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पंचायत चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रलोभन देने वाले प्रत्याशियों पर होगी कड़ी कारवाई

पंचायत आम निर्वाचन 2021 के दौरान मतदाताओं को लुभाने के मामले आयोग इस बार काफी सख्त है चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए राशि, कपड़ा, शराब जैसी सामग्री वितरण की संभावना को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने हर प्रखंड में उड़नदस्‍ता दल का गठन करने का निर्देश दिया है जिसकी मॉनिटरिंग एसपी और डीएम खुद करेंगे और उड़नदस्ता दल के नोडल अधिकारी के रूप में उपविकास आयुक्त और राज्य कर संयुक्त आयुक्त होगे। इसके साथ ही चरणवार दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

उड़नदस्ता दल का प्रमुख कार्य अपने क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले गैर कानूनी गतिविधियों पर पैनी नजर रखना और उसे नियंत्रित करना है। गैरकानूनी गतिविधि यथा शराब वितरण, अवैध नगदी अथवा वस्तु जिससे मतदाता को पर प्रलोभित किया जा सके
उसके संबंध में सूचना प्राप्त होते ही पुलिस अधिकारी के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अविलंब छापामारी करेंगे। साथ ही निर्वाचन नियमों के सुसंगत धाराओं के तहत आवश्यक कानूनी कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे।उड़नदस्ता दल सभी शिकायत योग्य निर्वाचन एवं आदर्श आचार संहिता से संबंधित मामलों पर तुरंत कार्रवाई करेंगे तथा पंचनामा दस्तावेज आदि भी तैयार करेंगे। यदि नगदी, उपहार, वस्तु, शराब या मुफ्त में भोजन के वितरण, निर्वाचकों को धमकी देने या डराने के बारे में या हथियारों, गोला बारूद, असामाजिक तत्वों की आवाजाही के बारे में शिकायत प्राप्त हो और उडऩदस्ते का घटनास्थल पर तत्काल पहुंच जाना संभव नहीं हो तो सूचना नजदीक के स्टैटिक या स्थानीय थानाध्यक्ष को देना सुनिश्चित करेंगे। अवैध नगदी का आदान-प्रदान या शराब का वितरण या अन्य वस्तुएं जिसे वोटरों को प्रभावित किया जा सके का पता लगाएंगे एवं विधि सम्मत आवश्यक कार्रवाई ससमय करना सुनिश्चित करेंगे।

राज्यपाल कोटा से मनोनयन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

हाल ही में राज्य में राज्यपाल कोटा से मनोनीत किये गए 12 एम एल सी के मनोनयन को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। याचिका पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी द्वारा दायर की गई है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि इस तरह के मामले में भारत का संविधान साहित्य, कलाकार, वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता व कॉपरेटिव मूवमेंट से जुड़े हुए जैसे खास तरह के लोगों को मनोनीत करने की अनुमति देता हैं।

जिन 12 लोगों को एम एल सी मनोनीत किया गया है, वह बहुमत बढ़ाने और जो लोग एम एल ए नहीं चुन कर नहीं आये हैं, उन्हें एडजस्ट करने के लिए मनोनीत किया गया है ,जो संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता का आगे कहना था कि इनमें कोई भी न तो सामाजिक कार्यकर्ता है और न ही साहित्य से जुड़ा व्यक्ति या फिर वैज्ञानिक और कलाकार। उनका कहना था कि एक सामाजिक कार्यकर्ता को काम का अनुभव, व्यवहारिक ज्ञान और एक्सपर्टीज होना चाहिए।
इन सब चीजों को नहीं देखा गया है।

खण्डपीठ ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता से पूछा कि क्या मनोनीत किये गए एम एल सी में राज्य के मंत्री भी है ? उल्लेखनीय है कि राज्यपाल कोटे से अशोक चौधरी, जनक राम, उपेंद्र कुशवाहा, डॉ राम वचन राय, संजय कुमार सिंह, ललन कुमार सर्राफ, डॉ राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, संजय सिंह, देवेश कुमार, प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर और निवेदिता सिंह को एम एल सी मनोनीत किया गया था। इस मामले पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी।

लड़के और लड़कियों के बीच रिश्तों को लेकर नये तरीके से सोचने कि जरुरत है

बात कोई तीन माह पूरानी है शाम के समय मैं और रंजू आपस में कुछ बात कर रहे थे उसी दौरान रंजू के मोबाइल पर फोन आया बातचीत से समझ में आ रहा था कि रंजू के कोई भाई साहब का फोन है बात चल ही रही थी कि रंजू कहती हैं लीजिए ना भैया यही सामने हैं मेहमान ।

प्रणाम पाती के बाद बात शुरु हुई तो पता चला पटना में कोई लड़की इनके बेटा पर शादी की नियत से बहला फुसला कर रेप करने का आरोप लगाते हुए केस किया है लड़का भारतीय सेना में है और छह माह पहले बहन के घर शादी में गया था वही उस लड़की से दोस्ती हो गयी फिर दोनों पटना के किसी होटल में दो तीन बार रुका भी है ।बातचीत चल ही रहा था कि उन्होंने कहा कि लीजिए ना रोशन पास ही में है,रोशन वे से मेरा सीधा सवाल था होटल में उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बनाये थे जी फूफा जी लड़की फंसा करके ऐसा करवाई, अच्छा तुम बच्चा थे खैर शादी कर लो और तुम्हारे पास कोई विकल्प नहीं है।

खैर एक माह पहले ससुराल गये तो लड़का और उसके पिता जी मिलने आये और कहां मेहमान सब कुछ ठीक हो गया दोनों की शादी तय कर दिये हैं ।ये कोई एक मामला नहीं है रोजाना इस तरह के मामले हमलोगों के बीच आते रहता है कल सीएम के जनता दरबार में भी इस तरह के एक दर्जन से अधिक मामले आये जिसमें डीएसपी से लेकर दोरागा तक पर लड़कियों ने ये आरोप लगाया कि शादी का भरोसा दिला कर शारीरिक सम्बन्ध बनाया और अब शादी करने से इनकार कर रहा है।

इसी तरह का एक मामला सीएम के सामने आया जिसमें लां की छात्रा ने नीतीश कुमार के सामने आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह 5 महीनों से इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है, लेकिन शिकायत सुनने के बावजूद आरोपी DSP अमन कुमार के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।जब इसकी शिकायत आपके डीजीपी से किये तो डीजीपी कहते हैं लड़कियां पहले अपनी अदाओं से लड़कों को फंसाती हैं, फिर उनके ऊपर आरोप लगाती हैं।

हलाकि डीजीपी का इस तरह से जबाव देना कोई अचरज की बात नहीं है सवाल मानसिकता का है भले ही लड़कियां सभी फिल्ड में आगे बढ़ रही है लेकिन लड़कियों को लेकर समाज का नजरिया अभी भी नहीं बदला है, फिर जिस तरीके से नौकरी और पढ़ाई के लिए लड़कियां घर से बाहर निकल रही है ऐसे में इस तरह के रिश्ते की गुंजाइश हजार गुना बढ़ गयी है।

क्यों कि आज के तारीख में भी कामकाजी महिला हो या फिर लड़कियां घर से बाहर वो अकेली रह रही है तकनीक का जवाना है हर किसी के हाथ में एंड्रॉयड फोन है जिस वजह से आपस में सम्पर्क करने में कोई अरचन भी नहीं है ।वही परिवेश का तानाबान आज भी ऐसा है कि बाहर रहने वाली लड़कियों को हमेशा एक पुरुष साथी की जरुरत महसूस होती रहती है और यही समस्या की वजह है ।

