मॉनसून की सक्रियता से बिहार में पिछले कुछ दिनों से झमाझम बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने शनिवार 12 अगस्त को भी उत्तर बिहार में कुछ जगहों पर भारी बरसात की चेतावनी जारी की है।
सावन में बिहार के लोगों ने उमस भरी गर्मी झेला है। बारिश के बाद एक बार फिर उमस भरी गर्मी से सभी परेशान हुए। लोग लंबे समय से यहां झमाझम वर्षा का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद बारिश की गतिविधि बढ़ी है। 3 दिनों से बारिश हो रही है ।
बिहार में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है। वर्षा, मेघ गर्जन और ठनका की चेतावनी है। राज्यभर में विभाग ने अलर्ट जारी किया है।
मौसम विज्ञान केंद्र पटना के पूर्वानुमान के मुताबिक शनिवार को पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी और सुपौल जिले के कुछ इलाकों में अति भारी बारिश हो सकती है। इन जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए लोगों से सावधान रहने के लिए कहा गया है। वहीं, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सहरसा एवं पूर्णिया जिले में भी कहीं-कहीं भारी बारिश की आशंका है।
बिहार में झमाझम बारिश का दौर फिलहाल एक-दो दिन और चलेगा। 14 अगस्त के बाद मॉनसून संबंधी गतिविधियों में कमी आने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक शुक्रवार को बीते 24 घंटे के भीतर दरभंगा और मधुबनी जिले में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई। दरभंगा के हायाघाट में 89, घनश्यामपुर में 88 और मधुबनी के मधेपुर में 86 मिलमीटर पानी गिरा।
पश्चिम चंपारण समेत चार जिलों में अति भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, तो मुजफ्फरपुर और पूर्णिया समेत पांच जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी हुआ है। इसके साथ ही उत्तर, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व बिहार सीमांचल में शनिवार को वज्रपात यानी ठनका गिरने की भी आशंका है।
SC ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली पूर्व IAS अधिकारी जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय करते हुए कहा, हम इसे सितंबर में किसी भी गैर-विविध दिन पर उठाएंगे।
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन को मिली सजा में छूट के संबंध में मूल रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया है।
शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया को मामले से संबंधित मूल फाइलों की प्रति प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार के समक्ष आवेदन करने को कहा।
सुनवाई के दौरान, बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने पीठ को अवगत कराया कि बिहार सरकार ने एक ही दिन में 97 दोषी व्यक्तियों की सजा में छूट पर विचार किया और उसने केवल गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को सजा में छूट नहीं दी। इस पर, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा, क्या इन सभी 97 लोगों पर एक लोक सेवक की हत्या का आरोप लगाया गया था? उनका मामला यह है कि आनंद मोहन को रिहा करने के लिए नीति बदल दी गई।
जवाब में वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि वह उन दोषियों को वर्गीकृत करते हुए एक विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल करेंगे, जिन्हें उनके अपराध के आधार पर छूट दी गई है । सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को 2 सप्ताह की अवधि के भीतर एक अतिरिक्त जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी ।
इसने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा, यदि कोई हो, दाखिल करने के लिए एक सप्ताह की अवधि भी दी। मारे गए नौकरशाह की विधवा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें मामले से संबंधित आधिकारिक फाइलों की प्रति नहीं दी है।
जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने पटना हाईकोर्ट द्वारा जातीय सर्वेक्षण के मामलें में 1 अगस्त, 2023 को दिये फैसले के खिलाफ गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘एक सोच एक प्रयास’ की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया कि इसी मुद्दे पर सुनवाई वाली अन्य याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं हैं। उन्होंने पीठ से मामले की सुनवाई 11 अगस्त या 14 अगस्त को करने का अनुरोध किया। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी मामले की सुनवाई 14 अगस्त को करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने सहमति जताई।
NGO ‘एक सोच एक प्रयास’ की याचिका के अलावा एक अन्य याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार ने दायर की है। इसमें दलील दी गई है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार केवल केंद्र सरकार ही जनगणना कराने का अधिकार रखती है।
