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Patna High Court: पश्चिमी चम्पारण,बेतिया के 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों नियुक्ति व ज़िला जज,बेतिया द्वारा इन नियुक्तियों को सहमति का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पश्चिमी चम्पारण,बेतिया के 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों नियुक्ति व ज़िला जज,बेतिया द्वारा इन नियुक्तियों को सहमति का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सतीश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी नियुक्त 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी किया है।

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याचिककर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को साक्षात्कार के आधार पर नियुक्त किया गया।उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने 14 फरवरी,2014 को रेणु व अन्य बनाम तीस हजारी,दिल्ली में नियम तय किया था।साथ ही पटना हाईकोर्ट ने 13 मई,2018 इस सम्बन्ध में कानून निश्चित कर दिया था।

इन नियुक्तियों में पारदर्शिता और भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 को देखते हुए नियुक्ति की जानी चाहिए।कोर्ट ने मामलें की गम्भीरता को देखते हुए सभी नवनियुक्त चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी कर दिया हैं।इस मामलें में पटना हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता सत्यवीर भारती ने पक्ष प्रस्तुत किया।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

Patna High Court: पटना के पाटलिपुत्र कॉलनी की बदहाल सड़कों की मरम्मत और निर्माण करने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामलें में शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह जनहित याचिका संजय कुमार ने दायर किया था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजू गिरि ने कोर्ट को बताया कि पिछले कई वर्षों से सड़कों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। इस कॉलनी को वर्ष 1954 में डॉ राजेन्द्र प्रसाद के गाइडेंस में एक आवासीय कॉलनी के रूप में विकसित किया गया था। उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी को पटना नगर निगम की सेवा देने के सरकार से अनुरोध किया गया।

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अधिवक्ता राजू गिरि ने बताया कि 1960 में पटना नगर निगम ने एक अधिसूचना जारी कर इस कालोनी को अपनी सेवा देना स्वीकार किया, लेकिन पाटलिपुत्र को आपरेटिव सोसाईटी ने इसका विरोध किया।

इसके बाद मुकद्दमेबाजी का कई दौर चला,जिसमें फैसला पटना नगर निगम के पक्ष में निर्णय दिया था।इसे देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा।

इससे पूर्व पाटलिपुत्र कॉपरेटिव सोसाइटी द्वारा 1957 में म्यूनिसिपल सेवाओं को देने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए अस्वीकार दिया था।

लेकिन जो फैसले दिए गए,उससे इस कॉलोनी को समस्यायों से निजात और लाभ नहीं मिला।आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है।

Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले में सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कार्रवाई रिपोर्ट दायर किया। मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है। इसमें कोर्ट को बताया गया कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं। साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह को कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब दायर करने के 31 मार्च,2022 तक का समय दिया है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है,लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।

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इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आँखों को खोना पड़ा।

याचिका में यह कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी।

मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है। पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है।

इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31मार्च,2022 को की जाएगी।

राष्ट्रपति ने पटना हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं, राजीव राय और हरीश कुमार को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त

भारत के राष्ट्रपति ने पटना हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं, राजीव राय और हरीश कुमार को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 217 के क्लॉज़ (1) में दी गई शक्ति का उपयोग करते हुए की गई है। कार्यभार संभालने की तिथि से इनकी वरीयता निर्धारित की जाएगी।

इस आशय की अधिसूचना भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा 24 मार्च 2022 को जारी की गई है। अधिसूचना की प्रति अधिवक्ता राजीव राय और अधिवक्ता हरीश कुमार को भी पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक के जरिये भेजी गई है।

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इसके अलावे अधिसूचना की प्रति बिहार के राज्यपाल के सचिव, राज्य के मुख्यमंत्री के सचिव, पटना हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के सचिव, बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी के सचिव, पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक व राज्य के अकाउंटेंट जनरल, प्रेसिडेंटस सेक्रेटेरिएट ( नई दिल्ली), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के पी एस, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय के रजिस्ट्रार, सेक्रेटरी (जस्टिस) के एम एल एंड जे/ पी पी एस के पी एस व डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के टेक्निकल डायरेक्टर को भी भेज दी गयी है।

