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लोकतंत्र की बुनियाद हिल चुकी है

बिहार विधानसभा में आज जो कुछ भी हुआ वो एक ना एक दिन होना था सत्ता से सवाल का अधिकार किसी को नहीं है?
क्यों कि इन्हें जनता चुन कर भेजी है ।ये बहस का विषय हो सकता लेकिन नीतीश कुमार हमेशा साथ छोड़ने का वाजिब कारण ढूढ़ ही लेते हैं ।


सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के बीच आज जो कुछ भी हुआ वो दिखाता है कि लोकतंत्र की बुनियाद हिल चुकी है ।

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू, 14 मार्च से 8 अप्रैल तक बजट सत्र का दूसरा चरण चलेगा।

आज से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो रहा है। आज 14 मार्च से 8 अप्रैल तक बजट सत्र का दूसरा चरण चलेगा।

लोकसभा और राज्यसभा एक साथ सुबह 11 बजे से शुरू होगी।

इस बार कोविड-19 संबंधी हालात में काफी सुधार आने के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे से एक साथ चलेगी।

विपक्ष सरकार को बेरोजगारी-महंगाई के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी।

बजट सत्र का पहला चरण 11 फरवरी 2022 को खत्म हुआ था।

बजट सत्र के पहले चरण में 29 जनवरी से 11 फरवरी तक दो अलग-अलग पालियों में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही संचालित की गई थी।

बजट सत्र का दूसरा चरण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। 

इस सत्र में भी हंगामे होने की संभावना है।

कांग्रेस यूक्रेन, महंगाई, बेरोजगारी और ईपीएफ के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी।

कांग्रेस रणनीति तय करने के लिए रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को ही जम्मू-कश्मीर के लिए बजट पेश करेंगी और इस पर भोजनावकाश के बाद चर्चा कराई जा सकती है।

इस बार फिर बिहार से जेडीयू सांसद सदन में बिहार को विशेष राज्य की दर्जा मिले इसके लिए आवाज उठाएंगे।

बीजेपी को कोर वोटर का साथ छुटना बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है

भारतीय राजनीति को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से पत्रकारों ने सवाल किया तो वीपी सिंह ने कहा था कि भारत विविधताओं का देश है यहां जाति ,धर्म ,क्षेत्रवाद ,और सामाजिक मान्यताओं को लेकर व्यापक स्तर पर विरोधाभास है ।ऐसे में जो राजनीतिक दल जाति,धर्म,क्षेत्रवाद और सामाजिक मान्यताओं को लेकर व्याप्त विरोधाभास का बेहतर समन्वय करेंगा वही पार्टी भारतीय राजनीति में सफल हो सकता है ।भारतीय राजनीति को समझना है तो इससे बेहतर कोई दूसरा सूत्र नहीं है ।

            यूपी चुनाव के परिणाम को लेकर कल मैंने एक पोस्ट लिखा था कि बीजेपी भेले ही चुनाव जीत रहा है लेकिन बीजेपी का जो आधार वोट रहा है सवर्ण ,बनिया के साथ साथ मीडिल क्लास और पढ़ा लिखा तबका चुनाव दर चुनाव उससे दूर होता जा रहा है और आज भी अति पिछड़ा और दलित लाभकारी योजनाओं के साथ साथ क्षेत्रीय दल की वजह से भले ही बीजेपी को वोट मिल जा रहा है लेकिन इस वर्ग में अभी भी बीजेपी का प्रवेश नहीं हो सका है ।यूपी चुनाव में बीजेपी के जीत को लेकर महिला वोटर और मुफ्त अनाज योजना को लेकर बड़ी बड़ी बातें हो रही है लेकिन चुनाव का परिणाम इसके ठीक उलट में यूपी के जिस इलाके में पुरुष की तुलना में महिला वोटर सबसे अधिक वोट किया वहां बीजेपी का खासा नुकसान हुआ है उसी तरीके से जिस इलाके में मुफ्त अनाज योजना का लाभ सबसे अधिक लोगों ने उठाया उस इलाके में भी बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा।                        

इतना ही नहीं जिस इलाके में बीजेपी का परम्परागत वोट सबसे अधिक प्रभावी था उस इलाके में भी बीजेपी के बड़ा नुकसान हुआ है जी है हम बात कर रहे हैं पांचवां, छठा और सातवां चरण के चुनाव का जहां सबसे अधिक महिला वोट किया ,मुफ्त अनाज योजना को सबसे अधिक लाभ इसी इलाके के लोगों ने उठाया है और परिणाम पर गौर करे तो अंबेडकर नगर, आजमगढ़ और गाजीपुर जिले में भाजपा का खाता तक नहीं खुला।   