इससे पहले पटना हाईकोर्ट अपने फैसले में जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को रद्द कर दिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि पटना हाईकोर्ट के इस मामलें में दिये गये फैसला का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
इसके पूर्व राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियट दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित करने के पहले राज्य सरकार का भी पक्ष सुना जाये।राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट के जातीय सर्वेक्षण के सम्बन्ध में आदेश आने के बाद बड़ी जोर शोर से पुनः जातीय सर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है ।
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने मई,2023 में राज्य सरकार द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।इसके बाद राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय सर्वेक्षण पर तत्काल विराम लग गया।
पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 3 जुलाई,2023 से 7 जुलाई,2023 तक पांच दिनों की लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।1अगस्त,2023 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को ख़ारिज कर दिया।
पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है।इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई किये जाने की संभावना है ।
पटना हाईकोर्ट द्वारा जातीय सर्वेक्षण के मामलें में 1अगस्त,2023 को दिये फैसले को अखिलेश कुमार ने एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी गयी है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज होगी । सुप्रीम कोर्ट की वकील तान्याश्री व अधिवक्ता ऋतु राज ने अखिलेश कुमार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है।
पटना हाईकोर्ट अपने फैसले में जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को रद्द कर दिया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि पटना हाईकोर्ट के इस मामलें में दिये गये फैसला का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
इसके पूर्व राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियट दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित करने के पहले राज्य सरकार का भी पक्ष सुना जाये।राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट के जातीय सर्वेक्षण के सम्बन्ध में आदेश आने के बाद बड़ी जोर शोर से पुनः जातीय सर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है ।
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने मई,2023 में राज्य सरकार द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।इसके बाद राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय सर्वेक्षण पर तत्काल विराम लग गया।
पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 3 जुलाई,2023 से 7 जुलाई,2023 तक पांच दिनों की लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।1अगस्त,2023 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को ख़ारिज कर दिया।
पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है।इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई किये जाने की संभावना है ।
पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के पास अगवानी घाट पर गंगा नदी के ऊपर बन रहे पुल के ध्वस्त होने के मामलें पर सुनवाई की। अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर व ललन कुमार की जनहित याचिकायों पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए निर्माण कंपनी एस पी सिंगला को हलफ़नामा दायर कर अंडरटेकिंग देने को कहा कि वह अपने खर्च से इस पुल के ध्वस्त भाग का निर्माण करेगा। इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 अगस्त,2023 को होगी।
विकास कुमार मेहता की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कहा कि राज्य सरकार की रिपोर्ट की कॉपी उन्हें दी जाये। उस रिपोर्ट की कॉपी का अध्ययन करने के बाद वे अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखेंगे।
इससे पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को घटना की पूरी जानकारी देते हलफ़नामा दायर करने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफ़नामा का जवाब देने के लिए याचिकाकर्ताओं को पुनः दो सप्ताह का समय दिया था।पिछली सुनवाई में कोर्ट में एस पी सिंगला कंपनी के एम डी एस पी सिंगला उपस्थित थे।
इससे पूर्व जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह की सिंगल बेंच ने ग्रीष्मावकाश के दौरान ललन कुमार की याचिका पर सुनवाई की थी।उन्होंने गंगा नदी पर बन रहे खगड़िया के अगुबानी – सुल्तानगंज के निर्माणाधीन चार लेन पुल के ध्वस्त होने के मामलें को गंभीरता से लेते हुए निर्माण करने वाली कंपनी के एम डी को 21जून,2023 को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।