Patna High Court: बिहार उद्योग सेवा संवर्ग संशोधन नियम,2013 के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने बिहार उद्योग सेवा संवर्ग संशोधन नियम,2013 के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुमंत कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कोर्ट को बताया कि बिहार उद्योग सेवा संवर्ग के तहत 60 प्रोजेक्ट मैनेजरों के पद पर बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसमें कामर्स को शामिल नहीं किया गया था।

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कोर्ट ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योग विभाग में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर बहाली के लिए कामर्स को क्यों शामिल नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कहा कि इस तरह की बहाली गलत,गैर कानूनी और भारतीय संविधान की धारा 14 का उल्लंघन होगा।

कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया कि इन पदों पर नियुक्ति इस रिट के परिणाम पर निर्भर करेगा। इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

Patna High Court: पीडीएस डीलर को बिना नोटिस दिए उससे सम्पूर्ण रोजगार योजना के अनाज का पैसा वसूलने के मामलें में राज्य सरकार से जवाबतलब किया है

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने लक्ष्मण रॉय की याचिका पर सुनवाई की। पटना हाईकोर्ट ने पीडीएस डीलर को बिना नोटिस दिए उससे सम्पूर्ण रोजगार योजना के अनाज का पैसा वसूलने के मामलें में राज्य सरकार से जवाबतलब किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आनंद कुमार ओझा ने कोर्ट को बताया सम्पूर्ण रोजगार योजना के तहत अनाज का।वितरण नहीं किये जाने को लेकर जांच और कार्रवाई करने के लिए रिटायर्ड जज उदय सिन्हा कमेटी गठित किया गया।

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कमेटी ने पी डी एस डीलरो को व्यक्तिगत और सार्वजनिक नोटिस दिए।उन्हें दोषी मानते हुए बचे अनाज की वसूली का जिम्मेदार बताते हुए पैसे वसूली का आदेश दिया।

उनका मानना था कि आवेदक पी डी एस डीलर के पास 9 quintal अनाज दुकान में बचा था।अनाज उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों से प्रार्थना करने के बाद कूपन जारी नहीं किया गया और अनाज खराब हो गया।इस मामलें पर आगे सुनवाई होगी।

Patna High Court: राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक को तलब किया है।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की भी समस्या हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट से संबंधित सभी जमीन अधिग्रहण के मुकदमों को डी एम को सुनवाई कर इन मामलों को 45 दिनों में निपटाने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमीत कुमार ने जानकारी दी थी कि कोर्ट ने दो दिनों के भीतर गया एयरपोर्ट के संबंध में जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबित मुकदमों का चार्ट देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट के संबंध में पटना हाई कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमों को सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अर्चना शाही ने बताया कि राज्य के कई एयरपोर्ट कार्यरत नहीं है,जबकि, पटना एयरपोर्ट के विस्तार के लिए बिहार सरकार से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भूमि की मांग कर रहा है ,लेकिन जगह नहीं मिल रहा है।

उन्होंने बताया कि गया एयरपोर्ट के लिए भी 26 एकड़ जमीन ही दिया गया। बाकी जमीन अबतक नहीं दिया गया। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत बिहार सरकार ने लगभग 260 करोड़ रुपये के लिए अपील दायर कर रखा है।

इस कारण न तो मुआवजा मिला है और न जमीन अधिग्रहण पूरा हुआ है।बिहार में बिहटा का एयरपोर्ट स्टेशन, पूर्णिया एयरपोर्ट और सबेया एयरपोर्ट सिर्फ सेना के इस्तेमाल के लिए होता हैं।

भागलपुर एयरपोर्ट, जोगबनी स्थित फोरबेसगंज एयरपोर्ट, मुंगेर एयरपोर्ट और रक्सौल एयरपोर्ट बंद पड़े हुए हैं।बिहार में सिर्फ दो ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट गया और पटना में हैं।