इतना ही नहीं जौनपुर जिला के 9 सीटें में (6 सपा गठबंधन & 3 भाजपा गठबंधन)जीत दर्ज किया है।भदोही जिले में  3 सीट है जिसमें  (2 सपा गठबंधन & 1 भाजपा गठबंधन)मऊ जिले में  4 सीटें है जिसमें (3 सपा गठबंधन & 1 भाजपा गठबंधन),बलिया जिला जहां  7 सीट है वहां (4 सपा गठबंधन, 2 भाजपा गठबंधन & 1 बसपा)को जीत मिली है ।बनारस और गोरखपुर के कमीश्नरी में सभी 17 और 28 में 27 सीटों पर जीत नहीं मिलती तो बहुमत को लेकर समस्या खड़ी हो जाती ये वही इलाके से जहाँ राजभर और पल्लवी पटेल ने बीजेपी के अतिपिछड़ा वाले वोट में सेंध लगा दी वही सवर्ण और बनिया के साथ साथ बीजेपी का जो परंपरागत वोटर था वो या तो वोट गिराने मतदान केन्द्रों नहीं पहुंचे या फिर जिस पार्टी से जिस बिरादरी का उम्मीदवार था उसको वोट कर दिया बलिया में राजपूत,गाजीपुर में भूमिहार वोटर बीजेपी के साथ पूरी तौर पर खड़ा नहीं रहा है जबकि एक मुख्यमंत्री के उम्मीदवार है और दूसरा के पास मनोज सिन्हा जैसा नेता है फिर भी अन्य फेज की तरह वोट नहीं किया मतलब सपा जिन इलाकों में जो विरोधाभास था उसका बेहतर समन्वय करने में कामयाब रही वहीं सपा सफल रहा।

                             ऐसे में संदेश साफ है कि बिहार और यूपी जैसे राज्यों में जो क्षेत्रीय दल है उनकी वापसी तभी संभव है जब वो अपने चरित्र में बदलाव लाये मुस्लिम और यादव में जो अपराधी प्रवृत्ति से नेता है उससे दूरी बनानी पड़ेगी क्यों कि बिहार और इस बार यूपी में भी राजद और सपा के हार के पीछे एक बड़ी वजह मुलायम,अखिलेश और लालू राबड़ी राज्य में कानून व्यवस्था का जो हाल था उसको लेकर आज भी वोटर इन दोनों पार्टियों से स्वाभाविक दोस्ती बनाने से परहेज करते हैं और इसी का  लाभ बिहार में नीतीश और यूपी में बीजेपी उठा रहा है।जीती हुई टीम की क्या कमजोरी है इस पर चर्चा होती नहीं है लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को अपना का साथ छूट रहा है ये साफ दिख रहा और जो पार्टी बीजेपी के कोर वोटर को साधने में कामयाब होगे आने वाला कल उसका होगा यह बिहार के बाद यूपी का चुनाव परिणाम भी चीख चीख कर कह रहा है ।

    

बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए भजपा ने प्रत्याशियों की सूची जारी की है

इस सूचियों में औरंगाबाद से दिलीप कुमार सिंह,
रोहतास-कैमूर से संतोष सिंह,
सारण से धर्मेंद्र कुमार,
सीवान से मनोज कुमार सिंह,
गोपालगंज से राजीव कुमार,
पूर्वी चंपारण से राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता,
दरभंगा से सुनील चौधरी,
समस्तीपुर से डॉ. तरुण कुमार,
बेगूसराय-खगरिया से रजनीश कुमार,
सहरसा-मधेपुरा-सुपौल से नूतन सिंह,
पूर्णिया-अररिया-किशनगंज से दिलीप जायसवाल
और कटिहार से अशोक अग्रवाल का नाम है

BJP List
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पटना हाईकोर्ट ने अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी

पटना हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से जजों समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों के विरुद्ध आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने के मामले में जेल में बंद अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी। जस्टिस ए एम बदर ने अधिवक्ता दिनेश की नियमित ज़मानत हेतु दायर याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई की।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

इस मामलें पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस शर्त पर ज़मानत दी कि वे भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता दिनेश के वरीय अधिवक्ता विंध्याचल सिंह ने बताया कि उक्त मामले में अधिवक्ता की गिरफ़्तारी 16 दिसंबर, 2021 को की गई थी।

इस मामले में 11 फरवरी, 2022 को चार्जशीट दायर किया गया था।

बीजेपी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है

बात 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव का है औरंगाबाद होते हुए जैसे ही गंगा के इस पार सुपौल पहुंचे तो वहां की महिलाओं से जब वोट को लेकर बात करना शुरु किया तो एक खास तरह का शब्द बार बार सुनने को मिल रहा था इस बार क्विंटलिया बाबा को वोट करेंगे और यह सिलसिला सीतामढ़ी मुजफ्फरपुर तक जारी रहा।