इस मामलें में अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर ने एक जनहित याचिका दायर की थी।उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा कि भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण सामग्री और निर्माण कंपनी के घटिया कार्य से ये पुल दुबारा टूटा है।ये पुल 1700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था ।
उन्होंने इस याचिका में कहा है कि इस मामलें की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने या न्यायिक जांच कराया जाये।जो भी दोषी और जिम्मेदार है,उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने अपने जनहित याचिका में ये मांग की है कि इस निर्माण कंपनी को लिस्ट कर इससे और अन्य जिम्मेदार और दोषी लोगों से इस क्षति की वसूली की जाये।
कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता एस डी संजय व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही और सरकारी अधिवक्ता अमीश कुमार ने पक्ष प्रस्तुत किया। इन मामलों पर अगली सुनवाई 25 अगस्त, 2023 को की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट द्वारा जातीय सर्वेक्षण के मामलें में 1अगस्त,2023 को दिये फैसले को अखिलेश कुमार ने एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट की वकील तान्याश्री व अधिवक्ता ऋतु राज ने अखिलेश कुमार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है।
पटना हाईकोर्ट अपने फैसले में जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को रद्द कर दिया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि पटना हाईकोर्ट के इस मामलें में दिये गये फैसला का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
इसके पूर्व राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियट दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित करने के पहले राज्य सरकार का भी पक्ष सुना जाये।राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट के जातीय सर्वेक्षण के सम्बन्ध में आदेश आने के बाद बड़ी जोर शोर से पुनः जातीय सर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है ।
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने मई,2023 में राज्य सरकार द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।इसके बाद राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय सर्वेक्षण पर तत्काल विराम लग गया।
पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 3 जुलाई,2023 से 7 जुलाई,2023 तक पांच दिनों की लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।1अगस्त,2023 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को ख़ारिज कर दिया।
पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है।इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई किये जाने की संभावना है ।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि बिहार में जातीय जनगणना कराने का निर्णय उस राज्य सरकार का था, जिसमें भाजपा शामिल थी और उस समय राजद विपक्ष में था।
हाईकोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य, काम में तेजी लाए सरकार
जातीय जनगणना का श्रेय लूटने के लिए झूठे आरोप न लगाये राजद
विरोध में याचिका दायर करने वाले का भाजपा से कोई संबंध नहीं
हम ऐसी दोमुंही राजनीति नहीं करते कि जिसके खिलाफ सबूत दें, उसी से हाथ मिला लें
यदि मजबूती से पैरवी की गई होती तो जातीय जनगणना पर रोक नहीं लगती
श्री मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना के विरुद्ध याचिका दायर करने वाले का भाजपा से कोई संबंध नहीं है। राजद इसका श्रेय लेने के लिए अनर्गल आरोप न लगाये।
उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसी दोमुंही राजनीति नहीं करती कि जिसके खिलाफ जाँच एजेंसियों को सबूत जुटा कर दें, उसी से हाथ मिला कर सत्ता हथिया लें।
श्री मोदी ने कहा कि भाजपा पहले भी जातीय जनगणना के पक्ष में थी, आज हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करती है और आगे भी जातीय जनगणना का समर्थन करेगी, ताकि सभी पिछड़ी जातियों को विकास की मुख्यधारा में लाने वाले कार्यक्रम लागू हो सकें।
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ने मजबूती से पैरवी की होती और संवैधानिक प्रश्नों का उत्तर ठीक से दिया होता, तो जातीय जनगणना पर बीच में रोक नहीं लगती।
श्री मोदी ने कहा कि कानूनी बाधाएँ दूर होने के बाद राज्य सरकार को जातीय जनगणना का काम अब तेजी से पूरा करना चाहिए।
पटना हाइकोर्ट कल 1अगस्त,2023 को राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर निर्णय देगा। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में 3 जुलाई,2023 से पांच दिनों की लम्बी सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था।
