पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन के वर्ष 2023-2025 कार्यकाल के लिए पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिये वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार को रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) निर्वाचित किया गया है। इसको लेकर एडवोकेट्स एसोसिएशन की जनरल बॉडी की मीटिंग बुलाई गई थी।
रिटर्निंग ऑफिसर उक्त चुनाव का संचालन करवाएंगे। वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि एक तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है। चुनाव होली के बाद होगा।
श्री वर्मा ने बताया कि एडवोकेट्स एसोसिएशन अधिवक्ताओं का राज्य का सबसे बड़ा एसोसिएशन है। इसके तकरीबन सात हजार पांच सौ सदस्य हैं। एसोसिएशन के पास लगभग एक करोड़ 82 लाख का रिज़र्व है।
वर्तमान कार्यकाल में एयर कंडीशनर लगवाने, वकीलों के बैठने की व्यवस्था का विस्तार, कोविड में आर्थिक मदद, कोविड टीकाकरण में सहयोग व मुकदमों के निष्पादन में सहयोग समेत कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य किये गए।
पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामलें पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया।
वित्त,राजस्व,विधि व अन्य सम्बंधित अधिकारी इस बैठक में शामिल हो कर भूमि उपलब्धता और अन्य समस्यायों पर विचार करेंगे।16 फरवरी,2023 को बैठक होगी।ये कमिटी 20 फरवरी,2023 को अपना रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है।साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया था,जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है।
पूर्व की सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था।
श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 फरवरी,2023 को की जाएगी।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अधिकांश धान की कुटाई उसना चावल मिलों से कराने के तुगलकी फरमान के चलते धान खरीद, कुटाई और किसानों को धान के मूल्य का भुगतान करने की पूरी प्रक्रिया चरमरा गई है। धान खरीद के लिए केवल सात दिन का समय बचा है, जबकि खरीद 45 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबवे केवल 32 लाख मीट्रिक टन (एमटी) हुई।
अधिकांश धान उसना चावल मिलों को देने के तुगलकी फरमान से पैक्स गोदाम में जगह नहीं
अरवा चावल मिलों को भी धान लेने की अनुमति दे सरकार
अगले सीजन में उसना चावल मिलों की संख्या बढायें
श्री मोदी ने कहा कि राज्य में उसना चावल की खपत ज्यादा है, लेकिन उसना चावल बनाने वाली मिलें कम ( मात्र 156) हैं। अरवा चावल की मिलें ज्यादा (2500) हैं।
उन्होंने कहा कि 32 लाख एमटी धान से 30 लाख एमटी चावल तैयार होना था, लेकिन केवल 6लाख एमटी चावल तैयार हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि सरकार नियमों को और शिथिल कर अरवा चावल मिलों को भी धान कुटवाने की अनुमति देे और अगले खरीद सीजन में उसना चावल मिलों की संख्या दोगुना बढाने के उपाय करे, ताकि किसानों को धान बेचने और भुगतान पाने के लिए लंबा इंतजार न करना पडे।
उन्होंने कहा कि एक चावल मिल से 25-30 पैक्सों को सम्बद्ध करने से एक पैक्स से धान लेने की बारी महीने भर बाद आ रही है। लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। पैक्स गोदाम भरे पड़े हैं। उनके आगे ट्रकों की लाइन लगी है।
श्री मोदी ने कहा कि अन्नदाता परेशान हैं। उनके धान खरीदने में समस्याएं आ रही हैं,लेकिन मुख्यमंत्री समाधान यात्रा में इस मुद्दे का संज्ञान तक नहीं ले पाये।
पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामलें बिहार राज्य के ए डी जी कमल किशोर सिंह कार्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था। राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।
इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है। कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।
जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।
इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।
इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।
Patna High Court में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।
उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवन में चल रहे है,लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है,उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।
पटना हाईकोर्ट ने रेप के आरोप में गया में डीएसपी के पद पर रहे पुलिस अधिकारी श्री कमला कांत प्रसाद की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज किया। जस्टिस राजीव रॉय ने ये आदेश दिया।
कोर्ट का कहना था कि पीड़िता याचिकाकर्ता की बेटी की उम्र की थी। दशहरा के समय जब कोई स्टाफ मौजूद नहीं था, तो अपने आधिकारिक क्वार्टर का दुरुपयोग करते हुए पुलिस अधिकारी ने पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया।
ये मामला महिला थाना कांड संख्या 18/ 2021 से जुड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता घटना के वक्त गया में डीएसपी हेडक्वार्टर के तौर पर पदस्थापित था।
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा का कहना था कि प्राथमिकी दर्ज करने में असामान्य रूप से देर किया गया था। वही, पीड़िता/ इंफॉर्मेंट के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव का कहना था कि पीड़िता को सेविका (मेड सर्वेंट) के रूप में रखा गया था।
उसे याचिकाकर्ता की पत्नी की सेवा करने के लिए पटना जाना था। इसी के लिए पीड़िता के भाई ने याचिकाकर्ता के सरकारी क्वार्टर पर लाया था।