महिला चाहे वो किसी भी जाति की क्यों ना हो यादव महिला भी क्विंटलिया बाबा को वोट देने कि बात कर रही थी ।ये क्विंटलिया बाबा कौन है जिसको लेकर महिला कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है पता चला इन इलाकों में बाढ़ और अगलगी की घटना से लोग काफी प्रभावित होते रहते है ।पहले राज्य सरकार इस तरह के आपदा से प्रभावित परिवार को 50 किलो अनाज देती थी उसमें से किसी तरह 20 से 25 किलों ही पीड़ित परिवार को मिल पाता था, लेकिन नीतीश कुमार जब सीएम बने तो आदेश जारी किया कि सभी पीड़ित परिवार को एक बोरा अनाज मिलेगा ।

इसका इतना व्यापक असर पड़ा कि गरीब परिवार की महिलाएं नीतीश कुमार का नाम ही क्विंटलिया बाबा रख दी क्योंकि एक बोरा अनाज एक क्विंटल होता है इसलिए नीतीश कुमार का नाम ही क्विंटलिया बाबा रख दी ।और इसका असर ये पड़ा कि 2010 का चुनाव परिणाम ऐतिहासिक ही रहा और राजद का जातीय समीकरण ताश की पत्तों की तरह बिखर गया ।

इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में जब वोटर के बीच वोटिंग को लेकर बात करने पहुंचे तो औरंगाबाद से लेकर बगहा तक भारत पाकिस्तान का प्रभाव तो था कि महिलाओं के बीच उज्ज्वला योजना के कारण मोदी घर घर में पहुंच गये थे और पहली बार बीजेपी और मोदी वहींं पहुंच गये जहां संघ और बीजेपी के कार्यकर्ता का पहुंच तक नहींं था ।भारत पाकिस्तान का मसला भले ही वोट को गोलबंद किया लेकिन उज्जवला योजना के कारण बीजेपी पहली बार देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही और इस योजना से जाति और धर्म पर आधारित राजनीति की हवा निकाल दी मुस्लिम महिला भी मोदी को वोट किया था

कांग्रेस भी इस तरह की योजनाओं के सहारे देश पर इतने दिनों तक राज की है 2009 में किसी ने नहीं सोचा था कि कांग्रेस की फिर से वापसी होगी लेकिन एक योजना मनरेगा ने सारे समीकरण को बदल कर रख दिया और कांग्रेस की फिर से वापसी हुई और नेहरू के बाद मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार पीएम बने ।

यूपी में जो परिणाम सामने आया है उसमें मुफ्त अनाज योजना का बड़ा योगदान है।भारतीय राजनीति पर गौर करेंगे तो महसूस होगा कि इस तरह की योजना जिसका लाभ सीधे जनता तक पहुंच रहा है उसका असर यह होता है कि जातिवादी राजनीति कमजोर पड़ जाता है ।

मोदी का मैजिक यही है मोदी ने जातिवादी राजनीति को धर्म और व्यक्तिगत लाभ से जुड़ी योजनाओं के सहारे तोड़ दिया है जिस वजह से जातीय गोलबंदी की राजनीति फेल कर जा रही है यूपी में भी यही हुआ है इसके अलावे इस बार मोदी का ओवैसी फॉर्मूला भले ही फेल कर गया लेकिन मायावती फर्मूला दो तिहाई बहुमत से जीतने में मदद कर दिया।


1—2024 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं होगा मोदी के लिए
2018 में बीजेपी देश के 21 राज्यों में बीजेपी की सरकार थी और 71 प्रतिशत आबादी पर बीजेपी के शासन में रहता था। 2022 में पांच चुनावी राज्यों में से चार पर भाजपा ने फिर से जीत हासिल कर ली है। वहीं, पंजाब की सत्ता कांग्रेस के हाथों से खिसक गई। इन जीत के साथ देश के 18 राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बरकरार रखने में कामयाबी हासिल कर ली। इन राज्यों में देश की करीब 50% फीसदी आबादी रहती है। यानी, देश की करीब आधी आबादी वाले राज्यों में भाजपा की सरकार हैं।