अगली सुनवाई में गया और बोध गया के विकास से सम्बंधित मामलें भी शामिल रहेंगे।साथ ही गया के विष्णुपद मंदिर से भी सम्बंधित मुद्दों पर सुनवाई होगी।

गया एयरपोर्ट राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जहां से मुख्यतः बौद्ध देशों जैसे श्रीलंका व कंबोडिया आदि के लिए फ्लाइट चलाई जाती है।

इस मामले पर अगली सुनवाई 30 मार्च ,2022 को होगी।

Patna High Court : ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक जय प्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के बाद भी अपने पद पर बहाल नहीं किये जाने पर सुनवाई की।

जस्टिस पी बी बजन्थरी ने अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव व संयुक्त सचिव को तलब किया है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि 21 दिसंबर, 2021 को कही गई बात के लिए संयुक्त सचिव को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। 21 दिसंबर, 2021 को कोर्ट के आदेशानुसार संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा कोर्ट में उपस्थित थे।

उन्होंने राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजय कुमार रस्तोगी को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह के भीतर वापस ले लिया जाएगा।

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कोर्ट का कहना था कि यदि यह मान भी लिया जाता है कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए 21 दिसंबर के आदेश को वापस ले लिया जाता है ,तो भी नियत समय के संबंध में 21 दिसंबर से हस्तक्षेप की अवधि के संबंध में अवमानना किया जा रहा है।

कोर्ट का यह भी कहना है कि इस संबंध में राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव और संयुक्त सचिव के विरुद्ध चार्ज फ्रेम क्यों नहीं किया जाए क्योंकि 21 मार्च, 2022 तक फ़ाइल विधि विभाग के कार्यालय में लंबित है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ सतीश चन्द्र मिश्र व राजीव रंजन ने बताया कि कही गई इन बातों के आधार पर कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2021 को याचिका को निष्पादित करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के संयुक्त सचिव को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने से मना कर दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई अब आगामी 31 मार्च को की जाएगी।

Patna High Court : बिहार में दावा प्राधिकरण से तय हुए वाहन दुर्घटना के मुआवजे राशि का सौ फीसदी और त्वरित भुगतान हेतु आवश्यक नियमावली बनाने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खण्डपीठ ने आईसीआईसीआई लोंबार्ड इंश्योरेंस कम्पनी की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एमिकस क्यूरी मृगांक मौली को इस मामलें में सुझाव देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता कंपनी ने मद्रास व राजस्थान हाई कोर्ट के फैसलों का उदाहरण पेश करते हुए कोर्ट को बताया कि इन दोनों राज्यों में दावा प्राधिकरण से तय हुए मुआवजा राशि का त्वरित भुगतान , इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है ।

इसी तरह से बिहार में भी राशि का भुगतान आरटीजीएस व एनईएफटी माध्यम के जरिये भुगतान हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा सकता है ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुर्गेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कानूनी राशि जो कोर्ट में बीमा कम्पनी या भुगतानकर्ता को करनी होती है ,उसे भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने का प्रावधान हो ।

दावा प्राधिकरण से तय हुए अवार्ड की राशि के भुगतान में 3 से 4 साल लग जाते हैं और बिचौलियों के कारण मुआवजे का बड़ा हिस्सा कट जाता है ।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान होने पर बिचौलियों की कोई समस्या अपने आप सुलझ जाएगी और राशि भी पीड़ित परिवार को त्वरित गति से मिल जाएगी । इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व हाईकोर्ट प्रशासन को अगली सुनवाई में जवाब दायर करने को कहा।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी एलिजिबिलिटी टेस्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा गलत उत्तर का विकल्प के रूप में देने के मामलें में सुनवाई की

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने नितिन कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया।

