पटना हाईकोर्ट ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका को सुनते हुए केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) से पूछा है कि इस पुरातत्व स्थल के संरक्षण के लिए अब तक क्या कार्र्वाई की गई है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने कहा कि लोमस और याज्ञवल्क ऋषि की गुफाएं केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नही, बल्कि जैव विविधता के मद्देनजर भी बेहद महत्वपूर्ण है । ऐसी जगह को संरक्षित करने की बजाए खत्म किया जा रहा है ।इसकी परवाह न तो केंद्र सरकार को है, न ही राज्य को है। इन पहाड़ के जंगल व आस पास होने वाले खनन कार्य पर हाई कोर्ट ने जो 20 जुलाई को रोक लगा दी थी। यह रोक को अगली सुनवाई तक जारी रखने का कोर्ट ने निर्देश दिया । सुनवाई के दौरान कुछ लोगों ने हस्तक्षेप अर्जी के जरिये खनन कार्य पर से रोक हटाने की गुहार लगाया , जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया ।
याचिकाकर्ता के वकील वृषकेतु पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 1906 में छपी तत्कालीन गया जिले के गज़ट में दोनों पहाड़ियों का सिर्फ पुरातात्विक महत्त्व ही नही हैं, बल्कि वहां की जैव विविधता के बारे में भी अंग्रजों ने लिखा है।उन पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना , बरसाती नदी और एक फैला हुआ वन क्षेत्र है, जिसमे विविध प्रकार के वनस्पति और जीव- जंतु मिलते हैं ।
उस जंगल को अवैध खनन कर बर्बाद किया जा रहा है । लोमस और याज्ञवल्क पहाड़ियों को आर्कियोलॉजिकल एवम हेरिटेज साइट बनाने का कोर्ट से अनुरोध किया गया।
कोर्ट ने दोनों पहाड़ियों के वन क्षेत्र विस्तार और रिहाइशी बस्तियों के बिंदु पर राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगा था । लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई जवाब नही आया । मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।