फिर भी 2024 का चुनाव एक तरफा होगा यह सोचना जल्दबाजी होगा क्यों मुस्लिम वोट के बटवारे के लिए मोदी जिस औबेसी का इस्तमाल करता था वो बिहार चुनाव के परिणाम के साथ ही एक्सपोज हो गया कि औबेसी बीजेपी के लिए काम कर रही है, बंंगाल और यूपी का चुनाव परिणाम यह दिखा दिया कि औबेसी फैक्टर का भारतीय राजनीति में सूर्यास्त हो गया इसी तरह से मायावती का जो दलित वोटर है वो आज भी मायावती के साथ खड़ा रहा लेकिन जो परिणाम आये है उससे यह साफ है कि आने वाले चुनाव में मायावती जिस दलित विरादरी से आती है वो अब साथ छोड़ेगा औबेसी की तरह क्यों कि स्वभाविक रुप से अभी भी दलित बीजेपी के साथ नहीं जुड़ पा रही है वही मुफ्त आनाज योजना को ज्यादा दिनों तक खिचना सभंव नहीं है फिर जिस मध्यवर्ग के आमदनी छिन कर गरीबों के बीच बांटने का जो चलन चल रहा उसका असर बीजेपी के कोर वोटर पर पड़ा है यह बिहार के चुनाव में भी और यूपी के चुनाव में भी देखने को मिला है व्यापारी वर्ग,नौकरी पेशे वाला वर्ग जो बीजेपी का कभी कोर वोटर हुआ करता आज वो बीजेपी को वोट देने मतदान केन्द्रों पर नहीं जा रहा है यह स्थिति अब ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है और जिस दिन ये वोटर बीजेपी के खिलाफ वोट डालने मतदान केन्द्रों पर पहुंच जायेंगा मोदी मैजिंग धरा का धरा रह जायेंगा।

इसलिए भले ही महंगाई ,बेरोजगारी,कोराना काल का हाल और किसान से जुड़ा मसला चुनावी मुद्दा नहीं दिख रहा है लेकिन इस मुद्दे का असर आने वाले समय में बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

रेलवे ने परीक्षार्थियों की सभी मुख्य माँगें मान कर दिया होली गिफ्ट -सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने रेलवे परीक्षार्थियों की सभी प्रमुख मांगें स्वीकार करने के निर्णय के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला छात्रों को रेलवे का होली गिफ्ट है।

सुशील मोदी ने कहा अब NTPC में “एक छात्र – एक रिजल्ट” की नीति लागू होगी तथा ग्रुप डी में दो के बजाय एक परीक्षा ली जाएगी। इसके लिए रेलवे एनटीपीसी के लिए 3.5 लाख और रिजल्ट जल्द प्रकाशित करेगा।

श्री मोदी ने कहा कि रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के परीक्षार्थियों हेतु मेडिकल स्टैंडर्ड भी अब वही होगा, जो 2019 में परीक्षा का विज्ञापन निकालने के समय तय किया गया था।

उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के जिन परीक्षार्थियों को 2019 के बाद EWS सर्टिफिकेट निर्गत हुए, उन्हें भी स्वीकार किया जाएगा। इन फैसलों से लाखों परीक्षार्थियों को लाभ होगा।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण मामले पर सुनवाई की

पटना । हाई कोर्ट ने राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों के मामले पर सुनवाई की।

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#PatnaHighCourt

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के विकास आयुक्त को दो सप्ताह में सभी पक्षों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया हैं।

होली मे बिहार आने वाले यात्रियों को होगी परेशानी

होली मे बिहार आने वाले यात्रियों को होगी परेशानी नान इंटरलाकिंग के कारण एक दर्जन से अधिक ट्रेनों का परिचालन हुआ रद्द।

उत्तर-मध्य रेलवे (North Central Railway) के प्रयागराज छिवकी स्टेशन पर चल रहे नान-इंटरलाकिंग कार्य के कारण पूर्व मध्य रेल (ECR) से गुजरने वाली एक दर्जन ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया गया है।

मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार के अनुसार उत्‍तर मध्‍य रेलवे के नैनी और प्रयागराज छिवकी के मध्‍य तीसरी लाइन की कमीशनिंग के लिए नन इंटरलाकिंग कार्य किया जा रहा है। इस कारण पूर्व मध्‍य रेलवे से गुजरने वाली कई ट्रेनों का रूट बदला गया है तो कई पर रोक भी लगा दी गई है।

लालू प्रसाद यादव की तबीयत फिर बिगड़ी

चारा घोटाला में सजा पाकर जेल की सजा काट रहे राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तबीयत फिर बिगड़ गई है।

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उनकी किडनी 80 प्रतिशत से ज्यादा खराब है। इसमें कोई सुधार नहीं है, बल्कि पहले की तुलना में अधिक खराब हो गई है।

ताजा रिपोर्ट आने के बाद दवा की खुराक या दवा बदलने पर विचार किया जा रहा है। वे दो दिनों से सुस्त दिख रहे हैं। हालात ऐसे हीं रहे तो उनकी डायलिसिस करानी पड़ सकती है।

लालू स्वास्थ्य कारणों से वे फिलहाल रिम्स (अस्‍पताल) के पेइंग वार्ड में भर्ती हैं।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने जारी की मैट्रिक परीक्षा की आंसर-की