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया था ।उन्होंने कहा कि ये सर्वे है,जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना,जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के किया जाना है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि जाति सम्बन्धी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश या नौकरियों लेने के समय भी दी जाती है।एडवोकेट जनरल शाही ने कहा कि जातियाँ समाज का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग अलग जातियाँ होती है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसीको बाध्य नहीं किया जा रहा है ।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फी सदी पूरा हो गया है।उन्होंने कहा कि ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र में है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दिया था।कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है।
कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं।साथ ही ये भी जानना कि क्या इससे निजता का उल्लंघन होगा।
पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है।ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को ये भी बताया था कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।
उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है।ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है।उन्होंने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
मौसम विभाग के अनुसार बिहार के विभिन्न जिलों में अगले तीन-चार दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। इस दौरान कुछ स्थानों पर वज्रपात की भी चेतावनी जारी की गई है। उत्तर बिहार में मानसून के सक्रिय होने से 3 अगस्त तक सभी जिलों में बारिश होने की उम्मीद की जा रही है। पटना समेत आसपास के कुछ स्थानों पर मेघ गर्जन व वज्रपात की संभावना है। पूरे बिहार में राहत की बारिश का पूर्वानुमान 29 से 3 अगस्त के लिए जारी किया गया है।
राज्य में अभी तक 35 फीसदी कम बारिश हुई है। कुछ जिलों में बारिश का अलर्ट है। वहीं, 29 जुलाई के बाद से भारी बारिश का अलर्ट है।
मौसम विज्ञान केन्द्र पटना के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर पश्चिम बिहार, उत्तर मध्य बिहार, उत्तर पूर्व बिहार, दक्षिण पश्चिम बिहार, दक्षिण मध्य बिहार और दक्षिण पूर्व बिहार में बारिश के आसार हैं। इनमें कई इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया गया है। 28 जुलाई यानी शुक्रवार को बिहार के 32 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इनमें से पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के कुछ स्थानों पर बारिश के आसार हैं।
वहीं पटना, गया, समेत 25 जिलों के एक या दो स्थानों पर बारिश होने की संभावना हैं। बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल में मौसम शुष्क बने रहेंगे। यानी इन जिलों में आज गर्मी से लोग परेशान हैं।
मौसम विज्ञान केन्द्र पटना के अनुसार 30 और 31 जुलाई को राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है। इसे लेकर मौसम विभाग की ओर से येलो अलर्ट जारी किया गया है।
आज से उत्तर बिहार में मानसून के सक्रिय होने की संभावना है : इसके प्रभाव से दो अगस्त तक बारिश होने की उम्मीद की जा रही है। भारत मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 30 जुलाई को कई जगहों पर अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है। इस दौरान कुछ स्थानों पर वज्रपात भी हो सकता है। तापमान में उतार-चढ़ाव रहेगा और आसमान में बादल छाए रहेंगे।
3 अगस्त तक सभी जिलों में बारिश के आसारहै: मौसम विभाग ने 29 जुलाई से 3 अगस्त राज्य सभी 38 जिलों के कई इलाकों में बारिश की संभावना जताई है। उत्तर पश्चिम बिहार, उत्तर मध्य बिहार, उत्तर पूर्व बिहार, दक्षिण पश्चिम बिहार, दक्षिण मध्य बिहार और दक्षिण पूर्व बिहार में बारिश के आसार हैं। इनमें कई इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया गया है।
मौसम ने सावधानी बरतने की अपील की है: मौसम विभाग ने लोगों से अपील कि है कि खराब मौसम के दौरान अपने पशुधन और खुद को बाहर निकलने से बचें। मौसम साफ होने पर अपने काम संपादित करे। आंधी के दौरान संवेदनशील संरचनाओं से दूर रहें और मेघगर्जन के दौरान पेड़-पौधे के नीचे शरण न लें। ओलावृष्टि के समय सुरक्षित स्थान पर जाकर बैठ जाएं।
पटना हाईकोर्ट ने एलएन मिश्रा कॉलेज,मुजफ्फरपुर से एमबीए कर रही छात्रा यशी सिंह के अपहरण पर कड़ा रुख अपनाते हुए एसपी, मुजफ्फरपुर को चार सप्ताह में अनुसंधान का ब्यौरा दायर करने का आदेश दिया। जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने इस मामलें पर सुनवाई की।
साहेबगंज कॉलेज के पूर्व प्राचार्य राम प्रसाद राय की नतनी ऐसी सिंह का अपहरण 22 दिसंबर 2022 को कॉलेज जाते वक्त हो गया था।घटना के 6 माह बाद भी पुलिस अब तक छात्रा की बरामदगी नहीं कर पाई है।
