल का जल’ योजना का काम हुआ है तब से नल में पानी नहीं मिल रहा तो कहीं नल का पाइप टूटा हुआ है ।