पटना । बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने जारी की मैट्रिक परीक्षा की आंसर-की।

बोर्ड की ऑफिशियल साइट से छात्र चेक कर सकते हैं प्रश्नों के उत्तर
आपत्ति के लिए 11 मार्च तक समय

10वीं के छात्र ऑफिशियल वेबसाइट biharboardonline.bihar.gov.in पर जाकर आंसर-की चेक और डाउनलोड कर सकते हैं।

बिहार के शेखपुरा में बच्ची के साथ हुए गैंगरेप ने खड़े किये कई सवाल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सुबह से ही महिलाओं के बुलंद हौसला से जुड़ी खबरें लगातार आ रही थी इसी दौरान शाम तीन बजे के करीब जिला शेखपुरा से ब्रेकिंग फॉर्मेट में एक खबर आयी…

दो बच्चियों के साथ गांव के ही छह लड़के ने किया सामूहिक बलात्कार, मोबाइल पर ब्लू फिल्म देख कर घटना को दिया अंजाम, आरोपी का उम्र12 से 13 वर्ष और पीड़ित लड़की का उम्र 9 से 10 वर्ष है ।

खेत में साग तोड़ रही थी दोनों लड़की उसी दौरान इन लड़कों ने घटना को दिया अंंजाम, अपराध छुपाने के लिए लड़कों ने पीड़िता को दिया पांच रुपया, एक लड़की की स्थिति बिगड़ने पर मामला आया प्रकाश में ।।

खबर पढ़ने के बाद मन मेंं कई तरह के सवाल उठने लगे, गांव की पृष्ठ भूमि कैसा है ,लड़का का पृष्ठ भूमि क्या है, जाति क्या .आरोपी का परिवारिक बैकग्राउंड कैसा है ।लगातार इस तरह का सवाल मुझे परेशान किये जा रहा था ।

शेखपुरा रिपोर्टर से बात करना चाह रहे थे लेकिन जिस तरीके से मैं सोच रहा हूं मेरा रिपोर्टर पता नहीं इस खबर को लेकर क्या सोच रहा है, मन ही मन में यह निर्णय लिया कि पहले पूरी खबर आने दिया जाये फिर इस पर अपने रिपोर्टर और शेखपुरा पुलिस से बात किया जायेंगा क्यों कि मुझे पता था कि पुलिस का नजरिया अपराध के बाद अपराधी के गिरफ्तारी से ज्यादा रहता नहीं है।

खैर कल साहस नहीं जुटा पाये कि इस खबर को कैसे लिया जाये आज सुबह से इसको लेकर अपने रिपोर्टर ,शेखपुर जिले के पुलिस पदाधिकारी और कुछ ऐसे लोगों से बात किये जो इस तरह के कृत्य करने वाले के मनोदशा पर प्रकाश डाल सके ।
लड़की और लड़का दोनों का पृष्ठ भूमि मजदूर का परिवार के लोग रोज कमाता है रोज खाता है ,घटना को अंजाम देने वाले लड़कों में एक लड़के का पिता बाहर काम करता है और अपनी पत्नी और परिवार वालों से बात करने के लिए एक एनरोइड मोबाइल पत्नी को दिये हुए है ।

पत्नी अक्सर रात को अपने पति से लाइव चेट करती रहती है उस दौरान दोनों के बीच मोबाइल पर ही सेक्सुअल एक्टिविटी भी चलता रहता है जिसको पास में ही सोया बेटा देखता रहता था। फिर मोबाइल में ही ब्लू फिल्म कैसे चलता है पापा मां को क्या बोलने के लिए कहते हैं जिसके बाद ब्लू फिल्म आ जाता है वह सब पूरी रात मां के पास सोये सोये देखता रहता था।बाद में वो लड़का मोबाइल से अपने साथ खेलने वाले मित्रों को दिखाना शुरु किया और धीरे धीरे छह लड़को की एक टोली बन गयी, इस घटना से पहले भी लड़कों का यह टोली साथ स्कूल जाने और साथ बकरी चराने जाने वाली लड़कियो के साथ अक्सर इस तरह का काम करता रहता है और लड़की विरोध ना करे इसके लिए पांच से दस रुपया दे दिया करता था।

पुलिस दो बच्चों को गिरफ्तार किया है उनसे पुछताछ के दौरान ये सारी बाते सामने आयी है मोबाइल पुलिस ने जप्त कर लिया है मोबाइल के मेमोरी कार्ड में ब्लू फिल्म का कई क्लिप मिला है फिर गुगल पर ब्लू फिल्म का आईकोन मिला है।
पुलिस इस घटना से जुड़ी जो भी साक्ष्य है वो संग्रह कर लिया है लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि यह प्रवृति जो बच्चों में पैदा हो रहा है उसका असर समाज पर क्या पड़ेगा ।