लड़की के नाना,पिता, माता ने बिहार के मुख्यमंत्री, डीजीपी बिहार,आईजी मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,राष्ट्रीय महिला आयोग, आर्थिक अपराध विभाग ,एसपी मुजफ्फरपुर को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं।साथ ही उनसे मिलकर अपनी व्यथा सुना चुके हैं।
पर पुलिस ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है।यहां तक कि पुलिस अनुसंधान में एक सोनू कुमार नाम के लड़के जो अपराधी किस्म का है, का नाम अपहरण के मामले में सामने आया है । उसने नशे की सुई देकर छात्रा को मुजफ्फरपुर की चतुर्भुज स्थान में जाकर बेच दिया है।
#PatnaHighCourt
फिर भी मुजफ्फरपुर पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली है। बिहार के सभी सम्बन्धित वरीय अधिकारियों से मिलकर उनके माता-पिता थक चुके हैं।याचिकाकर्ता के वकील अरविंद कुमार ने बताया कि मेरी बात सम्बन्धित आईओ से हुई, तो उन्होंने बताया कि सोनू कुमार को पकड़ा गया था ।दो-तीन दिन रखने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया,क्योंकि उसके खिलाफ मुझे कोई सबूत नहीं मिले।जबकि सोनू का नाम अपहरणकर्ता में जांच के दौरान आ चुका है।
अंत में पटना हाई कोर्ट में अपनी याचिका दायर की।इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मुजफ्फरपुर के एसपी को पूरे अनुसंधान का ब्यौरा 4 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद की जाएगी।
दरभंगा जिले में फेसबुक, व्हाट्सएप सहित सभी सोशल साइट्स पर अगले 3 दिन तक लगा बैन, सांप्रदायिक सौहार्दता को लेकर बिहार सरकार के गृह विभाग ने लिया निर्णय, सभी सोशल साइट्स 27 जुलाई यानि आज शाम 4 बजे से 30 जुलाई के शाम 4 बजे तक बंद रहेंगी। इस दौरान सभी सोशल साइट्स बैन रहेंगी।
जिले में बढ़ रहे सांप्रदायिक मामलों को लेकर सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने यह कदम उठाया है। जिले में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से दरभंगा में समाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के मद्देनजर गृह विभाग बिहार सरकार द्वारा इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1875 की धारा-5 के तहत यह निर्णय लिया गया है।
कुछ दिन पहले दरभंगा के विभिन्न जगहों पर जिले के विभिन्न जगहों पर विवाद हुआ था, जिसके बाद कई तरह के फर्जी वीडियो वायरल किये गयेए थे। दरभंगा के DM और SSP की रिपोर्ट पर सरकार ने यह फैसला लिया है। गृह विभाग की तरफ से इसको लेकर आदेश जारी किया गया है। शनिवार को मुहर्रम को देखते हुए लॉ एंड ऑर्डर को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन द्वारा यह कदम उठाया गया है।
दरभंगा में बीते 23 जुलाई को शिवधारा इलाके में धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों के बीच भारी विवाद हो गया था। देखते ही देखते विवाद बढ़ गया था और रोड़ेबाजी शुरू हो गई थी। देखते ही देखते पूरा इलाका रणक्षेत्र में बदल गया था। रोड़ेबाजी में पुलिस के 6 से अधिक जवान घायल हो गये थे, जबकि सड़क किनारे खड़ी कई गाड़ियों को शीशे तोड़ दिये गये थे।
कटिहार/पटना: बिहार के कटिहार जिले में बुधवार को अपर्याप्त बिजली आपूर्ति को लेकर प्रदर्शन ने तूल पकड़ लिया, पथराव के बाद पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
पटना में पुलिस मुख्यालय के अनुसार, “बारसोई पुलिस स्टेशन से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर हुई इस घटना में” एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी और बिजली विभाग के कर्मचारी” घायल हो गए। पीएचक्यू ने कहा, “लगभग 1,000 स्थानीय निवासी बिजली विभाग कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे थे। कुछ असामाजिक तत्व भीड़ में घुस गए और उन्होंने पथराव करना शुरू कर दिया। जब एक पुलिस दल ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की, तो उन पर भी ईंटों, पत्थरों और लाठियों से हमला किया गया।”
कटिहार के जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया, ”दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है जबकि एक अन्य का उपमंडल अस्पताल में इलाज चल रहा है.”
मृतकों में से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जिसकी पहचान बासल गांव निवासी खुर्शीद आलम (34) के रूप में की गई। दूसरे मृतक की पहचान ज्ञात नहीं हो पाई है, हालांकि वह और अन्य घायल प्रदर्शनकारी पास के गांवों के निवासी बताए गए हैं। घटना स्थल पर कैंप कर रहे कटिहार के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने संवाददाताओं से कहा, “आप स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि बिजली कार्यालय का शायद ही कोई हिस्सा बचा हो जहां तोड़फोड़ और पथराव के संकेत न मिले हों।”
बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश की कड़ी आलोचना की….