उसे कैंपस में छोड़ दिया था, ताकि उसे गया से पटना दूसरे दिन ले जाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने केरल हाईकोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस विनोद के. चंद्रन को पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त करने की अनुशंसा की है । फ़िलहाल पटना हाई कोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्य कर रहे हैं।
जस्टिस के. विनोद चंद्रन को जज के रूप 08 नवंबर, 2011 को नियुक्त किया गया था।वह 24 अप्रैल, 2025 को सेवानिवृत होने वाले हैं।
केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद जस्टिस विनोद के. चंद्रन पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे ।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने भले ही तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है, लेकिन उन्हें न उनकी पार्टी स्वीकार करेगी और न बिहार की जनता लालू-राबड़ी के उस डरावने दौर में लौटना चाहेगी।
लालू-राबड़ी राज के दौर में नहीं लौटना चाहता प्रदेश
लालू-नीतीश को दिये गए 15-15 साल, अगला सीएम भाजपा का होगा
श्री मोदी ने कहा कि लोग उस दौर को नहीं भूले हैं, जब हत्या ,बलात्कर, फिरौती के लिए अपहरण और लूटपाट की घटनाएँ आम थीं, लेकिन विकास ठप था। बाजार शाम को ही अपराधियों के डर से बंद हो जाया करते थे।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को देखते ही लोगों को याद आ जाता है वह दौर , जब सड़कें जर्जर थीं, गांव लालटेन युग के अँधेरे में थे और शहरों को बमुश्किल 10 घंटे बिजली मिलती थी।
श्री मोदी ने कहा कि जनता ने लालू-राबड़ी परिवार और नीतीश कुमार को 15-15 साल देकर देख लिया।
उन्होंने कहा कि अब 2025 में या जब भी विधानसभा के चुनाव होंगे, जनता भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार को एक मौका अवश्य देगी। अगला मुख्यमंत्री भाजपा का होगा।
पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने वकीलों की टीम को निर्माण कार्य का निरीक्षण कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण के लिए इस सप्ताह के अंत में जाएगी। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में आ रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।
पिछली सुनवाई में इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।इससे पूर्व में भी कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।
इस राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में बाधा बने धार्मिक स्थलों सहित स्कूल तथा अन्य अवरोध को हटाने के लिए कोर्ट ने जहानाबाद तथा गया के डीएम एवं एसपी को निर्देश दिया था।
कोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का आदेश दिया था।कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।
वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रही है।
इस मामलें पर 14 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।
पटना । बुधवार को बिहार सचिवालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैबिनेट की चल रही मीटिंग खत्म हो गई है। मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण एजेंडों पर मुहर लगी है। इस बैठक में कुल 18 एजेंडों पर कैबिनेट की मुहर लगी है।
CM कैबिनेट बैठक में सरकार ने युवाओं के लिए बड़ा फैसला किया है। टीचरों के लिए बड़ा उपहार दिया है। राज्य में अब मिडिल और हाई स्कूलों में स्टूडेंट के लिए कंप्यूटर टीचर बहाल होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने 7360 पदों का सृजन किया है। सभी मिडिल और हाई स्कूलों में एक – एक कंप्यूटर टीचर का पद सृजन किया गया है।
नीतीश कैबिनेट की खास बातें
सरकारी स्कूल कंप्यूटर के शिक्षक होंगे बहाल
सरकार ने 7360 पदों का सृजन किया है
सासाराम प्रमंडलीय व्यवहार न्यायालय एवं कैदी हाजत भवन के लिए राशि स्वीकृत
33 करोड़ 81 लाख रुपये की राशि हुई स्वीकृति
छपरा नगर निगम में नमामि गंगे परियोजना के लिए 254 करोड़ की मंजूरी
पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को सौगात
7 जिलों में 100 बेड के छात्रावास का कराया जाएगा निर्माण
छात्रावास के लिए 4 करोड़ 98 लाख रुपये की स्वीकृति
गोपालगंज के भोरे में एक नए बिजली सब स्टेशन, संचरण लाइन एवं हथुआ ग्रिड सब स्टेशन में दो लाइन बे निर्माण के लिए 123 करोड़ 83 लाख रुपये की योजना की स्वीकृति दी गई है । वहीं सासाराम प्रमंडलीय व्यवहार न्यायालय एवं कैदी हाजत भवन के लिए 33 करोड़ 81 लाख रुपये की राशि स्वीकृति की है । साथ ही छपरा नगर निगम में नमामि गंगे परियोजना के लिए 254 करोड़ की मंजूरी दी है । इसके अलावा बैठक में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं का भी ध्यान रखा गया है। सरकार ने 7 जिलो में 100 बेड के छात्रावास का निर्माण कराया जाएगा। जिसके लिए 4 करोड़ 98 लाख रुपये की राशि स्वीकृति की गई है ।
साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत संचालित 38 राजकीय अभियंत्रण महाविधालय एवं 46 राजकीय पोलटेक्निक संस्थान में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत पीएचडी और एमटेक डिग्री में नामांकन के लिए शिक्षकों को अनुमति और अवकाश की स्वीकृति मिली है।
नीतीश कैबिनेट ने उर्जा विभाग, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सामान्य प्रसाशन विभाग, शिक्षा विभाग, समेत अन्य विभागों से जुड़े महत्वपूर्ण एजेंडों पर मुहर लगाई है।