क्यों कि आये दिन बिहार में या देश के अन्य हिस्सों से बलात्कार की जो खबरें आती है उस पर गौर करेंगे तो अधिकांश बलात्कारी का पृष्ठ भूमि प्रवासी मजदूर का ही रहता है, निर्भया कांड को ही देख ले इस घटना को अंजाम देने वालों में अधिकांश ऐसे युवक थे जो अपने परिवार और पत्नी से दूर दिल्ली में नौकरी कर रहा था इतना ही नहीं देश में आये दिन बलात्कार के दौरान जो हिंसक घटना घटती है उसमें कही ना कही एक दो आरोपी नबालिक रहता है और लड़कियों के साथ जानवर की तरह व्यवहार करने में सबसे आगे वही रहता है।

शेखपुरा की घटना रोजगार के लिए पलायन और मां के साथ गांव ने रह रहे बच्चों के मनोदशा पर क्या प्रभाव पड़ रहा है वो समझने के लिए काफी है ।ऐसा नहीं है कि मोबाइल आने से पहले इस तरह की घटनाए नहीं घटती थी तब भी जिस महिला का पति बाहर काम करता था उसके साथ उसके देवर या फिर ससुर द्वारा जबरन रिश्ता बनाने की घटना घटती रही है ।

लेकिन ये भी सही है कि मोबाइल फोन के गांव गांव तक पहुंचने के बाद इस तरह की घटनाओं में काफी तेजी आयी है ,ऐसे में पलायन और उसके कुप्रभाव के साथ साथ मोबाइल क्रांति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इस पर विमर्श की जरुरत है ।
कोरोना काल के बाद जिस तरीके से आंन लाइन पढ़ाई को लेकर क्रेज बढ़ा है उसका बच्चों पर क्या असर पड़ा है ये भी समझने कि जरुरत है ऐसे इस विषय को लेकर कई लोगोंं से जो हमारी बात हुई है उनका मानना है कि आंन लाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों का इस तरह के फिल्म तक पहुंचना आसान हो गया है और अभिभावक भी पढ़ाई के चक्कर मेंं ध्यान नहीं दे पा रहे हैं ।
ऐसे में वक्त आ गया है कि इस ओर गंभीरता से सोचा जाये क्यों कि इस तरह के प्रवृति के बढ़ने से लड़कियों के स्वछंदता पर बूरा प्रभाव पड़ सकता है और एक अलग तरह के अभिसाप के डर से लड़कियों का स्वभाविक विकास रूक सकता है ।

लालू यादव के किडनी फंक्शन में लगातार हो रही गिरावट

रॉची । लालू यादव के किडनी फंक्शन में लगातार हो रही गिरावट

पूर्व में लालू यादव का क्रिएटनीन लेवल था 3.5
आज जांच में लालू का क्रिएटनीन लेवल पाया गया 4.1
बढ़ती जा रही लालू की सेहत संबंधित परेशानियां
ऐसे ही किडनी फंक्शन में आता रहा गिरावट तो

lalu

लालू यादव को डायलिसिस की जल्द पड़ सकती है जरूरत
चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे रिम्स के पेइंग वार्ड में है लालू

नीतीश कैबिनेट की बैठक में 14 एजेंडो पर लगी मोहर

पटना । नीतीश कैबिनेट की बैठक में 14 एजेंडो पर लगी मोहर।

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शराबबंदी कानून को लेकर और सशक्त बनाने को लेकर फैसला हुआ है
यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट को लाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को नोडल विभाग का पदार्थ बनाया गया है,
मसूर और चना की अधिप्राप्ति बिहार सरकार करेगी,
चना ₹52 30 पैसे मसूर ₹55 प्रति किलो की दर से खरीदारी होगी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ट्रेन के परिचालन से संबंधित सभी तरह के कार्यों का जिम्मा महिलाओं के हाथों में

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर समस्तीपुर रेल मंडल ने अपने महिला कर्मियों के हौसले को बढ़ाने के लिए ट्रेन के परिचालन से संबंधित सभी तरह के कार्यों का जिम्मा महिलाओं के हाथों में सौंपा है ।

बिहार विधानसभा में महिलाओ को लेकर संघ प्रमुख के बयान को लेकर हुआ हंगामा

पटना — विधान सभा सदस्या ने कहा संघ महिलाओं को घर मे रखना चाहता है । बिहार विधानसभा में महिलाओ को लेकर संघ प्रमुख के बयान को लेकर हुआ हंगामा।

मोबाइल देखकर दो नाबालिग लड़कियों संग छह बच्‍चों ने किया सामूहिक दुष्‍कर्म

शेखपुरा – नौ वर्ष की दो बच्चियों के साथ छह बच्‍चों ने सामूहिक दुष्‍कर्म किया।
आरोपित लड़कों की उम्र नौ से 12 वर्ष के बीच है।
घटना बरबीघा थाना क्षेत्र की बताई जा रही है।