पहले नौकरी, अब बिजली मांगने वालों को गोली मार रही है सरकार बिहार में लोगों को 24 घंटे बिजली देने का दावे कर रही नीतीश सरकार की पुलिस ने बिजली की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलायी हैं, जो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण और है। इस गोलीकांड की न्यायिक जांच जरूर होनी चाहिए। pic.twitter.com/IQALMJD77r
एसपी ने कहा, “प्रदर्शनकारी अचानक हिंसक हो गए और परिसर में धावा बोल दिया। संबंधित उपमंडल पुलिस अधिकारी समेत अधिकारियों को भीड़ ने बंधक बना लिया, जिन्हें चोटें भी आई हैं। इसलिए, आत्मरक्षा में गोलियों का इस्तेमाल किया गया। जांच जारी है और पुलिसकर्मियों पर हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” इस बीच, इस घटना की विपक्षी भाजपा और सीपीआई (एमएल)-लिबरेशन ने तीखी आलोचना की, जो बाहर से नीतीश कुमार सरकार का समर्थन करती है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नित्यानंद राय ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि यह घटना मुख्यमंत्री की जद (यू) और राज्य के सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद के नेतृत्व वाली सरकार की “बर्बरता” को दर्शाती है।
उन्होंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जो राजद से हैं, के इस्तीफे की भी मांग की और शिक्षकों की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य की राजधानी में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन पर लाठीचार्ज की हालिया घटनाओं के लिए उन्हें दोषी ठहराया। सीपीआई (एमएल)-एल, जो सरकार का हिस्सा न होते हुए भी महागठबंधन का हिस्सा है, ने भाजपा पर कटिहार में “भीड़ को उकसाने” का आरोप लगाया। सीपीआई (एमएल)-एल के विधायक दल के नेता मेहबूब आलम, जो कि बारसोई स्थित बारसोई क्षेत्र के बलरामपुर के विधायक हैं, ने भी प्रत्येक मृतक के परिजनों को “20 लाख रुपये मुआवजा” और घायल प्रदर्शनकारी को अनुग्रह राशि देने की मांग की।
आलम ने कहा, “भीड़ अचानक हिंसक हो गई और हमें यकीन है कि भाजपा ने उन्हें उकसाया था। इसके कार्यकर्ता अराजकता में पनपते हैं, जैसा कि हाल ही में एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों पर मिर्च पाउडर फेंकने से स्पष्ट था।” संदर्भ राज्य की शिक्षक भर्ती नीति के विरोध में 13 जुलाई को आयोजित ‘विधानसभा मार्च’ का था, जब प्रदर्शनकारियों में से एक विजय कुमार सिंह की मृत्यु हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है और मृतक के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं हैं।
आलम ने यह भी कहा, “पुलिस को संयम बरतना चाहिए था और गोली नहीं चलानी चाहिए थी। मामले में जवाबदेही तय की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
पटना। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में कुल 35 एजेंडों को मंजूरी दी गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों और विकासात्मक परियोजनाओं को शामिल किया गया।
बिहार कैबिनेट निर्णयों पर मुख्य सचिव ने कहा कि कैबिनेट ने कुल 35 प्रस्तावों पर अपनी सहमति दी। प्रमुख निर्णयों में नगर विकास विभाग के तहत आरा में जल निकासी के लिए 77 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी गयी। साथ ही बेतिया-नरकटियागंज गौनाहा बाजार पथ के निर्माण के लिए 74.42 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी।
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अंडा नहीं खाने वाले बच्चों को सप्ताह में दो दिन बुधवार व शुक्रवार को भुनी हुई मूंगफली देने का निर्णय लिया गया। इसके लिए 216.16 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये। इसी तरह मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत 30 हजार निजी नलकूप लगाने के लिए 222 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गयी।
बैठक के दौरान कैबिनेट ने बिहार सूचना आयोग में पहले से मौजूद पदों के अलावा विभिन्न श्रेणियों के 5 पदों के सृजन की मंजूरी दे दी। सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और सदर अस्पताल में शौचालय और स्नानघर के निर्माण के लिए सुलभ इंटरनेशनल को दी गई अनुमति थी।
कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना को भी हरी झंडी मिल गई। पांच मंडल मुख्यालयों- गया, दरभंगा, पटना और मुजफ्फरपुर में महिला छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा, जिसका उद्देश्य राज्य में महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करना है।
कैबिनेट में चर्चा के प्रमुख एजेंडे इस प्रकार हैं
बेतिया-नरकटियागंज गौनाहा बाजार सड़क निर्माण के लिए 74.42 करोड़ रुपये स्वीकृत
मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत 5 मंडल मुख्यालयों में बनेंगे महिला छात्रावास
कैबिनेट द्वारा स्वच्छता संबंधी उपाय किए जाने पर सुलभ इंटरनेशनल सरकारी अस्पतालों में शौचालयों का निर्माण करेगा