सरकारी नौकरियों में सरकार ने 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दे रही है लेकिन थाने लेकर डीजीपी के आंफिस तक स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग के दफ्तर तक कही भी महिलाओं के लिए सही से एक वासरुम भी उपलब्ध नहीं है।

दरोगा से लेकर सिपाही तक में महिलाओं की संख्या हर थाने में लगभग आधी हो गयी है लेकिन आज भी उसके रहने कि व्यवस्था सही नहीं है ।एक बार मुझे सासाराम पुलिस लाइन जाने का मौका मिला देखते हैं एक बेड पर एक महिला दो बच्चों को लेकर किसी तरह से सोई है पता चला यह महिला महिला पुलिस की सास है रात में सास पुतहू और दोनों बच्चे को लेकर बारी बारी से सोती है ये किसी एक जिले का हाल नहीं है बिहार के अधिकांश जिलों का यही हाल है ऐसे में सहयोगी पुलिसकर्मियों से रिश्ता बनना स्वभाविक है लेकिन इसको लेकर ना तो परिवार ना ही समाज और ना ही सिस्टम तैयार है ।

ऐसे में फिलहाल इस समस्या को कोई हल निकलता दिख नहीं रहा है इस स्थिति में लड़कियों को इस तरह के रिश्ते को लेकर नये तरीके से सोचने कि जरुरत है क्यों कि आये दिन लड़के और लड़कियों के बीच रिश्तों को लेकर जो कानून बन रहे हैं या फिर सुप्रीम कोर्ट का समय समय पर जो जजमेंट आ रहा है उसमें अब लड़कियों को पहले जैसी कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं है । वही समाज में भी पहले जैसी ताकत नहीं है वो अपने तरीके से इन चीजों को अभी भी देख रहाी है ऐसे में फिलहाल इस तरह की समस्याओं का क्या समाधान हो सकता है इस पर सोचने कि जरुरत है ।

पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट समा सिन्हा का कहना है कि आर्थिक समाजिक और मानसिक से रुप लड़कियों को मजबूत होने कि जरुरत है तभी आप स्वंतत्र निर्णय मजबूती के साथ ले सकते हैं ।वही लड़के और लड़कियों के रिश्तों को लेकर जो नये कानून बने हैं उस वजह से समाजिक सोच और कानूनी प्रावधानों के बीच दूरी बढ़ गयी है, ऐसे में आपको कानूनी प्रावधानों से पहले जैसे संरक्षण नहीं मिल सकता है, इस स्थिति में रिश्ते बनाने को लेकर नजरिया बदलने कि जरुरत है ।

वीर कुंवर सिंह के राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर लक्ष्मी कुमारी का मानना है कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार की और से जो पहल किया गया है उसका सकारात्मक असर आने वाले समय दिखेगा।

लेकिन फिलहाल सरकार को वर्किंग वुमन को लेकर सपोर्ट सिस्टम बनाने कि जरुरत है जैसे वर्किंग वुमन होस्टल हर जिला मुख्यालय में होनी चाहिए बच्चों के पढ़ाई के लिए बेहतर विकल्प होना चाहिए (क्रेच)
साथ ही स्वास्थ्य को लेकर बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।इससे बहुत सारी समस्याओं का समाधान निकल सकता है साथ ही इस तरह के सुधार से सिस्टम और पुरुष मानसिकता के प्रभाव से महिलाएँ बाहर आ सकती है।

20 वर्षो से पब्लिक फिल्ड में लगातार काम कर रही मधुमिता का कहना है कि लड़कियों में शॉर्ट टर्म में कुछ पाने कि जो लालसा बढ़ रही है समस्या की एक बड़ी वजह यही है इससे बाहर निकलने कि जरुरत है साथ ही लड़कियां मानसिक रुप से मजबूत कैसे हो इस पर सोचने कि जरुरत है ।

संभार–संतोष सिंह के वाल से

आवास के बहाने चिराग ने खेला बड़ा सियासी दाव 12 जनपथ में पिता की लगाई मूर्ति

पूर्व केन्द्रीयमंत्री और दलित नेता रामविलास पासवान के पुत्र लोजपा सांसद चिराग पासवान ने एक बड़ा राजनैतिक दाव खेला है ।खबर आ रही है कि चिराग पासवान ने दिल्ली स्थित 12 जनपथ के बंगला में पिता राम विलास पासवान की मूर्ति लगवाई है. मूर्ति लगाने की खबर के बाद दिल्ली से लेकर पटना तक सियासत गर्मा गयी है।

दरअसल रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद केन्द्र सरकार ने पहले रामविलास पासवान के छोटे भाई और केन्द्रीयमंत्री पसुपति पारस को 12 जनपथ आवास का आवंटन किया था लेकिन पारस ने यह आवास लेने से मना कर दिया था।
पिछले दिनों केंद्रीय आईटी एवं रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव को यह बंगला आवंटित किया गया है ,चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने 12 जनपथ बंगला के भीतर अपने पिता रामविलास पासवान की मूर्ति लगवाई है. यह बंगला पिछले 30 सालों से राम विलास पासवान के नाम पर आवंटित था. लेकिन उनके निधन के बाद हाल ही में यह केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव के नाम से आवंटित किया गया है।

.खाली करने का मिल चुका है नोटिस-
मोदी कैबिनेट विस्तार के बाद चिराग पासवान को यह बंगला खाली करने का नोटिस मिल चुका है. हालांकि नोटिस मिले हुए करीब 20 से अधिक दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक चिराग पासवान ने इसे खाली करने को लेकर कोई जवाब नहीं दिया. वहीं अब मूर्ति लगाए जाने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है.

मुजफ्फरपुर से एक और लड़की का हुआ अपहरण एनएचआरसी ने एसएसपी से मांगी रिपोर्ट

बिहार में बच्चियों के लपाता होने की खबर आये दिन आती रहती है लेकिन पुलिस हमेशा की तरह बच्चयों के लपाता होने के मामले में प्रेम प्रसंग या फिर किसी रिश्तेदार के साथ चले जाने कि बात करके मामले की लीपापोती कर देती है ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाने से जुड़ा हुआ है जहां 16 फरवरी 2021 को ब्रह्मपुरा थाना के लक्ष्मी चौक पमरिया टोला निवासी राजन साह की 5 वर्षीय पुत्री खुशी घर से बाहर खेलने के लिए निकली और फिर लौट कर नहीं आयी, खुशी के पिता राजन शाह के बयान पर ब्रह्मपुरा थाने में कांड संख्या 58/21 खुशी के अपहरण का मामला दर्ज किया गया। लेकिन छह माह बाद भी अभी तक खुशी की बरामदगी पुलिस नहीं कर पाई है।इसको लेकर खुशी के पिता राजन साह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। जहां मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर एसएसपी से 5 साल की मासूम बच्ची के अपहरण कांड के मामले में जवाब तलब किया है। आयोग ने मुजफ्फरपुर एसएसपी को पत्र भेजकर 4 सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है। आयोग ने यह भी कहा है कि उस बच्ची की सकुशल बरामदगी के लिए पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की है उसकी विस्तृत रिपोर्ट आयोग को दिया जाए।

सुशांत सिंह राजपूत मामले में सुनवाई का योग्यता है या ना है महा धिकता स्थिति स्पष्ट करे।

पटना हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के हत्या की जांच सही ढंग से कराने की याचिका पर सुनवाई करते हुए एडिशनल सोलिटर जेनरल और एडवोकेट जेनरल को सुनवाई की योग्यता पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। मुंबई के अंतिम वर्ष के लॉ के छात्र देविंदर देवतादीन दुबे की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने किसी को नोटिस जारी करने से मना कर दिया था।साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि मामले की सुनवाई लंबित होने के दौरान भी विभागीय कार्रवाई पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।