#Crime

इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस ने दो आरोपितों को पकड़ा है।
पकड़े गए बच्‍चों ने बताया कि मोबाइल में देखकर उनलोगों ने इस तरह का काम किया है।

पटना-बिहार विधान परिषद सीट को लेकर कल दिल्ली मे बीजेपी राष्ट्रीकार्यकारणी की होगी बैठक

बैठक के बाद उम्मीदवारों की होगी घोषणा कुछ सीटों पर अभी भी नामों को लेकर नही बन पायी है सहमित

जातीय राजनीति अभी भी भारतीय राजनीति का सच है

ओपिनियन पोल हो या फिर Exit Poll हो मेरा मानना है कि जिन्हें प्रदेश के जातिगत समीकरण के साथ साथ समाजिक समीकरण और सरकार की योजनाओं की समझ है उन्हें मतदाताओं का नब्ज पकड़ने में कोई खास परेशानी नहीं होती है, सब कुछ स्पस्ट दिखता है ।

यूपी को लेकर जो Exit Poll सामने आ रहे हैं वो दिखता है कि बीजेपी बड़े बहुमत के साथ सरकार में वापसी कर रहा है ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि बेरोजगारी ,मंहगाई ,किसान आन्दोलन,कोरोना के दौरान लोगों की परेशानी सब बेमानी था ऐसा नहीं हुआ होगा उसका भी असर जरुर पड़ा होगा लेकिन इसी आधार पर चुनावी नतीजे सामने आये ये जरुरी नहीं है ।
हालांकि मेरा मानना है कि 4 वर्ष 11 माह सरकार के कामकाज को लेकर वोटर जो सोचता है उसमें एक माह का प्रचार अभियान, पार्टियों द्वारा उम्मीदवारों का चयण और जातिगत समीकरण आज भी मंहगाई ,बेरोजगारी,बेहतर शिक्षा ,बेहतर अस्पताल, विकास और लाभुक योजना जैसे सारे ऐसे मुद्दे जिसको लेकर जनता 4 वर्ष 11 माह सोचती रहती है वो निष्प्रभावी हो जाता है।

याद करिए 1977 में सारा देश कांग्रेस के आपातकाल के खिलाफ था वही दक्षिण भारत पूरी तौर पर कांग्रेस के साथ खड़ा रहा ।1989 का चुनाव परिणाम को ही देख लीजिए पूरे उत्तर भारत से कांग्रेस साफ हो गया और इस बार फिर दक्षिण भारत कांग्रेस के साथ खड़ा रहा ।

2019 के लोकसभा चुनाव को ही देखे हिन्दू मुसलमान और पुलवामा की घटना के बावजूद पश्चिम बंगाल, ओडिशा ,पंजाब सहित दक्षिण के कई राज्यों में बीजेपी का प्रभाव उस तरीके से नहीं रहा जैसे हिन्दी पट्टी में देखने को मिला था इसलिए चुनाव परिणाम के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं जिसमें तात्कालिक कारण भी कम महत्वपूर्ण नहीं होता है ।

1–बीजेपी चुनाव लड़ने में हमेशा मजबूत रही है
ऐसा नहीं है कि मोदी और शाह के आने से बीजेपी के चुनाव लड़ने के तरीके में बड़ा बदलाव आ गया है और इस वजह से विपक्ष बीजेपी की रणनीति के सामने टिक नहीं पा रही है।बात 1991 के लोकसभा चुनाव का है रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र से रामविलास पासवान जनता दल से और बीजेपी से कामेश्वर चौपाल चुनाव लड़ रहे थे इस चुनाव में बीजेपी का वार रुम मेरे यहां ही था मुझे पैसा से भरा ब्रीफकेस पहली बार देखने को मिला था ।
उस चुनाव में गुजरात ,राजस्थान,दिल्ली ,मध्यप्रदेश,यूपी ,महाराष्ट्र के अलावे हिन्दू धर्म से जुड़े जीतने भी पीठ और मठ हैं उनके महंथ इस चुनाव के दौरान आये हुए थे कोई खाली हाथ नहीं आ रहा था साथ ही हर किसी के साथ पांच से दस कार्यकर्ता आया था जो चुनाव तक गांव गांव में घूमता रहा।

पैसे का आना इस कदर था कि संघ के दर्जनो अधिकारी ब्रीफकेस संभालने और पैसे के वितरण में ही 24 घंटे लगे रहते थे चुनाव आते आते रुम का रुम ब्रीफकेस से भर गया था और उतना ही कार्यकर्ता,रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र का कौन सा ऐसा गांव नहीं था जहां बीजेपी के बाहरी कार्यकर्ता प्रचार में नहीं लगे हुए थे उस दौर में बीजेपी सर्वे करवा रही थी।

