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पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने किया बेयर एक्ट किताबों का विमोचन

कानून का विशेषज्ञ ही बेहतर कानून पर किताब लिख सकता है। बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकता है। इस कार्य को बेहतरी से आलोक कुमार रंजन कर भी रहे हैं।

एंबीशन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली के डायरेक्टर आलोक कुमार रंजन के द्वारा लिखे गए बेयर एक्ट किताबों को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल के साथ न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार,न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद,न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद,न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह,न्यायमूर्ति पार्थ सार्थी,न्यायमूर्ति सत्यव्रत वर्मा, न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा ने एक साथ लोकार्पण किया। सभी ने किताबों को भविष्य के लिए बेहतर बताया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने आलोक कुमार रंजन को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले जब बिहार आया तो पता किया कि कौटिल्य अर्थशास्त्र का अनुवाद मैसूर में हुआ। बिहार के न्यायप्रणाली के लिए कौटिल्य के अर्थशास्त्र, शेरशाह सूरी के विचारों को न्याय के क्षेत्र में बेहतर मार्गदर्शक बताया। बिहार के युवा को आगे बढ़ाने के लिए आलोक रंजन द्वारा किए जा रहे प्रयास की भी सराहना की। इस तरह के प्रयास से बिहार से हो रहे बौद्धिक पलायन पर निश्चित ही रोक लगेगा।

आलोक रंजन को सभी न्यायमूर्तियों ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए बिहार में एंबीशन जैसी कोचिंग की व्यवस्था हो जिनके पास रुपया नहीं है पर वो आपका गाइडेंस प्राप्त कर सके। इस मौके पर नव नियुक्त जुडिशियल अधिकारियों को आईपीएस विकास वैभव ने सम्मानित भी किया। मौके पर राहुल कुमार सिंह ने कहा कि आलोक कुमार रंजन जी की कानून की किताबें बिहार ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

एंबिशन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आलोक कुमार रंजन ने बिहार के विद्यार्थी होने के नाते अपने संबोधन में बिहार के कानून के विद्यार्थियों के लिए बेहतर विधि विश्वविद्यालय एवम उच्च शैक्षणिक स्तर वाला संस्थान बिहार में बनाने के अलावा हिंदीभाषी विधि छात्रों को नो कॉस्ट और लो कॉस्ट एजुकेशन देने की बात पर बल दिया। इसी संदर्भ में उन्होंने हिन्दी में न्यूनतम कीमत पर विधि बेयर एक्ट एवम पुस्तकें के प्रकाशित करने की बात की।

आलोक कुमार रंजन जी का प्रयास निश्चित ही बिहार के छात्रों के लिए वरदान साबित होगा। वरिष्ठ एडिशनल एडवोकेट जनरल झारखंड हाईकोर्ट सचिन कुमार ने भी नवनियुक्त न्यायाधीशों को सम्मानित किया । नीरज कुमार उद्यमी, सोनू कुमार सामाजिक कार्यकर्ता, राहुल कुमार सामाजिक कार्यकर्ता, आनंद कुमार सिंह , प्रियदर्शी रजनीश कुमार, रत्नेश पांडे,विहान सिंह राजपूत ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

पटना हाइकोर्ट ने नाबालिग का नाम उजागर करने के मामले में राज्य के डीजीपी को तीन सप्ताह के भीतर पुलिस अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दिया है

कोर्ट ने बच्चों और उसके परिवार की पहचान को सार्वजनिक नहीं करने का निर्देश दिया।साथ ही पुलिस अधिकारी या कोई अन्य जो क़ानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने में शामिल पाया जाता है, उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाए।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने नाबालिग के माँ की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदिका की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पूर्वी चम्पारण के पुलिस ने नाबालिग एंव उसके परिजनों का नाम उजागर कर दिया। एक सोशल मीडिया हाउस ने उसे पूरी खबर बना कर चला दी,जबकि पॉक्सो कानून के तहत किसी का निजता और गोपनीयता बनाए रखने का नियम है ।

इन नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन सभी को करना अनिवार्य है, लेकिन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा हैं।प्रक्रियाओं का पालन नहीं किये जाने के परिणामस्वरूप, अपराध के शिकार नाबालिग का नाम उजागर किया जा रहा है।