इस याचिका में कहा गया कि सीबीआई सुशांत के उनके मुंबई के बांद्रा स्थित फ्लैट में संदेहास्पद मौत की जांच कर रही हैं।यदि पटना हाईकोर्ट के सीबीआई की जांच को संतोषजनक नहीं पाती हैं,तो कोर्ट सीबीआई के निर्देशक और केंद्र सरकार को निर्देश दे।इसमें अनुरोध किया गया है कि कोर्ट जांच कर रही सीबीआई के अधिकारियों को बदल कर वरीय अधिकारियों कीनई सीबीआई की टीम को इस मामले की सुनवाई का जिम्मा सौंपा जाए।

साथ ही इस याचिका में मांग की गई कि हाईकोर्ट इस मामले की स्वयं निगरानी करते हुए सीबीआई को समय समय पर कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया जाए,ताकि जांच जल्द पूरा हो और दोषियों को सजा मिल सके।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि सुशांत की संदेहास्पद मौत उनके मुंबई के बांद्रा स्थित फ्लैट में हुई।लेकिन मुंबई पुलिस ने 45दिनों तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की।

बहुत से लोग संदेह के घेरे में थे।लेकिन जांच में बिलंब होने से साक्ष्यों को मिटाने का मौका मिल गया।
सुशांत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना के राजीव नगर थाने में 25 जुलाई,2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई,जिसे बाद में सीबीआई को स्थानांतरित किया गया था।

इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

बिहार में अब नालंदा कुर्मी नहीं चलेगा गड़बड़ी किये तो कारवाई के लिए तैयार रहे

“तमाशबीन हूँ मैं “
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के जो नतीजे सामने आये उसमें सबसे ज्यादा नुकसान जदयू को हुआ है जबकि चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ा गया था ।

चुनाव परिणाम के बाद एक बात जो साफ दिख रही थी कि राज्य की जनता का भरोसा नीतीश कुमार के सुशासन के दावे से उठ चुकी है और इसकी वजह पंचायत स्तर तक व्याप्त अफसरशाही और भ्रष्टाचार था ।

सरकार गठन के बाद नीतीश कुमार अफसरशाही और राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लगाये इस पर काम करना शुरु किये और इसके लिए एक बार फिर जनता के दरबार में सीएम कार्यक्रम की शुरुआत हुई ।
वही सीएम ने कई वर्षो से सुस्त पड़े भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाले विभाग निगरानी ,विशेष निगरानी और आर्थिक अपराध इकाई के प्रमुख को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर कारवाई करने का निर्देश दिया ।

निर्देश के बाद यू कहे तो बिहार में पहली बार भ्रष्टाचार मामले में बड़ी मछलियों पर कारवाई हुई है इस कारवाई से प्रशासनिक अधिकारियों के बीच एक चर्चा जो आम हुआ करता था कि नालंदा और उस आप कुर्मी हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है या फिर आप एक खास दरबार से जुड़े हैं तोआपका बाल बांका नहीं होने वाला है लेकिन इस बार जो कारवाई हुई है उससे यह मिथ टूटा है ।

बालू माफिया से सांठगांठ मामले में जो कारवाई हुई है उसमें ऐसे अधिकारी भी हैं जो नालंदा और कुर्मी होने के के साथ साथ पूर्व मंत्री के दमाद होने के बावजूद कारवाई हुई है। इतना ही नहीं खास दरबार तक सीधे सूटकेस पहुंचाने वाले अधिकारी भी नपे हैं।

मंत्री के रिश्तेदार भी नपे हैं और साथ ही सत्ता समीकरण के साथ जातीगत राजनीति के सहारे पोस्टिंग कराने वाले अधिकारी भी नपे हैं ।

इस तरह की कारवाई से भले ही अभी ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मचा है लेकिन पोस्टिंग और तबादले को लेकर जो सरकार की नीति है उस नीति में जब तक बुनियादी बदलाव नहीं किये जायेंगे तब तक भ्रष्टाचार पर इस तरह की कारवाई फोरी ही साबित होगी ।

1–मुजफ्फरपुर डीटीओ पर कारवाई
सरकार गठन के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली बड़ी कारवाई मुजफ्फरपुर के डीटीओ रजनीश लाल पर हुई थी । निगरानी ने उसके आवास से इतने नगदी पैसे बरामद किये थे कि नोट गिनने वाला मशीन लाना पड़ा था ।रजनीश सिर्फ मुजफ्फरपुर के ही डीटीओ नहीं थे वो सारण (छपरा) के भी डीटीओ थे ।समझ सकते हैं कि मुजफ्फरपुर अपने आप में कितना बड़ा जिला है और उसके साथ छपरा जहां बालू कारोबार चरम पर है ऐसे में दो जिलों का प्रभार बिना मंत्री और विभागीय हेड के सहमति के बगैर सम्भव है क्या ,जबकि मुख्यालय अधिकारी भरे पड़े हैं फिर रजनीश लाल में इतनी मेहरबानी क्यों वैसे इनका एक और परिचय है कि ये बिहार सरकार के एक मंत्री के रिश्तेदार हैं ।

2–बालू माफिया से सांठगांठ मामले में दो एसपी चार डीएसपी सहित 41 अधिकारियों पर हुई कारवाई
नयी सरकार के गठन के बाद से ही ये खबर आ रही थी कि बालू माफिया सरकार को अस्थिर करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है इस सूचना के बाद सरकार बालू के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए लगातार अधिकारियों को निर्देश दे रहा था, लेकिन पदाधिकारी और बालू माफिया के बीच इस तरह का गठजोड़ बन गया था कि सरकार के निर्देश के बावजूद भी अवैध कारोबार चरम पर था, सरकार ने तय किया कि अब कठोर कारवाई के बिना लगाम लगने वाला नहीं है और फिर सरकार आर्थिक अपराध इकाई को मिशन बालू माफिया का जिम्मा दिया गया पूरी छूट के साथ ।

आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान अपने खास पदाधिकारियों के साथ एक माह तक ऑपरेशन बालू माफिया पर काम करते रहे और उसके बाद सरकार से हरी झंडी मिलते ही कारवाई शुरु हो गयी और भोजपुर के एसपी राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद के एसपी सुधीर कुमार पोरिका पालीगंज के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तनवीर अहमद, भोजपुर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पंकज रावत, डिहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संजय कुमार और औरंगाबाद सदर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अनूप कुमार सहित एक दर्जन से अधिक पुलिस पदाधिकारियोंं को निलंबित कर दिया गया।
साथ ही एसडीओ ,सीओ ,वीडिओ और डीटीओ स्तर के कई अधिकारियों पर भी कारवाई हुई अब जरा गौर करिए जिन अधिकारियों पर कारवाई हुई है उसका बैकग्राउंड कैसा रहा है ।

3–भोजपुर एसपी राकेश कुमार दूबे –इस अधिकारी को कौन नहीं जानता है लालू राज में इसकी तूती बोलती थी नीतीश कुमार आये तो कुछ दिन फिल्ड से बाहर रहे लेकिन जैसे ही राजद से जुड़े एक कद्दावर नेता नीतीश के करीब आये राकेश दूबे को प्राइम पोस्टिंग

मिलनी शुरु हो गयी भोजपुर एसपी रहते हुए बालू माफिया से इनका कैसा रिश्ता था कहना मुश्किल है लेकिन उस सिडिकेंट से इनका जुड़ाव रहा है ये किसी से छुपी हुई भी नहीं है ।

