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पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 16 अगस्त,2022 को फिर सुनवाई की जाएगी

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर कर रहे है सुनवाई। आज कोर्ट में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बहस की।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी मकान बने है,उनका निर्माण वैध ढंग से नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि नागरिकों के अधिकार के बिना कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवास बोर्ड ने जो भी नियमों के उल्लंघन मकान बने है,उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया,लेकिन वे नहीं आवास बोर्ड के समक्ष नहीं आए।

इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता है।

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पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी भी बड़ी भागीदारी हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को अबतक घेरा नहीं गया है।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 16अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई 18 अगस्त,2022 को होगी

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को चार सप्ताह में बताने को कहा था कि इस मामलें को जांच के लिए क्यों नहीं सी बी आई सौंपा जाए।

आज महाधिवक्ता ललित किशोर ने स्वयम उपस्थित होकर कोर्ट से कुछ समय माँगा,जिसे कोर्ट ने मान लिया।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जानना चाहा था कि कि इस तरह की अमानवीय घटना के मामलें में राज्य सरकार ने क्या किया।राज्य सरकार को इस मामलें ज्यादा संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

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इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 46 हज़ार होने की सम्भावना है। बीमा राशि लेने के चक्कर में 82 पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 18अगस्त,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर अगली सुनवाई 17 अगस्त,2022 को की जाएगी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा गौरव सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही हैं।

राज्य सरकार को कोर्ट ने पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए अगली सुनवाई में जवाब देने को कहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को राज्य के एयरपोर्ट के सुधार पर बैठक कर अगली सुनवाई में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था।

इससे पहले की सुनवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट में राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें को उठाया था।उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी को तलब किया गया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और वर्तमान निर्देशक को भी तलब किया था।

इस मामलें पर पुनः 17 अगस्त,2022 को सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट ने मैथिली विषय में 43 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की बहाली से संबंधित मामले की सुनवाई की

जस्टिस मोहित कुमार शाह ने श्वेता भारती व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फ़िलहाल परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है ।

कोर्ट ने कहा कि इस रिट याचिका के अंतिम परिणाम पर रिज़ल्ट निर्भर करेगा है । याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पुरुषोत्तम कुमार झा ने कोर्ट को बताया कि अभ्यर्थियों की गणना के अनुसार बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा उन्हें अंक नहीं दिए गए ।

बहाली में जेनरल श्रेणी में आने वाले अभ्यर्थियों के लिए 81 मार्क्स का कटऑफ़ निकाला गया था।याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उनके योग्य रहने के बावजूद उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया,जबकि मानदंड के अनुरूप कुल बहाली के तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने दुर्भावनापूर्ण तरीक़े से अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत परिणाम नहीं प्रकाशित किए।

साथ ही तथ्यों को तोड़ मोड़ कर कोई गड़बड़ी करने की फ़िराक़ में हैं । इस मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी ।

पटना हाईकोर्ट में लोकायुक्त व अन्य सदस्यों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई टल गयी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ वेटरन फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

इस जनहित याचिका में यह कहा गया कि भारत में भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामलें में प्रभावशाली लोग लिप्त रहते हैं।इस प्रकार के मामलों को देखने के लिए लोकायुक्त के संस्था की स्थापना की गई है।

बिहार में फरवरी,2022 से लोकायुक्त व अन्य सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं।इसके पहले फरवरी,2017 में पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस श्याम किशोर शर्मा बिहार के लोकायुक्त पद पर आसीन हुए।

फरवरी,2022 में लोकायुक्त श्याम किशोर शर्मा इस पद से सेवानिवृत हुए। उसके बाद से ये पद रिक्त पड़ा हैं।1973 में इसकी स्थापना सरल व त्वरित न्याय दिलाने के लिए की गई है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि इस दौरान लगातार पीड़ित लोगों द्वारा मामलें दायर किये जा रहे हैं, लेकिन इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर मामलें बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित पड़े हैं।

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उन्होंने बताया कि इससे वादों का निपटारा नहीं हो पा रहा हैं। इससे जहां लोगों की कठिनाइयां बढ़ी है,वहीं लोगों में असंतोष की भावना लगातार बढ़ रही हैं।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि लोकायुक्त कार्यालय में दो जज और एक सदस्य अन्य क्षेत्र से लिए जाते हैं।पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज मिहिर कुमार झा और कीर्ति चन्द्र साहा 17मई,2021 को सेवा निवृत हो गए।

सरकार को लोकायुक्त समेत अन्य रिक्त पदों को शीघ्र भरे जाने की जरूरत हैं,ताकि इन मामलों का निपटारा हो सके और लोगों को न्याय मिल सके।

इस संस्था का दुरपयोग नहीं हो इसके लिए काफी सख्त कानून बनाए गए हैं।अगर कोई व्यक्ति किसी को भ्रष्टाचार के झूठे आरोप में फंसाने के लिए मामला दर्ज कराएगा,तो वह स्वयम फंस जाएगा।उसके विरुद्ध तीन वर्ष कैद की सजा और पाँच हज़ार रुपये तक आर्थिक दंड का भी प्रावधान है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 11अगस्त,2022 को की जाएगी।

हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता के साथ हाथापाई एवं दुर्व्यवहार किए जाने के मामले पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें को गम्भीरता से लेते हुए शास्त्री नगर थाना के पुलिस कर्मियों को नोटिस जारी किया है।

इसके साथ साथ कोर्ट ने थाने की सीसीटीवी फुटेज को भी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है ।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता साकेत गुप्ता ने आरोप लगाया है कि वह 03 अगस्त की शाम को अपने परिचित अभिषेक कुमार एवं अन्य अधिवक्ताओं के साथ एक केस के सिलसिले में शास्त्री नगर थाना गए थे। उनके परिचित अभिषेक कुमार को शास्त्री नगर थाने में पदस्थापित एसआई स्मृति ने पूछताछ के लिए बुलाया था।

थाने में पूछताछ के दौरान एसआई स्मृति एवं लाल बाबू अभिषेक के साथ बदतमीजी और गाली गलौज करने लगे।

इसी दौरान जब अधिवक्ता साकेत ने उन्हें ऐसा करने से रोका ,तो इन दोनों एसआई ने अधिवक्ता साकेत, अधिवक्ता मयंक शेखर ऐवं अधिवक्ता रजनीकांत सिंह के साथ धक्का मुक्की करने लगे।

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इसका विरोध किए जाने पर एसआई लाल बाबू ने अधिवक्ता को पिस्तौल दिखा कर जान से मारने की धमकी दी और उन पर हाथ उठाया।

इस बात की शिकायत अधिवक्ता ने पटना के सिटी एसपी से भी की । हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए उक्त पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही करने हेतु नोटिस जारी किया है ।

सुनवाई में एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि पुलिस वालों की मनमानी काफ़ी बढ़ गई है । आए दिन सुनने में आता है कि पुलिस वकीलों एवं जनता के साथ बेहद बदतमीजी और रुखाई से पेश आती है ।इनके ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

इस मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट के मामले की सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि डी जी पी, बिहार ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर प्राथमिकी के कार्रवाई पर रोक लगा दिया हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार को अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर एफ आई आर वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। कल इस मामलें पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

एड्वोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि ये गलत ढंग से समझने के कारण ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया।इसे वापस लेने की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ की जाएगी

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किसी न्यायिक पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के पहले चीफ जस्टिस की अनुमति जरुरी हैं।इस मामलें में इस प्रक्रिया का पालन गलतफहमी में नहीं किया जा सका।
कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।

उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया था। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की थी।

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ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट किया है।साथ ही अपना सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल लिया।

इस मामलें में पुलिसकर्मियो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया।पुलिस ने भी जज के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर दिया,लेकिन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई सुनवाई ,24 अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई अधूरी रही

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई कर रहे है।

आज याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत किया गया।इससे पूर्व राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से भी कोर्ट में बहस किया गया।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।

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याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी भी बड़ी भागीदारी हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को अबतक घेरा नहीं गया है।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 11अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने चर्चित सृजन घोटाला मामलें की सुनवाई करते हुए सी बी आई के निर्देशक को एस आई टी का गठन कर मामलें की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सृजन घोटाला से जुड़े एक मामलें की सुनवाई की।कोर्ट ने तीन सप्ताह में सी बी आई को जांच की प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

ये मामला बैंकों से बसूली का है ।बिहार सरकार ने सृजन घोटाला मामलें में बैंकों से गबन की गई धनराशि के वसूली के लिए नोटिस जारी किया था।
बैंकों की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कहा कि राज्य सरकार को बैंकों से धनराशि वसूलने का कोई अधिकार नहीं हैं।हाईकोर्ट ने इस मामलें में सी बी आई को पहले ही नोटिस जारी किया था।


कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में ही सी बी आई को प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था,लेकिन उसकी ओर से कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत किया गया।

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कोर्ट ने इस मामलें में विस्तृत जानकारियां प्राप्त की।इस घोटाला में क्या गड़बड़ी हुई,इसमें किनकी भूमिका क्या थी,बैंक का पैसा सृजन नामक संस्था को कैसे मिली।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के ए डी जे अविनाश कुमार के साथ पुलिस बदसलुकी मामलें में पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि कल डी जी पी, बिहार और सम्बंधित एस पी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।उन्हें सलाखों के पीछे भेजेंगे।

ये मामला झंझारपुर के ए डी जे अविनाश कुमार के साथ पुलिस वालोंं के मारपीट और पिस्टल ताने जाने का हैं।ये घटना 18 नवम्बर,2021 को हुई थी।

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पुलिस वालोंं गवाही पर पुलिस ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज कर दी हैं।कोर्ट ने पुलिस के करतूत पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए डी जी पी और एस पी को कल तलब किया है।इस मामलें पर कल सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए पेड़ों के संरक्षण हेतु सात सदस्यीय कमिटी की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में दायर करने का निर्देश दिया

चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया ।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एक कमिटी बना कर पेड़ों के संरक्षण , नए पेड़ों के लगाए जाने ऐवं ग्रीन बेल्ट के निर्माण हेतु सात सदस्यीय कमिटी बनाई थी । इस कमिटी ने कई बैठकों के बाद अपना रिपोर्ट कोर्ट में दायर किया।

इस मामले की अगली सुनवाई 9 सितम्बर को होगी ।

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पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 4 अगस्त ,2022 को होगी

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई कर रहे है।

आज याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत किया गया।साथ ही राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से भी कोर्ट में बहस किया गया।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।

कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्पष्ट आदेश दिया था कि अगर इस तरह का निर्माण हो रहा हैं, तो उसे कड़ाई के साथ रोका जाए।साथ ही इस प्रकार के निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी बड़ी भूमिका हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को चारदिवारी नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि वहां पुलिस थाना और आवास बोर्ड के होते हुए इस तरह से अतिक्रमण कैसे हो गया।इसके लिए इन्होने क्या कार्रवाई की।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 4 अगस्त,2022 को होगी।

राज्य के पुलिस स्टेशनों को कंप्यूटरीकृत किये जाने के लिए दायर जनहित पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार जनरल, पटना हाईकोर्ट निर्देशक अभियोजन( गृह विभाग) और ए डी जी( एस सी आर बी) गृह विभाग को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने ए डी जी को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।ये जनहित याचिका अधिवक्ता ओम प्रकाश ने दायर की है।

जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि राज्य के बहुत से पुलिस स्टेशनों में कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है।इस कारण पुलिस स्टेशनों में आपराधिक मामलों की जांच और केस डायरी हाथों से लिखा जाता हैं।

हस्तलिखित जांच रिपोर्ट और केस डायरी पढ़ने में काफी असुविधा होती हैं,क्योंकि लिखावट स्पष्ट नहीं होता हैं।इससे कोर्ट को काफी मुश्किलें होती है और समय भी काफी जाया होता हैं।न्याय करने में भी कोर्ट को परेशानी होती हैं।

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता ओमप्रकाश की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने दिसंबर,2020 में हलफनामा दायर कर कहा था कि राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को शीघ्र कंप्यूटरीकृत कर लिया जाएगा,लेकिन अभी भी राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों को कंप्यूटरीकृत नहीं किया जा सका हैं।

इससे जहां न्यायिक पदाधिकारीगण को केस डायरी और जांच रिपोर्ट के अध्ययन में कठिनाई होती हैं,वहीं न्याय प्रशासन देने में विलम्ब होता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 11सितम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के मार्च, 2021मे राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कल तक टली

चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही हैं।

यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है।कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है।

उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

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31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना, 02 अगस्त 2022। पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :

1. नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करेगी।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।

2. पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी।जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करेंगे। राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने जवाब दायर कर दिया था।आज याचिकाकर्ता के वकील अपना बहस जारी रखेंगे।

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पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेत्रहीन बच्चों को आवास और शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूलों की स्थापना से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को चार सप्ताह में हलफनामा देने का निर्देश दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज कुमार रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

दिसंबर,2021 को राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए शपथ पत्र में सरकार ने यह स्पष्ट रूप से माना था कि इन संस्थानो में बड़ी संख्या में की रिक्तियां हैं,जिन्हें भरना अभी बाकी है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव हलफ़नामे द्वारा इन संस्थानो की स्थापना एवं कामकाज की वस्तुस्थिति स्पष्ट करायें । इस मामले पर अगली सुनवाई 29 अगस्त,2022 को होगी ।

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