बीजेपी का कौन ऐसा नेता नहीं था जो प्रचार में नहीं आया वजह यह भी था कि कामेश्वर चौपाल रामजन्मभूमि का शिलान्यास किये थे और सामने रामविलास पासवान चुनाव लड़े रहे थे,चुनाव प्रचार देख कर लग ही नहीं रहा था कि रामविलास पासवान चुनाव जीत भी पायेंगे और जब रिजल्ट आया तो कामेश्वर चौपाल का जमानत जप्त हो गया इसलिए ये कहना कि भाजपा चुनाव मोदी और शाह युग में हाईटेक और पैसे वाला हो गया है ऐसा नहीं है इस मामले में बीजेपी शुरुआती दिनो से ही नम्बर वन रही है ।

प्रबंधन और पैसा से ही चुनाव जीता जाता तो 1991 में कामेश्वर चौपाल का जमानत जप्त नहीं होता फिर 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव बीजेपी बूरी तरह से नही हारती या फिर पश्चिम बंगाल का चुनाव वो नहीं हारती बीजेपी अजय नहीं है मोदी और शाह की जोड़ी लगातार कमजोर हो रही है ये भी साफ दिख रहा है और इसकी वजह बेरोजगारी भी है, मंहगाई भी है और किसान आन्दोलन भी है ।

2—महिला वोटर और लाभकारी योजनाओं के सहारे जीत के दावे में कितना है दम

प्रधानमत्री आवास योजना ,अनाज योजना और किसान सम्मान योजना के साथ साथ पेशन योजना जिसका सीधा लाभ वोटर को मिल रहा है इसको लेकर कहां ये जा रहा है कि बीजेपी का यह तुरुप का इक्का है और यूपी में बड़े जीत के पीछे यही वजह रहेगी ।

अगर ऐसा होता तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को करारी हार का सामना नहीं करना पड़ता ,आज पीएम जिस योजना के सहारे जनता के दिल पर राज करने कि बात कर रहे हैं वो सारी योजनाएं पहले से बिहार में चली आ रही है सरकारी योजनाओं का व्यक्तिगत लाभ की बात करे तो नीतीश जैसा देश में कोई दूसरा शासक नहीं होगा ।लेकिन 2020 के चुनाव में वो तीसरे नम्बर पर पहुंच गये वजह एनडीए से लोजपा का अलग होना रहा वही महिला वोटर के आगे आने से नीतीश जीत जाते हैं ये सारे तर्क भी बेमानी साबित हो गया 2020 के चुनाव में ।

चुनाव अभी भी जातीय समीकरण के आस पास ही घूम रहा है जो पार्टी जितने बेहतर तरीके से जातीय राजनीति को साधता है वो चुनाव जीत रहा है यही चुनावी केमिस्ट्री है और इसको गोलबंद करने के लिए जैसे बिहार में अंतिम चरण का चुनाव आते आते जगंल राज का मुद्दा भुनाने में नीतीश और मोदी कामयाब हो गये औऱ बिहार हारते हारते जीत गये क्यों कि यहां ना हिन्दू मुसलमान चला ना भारत पाकिस्तान चला अंत में जगलराज पर दाव लगाये और उसमें वो कामयाब हो गये क्यों कि जगलराज के प्रभावित वोटर मतदान केन्द्र पर जाते जाते सुरक्षा के सामने सभी परेशानी को भुल गये ।यूपी में भी चार फेज के बाद मोदी और योगी इसी लाइन पर आ गये थे यही देखना है कि इसका कितना असर पड़ा है रिजल्ट पर पड़ेगा क्यों कि बीजेपी का सारा दाव फेल कर चुका है अब यही मुद्दा है जिसके सहारे बीजेपी लड़ाई में दिख रहा है ।

3–यूपी का चुनाव परिणाम मोदी शाह के लिए वॉटरलू साबित होगा

वैसे यूपी का चुनाव परिणाम कुछ भी हो मोदी और शाह के लिए यूपी का चुनाव वॉटरलू साबित होगा यह तय है योगी आये तो मोदी और शाह की विदाई तय है योगी नहीं आये फिर भी मोदी और शाह की विदाई तय है क्यों कि यूपी चुनाव में बीजेपी के अंदर जो घमासान मचा था उसका असर यूपी के साथ साथ राजस्थान,बिहार,मध्यप्रदेश ,जैसे हिन्दी पट्टी पर पड़ेगा यह साफ दिख रहा है विरोध का स्वर उठेगा और इन दोनो के एकाधिकार पर पार्टी के अंदर से ही आवाज उठेगी यह भी तय है ।