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उनका कहना था कि पॉक्सो कानून की धारा 23 का उल्लंघन किया जा रहा हैं। मीडिया पीड़िता का पहचान का खुलासा कर समाचार प्रकाशित करने में संयम नहीं दिखा रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ मीडिया भी पोक्सो के प्रावधानों और उसके तहत नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।

इस मामलें पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण,विकास व सुरक्षा के मामले की सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण,विकास व सुरक्षा के मामले सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पिछली सुनवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिहार जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में न तो एक अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है और ना ही ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है।उन्होंने बताया कि देश के कई बड़े शहरों में अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है,बल्कि छोटे छोटे शहरों में भी अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट है।

साथ कई शहरों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की सुबिधा उपलब्ध है। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पटना का एयरपोर्ट सुरक्षा के लिहाज से बहुत सही नहीं है।राजगीर,बिहटा और पुनपुन में एयरपोर्ट के विकल्प के रूप में विचार तो हुआ,लेकिन अंततः अंतिम रूप से कोई परिणाम नहीं आया।

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राज्य सरकार की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कहा कि याचिकाकर्ता की ये माँग सही नहीं है कि खास जगह ही एयरपोर्ट बने या यात्रा के साधन का कैसे विकास हो।ये नीतिगत विषय होते है,जिस पर सरकार ही विचार कर कार्रवाई कर सकती है।केंद्र सरकार के अधिवक्ता के एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट हो कि नहीं, ये विचार का मुद्दा हो सकता है,लेकिन यात्रा किसी विशेष रूप हो,ये विचार के योग्य नहीं है।

पिछली सुनवाई में रूडी ने कहा था कि गया अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भी आज तक कोई अंतर्राष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है।अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होने के बावजूद यहां अंतर्राष्ट्रीय विमान नहीं चलते हैं ।

उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर अपना स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है । पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों से जानना चाहा था कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट एवं अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए क्या क्या अनिवार्यता हैं ?

इस मामलें पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर,2022 को होगी।

बिहार के छपरा में मौत का आंकड़ा पहुंचा 11, परिजनों के अनुसार जहरीली शराब पीने से हो रही मौत

शराब से मौत मामले में 11 ज्ञात लोगो की मौत हुई है जिनके नाम निम्नांकित है :
नाम -उम्र -पिता -पता

  1. मुकेश शर्मा – 30 वर्ष -बच्चा शर्मा – हनुमानगंज थाना , मसरख, जिला- सारण
  2. अमित रंजन-38 वर्ष – द्विजेंद्र कुमार सिन्हा – डोईला थाना, इसुआपुर सारण
  3. संजय सिंह 45 वर्ष – वकील सिंह- डोइला ,इसुआपुर सारण
  4. विजेन्द्र यादव – 46 वर्ष – स्व. नरसिंह राय- डोईला थाना इसुआपुर,
  5. रामजी साह 55 वर्ष – गोपाल साह -शास्त्री टोला, थाना मसरक, सारण
  6. कुणाल कुमार सिंह- 38 वर्ष -भदु सिंह- मसरख यदु मोड़,थाना मसरख, सारण
  7. नासिर हुसैन- 42 वर्ष -समसुद्दीन-मसरख तख्त थाना मसरख सारण
  8. जयदेव सिंह-43 वर्ष -बिंदा सिंह -गांव बेंग छपरा थाना मसरक
  9. रमेश राम- 42 वर्ष-कन्होया राम -गांव बेंग छपरा थाना मसरक सारण
  10. चंद्रमा राम-48 वर्ष हेमराज जी- स्व. जीताराम- मसरख ,थाना मसरक,सारण
  11. विक्की महतो- 16वर्ष- महतो-सुरेश महतो-मढ़ौरा
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पटना हाइकोर्ट ने वैध प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के सदस्य के लिए चुनाव हेतु वोटर लिस्ट में नाम शामिल किए जाने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने वैध प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल के सदस्य के लिए चुनाव हेतु वोटर लिस्ट में नाम शामिल किए जाने के मामलें पर सुनवाई की। इसकी जांच करवाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व फार्मेसी कॉउंसिल से जवाब तलब किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुबोध कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि कुछ मामले में तो फार्मासिस्ट के तौर पर निबंधन भी रद्द होता है।

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इसकी वजह से फार्मेसी के हजारों विद्यार्थी वोट के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।इस मामलें पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में राज्य के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण,विकास और मरम्मती से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट में राज्य के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण,विकास और मरम्मती से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की।

कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बरौनी राष्ट्रीय राजमार्ग का डीपीआर अब तक नहीं तैयार किये जाने पर राज्य के विकास आयुक्त और एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी को कल तलब किया है।

कोर्ट को जानकारी दी गई कि छपरा सिवान गोपालगंज रोड के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है।इस राजमार्ग का उदघाटन होना बाकी है।जोगबनी फारबिसगंज एन एच बन चुका है और इस पर वाहनों का आना जाना शुरू हो चुका है।

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पटना बख्तियारपुर एन एच का कार्य पूरा होने की जानकारी दी गई,लेकिन ये कार्य पूरा नहीं हुआ है।साथ मुंगेर के पास गंगा नदी पर बने पुल के पहुँच पथ के पास तीन हाई पावर ट्रांसमिशन री- लोकेट का मामला है।

इन मामलों पर 20दिसंबर,2022 को सुनवाई की जाएगी।

भारत सरकार द्वारा बिहार में 8388 करोड़ की लागत से बरौनी यूरिया खाद कारखाना बनकर तैयार – भगवंत खुबा

राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने बताया कि बताया कि भारत सरकार द्वारा 8388 करोड़ की लागत से खाद कारखाना बनकर तैयार हो गया है, जिससे 18 अक्टूबर, 2022 को यूरिया का उत्पादन प्रारंभ हो गया है। बरौनी प्लांट की यूरिया उत्पादन क्षमता 12.70 लाख मैट्रिक टन प्रतिवर्ष है।

• 242 रुपया यूरिया की बोरी पर 1800 रुपया पर सब्सिडी
• बरौनी यूरिया खाद कारखाना 8388 करोड़ की लागत से बनकर तैयार
• 18 अक्टूबर, 2022 से उत्पादन प्रारंभ
• बरौनी कारखाना की क्षमता 12.70 लाख मैट्रिक टन है

मंत्री ने बताया कि पूरे देश में यूरिया उत्पादन की कुल मिलाकर 6 इकाई स्थापित की गई है जिसमें 4 सरकारी क्षेत्र तथा दो प्राइवेट सेक्टर में स्थापित की गई है। इन छह इकाई की यूरिया उत्पादन की स्थापित क्षमता 283.74 लाख मैट्रिक टन प्रतिवर्ष होगी।

मोदी ने बताया कि पूरे देश में 341.73 लाख मैट्रिक टन यूरिया की खपत है जबकि उत्पादन मात्र 250.72 लाख मैट्रिक टन है। शेष 91.36 लाख मैट्रिक टन यूरिया विदेशों से आयात करना पड़ रहा है ।

मंत्री ने बताया कि एक बोरा 45 किलो ग्राम यूरिया का अधिकतम मूल्य 242 रुपया है जबकि 1800 रुपया सरकार सब्सिडी प्रदान करती है।

सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने आज अपने बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की है

सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने आज अपने बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की है।

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राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल,पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी वी संजय कुमार,पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानउद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए जाने की अनुशंसा की है।

स्थानीय निकाय/ नगरपालिका में वार्ड सदस्यों समेत अन्य पदों के लिए राज्य में होने जा रहे चुनाव में आचार संहिता लागू करने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है

स्थानीय निकाय/ नगरपालिका में वार्ड सदस्यों समेत अन्य पदों के लिए राज्य में होने जा रहे चुनाव में आचार संहिता लागू करने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है। ये जनहित याचिका शम्भू सिद्धार्थ ने दायर किया है।

इस जनहित याचिका में सरकार, मंत्रियों, विधानसभा व विधान परिषद के सदस्यों समेत अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी महागठबंधन से जुड़े उमीदवारों को फायदा पहुंचाने हेतु सत्ता का दुरुपयोग किये जाने की अनुमति नहीं देने की माँग की गई है।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार द्वारा सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के योजनाओं का उदघाटन किया जा रहा है।साथ ही स्थानीय निकाय के चुनाव की घोषणा के बाद भी आचार संहिता का उल्लंघन कर खास वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाओं की घोषणा और प्रचार – प्रसार किया जा रहा है।

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राजगीर में 27 नवंबर, 2022 को गंगा वाटर सप्लाई स्कीम योजना का उदघाटन,राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल का नालंदा जिला में 12 दिसंबर, 2022 को उदघाटन किया गया।साथ ही, 13 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम कथित रूप से आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए आयोजित किया गया।