4–औरंगाबाद के एसपी सुधीर कुमार पोरिका–इस अधिकारी के बारे में खासबात यह है कि ये दरबार के खासम खास थे पटना सिटी एसपी के रुप में ही इन पर मुकदमों में पैसे लेने का आरोप लगने लगा था लेकिन दरबार के करीबी थे इसलिए इनकी बेहतर पोस्टिंग होती रही। हद तो तब हो गयी ये जनाब दरबार के सहारे नालंदा के एसपी बन गये वहां भी इनका प्रैक्टिस वैसे ही चलता रहा जैसा ये दूसरे जिले में चलाते थे ।
हलाकि सीएम तक इसके कारनामे की खबर जब तक पहुंचती ये पूरा नाम कमा चुके थे फिर कुछ दिनों के लिए इन्हें जिले से बाहर कर दिया गया लेकिन जैसी ही दरबार की सक्रियता बढ़ी जनाव औरंगाबाद पहुंच गये जहां थाना प्रभारी की पोस्टिंग में सारे हदे इन्होंने पार कर दिया ।

5–भोजपुर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पंकज रावत –बालू माफिया से सांठगांठ मामले में चार अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पर भी कारवाई हुई है उसमें एक हैं पालीगंज के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तनवीर अहमद जो 2009 –20010 बैच के अधिकारी हैं ये जनाब समस्तीपुर सदर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी भी रह चुके है विभाग में इनकी पहचान 20-20 खेलने वाले अधिकारी के रुप में है इनकी पोस्टिंग की सूची देख कर ही समझ में आ जायेगा कि जनाव कितने बड़े भीआईपी थे। डिहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संजय कुमार 2004 बैच के अधिकारी है हलाकि ये दरबारी होने के बावजूद मध्यममार्गी रहे हैं ।औरंगाबाद सदर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अनूप कुमार प्रमोसन के डीएसपी बने हैं पूराने डीजीपी के दरबारी थे इसलिए उन्हें प्राइम पोस्टिंग दी गयी थी ।

और बात अगर भोजपुर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पंकज रावत की करे तो ये सारी अहर्ता पूरी करते हैं नालंदा के हैं कुर्मी भी हैं कांग्रेस के एक बड़े नेता के दमाद भी हैं टैक्स वाले दरबार के खासम खास भी है 2004 बैच के ये भी अधिकारी है इनकी पोस्टिग की बात करे तो ये हाजीपुर,मोतिहारी ,बेतिया,गया आरा जैसे अनुमंडल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रह चुके हैं सीबीआई जांच भी झेल रहे हैं, मोतिहारी में भी इन पर गम्भीर आरोप लगे थे फिर इनकी पोस्टिंग में कभी फिल्ड से बाहर नहीं रही इन पर कारवाई का बड़ा असर है ब्यूरोक्रेसी पर ।

6–कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव
2013 बैच के नगर विभाग विभाग के अधिकारी है पहली पोस्टिंग इनकी भभुआ नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर हुआ था पहले पोस्टिंग में ही जनाव अपनी योग्यता दिखा दिये करोड़ो के घोटाले का आरोप हंगामा होने पर कैमूर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच की जिसमें ये दोषी पाये गये लेकिन नाम के अनुसार इन्होंने काम किया नगर विभाग विभाग के अधिकारियों से मिल कर कारवाई वाली फाइल दबवा दिये शुक्र कहिए मामला सीएम के जनता दरबार में आ गया और उसके बाद कारवाई शुरु विशेष निगरानी की टीम ने आय से अधिक मामले को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज किया है छापेमारी हुई तो करोड़ो को अवैध सम्पत्ति बरामद हुआ हुई है ।

7–मुजफ्फरपुर में ग्रामीण कार्य विभाग दरभंगा में कार्यरत एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अनिल कुमार (Engineer Anil kumar) के ठिकाने से 49 लाख रुपये और बरामद हुए हैं. इससे पूर्व उसके स्कार्पियो से 18 लाख रुपये मिले थे. इस तरह सरकारी अधिकारी की गाड़ी से कुल बरामद राशि 67 लाख रुपया बरामद हुआ।
ये साहब मंत्री के स्वजातीय हैं और करीबी भी हैं इसलिए इन्हें दो जिले की जिम्मेवारी मिली हुई है जब कि मुख्यालय में इंनजीनिर बिना काम के बैठे हुए हैं ।
मतलब कारवाई से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना सम्भव नहीं है क्यों कि जिस तरीके से पोस्टिंग की प्रक्रिया सरकार चला रही है ऐसे में काम करने वाले ईमानदार अधिकारियों के पोस्टिंग की गुंजाइश
कम है हलाकि इस मामले में बिहार के पूर्व डीजीपी और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ करवाई करने को लेकर चर्चित रहे अभयानंद
का कहना है कि कानून प्रयाप्त है हां पोस्टिंग में अधिकारियों के कार्यशैली को देखा जाना चाहिए साथ ही पोस्टिंग के समय राजनैतिक हस्तक्षेप कैसे कम हो इस सरकार को सोचना चाहिए क्यों कि सब खेल पोस्टिंग से ही शुरु होता है ।

संभार –संतोष सिंह के वाल से

गोपाल के सामने क्यों बेबस हैं नीतीश

JDU विधायक गोपाल मंडल पर तेजस राजधानी एक्सप्रेस में यात्रियों के साथ हंगामा गाली गलौज धमकी दिए मामले में रेल एसपी पटना के निर्देश पर जीआरपी थाना आरा में JDU विधायक गोपाल मंडल सहित 4 लोगों पर आरा GRP में प्राथमिकी दर्ज….आरा GRP कांड संख्या –76/21 धारा:–504/290/379/34 भा०दी०वी एवं 3 (r)(s) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है। यह पहला मामला है जब बिहार के किसी विधायक की वजह से जहां पूरे देश में राज्य की आलोचना हो रही है वही सरकार और JDU अपने विधायकों को लेकर पूरी तरह से डिफेंसिव है।

सीएम नीतीश कुमार से जब आज मीडिया ने गोपाल मंडल के हरकत के बारे में सवाल किया तो उन्होंने “जांच चल रही है’ कहते हुए मीडिया से दूरी बना लिए ।गोपाल मंडल को लेकर यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार को असहज होना पड़ा है।

कुछ दिन पहले राज्य के उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के बारे में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी किये थे जिसको लेकर बीजेपी को असहज होना पड़ा था।शराबबंदी को लेकर गोपाल मंडल नीतीश कुमार पर सीधे निशाना साधते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री का कान बंद है। इसलिए मुख्यमंत्री का कान खोलना चाहते हैं। बिहार में ऐसा कोई पुलिस या पुलिस अधिकारी नहीं है, जो शराब नहीं पीता।

कुछ दिन पहले बांका में 20 एकड़ जमीन पर JDU के विधायक कब्जा जमाने गए थे, लेकिन लोगों ने उन्हें बंधक बना लिया था। लौटने के बाद भागलपुर में उन्होंने एक समुदाय के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करते हुए कहा- ‘उन लोगों की हिम्मत है..ठोक देंगे इस घटना को लेकर भी सोशल मीडिया में एक वीडियो खुब वायरल हुआ था इतना ही नहीं समय समय पर सीएम नीतीश कुमार के फैसले पर भी सवाल उठाते रहते हैं विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद उन्होंने कहा टिकट वितरण को लेकर सवाल खड़े हुए कहा था कि जदयू की हार के लिए सीएम नीतीश खुद जिम्मेवार हैं । ‘नाथनगर की सीट नीतीश कुमार की गलती की वजह से पार्टी हार गई।

Jdu और नीतीश गोपाल मंडल को लेकर खामोश क्यों है

इस तरह से व्यवहार के बावजूद नीतीश कुमार की चुप्पी रहस्य की बात है कहा यह जा रहा है कि बिहार विधानसभा में एक तो इस बार जदयू के विधायक की संख्या काफी कम है ऐसे में कारवाई करने के बाद विधायक खुल्ला साँड़ हो जायेंगा और उसके बाद सरकार को और परेशानी बढ़ सकती है

गरीबों के बीच राँबीन हुड, की छवि है गोपाल मंडल का
भागलपुर के गोपालपुर से गोपाल मंडल लगातार चौथी बार विधायक बने हैं इसकी वजह है यह है कि वो जिस गंगोता जाति से आते हैं उसकी पहचार उस इलाके में लड़ाकू जाति के रुप में है ,भागलपुर दंगा के दौरान जब शहर के लोग असुरक्षित महसूस करने लगे थे उस समय गंगोता ही पूरे शहर की सुरक्षा अपने कंधों पर लिया था और फिर भागलपुर में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे गंगोता ही खड़ा था।

वो छवि आज भी भागलपुर जिले के लोगों के जेहन से बाहर नहीं निकला है इसका लाभ गोपाल मंडल को मिलता है फिर उस इलाके में भूमिहार और गंगोता के बीच वर्चस्व को लेकर ताना तानी चलता रहता है जिसके खिलाफ गोपाल मंडल हमेशा खड़ा रहता है फिर पुलिस और पदाधिकारी के बारे में सार्वजनिक रुप से बोलने की छवि है इस वजह से गरीबों के बीच गोपाल मंडल काफी लोकप्रिय है इतना ही नहीं भागलपुर लोकसभा में गंगोता जाति के वोट सबसे अधिक वोट 9.26 फीसदी हैं। भागलपुर जिले की राजनीति गंगोता जाति के वोटर तय करते हैं और गोपाल मंडल अपने जाति में भी काफी लोकप्रिय है।

भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल भी गंगौता जाति से ही आते हैं और चाह करके गोपालमंडल का प्रभाव वो कम नहीं कर पाये लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को गोपालमंडल को मनाने में पसीना छुट गया था कहां ये जा रहा है कि गोपालमंडल के मामने के बाद ही अजय मंडल सरल जीत हासिल कर पाये ऐसे में भागलपुर जिले में गोपाल मंडल का राजनैतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि नीतीश कुमार चाह करके भी कुछ खास नहीं कर पायेंगे ।

वही गोपाल मंडल नीतीश कुमार से इसलिए भी नराज हैं कि चार बार से लगातार विधायक बनने के बावजूद नीतीश कुमार इन्हें मंत्री नहीं बनाये हैं और उसी नराजगी का यह असर है कि गोपाल मंडल नीतीश कुमार कैसे असहज महसूस करे इसके लिए सीमाएं लांघते रहता है ।

सरकारी गांड़ी पर हाईकोर्ट का चला डंडा बगैर निबंधन के सड़क पर उतरा तो होगा जप्त

पटना हाई कोर्ट ने बगैर निबंधन के ही सड़कों पर घूम रही पटना नगर निगम की गाड़ियों के मामले को निष्पादित कर दिया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आदेश जारी किया है कि कोई भी सरकारी या अन्य सरकारी निकाय की गाड़ी बगैर निबंधन के सड़क पर खड़ी नहीं रह सकती।

पटना नगर निगम के मामले में कोर्ट ने इस लापरवाही पर अपनी नाराज़गी जताते हुए नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को चार महीने के भीतर जिम्मेदार अफसरों पर कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने निर्भय प्रशांत की जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि देश मे कानून से ऊपर कोई नही है।
जब मोटर वाहन कानून में कोई गाड़ी को निबंधन से छूट नही है, तो नगर निगम की गाड़ियां एक दिन भी आखिर बगैर निबंधन के कैसे सड़कों पर खड़ी रहती थी ? खण्डपीठ ने यह स्पष्ट आदेश जारी किया कि बगैर निबंधन के कोई भी सरकारी व निगम की गाड़ी एक दिन भी सड़कों पर खड़ी नही रहेगी।

कोर्ट में दायर हलफनामे को माने, तो पटना नगर निगम ने 925 गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन के लिए तकरीबन 2 करोड़ रुपये जमा किया।

वर्ष 2019 में राजधानी की सड़कों पर नगर निगम की करीब 925 गाड़ियां बगैर निबंधन व् बीमा के ही घूम रही थी।।

पंचायत चुनाव के दौरान नामांकन में गड़बड़ी पायी गयी तो चुनाव से आप हो सकते हैं बाहर

पंचायत चुनाव के प्रथम चरण के नामंकन का आज दूसरा दिन है अभी तक 900 सौ से अधिक प्रत्याशी नामांकन का पर्चा भर चुका हैं हलाकि आयोग ने इस नामांकन के दौरान कई तरह के गाइड लाइन जारी किया है जिसका अनुपालन नहीं करने पर प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो सकता है ।

राज्य चुनाव आयोग के गाइडलाइन के मुताबिक नामांकन के दौरान कई जरूरी काजगात भी जमा करने होंगे।. नामांकन पत्र के साथ जरूरी कागजात नहीं रहने तथा कागजात में किसी तरह की त्रुटि होने पर अभ्यर्थी का नाम नामांकन पत्र रद्द कर दिया जा सकता है ।

आयोग के द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक नामांकन पत्र दाखिल करते समय निर्वाची पदाधिकारी नामांकन पत्र की बारिकी से जांच करेंगे.
अभ्यर्थी व प्रस्तावक के मतदाता क्रमांक में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर निर्वाची पदाधिकारी उसे ठीक करायेंगे. लेकिन जरूरी कागजातों में किसी तरह की त्रुटि होने पर तथा कागजात नामांकन पत्र के साथ संलग्न नहीं रहने पर नामांकन पत्र रद्द हो जायेगा़ ।

. आयोग के द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक नाम निर्देशन पत्र प्रपत्र 6, शपत्र पत्र, अनुसूची-1(बिहार पंचायत राज अनिधियम 2006 की धारा 136 के संबंध में), अनुसूची-2(मतदाता सूची में अभ्यर्थी व प्रस्तावक के नाम दर्ज होने से संबंधित घोषणा), अनुसूची-3 (शपथ पत्र व एनेक्शचर को दी जाने वाली सूचनाओं का प्रपत्र), अनुसूची 3 क (अपराध, संपत्ति व शैक्षणिक योग्यता के संबंध में), अनुसूची 3 ख (अभ्यर्थी का बायोडाटा) देना जरूरी है़ इसके साथ नाम निर्देशन शुल्क, चालान या नाजिर रसीद की मूल कॉपी नामांकन पत्र के साथ संलग्न करना जरूरी है.

पीएम से मिलकर स्वास्थ्य मंत्री ने भेंट की नये बन रहे पीएमसीएच की आकृति

पीएम से मिलकर स्वास्थ्य मंत्री ने भेंट की नये बन रहे पीएमसीएच की आकृति

पटना, 3 सितंबर। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में मिलकर बिहार में लगातार हो रही बड़ी संख्या में कोरोना जांच और टीकाकरण की विस्तृत जानकारी दी। खास कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीका वाली नाव के द्वारा किये जा रहे टीकाकरण के संबंध में बताया गया। साथ ही माननीय प्रधानमंत्री का इमरजेंसी कोविड रिसपोंस पैकेज-2 के तहत केंद्र से मिलने वाले सहयोग के लिए श्री पांडेय ने आभार भी व्यक्त किया। श्री पांडेय ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करने एवं कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य सरकार को हर स्तर पर तैयारी करने की बात कही।

श्री पांडेय ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री को बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत और बेहतर बनाने के उद्देश्य से किये जा रहे राज्य सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया। इसके अलावे कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर आधारभूत संरचनाओं का विस्तार के अलावे डाॅक्टर्स, नर्स एवं पैरा मेडिकल स्टाफ की हो रही नियुक्ति के संबंध में भी जानकारी दी गई। श्री पांडेय ने बताया कि प्रधानमंत्री जी को दुनिया का दूसरा और देश के सबसे बड़े बन रहे 5 हजार 462 बेड के अस्पताल पीएमसीएच की आकृति भेंट की। माननीय प्रधानमंत्री ने इस कार्य के लिए प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार की प्रशंसा भी की। श्री पांडेय ने बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये जा रहे लगभग 16 सौ नये अस्पताल के भवनों (स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) के निर्माण की जानकारी भी माननीय प्रधानमंत्री को दी गई।

मंत्री जी के क्षेत्र भ्रमण पर लगी रोक चुनाव प्रचार करते दिखे तो होगी कारवाई

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव को देखते हुए मंत्री ,विधायक और सांसद के क्षेत्र भ्रमण पर रोक लगा दिया है इस आदेश का ाअनुपालन नहीं करने वाले मंत्री ,विधायक और सांसद के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के तहत मामला दर्ज में ।आयोग के निर्देश के अनुसार केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री ही नहीं विधायक, विधान पार्षद और सांसद भी अपने सरकारी यात्रा को चुनावी यात्रा से बिल्कुल अलग रखेंगे। दोनों यात्राओं को एक साथ नहीं किया जाएगा।

मंत्री यदि जिला मुख्यालय या क्षेत्रीय स्तर के कार्यालयों तक सरकारी कार्यों के सिलसिले में जाते हैं और उसके बाद निजी वाहन के माध्यम से चुनावी यात्रा करते हैं तब भी पूरे दौरे को चुनावी दौरा माना जाएगा।

साथ ही वो उम्मीदवार जिनके साथ मंत्री देखे जाएंगे उसके चुनावी खर्चे में मंत्री के पूरे दौरे का खर्च जोड़ दिया जाएगा। सरकारी वाहन से लेकर सरकारी भवन के चुनाव कार्यों के लिए उपयोग पर भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (c) के तहत कार्रवाई होगी। इसके तहत दोष सिद्ध होने पर तीन महीने कारावास की सजा या दो सौ रुपए आर्थिक दंड हो सकता है या दोनों ही हो सकता है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है। इसकी सुनवाई मजिस्ट्रेट करेंगे।

भारत में भी लोकतंत्र को बचाये रखना एक बड़ी चुनौती है

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया को लेकर बेहद कठोर टिप्पणी की है और कहा है कि ये कोर्ट के बारे में भी ताकतवर लोगों के इशारे पर लिखता रहता है ऐसे में इस पर कड़े कानून बनाये जाने कि जरुरत है।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऑब्जरवेशन की तारीफ होनी चाहिए लेकिन सवाल यह है कि जिस तरीके से कोर्ट काम कर रही है, उसको लेकर कोर्ट खुद खमोश क्यों है कोर्ट में भ्रष्टाचार चरम पर है ,न्याय की खुल्लम खुल्ला बोली लगती है सब जानता है क्या ये बात कोर्ट को पता नहीं है ऐसे में सवाल करने पर भी रोक लगा दी जायेंगी तो फिर इसे क्या कहेंगे ये हिपोक्रेसी नहीं होगा ।
हाल ही पटना हाईकोर्ट ने सरकार से पुछा है कि ऐसे कितने सरकारी अधिकारी हैं जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं यही सवाल तो जज से भी होनी चाहिए थी कि कितने जज हैं जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। इसलिए सिर्फ सवाल करने और नसीहत देने से कोई भी संस्था ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकती है ।

अफगानिस्तान इसका सबसे लेटेस्ट उदाहरण है चंद मिनट में ही चंद बंदूकधारी के सामने कोर्ट, सांसद ,पुलिस ,सेना और ब्यूोरोक्रेसी ताश की पत्तों की तरह बिखर गया क्यों? 20 वर्षो के दौरान लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था,सैन्य ताकत ,स्त्री स्वतंत्रता और मानवाधिकार के नाम पर जो संस्थान खड़े हुए उस संस्थान में नियुक्ति की जो प्रक्रिया रही वो जनता को रास नहीं आया।
आज ही भारतीय मीडिया में लीड खबर है जेेईई मेंस की परीक्षा में जबरदस्त खेला हुआ है आज की तारीख में गौर करे तो कोई भी ऐसी परीक्षा है जहां आप भरोसे के साथ कह सकते हैं कि सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है वैसे भारत में अभी भी परीक्षा में थोड़ी ईमानदारी बची हुई है इसलिए लोगों को सिस्टम पर भरोसा बचा हुआ है लेकिन यह भरोसा भी धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है ।

मीडिया पर से भरोसा उठ ही गया है ,ब्यूरोक्रेसी हाफ ही रहा है ,न्याय व्यवस्था अपनी अंतिम सांस बचाये रखने के लिए संर्घष कर रहा है।

हमारे यहां सांसद और विधायक और मुखिया चुनने को लेकर जो संवैधिनाक प्रक्रिया है उसमें अब अच्छे लोगों के सांसद ,विधायक और मुखिया बनने की सम्भावना लगातार क्षीण होती जा रही है आने वाली राजनीति में लोहिया ,जेपी ,अटल बिहारी ,कर्पूरी ठाकुर, ,लालू ,नीतीश जैसे नेता पैदा होने की सम्भावना अब नहीं बची है।

ऐसे में आपके पास दुनिया का दूसरा तालीबान देश घोषित होने के लिए तैयार रहिए क्यों कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोकतंत्र को बने रहने के लिए जिस तरीके से संस्थान को मजबूत होना चाहिए था वो नहीं हो पाया ऐसे में पांच वर्ष में एक वोट के सहारे आप लोकतंत्र को बचाये नहीं रख सकते हैं यह यक्ष सवाल हमारे आपके सामने मुंह बाये खड़ा है ।

पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर सरकार का तेवर तल्ख कहा जेपी और लोहिया से समझौते का सवाल नहीं

जेपी और लोहिया के विचारों को बिहार के विश्वविधालय के पाठ्यक्रम से बाहर करने के मामले में राज्य सरकार राजभवन से दो दो हाथ करने के मूड में दिख रहा है आज राज्य के शिक्षा मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि इस मामले में महामहिम से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन वो बिहार से बाहर है फिर उनसे मैंने फोन पर बात किया और एमए के पाठ्यक्रम में जो बदलाव हुआ है उससे सरकार के मंशा से अवगत करा दिया है और उम्मीद है कि राजभवन एमए के पाठ्यक्रम में जो बदलाव हुआ है उसको वापस ले लेगा ।

यह मामला बिहार के सारण स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय में जेपी और राममनोहर लोहिया के विचारों को पीजी के पाठ्यक्रम से हटाने की खबर के बाद सुर्खियों में था जिसको देखते हुए सरकार ने जेपी विश्वविधालय के कुलपति और रजिष्ट्रार को तलब किया था। कुलपति और रजिष्ट्रार से बातचीत के बाद शिक्षामंत्री विजय चौधरी सामने आए और सरकार का रुख साफ किया। शिक्षामंत्री ने कहा कि जयप्रकाश और लोहिया के विचारों की पढ़ाई जारी रहेगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार दूसरे विश्वविद्यालयों में भी ऐसे मामलों की जानकारी लेगी।

मीडिया से बात करते हुए विजय चौधरी ने कहा कि सीएम नीतीश ने खुद मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि सीबीसीएस लागू होने से बदलाव की बात कही जा रही है। चांसलर के आफिस ने सभी वाइस चांसलर को इसे भेज दिया था। कहा कि विश्वविद्यालय के स्तर पर भी इन चीजों को देखा जाना चाहिए था, उसके बाद लागू करने की बात होनी चाहिए थी।
शिक्षामंत्री ने कहा कि हम लोगों के समझ में यह बात भी नहीं आ रही कि सीबीसीएस का पाठ्यक्रम में इस तरह के परिवर्तन से क्या लगाव है। कुछ लोगों के राजनीतिक विचार को पाठ्यक्रम से अलग क्यों किया गया, यह समझ से परे है। कहा कि छपरा के कुलपति ने भी अपनी तरफ से कोई आदेश दिया हो ऐसी बात नहीं है। यह जिस रूप में हुआ है, हम लोग इसे उचित नहीं मानते हैं। सरकार के दृष्टिकोण से भी यह बिल्कुल अनुचित और अनियमित है। अभी तक जो परंपरा और नियम रहे हैं, उसके अनुसार भी ठीक नहीं है। नई शिक्षा नीति को लेकर भी यह गलत है।

जेपी-लोहिया के विचार बिना भारतीयता की सोच ही संभव नहीं
उन्होंने कहा कि अगर कोई परिवर्तन हुए और चांसलर आफिस से दिये गए तो बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद को भी उसकी जानकारी होनी चाहिए, जो नहीं हुई है। कुलपति ने भी अपनी पूरी सहमति जताई है कि यह उचित नहीं है, हम लोग इसके निराकरण का उपाय करेंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया की सोच और विचार के बिना भारतीय राजनीति के दर्शन से समाजवाद, साम्यवाद और जेपी लोहिया के विचारों को अलग कर दिया जाएगा तो भारतीयता की सोच ही अलग हो जाएगी। यह लोग तो खालिस भारतीय विचारों के प्रतिबिंब हैं। उनके विचारों को कैसे अलग किया जा सकता है। कहा कि अभी तक इससे जुड़े कागजातों की पड़ताल नहीं हुई है। अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अन्य विश्वविद्यालयों की भी पड़ताल करें। हो सकते हैं वहां भी इसी तरह की दिक्कतें हों।

हाईकोर्ट ने तेज प्रताप से चुनाव के दौरान साक्ष्य छुपाने को लेकर मांगा जबाव

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर सुनवाई शुरु कर दिया है। तेज प्रताप यादव के हसनपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन कोलेकर विजय कुमार यादव ने चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दिया है।

कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से विवादित बिंदुओं को दाखिल किया गया। जस्टिस विरेन्द्र कुमार ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए इसे रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।
अब इस मामलें पर 30 सितंबर को सेटलमेंट ऑफ इशू और गवाही पर सुनवाई की जाएगी। गवाही में संबंधित पक्षकारों द्वारा उन दस्तावेजों और गवाहों की सूची भी दी जाएगी ,जो इस मुकदमें से जुड़े हुए होंगे।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व् विधायक तेज प्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि एक्ट, 1951 की धारा 100 का हवाला देते हुए तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने के लिए यह चुनाव याचिका दायर की गई हैं।

अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देकर हारे हुए जद यू के उम्मीदवार राज कुमार राय को घोषित करने करने के लिए चुनाव याचिका दायर की है।
यह मामला वर्ष 2020 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। याचिका दायर करने का आधार यादव द्वारा जानबूझकर अपनी संपत्ति के संबंध में पूरा ब्यौरा नहीं देने का आरोप लगाया गया है

याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि क़ानून की धारा 123(2) के अनुसार इसे भ्रष्ट आचरण बताया है।

3 नवंबर, 2020 को विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। 10 नवंबर, 2020 को चुनाव परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें तेज प्रताप यादव हसनपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विजयी हुए थे। अब इस मामले में आगे की सुनवाई आगामी 30 सितंबर को की जाएगी।

बालू माफिया से सांठगांठ मामले में डीएसपी के घर छापेमारी

बालू माफिया से सांठगांठ मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने कारवाई तेज कर दिया है आज पटना पालीगंज के तत्कालीन एसडीपीओ तनवीर अहमद के ठिकानों पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओयू) ने छापेमारी की है। वे बालू के अवैध खनन में संलिप्तता के आरोप में निलंबित हैं। उनके पटना स्थित फ्लैट के अलावा बेतिया जिला के पैतृक घर की भी तलाशी ली जा रही है। इसके अलावा उनके नरकटियागंज अनुमंडल के मैनाताड़ थाना क्षेत्र के पीडारी गाँव में भी छापामारी चल रही है अहमद के पास आय से 60 प्रतिशत अधिक संपति पाई गई है।

डीएसपी का घर भारत-नेपाल सीमा पर है। ईओयू की इस कार्रवाई से पहले उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। निलंबित किए गए डीएसपी के खिलाफ बालू माफियाओं संग सांठगांठ के सबूत मिले हैं।इससे पहले आर्थिक अपराध इकाई ने बालू माफिया से सांठगांठ मामले में निलंबित डेहरी के तत्कालीन एसडीओ सुनील कुमार सिंह के तीन ठिकानों पर एक साथ छापानारी किया था । ईओयू ने पटना और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित उनके पैतृक आवास पर भी छापेमारी किय था। वहां कमरे की तलाशी लेने के साथ ही घर पर मौजूद निलंबित एसडीओ से घंटों पूछताछ कि गयी थी ।

चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के खर्च का सीमा किया निर्धारित

बिहार में पंचायत चुनाव का बिगुल बच गया है आज प्रथम चरण के चुनाव को लेकर दस जिलों के 12 प्रखंडों में नामांकन का काम शुरु हो गया है ।

वही इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के अधिकतम खर्च की सीमा निर्घारित कर दिया है ।
आयोग ने सभी पदों के क्षेत्र व जनसंख्या के अनुसार चुनाव में खर्च की सीमा तय कर दी है। मुखिया और सरपंच प्रत्याशी अधिकतम 40 हजार ही खर्च कर पाएंगे वही वार्ड सदस्य और पंच पद के प्रत्याशी अधिकतम 20 हजार रुपए तक चुनाव में खर्च कर सकते हैं।

जिला परिषद प्रत्याशी को एक लाख रुपए तक खर्च करने की छूट दी गई है। वहीं आयोग ने पंचायत समिति सदस्य के पद पर चुनाव लड़ने वालों के लिए अधिकतम 30 हजार रुपया खर्च की सीमा तय कर दी है।

सभी प्रत्याशी को तय सीमा में ही खर्च करनी है साथ ही चुनाव में खर्च की गई राशि का हिसाब भी सभी को देना पड़ेगा। प्रत्याशियों को मतों की गणना का कार्य संपन्न होने के बाद चुनाव खर्च का ब्यौरा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। अगर इस बार कोई प्रत्याशी खर्च का हिसाब नहीं देते हैं तो अगले चुनाव में वैसे प्रत्याशी चुनाव से वंचित रह सकते हैं।

सभी प्रत्याशियों को मतगणना की समाप्ति के 15 दिन के अंदर अपने खर्च का ब्यौरा निर्वाची पदाधिकारी के पास जमा करना अनिवार्य होगा। जांच में किसी प्रत्याशी के खर्च की राशि अधिक होती है तो ऐसे में उस प्रत्याशी पर चुनाव आयोग के फैसले का उल्लंघन करने के खिलाफ में कार्रवाई की जाएगी।

भ्रष्ट इंजीनियर के खिलाफ विभाग की चुप्पी से मंत्री और विभागीय अधिकारियों के कार्यशैली सवालों के घेरे में ।

दरभंगा ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता को थाने से ही छोड़ने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है वही अभी तक विभाग द्वारा अभियंता पर कोई कारवाई नहीं किये जाने पर मंत्री सहित विभाग के प्रधान सचिव के मंशा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं ।

डीजीपी ने पूरे मामले में एसएसपी मुजफ्फरपुर से इंजीनियर मामले में बरामद राशी और एफआईआर के साथ साथ थाने के स्टेशन डायरी तक की कांपी मांगी है। जो खबर आ रही है उसके अनुसार स्टेशन डायरी और एफआईआर दर्ज करने के समय को लेकर कई तरह की त्रृटि है जिसका लाभ अभियुक्त को मिल सकता है हलाकि अब इस पूरे मामले की जांच आईजी मुजफ्फरपुर खुद देख रहे हैं।
इस बीच मुजफ्फरपुर पुलिस के कार्यशैली को लेकर बिहार के पूर्व डीजीपी और बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान चलाने वाले अभयानंद का कहना है कि जो मीडिया रिपोर्ट है उसके अनुसार मुजफ्फरपुर पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं।

सरकारी सेवक के पास से नगद पैसा बरामद होता है और उस पर आदर्श आचार संहिता का मामला दर्ज होता है जो समझ से पड़े है क्यों कि सरकारी सेवक के मामले में कानून पूरी तौर पर स्पष्ट है अगर किसी भी सरकारी कर्मी के पास से नगद पैसा बरामद होता है और उस पैसे का अगर हिसाब नहीं बता रहा है तो तुंरत उस पर पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज करना है ।
वही मुजफ्फरपुर पुलिस खुद कह रही है कि इंजीनियर के पास से बरामद लैपटांप और मोबाइल के डाटा मालूम करने में इंजीनियर सहयोग नहीं कर रहे हैं ऐसे में थाने से बेल देना समझ से पड़े है।

सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस देने का प्रावधान है लेकिन वैसे स्थिति में ना जब अभियुक्त पुलिस को सहयोग कर रही है दूसरी बात अभियुक्त के बाहर रहने से साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है लेकिन इंजीनियर मामले में सब कुछ सामने है थाने में रहते हुए छेड़छाड़ कर रहा था ऐसे में मुजफ्फरपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी ही है।
इस बीच मुजफ्फरपुर एसएसपी जयकांत से जब थाने से छोड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना है कि इस तरह के मामले में थाने से बेल देने का प्रावधान है ,बिहार पुलिस इससे पहले भी इस तरह के मामले में बेल देती रही है ऐसे में इस तरह के सवाल का कोई मतलब नहीं है ।मुजफ्फरपुर पुलिस इस मामले की पूरी गहनता से छानबीन कर रही है और एएसपी स्तर के अधिकारी को इस कांड का अनुसंधानकर्ता बनाया गया है ।

इस बीच इस मामले को लेकर विभागीयमंत्री जयंत राज से जब यह पुंछा गया कि आपके विभाग के एक सीनियर इंजीनियर के पास से 67 लाख रुपया बरामद हुआ है और उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है फिर भी अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई है इस पर मंत्री का कहना है कि इस मामले में विभाग भी अपनी ओर से जांच कर रहा है और शीघ्र ही समुचित कार्रवाई की जाएगी।

बिहार का एक और अधिकारी आय से अधिक संपत्ति मामले में पकड़ा गया

बिहार में भ्रष्टाचार किस कदर व्याप्त है उसकी बानगी आज राज्य सरकार के स्पेशल विजिलेंस के छापा के दौरान सामने आयी है ।

जी है नगर विकास विभाग के 2013 बैच के पदाधिकारी जो हाजीपुर नगर परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद से हाल ही सस्पेंड हुए हैं अनुभूति श्रीवास्तव के फ्लैट पर बुधवार को छापेमारी हुई। एक DSP की अगुवाई में स्पेशल विजिलेंस के 10 लोगों की टीम ने सुबह 7 बजे से ही दबिश दे रही है। पूरा मामला आय से अधिक की संपत्ति का है।

आरोप है कि अनुभूति श्रीवास्तव ने सरकारी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार से जुड़े कई कांडों को अंजाम दिया है। अब तक वह अवैध रूप से करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति के मालिक बन चुके हैं। इनके खिलाफ काफी शिकायतें सरकार को भेजी जा रही थी, जिसके बाद इंटरनल जांच हुई। 18 अगस्त को ही इन्हें हाजीपुर नगर परिषद के मुख्य कार्यपाल पदाधिकारी के पद से सस्पेंड कर दिया गया था। फिर पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित स्पेशल विजिलेंस ने इनके खिलाफ FIR दर्ज की।

इसके बाद आज टीम ने राजधानी के रूकनपुरा इलाके के तिलक नगर में स्थित अर्पणा मेंशन में छापेमारी की।अभी तक जांच के दौरान सात वर्ष के नौकरी में अकूत सम्पर्ति अर्जित करने के प्रमाण मिले हैं जिसमें पटना में दो फ्लैट एक इंदौर में फ्लैट के साथ साथ एक करोड़ से अधिक निवेश और लगभग 75 लाख रुपया विभिन्न बैक खाते में जमा मिला है फिलहाल सारे कागजात और बैक खाते को विशेष निगरानी की टीम ने जप्त कर लिया है और इनके खिलाफ आय़ से अधिक सम्पत्ति मामले में प्राथमिकी दर्ज किया गया है ।

पंचायत चुनाव में इस बार जिला मुख्यालय में होगी मतगणना

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के मतगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया है इस बार मतगणना जिला मुख्यालय में होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार के सभी डीएम को पत्र जारी करते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी परिस्थिति मतगणना प्रखंड या अनुमंडल स्तर पर नहीं होगा ।


आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि मतपेटियों को प्रखंड मुख्यालय की बजाय जिला स्तर पर ही संग्रहण केंद्र बनाएं। वहीं पर ईवीएम और बैलेट बॉक्स को रखने की व्यवस्था करें।


पंचायत चुनाव में पहले प्रखंड स्तर पर ही मतगणना होती थी लेकिन इस बार व्यवस्था बदल दी गई है। मतगणना स्थल पर बनाए जाने वाले संग्रहण केंद्र पर पंचायतवार रीसिविंग काउंटर बनाया जाएगा। दो या तीन पंचायत पर एक काउंटर की व्यवस्था की जाएगी। मुख्य काउंटर के पीछे पदवार ईवीएम एवं मतपेटिका को प्राप्त करने के लिए पांच सब काउंटर भी बनाए जाएंगे। सब काउंटर से पदवार चिन्हित ब्रजगृह में संबंधित पद के लिए ईवीएम एवं आवश्यक प्रपत्र(पीठासीन पदाधिकारी की घोषणा, मतपत्र लेखा एवं पेपरसिल लेखा) को पदवार चिन्हित वज्रगृह में रखा जाएगा।


मतगणना स्थल पर प्रत्येक पंचायत के लिए पांच व्रजगृह बनाए जाएंगे, जिसमें अलग-अलग पद के लिए जैसे ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य तथा जिला परिषद सदस्य के लिए होगा। पंच और सरपंच पद के लिए अलग से एक अतिरिक्त कक्ष बनाया जाएगा।