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पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम को आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने के मामलें में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम को आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की थी।उन्होंने अपनी जनहित याचिका में यह कहा था कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से बालकों के कोमल ह्रदय व मन पर गहरा आघात होता है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि खुले में चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा जल्द से जल्द बंद कराया जाना चाहिए । उन्होंने बताया कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जानता के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।

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उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।साथ ही जनता को भी स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त मांस मछली मिल सके।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20अक्टूबर,2022 को होगी।

बिहार में उत्क्रमित स्कूलों की दयनीय हालत पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से जवाबतलब किया

इस सम्बन्ध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को 1नवंबर,2022 तक हलफनामा दायर कर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है।

बिहार सरकार ने राज्य सरकार ने 6564 प्राइमरी और मिडिल सरकारी स्कूलों को सेकंड्री और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उत्क्रमित कर दिया।लेकिन इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।

अधिकतर स्कूलों के पास नही तो पर्याप्त ज़मीन या क्लास रूम है।इन स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी हैं।छात्रों को पढ़ने के लिए मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी है।शुद्ध पेय जल,शौचालय, लेबोरेट्री,लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

इन स्कूलों को उत्क्रमित कर दिया गया है, लेकिन उन स्कूलों को आवश्यकता के अनुसार न तो मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है और न ही उनका विकास हो पाया हैं।ऐसे में किस प्रकार की शिक्षा दी जा सकती हैं।

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कोर्ट ने जानना चाहा कि निजी और सरकारी स्कूलों में भेदभाव क्यों किया जाता है।कोर्ट ने कहा कि अगर निजी स्कूलों के कोई मापदंडों पूरा नहीं करता, तो उन्हें सम्बद्धता नहीं मिलता है।लेकिन सरकारी स्कूलों की ऐसी स्थिति में भी उन्हें सारी सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध होती है।ऐसा भेदभाव क्यों होता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 1नवंबर,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

इस संबंध में कोर्ट द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमण हटाकर अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से आठ सप्ताह और समय देने का आग्रह किया गया, इसपर कोर्ट ने चार सप्ताह का मोहलत दिया है।

इसके पूर्व याचिककर्ता के अधिवक्ता द्वारा खंडपीठ को हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश के बारे में बताया गया। इस नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है। अंचलाधिकारी ने 5 मई, 2022 को ही कोर्ट को स्वयं बताया था कि अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा।

सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

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सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है।

कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके। कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। इस मामले पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किए जाने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने डी एम और एस पी, औरंगाबाद को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किया जाए।जस्टिस मोहित शाह ने इस मामलें पर सुनवाई करते डी एम और एस पी को सख्त चेतावनी दी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ,तो औरंगाबाद के डी एम और एस पी को कस्टडी में लिया जा सकता है।

कोर्ट ने इन अधिकारियो को कार्रवाई कर अगली सुनवाई में फिर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया। अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद द्वारा अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कोर्ट में तलब किया था।

आज कोर्ट में औरंगाबाद के एस पी भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।

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साथ ही जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमका रहे है।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 13अक्टूबर, 2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध रूप से चलने वाले ईंट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध रूप से चलने वाले ईंट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के मामलें पर सुनवाई की।अनमोल कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को की गई कार्रवाई का ब्यौरा अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बताया गया कि अभी बरसात के समय बहुत सारे ईंट भट्टे पानी में है।कुछ दिनों बाद ही इनकी जांच हो सकती हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि आपने सभी 102 ईट भट्टों को बंद करा दिया,लेकिन आपके होते हुए इतनी बड़ी संख्या में ये ईट भट्टे चल कैसे रहे थे।बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर कोर्ट को बताया गया कि अवैध रूप से चल रहे 102 ईट भट्टे को बंद करा दिया गया।

साथ ही ये भी कोर्ट से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ये भी कहा कि आगे अगर ऐसे अवैध रूप से ईट भट्टे चालू पाये गए,तो उन्हें तत्काल बंद करा दिया जाएगा तथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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एमिकस क्यूरी अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ईट भट्टे चलाने के क्रम में नियमों का खुला उल्लंघन किया गया।उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में तो ईट भट्टे ऐसे भी बंद ही रहते है।

उन्होंने कहा कि इन ईट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के कारण वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता हैं।

इस मामलें पर फिर अगली सुनवाई 14 नवंबर,2022 को की जाएगी।

राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई कल तक टली

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है |

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।

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लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12अक्टूबर,2022 को होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर आज निर्णय सुनाया

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओ बी सी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती,जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।

कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थानीय निकाय के चुनाव में इन पदों के आरक्षण नहीं होने पर इन्हें सामान्य सीट के रूप मे अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएँगे।

चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के 29 सितम्बर,2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था ,जिसे आज सुनाया गया।

गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10 अक्टूबर,2022 से शुरू होने वाले है।कोर्ट सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया।

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे,तो कर सकता है।

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दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।

पटना हाइकोर्ट में दुर्गा पूजा के अवसर पर 1अक्टुबर,2022 से 9अक्टुबर,2022 तक रहेगा अवकाश

पटना हाइकोर्ट में दुर्गा पूजा के अवसर पर 1 अक्टुबर,2022 से 9 अक्टुबर,2022 तक अवकाश रहेगा । 2 अक्टुबर,2022 को पटना हाइकोर्ट में गाँधी जयंती के लिए अवकाश रहेगा।

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पटना हाईकोर्ट पुनः 10 अक्टूबर,2022 को खुलेगा और सामान्य अदालती कामकाज प्रारम्भ होगा।

पटना हाईकोर्ट में मुज़फ़्फ़रपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 6 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के अपहरण के मामलें पर सुनवाई हुई

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें की सुनवाई करते हुए सीबीआई और निर्देशक,सी एफ एस एल,नई दिल्ली को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।

इस मामले की सुनवाई के दौरान एसएसपी मुज़फ़्फ़रपुर जयंतकांत ऑनलाइन उपस्थित थे।

अपहृता के वकील ओम प्रकाश प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि एसएसपी,मुजफ्फरपुर द्वारा आज़तक सिर्फ कागजी कार्रवाई किया जा रहा है। लगभग 3 महीना से सिर्फ पॉलीग्राफी टेस्ट का बहाना बना कर कोर्ट का समय बर्बाद किया जा रहा है।

पिछली सुनवाई मे अधिवक्ता के वकील ने कोर्ट को बताया था कि एक ऑडियो रेकॉर्डिंग है ,जिसमे संदिग्ध राहुल कुमार की आवाज है।वह अपहृत खुशी के बारे में जानता है।

इस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह ऑडियो क्लिप एस एस पी को दिया जाए। एसएसपी ऑडियो की पुष्टि करके करवाई करें।लेकिन जो शपथ पत्र एसएसपी के द्वारा हाई कोर्ट में फ़ाइल किया गया है ,उसमे ऑडियो क्लिप का कोई जिक्र नही किया गया।

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कोर्ट ने पाया कि इस कांड का उद्भेदन अब एस एस पी, मुज़फ़्फ़रपुर द्वारा नही हो सकता है।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 14.10.2022 तक सभी कागजात सीबीआई को मुहैया करवाई जाए। अगली तिथि को सीबीआई के वकील भी कोर्ट में उपस्थित रहेंगे

यह मामला 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण से जुड़ा है। इसका सुराग आज तक नहीं मिला है। खुशी के पिता मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली से संतुष्ट नही थे, जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर किया था।ये याचिका अधिवक्ता ओमप्रकाश ने याचिकाकर्ता की ओर से दायर किया था। इसमे याचिकाकर्ता ने मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बच्ची को जल्द से जल्द ढूंढ़वाने का आग्रह किया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 17अक्टुबर,2022 को की जाएगी।

एक महिला अधिवक्ता ने अपने 4 वर्ष के बच्चे का DNA टेस्ट करवाने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की; इसके अनुसार यह बच्चा राज्य के ऊर्जा सचिव संजीव हंस का है

पटना हाईकोर्ट की एक महिला अधिवक्ता गायत्री कुमारी ने एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि चार वर्ष का उनका पुत्र आर्यन लगभग चार वर्ष पूर्व 25 दिसंबर 2018 को जन्म लिया है, कथित रूप से राज्य के ऊर्जा सचिव संजीव हंस का है।

दायर याचिका में यह भी मांग की गई है कि यह बच्चा संजीव हंस का है, इसके लिए डी एन ए टेस्ट करवाया जाए।

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याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि ए सी जी एम, दानापुर द्वारा 12 मई, 2022 को दिए गए आदेश को रद्द करते हुए, रूपसपुर थाना को कंप्लेंट केस नंबर- 1122 सी 2021 के आधार पर ऊर्जा सचिव संजीव हंस, पूर्व विधायक गुलाब यादव, व ललित (गुलाब यादव के सर्वेंट) के पर धारा 323, 341, 376, 376(डी), 420, 312, 120 बी, 504, 506 व 341 आई पी सी और 67 आई टी एक्ट के तहत एफ आई आर दर्ज किया जाए।

कथित रूप से गोपालगंज जिले के कटेया थाना की पुलिस द्वारा राज नाथ शर्मा को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट के समक्ष पेश नहीं करने और गिरफ्तारी के बाद उसका कोई सुराग नहीं मिलने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है

जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने ये आदेश राज नाथ शर्मा के भाई धनराज कुमार राय द्वारा लापता व्यक्ति को पेश करने को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उसके भाई की गिरफ्तारी 7 जून, 2021 को की गई और सीआर पीसी की धारा 167 में दिए गए अनिवार्य कानूनी कानूनी प्रवधान के बावजूद कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया। राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में भी इस बात को नकारा नहीं गया है कि राज नाथ शर्मा की गिरफ्तारी कटेया थाना कांड संख्या- 189/ 2021 के तहत नहीं की गई थी।

लेकिन प्रतिवादियों का कहना था कि जब राज नाथ शर्मा पुलिस लॉक – अप में था ,तो वह पुलिस लॉक – अप से भाग गया था।इसे लेकर कटेया पुलिस थाना कांड संख्या – 190 / 2021 दर्ज किया गया था। गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक द्वारा दायर पूरक जवाबी हलफनामा में यह कहा गया है कि एस एच ओ और आई ओ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

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5 अगस्त, 2022 को हथुआ एस डी पी ओ के नेतृत्व में।

एसआईटी का गठन भी कर दिया गया है। सुनवाई के दौरान राज्य के डीजीपी और गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक कोर्ट में मौजूद थे।

इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने अररिया जिला के भरगावां अंचल के सीओ द्वारा निजी जमीन को स्कूल की जमीन बताकर उसे तोड़े जाने संबंधी दिए गए नोटिस पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक स्थगन आदेश पारित किया

साथ ही जस्टिस मोहित शाह ने किशोर पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के मकान को तोड़ने पर रोक लगा दिया है।

कोर्ट ने अररिया के डीएम को निर्देश दिया कि वे स्वयं उस जमीन पर जाकर उसे देखें और उचित आदेश संबंधित अधिकारियों को दे। कोर्ट ने डीएम को कहा कि अगली सुनवाई में इस मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे।

कोर्ट ने अररिया डीएम को कहा कि वह इस बात की जानकारी भी अगली सुनवाई में कोर्ट को दें कि याचिकाकर्ता का मकान अतिक्रमण कर बनाये गए जमीन पर है या उसके निजी जमीन पर। मकान तोड़े जाने की नोटिस दिए जाने के पहले अतिक्रमण संबंधी नोटिस उसे दिया गया था या नही।

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इन सब बातों की जानकारी अगली सुनवाई में कोर्ट को दें .
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राकेश कुमार झा ने कोर्ट को बताया कि जिस जमीन पर बने मकान को तोडने का नोटिस भरगावां के अंचलाधिकारी ने दिया है, वह उसकी पुस्तैनी जमीन है।

इस मामले की अगली सुनवाई फिर 2 नवंबर को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया

सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि स्थानीय निकायों के चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार 10 अक्टूबर,2022 से होंगे।

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे,तो कर सकता है।

इससे पूर्व इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर 23 सितम्बर,2022 तक सुनवाई कर ले,तो सही रहेगा।

दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।

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कोर्ट ने कहा कि जब तक तीन जांच की अर्हता नहीं पूरी कर ली जाती,ओबीसी को सामान्य श्रेणी के सीट के अंतर्गत पुनः अधिसूचित किया जाए।

कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार मे नगर निकायों का चुनाव 10 अक्टूबर, 2022 को चुनाव होने हैं।इसके पूर्व पटना हाईकोर्ट को इस मामलें पर सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा।

आज पटना हाईकोर्ट ने इस मामलें पर सभी पक्षों की लम्बी बहस सुनने के फैसला सुरक्षित रख लिया।

पटना हाईकोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए

पटना हाईकोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए। जस्टिस मोहित शाह ने डी एम, औरंगाबाद को कार्रवाई कर अगली सुनवाई में फिर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया।

अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डी एम, औरंगाबाद द्वारा अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सख्त रुख अपनाते हुए आज कोर्ट में तलब किया था।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि अधिकारी सही जवाब नहीं देंगे,तो उन्हें जेल भेजा जा सकता है।आज कोर्ट में औरंगाबाद के एस पी भी सुनवाई के दौरान उपस्थित थे।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।साथ ही जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमका रहे है।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 10अक्टूबर, 2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के चर्चित सुल्तान पैलेस को ध्वस्त करने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

अमरजीत की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते सुल्तान पैलेस के मामलें पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार को 8 सप्ताह में जवाब देने को कहा।

इस जनहित याचिका में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने सुल्तान पैलेस को तोड़े जाने का निर्णय लिया गया है।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामकृष्ण ने कोर्ट को बताया कि ये ऐतिहासिक महत्व का स्मारक है और लगभग सौ साल पुराना हैं।

ऐसे भवन के देखभाल और उसे सही स्थिति में रखने की जगह उसे तोड़े जाने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है,जो उचित नहीं है।

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कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि सौ साल पुराने ऐतिहासिक स्मारक को क्यों तोड़ने का निर्णय लिया गया है।कोर्ट ने इस जनहित याचिका में उठाए गए मामला की सराहना करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का मोहलत दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 1दिसम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है।

इससे पहले इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर 23 सितम्बर,2022 तक सुनवाई कर ले,तो उपयुक्त रहेगा।

दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।

तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।

साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा नहीं पार करें।

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कोर्ट ने कहा कि जब तक तीन जांच की अर्हता नहीं पूरी कर ली जाती,ओबीसी को सामान्य श्रेणी के सीट के अंतर्गत पुनः अधिसूचित किया जाए।

कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार मे नगर निकायों का चुनाव 10 अक्टूबर, 2022 को चुनाव होने हैं।इसके पूर्व पटना हाईकोर्ट को इस मामलें पर सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा।

आज पटना हाईकोर्ट में इस मामलें पर दिन भर सुनवाई हुई,लेकिन बहस पूरी नहीं हो पायी।इसलिए अब इस मामलें पर कल भी सुनवाई होगी।

नगर पालिका चुनाव में दो से अधिक बच्चे मामले में पीआईएल पटना हाईकोर्ट में दायर

मुजफ्फरपुर। बिहार की नगर निकाय चुनाव में दो बच्चों से अधिक वालों को चुनाव में लडने में अयोग्य घोषित किए जाने के सरकार के फैसले के विरुद्ध जनहित याचिका दर्ज कराया। मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने अब पटना हाई कोर्ट में दायर किया याचिका।

बिहार राज्य में होने वाली नगर पालिका चुनाव 2022 के सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वालों को निकाय चुनाव के उम्मीदवारी के लिए अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले को आज हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और इसको मुजफ्फरपुर के रहनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने दिया है और पटना हाई कोर्ट में दायर याचिका में यह आरोप लगाया है की बिहार सरकार का यह कानून आमलोगों के हित के नही है तो इससे बहुत सारे लोग चुनाव लडने से वंचित रह जायेंगे।

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तमन्ना हाशमी ने बताया की जब सरकार ने इस मामले में वर्ष 2011 में ही नियम को लाया था तो इतने वर्ष के बाद से इसको लाने का क्या औचित्य और यह नियम अब तक के विधान सभा चुनाव पंचायत चुनाव में क्यों नहीं लागू किया गया था अब इसको लेकर सवाल उठाया है।

पटना हाईकोर्ट ने एक मामलें में बलात्कारियों को अबतक गिरफ्तार नहीं करने के मामले में मुज़फ़्फ़रपुर एसएसपी से जवाब तलब किया है

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की ने सरोज कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।

ये मामला मुज़फ़्फ़रपुर थाना कांड संख्या- 258/22 के मामले में से सम्बंधित है।इसमें धारा- 363, 364, 376, 302, 328 व पोक्सो एक्ट की धारा 4, 6 एवं 8 में नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए प्राथमिकी दायर की गई थी।

मृतिका निर्भया कुमारी (काल्पनिक नाम) के परिजन द्वारा याचिका पर सुनवाई के बाद अपना यह आदेश दिया।ये याचिका अधिवक्ता ओम प्रकाश ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर की थी।

उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया गया है कि केस में नामजद अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए, नहीं तो केस को किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाया जाए।इस केस में काम नहीं कर रहे पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही चलाया जाए।

अधिवक्ता ओमप्रकाश ने बताया कि इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए हाइकोर्ट से आग्रह किया गया था। घटना दिनांक 26 अप्रैल, 2022 की है, जब याचिकाकर्ता की पुत्री अपने घर से बाहर गयी थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। इसके बाद परिजनों ने अपनी पुत्री को बहुत खोजबीन किया, परन्तु वह नहीं मिली।

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उसी दिन रात्रि 12.47 बजे एक कॉल आया, जिसमें याचिकाकर्ता की पुत्री की आवाज सुनाई दी और वह दर्द से कराह रही थी। इसके बाद फोन कट गया और फिर प्रयास करने पर मोबाइल बंद मिला। सुबह में ग्रामीण ने बताया कि याचिकाकर्ता की पुत्री की बॉडी पोखर में पड़ी हुई है। इसके बाद परिजन घटना स्थल पर जाने के क्रम में देखे कि गांव के ही मोहम्मद वसीम खान के द्वारा याचिकाकर्ता की पुत्री को बोलेरो कार से लेकर कहीं ले जाया जा रहा था ।

वह बोलेरो मोहम्मद वसीम के घर पर जाकर रुकी और फिर मोहम्मद वसीम के परिवार वाले गाड़ी में बैठते है। फिर, वैष्णवी हॉस्पिटल, मुज़फ़्फ़रपुर याचिकाकर्ता की पुत्री को लेकर जाते हैं, जहाँ याचिकाकर्ता की पुत्री के परिजन भी पहुचते हैं और अपनी पुत्री से बात करते हैं, तो याचिकाकर्ता की पुत्री द्वारा बताया जाता है कि लगभग 8 लोग द्वारा बलात्कार किया गया और जहर पिलाया गया, जिसमें संध्या ने 4 लोगों का नाम भी लिया था।

इसमें से एक व्यक्ति मोहम्मद वसीम खान को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन अभी भी तीन नामजद अभियुक्त पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं।

इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के चर्चित सुल्तान पैलेस,जिसे अभी परिवहन भवन के नाम से जाना जाता है,को ध्वस्त करने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

अमरजीत की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते सुल्तान पैलेस को तोड़ने पर फिलहाल रोक लगाते हुए राज्य सरकार को 8 सप्ताह में जवाब देने को कहा।

इस जनहित याचिका में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने सुल्तान पैलेस को तोड़े जाने का निर्णय लिया गया।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामकृष्ण ने कोर्ट को बताया कि ये ऐतिहासिक महत्व का स्मारक है और लगभग सौ साल पुराना हैं।

ऐसे भवन के देखभाल और उसे सही स्थिति में रखने की जगह उसे तोड़े जाने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है,जो सही नहीं है।

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कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि सौ साल पुराने ऐतिहासिक स्मारक को क्यों तोड़ने का निर्णय लिया गया है।कोर्ट ने इस जनहित याचिका में उठाए गए मामला की सराहना करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का मोहलत दिया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 1दिसम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रही एक भिखारिन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है

जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने नसरा खातून की अपील को मंजूर करते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया । अपीलार्थी महिला पर उसकी चार साल की भतीजी की हत्या करने का आरोप था।

आरोपी भिखारिन के समुदाय से थी, जो भीख मांगकर जीवन व्यतीत करते हैं। 20 जुलाई, 2010 को गाँव वालों की भीड़ ने हत्या का आरोप लगाते हुए इसे पुलिस को सौंपा था । उस दिन से ही वो जेल गयी ,तो फिर कभी बाहर नही निकली। दरभंगा की एक निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और पांच हज़ार रुपये जुर्माना भरने की सजा 2013 में सुनाया। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर किया। उक्त अपील को हाई कोर्ट ने एडमिट तो कर लिया, लेकिन अपीलार्थी की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

गौरतलब है कि अपीलार्थी जेल के अंदर ही एक बच्चे की माँ बनी और इसी आधार पर उसकी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई गयी थी। अपील के ज्यादा वर्षों से लंबित रहने उसकी तरफ से कोई वकील खड़ा नही रहने और अपीलार्थी की गरीबी को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट आशहर मुस्तफा को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए लगातार सुनवाई जारी रखा ।

एडवोकेट मुस्तफा ने कोर्ट का ध्यान पूरे मामले का कमजोर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ओर खींचा। उन्होंने अभियोजन के गवाहों में विरोधाभास निकालते हुए बताया कि इस हत्या का कोई चश्मदीद नही था। हाई कोर्ट ने इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हुए अपीलार्थी को बरी कर दिया।