इस मामलें में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय का यह भी कहना है कि एक ओर आदर्श अचार सहिंता का पालन करवाने के लिए टीम का गठन किया गया है, वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है।राज्य चुनाव आयोग आंख बंद करके बैठा हुआ है और आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही है।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के विधि सचिव को विभिन्न जिलों के ज़िला जजों,डी एम व बार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सन्दर्भ में अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।

वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।भवन की भी काफी कमी है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के विधि सचिव को तलब किया।उन्होंंने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में कार्रवाई की जा रही है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा,तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी।इस मामलें पर अगली सुनवाई 15दिसंबर,2022 को की जाएगी।

बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी

बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित 77 हजार 57 शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी।

पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर विजिलेंस ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है क्योंकि शिक्षकों से कई बार प्रमाण पत्र मांगे जाने पर भी उसे उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

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जांच के लिए निगरानी विभाग को 77 हजार 57 शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर नहीं मिले है। न्यायालय के आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग ने प्रमाण पत्र के फोल्डर नहीं देने वाली नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे रखा है।

पटना हाइकोर्ट में हर्ष फायरिंग को रोकने हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट में हर्ष फायरिंग को रोकने हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट ने राज्य के 11 जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जजों से उनके जिलों में हुए हर्ष फायरिंग की घटनाओं के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसंधान और ट्रायल का रिपोर्ट तलब किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना सहित बिहार के 11 जिले के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को आदेश दिया था कि वह अपने-अपने जिला में हुए हर्ष फायरिंग की घटनाओं पर दायर मामले की त्वरित अनुसंधान और उस मामले में मुकदमे की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।साथ ही एक समय सीमा के अंदर कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी पटना, वैशाली ,सुपौल ,पूर्वी और पश्चिम चंपारण, मधेपुरा पूर्णिया ,जमुई ,लखीसराय सहित अन्य जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने जिलों के डीएम और एसपी के साथ एक बैठक कर यह समयसीमा को सुनिश्चित करें।

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उनके जिलों में हर्ष फायरिंग पर हुए एफ आई आर के अनुसंधान को एक समय सीमा के भीतर पूरा कर आरोपियों को ट्रायल हेतु भेजा जाए।

वही पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के साथ सुनवाई करते हुए जिला अधिकारी को यह निर्देश दिया गया कि वे सुनिश्चित करें कि हर्ष फायरिंग के आरोपियों के खिलाफ चल रहे ट्रायल की हो सके ,तो रोज़ाना सुनवाई हो और गवाही में विलम्ब नही हो।

हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों के तहत में इन सभी जिलों के डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज ने बैठक में क्या क्या निर्णय लिए और इस बैठक कहां तक प्रभावकारी रहा, इस पर भी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई,13फरवरी,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने लखीसराय के बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव स्व. कुमार शरद चन्द्र के चर्चित हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया

पटना हाइकोर्ट ने लखीसराय के बालिका विद्यापीठ के पूर्व सचिव स्व. कुमार शरद चन्द्र के चर्चित हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने उषा शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद आदेश दिया।

कोर्ट ने इससे पूर्व जांच कर रही जांच एजेंसी सीआईडी को आदेश के दो सप्ताह में सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

कोर्ट ने सीबीआई के निर्देशक को ये निर्देश दिया कि वे शीघ्र एक योग्य अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर इस मामलें की निष्पक्ष और त्वरित जांच कराए।इसकी रिपोर्ट सम्बंधित निचली अदालत को सौंपने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि इस हत्याकांड की जांच में पहले आठ साल का विलम्ब हो गया है।इसलिए इस मामलें की जांच त्वरित गति से किये जाने की जरूरत है।

ये घटना 2अगस्त,2014 को घटी थी, जब दो लोग कुमार शरद चन्द्र के घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी थी।उनकी पत्नी उषा शर्मा घटना के समय घर में थी।उन्होंने गोली मारने वाले को पहचान भी लिया था।

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इस सम्बन्ध में लखीसराय पुलिस थाने में कांड संख्या 443/ 2014/ दर्ज कराई गई।उनकी हत्या के पीछे बालिका विद्यापीठ के संपत्ति और भूमि का विवाद था।

इस मामलें शम्भू शरण सिंह, श्याम सुंदर प्रसाद और राजेंद्र सिंघानिया को निजी प्रतिवादी बनाया गया।कुछ दिनों की जांच के बाद इस मामलें की जांच का जिम्मा सीआईडी को 2014 में सौंप दिया गया।

लेकिन सीआईडी द्वारा मामलें की जांच में कोई तत्परता नहीं दिखाई गई।2016 से 2019 तक तो केस डायरी भी नहीं लिखी गई।2014 में ये हत्या हुई थी,लेकिन दिसंबर,2022 तक इस मामलें में कोई प्रगति नहीं हुई।चूंकि इस मामलें प्रभावशाली लोग शामिल थे,इसलिए जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी।आठ सालों में इस हत्याकांड की जांच नहीं पूरी हुई।

हाईकोर्ट ने इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए जांच का सीबीआई को सौंपते हुए सीआईडी को दो सप्ताह के भीतर सारे रिकॉर्ड और कागजात सीबीआई को उपलब्ध कराने को कहा।इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामलें को निष्पादित कर दिया।

पटना हाईकोर्ट में पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई 13 दिसंबर,2022 को की जाएगी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने इससे पूर्व की सुनवाई में स्पष्ट किया किया था कि अतिक्रमणकारियों को पूरा अतिक्रमित भूमि खाली करनी होगी।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया था कि कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को ये पूरी जमीन को हर हाल में खाली करना होगा।

कोर्ट को भी सहानुभूति है, लेकिन इस सरकारी जमीन को खाली करना होगा। इस मामले में कोर्ट ने पूर्व में ही कोर्ट ने दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमण हटाकर अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था।

इस नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है। सम्बंधित अंचलाधिकारी ने 5 मई, 2022 को ही कोर्ट को स्वयं बताया था कि अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा।

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सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है।

कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके।

इस मामलें पर 13 दिसंबर,2022 को सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई 14 दिसंबर,2022 को की जाएगी

पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई 14 दिसंबर,2022 को की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर गहरा असंतोष जाहिर किया था। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कदम नहीं उठाए गए है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।

साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा था।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

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उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।

जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 14 दिसंबर,2022 को होगी।

नीतीश कुमार अब तेजस्वी को सत्ता सौंप कर शिवानंद के आश्रम जाएँ – सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष ललन सिंह, दोनों को कुढनी में हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्हें तेजस्वी यादव को सत्ता सौंप कर शिवानंद के आश्रम चले जाना चाहिए।

  • मुख्यमंत्री और ललन सिंह लें कुढनी में हार की जिम्मेदारी
  • सात दलों का चक्रव्यूह तोड़कर भाजपा बनी अभिमन्यु

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार का जनाधार खत्म हो चुका है। उन्हें अब जदयू का राजद में विलय भी जल्द ही कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ललन सिंह कुढनी में अपनी जाति का वोट भी पार्टी को नहीं दिलवा सके। मुख्यमंत्री की सभाएँ बेअसर रहीं।

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श्री मोदी ने कहा कि कुढनी और गोपालगंज, दोनों चुनाव क्षेत्रों में भाजपा ने सात दलों का चक्रव्यूह तोड़कर कर स्वयं को आधुनिक अभिमन्यु सिद्ध किया। यह बिहार में बड़े बदलाव का साफ संकेत है।

पटना हाइकोर्ट ने मोतिहारी शहर मे अवस्थित मोतीझील के दयनीय रखरखाव और प्रशासनिक उपेक्षा पर गहरा असंतोष जाहिर किया

पटना हाइकोर्ट ने मोतिहारी शहर मे अवस्थित मोतीझील के दयनीय रखरखाव और प्रशासनिक उपेक्षा पर गहरा असंतोष जाहिर किया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता कुमार अमित की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि प्रधान सचिव नगर विकास विभाग, पर्यटन,जल संसाधन, वन विभाग इत्यादि के साथ बैठक कर इस झील को अतिक्रमणमुक्त करने और जीर्णोद्धार कराने की कार्रवाई करें।

अगली सुनवाई में की गई कार्रवाई का रिपोर्ट करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया गया है।अधिवक्ता कुमार अमित ने कोर्ट को बताया कि मोतिहारी शहर में एक रमणीय और प्राकृतिक झील है,जिसे मोतीझील के नाम से जाना जाता है।प्रशासनिक उपेक्षा और लगातार रखरखाव नहीं होने के कारण ये झील अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि न सिर्फ इस झील क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हुआ है,बल्कि शहर की गंदगी और अस्पतालों का कचरा झील में ही गिराया जाता है।जंगल झाड,लगातार बढ़ते प्रदूषण और कीचड के कारण इसके अस्तित्व पर ही संकट आ गया है।

अधिवक्ता कुमार अमित ने कोर्ट को जानकारी दी कि यहाँ का नगर निगम भी इसकी देख भाल नहीं करता है।प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार इस सुंदर झील का अस्तित्व कर सकता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 23 दिसंबर ,2022 को होगा।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए जांच की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया

The BiharNews Post : December 8, 2022
पटना हाईकोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए जांच की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई की।

आज की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित रही।

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कोर्ट ने कहा कि इस मामलें की समग्रता में जांच नहीं किया गया हैं।पुलिस अधिकारियों को विस्तार और गहराई से जांच पड़ताल करने की आवश्यकता है।

अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब हैं।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एस आई टी टीम का नेतृत्व करने वाली पुलिस अधिकारी को कोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

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हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई में 12,जनवरी,2022 को की जाएगी।

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कुढनी में भाजपा जीत के बाद इस्तीफा दें नीतीश कुमार – सुशील कुमार मोदी

The BiharNews Post : December 8, 2022
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि
भाजपा को धोखा देकर जदयू के राजद से हाथ मिलाने को जनता ने नकार दिया है, इसलिए गोपालगंज और कुढनी में हार के बाद नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए।

  • जदयू का अतिपिछड़ा वोट खिसका, मुख्यमंत्री की लोकप्रियता खत्म
  • लालू प्रसाद के इलाज पर इमोशनल कार्ड खेलना काम नहीं आया
  • कुढनी की जनता का आभार, केदार गुप्ता को बधाई

श्री मोदी ने कहा कि तीन में दो उपचुनावों में भाजपा की जीत से साफ है कि अतिपिछड़ा वोट पूरी तरह भाजपा के साथ आ गया है।

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उन्होंने कहा कि 2014 के संसदीय चुनाव में जदयू के सिर्फ दो सीट जीतने पर नीतीश कुमार ने हार की जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, वैसे ही कुढनी में हार के बाद उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने कुढनी में कई सभाएँ की थीं। करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये गए थे और लालू प्रसाद के किडनी ट्रांसप्लांट के बहाने इमोशनल कार्ड भी खेला गया था।

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उन्होंने कहा कि कुढनी में मुकेश सहनी के जरिये भाजपा के वोट में सेंधमारी की चाल भी बेकार गई।

श्री मोदी ने कुढनी की जीत के लिए क्षेत्र की जनता को धन्यवाद दिया, कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया और विजयी प्रत्याशी केदार गुप्ता को बधाई दी।

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पुलिस के भू-माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर सुनवाई पटना हाइकोर्ट में हुई

The BiharNews Post : December 8, 2022
पटना हाइकोर्ट ने पुलिस के भू माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर सुनवाई की। जस्टिस संदीप कुमार ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को घटना की वीडिओ को पेनड्राइव में राज्य सरकार के अधिवक्ता और प्रतिवादियों को देने का निर्देश दिया।

इस मामलें याचिकाकर्ता सजोगा देवी है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 20दिसम्बर, 2022 को की जाएगी।

आज कोर्ट में पूर्वी पटना के एस पी, पटना सिटी के सी ओ और अगमकुआं थाना के एस एच ओ के साथ इस घटना में गए पुलिस अधिकारियों कोर्ट में उपस्थित हो कर अपनी स्थिति स्पष्ट की।

कोर्ट ने कहा कि बिना किसी न्यायिक या अर्ध न्यायिक आदेश के मकान तोड़ा जाना अवैध है।उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह पुलिस कार्रवाई करेगी,तो अराजकता फैलेगी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब ऐसे ही पुलिस काम करेगी,तो सिविल कोर्ट बंद कर दिया जाए।

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आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से इस बात से इंकार किया कि इस घटना में बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया।उन्होंने कोर्ट को घटना की तस्वीरें भी दिखाई गई।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस के मनमाने रवैए पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या यहाँ भी बुलडोजर चलेगा।पुलिस थाने मे पैसा दे कर मनमाने काम करवाए जा सकते है।क्या सारी ताकत पुलिस को मिल गई है क्या।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि भू माफिया के शह पर याचिकाकर्ता व उसके परिवार वालो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इस प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश देते हुए उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 दिसंबर,2022 को फिर होगी।

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