स्वास्थ्य विभाग ने की सख्त कार्रवाई: कई डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त
स्मार्ट सिटी पहल का विस्तार: भागलपुर, पटना, मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ में बनाई जाएंगी सोसायटी
कैबिनेट ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लाभ को मंजूरी दी
कृषि यंत्रीकरण योजना के लिए 119 करोड़ रुपये स्वीकृत
बिहार फसल सहायता योजना सब्जी फसलों को लाभ पहुंचाती है
राज्य सरकार ने आयोग और बोर्ड के सदस्यों के वेतन को बीपीएससी के बराबर किया
स्मार्ट सिटी पहल के तहत भागलपुर, पटना, मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ में सोसायटी बनाने की तैयारी है। इन समाजों से शहरी विकास और इन शहरों के निवासियों के लिए रहने की स्थिति में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है।
हालाँकि, कैबिनेट बैठक में स्वास्थ्य विभाग के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के मामलों को भी संबोधित किया गया। अशोक कुमार सिंह और रवि कुमार आनंद कुमार समेत कई डॉक्टरों की सेवा समाप्त कर दी गयी।
इसके अलावा कैबिनेट ने कृषि रोड मैप चतुर्थ के तहत चालू वित्तीय वर्ष में कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए 119 करोड़ रुपये की निकासी की मंजूरी दे दी. इस कदम का उद्देश्य राज्य के कृषि क्षेत्र में कृषि पद्धतियों को बढ़ाना और उत्पादकता को बढ़ावा देना है।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में 34540 सहायक शिक्षकों की बहाली के बचे सीट पर कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक बहाली नहीं किये जाने से नाराजगी जाहिर की। जस्टिस पी बी बजनथ्री की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सम्बन्धित सचिव और प्राथमिक शिक्षा के निदेशक को अगली तारीख पर कोर्ट में उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ अदालती आदेश के अवमानना के दोषी के लिए आरोप तय किया जायेगा।
कोर्ट का कहना था कि 19 अकटुबर, 2016 को हाई कोर्ट ने छह माह के भीतर सहायक शिक्षक के बचे हुये 2213 सीट पर बहाली प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था।लेकिन करीब सात साल के बाद भी बहाली नहीं की जा सकी।
#PatnaHighCourt
कोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित निदेशक से जानना चाहा कि सहायक शिक्षक की बहाली करने के अधिकारी कौन हैं।कोर्ट के सवाल पर उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी सहायक शिक्षक को बहाली करने के अधिकारी हैं।
इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी जिला में बहाली करने के लिए अधिकृत हो सकते हैं।लेकिन यह मामला पूरे राज्य का हैं।
कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने औरंगाबाद जिले के नाउरगढ़ में खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों व अन्य पुरातत्विक महत्त्व की सामग्रियों के रख रखाव व सरंक्षण के लिए की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। अवधेश पाण्डेय की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि औरंगाबाद जिले के नाउरागढ़ में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के दौरान बड़ी तादाद में मूर्तियां व अन्य ऐतिहासिक महत्त्व की सामग्रियां प्राप्त हुई थी।लेकिन उनका उचित ढंग से रख रखाव और संरक्षण नहीं किया जा रहा है।इस प्रकार के महत्त्व की मूर्तियां और ऐतिहासिक महत्त्व धरोहरों की उपेक्षा की जा रही है।
अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि इस तरह की पुरातत्विक महत्त्व और ऐतिहासिक मूर्तियों और अन्य सामग्रियों को निकाला गया।वहां पर एक स्टेडियम बनाया जाने लगा।इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है ।साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया ।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भ्रष्ट और परिवारवादी विपक्षी दलों के मंच का नाम “इंडिया” रखने से इनकी खोटी नीयत छिपने वाली नहीं है। इनके इलीट, पश्चिम-प्रभावित और हिंदू-विरोधी “इंडिया” को करोड़ों गरीबों, पिछड़ों का संस्कृतिनिष्ठ भारत 2024 में मुँहतोड़ जवाब देगा। इंडिया बनाम भारत मैच में जीत भारत की होगी।
नाम बदलने से मॉल का खोटा माल नहीं बदल जाता
लालू, ममता, केजरीवाल की हकीकत किसी से छिपी नहीं
संयोजक न बनाये जाने से नीतीश कुमार की हुई किरकिरी
श्री मोदी ने कहा कि चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद और चिटफंड घोटाले में लिप्त ममता बनर्जी जैसे दागी लोग जहाँ जुटे हैं, उस नए मॉल का नाम बदल लेने से खोटा माल खरा सोना नहीं हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि बंगलोर में सबसे बड़ी किरकिरी तो नीतीश कुमार की हुई। उन्हें फर्जी “इंडिया’ का संयोजक न बनाये जाने से नाराज होकर पहले ही बैठक से निकल लेना पड़ा। वे प्रेस कांफ्रेन्स में नहीं थे।
बंगलुरू में नीतीश-विरोधी पोस्टर भी लगाये गए थे, जबकि वहाँ सरकार कांग्रेस की है।