कोर्ट ने बिहार परीक्षा समिति को स्पष्ट कर दिया कि सीनियर सेकेंडरी शिक्षक की कोई भी अंतरिम नियुक्ति इस मामलें में कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रश्न संख्या 4,50,59,85,89 के उत्तरों के विकल्प गलत दिया गया था।ये परीक्षा कंप्यूटर साइंस से सम्बंधित था।

याचिककर्ता की अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के समक्ष उम्मीद्वार ने 7 गलत विकल्प प्रस्तुत किया, लेकिन समिति ने इन गलतियों को अनदेखा कर दिया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस प्रकार की गड़बडियां होने के कारण बहुत उम्मीद्वारों का भविष्य खतरे में पड गया है।कंप्यूटर साइंस में 1673 पदों पर नियुक्ति होनी हैं।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी

पटना हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से जजों समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों के विरुद्ध आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने के मामले में जेल में बंद अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी। जस्टिस ए एम बदर ने अधिवक्ता दिनेश की नियमित ज़मानत हेतु दायर याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई की।

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इस मामलें पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस शर्त पर ज़मानत दी कि वे भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता दिनेश के वरीय अधिवक्ता विंध्याचल सिंह ने बताया कि उक्त मामले में अधिवक्ता की गिरफ़्तारी 16 दिसंबर, 2021 को की गई थी।

इस मामले में 11 फरवरी, 2022 को चार्जशीट दायर किया गया था।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण मामले पर सुनवाई की

पटना । हाई कोर्ट ने राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों के मामले पर सुनवाई की।

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चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के विकास आयुक्त को दो सप्ताह में सभी पक्षों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया हैं।

बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की बढ़ी मुश्किले, नियुक्ति पर खड़ा किया सवाल

दिल्ली — बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें सकती है । सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से ये पूछा है कि आख़िरकार क्यों नहीं डीजीपी की नियुक्ति करने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाये।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की नियुक्ति को लेकर एक याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर बिहार में डीजीपी की नियुक्ति कर दी है. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार राज्यों के डीजीपी की नियुक्ति में अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है, लेकिन बिहार में कोर्ट के आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी की नियुक्ति कर दी गयी।

मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि हाईकोर्ट में इस मामले को क्यों नहीं ले ज़ाया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट में दो मामले लंबित हैं और उस पर सुनवाई नहीं हो रही है. याचिकाकर्ता के वकील जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिये. ऐसे ही मामले में कोर्ट झारखंड सरकार को अवमानना का नोटिस जारी कर चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दे रखा है कि वह किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर नियुक्त नहीं करे. राज्य सरकार डीजीपी या पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्ति के लिए जिन पुलिस अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही होगी, उनके नाम यूपीएससी को भेजे जाएंगे. यूपीएससी उसे शॉर्टलिस्ट कर तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की सूची राज्य को भेजेगा. उन्हीं तीन में से किसी एक को राज्य सरकार पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकेगी.

कोर्ट ने ये भी कहा था कि मौजूदा पुलिस प्रमुख के रिटायरमेंट से तीन महीने पहले यह सिफारिश यूपीएससी को भेजी जाये. सरकार को ये कोशिश करनी चाहिए कि कि डीजीपी बनने वाले अधिकारी का पर्याप्त सेवाकाल बचा हो. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये कहा गया है कि बिहार सरकार ने कोर्ट के इस आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी के पद पर एसके सिंघल की नियुक्ति कर दी है.

मोतिहारी कोर्ट के पीपी को हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सीएम के प्रधान सचिव को जारी किया नोटिस

पटना हाई कोर्ट ने गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक ( पीपी ) जय प्रकाश मिश्र को अदालत के आदेश के बाद भी अभी तक पद पर बहाल नहीं किये जाने के मामलें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने मोतिहारी के लोक अभियोजक जयप्रकाश मिश्रा द्वारा दायर अवमानना के मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा को खुद ही पहल कर अदालती आदेश का पालन कराना चाहिए था।

कोर्ट का कहना था कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि अदालती आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नहीं उन्हें जिम्मेवार माना जाय।

कोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा था कि अवमानना का यह मामला दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध दायर किया गया है, इसलिये इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को स्वयं अदालत में अपना जवाब देना होगा कि उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नही किया।

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पूर्व में कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित संचिका मुख्य मंत्री के यहां लंबित है, इसलिए इसमें अदालती आदेश का पालन नही हो सका है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर, 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी कर दें। अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई ,तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला दायर किया गया था।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब दस दिनों में की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में गाय घाट महिला रिमांड होम मामले की सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट में गाय घाट महिला रिमांड होम मामले की सुनवाई हुई। इसमें पीड़िता की वकील ने पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने का विरोध किया। वकील मीनू कुमारी ने बताया कि उन्होंने पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने की शिकायत की।

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उन्होंने कहा कि नाम को सार्वजनिक करने से उनकी निजी जिंदगी प्रभावित हो सकती है। बाध्य किया जाए कि कोई उनका नाम न लें। वहीं अब इस मामले की फिजिकल सुनवाई होगी। इसकी अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

गायघाट आफ्टर केअर होम मामले की हुई सुनवाई डीएसपी स्तर के अधिकारी करे मामले की जांच-हाईकोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट भी तलब किया है।

कोर्ट का यह भी कहना था कि बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी, यदि पीड़िता को जरूरत हो ,तो जो मदद हो सके पीड़िता को उपलब्ध करवाए।

कोर्ट ने राज्य के समाज कल्याण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को अपने अपने हलफनामा को रिकॉर्ड पर लाने को भी कहा है, जिसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी, 2022 का बयान भी शामिल हो।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीडितों की ओर से महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज हो गई है। एक का पी एस केस नंबर – 13/2022 है और दूसरे का पी एस केस नंबर -17/ 2022 दर्ज कर लिया गया है।

पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई। महाधिवक्ता ने पीड़िता द्वारा दिये गए बयान के उद्देश्य पर संदेह भी जताया है। उनका कहना था कि पीड़िता ने केअर होम को वर्ष 2021 के अगस्त महीने में ही छोड़ दिया था, लेकिन वह पहली बार जनवरी, 2022 में आरोप लगा रही है।

पीड़िता की अधिवक्ता मीनू कुमारी ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने महिला विकास मंच द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को भी सुनवाई हेतु स्वीकार कर लिया है। हाई कोर्ट इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है।
हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।

बिहार सरकार द्वारा 14 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू ढुलाई मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरु

पटना हाई कोर्ट में बिहार ट्रक ऑनर एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की।

इस याचिका पर बिहार सरकार द्वारा 14 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू आदि की ढुलाई पर 16 दिसंबर, 2020 को ही एक अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध लगा दिया गया था।इसी मामलें को याचिकाएं दायर कर राज्य सरकार के निर्णय challenge किया गया।

राज्य सरकार द्वारा रोक के आदेश के विरुद्ध संबंधित पक्ष ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी ये मामला उठाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2022 को इसे वापस पटना हाई कोर्ट के समक्ष भेज दिया है। साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 8 सप्ताह के भीतर निपटारा करने को भी कहा है।

इस मामले पर हाई कोर्ट में अब 22 फरवरी,2022 को फिजिकल रूप से सुनवाई की जाएगी।। इस बीच राज्य सरकार समेत अन्य सम्बंधित सभी पक्षों को अपना अपना पक्ष लिखित तौर पर कोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया है।

21 फरवरी से हाईकोर्ट मे शुरु होगा फिजिकल सुनवाई

आगामी 21 फरवरी से पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई पुनः शुरू होगी। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले 4 जनवरी, 2022 से हाई कोर्ट में सुनवाई पूर्ण रूप से वर्चुअल चल रही थी।

इस बार पूर्व की भांति सप्ताह में चार दिन पूर्ण रूप से फिजिकल सुनवाई की जाएगी और सप्ताह में एक दिन वर्चुअल सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी।

कोविड को लेकर जारी गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इस मामले में चीफ जस्टिस समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों के साथ एक बैठक आहूत की गई थी।

