दिल्ली/पटना । बिहार में जातिगत जनगणना का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने याचिका में जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है ।
पिछले साल 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था । याचिका में कहा गया है कि जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, लिहाजा अधिसूचना को ही रद्द किया जाना चाहिए ।
याचिका में ये भी कहा गया है कि जणगणना अधिनियम के तहत सरकार को जणगणना का अधिकार नहीं है। विधानसभा से कानून पास किए बगैर इस करवाया जा रहा है।
बिहार में शनिवार, 7 जनवरी 2023 से जाति आधारित सर्वेक्षण शुरू किया गया था। पहला चरण 7 जनवरी 2023 से शुरू होगी, जो 21 जनवरी को समाप्त होगा। पहले चरण में बिहार में सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी और इसे दर्ज किया जाएगा। जबकि दूसरे चरण के सर्वेक्षण में जो 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक होना है, घरों में रहने वाले लोगों, उनकी जाति, उप-जातियों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि को एकत्र किया जाएगा। सर्वेक्षण 31 मई, 2023 को समाप्त होगा।
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