श्री मोदी ने कहा कि इन दलों की पटना बैठक में इसी तरह केजरीवाल नाराज होकर दिल्ली लौट गए थे। जो लोग चुनाव से पहले न मन मिला पा रहे हैं, न एक चेहरा तय कर पाए, वे देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई चुनौती नहीं दे पाएँगे।
पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ कोर्ट में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। जस्टिस पीवी बजंत्री की खंडपीठ ने एक अवमानना के सिलसिले में श्री पाठक के विरुद्ध जमानतीय वारंट जारी किया।
एक शिक्षिका सुकृति कुमारी को नियमित शिक्षक का वेतन नहीं दे कर नियोजित शिक्षक का वेतन दिया गया,जबकि कोर्ट ने उन्हें नियमित शिक्षक का वेतन देने का निर्देश दिया था ।
अपर मुख्य शिक्षा सचिव के के पाठक की ओर से अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने जून, 2023 में पदभार ग्रहण किया है।तब से वे अदालती अवमानना से सम्बन्धित मामलों पर कार्रवाई कर रहे है।
याचिकाकर्ता शिक्षिका सुकृति कुमारी के मामलें में अदालती आदेश का पालन किया जा चुका है।लेकिन कोर्ट ने अदालती आदेश के पालन में हुए बिलम्ब को गंभीरता से लेते हुए जमानतीय वारंट जारी किया।
#PatnaHighCourt
अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि पूर्व में कोर्ट द्वारा जारी जमानतीय वारंट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है,जिस पर कल सुनवाई होना तय हुआ है।इस मामलें को भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा जायेगा।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब सरकार पहले से नियुक्त शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं दे पा रही है, तब नये शिक्षकों के वेतन मद में सालाना 11000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ कैसे उठायेगी? पैसे कहाँ से आएँगे, यह बताना चाहिए।
• खाते में हजार करोड़ शेष रहते शिक्षकों का वेतन रोकना गलत • उपयोगिता प्रमाण पत्र सौंपते ही बिहार को मिल जाएगी समग्र शिक्षा अभियान की राशि • पिछले साल का बिहार ने केंद्र को नहीं दिया खर्च का हिसाब • बताएँ, नये शिक्षकों के वेतन हेतु कहाँ से आएँगे 11000 करोड़- सुशील कुमार मोदी
श्री मोदी ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति और उनके वेतन का भुगतान पूरी तरह राज्य सरकार की जिम्मेवारी है। केंद्र सरकार इसमें केवल सहयोग करती है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से शिक्षक वेतन-मद में सहायता राशि न मिलने का दुष्प्रचार कर रही है, जबकि सच यह है कि बिहार सरकार ने पिछले साल के खर्च का हिसाब और उपयोगिता प्रमाण पत्र ही नहीं दिया।
श्री मोदी ने कहा कि जैसे ही राज्य सरकार उपयोगिता प्रमाण पत्र सौंपेगी, केंद्र से समग्र शिक्षा अभियान की सहायता राशि मिल जाएगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खाते में अब भी 1000 करोड़ रुपये बिना खर्च हुए पड़े हैं। इससे शिक्षकों को वेतन दिया जा सकता है।
श्री मोदी ने कहा कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र पर तथ्यहीन आरोप लगाना नीतीश सरकार की आदत बन गयी है। यह सरकार शिक्षकों की पीठ पर लाठी चलाती है और वेतन रोक कर पेट पर लात मारती है।
पटना हाईकोर्ट में पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस-मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई 18 जुलाई,2023 तक टली। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस बारे में पटना नगर निगम को विस्तृत जानकारी देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था। पटना नगर निगम की ओर से कोर्ट को बताया कि आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है।
साथ ही निविदा की कार्रवाई की जा रही है। पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने के लिए पटना नगर निगम ने तीन सप्ताह की मोहलत मांगी,जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था।ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की है।
पिछली सुनवाई में अधिवक्ता मानिनी जायसवाल ने कोर्ट को बताया था कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।उन्होंने कहा कि इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से छोटे लड़कों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
याचिकाकर्ता के वकील मानिनी जयसवाल ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि खुले और अवैध रूप से चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा तत्काल बंद कराया जाना चाहिए ।
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उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर खुले में मांस मछ्ली की बिक्री होती है।
अधिवक्ता मानिनी जयसवाल ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि अस्वस्थ और बगैर उचित प्रमाणपत्र के ही जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।
इस मामलें पर अब अगली सुनवाई 18 जुलाई, 2023 को की जाएगी।