इस बैठक में पटना हाई कोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर व राजीव कुमार सिंह समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।

फिलहाल ई- पास धारियों को ही कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही कोविड को लेकर समय- समय पर जारी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

गायघाट रिमांड होम मामले में सुनवाई टली

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह ( आफ्टर केअर होम ) की घटनाओं पर सुनवाई 11फरवरी, 2022 को होगी। हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।


इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ कर रही है।आज पीड़िता की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया।लेकिन इसकी प्रति राज्य सरकार को प्राप्त नहीं होने के कारण सुनवाई 11 फरवरी, 2022 तक टाल दी गई।

इस कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार अध्यक्ष हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।

इस केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं रहती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई।

समाचारों के अनुसार पीड़िता व केअर होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है।

बहुत महिलाओं को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती है। कमेटी द्वारा अन्य बातों के अलावा ऐसा देखा गया कि पीड़िता द्वारा आश्चर्यजनक देने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि अजनबियों को रिश्तेदार के रूप में बहाना बनाकर आने दी जाती है।ये आकर बेसहारा महिला को उठाते हैं।
ये इनके जीवन और मर्यादा को और जोखिम में डाल देता है। यह भी आश्चर्य जनक है कि पीड़िता द्वारा किये गए खुलासे के बाद भी कोई एफ आई आर दर्ज नहीं किया गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने को भी कहा था। इस मामले पर अब 11 फरवरी, 2022 को सुनवाई की जाएगी।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा मामलें में आज भी हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा के मामलें में दायर जनहित पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिविजन बेंच ने सुनवाई करते हुए बिहार विद्यापीठ के सम्बन्ध में दायर हलफनामा पर असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने पटना के डी एम को निर्देश दिया कि बिहार विद्यापीठ में हुए अतिक्रमण का विस्तृत ब्यौरा पेश करें।इसमें अतिक्रमणकारियों के नाम,इस सम्बन्ध में विभिन्न अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित मामलों और उनके नाम,जो इन भूमि पर अपना दावा करते हैं।

साथ ही हाई कोर्ट ने
बिहार विद्यापीठ से जुड़े विवादित भूमि की खरीद बिक्री पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है । कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के तमाम ज़मीन के स्वत्व सम्बन्धित कागज़ात पटना डीएम कार्यालय को हस्तगत करने का निर्देश विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति को दिया है ।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पटना के बांस घाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और बिहार विद्यापीठ के हालात का जायजा लेने के लिए याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार को पटना के जिलाधिकारी के साथ भेजा था।

उन्होंने कोर्ट को वहां की वस्तुस्थिति से अवगत कराया।कोर्ट ने पटना के जिलाधिकारी को डा राजेंद्र प्रसाद के बांस घाट स्थित समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण व विकास के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन समिति की कार्यशैली पर नाराजगी जताई।जीरादेई स्थित डॉ राजेन्द्र प्रसाद के म्यूज़ियम संग्रहालय हेतु उनके निजी भूमि को राज्य सरकार को हस्तगत किये जाने के मामले में डीएम सिवान को चार दिनों के भीतर हलफनामा दायर करने का भी निर्देश है ।

जीरादेई सड़क से स्मारक स्थल तक जाने के लिए रेलवे लाइन के नीचे से भूमिगत रास्ता बनाने हेतु डीआरएम वाराणसी को पार्टी बनाते हुए रेलवे को जीरादेई में स्थल निरीक्षण कर एक्शन प्लान बनाने निर्देश दिया है ।

रेलवे के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि इस सिलसिले में वाराणसी रेल डिवीजन के अफसरों की अगुवाई में एक समिति गठित हो गयी है, जो स्थल निरीक्षण कर सिवान ज़िला प्रशासन के साथ बैठक करेगी ।

इस बैठक के बारे में जानकारी मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को दी जाएगी ।इस मामले पर अब अगली सुनवाई 11 फरवरी,2022 को की जाएगी।