पटना हाइकोर्ट ने निजी स्वार्थ से प्रेरित जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने पर कड़ा रुख अपनाया। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस तरह की गलत जनहित याचिकाओं के दायर करने वाले सख्त चेतावनी दी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाओं के दायर करने वालोंं की न सिर्फ याचिकाएं खारिज की जाएगी,बल्कि उन पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिकाओं का उद्देश्य जनता से जुड़े उचित मामलों को कोर्ट के समक्ष लाना,न कि अपनी निजी स्वार्थ के लिए जनहित याचिकाओं का दुरूपयोग करना।
कोर्ट ने आज ही जनहित याचिका के रूप में कॉन्ट्रेक्ट से सम्बंधित मामलें दायर करने पर याचिकाकर्ता को पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलें को जनहित याचिका के रूप में दायर करना इस व्यवस्था का दुरूपयोग है।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो माह के भीतर ये राशि बालसा के खाते में डालने का निर्देश दिया।
इसी तरह के एक अन्य मामलें जनहित याचिका को निजी स्वार्थ वाला कहा।इस मामलें में याचिकाकर्ता पर पाँच हज़ार रुपये का आर्थिक दंड लगाया।कई दायर जनहित याचिकाओं को अधिवक्ताओं ने खुद ही वापस ले लिया।