इसके साथ ही खगड़िया में चौथम अंचल में जवाहर नवोदय विद्यालय खगड़िया की स्थापना के लिए फ्री जमीन हस्तांतरित किया गया है। इसके अलावा रोहतास न्यायमंडल अंतर्गत अनुमंडलीय के व्यवहार न्यायालय में 10 कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 33 करोड़ 81 लाख 82 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई है।
पटना हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।
राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है।कोर्ट ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार के महाधिवक्ता पी के शाही को दो तीन वरीय आई पी एस अधिकारियों के नामों का सुझाव देने को कहा,जो कोर्ट और राज्य सरकार के मध्य कॉर्डिनेट करें।
जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी कोर्ट के अधिकारी के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।
इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।
इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।लगभग आठ सौ थाने ऐसे है,जो सरकारी भवन में चल रहे है। उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।
कोर्ट ने उनके द्वारा दिए गए तथ्यों को सुनते हुए कहा कि आगे की सुनवाई में इन मुद्दों विचार किया जाएगा।इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।
पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है। साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया है,जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है।कोर्ट ऐसे जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेगा।
पिछली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था।
वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था।
पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 9 फरवरी,2023 को की जाएगी।
पटना हाई कोर्ट ने समस्तीपुर में कथित रूप से जाली राशन कार्ड जारी करने के मामलें में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मोहम्मद इशाक़् की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि समस्तीपुर ज़िला में बड़े पैमाने पर जाली राशन कार्ड का धंधा चल रहा है। जो लोग वहां के निवासी भी नहीं है, उनके नाम भी राशन कार्ड में शामिल है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो लोग मर चुके है,उनके नाम भी राशन कार्ड में लगे हुए है।उनका कहना था कि गरीबों को सब्सिडी पर दिए जाने वाले अनाज और किरासन तेल टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (कंट्रोल) आर्डर, 2015 के विपरीत गलत लोगों को दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामलें न जाली राशन कार्ड का मामला है,बल्कि पीडीएस को चलाने वाले भी आम जनता को लूट रहे है।उन्हें घटिया अनाज दे रहे है और वह भी पूरा बजन नहीं दे रहे है और लाभ कमा रहे है।
इसकी शिकायत पिछले साल समस्तीपुर के जिलाधिकारी से की गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं देखने को मिला।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।
इस मामले में आगे की सुनवाई अब चार सप्ताह बाद कि जाएगी।
पटना हाइकोर्ट ने निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर कड़ा रुख अपनाया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस तरह की गलत जनहित याचिकाओं के दायर करने वाले सख्त चेतावनी दी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाओं के दायर करने वालोंं की न सिर्फ याचिकाएं खारिज की जाएगी,बल्कि उन पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिकाओं का उद्देश्य जनता से जुड़े उचित मामलों को कोर्ट के समक्ष लाना,न कि अपनी निजी स्वार्थ के लिए जनहित याचिकाओं का दुरूपयोग करना।
कोर्ट ने आज ही जनहित याचिका के रूप में कॉन्ट्रेक्ट से सम्बंधित मामलें दायर करने पर याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलें को जनहित याचिका के रूप में दायर करना इस व्यवस्था का दुरूपयोग है।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो माह के भीतर ये राशि बालसा के खाते में डालने का निर्देश दिया।
इसी तरह के एक अन्य मामलें जनहित याचिका को निजी स्वार्थ वाला कहा।इस मामलें में याचिकाकर्ता पर पाँच हज़ार रुपये का आर्थिक दंड लगाया।कई दायर जनहित याचिकाओं को अधिवक्ताओं ने खुद ही वापस ले लिया।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्य सभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जातीय और सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है।
छपरा में राजद समर्थकों द्वारा एक युवक की निर्मम पिटाई कर हत्या के बाद आज तक मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पूरे इलाके में भारी तनाव है। हत्या के बाद आक्रोश में क्रूद्ध भीड़ द्वारा की गई घटनाओं की आड़ में निरपराध लोगों को परेशान कर रही है। अपराधियों को पकड़ने के बजाय आम नागरिकों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है।
उसी प्रकार गोपालगंज में क्रिकेट के दौरान एक युवक की हत्या के बाद इलाके में काफी तनाव है।
महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद समर्थित अपराधी निरंकुश हो गई है। सत्ता संरक्षण के कारण पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री भी राजद समर्थकों पर कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं।
श्री मोदी ने छपरा और गोपालगंज में लोगों से शांति बनाए रखने और उत्तेजित नहीं होने की अपील की है और अविलंब अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
पटना हाइकोर्ट ने राज्य भारत सरकार के योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना में आयी धनराशि में अनियमितता बरतने के मामलें को गम्भीरता से लिया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने हरि नारायण पासवान की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के अपर प्रधान सचिव को राज्य में इस तरह की अनियमितता की जांच करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमन कुमार सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि समस्तीपुर ज़िला के सिंघिया प्रखंड के तहत बारी ग्राम पंचायत राज के मुखिया ने केंद्रीय योजना के तहत आये फंड का दुरूपयोग किया है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो पंचायत को फंड मिला,उसमें मुखिया ने अनियमितता बरती।उन्होंने अफसरों की मिलीभगत से फंड का दुरूपयोग किया।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस अनियमितता की जानकारी देते हुए उच्च अधिकारियों को कई बार अभ्यावेदन(रिप्रेजेंटशन) दिया गया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला।
आज कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को राज्य में इस योजना में हुए घपले की करने के छह सप्ताह का समय दिया।इस मामलें पर अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद की जाएगी।
पटना हाइकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों में भी कोर्ट आदेश क्यों देना होता है। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह कि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है।
कोर्ट ने पटना समेत राज्य के सभी जिलों के सम्बन्ध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई में पूरा रिपोर्ट चार्ट के रूप में पेश करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने ये जिम्मेदारी अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है।कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की थी।
अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है।इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के बहुत से स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं पढ़ती है।इनकी संख्या काफी अधिक होने के वाबजूद भी कई स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए एक ही शौचालय है।
उन्होंने बताया कि नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं।पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियों बीच में ही पढ़ाई क्यों छोड़ देती हैं।
उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है।डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं।
उन्होंने कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में क्या कहा जा सकता हैं।
इस् मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 13फरवरी,2023 को तय की गई है।
जस्टिस पी वी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन वह कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।इस परीक्षा में राज्य में 214सिविल जज(जूनियर डिवीजन)- न्यायिक दंडाधिकारी परीक्षा में सफल हुए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि की न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियाँ , इस मामले में पारित अंतिम फैसले के फलाफल पर निर्भर करेगा। रिट याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि चयन करने वाली बिहार लोक सेवा आयोग ने भर्ती नियमावली और इस परीक्षा हेतु प्रकाशित विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन किया है।आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में प्रथम दृष्टया अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुलाकर पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी किया है।आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फ़ीसदी अंक कम था।
एक और भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में 5 फ़ीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है ,लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया।
शानू ने दूसरा आरोप यह लगाया के इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी ,जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 फ़ीसदी कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फ़ीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया।
वहीं दूसरी तरफ यह रिट याचिका कर्ता, जिन्हें औसतन मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ से 80 फ़ीसदी अधिक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया। पूरे साक्षात्कार की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने पूरे रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया की कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण दोष के आधार पर नए सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार कराया जाए।
हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी।
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उद्योगपति गौतम अडाणी के मामले में कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है और संसद में चर्चा करने के बजाय सदन को बाधित कर रही है।
अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस, नीतीश और वामपंथियों का चरित्र दोहरा
बिहार सरकार ने इंवेस्टर्स मीट में अडाणी के प्रतिनिधि को क्यों आमंत्रित किया ? क्या नीतीश कुमार बिहार को बेच रहे थे?
राजस्थान में अशोक गहलोत ने अडाणी से सौर ऊर्जा क्षेत्र में 65000 करोड़ का निवेश कराने के लिए कौड़ियों के भाव जमीन दी।
केरल सरकार आडानी द्वारा बनाए जा रहे विझिजाम अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह के पक्ष में खुटा ठोक कर कड़ी है।
अडाणी मुद्दे पर सरकार संसद में चर्चा के लिए तैयार, इसमें न सरकार की कोई भूमिका, न कोई रियायत दी गई।
श्री मोदी ने कहा कि राहुल गांधी “भारत जोड़ो यात्रा” के दौरान अडाणी समूह पर अनर्गल आरोप लगाते रहे, जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अडाणी से सौर ऊर्जा क्षेत्र में 65000 करोड़ का निवेश कराने के लिए इसी अडाणी समूह को कौड़ियों के भाव जमीन देने की घोषणा करते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही नहीं, बिहार में नीतीश कुमार और केरल में वाम मोर्चा सरकार भी अपने यहाँ पूंजी निवेश के लिए तो अडाणी की आरती उतारते हैं, लेकिन जब इस समूह को भाजपा शासित राज्य में कोई काम दिया जाता है, तब “देश बेच दिया” का शोर मचाया जाता है।
श्री मोदी ने कहा कि अगर अडाणी समूह में पेशेवर ईमानदारी की कमी है, तो बिहार सरकार ने इंवेस्टर्स मीट में अडाणी के प्रतिनिधि को क्योंआमंत्रित किया था? नीतीश कुमार ने उनसे निवेश की अपील क्यों की थी? तब क्या नीतीश कुमार बिहार को बेच रहे थे ?
उन्होंने कहा कि अडाणी को लेकर विपक्षी पाषंड की पराकाष्ठा यह कि केरल की वाम मोर्चा सरकार विझिजाम में बन रहे अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह के पक्ष में खडी है, जबकि स्थानीय जनता आडानी द्वारा विझिजाम में बन रहे अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाह का विरोध कर रही है।
राजस्थान और केरल के अलावा छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और आंध्र प्रदेश में राज्य सरकारों के सहयोग से आडानी समूह खरबों रुपए का निवेश कर रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि अडाणी समूह के मुद्दे पर केंद्र सरकार नियमानुसार चर्चा के लिए तैयार है। राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट पर जो कुल 24 घंटे चर्चा के लिए तय हैं, उसमें विपक्ष कम से कम 6 घंटे अडाणी सहित किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रख सकता है। लेकिन विपक्ष की मंशा चर्चा की नहीं, केवल हंगामा कर प्रचार पाने की है।
उन्होंने कहा कि अडाणी मामले में न सरकार की कोई भूमिका है और न इस समूह को कोई रियायत देने या पक्षपात करने का प्रमाण सामने आया है। विपक्ष का अभियान दुराग्रह और दोहरेपन से संचालित है।
श्री मोदी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने साफ कर दिया है कि अडाणी समूह को जो भी कर्ज दिये गए हैं, उसके एवज में आर्थिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की गई है।
उन्होंने कहा कि जब अडाणी के शेयर संबंधी मामलों की निगरानी सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक कर रहे हैं, तब विपक्ष को छाती पीटने की जरूरत नहीं है। देश की अर्थव्यवथा ईमानदार और मजबूत हाथों में है।
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पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने इंफ्रास्ट्रक्चर आई टी को बढ़ावा देने को लेकर लखीसराय(किऊल) में रेलवे कोर्ट बिल्डिंग का उदघाटन किया गया। साथ ही साथ गया में मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग के निर्माण, जजों के लिये गेस्ट हाउस तथा गया में 80 पी ओ क्वार्टर के लिए आधार शिला रखने का काम किया गया।
‘ गो ग्रीन ‘ और पेपरलेस के अनुरूप, राज्य के सभी न्यायालयों में ई – फाइलिंग 3.0 की भी शुरुआत चीफ जस्टिस ने पटना हाई कोर्ट में किया। पटना हाई कोर्ट में ई- रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर का उदघाट्न भी हुआ। इसके शुरू हो जाने से रजिस्ट्री का फ़ाइल पेपरलेस प्रोसेसिंग के जरिये डिजिटल मोड में हो जाएगी।
इसका आयोजन जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह व जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह समेत पटना हाई कोर्ट के अन्य जजों की उपस्थिति में किया गया। इस मौके पर पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि सचिव, राज्य के सभी जिला जज और न्यायिक अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित थे।
इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के उदघाटन से न सिर्फ जजों को फायदा होगा, बल्कि अधिवक्ताओं के साथ ही साथ आम लोगों को भी। यह न्याय आम लोगों को आसानी से पहुंचाने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा।