Press "Enter" to skip to content

Posts published in “पटना हाईकोर्ट न्यूज”

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंगता लड़कियों की जांच रिपोर्ट कल तक एम्स,पटना को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंगता लड़कियों की जांच रिपोर्ट कल तक एम्स,पटना को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इन दिव्यांग लड़कियों की अपंगता की जांच के लिए एम्स,पटना को भेजा।

गौरतलब है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य हो गया है।कल तक एम्स अस्पताल से रिपोर्ट मिल जाने की संभावना है।

इस मामलें की सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने एम्स अस्पताल, पटना व राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग को पार्टी बनाने का आदेश दिया।इस मामलें पर 10 जनवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर के सरैया थाना चर्चित हत्याकांड में मृतक के परिजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरैया के डीएसपी और सम्बंधित अनुसंधानकर्ता को अगली सुनवाई में तलब किया

पटना हाई कोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर के सरैया थाना चर्चित हत्याकांड में मृतक निर्भया कुमारी (काल्पनिक नाम) के परिजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरैया के डीएसपी और सम्बंधित अनुसंधानकर्ता को अगली सुनवाई में तलब किया है।जस्टिस चन्द्रशेखर झा ने पुलिस द्वारा बलात्कारियों को केस से बरी करने के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया गया है कि केस में नामजद अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। साथ ही केस को किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाया जाए। इस केस में काम नही कर रहे पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही भी चलाया जाए।

पिछले सुनवाई के दौरान मुज़फ़्फ़रपुर SSP ने शपथ पत्र दायर कर बताया कि इस केस में सिर्फ एक व्यक्ति ही संलिप्तता जांच में सामने आई है ।इसलिए बाकी अभियुक्तों को गिरफ्तार नही किया गया।

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि जो शपथ पत्र एसएसपी ने दायर किया है, उसे देखने से प्रतीत होता है कि पुलिस अन्य अभियुक्तों को बचा रही है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए इस केस के DSP और अनुसंधान कर्ता को अगली सुनवाई में कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।

अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि दिनांक 26 अप्रैल 2022 को याचिकाकर्ता की पुत्री अपने घर से बाहर गयी थी ,लेकिन वह वापस नही लौटी।

जिसके बाद परिजन वालों ने अपनी पुत्री को जा खोजबीन किया, परन्तु वह नही मिली। उसी दिन रात्रि 12.47 बजे एक कॉल आया, जिसमे याचिकाकर्ता की पुत्री की आवाज सुनाई दी।वह दर्द से कराह रही थी।इसके बाद फोन कट गया और पुनः प्रयास करने पर मोबाइल बंद मिला।

अगले दिन सुबह में ग्रामीण ने बताया कि याचिकाकर्ता की पुत्री की बॉडी पोखर में पड़ी हुई है। इसके बाद परिजन घटना स्थल पर जाने के क्रम में देखे की गांव के ही मो0 वसीम खान के द्वारा याचिकाकर्ता की पुत्री को बोलेरो कार से लेकर कहीं जा रहा था।

वह बोलेरो मोहम्मद वसीम के घर पर जाकर रुकती है और फिर मोहम्मद वसीम के परिवार वाले गाड़ी में बैठते है। वे लोग वैष्णवी हॉस्पिटल, मुज़फ़्फ़रपुर याचिकाकर्ता की पुत्री को लेकर जाते हैं, जहाँ याचिकाकर्ता की पुत्री के परिजन भी पहुचते हैं ।

अपनी पुत्री से बात करते हैं, तो याचिकाकर्ता की पुत्री द्वारा बताया जाता है कि लगभग 8 लोग द्वारा बलात्कार किया गया और जहर पिलाया गया। इसमें उसने चार लोगों का नाम भी लिया था, जिसमे से एक व्यक्ति मोहम्मद वसीम खान को गिरफ्तार कर लिया गया है ।

लेकिन अभी भी तीन नामजद अभियुक्त पुलिस के गिरफ्त से बाहर है।इस मामलें पर पुनः दस दिनों बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार पर लगाया 10 लाख रुपए का अर्थदंड

पटना हाईकोर्ट ने स्टेट एंप्लॉयमेंट कमिटी और मैनेजिंग कमिटी मानीसना वेज बोर्ड, बिहार पटना के अध्यक्ष का वेतन निर्धारण के मामले में राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट जवाब नहीं दिए जाने राज्य सरकार पर दस लाख रुपए का अर्थदंड लगाया है।

जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ ने विजय कुमार सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित दिया।

याचिकाकर्ता स्टेट एंप्लॉयमेंट कमेटी के साथ-साथ मैनेजिंग कमेटी मनीसना वेज बोर्ड बिहार के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। इन्होंने हाईकोर्ट में स्टेट एंप्लॉयमेंट कमेटी के चेयरमैन के वेतन और भत्ते के लिए पहले एक याचिका दायर की थी।

इनकी याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट के निर्देशानुसार राज्य के मुख्य सचिव के वेतन के समान इन्हें वेतन भत्ता और सुविधा दिया गया। जब यह उस पद से हटे, तो मैनेजिंग कमेटी मनीसना वेज बोर्ड के चेयरमैन के पद पर कार्य करने की अवधि का वेतन के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर किया।

इसी मामले पर राज्य सरकार का पक्ष जानने के लिए हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को संबंधित अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया था।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

आज सुनवाई के दौरान जो अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए थे, उनके द्वारा हाईकोर्ट द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जब जवाब नहीं दिया गया। इस हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार पर दस लाख रुपये का अर्थदंड लगाया।

पटना हाइकोर्ट ने पटना के ललित नारायण मिश्र इंस्टीट्यूट के भवन को स्थानांतरित करने से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने पटना के ललित नारायण मिश्र इंस्टीट्यूट के भवन को स्थानांतरित करने से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की । चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि मौजूदा परिस्थितों के मद्देनजर हाईकोर्ट कैंपस का विस्तार ज़रूरी हो गया है। वकीलों, उनके स्टाफ और हाईकोर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी बढ़ी है। राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह न्यायपालिका के विस्तार से संबंधित उचित कदम उठाये ।

उन्होंने कोर्ट से कहा कि ललित नारायण मिश्र संस्थान को पटना के मीठापुर स्थित पुराने बस स्टैंड की भूमि में स्थानांतरित किया जा सकता है। बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत बढ़ गई है ।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

सुनवाई के दौरान एलएन मिश्रा इंस्टीट्यूट की ओर से अधिवक्ता आरके शुक्ला ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे एलएन मिश्र इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा । उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो पूर्वी सीमा पर मूल रूप से हाईकोर्ट को भूमि आवंटित की गई थी, राज्य सरकार ने उस पर एमएलए और सरकारी अधिकारियों के फ्लैट निर्माण कर लिया है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में इंस्टीट्यूट को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाना एक मुश्किल फ़ैसला है । इस इंटिट्यूट के पदेन अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री हैं, उनके समक्ष इस पूरे मामले को रखना जरूरी है, ताकि कोई फ़ैसला लिया जा सके ।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

इस बात पर कोर्ट ने सहमति जताते हुए मामले को 9 जनवरी,2023 को सुनवाई की तिथि निर्धारित किया है।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूर्व महाधिवक्ता पी के शाही समेत पाँच वरीय अधिवक्ताओं को राज्य के मुख्य कार्यपालक ( मुख्य मंत्री) से मिल कर इस सम्बन्ध में विचार करने का निर्देश दिया था।

वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि 29 दिसम्बर,2022 को अधिवक्ताओं की टीम ने मुख्यमंत्री से भेंट कर सरकारी वकीलों के फीस बढोतरी के सम्बन्ध में चर्चा की।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया। उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव देने को कहा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता पी के शाही के नेतृत्व में पाँच वरीय अधिवक्ताओं को राज्य के मुख्यमंत्री से मिल कर सरकारी वकीलों की फीस बढ़ाने के मामलें में विचार करने को कहा था।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार सहित अन्य राज्य राज्य सरकार के वकीलों की तुलना में यहाँ के सरकारी वकीलों को काफी कम फीस का भुगतान किया जाता है।

याचिककर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता एवं सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने बहस करते हुए कहा था कि पटना हाई कोर्ट में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहाँ रोजाना फीस न्यूनतम 9 हज़ार रुपये है, वहाँ बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाई कोर्ट में रोजाना अधिकतम फीस रू 2750 से 3750 तक ही है।

वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी दी कि पंजाब व हरियाणा, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल में भी वहाँ के सरकारी वकीलों का फीस बिहार के सरकारी वकीलों से ज्यादा है।

एडवोकेट विकास कुमार ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) पटना बेंच में तो मूल वाद पत्र दायर कर उसपे बहस करने वाले केंद्र सरकार के वकीलों को रोजाना हर मामले पर 9 हज़ार रुपये फीस मिलता है।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

सबसे दयनीय स्थिति राज्य के सहायक सरकारी वकीलों की है, जिन्हे रोजाना मात्र 1250 रुपये फीसही काम करना पड़ता है।

बिहार में राज्य सरकारों के वकीलों के फीस में वृद्धि 14 साल पहले बिहार के तत्कालीन महाधिवक्ता पी के शाही के ही कार्यकाल में ही हुई थी।

इस मामले पर अगली सुनवाई 24 जनवरी, 2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िला स्थित हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िला स्थित हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड ही एकमात्र स्कूल है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।

इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।इस मामलें पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई कल तक के लिए टली

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई कल तक के लिए टली। वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई करते हुए राज्य के विधि सचिव को विभिन्न जिलों के ज़िला जजों,डी एम व बार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सन्दर्भ में अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि भवन की भी काफी कमी है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के विधि सचिव को तलब किया था।उन्होंंने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में कार्रवाई की जा रही है।

कोर्ट ने जानना चाहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा,तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी।इस मामलें पर अगली सुनवाई 3जनवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने पटना स्थित ललित नारायण मिश्र आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन संस्थान के भवन को हाईकोर्ट को स्थानांतरित करने से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 3 जनवरी, 2023 तक राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने पटना स्थित ललित नारायण मिश्र आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन संस्थान के भवन को हाईकोर्ट को स्थानांतरित करने से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता प्रियंका सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 3 जनवरी,2023 तक राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पटना हाइकोर्ट के पश्चिम में हाईकोर्ट की काफी भूमि है। पटना हाईकोर्ट का लगातार विस्तार हो रहा है।

उन्होंने कोर्ट से कहा कि ललित नारायण मिश्र आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन संस्थान को पटना के मीठापुर स्थित पुराने बस स्टैंड की भूमि में स्थानांतरित किया जा सकता है। वह क्षेत्र शैक्षणिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के प्रशासनिक विस्तार के साथ ही यहाँ वकीलों, उनके स्टाफ और कई लोग हाईकोर्ट में काम करने वालों की संख्या काफी बढ़ी है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के पूर्वी सीमा पर भी हाईकोर्ट की भूमि है।हाईकोर्ट के विस्तार को देखते हुए हाईकोर्ट को इन भूमि की आवश्यकता है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बड़ी तादाद में वैसे वकील है, जिन्हें हाईकोर्ट में बैठने और कार्य करने की व्यवस्था नहीं है।उन्हें बुनियादी सुविधाएँ नहीं उपलब्ध हो रही है।

उन्होंने बताया कि जो पूर्वी सीमा पर मूल रूप से हाईकोर्ट को भूमि आवंटित की गई थी, राज्य सरकार ने उस पर एमएलए और सरकारी अधिकारियों के फ्लैट निर्माण कर लिया है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को हाईकोर्ट की पूर्वी सीमा से वीरचन्द पटेल पथ तक की भूमि के बदले हाईकोर्ट को भूमि उपलब्ध करानी चाहिए।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 3 जनवरी, 2023 को की जाएगी।

पुलिस के भू माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर पटना हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

पटना हाइकोर्ट ने पुलिस के भू माफिया के साथ कथित रूप से मिलीभगत और अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। जस्टिस संदीप कुमार ने सजोगा देवी की याचिका पर सुनवाई पूरी कर 4 जनवरी,2023 को फैसला देने की तिथि निर्धारित किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवा करते हुए याचिकाकर्ता को घटना की वीडिओ को पेनड्राइव में राज्य सरकार के अधिवक्ता और प्रतिवादियों को देने का निर्देश दिया।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में पूर्वी पटना के एस पी, पटना सिटी के सी ओ और अगमकुआं थाना के एस एच ओ के साथ इस घटना में गए पुलिस अधिकारियों कोर्ट में उपस्थित हो कर अपनी स्थिति स्पष्ट की थी।

कोर्ट ने कहा कि बिना किसी न्यायिक या अर्ध न्यायिक आदेश के मकान तोड़ा जाना अवैध है।उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह पुलिस कार्रवाई करेगी,तो अराजकता फैलेगी।

Patnahighcourt

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अवैध रूप से मकान ध्वस्त करने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब ऐसे ही पुलिस काम करेगी,तो सिविल कोर्ट बंद कर दिया जाए।

कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से इस बात से इंकार किया कि इस घटना में बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया।उन्होंने कोर्ट को घटना की तस्वीरें भी दिखाई गई।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस के मनमाने रवैए पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या यहाँ भी बुलडोजर चलेगा।पुलिस थाने मे पैसा दे कर मनमाने काम करवाए जा सकते है।क्या सारी ताकत पुलिस को मिल गई है क्या।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि भू माफिया के शह पर याचिकाकर्ता व उसके परिवार वालो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इस प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश देते हुए उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया था।

अदालती आदेश का उल्लंघन करने के मामले में तत्कालीन आईजी कारा एवं सुधार सेवा के मिथिलेश मिश्रा के खिलाफ अवमानना का मामला शुरू

पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश का उल्लंघन करने के मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तत्कालीन आईजी कारा एवं सुधार सेवा के मिथिलेश मिश्रा के खिलाफ अवमानना का मामला शुरू किया है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अल्लाउद्दीन अंसारी की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करने बाद ये आदेश दिया।

साथ ही गत वर्ष 27 अगस्त को हुई बैठक का प्रस्ताव तथा गत वर्ष 19 फरवरी को जारी आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।कोर्ट ने माना कि आईजी ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन को तत्कालीन आईजी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। वही आईजी को चार सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण दाखिल करने का आदेश दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई के दौरान निर्माण कंपनी ने पटना हाइकोर्ट को आश्वास्त किया कि फेज दो का निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा हो जाएगा

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई के दौरान निर्माण कंपनी ने आश्वास्त किया कि फेज दो का निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा हो जाएगा।

कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया।इस राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में बाधा बने धार्मिक स्थलों सहित स्कूल तथा अन्य अवरोध को हटाने के लिए कोर्ट ने जहानाबाद तथा गया के डीएम एवं एसपी को दिया।कोर्ट ने उन्हें को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया। वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt


पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।उनका कहना था कि स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है।

जिला प्रशासन ने धार्मिक स्थल तथा स्कूल के लिए भूमि नहीं दिया है।इस पर कोर्ट ने निर्माण कम्पनी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि इस बात की शिकायत कोर्ट से क्यों नहीं की गई।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस मामलें पर कई बार सुनवाई की गई हैं,लेकिन कभी भी अतिक्रमण किये जाने तथा जमीन नहीं देने की जानकारी नहीं दी गई।कोर्ट ने निर्माण कम्पनी को कब तक निर्माण कार्य पूरा कर लेने के बारे में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।

कोर्ट के कड़े रुख के बाद निर्माण कम्पनी ने 30 जून,2023 तक निर्माण कार्य पूरा कर लेने की बात कही।वही कोर्ट ने फेज दो व तीन पर बाधा बने स्थलों की जांच के लिए युवा वकीलों की टीम को जाने का आदेश दिया।

कोर्ट ने निर्माण में बाधा बनी बिजली टावर को हटाने का आदेश दिया।साथ ही आरओबी का निर्माण जल्द करने का आदेश दिया। इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

12वीं कक्षा पास उम्मीदवार भी अब अमीन बन सकते हैं: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य में अमीनों की बहाली का रास्ता साफ कर दिया है । जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने अपने निर्णय मे स्पष्ट किया कि 12वीं कक्षा पास उम्मीदवार भी अब अमीन बन सकते हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने अमीनों की बहाली के लिए वर्ष 2016 – 17 में जो संशोधन किया है ,उसके अनुसार बारहवीं पास उम्मीदवार को भी इस पद के लिये योग्य माना गया।

कोर्ट ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा दायर अपील और चुने गए उन उम्मीदवारों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका, जिनकी नियुक्ति इस पद पर चयन के बाद भी नहीं की गई थी, पर कोर्ट ने सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ ने वर्ष 2013 के रूल के अनुसार ही अमानत डिग्री प्राप्त उम्मीदवारों को अमीन के पद पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस पद पर किए गए नियुक्ति के लिए वर्ष 2016-17 में किए गए संशोधन की जानकारी सिंगल बेंच को नहीं दी गई थी ,जिसके कारण कोर्ट ने 12वीं पास उम्मीदवारों को आमीन के पद पर नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना था।

इससे पूर्व जस्टिस पी.बी.बजनथरी की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा राज्य में 1767 अमीन के रिक्त पड़े पदों पर बहाली के लिए जनवरी,2020 में निकाले गए विज्ञापन को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह नए सिरे अमीनो के रिक्त पड़े 1767 पदों पर बहाली के लिए तीन माह में नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित कर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करे।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

यह निर्देश जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता राम बाबू आजाद व अन्य द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता के ओर से कोर्ट को बताया गया था कि अमीन के पद पर बहाली के लिए शैक्षणिक योग्यता के लिए जो योग्यता राज्य सरकार ने विज्ञापन में प्रकाशित किया था, वह प्रावधानों के अनुरूप नहीं था। बिहार अमीन कैडर रूल के अनुसार उम्मीदवार को +2 उत्तीर्ण होने के साथ ही अमानत की डिग्री या आई टी आई द्वारा सर्वेयर की डिग्री प्राप्त होना चाहिए।

राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा निकाले गए विज्ञापन में जो शैक्षणिक योग्यता रखी गई थी, उसके अनुसार उम्मीदवार को मात्र +2 ही उत्तीर्ण होना ही पर्याप्त था।

इसी मामले को लेकर अमीन की डिग्री लिए उम्मीदवारों ने राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित इस विज्ञापन को पटना हाईकोर्ट में रिट दायर कर चुनौती दिया था।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विज्ञापन को रद्द करते हुए नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर नियुक्ति करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।

हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा अमीन की बहाली के लिए दिए गए आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल अमानत डिग्री प्राप्त उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि 12वीं पास उम्मीदवार भी इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्य माने जाएंगे।

बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में चार हज़ार से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों अवहेलना को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगा दिया है

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डॉ आमोद प्रबोधी व सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य यूनिवर्सिटी सर्विसेज कमिशन को आदेश दिया है कि अगले आदेश तक कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं जारी की जाए।

गौरतलब है कि कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाते हुए, सिर्फ नियुक्तियों की सूची या नियुक्ति पत्र जारी करने पर ही रोक लगाया है।

रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता पीके शाही कोर्ट को बताया कि इन विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजों में 4638 सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां जो विज्ञापन में प्रकाशित हुई थी, उस विज्ञापन में मात्र 1223 रिक्तियां ही सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों के लिए है।आरक्षण नियम के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 50 फ़ीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता ।

इस विज्ञापन में आरक्षित श्रेणी के लिए करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित कर लिया गया है। कोर्ट को जब राज्य सरकार की ओर से बताया कि इस विज्ञापन में प्रकाशित रिक्तियों की संख्या में वर्तमान वैकेंसी के साथ-साथ पिछली रिक्तियों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थी, उन्हें भी जोड़ कर विज्ञापित किया गया है ।

एडवोकेट शाही ने कोर्ट को बताया कि बैकलॉग रिक्तियों को वर्तमान रिक्तियों से जोड़ करने पर भी रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकता है।

इस सम्बन्ध में पटना हाई कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया गया कि जब तक सरकार आरक्षण देने की व्यवस्था और तरीकों को कोर्ट के सामने स्पष्ट नहीं करती ,तब तक के लिए कम से कम नियुक्ति नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को तलब किया था। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव और शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में हाजिर थे।

कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को इस पूरे मामले और पिछली राज्य के इन विश्वविद्यालयों हेतु सहायक प्रोफेसर की पिछली तीन नियुक्ति प्रक्रियाओं की पूरी फाइल को पेश करने का आदेश दिया है।इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को होगी ।

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने आश्वास्त किया कि पटना गया डोभी के फेज एक का निर्माण 31 मार्च,2023 तक पूरा हो जाएगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।प्रतिज्ञा नामक संस्था द्वारा ये जनहित याचिका पर दायर किया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में मामलें को गम्भीरता से लेते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए अधिवक्ता मनीष कुमार समेत एक दर्जन वकीलों की एक टीम गठित किया था।इनकी तीन टीमें तीनो फेज के निर्माण कार्य का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था।

आज कोर्ट में इन्होने रिपोर्ट दिया।इन्होने अपने रिपोर्ट में कहा कि सड़क निर्माण का कार्य अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है।जितनी मजदूर और मशीनें लगायी जानी चाहिए, उतना नहीं लगाया गया है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया था कि निरीक्षण के दौरान वकीलों की सहायता के लिए सम्बंधित जिले के अधिकारीगण मौजूद रहेंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कार्य की धीमी गति पर कॉन्ट्रेक्टर को फटकार लगायी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से तय समय सीमा के तहत सड़क निर्माण का कैसे कार्य पूरा हो पायेगा।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

आज निर्माण कंपनी की ओर से बताया गया कि इस फेज में तीन आरओबी की समस्या के कारण सड़क निर्माण में बाधा है,लेकिन इस फेज के निर्माण का कार्य निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस सड़क निर्माण के तय समय सीमा 31मार्च ,2023 है।कोर्ट ने कहा कि जितने भी आदमी और मशीनों की जरूरत हो,उन्हें इस सड़क निर्माण के कार्य में लगा कर समय पर कार्य पूरा किया जाए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसम्बर,2022 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा

पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा। कोर्ट सोमवार से गुरुवार तक फिजिकल तथा शुक्रवार को वर्चुअल चलता रहेगा।

मिली जानकारी के तहत हाई कोर्ट परिसर अवस्थित तीन कैंटीन को शर्तो के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। वही रेलवे आरक्षण केंद्र पूर्व की तरह सुबह आठ बजे से दोपहर बाद दो बजे तक काम करेगा।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

मौजूदा समय में आरक्षण केंद्र सुबह आठ बजे से पौने दस बजे तक काम कर रहा था ।कोरोना संक्रमण को लेकर जारी एसओपी में थोड़ा बदलाव किया गया है। लेकिन बदलाव के बाद जारी हर दिशा निर्देशों को कड़ाई से पालन करने की जिम्मेवारी हाई कोर्ट के सुरक्षा में लगे पुलिस को दी गई है।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

वकील और उनके मुंशी को गेट संख्या दो एंव तीन से प्रवेश करने की अनुमति होंगी ।वही वकील हाई कोर्ट कर्मी एंव अन्य को गेट संख्या तीन से प्रवेश कर सकेंगे।जबकि मुवक्किल पास के द्वारा ही हाई कोर्ट में प्रवेश कर सकेंगे।सभी को हर दिशा निर्देश का पालन करना होगा।

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने संतोष ऊर्फ संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इलेक्शन के समय में आप क्रिमिनल बना देंगे लोगों को…, अगर आपको कोर्ट का समन मिले, तो आप घर जाकर खाना भूल जाइएगा” ।

कोर्ट ने इस मामलें के जांच का जिम्मा सीआईडी को दे दिया है।अगली सुनवाई में कोर्ट ने सीआईडी कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा।

याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि मोकामा स्थित समयागढ़ ओपी के एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने अपने बल का दुरूपयोग कर उन्हें सीआरपीसी की धारा 107 के तहत जारी नोटिस को वारंट का दर्जा देते हुए उस पर गिरफ्तारी का दबाब बनाने लगे ।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

जब याचिकाकर्ता के भाई ने इस पर आपत्ति जताई ,तो पुलिस वाले उनसे गाली गलौज करने लगे। फिर देर रात सैकड़ो की संख्या में पुलिसकर्मियों ने पूरे गाँव पर रेड कर दिया और याचिकाकर्ता के भाई को घसीट कर ले गए और उसे छत की रेलिंग से धक्का दे दिया ।

जब कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर किस आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा याचिकाकर्ता एवं अन्य लोगों पर समन जारी किया गया,तो कोर्ट में हाजिर एसडीएम संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए ।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

हाईकोर्ट ने एसडीएम के कार्यकलाप पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि “क्या आपने सीआरपीसी की धारा 107 को पढ़ा है ? आप क्या पुलिस के कहने से कुछ भी कर देंगे।अगर ऐसा रहा तो समाज में अराजकता फैलेगी। इस मामले पर अगली सुनवाई 4जनवरी,2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने विभाष चंद्र चौधरी की जनहित याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ये जमीन वर्ष 2007 से 2016 तक कटिहार नगर निगम क्षेत्र में पड़ता था, जिसकी जांच सीबीआई या भारत सरकार के ईडी से कार्रवाई जानी चाहिए।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह व प्रणव झा का कहना है कि ऐसे सभी जमीनों को निगम और जिला प्रशासन को अपने कब्जे में लेना चाहिए। कोर्ट ने पूर्व डिप्टी चीफ काउंसलर मंजूर खान, कटिहार नगर निगम के पूर्व मेयर बिजय सिंह व पूर्व डिप्टी मेयर श्रीमती पुष्पा देवी को भी नोटिस जारी किया है।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

याचिककर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि ये घोटाला लगभग 500 करोड़ का है।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट में लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण 100 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी

आज पटना हाइकोर्ट में जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा के समक्ष ऑनलाइन सुनवाई के लिए सौ जमानत याचिकाएं लिस्ट किया गया था। लेकिन वीडिओ कॉन्फ्रेन्सिंग सुनवाई के दौरान इनचार्ज लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी।

इन सौ जमानत याचिकाओं में मात्र दो जमानत याचिकाओं पर ही सुनवाई हो सकी, जिनमें लोक अभियोजक उपस्थित रहे। कोर्ट का मानना था कि बिना सरकारी पक्ष को सुने इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करना उपयुक्त नहीं होता।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए इन सभी जमानत याचिकाओं को 20दिसंबर,2022 को नियमित बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

साथ कोर्ट ने इस आदेश की प्रति महाधिवक्ता को प्रेषित करने का निर्देश दिया, ताकि वे अपने स्तर पर कार्रवाई करें।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें में ए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के विधि सचिव को सभी जिलों के ज़िला जज,डी एम और अधिवक्ता एसोसिएशनों के साथ बैठक कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।

Patnahighcourt

लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। उनके लिए पर्याप्त भवन नही है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसंबर,2022 को होगी।

https://biharnewspost.com

पटना हाईकोर्ट ने बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर की ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना

पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में राज्य के प्रारंभिक राजकीयकृत स्कूलों के हेड मास्टरों की नियुक्ति एवं अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने वाली नई नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना है।

जस्टिस पी वी वैजंत्री की खंडपीठ ने अब्दुल बाकी अंसारी की रिट याचिका को निष्पादित कर दिया।

साथ ही शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 18 अगस्त, 2021 को जारी की गयी बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर उसकी ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को प्रारूप के तौर परकमी उस प्रकाशित करें।

साथ ही उस पर अगले दो महीने में सार्वजनिक टिप्पणी और सलाह आमन्त्रित कर उस पर पूरे विचार विमर्श कर उस कानून या अंतिम नियमावली तैयार कर अधिसूचित करें।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

याचिकाकर्तागण उर्दू टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और 2021 में जारी की गई इस नियमावली में अनुभव की न्यूनतम 8 वर्ष की अवधि को मनमाना पूर्ण कहते हुए इस हेड मास्टर नियुक्ति नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती दिया था।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गई उक्त नियमावली को कानून का दर्जा देने से पहले क्या इसके प्रारूप को प्रकाशित कर सार्वजनिक सलाह आमंत्रित किया गया था या नहीं?

राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया नही पूरी की गयी थी।

कोर्ट ने कहा कि ऐसी नियमावली एक बड़े और व्यापक पैमाने के शिक्षक और उनके वर्ग को प्रभावित करेगी। इस तरह के नियम को जारी करने से पहले या उसे कानूनी जामा पहनाने से पहले सरकार को खुले आम लोगों के बीच में उनसे सलाह मशविरा करना चाहिए था ।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

इसीलिए हाई कोर्ट ने 18 अगस्त, 2021 को जारी इस नियमावली को बेअसर करार देते हुए इसे ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया है। कानून बनने से पहले कानून का मसविदा जो तैयार होता है, वही दर्जा अब इस नियमावली को तत्काल 2 महीने तक रहेगा।

इस दौरान राज्य के 10 हज़ार से भी अधिक प्रारंभिक स्कूलों जो राजकीयकृत होने के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर चल रहे हैं ,वहां के हेड मास्टर नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा।